गाओं की मस्ती compleet

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007
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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 09:36

गतान्क से आगे............

"मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ, मा" मुझे आप पक्का बना देना.

फिर छ्हम्मो दोनो दमादों के लंड दोनो हाथों से पकर उनसे खेलते खेलते सो गयी. सुबह जब आँख खुली तो छ्हम्मो ने देखा की जगन का पैर उनके उपर चढ़ा हुआ है और उसका लंड बुरी तरह से खरा हुआ है. देव उनसे दूर सो रहा है. धीरे धीरे छ्हम्मो दमादों को बिना जगाए उठ कर बैठ गयी. उनको चूत पर खुजली महसूस हुए तो उन्होने चूत पर हाथ फेरा. हाथ फेरने से उन्होने पाया कि कल रात की चुदाई से दोनो दमादों का वीर्या उनके चूत के चारो तरफ सुख कर फैला हुआ है. जगन का खरा लंड देख कर छ्हम्मो अपने आप को रोक नही पायी. वो जगन के बगल मे घुटने के बल बैठ कर जगन का लंड चूसने . जगन लंड की चुसाइ से जाग गया और अपना लंड सास के मूह मे देखा और उनकी तरफ देख मुस्कुरा दिया.

"यह तो बरा अच्छा जगाने का तरीका है" . देव भी अब तक जाग गया था और उठ कर जगन और सास को देख कर बोला,

"तुम लोगों ने सुबह सुबह ही शुरू कर दिया" और वो बैठ कर उनकी हरकतों को देखने लगा. थोरी देर के बाद देव का लंड भी खरा होना शुरू कर दिया. देव हाथों से अपना लंड सहलाते हुए छ्हम्मो को जगन का लंड चूस्ते देखने लगा. कुच्छ देर के बाद देव उठ कर सास के पिछे चला गया और उनके पिछे जा कर उकूड़ू बैठ गया और उनकी गंद हाथों से उठा लिया. देव हाथों से सास की बिना झांतों वाली बूर को मसल रहा था और देखा की चूत के चारों तरफ कल रात की चुदाई से ढेर सारा वीर्या जमा परा है. उसने फिर सास की चूत को हाथों से फैलाया और उसमे मूह लगा कर उसको चूसना शुरू कर दिया. छ्हम्मो अब धीरे धीरे गरम हो रही थी. वह गंद हिला हिला कर देव को अपनी चूत को चूसने मे मदद करने लगी.

देव का लंड अब तक काफ़ी हद तक खरा हो गया था और वो झुक कर अपना लंड सास की चूत पर लगा दिया और उसे एक ही झतके के साथ अंदर गुसेर कर उनको चोदने लगा. छ्हम्मो बरे दामाद की करतूतों से बहुत खुस थी और चकित भी थी और अपनी गंद हिला हिला कर अपनी चूत बारे दामाद से चुदवा रही थी. छ्हम्मो अपनी चूत को दामाद से पिछे से चुदवा रही थी और मूह से छोटे दामाद का लंड चूस रही थी. थोरी देर के बाद जगन सास के मूह मे ही अपना पिचकारी छोड दिया जिस को छ्हम्मो बारे मज़े लेकर पी गयी. देव अभी तक झारा नही था और वो सास को पिछे से पकर कर चोदना चालू रखा. थोरी देर तक इस तरह से चोद्ते हुए देव उनकी चूत मे पिचकारी छोड दिया और चूत वीर्या से भर गयी.

"वाह, जागने और जगाने का यह क्या अच्छा तरीका है" छ्हम्मो यह सोचते हुए अपनी सारी को पहनते हुए कमरे के बाहर बाथरूम के तरफ चल दी.

छ्हम्मो बाथरूम से चूत और जांघों को धो कर बाहर आई और दमादों के लिए चाइ नाश्ता बनाया. जगन और देव भी सॉफ सफाई करके साथ बैठ कर चाइ नाश्ता लिया. नहाते वक़्त तीनो तय किया सब के सब एक साथ नहाएँगे, जिस'से की समय की बचत होगी. तीनो बाथरूम एक साथ घुस गये और नहाने लगे. जगन और देव पहले पंप चला कर बाल्टियो मे भर लिया और छ्हम्मो ने उनके शरीर पर साबुन लगा कर मल मल कर उनको साफ सुथरा किया फिर दोनो मिल कर सास को भी साबुन लगा कर साफ किए. जगन का लंड नहाते वक़्त भी खरा हो गया था, लेकिन छॅमो यह देख कर भी ज़्यादा ध्यान नही दी और बाद के लिया छोड दिया. फिर सब हस्पताल पाहूंचे. हस्पताल मे जगन और देव के ससुरजी और उनके भाई भी आ गये थे. सब के सब जया और उसकी बची को देख कर काफ़ी खुस थे.

007
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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 09:37

सब लोग एक दूसरे के गले मिल रहे थे. थोरी देर के बाद डॉक्टर बोला की वो लोग जया को घर ले जा सकते हैं. सब लोग घर वापस चले आए और घर पर सबने जया की बच्ची को स्वागत किया. शाम होते होते ससुर जी और उनके भाई घर वापस चले गये. शाम तक घर मे आने जाने वालों का ताँता बना हुआ था. उनके सारे परोसी जया और उसकी बच्ची को देखने के लिए उनके घर आ जा रहे थे. जया डेलिवरी के बाद बहुत सुस्त पर गयी थी और उसको इस समय बहुत नीद लग रही थी और देवकी जो की दो रातों से ठीक से सो नही पाई थी सोने चली गयी.

जगन बीवी और बच्चे से बहुत खुश था और वो भी बीवी के कमरे मे चला गया. अब सिर्फ़ देव और छ्हम्मो ही जाग रहे थे. वो लोग वारंडे मे बैठ कर इधर उधर की बातें कर रहे थे और थोरी देर के बाद उनकी बात सेक्स की तरफ मूर गयी. देव सास से कहा कि कैसे उसका लंड सिर्फ़ दूसरे की चुदाई देखने के बाद खरा होता है. सास उसकी बात सुन कर बोली,

"तुम्हे या तो अपने आप पर भरोसा नही है या तुम्हे कोई अन्द्रुनि बीमारी है, लेकिन कोई बात नही, मैं जब तक इन्हा हूँ तुम्हे ठीक करने की कोशिश करूँगी. लेकिन सबसे पहले मुझे तुमको टेस्ट करना है."

तबसासू ने देव की धोती खींच कर उतार दिया और देव का मुरझाया हुआ लंड को देखने लगी. वो उस लंड को हाथों मे लेकर खेलने लगी और देव से बताना शुरू किया कैसे उसका ससुर और चाचिया ससुर उनको एक मिहीना के बाद उनके घर जाने के बाद एक के बाद दूसरा उनको उलट पलट कर चोदेन्गे और कैसे वो उनकी चुदाई का मज़ा लूटेंगी, सिर्फ़ महीना दिन को छ्होर्के. महीने के दीनो मे भी वो पती और देवर का लंड चूस चूस कर उनको झारेगी और उनके लंड से निकला वीर्या को पीएगी. इन सब चुदाई की बातों को सुन कर भी देव का लंड खरा नही हुआ. फिर छ्हम्मो ने दामाद का लंड को चूसना शुरू किया लेकिन थोरी देर के बाद हार कर चुप पर गयी.

देव भी अपनी उंगलेओं से अपनी सास की चूत को उनके सारी के अंदर हाथ डाल कर खोद रहा था फिर भी उसका लंड नही खरा हुआ. आख़िर मे छ्हम्मो हार कर अपनी सारी अपनी कमर तक उठा कर लेट गयी और देव से चूत को चाटने के लिए बोली. देव खुशी खुशी सास के कहने के अनुसार उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया और मन भर कर उनकी चूत को चटा और तब तक चटा जब तक की उसकी सास के चूत से मीठा मीठा रस ना निकलने लगा. फिर भी देव का लंड खरा नही हुआ. छ्हम्मो को इस'से बहुत तकलीफ़ हुई और अपनी बेटी की भाग्या पर अफ़सोस करने लगी.

अगले कुच्छ दिन बहुत जल्दी जल्दी बीत गये. छ्हम्मो और देवकी बहुत ब्यस्त थी दोनो को जया और उसकी बची की देख भाल करनी पर रही थी. छ्हम्मो को खाना भी पकना पर रहा था. शानिबार और इतबार को घर के दोनो मर्द लोग भी बीवी और सास की मदद कर रहे थे. अब जया का नहाने का समय आ पहुँचा. वह अब पहली बार बचा पैदा होने के बाद नहाने वाली थी और इसके लिए उसको तेल लगाना ज़रूरी था और नहाने के बाद उसको जरी बूटी के धुंवा से सेकई भी करनी थी.

छ्हम्मो पिच्छ'ले रात जया के लिए जरी बूटी वाला तेल बना चुकी थी. उस दिन सुबह जब सूरज काफ़ी उपर चढ़ आया तो छ्हम्मो जया को बुलाई और तेल लगवाने को तैइय्यार होने के लिए बोली. छ्हम्मो हॉल के अंदर ज़मीन पर चटाई बीच्छा रखी थी और जब जया अप'ने कमरे से बाहर निकली तो उसको ज़मीन पर बीछे चटाई पर कपरे उतार के लेटने के लिए बोली.

जया ने वैसे ही किया और उसकी मा घर के मर्दों को बुला कर मालीश मे मदद करने के लिए बोली. जगन और देव बहुत खुशी खुशी जया की मालीश के लिए तैइय्यार हो गये. जब वो दोनो कमरे मे आए तो छ्हम्मो उनसे धोती और शर्ट उतार करके सिर्फ़ ताओलिया पहनने के लिए बोली, क्योंकी तेल लगाते समय धोती और शर्ट गंदी हो जाएगी. जया को ज़मीन पर पेट के बल लेटने के लिए बोली.

जगन और देव दोनो तरफ़ घुटने के बल बैठ गये और जया के सर से पावं तक गरम गरम तेल लगाना शुरू किया. फिर वो दोनो जया की गर्दन, कंधों, पीठ, चूतर, जांघों और पैरों को धीरे धीरे मालीश करना शुरू कर दिया. जया मालीश से बहुत खुश हो रही थी क्योंकी मालीश से उसकी बदन की हर जोरों का दर्द निकल रहा था. फिर उन लोगों ने जया को चित लेटा दिया और फिर से सर से पावं तक तेल लगा करके मालीश करनी शुरू कर दिया. जैसे ही उंदोनों का हाथ चूंचों पर परा जया खुशी से उच्छाल परी. जगन ने एक चूंची दबा कर थोरा सा दूध निकल दिया. फिर दोनो मिल कर जया की पेट, पेरू, जानहघों और पैर की भी मालीश किए. अब तक जगन का लंड खरा हो गया था और जया उस खरे लंड को पकर कर हाथों से उसको सहलाने लगी.

"ओह! मैं कब से इस खरे लंड को नही देखी, कब से इस को मैने अंदर नही लिया है बेचारा कब से यह भूखा है," जया जगन के लंड को हाथों से टोटालते हुए बोली.

"छोटी तू बिल्कुल चिंता ना कर, हम लोग इनका ठीक से ख़याल रख रहे हैं." जया की मा बोली, और उनकी बातों को सुन कर सब के सब हंस परे. देवकी एक गमले मे गरम पानी लेकर आई और साथ तौलिया भी. छ्हम्मो तौलिया को गरम पानी मे भेगो करके जया के सारे शरीर को पोंच्छना शुरू कर दिया. फिर इसके बाद जया को देवकी और छ्हम्मो दोनो पकर कर बाथरूम ले गयी और उसको नहलाया गया. फिर उसके शरीर को पोंच्छ करके उसको कमरे मे बैठा करके कुच्छ जरी बूटी का धुआँ किया गया. छ्हम्मो अपनी बेटी के गुप्तांगों को सहलाती रही. छ्हम्मो एक गमले मे आग ला करके उसमे जरी बूटी डाल के उसका धुआँ से जया की चूत को सेंक लगाई.

"यह धुआँ जितना तेरी चूत पर जाएगा, तेरी चूत फिर से पुरानी शकल मे आ जाएगी और फिर से तेरी चूत टाइट हो जाएगी," छ्हम्मो अपनी बेटी को समझती रही और जरी बूटी की धुआँ जया की चूत पर लगाती रही. छ्हम्मो अपनी बेटी से कहती रही,

"यह जरी बूटी के धुआँ से सेंक की बात मेरे को मेरी मा बतलाई थी." इस सब के बाद देवकी और छ्हम्मो भी नहा धो लिए.

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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 09:38

घर के दोनो दामाद जिनके शरीर पर अब तक तेल लगा हुआ था वो भी देवकी और छ्हम्मो के साथ बाथरूम मे घुस गये. सबसे पहले देव पंप चला कर पानी भर लिया और दूसरे लोग कपड़े उतार कर एक दूसरे को तेल लगाते रहे. देवकी हाथों से तेल देव को लगाई और छ्हम्मो तेल जगन के शरीर पर मली. जब देवकी और छ्हम्मो ने जगन और देव को तेल लगा दिया तो जगन और देव देवकी और छ्हम्मो के शरीर के हर कोने और छेदो मे तेल लगाया और उनके शरीर को काफ़ी मला. जगन का लंड हमेशा की तरह इस प्रक्रिया से खरा हो गया था, लेकिन देव का लंड अभी भी झुका हुआ था. यह देख छ्हम्मो ने देव को खींच लिया.

"आओ मेरे जमाई राजा, मैं आज तुम्हारे लंड की तेल से मालीश कर दूँगी, देखती हूँ कि इस'से तुम्हारा लंड खरा होता है की नही" छ्हम्मो देव से बोली. फिर छ्हम्मो घुटने के बल देव के सामने बैठ गयी और हाथों मे तेल ले कर देव के लॉड पर तेल लगाने लगी. तेल लगाते लगाते च्चाम्मो देव के लंड को हाथों से खींच भी रही थी. वह अंगूठे और एक उंगली से देव का लंड खींच रही थी की जैसे कोई भैंस के थन को खींच खींच कर दुहुता है. देवकी और जगन उनके पास खरे हो कर देख रहे थे. जैसे जैसे छ्हम्मो दामाद के लौरे को खीच रही थी वैसे वैसे देव का लंड धीरे धीरे खरा होना शुरू किया. फिर छ्हम्मो हाथों से देव के अंडों को लेकर उनको मलने लगी.

छ्हम्मो हाथों से देव के अंडों और लौरे को मलती रही. फिर छ्हम्मो देव के अंडों और गंद के बीच की जगह को तेल लगा कर मालीश किया. फिर छ्हम्मो देव की गंद के अंदर अपनी उंगली मे तेल लगा कर पेल दिया और उंगली को घूमने लगी और थोरी देर के बाद वो फिर से देव के लौरे को मालीश करनी शुरू किया. अब तक के प्रक्रिया और छ्हम्मो के मेहनत से देव का लंड आधे से ज़्यादा खरा हो गया था. यह देख कर देवकी अपने आप को जगन के साम'ने ले गयी और जगन का लंड पकर कर गंद के उपर फिराने लगी. जगन तब उसको पिक्फ से पकर कर अपना लॉरा देवकी के जांघों के बीच अऱ दिया. देवकी तब जगन के लौरे को जगहों से दबा कर अपनी कमर हिलाने लगी.

दोनो के बदन मे तेल लगा हुआ था और इस लिए जगन का लॉरा बारे आराम से जांघों के बीच आगे पिछे हो रहा था. देवकी अब जगन के आगे झुक गयी और जगन ने अपना लंड देवकी की चूत मे पिछे से ही डाल दिया. जगन का लंड देवकी की चूत मे घुसते ही देवकी की मूह से खुशी के मारे चीख निकल गयी और देव तब अपना सर घुमा कर देखा कि जगन और देवकी चुदाई मे ब्यस्त हैं. जैसे जैसे देव उनकी चुदाई का सीन देखता रहा, देव का लंड खरा हो गया और तन्ना कर सख्त हो गया.

"तुम दोनो मिल कर हुमारी सारी महेनट पर पानी फेर दिया" छ्हम्मो अपनी बेटी से कही.

"फिर भी मैं अपनी महेनट बेकार नही होने दूँगी" और यह कह कर छ्हम्मो देव का लंड मूह मे ले लिया और उसको चूसने लगी. देव का लंड अब पूरे जोश मे था क्योंकी वो बीवी और जगन को चुदाई करते हुए देख रहा था. छ्हम्मो दामाद का लॉरा बरा मन लगा कर चूस रही थी. उसने दामाद के चूतर को पकर कर अपना सर हिला हिला कर लॉरा मूह मे ले रही थी और निकाल रही थी.

उधर जगन और देवकी ज़ोर दार तरीके से एक दूसरे को चोद रहे थे. जगन अपना लंड देवकी की चूत मे पिछे से डाल कर जल्दी जल्दी से अंदर बाहर कर रहा था. देवकी चूत के सुख से ज़ोर से चिल्ला रही थी. जया कमरे मे इन लोगों की आवाज़ सुन कर इनके कमरे मे आई और चारों को चुदाई मे लिपटा देख कर बहुत खुश हुई और बोलने लगी,

"क्या करूँ मैं तुमलोग के साथ नही दे सकती हूँ, लेकिन मैं खरी खरी तुम लोगों की चुदाई देखती रहूंगी." तुम लोग थोड़े दिन रुक जाओ, फिर मैं तुम मे से किसी को भी नही छ्होरंगी" यह कहती हुए जया कमरे के तरफ चली गयी क्योंकी उसको डर था की अगर वो उनकी चुदाई और देर तक देख ले गी तो उसको भी गर्मी चढ़ जाएगी और वो भी उनके साथ शामिल हो जाएगी. छ्हम्मो अब अपने आप को आगे झुका कर देव से बोली,

"चलो मेरे जमाई राजा, मेरी छूत मे अपना खरा लंड डाल कर मेरे को चोदो." कमरे का माहौल बरा अजीब सा था.

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