गाओं की मस्ती compleet

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007
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गाओं की मस्ती compleet

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 16:53

जगन शहर से आते वक़्त सदा की भांती देवकी के आम के बगीचे से होकर गुजरा. आज हरिया की झोंपड़ी बंद थी और वहाँ कोई नहीं था. हाँ देवकी का आम का बगीचा, यही नाम मश'हूर हो गया था. देवकी के बाप का यह बगीचा था पर जब देवकी का व्याह देव से हुआ तो उसके बाप ने यह बगीचा देवकी के नाम कर दिया और तब से यह नाम मश'हूर हो गया.

लोग कह'ते देवकी का बगीचा बड़ा प्यारा है बड़ा ही मस्त है. आम के सीज़न में लोग बातें करते देवकी के आम तो बड़े मीठे हैं, बड़े बड़े हैं, पूरे पक गये हैं. लेकिन ऐसी बातें लोग आपस में ही करते और एक दूसरे को देख हंसते. बातें बगीचे और आमों की होती, निशाना कहीं और होता.

जगन थोड़ा सुसताने के लिए झोंपड़ी के पास एक आम के पेड की छान्व में बने चबूतरे पर बैठ गया. वह देवकी के बारे में सोचने लगा:-

देवकी जब बीस साल की थी तब उसकी शादी देव से आज से 4 साल पहले हुई थी. शुरू शुरू मे उसकी सुहागन की जिंदगी और उसकी चूत की चुदाई ठीक ठाक चल रहा था. देव उसकी चूत को हर रोज सुबह और रात को खूब जम कर चोद्ता था और इस'से देवकी को चूत भी संतुष्ट थी. लेकिन कुच्छ सालों के बाद देव कमजोर पड़ने लगा और ठीक से देवकी की चूत को चोद नही पाता. घंटों उसका लंड चूसने पर खड़ा होता था और चूत में डाल'ने के कुच्छ समय बाद ही पानी छ्चोड़ देता था. इस'से देवकी की चूत भूखी रह जाती थी और हमेशा लंड की ठोकर मांगती थी. वो देव के सामने अपनी चूत मे उंगली डाल कर अपनी चूत को शांत करने का नाटक करती थी. देवकी अप'नी जवानी को ऐसे ही बर्बाद नही करना चाहती थी और वो अपनी चूत एक मोटा और लंबा लंड से चुदवाने के लिए तरसती थी.

कुच्छ दीनो तक तो देवकी चुप चाप थी पर उसकी चूत उसे शांत नही रहने देती और एक दिन वो हरिया से मिली. शुरू शुरू मे तो देवकी नही चाहती थी कि वो हरिया के सामने अपनी साड़ी उठाए और उस'से अपनी चूत चुड़वाए, लेकिन देवकी अब बिना चूत मे लंड लिए जी नही सकती थी और इस लिए देवकी हरिया से अपनी चूत चुदवाना शुरू कर दिया और ये बात देव से छुप रखी थी.

देवकी को हरिया से चुदवाना धीरे धीरे पसंद आने लगा और उसके मन मे इस'से कोई ग्लानी नही थी क्योंकि उसके मा और बाप यही करते थे. देवकी के मा बाप अपने एक छ्होटे भाई (बाप का भाई) के साथ रहते थे. अपनी छोटी उमर से ही देवकी और उसकी छ्होटी बहन जया यह जानती थी कि उनकी मा अपने देवर और अपने पति से अपनी चूत मरवाती है. दोनो बहने रोज दोपहर को जब उनके पिताजी खेत पर काम रहे होते, अपने चाचा को मा के बेडरूम मे जाते देखती थी. जब दोनो बहाने कुच्छ बड़ी हुई और समझदार हुई तो उन्होने दरवाजे की झीरी से अंदर झाँकने का सोच लिया. जब वो बहने अंदर झाँकी तो उनको पहली बार यह मालूम हुआ की अंदर क्या चल रहा है.

अंदर उनकी मा और चाचा दोनो नंगे थे और चाचा उनकी मा के उप्पेर उल्टे लेट कर अपना चूतर उपर नीचे कर रहे थे. बाद मे उनको मालूम परा कि वो जो कुच्छ भी देखी थी वो मा और चाचा की चुदाई थी. कभी वो देखती थी कि उनकी मा चाचा का लंड अपने मूह मे ले कर चूस रही है. एह देख कर उन बहनो को बहुत मज़ा आता था. कभी कभी वे देखती की चाचा उनकी मा की चूत को चोदने से पहले अपनी जीव से चट रहा है और अपने होठों मे भर कर चूस रहा है. रात को वो बहने अपनी मा की चूत की चुदाई अपने बाप के लंड से होते देखा करती थी. कभी कभी उनकी मा अपना पति से चुदवा ने के बाद अपनी चूत को धो कर उनके चाचा के कमरे मे चली जाया करती थी और फिर वो दोनो फिर से चुदाई करने लगते थे. चुदाई के बाद उनकी मा फिर से अपनी चूत धो कर उनके पिताजी के पास जा कर सो जाया करती थी.

उन बहनो को अपनी मा, पिताजी और चाचा की चुदाई देख देख कर काफ़ी कुच्छ जानकारी हो गयी थी और कुच्छ दीनो के बाद वो एक दूसरे से खेलने लगी थी. वो अप'ने कंबल के नीचे एक दोसरे की चूंची और चूत से खेला करती थी. वो एक दूसरे की चूत को चटा और चूसा भी करती थी और इस'से उनको बहुत मज़ा मिलता था. लेकिन एक दिन उनकी मा ने उनको ये सब करते देख लिया और उनको सेक्स के बारे मे सब कुच्छ समझा दिया.

उनकी मा ने बताया कि जब वो छ्होटी थी तो वो बहुत चुद्दकर थी. अपनी शादी के बाद से ही उनके ससुरजी बता दिए थे की उनका आदमी चुदाई मे कमजोर है और इसलिए वो अपने देवर से अपनी चूत चुदवा सकती है. इसमे कोई पाप नहीं है क्योंकी उनके पति का लंड कमजोर है और उनकी चूत की गर्मी को पूरी तरह से शांत नही कर सकता है.

"मुझे इस बात पर खुशी है कि तुम दोनो भी हमारे रास्ते पर चल रही हो.मुझको तुम्हारे लिए कोई अक्च्छा सा तगड़ा सा पति ढूँढना परेगा. लेकिन फिलहाल तुम दोनो को अपने आप को शांत करना परेगा. अब से मैं तुम दोनो को मेरी चूत की चुदाई देखने ले लिए अपना दरवाजा थोरा सा खुला रखूँगी. तुम दोनो खुल कर मेरी चूत की चुदाई देख सकती हो और हर काम ठीक से समझ सकती हो," उनकी मा उनसे बोली.

उस दिन के बाद से वो बहने बिना झिझक और डर के खुल्लम खुल्ला अपनी मा की चूत की चुदाई देखा करती थी. उनके मा और पिताजी अपने कमरे मे ऐसे एक दूसरे को चोद्ते थे जैसे कि वो चुदाई का नुमाइश लगा रखा है. अक्सर वो अपने कमरे की लाइट बिना बुझाए ही चुदाई करते थे. दोनो बहने अपनी मा और पिताजी की चुदाई देख देख कर एक दूसरे की चूत मे उंगली डाल कर एक दूसरे की चूत को उंगलेओं से चोदा करती थी और अपनी अपनी मस्ती झारा करती थी. उनके चाचा बहुत चुदक्कर थे और वो उनकी मा को कई तरह से, आगे से पिछे से, अपने गोद मे बैठा कर, लेट कर कुतिया बना कर चोद्ते थे और उनकी चुदाई काफ़ी लूंबे समय तक चलती थी.

उनकी मा अपने देवर से अपनी चूत चुद्वते वक़्त तरह तरह की आवाज़ निकालती थी और बहुत बर्बरती थे. उनकी मा की चूत मे जैसे ही उनके चाचा का लंड घुसता था तो उनकी मा अपने दोनो हाथ और पैरों से अपने देवर को बाँध कर अपनी चूतर उच्छाल उच्छाल कर चूत मे लंड पिलवाती थी, और उनका चाचा उनकी मा की चूंची को पकड़ चूस्ता और अपना चूतर उठा उठा कर अपनी भाभी की चूत मे लंड पेलता था. जब उनका चाचा झार कर अपने वीर्या से उनकी चूत को भर देता था तो उनकी मा भी झार कर शांत हो जाया करती थी. देवकी अपने मन ही मन मे एह जान चुकी थी कि एक औरत एक छोड कई आदमी के लंड से अपनी चूत चुदवा सकती है.


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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 16:53

अचानक जगन की तंद्रा टूटी और उसकी आँखों के साम'ने पिच्छले कुच्छ महीनों के सीन एक चलचित्रा की तरह घूम'ने लगे........... आज से 6 महीने पह'ले की बात है जब जगन एक 24 साल का एक गठीले बदन का नौजवान जो बीए करके पिच्छ'ले साल ही शहर से गाओं में वापस आया है. गाओं में आते ही ग्राम पंचायत के ऑफीस में उस'की अच्छी नौकरी लग गयी. एक तो पढ़ा लिखा ऊपर से बात व्यवहार का मीठा, सो जल्द ही गाओं में रुत'बे का आद'मी बन गया. जगन की शादी अभी नही हुई थी और इसी लिए वो गाओं की औरत और लड़कियो को घूर घूर कर देखता था. गाओं के कुँवारी लरकियाँ भी जगन को छुप छुप कर देखती थी क्योंकि वो एक तो अभी कुँवारा था और दूसरी तरफ उसका गाओं मे काफ़ी रुतबा था.

जगन इस बात से वाकिफ़ था और बारे इतमीनान से अपने लिए सुन्दर लड़की की तलाश मे था. जगन को नौकरी से काफ़ी आमदनी हो जाती थी और इसलिए उसको पैसे की कोई कमी नही थी. एक दिन जगन को सहर से सरकारी काम ख़तम करके लौट रहा था. वो जब अपने गाओं मे बस से उतरा तो उस समय दुपहर के करीब 1.00 बजा था. ऊन्दिनो गर्मी बहुत पड़ रही थी और मे का महीना था. उस वक़्त कोई भी आदमी अपने घर के बाहर नही रुकता था. इसलिए उस दोपहर के समय सरक काफ़ी सुनसान था और जगन को कोई सवारी गाओं तक मिलने की आशा नही थी. जगन बहादुरी के साथ आप'ने गाओं, जो कि करीब दो काइलामीटर दूर था, पैदल ही चल पड़ा.

वो काफ़ी ज़ोर-ज़ोर से चल रहा था जिससे कि जल्दी से वो अपने घर को पहुँच जाए. जगन चलते चलते गाओं के किनारे तक पहुँच गया. गाओं के किनारे देवकी का आम का बगीचा था जिसके चारों और एक छोटी सी खाई थी. जगन सोचा कि अगर आम के बगीचा के अनदर से जाया जाए तो थोरी से दूरी कम होगी और धूप से भी बचा जा सकेगा. एह सोच कर जगन ने एक छलान्ग से खाई पार की और आम के बगीचे की एक पग डंडी पर चल पड़ा. वो अभी थोरी दूर ही चला होगा कि सामने बगीचा का रखवाला, हरिया, की झोंपरी तक पहुँच गया. उस'ने सोचा कि वो हरिया के घर थोरी देर आराम कर पानी और छछ पी कर अपने घर जाएगा. जगन सोचा रहा था कि वो पहले नहर मे नहाएगा और पानी पिएगा. जगन जैसे ही हरिया की झोपरी के पास पहुँचा तो उसे बर्तन गिरने की आवाज़ सुनने मे आई.

"अरे , साव'धानी बरत, मेरे बर्तनो को मत तोड़," हरिया की आवाज़ सुनाई दिया.

"मॅफ करना हरिया, बर्तन मेरे हाथ से फिसल गया," एक औरत की आवाज़ सुनाई दिया. एह तो बरी अजीब बात है, जगन. सोचा क्यूंकी हरिया की पत्नी का देहांत कई साल पहले हो चूक्का था. अब एह औरत कॉन हो सकती है? जगन सोचने लगा. जगन बहुत उत्सुक हो गया कि एह औरत हरिया के घर मे कौन आई है. वो धीरे धीरे दबे पावं हरिया के घर की तरफ चल परा. वो एक आम के छोटे से पेड़ के पिछे जा कर खरा हो गया और वहाँ से हरिया के घर मे झाँकने लगा. उसने देखा कि हरिया अपने घर मे एक चबूतरे मे बैठ कर अपने आप को पंखा हांक रहा है.

"ओह! कितनी गर्मी है" एह कहते हुए एक औरत अंदर से बाहर आई. जगन उसको देख कर चौंक उठा. वो जगन का खास दोस्त, देव की पत्नी थी और उसका नाम देवकी था. जगन उनके घर कई बार जा चुक्का था. देवकी एक बहुत ही सुंदर और एक सरीफ़ औरत है. देवकी इस समय सिर्फ़ एक सारी पहन रखी थी और उसके साथ ब्लाउस नही पहन रखी थी और अपनी छाती अपने पल्लू से दाख रखी थी. पल्लू के उप्पेर से देवकी की चूंची साफ साफ दिख रही थी, क्योंकी सारी बहुत ही महीन थी. देवकी हरिया के पास आकर बैठ गयी. देवकी चबूतरे के किनारे पर बैठी थी, उसकी एक टांग चबूतरे के नीचे लटक रही थी और एक टांग उसने अपने नीचे मोर रखी थी. इस तरफ बैठने से उसकी सारी काफ़ी उप्पेर उठ चुकी थी और उसकी एक चूतर साफ साफ दिख रही थी.

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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 16:54

"मेरे गोदी मे लेट जाओ हरिया, मैं तुम्हे पंखा से हवा कर देती हूँ. कम से कम आम के पेर के नीचे थोरी बहुत ठंडा है" देवकी बोली.

"इस तरह की गर्मी कई साल के बाद परा है," हरिया कहा और देवकी की गोदी मे अपना सर रख कर लेट गया, जैसे ही देवकी पंखा झलने लगी तो हरिया उप्पेर की तरफ देखा तो देवकी की चूंची अपने चहेरे के उप्पेर पाया. हरिया अपने आप को रोक नही पाया और सारी के उप्पेर से ही वो देवकी की चूंची को धीरे धीरे दबाने लगा.

"देव बहुत किस्मत वाला है, उसे हर रोज इन सुंदर चूंची से खेलने के लिए मिलता है. देव इतनी सुंदर औरत को हर रात चोद्ता है," हरिया बोला रहा था और देवकी की चूंची को धीरे धीरे दबा रहा था.

"तुम अपने आप को और मुझको परेशान मत करो, तुम अच्छी तरफ से जानते हो कि मुझको कितनी देर तक उसका लंड चूस चूस कर खरा करना परता है. फिर उसके बाद वो दो चार धक्के मार कर झार जाता है. अगर वो मुझको अच्छी तरह से चोद पाता तो क्या मैं तुम्हारे पास कभी आती? खैर अब मुझको कोई परेशानी नही है और ना मुझको कोई शिकायत है." इतना कह कर देवकी झुक कर हरिया की धोती के उप्पेर से उसका आधा खरा लंड के उपर हाथसे मसलने लगा और दूसरी चूची को मुँह से चूसने लगा और बाँयी चूंची को मसल्ने लगा.

जगन फटी फटी आँखो से देखने लगा कि देवकी की चूंची मीडियम साइज़ के पपीते के बराबर खरी खरी थी. हरिया अपने दोनो हाथों से देवकी की चूंची को संभाल नही पा रहा था. जगन जब जब देव के घर जाया करता था तब वो देवकी की चूंची को अपनी कन्खेओ से देखा करता था. लेकिन जगन को यह उम्मीद नही थी कि देवकी की चूंची इतनी बरी बरी और सुंदर होगी. देवकी अपने हाथों से हरिया की धोती उतार कर उसका लॉरा बाहर निकाल लिया. फिर उसको अपने होठों मे लेकर धीरे धीरे सहलाने लगी और फिर हरिया के उपर उल्टी लेट कर (69 पोज़िशन) हरिया का लॉरा अपने मूह मे ले लिया.

हरिया तब देवकी की सारी उसके चूतर तक उठा दिया और उसकी झांतों भरी चूत को पूरी तरह से नंगी कर दिया. देवकी की गोरी गोरी जंघे बहुत सुडोल और सुंदर थी और उसके चूतर भी गोल गोल थे. हरिया अब देवकी की चूत की फांको को अपने हाथों से फैला कर उसकी चूत को चाटने लगा. जगन जहाँ खरा था उसको सब कुच्छ साफ साफ दिख रहा था. उसका लंड अब खरा हो चुक्का था, उसने अपने पैंट की ज़िप खोल कर अपना 10" का तननाया हुआ लॉरा बाहर निकाल कर अपने हाथों से सहलाने लगा. जगन देखा कि देवकी की चूत पेर से झांतो का चादर हटाने से चूत के अंदर का लाल लाल हिस्सा साफ साफ दिख रहा था. हरिया अपना जीव निकाल कर के उसकी चूत पर फिराने लगा. देवकी अपनी चूत पर हरिया का जीव पड़ते ही धीमे धीमे आवाज़ निकालने लगी. देवकी अपनी चूत हरिया के मुँह पर रगर्ने लगी और वो हरिया का लॉरा इतने ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी कि जगन को बाहर से उसकी आवाज़ सुनाई देने लगी.

उन्होंने अपनी पोज़िशन बदल लिया और अब हरिया के उप्पेर देवकी पूरी मस्ती से बैठी थी और अपनी चूत हरिया से चुस्वा रही थी. इस समय देवकी की चूंची बहुत ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी और उन चूंची को हरिया अपने दोनो हाथो से पकड़ कर मसल रहा था. इस समय देवकी अपने मूह से तरह तरह की आवाज़ निकल रही थी. जगन एह सब देख कर अपने हाथों से अपना लॉरा ज़ोर ज़ोर से मलने लगा. एका एक देवकी चबूतरे से नीचे उतरी. नीचे उतेर्ते ही उसकी सारी जो की अबतक ढीली पड़ चुकी थी देवकी के बदन से फिसल कर नीचे गिर पड़ी और वो पूरी तरह से नंगी हो गयी. जगन अब देवकी की गोल गोल चूतर साफ साफ देख रहा था और उनको पकर कर मसल्ने के लिए बेताब हो रहा था. अब देवकी चबूतरे को हाथों से पकर कर झुक कर खरी हो गयी और अपने पैर फैला दिया.

हरिया तब देवकी के पिछे जा कर अपना मूसल जैसा खरा लंड देवकी की चूत मे घुसेर दिया और ज़ोर ज़ोर से देवकी को पिछे से चोदने लगा. इस समय हरिया और देवकी दो नो ही गर्मी खा चुके थे और दोनो एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे. जगन भी एह सब देख कर ज़ोर ज़ोर अपने हाथों से मूठ मारने लगा. जल्दी ही उस का पानी निकल परा और उधर हरिया और देवकी दोनो एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे और बाड़ बड़ा रहे थे. जगन अब अपने छुप्ने की जगह से निकल कर चुप चाप दूसरे रास्ते से अपने घर की तरफ चल परा और उधर हरिया और देवकी दोनो झार चुके थे.

क्रमशः.....................

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