मस्तानी ताई

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raj..
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Re: मस्तानी ताई

Unread post by raj.. » 05 Nov 2014 09:37

गतान्क से आगे...............
मा जागी हुई थी, मा ने मुझे देख के कहा आगया बेटा, मेने कहा हां मा, फिर उन्होने कहा फ्रेश हो जा और सो जा थक गया होगा, मेने कहा मा आप भी सो जाओ आप भी थक गयी होगी ना, वो बोली मेरा बेटा मेरा कितना ख़याल रखता है, मा मेरा बोहत ख़याल रखती थी, और आज वो अपनी ममता पूरी की पूरी मेरे पे बरसा रही थी, और मुझे बोहत अछा लग रहा था, मेरे हॉस्टिल में होने की वजह से मेने पिछले कई साल मा से दूर काटे थे, और मुझे अब मा का इतना अलग व्यवहार अछा लग रहा था, और मुझे बच्चा बन ने का मौका मिल रहा था, फिर मा ने जो काम कर रही थी वो छोड़ के सोने की तैयारी करने लगी, पर आज मा का व्यवहार बिल्कुल ही अलग था, मेने भी बाथरूम जाके हाथ मूह धोया और अपने लंड को भी सॉफ किया, और अपनी शॉर्ट्स और बनियान पहन के बाहर आगेया, मेरे बाद मा गयी बाथरूम में और में पलंग पे आके लेट गया, कुछ देर बाद मा बाहर आई, उन्होने काले रंग की नाइटी पहने हुई थी, और बाल खुले थे, मा बोहत ही खूबसूरत लग रही थी, मा मेरे पास आई और और बैठ गयी और मेरे सर पे हाथ फेरने लगी, और कहने लगी, कितने सालों से तू बाहर रहता है, तुझे मा की याद नही आती क्या, वो कहने लगी तेरे पापा अपने काम में बिज़ी रहते हैं और तू अपनी पढ़ाई में, में अकेली रह जाती हूँ, बात करने के लिए भी कोई नही होता, मुझे उनकी आँखों में नमी दिखाई दी, मेने मा से कहा मा तू अब उदास मत हो, में अब कहीं नही जाउन्गा, आगे की पढ़ाई भी में घर से ही कर लूँगा पर तू उदास ना हो, और वो मेरी इस बात से बोहत खुश हुई और कहने लगी, पक्का ना तू मा के साथी ही रहेगा ना, मेने कहा हां मा, वो यह सुन के बोहत खुश हुई और मेरे बगल में आके लेट गयी और मुझे अपने सीने से लगा लिया, फिर मेने मैं लाइट बंद कर के ज़ीरो बल्ब जला दिया, में समझ नही पा रहा था मा के इस व्यवहार को, खैर में लेट गया और मा की तरफ मूह करके साइड में सो गया, में मा को ही देख रहा था और सोच रहा था के यह सब क्या हो रहा है, क्यूँ अचानक मा का प्यार मुझ पे बरस रहा है, ऐसा नही था वो मुझसे प्यार नही करती थी पर आज वो खुल के इस बारे में बात भी कर रही थी, उन्होने मुझे उन्हे देखते हुए देखा और पूछा, ऐसे क्या देख रहा है, मेने कहा मा, ऐसी ही देख रहा हूँ, वो बोली बताना, मेने कहा मा आज से पहले आपने मुझे कभी अपने दिल की बात नही बताई, और आज आप खुल के बोली तो थोड़ा अलग लगा, वो कहने लगी, कहना तो चाहती थी पर मौका नही मिलता था, तू हॉस्टिल से घर आता और कब तेरे जाने का टाइम आ जाता कुछ पता ही नही चलता था, फिर उन्होने कहा बेटा इतना दूर क्यूँ सोया है आजा अपनी मा के पास सो जा, में बिना सोचे मा के पास आगेया, अब मा के और मेरे बीच में हाथ भर का फासला था, और हम दोनो एक दूसरे को देख रहे थे, फिर मेने मा से कहा, मा में भी आपके इस लाड और दुलार को मिस करता था, हॉस्टिल में ऐसा कोई नही था जो मुझे समझ सके, बस तू ही है मा जो मुझे समझ सकती है, वो बोली, ओह्ह मेरा बेटा अपनी मा को मिस करता था, आजा मेरे बच्चे मेरे सीने से लग जा, मा ने अपने दोनो हाथ खोले और में मा के गले लग गया, मेरा सर मेने उनकी सीने के नीचे रखा और मेरा एक हाथ मेरे शरीर के नीचे था और दूसरा हाथ मा की पीठ पे था, मा की गर्देन मेरे होंठों से जुड़ी हुई थी, मेने अपने लिप्स खोल दिए और उनकी गर्देन का पसीना मेरे मूह को भी टच कर रह था, मुझे शाम का नज़ारा फिर से नज़र आने लगा, और में धीरे धीरे मा की पीठ सहलाने लगा, यह पहली बार था मा जागी हुई थी और में उनके साथ यह कर रहा था, वो कुछ नही बोली, और में धीरे धीरे उनकी पीठ सहलाने लगा, फिर मेने अपना सर उनकी सीने के नीचे रखते हुए कहा मा, वो बोली क्या बेटा, मेने कहा मा मुझे नही पता था आप मुझसे इतना प्यार करती हो, वो बोली में अपने राजा बेटे से बोहत प्यार करती हूँ, और उन्होने मुझे अपनी ओर और ज़ोर से खीचा अब मेरा शरीर मा से जुड़ चुका था, हालाकी नीचे का पार्ट मेने जान बूझकर थोड़ा दूर रखा, क्यूँ की में मा को नाराज़ नही करना चाहता था, में पीठ सहला रहा था, और मेने कई बार मा की ब्रा के हुक को छुआ, मुझे कब नींद आगाइ मुझे पता नही चला, सुबेह जब उठा तो देखा मा नही थी, में फ्रेश होके नीचे आया तो पता चला, के ताइजी किसी की शोक सभा में गयी है और दीदी अपनी सहेली के घर, और मा घर पर ही थी, मा उस वक़्त किचन में थी, मेने बाहर से मा से कहा मा चाइ दे दो, वो बोली बेटा में काम कर रही हूँ अंडर आके ले ले, तब तक मेरे मंन में कोई ग़लत विचार नही था, जैसे ही में किचन में पोह्चा मा चुले के सामने खड़ी कुछ बना रही थी, मा ने ब्राउन कलर की सारी पहनी हुई थी और मॅचिंग ब्लाउस, मा को गर्मी की वजह से बोहत पसीना आरहा था, और पसीने की वजह से उनका ब्लाउस भीग चुका था और उनकी सफेद रंग की ब्रा दिख रही थी, और उनके बड़े बड़े चूतड़ देख के मुझे उन्हे छुने का मंन करने लगा, में चुप चाप मा के पीछे जाके खड़ा होगया, मेरा लंड मा की गांद से कुछ इंचस की दूरी पे था और मेने अपने हाथ मा की कमर पे रख दिया और मेने मा के लेफ्ट शोल्डर पे अपना फेस रख दिया, वो कहने लगी, उठ गया बेटा और अपने लेफ्ट हॅंड से मेरे चेहरे को सहलाने लगी, अभी तक हम दोनो के शरीर का उपरी हिस्सा जुड़ा हुआ था, में देख रहा था अगर मा विरोध ना करे तो में और आगे बढ़ जाउ, मा ने कोई विरोध नही किया, वो कहने लगी मेरे बेटा मा से कितना प्यार करता है, मेने भी कहा हां मा में तुमसे बोहत प्यार करता हूँ, में वैसे ही खड़ा रहा और मा अपना काम करने लगी,

raj..
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Re: मस्तानी ताई

Unread post by raj.. » 05 Nov 2014 09:41

अब मेने अपने दोनो हाथ मा की नाभि के यहाँ रख दिए और अपने शरीर के नीचे के हिस्से को उनके चूतड़ के थोडा और नज़दीक ले आया, उनकी कमर की स्किन एक दम मुलायम थी, और वो हिस्सा थोड़ा मोटा और चब्बी था, मा ने अब आटा गुन्दना शुरू किया, इस काम के शुरू करने से मा के शरीर का नीचे का हिस्सा मेरे लंड से च्छुने लगा था, मेने हल्के हल्के मा की कमर पे हाथ फिराने लगा, उन्हे गुदगुदी होने लगी, कहने लगी बेटा मुझे गुदगुदी हो रही है, मेने कहा मा मुझे आपकी कमर पे हाथ घूमना अछा लग रहा है, वो कुछ नही बोली और अपना काम करने लगी, फिर कुछ देर बाद मया पीछे मूडी और हल्की सी स्माइल दी और फिर अपना काम करने लगी, मेरे लिए यह ग्रीन सिग्नल था, धीरे धीरे धीरे में अपने शरीर का नीचे का भाग मा के करीब लाने लगा, मुझे डर भी लग रहा था और एग्ज़ाइट्मेंट भी हो रहा था, पर में आगे बढ़ता चला गया, फिर मा ने मुझसे कहा बेटा भूख नही लगी है क्या?, मेने कहा भूख तो लगी है मा पर आप होके मेरा ध्यान ही नही रखती वो बोली नही बेटा में तो तुम्हारी हर बात का ख़याल रखती हूँ इसलिए तो तुम्हारे लिए पराठे बना रही हूँ, यह सुन के में मा से चिपक गया और ऐसे जताया जैसे में अपनी फेव डिश सुन के खुश हुआ हूँ, मेने मा की कमर से हाथ हटा के उनके पेट पे रख दिया और अपने लंड को मा की गांद से टच किया, अब में उनकी सारी का फॅब्रिक फील कर रहा था, मेरे दिल जोरो से धड़क रहा था, पर मा कुछ नही बोली और अपना काम करती रही, धीरे धीरे में मा के करीब आता गया, और अब मुझे अपने लंड पे मा की मोटी मुनसल गांद का हल्का सा स्पर्श महसूस हो रहा था, मेने देखा के मा की साँसे तेज हो रही है और वो भी इस का भरपूर आनंद ले रही थी, अचानक मा के हाथ से बेलन गिर गया, और वो उसे उठाने के लिए झुकी में जान बुझ कर पीछे नही हटा अब मा की गांद मेरे लंड से सटी हुई थी, और मेरे हाथ पेट से कमर पे आगाये थे, अगर कोई उस समय हमे देखता तो ऐसा लगता जैसे में मा की चूत पीछे से ले रहा हूँ, खैर मा ने भी आराम से बेलन उठाया और अपनी गांद मेरे लंड पे कुछ देर तक ऐसे ही रहने दी, मा जब खड़ी हुई तो उन्होने पीछे मूड के मुझे देखा और एक स्माइल दी, में जान चुका था, के अब जल्द ही में मा को भी चोदने वाला हूँ, फिर मा ने कहा के चल टेबल पे बैठ और नाश्ता कर ले, मेरा मंन तो नही था, पर में मामला खराब भी नही करना चाहता था, इसलिए में मा से दूर हट गया और टेबल पे जाके बैठ गया, मा आई मुझे नाश्ता दिया और मेरे पास खड़ी हो गयी, मेने मा से कहा तुम भी खा लो, वो बोली नही बेटा में बाद में खा लूँगी, पर मेने उनका हाथ पकड़ के अपने पास की कुर्सी पे बिठा लिया, वो अपने प्रति मेरे इस प्यार को देख के बोहत खुश हुई, और मुझे देखने लगी, फिर मेने एक नीवाला तोड़ा और मा की तरफ अपना हाथ बढ़ाया, मा के लिप्स बड़े सुन्दर और रसदार लग रहे थे, मॅन कर रहा था उनका सारा रस पी लूँ, मा ने मुझे कहा तू खा बेटा में बाद में खा लूँगी, पर में नही माना और अपना हाथ उनके मूह के करीब ले गया और जब उन्होने अपना मूह खोला तो मेने नीवाला उनके मूह में डाल दिया, ऐसा करते हुए मेरे उंगलियों को उनके कोमल होंठों का स्पर्श मिला और वो मुझे बड़ा अछा लगा, फिर उन्होने एक नीवाला तोड़ा और मुझे खिलाने लगी, फिर इसी तरह हमने अपना नाश्ता ख़तम किया, और तब तक ताइजी भी वापस आ चुकी थी, फिर मा और ताइजी आपस में बैठ के बात करने लगी और में उपर अपने कमरे में आगेया और लेट गया, जैसे तैसे दिन निकला, शाम को हम सब नीचे बैठकर यहाँ वहाँ की बातें करने लगे, फिर रात को खाना खाया और अपने अपने कमरो में सोने चले गये,
दोस्तो आगे की कहानी कुछ समय बाद पोस्ट करूँगा तब तक कुछ पुरानी कहानियाँ और पोस्ट करूँगा
क्रमशः..............................

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