लेडीज़ टेलर compleet

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The Romantic
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Re: लेडीज़ टेलर

Unread post by The Romantic » 05 Nov 2014 08:32



उसके बाद जल्द ही राम सोने चला गया और ज्योति भी अपने बदन को अपने पेटीकोट से पोछकर नहाने के लिये चली गयी। वह बाथरूम में फव्वारे के नीचे खड़ी होकर अपने स्तनों और योनि को साफ़ करते अपने साथ दिन भर हुये घटना क्रम को सोच रही थी और फ़िर से उत्तेजित होने लगी थी। उसे पता था कि वह हमेशा से ही इस प्रकार के कठोर और निर्दयतापूर्ण संभोग की इच्छा रखती थी पर वह राम से यह कह नहीं पा रही थी। और अब जब राम ने अंततः उसे यह सुख दिया तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी क्योंकि वह मुझे अपना शरीर समर्पित कर चुकी थी। अब उसके मन में दोनों की चाह और बढ़ गयी थी इसलिये उसने निर्णय लिया कि इन परिस्थितियों का चतुरता पूर्वक उपयोग करके दोनों का उपभोग किया जाय। वह जानती थी कि आज बिस्तर पर राम के बर्ताव के पीछे उसके अनैतिक सम्बन्ध का शक ही है और किसी न किसी रूप में राम भी उसके मेरे साथ सम्बंध को लेकर उत्तेजना महसूस कर रहा था। ज्योति अपने सभी कुकृत्यों को येनकेनप्रकारेण न्यायसंगत बनाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि कभी भी उसने अपने आप को एक चरित्रहीन कामुक कुतिया के रूप में नहीं सोचा था। जबकि सच्चाई इसके विपरीत थी, वह एक कामुक कुतिया से किसी भी मायने में कम नहीं थी।

उसने अपना बदन पोछा फ़िर ब्रा और पैंटी के ऊपर गाउन पहन कर बाहर आ गयी। राम अभी भी अपने झड़े हुये और वीर्य से लिपे-पुते लिंग के साथ अधनंगी अवस्था में सो रहा था। ज्योति ने उसके ऊपर एक चादर डाली और दूसरे कमरे मे चली आयी जहाँ वह अपना मोबाइल भूल गयी थी। उसने मोबाइल पर मेरा एक संदेश देखा, जिसमे लिखा था “उम्मीद है कि सब शान्तिपूर्वक और ठीकठाक निपट गया”। वह पढ़कर थोड़ा मुस्कुराई और मुझे छेड़ने के अन्दाज़ में उत्तर दिया “हाँ सब ठीक है, अभी अभी एक मस्त सत्र ख़त्म हुआ है”। तुरन्त मेरा प्रश्न आया “कौन सा सत्र? प्लीज़ बताओ…”। उसने फ़िर छेड़ते हुये उत्तर दिया “वही उनके साथ लेन देन का सत्र”। मैनें पूछा “मेरे बारे में सोचा?” उसने कहा “नहीं”। पर जैसा कि जानते हैं कि पूरे सत्र के दौरान वह मेरे बारे में ही सोच रही थी। मैनें कहा “ये अच्छी बात नहीं है, रानी। अगली बार अपने पति से संभोग के समय मेरे बारे में जरूर सोचना, तुम्हें और अधिक आनन्द आयेगा जैसा कि आनन्द मुझे आता है जब मैं अपनी पत्नी की लेते हुये तुम्हारे बारे में सोचता हूँ”। यह संदेश पढ़कर ज्योति उत्तेजित हो गयी और पुनः उसकी योनि में खुजली होने लगी। उसे इस बात की अत्यधिक प्रसन्नता हो रही थी कि किस प्रकार से मेरे आने के बाद से उसका यौन जीवन बदल गया था। वास्तव में वह हमेशा से ही अन्दर से एक कामुक स्त्री थी पर कभी खुल न पायी और उसके जीवन में मेरे जैसे ही एक यौनाकर्षक व्यक्ति की आवश्यकता थी जोकि खुलने में सहयता करे।

उसने मुझे और छेड़ते हुये कहा “नहीं, मुझे तुम्हारे बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मैं अपने पति से संतुष्ट हूँ और तुम भी अपनी पत्नी से सन्तुष्ट रहो”। दरअसल उसे मेरी पत्नी की योनि का जिक्र अच्छा नहीं लगा। यह प्यार में डूबी सभी औरतों की फ़ितरत है कि वह चाहतीं हैं कि उनका प्रेमी उनके सिवा किसी और से यौन सम्बन्ध न रखे। मैनें अपने अनुभव से जान लिया कि उसे मेरी यह बात पसन्द नहीं आयी, इसलिये मैनें जवाब लिखा “रानी, आज मैनें तुम्हारे साथ जो अनुभव किया वह पहले जीवन में कभी नहीं किया। तुम्हारा सुन्दर और कोमल शरीर मेरी बाहों में एकदम फ़िट होता है्। इतने दिनों से अपनी पत्नी के साथ तो मैं सिर्फ़ एक रस्म अदायगी ही कर रहा था और जैसे मेरे लंड को तुम्हारा प्यार मिलेगा मैं अपनी पत्नी की योनि की तरफ़ देखना भी बन्द कर दूँगा”। मैनें जानबूझ कर ऐसी भाषा का प्रयोग किया क्योंकि उसकी सारी शर्म ख़त्म करके उसे पूरी तरह से खोलना चाहता था। उसे मेरे ये शब्द थोड़े अजीब से लगे पर इन्हें मजे में लेते हुये वह बोली “नहीं तुम्हें मेरी तभी मिलेगी जब तुम उसकी लेना बन्द कर दोगे। तब तक मुझे दोबारा छूना भी नहीं”। वह झूठ बोल रही थी और उसी समय मेरी बाहों में आने को बेताब थी पर वह मुझे जताना चाहती थी कि वह मुझसे सच्चा प्यार करने लगी है और उसे मेरे अपनी पत्नी के साथ यौन सम्बन्धों से ईर्ष्या हो रही है।

मैनें भी एक सच्चे प्रेमी का नाटक करते हुये कहा “ठीक है, अब जब तक तुम मुझे नहीं कहोगी मैं अपनी पत्नी की नहीं लूँगा। अब प्लीज़ मुझे बताओ कि हम फ़िर से कब मिल सकते हैं।” वह मेरे झूठे उत्तर को पाकर खुश हो गयी और लिखा “मैं कल तुम्हारी दूकान पर आऊँगी १२ बजे के आसपास।” मैने सोचा कि दुकान मे तो उसकी लेना मुश्किल होगा इसलिये मैने लिखा “क्या मैं तुम्हारे घर आ जाऊँ १२ बजे?” उसने तुरन्त उत्तर दिया “नहीं, मैं ही आऊँगी क्योंकि हो सकता है कि वो कल घर पर ही रहें या फ़िर ऑफ़िस से जल्दी लौट आयें”। इसबीच मैं अपनी पैंट के ऊपर से ही अपने लिंग को रगड़ रहा था जोकि ज्योति की योनि की चाहत में तना जा रहा था। ज्योति भी एस एम एस करते हुये अपनी योनि को रगड़ना चाह रही थी। वह शीशे के सामने खड़े होकर मेक-अप कर रही थी और एक दम मौसमी चटर्जी जैसी दिख रही थी। वह जान गयी थी वह अपने कामुक शरीर और मादक अदाओं से किसी भी मर्द को अपना दीवाना बना सकती है। और अब जबकि वह खुल गयी थी उसके लिये मर्दों की कोई कमी नहीं थी बस वह चाहती थी कि सब कुछ सुरक्षित तरह से किया जाय जिससे कि उसके वैवाहिक जीवन बरबाद होने से बच जाय।

तभी उसके दरवाजे की घंटी बजी और वह अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आयी। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि दूधिया है। वह मेक-अप के साथ अपने गाउन में बहुत ही कामुक लग रही थी। दूधवाला एक गुज्जर था, लम्बा चौड़ा डीलडौल और बड़ी-बड़ी मूँछें। उसने पूछा “भैया, आज इतना देर क्यों कर दी?” और दूध का बर्तन लाने के लिये मुड़ी। गुज्जर हमेशा से ही उसे देखा करता था पर आज पहली बार वह उसे बिना बाँह के गाउन में देख रहा था। उसकी आँखों में चमक आ गयी और उसने ज्योति के पूरे शरीर को झीने गाउन में देखने की कोशिश की। उसे देख उसके मुँह में पानी आ गया और उसने अपने होठों पर जीभ फ़िराते हुये बोला “मेमसाहब, मेरी पत्नी की तबियत ठीक नहीं थी इसीलिये देर हो गयी”। वह झूठ बोल रहा था क्योंकि वह ज्योति से देर तक बात करते हुये उसे निहारना चाहता था। ज्योति बर्तन लेकर लौटी और दूध लेने के लिये झुकी (क्योंकि वह नीचे बैठा था) और पूछा “क्या हुआ तुम्हारी पत्नी को?” झुकने से पहले उसने अपने गाउन को समेट कर अपने दोनों पैरों के बीच दबा लिया था और झुकने की वजह से उसके क्लीवेज साफ़ नज़र आ रही थी और गहरे गले के ब्लाउज़ मे से ब्रा मे लिपटे दोनों स्तनों के उभार दिख रहे थे। वह दूध डालते हुये उसके उरोजों को निहार रहा था और थोड़ा शर्माते हुये बोला “मेमसाहब, उसे माहवारी में कुछ दिक्कत है”। गुज्जर के इस सीधे जवाब को सुनकर ज्योति का चेहरा लाल हो गया और उसने उसकी आँखों की तरफ़ देखा जो कि उसके गाउन के अन्दर झाँक रहीं थीं। वह और झेंप गयी और बोली “भैया, उसका ध्यान रखा करो और जल्दी करो साहब अन्दर इन्तजार कर रहे हैं”। उसने तुरन्त अपनी आँखें हटाकर उसकी आँखों में देखते हुये कहा “मेमसाहब, जब पत्नी की तबियत खराब हो तो घर पर आदमी को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है” और उठकर जाने लगा। ज्योति अपने बदन पर गुज्जर की नज़र देखकर उत्तेजित हो गयी और उसने सोचा कि कभी कभी उसे अपना थोड़ा बदन दिखाकर उसमें उसकी रुचि को जीवित रखना चाहिये। तबतक मेरा एस एम एस आ गया कि “कल समय से आ जाना और वही गहरे गले वाला पार्टी ब्लाउज़ पहन कर आना”। उसने उत्तर दिया “ठीक है” और मन ही मन में मुस्कुराई और शीशे मे खुद को देखते हुये अपने स्तनों को थोड़ा सा दबाया। उसे पता था कि कल उसके स्तनों और पूरे बदन की ढंग से मालिश होने वाली है और वह भी एकदम मुफ़्त। वह अन्दर से काफ़ी खुले ख़्यालों वाली औरत बन रही थी पर अपने पति, प्रेमी और अन्य सभी लोगों के लिये वह शर्मीली, पुराने ख़यालात वाली भारतीय नारी ही बनी रहना चाहती थी।

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Re: लेडीज़ टेलर

Unread post by The Romantic » 05 Nov 2014 08:33



रात तक ज्योति की योनि में असह्य पीड़ा होने लगी थी जिसकी वजह से वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। उसे देख राम ने पूछा “क्या हुआ?” ज्योति ने गुस्सा जताते हुये कहा “मैनें तुम्हें पहले ही बोला था कि आराम से करो और तुम तो आज एक जंगली जानवर की तरह मुझ पर टूट पड़े थे, अब मुझे और दर्द होने लगा है”। राम ने कहा “लेकिन जब मैं कर रहा था उस समय तो तुमने कुछ बोला नहीं, मैनें सोचा तुम ठीक हो”। ज्योति ने कहा “तुम एकदम बेवकूफ़ हो। क्या उस समय मेरे लिये तुम्हें रोक पाना सम्भव था? मैं पूरे माहौल को बरबाद नहीं करना चाहती थी और उस समय कामोत्तेजना में मुझे दर्द का पता भी नहीं चल रहा था। अब राम को लगने लगा कि शायद वह अपनी पत्नी के बारे में गलत सोच रहा था और बेवजह ही उसे दण्डित कर दिया। परन्तु अन्दर से अभी भी उसे पूरे सत्र का रोमांच महसूस हो रहा था जिसमें उसने अपने पूरे यौन जीवन का सर्वाधिक आनन्द उठाया था। उसने पीछे से आकर ज्योति की कमर में हाथ डालकर उसकी गर्दन का चुम्बन लिया बोला “प्रिये मुझे माफ़ कर दो, तुमने आज मुझे पागल कर दिया था और उत्तेजना में मुझे तुम्हारी चोट के बारे में ध्यान ही नही रहा। क्या तुम्हें आज मज़ा आया?” उसे अन्दर ही अन्दर बहुत सुकून मिला कि उसने राम को सामान्य कर लिया है, वह बोली “हाँ, उस समय तो बहुत मज़ा आया था पर अब बहुत दर्द हो रहा है”। राम ने फ़िर उसे चूमते हुये गाउन के ऊपर से उसके पेट और योनि की मसाज शुरू कर दी और बोला “ठीक है प्रिये आज मैं तुम्हें ठीक होने में मदद करता हूँ और धीरे धीरे तुम्हें मेरे वहशीपने की आदत पड़ जायेगी”। यह सुनकर दोनो हँस पड़े और एक दूसरे की बाँहों में आ गये। ज्योति को लगा जैसे उसने पुनः अपने पति का विश्वास पा लिया है और आगे से उसने मेरे या किसी और से सम्बंध बनाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की ठान ली। जबकि राम को अभी भी ज्योति के स्वभाव में परिवर्तन की वजह समझ नहीं आ रही थी क्योंकि बिस्तर पर हमेशा चुप रहने वाली ज्योति अब संभोग के समय बोलने लगी थी और उसकी मांग करने लगी थी। उसने सोचा कि शायद शादी के कुछ समय बाद औरतों में यह परिवर्तन स्वाभाविक है।



अगले दिन ज्योति ठीक बारह बजे मेरी दुकान पर आ गयी। उस समय एक और औरत मेरी दुकान पर मुझसे बात कर रही थी। वह भी बहुत सुन्दर थी मैं उसमें भी उतनी ही दिलचस्पी ले रहा था पर उससे अधिक समय तक बात करके मैं अपने प्राथमिक शिकार यानि ज्योति को नाराज़ नहीं करना चाहता था। शीघ्र ही वह औरत चली गयी और मैने ज्योति से कहा “हेलो मेरी प्यारी ज्योति रानी, इन कपड़ों में बहुत ही खूबसूरत लग रही हो” और फ़िर उसके खुले हुये पेट और पल्लू के पीछे छिपे स्तनों को घूरने लगा। ज्योति एक और ब्लाउज़ का कपड़ा लायी थी जिससे कि उसके पति या किसी और के सामने उसका मेरी दुकान में आना न्यायसंगत लगे। अभी भी उसने भोलेपन का नटक करते हुये बोला “मास्टर जी ये मेरा ब्लाउज़ सिलना है आप मेरी नाप दोबारा ले लीजिये क्योंकि पिछला ब्लाउज़ जोकि मैंने अभी पहना है कसा हो गया है”। मैंने उसे आँख मारते हुये बोला “मैडम, आप अन्दर आ जाइये ताकि मैं आप की ले सकूँ” और थोड़ा रुककर बोला “नाप”। ज्योति भी थोड़ा मुस्कुराई और अन्दर आने के लिये बढ़ी। वह ये सोचकर उत्तेजित हो रही थी कि अन्दर उसके साथ क्या होगा। उसने मौके का भरपूर लाभ उठाने के लिये भीतर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी।

जैसे ही वह दुकान के अन्दर आयी मैने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमता हुआ उसकी कमर दबाने लगा। उसने धीरे से कहा “ओह बाबू, थोड़ा सब्र करो, कोई आ सकता है”। अब तक मेरा हाथ उसके स्तनों पर पहुँच चुका था। ब्लाउज़ के ऊपर से मैं जान गया कि उसने ब्रा नहीं पहन रखी है जिससे और उत्तेजित होकर बोला “मेरी रानी, तुमने ब्रा भी नहीं पहनी है और मुझे सब्र करने को बोल रही हो, आज तो मैं तुम्हें पूरा खा जाऊँगा”। इतना कहकर मैं उसके उरोजों को और जोर से दबाने लगा और ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसके निप्पलों को भींचने लगा। मदहोशी में डूबने से पहले वह जगह को सुरक्षित बनाना चाहती थी जिससे कि कोई गलती से भी दुकान में घुसकर उन्हें रंगे हाथों न पकड़ सके। इसलिये उसने मुझसे कहा “बाबू, अपनी दुकान पर एक सूचक लगा दो कि एक से दो बजे तक खाने का समय है और फ़िर अन्दर से दरवाज़ा बन्द कर लो”। मैने सोचा कि ये औरत तो वाकई डरपोक है पर साथ में चालाक भी, आज इसका भरपूर मज़ा लिया जाय। इसलिये मैने वैसा ही किया और अब हम दोनों कुछ भी करने के लिये आज़ाद थे।

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Re: लेडीज़ टेलर

Unread post by The Romantic » 05 Nov 2014 08:34

मैं उसका पल्लू हटा कर उसके ब्लाउज और उसमें लिपटे स्तनों को निहारने लगा। फ़िर उसके दोनो स्तनों को पकड़ कर दबाने लगा और उसे आँख मारते हुये उसके निप्पलों को मसलने लगा। उसने शर्माकर अपना सिर झुका लिया। मैने उसका चेहरा पकड़कर ऊपर किया पर उअसने अपनी आँखें बन्द कर लीं। अब मैने उसे बाँहों में लिया और पीछे उसके नितम्बों को सहलाने लगा और उसके होंठों को चाटने लगा। उसने भी इसके उत्तर में अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को अन्दर जाने का रास्ता दिया। वह अपने गर्भाशय पर मेरे तने हुये लिंग को महसूस कर रही थी और उसकी योनि भी अब मदन रस का स्राव करने लगी थी। उसके नितम्बों की मसाज़ करते हुये मुझे पता चला कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी है तो मैने उसके होंठ काटते हुये कहा “ओहो! मेरी कामुक रानी ने आज पैंटी भी नहीं पहनी है” यह कहकर मैने पहले तो अपनी उँगली उसकी दरार पर फेरी और फ़िर उसके गुदा द्वार पर रुककर ऊपर से ही दबाव डाला। उसने कामोत्तेजना में एक हल्की सी आह भरी और फ़िर जोर से मेरे होंठों को चूसने लगी। वह मेरे बालों में अपनी उँगलियॉ को डाले हुये आँखें बन्द करके मुझे चूम रही थी और अपने शरीर की मसाज़ का आनन्द उठा रही थी। मैं आज उसे हर हालत में नंगा करना चाहता था इसलिये मैने उसके कपड़े उतारने का काम शुरू किया। थोड़ी कोशिश से मैने उसे अपने से अलग किया और फ़िर उसके बदन को घूरने लगा। वह बिना कुछ हिले डुले मेरी आँखों मे आँखें डाले मुझे देख रही थी। फ़िर मैं अपना दाहिना हाथ उसकी योनि पर ले गया और सहलाने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया पर शर्म से आँखें बन्द कर लीं। अपने दूसरे हाथ से उसके निप्पल को मसलते हुये मैने उससे कहा “रानी, अपने ब्लाउज़ के बटन खोलो मैं देखना चाहता हूँ कि तुम्हारे ये दोनों तरबूज कैसे बाहर निकल कर आते हैं”। उसके ब्लाउज़ के हर खुलते बटन के साथ मुझे उसकी क्लीवेज़ और उभार दिखाई देते जा रहे थे। मैने बायें हाथ से उन्हें टटोलना शुरू कर दिया और दाहिने हाथ से साड़ी के ऊपर से उसकी भगनासा की मालिश जारी रखी। उसकी योनि के गीलेपन को कहसूस करके मैने उससे कहा “रानी, आज मैं तुम्हारी ले कर तुम्हें अपना बना लूँगा”। अब तक उसके स्तन पूरी तरह से बाहर आ चुके थे और मैं उनसे खेल रहा था जबकि वह अपने हाथ सीधे करके ब्लाउज़ को पूरी तरह से उतार रही थी। वो बिना ब्लाउज़ और ब्रा के साड़ी के पल्लू में गज़ब की कामुक लग रही थी। मैनें झुककर उसके निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया और अपने दोनों हाथों से उसके नितम्बों को मसलना जारी रखा। वह अपने बालों में उंगलियाँ फ़िराते हुये ऊपर की तरफ़ देखने लगी और अपने स्तनों और नितम्बों के और अधिक मर्दन का संकेत दिया। मै उस कामुक देवी की प्रतिक्रियाओं से पागल हुआ जा रहा था। वह भी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी और अपने मुहँ से मादक आवाजें “उ…उ…उ… …ह…ह… श…श…श…” निकाल रही थी। तभी अचानक से उठकर मैं अपने होंठ काटते हुये बोला “रानी, अब प्लीज़ अपनी साड़ी उतार दो और मुझे देखने दो कि तुम सिर्फ़ पेटीकोट में कैसी लगती हो”। वह मेरी आँखों में कामुकता देख रही थी और आनंदित होकर मेरे साथ कामसुख में लीन हो रही थी। उसने अपनी साड़ी उतार दी और मेरे सामने अर्धनग्न अवस्था में केवल पेटीकोट पहने सीधे खड़ी हो गयी। मैं अभी भी उसके स्तनों को मसल रहा था और उसकी आँखों में आँखें डाले उसे घूर रहा था। उसने मेरी तरफ़ देखते हुये बोला “बाबू, प्लीज़ मुझे ऐसे मत देखो” और थोड़ा मुस्कुराकर नीचे देखने लगी कि मैं कैसे उसके स्तनों का मर्दन कर रहा हूँ।

मैं अपना एक हाथ उसके पेटीकोट पर लगे योनि रस के दाग़ के पास ले गया और पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी योनि को रगड़ने लगा जिससे उसका पेटीकोट और भी अधिक भीग गया। उसके पेटीकोट में साधारण कपड़े के नाड़े की जगह इलास्टिक लगा था यानि कि वह समय बचाने की हर तैयारी के साथ आयी थी। मैंने फ़िर उसके निप्पलों को चूसते हुये कहा “रानी, अब अपना पेटीकोट भी उतार दो और अपने पूर्णतया नग्न देह के मुझे दर्शन कराओ”। वह भी योनि घर्षण से भीषण वासना की आग में जल रही थी इसलिये वह अपने नितम्बों को हिला हिला कर अपना पेटीकोट नीचे सरकाने लगी। एक बेवफ़ा घरेलू औरत को इस प्रकार से अपने सामने नंगा होते हुये देखना मेरे लिये सबसे कामोत्तेजक दृश्य था। जेसे ही पेटीकोट पूरी तरह से उतरा उसने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया और मैं उसकी योनि की तरफ़ देखने लगा जोकि पूरी तरह से साफ़ व चिकनी थी। मैने उसकी योनिपर एक हाथ ले जाकर उसे प्यार से सहलाते हुये उससे कहा “रानी, लगता है तुमने सिर्फ़ मेरे लिये ही इसे साफ़ किया है”। उसने अपना चेहरा ढके हुये ही हाँ में सर हिलाया। मैं एक ठंडी साँस लेते हुये बोला “वाह… मेरी जान” और उसके योनि मुख को फैलाकर अपनी उंगली के रास्ता बनाया। वह भी उत्तेजित होकर बोली “आह्… बाबू…”। अपनी उंगली उसकी योनि के अन्दर बाहर करते हुये मैने उससे पूछा “रानी, क्या तुम देखना चाहती हो कि मेरा लिंग तुम्हारी योनि के लिये कैसे तैयार हो रहा है। उसने तुरन्त बोला हाँ और मैंने उसका एक हाथ उसके चेहरे हटाकर अपने लिंग पर रख दिया और पैंट के ऊपर से ही उसे महसूस करने को बोला। वह मेरे सामने नंगी खड़ी होकर मेरे लिंग को पैंट के ऊपर से सहला रही थी। उसके मन में विचार आया कि कैसे पिछले कुछ दिनों में वह एक वेश्या की तरह हो गयी है पर कामोत्तेजना में उसने इस प्रकार के किसी भी आत्मग्लानि के बोध को मन से शीघ्र ही निकाल दिया। मैंने उसके निप्पल पर चिंगोटी काटकर आँख मारते हुये पूछा “तो, मेरी ज्योति रानी, क्या अब तुम मुझे भी नंगा देखना चाहती हो?” वह केवल मुस्कुराई और फिर अपना चेहरा छिपा लिया। मैंने उसकी योनि पर हाथ रखकर कहा “रानी, तुम्हें मुझे कपड़े उतारते हुये देखना होगा, वरना मैं तुम्हें अपने लिंग के दर्शन नहीं कराऊँगा”। मुझे पता था कि जिस तरह से उसकी योनि रस स्राव कर रही है वह मेरे निर्देश पर आज कुछ भी करने को तैयार हो जायेगी। वैसा ही हुआ, वह अपने चेहरे से हाथ हटा कर मेरे पैंट की तरफ़ देखने लगी।

मैं चेन खोलते हुये अपनी पैंट से बाहर आ गया। वह मेरे जांघिये में हुये उभार को देख रही थी। शीघ्र ही मैंने अपना जांघिया भी उतार दिया। मेरा नौ इंच का मोटे केले की तरह पूरी तरह से खड़ा लिंग एक फ़नफ़नाते सांप की भाँति उसे घूर रहा था। वह मेरे विशालकाय लिंग से चकित थी क्योंकि उसके पति का लिंग इससे काफ़ी छोटा व पतला था। वह अन्दर से कामोत्तेजना में पागल हुई जा रही थी पर शर्म का नाटक करते हुये उसने पुनः अपना चेहरा छुपा लिया। मैं उसके पास जकर चिपक कर खड़ा हो गया जिससे मेरा लिंग उसके पेट से छूने लगा। मैंने उससे कहा “रानी, मेरे लिंग को प्यार करो और इसे अपनी प्यारी योनि में प्रवेश के लिये तैयार करो”। यह सुनकर ज्योति ने मेरा लिंग अपने हाथ में ले लिया। मैंने आनंदित स्वर में कहा “आ…ह्… ज्योति, तुम्हारा स्पर्श गजब का है, काश कि मैं तुमसे पहले मिला होता”। उसे मेरी इस बात से प्रोत्साहन मिला और वह धीरे धीरे मेरे लिंग को हिलाने लगी। वह जल्दी से जल्दी इसे अपनी योनि में लेना चाहती थी क्योंकि पिछ्ले आधे घंटे से मेरी काम क्रियाओं से उसकी योनि पानी पानी हो रही थी। मेरे लिंग को पकड़े हुये वह जमीन पर लेट गयी और मुझे अपने ऊपर ठीक जगह पर ले लिया। मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया पहले चेहरा, होंठ, गला और फिर निप्पल को धीरे से काट लिया। उसने मेरे लिंग को अपनी योनि पर थोड़ा रगड़ कर उसे अन्दर का मार्ग दिखाया और मुझसे कहा “बाबू प्लीज़ धीरे से डालना क्योंकि अन्दर दर्द हो रहा है”। मैंने उसकी बात मानते हुये धीरे धीरे दबाव डालना शुरु किया। एक इंच प्रवेश के बाद मैंने देखा कि वह भी इस मीठे दर्द का मजा ले रही है, मैंने पूछा “रानी, मुझे तो बड़ा मजा आ रहा है, क्या तुम भी उतने ही मजे लूट रही हो?” उसने हाँ का इशारा करते हुये मेरा सिर अपने स्तनों पर दबाया और उन्हें चूसने का संकेत दिया। मैं सातवें आसमान पर था। यह बेवफ़ा औरत मुझसे मेरी पत्नी और माँ के रूप में एक साथ प्यार कर रही थी। मैंने अपनी पत्नी के साथ संभोग में कभी इस प्रकार की उत्कंठा का अनुभव नहीं किया था। उसके बाद एक जोरदार धक्के के साथ मैं उसमें पूरा समा गया और कुछ समय बिना हिले डुले उसके स्तनों को चूसता रहा। वह नितम्बों को हिला हिला कर मेरे लिंग को अपनी योनि के अन्दर हर एक भाग में महसूस करना चाहती थी।

अब उसने अपने हाथ मेरी कमर पर ले जाकर मुझे धक्के मारने का संकेत किया। तीन चार धक्कों में ही वह अपने पहले चरमानन्द पर पहुँच गयी और मुझे अपने से चिपकाकर अपने नितम्बों को मटकाकर मेरे लिंग को अपने भीतर गहराई तक महसूस करने लगी। वह अपने इस चरमानन्द के अनुभव से सातवें आसमान पर पहुँच चुकी थी। वह इस पूरी क्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही थी और मुझसे वह सब कुछ करवा रही थी जिसमें उसे अधिक आनन्द आ रहा था। पर शायद उसे पता नहीं था कि ये विनम्र दिखने वाला टेलर शीघ्र ही उसकी कुँवारी अक्षत गुदा का भोग करने वाला है। पहले चरमानन्द के प्रभाव से नीचे उतरने के बाद उसने पुनः मुझे धक्के मारने का इशारा किया। इस बार मैंने थोड़ा कठोरता से उसकी योनि में अपने लिंग को डाला और वह इस मीठे दर्द से कराहते हुये बोली “आआआ…ह ओओओ…ह बाबू! प्लीज़ धीरे करो” पर वास्तव में वह मुझे वैसे ही कठोरता से कामानन्द लेते देना चाहती थी। बीच बीच में उसे एक दुकान की फ़र्श पर अपने दर्ज़ी से एक वेश्या की भाँति यौन सुख लेता सोच कर अजीब सा लग रहा था परन्तु इसमें उसे आरामदायक कमरे में अपने पति से होने वाली प्रेम क्रीड़ा से अधिक आनन्द आ रहा था।

जल्दी ही वह अपने दूसरे चरमानन्द में प्रवेश करने लगी और एक कँपकँपी के साथ उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया। मैं भी बस स्खलित होने वाला था क्योंकि उसके साथ मेरा यह प्रथम अनुभव था और इस कारण अपनी उत्तेजना पर नियंत्रण कम था। इसलिये मैं जबरन उसके ऊपर आकर जोर जोर से उसे धक्के देने लगा। उसे भी पता था कि मैं शीघ्र ही स्खलित होने वाला हूँ इसलिये उसने भी मेरा पूरा साथ दिया। शीघ्र ही एक जोर की “आआआ…ह” के साथ ही मैंने अपने वीर्य की एक एक बूँद उसकी योनि में उतार दी। अन्त में मैं जोर जोर की साँसे लेता हुआ उसके ऊपर ही ढेर हो गया। उसने भी मेरे लिंग को अपनी योनि से निकालने का कोई यत्न नहीं किया और अपनी योनि को मेरे लिंग की अन्तिम बूँद तक शोषित करने का समय दिया। वह अपनी पूरी संतुष्टता दिखाते हुये मेरे बालों में हाथ फेरते हुये मेरे गालों पर चुम्बन ले रही थी। अगले पन्द्रह मिनट तक उसने यह सुनिश्चित किया कि मैं उसकी नग्न काया की मालिश करता रहूँ। मैं उसके स्तनों को दबाता रहा और वह मेरे भीगे लिंग और वृषणों से खेलती रही।

इस पूरे समय हम दोनों ख़ामोश अपने ख़्यालों में डूबे रहे। वह सोच रही थी कि कैसे वह इस पारवैवाहिक यौन सम्बन्ध में लिप्त हो गयी है और इसका उसके यौन जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अब वह अपने पति राम और मुझे दोनों को धोखा देकर कठोर और निर्मम दिखने वाले अपने दूधिये (गुज्जर) से भी सम्बन्ध स्थापित करने को तैयार थी। मैं भी अपने इस नये शिकार के बाद स्वयं बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा था और सोच रहा था कि कैसे वह अपनी नन्द और पड़ोसी को जिनसे मैं उसके घर पर मिला था मेरे पास लायेगी। वह दोनों ही मुझे पहली नज़र में ही भा गयीं थीं। अब मैं जबकि पूरी तरह सन्तुष्ट हो चुका था और इसका अपने दैनिक जीवन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं चाहता था, मैंने उससे कहा इससे पहले कि कोई आकर दुकान पर दरवाजा खटखटाये हमें अपने अपने काम पर चलना चाहिये। वह तुरन्त उठी और कपड़े पहनने लगी। मैं तब तक उसे निहारता रहा जब तक कि उसने अपना ब्लाउज़, पेटीकोट और साड़ी पहन नहीं ली। जाते जाते उसने मुझे पकड़ कर मेरे होठों पर एक जोरदार चुम्बन लिया, जिससे कि मैं चकित हो गया क्योंकि यह पहला अवसर था जब उसने आलिंगन और चुम्बन की पहल की हो। अब मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि ये औरत पूरी तरह से मेरे कब्जे में है। मैने बदले में उसके नितम्बों को दबाया और जाते जाते उसके नितम्बों पर हल्का सा चपत लगाया। वह मेरी ओर मुड़ी, मैने उसे आँख मारी और वह शर्माते हुये दुकान से बाहर चली गयी।

~~~ समाप्त ~~~

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