अंजानी डगर

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007
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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:31

अंजानी डगर पार्ट--8 गतान्क से आगे.................... ये कह कर दीपा बेड पर टाँगे फैला कर लेट गयी. दीपा- चलो अब शुरू भी हो जाओ. मेरी टाँगे थक जाएँगी. ... आशु- एक बार फिर सोच लो. शादी से पहले ये सब... दीपा (मेरी बात काटते हुए बोले)- शादी के पहले हो या बाद मे. होना तो हम दोनो के बीच ही है ना. ज़रा सोचो मेरी तो इज़्ज़त लूट ही गयी थी ना, अगर तुम नही बचाते. अब इस शरीर बस तुम्हारा ही तो है. अगर मैं तुम्हे पसंद नही तो कोई बात नही. आशु- नही नही ऐसी बात नही है. दीपा- तो फिर मुझे प्यार करो ना. मैं तुम्हारी हू. जी भर कर प्यार करो मुझे. दीपा का शानदार जिस्म सामने बिछा हुआ अपनी पूजा करने के लिए मुझे आमंत्रित कर रहा था. उसकी आँखे मुझे ऐसे देख रही थी की जैसे खुद को प्यार करने के लिए मेरी मिन्नते कर रही हो. उसके दोनो हाथ अपने निप्पलो को सहला रहे थे. उसके आग्रह को देख कर मैने अपना लंड उसकी भूखी चूत के मुहाने पर लगा दिया. दीपा- प्लीज़ घुसा दो ना मेरी चूत मे प्लीज़. मैने भी सोचा अब बचने का कोई रास्ता नही है. मैने दीपा की टाँगो को अपने कंधो पर रखा और उसकी चूत पर रख कर अपने लंड के सूपदे का दबाव डाला. वो तो अब भी बिल्कुल टाइट थी. पर उसके रस के साथ मिक्स हो चुके आयिल ने अपना कमाल कर दिया. दीपा चिहुन्क उठी. सूपड़ा चूत के अंदर था और दीपा की हालत दुबारा पहले जैसी ही हो रही थी. उसने अपने को पीछे हटाने की कोशिश की लेकिन मैने उसको कस कर पकड़ रखा था. दीपा- प्लीज़ जान एक बार निकाल लो. फिर डाल लेना. प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है. पर माने अभी नही तो कभी नही वाले अंदाज में एक धक्का लगाया और लंड उसकी फिर उसकी झिल्ली से जा टकराया. दीपा की तो चीख ही निकल गयी. कुछ देर इसी हालत में रहने के बाद जब दीपा की चूत मेरे लंड की आदि हो गयी तो दर्द कम होने लगा. जैसे-जैसे दर्द कम हो रहा था उस पर मस्ती सवार हो रही थी. उसकी चूत मे अजीब सी कसक उठ रही थी. इसी मस्ती की तान मे दीपा ने सिसकारी लेते हुए अपनी गंद को उचका दिया. दीपा की इस हरकत से मेरे भी तन-बदन मे आग लग गयी. दीपा का सिग्नल पाकर मैने अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और पूरे ज़ोर से अपने लंड का धक्का दीपा की चूत मे दे मारा. मेरा लंड दहाड़े मारता हुआ दीपा की चूत मे 8 इंच तक घुस गया था. मेरी आँखे मूंद गयी थी. मेरे लंड ने जन्नत का दरवाजा खोल लिया था. मुझे असीम आनंद मिल रहा था. दीपा की चूत बुरी तरह से टाइट थी और लंड एकदम पॅक हो चुका था. आख़िरकार मेरे लंड के इस प्रहार से दीपा की चूत की झिल्ली फट गयी थी और उसकी चूत पर मेरे लंड ने अपना नाम लिख ही दिया था. इधर दीपा को शुरू मे चूत के अंदर, जैसे किसी चींटी ने काट लिया हो, इतना ही दर्द हुआ था. उसको अपने कौमार्या भंग का अहसास हो चुका था. जैसे किसी बेलून मे किसी ने उंगली डाल कर फोड़ दिया हो. पर झिल्ली के फटने के बाद जब लंड उसकी चूत के अंत मे जाकर टकराया तो दीपा दर्द से बिलबिला उठी. वो उठ कर मुझ से लिपट गयी और मुझे कसकर पकड़ लिया. दीपा मुझे बिल्कुल हिलने नही दे रही थी. थोड़ी देर तक हम इसी पोज़ मे रहे. अंततः दीपा की टाइट चूत ने मेरे लंड को जगह देना आक्सेप्ट कर ही लिया. जिससे उसका दर्द कम होने लगा. आशु- मैने तो कहा था कि बहुत दर्द होगा. दीपा- मेरी जान इस दर्द के बाद जो मज़ा आएगा उसकी सोचो. यह कह कर दीपा फिर बेड पर लेट गयी. मैने भी मौका अच्छा देख कर अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और पूरे ज़ोर से धक्का मार दिया. इस धक्के से दीपा बुरी तरह सिसक उठी- हाई रे, मेरी चूत. काट डाला तूने कसाई. अब दीपा की चूत गरम हो चुकी थी और मेरे मोटे लंड से चुदाई के लिए तैय्यार थी. मैने अपने दोनो हाथो मे उसके कबूतरो को पकड़ लिया और धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा. पर दीपा की चूत बुरी तरह फदक रही थी. उसकी चुदास इतनी धीरे से बुझने वाली नही थी. वो अपनी गंद को उछालने लगी. उसकी इस हरकत को देख कर मैने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. उपर मैं दीपा के बूब्स को बुरी तरह मसल रहा था और नीचे दीपा की चूत की जबरदस्त चुदाई हो रही थी. हर बार लंड अंदर जाता और बाहर आ जाता. हर बार दीपा सिसक उठती. ...मज़ा दे दिया... कब से तेरे लंड... की .. प .. प्यासी थी. धक्के दे जान मुझे... आह. तेज कर…आह…. कभी मत निकालना इसको ... मेरी चूत ...आ ...फाड़ दो इसको…कब से परेशान कर रखा है….आज छोड़ना नही…सब कुछ लेलो….सब….तुम्हारा है…मज़ा आ गया... कमरे मे प्लॉत-प्लॉत की आवाज़े और दीपा की दर्द भरी सिसकारिया गूँज रही थी. उधर मेरा का भी यही हाल था. मैं उछल उछल कर दीपा की चूत मे लंड पेले जा रहा था कि अचानक दीपा ने ज़ोर से अपनी टाँगे भींच ली. उसका सारा बदन अकड़ सा गया था. उसने उपर उठकर मुझको ज़ोर से पकड़ लिया. उसकी चूत पानी छोड़ती ही जा रही थी. इससे मेरा का काम आसान हो गया था. अब मैं और तेज़ी से धक्के लगाने लगा. पर अब दीपा गिड०गिदाने लगी- प्लीज़ अब निकाल लो. अब सहन नही हो रहा. दीपा की सिसकारिया चीखो मे तब्दील हो चुकी थी. पर मस्त हाथी को कोई रोक पाया है कभी ? मुझे तो दीपा पर दया आ रही थी पर मेरा लंड अब मेरे काबू मे नही था. वो बस एक ही काम जानता था और वो उसे बखूबी कर रहा था. 2 मिनिट तक पूरी बेरहमी से चुदने के बाद दीपा फिर से अपनी गंद उछालने लगी. अपनी चूत की अनवरत चुदाई से वो फिर से गरम हो गयी थी. फिर सिसकने लगी थी. इसी प्रकार मैं दीपा की चूत को आधे घंटे तक बिना रुके रोन्द्ता रहा. कभी धीरे, कभी तेज. जैसे जैसे दीपा के चेहरे पर भाव आते जाते वैसे ही मेरी रफ़्तार बदलती जाती. अब तक दीपा कम से कम 6 बार पानी छोड़ चुकी थी. मेरा भी टाइम आ चुक्का था. मैने अपना लंड दीपा की चूत से बाहर निकालना चाहा पर दीपा बोली- अपना रस मेरे अंदर ही निकाल दो जान. अंत करीब जानकार मैने ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. दीपा भी बुरी तरह चीख रही थी. फिर मैं ज़ोर की दहाड़ मार कर दीपा के उपर ही ढेर हो गया. मेरा लंड दीपा की चूत मे अपना रस उडेल रहा था और बाहर सरक रहा था. दीपा की छोटी सी चूत मे से वीर्य निकल कर बहने लगा. दीपा और मेरे दोनो को अपनी मंज़िल मिल चुकी थी. दीपा- आइ लव यू मेरी जान. मुझे नही पता था कि इसमे इतना मज़ा आता है. आशु- हा मेरी जान. आज तो शुरुआत है. सुबह उठा तो दीपा मुझ से चिपकी हुई थी. पूरी रात दीपा ने मुझे सोने नही दिया था और अब घोड़े बेच कर सो रही है. दीपा के सुंदर जिस्म का जितना बखान करू कम है. जब भी मैं उसे देखता तो अपने आप सहलाने लगता. मेरे सहलाने से थोड़ी देर मे ही दीपा की नींद खुल गयी. पर रात का नशा अभी उसकी आँखो से गया नही था. उठते ही अपने होठ मेरे होंठो पर रख कर किस किया और बोली- गुड मॉर्निंग जान. आशु- मेम, मेरी गन ने आख़िरकार आपके लाल-किले का दरवाजा तोड़ ही दिया. अब तो खुश है आप. मेरे लंड की ओर देख कर दीपा बोली- ये गन नही पूरी तोप है. मेरा तो पूरा लाल-किला ही तहस-नहस हो गया. आशु- छोटी सी कोठरी को लाल-किला कहती हो. मेरा तो बुरा हाल हो गया था. दीपा- तभी इतना उछल-उछल तोप चला रहे थे. आशु- जब भगवान ने तोप दे रखी है तो काहे का डर. दीपा- तुम अपने साथ ये तोप लेकर क्यो घूमते हो. इसका लाइसेन्स भी है तुम्हारे पास ? दीपा हंसते हुए बोली. आशु- हथियार तो रखना ही पड़ता है. पता नही कब इज़्ज़त पर ख़तरा आ जाए. दीपा- अच्छा जी. कही भी इस्तेमाल कर लेते हो इसे. हुम्म. आशु- नही कल पहली बार ही नौबत आई थी. दीपा- अच्छा जी. तो तुम्हारी इज़्ज़त लूटी जा रही थी. आशु- और नही तो क्या. मैं तो मना ही कर रहा था. दीपा- तो तुम्हारी मर्ज़ी नही थी. मैने तुम्हारी इज़्ज़त लूट ली, क्यो ? आशु- तुम ही मेरे उपर चढ़ गयी थी. दीपा- और वो मेरी चिड़िया को किसने मारा था. आशु- तो उसके बदले तुमने मेरा लंड भी तो चूस लिया था. दीपा- कभी किसी लड़के की भी इज़्ज़त लूटती है भला. .... ऐसे ही काफ़ी देर तक हम दोनो मे चुहलबाजी चलती रही. आइए दोस्तो अब इधर देखते हैं की अपने बबलू के साथ क्या हो रहा है..................... बबलू ने श्याम द्वारा दिए गये जॉब पर लिखे पते को पढ़ा. ये बांद्रा का पता था. उसने टॅक्सी पकड़ी और बांद्रा पर पहुच गया. बांद्रा मुंबई के सबसे पॉश इलाक़ो मे से एक है. बांद्रा मे बबलू को लिबास बुटीक मे पहुचना था. थोड़ा ढूँढने के बाद वो लिबास पहुच गया. लिबास के गेट साथ ही शोकेस मे बहुत ही सुंदर इंडो-वेस्टर्न ड्रेसस मॅनिकिन्स ने पहनी थी. लिबास को बाहर से देखने से ही पता चलता था कि यहा अप्पर क्लास के कस्टमर ही आते होंगे. गेट मे घुसते ही एकदम ठंडी हवा के झोंके ने उसे पूरा तरो-ताज़ा कर दिया. अंदर की सजावट शानदार थी. घुसते ही सामने गणेश जी की बड़ी सी मूर्ति थी. लिबास के अंदर की दीवारो पर भी बढ़िया सजावट की गयी थी. अंदर कम रोशनी थी, पर मॅनिकिन्स पर स्पॉट लाइट पड़ रही थी. अंदर कुल 4 लड़किया थी. 3 रॅक्स के पास काम कर रही थी और एक पेमेंट काउंटर पर थी. चारो ही लगभग साधारण नैन-नक्श की मालकिन थी. पर उनके कपड़े अट्रॅक्टिव थे. बुटीक के अंदर कस्टमर कोई नही था. बबलू सीधा पेमेंट काउंटर पर बैठी लड़की पास पहुचा. लड़की- यस. हाउ कॅन आइ हेल्प यू ? बबलू- मैं टेलर की जॉब के लिए आया हू. फिर उसने अपना जॉब-कार्ड लड़की को दे दिया. लड़की- ओह तो तुम टेलर की जॉब के लिए आए हो. ठीक है. पर शमा मेडम अभी आई नही है. तुम वाहा बैठ जाओ. वो आने वाली ही है. बबलू- ठीक है. क्रमशः......

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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:33

part--8 gataank se aage.................... Ye kah kar Deepa Bed par tange faila kar let gayi. Deepa- chalo ab shuru bhi ho jao. meri tange thak jayengi. ... Ashu- Ek bar fir soch lo. Shadi se pehle ye sab... Deepa (Meri baat katate huye bole)- Shadi ke pehle ho ya bad me. Hona to hum dono ke beech hi hai na. Jara socho meri to ijjat lut hi gayi thi na, agar tum nahi bachate. Ab is shareer bas tumhara hi to hai. Agar mai tumhe pasand nahi to koi baat nahi. Ashu- nahi nahi aisi baat nahi hai. Deepa- To fir mujhe pyar karo na. Mai tumhari hu. Jee bhar kar pyar karo mujhe. Deepa ki shandar jism samne bicha hua apni pooja karne ke liye mujhe aamantrit kar raha tha. Uski aankhe mujhe aise dekh rahi thi ki jaise khud ko pyar karne ke liye meri minnate kar rahi ho. Uske dono hath apne nippalo ko sehla rahe the. Uske aagrah ko dekh kar maine apna lund uski bhukhi chut ke muhane par laga diya. Deepa- please ghusa do na meri chut me please. Maine bhi socha ab bachne ka koi rasta nahi hai. Maine Deepa ki tango ko apne kandho par rakha aur uski chut par rakh kar apne lund ke supade ka dabaav dala. Wo to ab bhi bilkul tight thi. Par uske ras ke sath mix ho chuke oil ne apna kamal kar diya. Deepa chihunk uthi. Supada chut ke andar tha aur Deepa ki halat dubara pehle jaisi hi ho rahi thi. Usne apne ko peechhe hatane ki koshish ki lekin maine usko kas kar pakad rakha tha. Deepa- Please jaan ek baar nikal lo. Fir dal lena. Please bahut dard ho raha hai. Par mane abhi nahi to kabhi nahi wale andaj mein ek dhakka lagaya aur lund uski fir uski jhilli se ja takraya. Deepa ki to cheekh hi nikal gayi. Kuch der isi halat mein rehne ke bad jab Deepa ka chut mere lund ki aadi ho gayi to dard kam hone laga. Jaise-Jaise Dard kam ho raha tha us par masti sawaar ho rahi thi. uski chut me ajeeb si kasak uth rahi thi. isi masti ki taan me Deepa ne siskari lete huye apni gand ko uchka diya. Deepa ki is harkat se mere bhi tan-badan me aag lag gayi. Deepa ka signal pakar maine apne lund ko thoda bahar nikala aur pure jor se apne lund ka dhakka Deepa ki chut me de mara. Mera lund dahade marta hua Deepa ki chut me 8 inch tak ghus gaya tha. Meri aankhe mund gayi thi. mere lund ne jannat ka darwaja khol liya tha. Mujhe aseem anand mil raha tha. Deepa ki chut buri tarah se tight thi aur lund ekdum pack ho chuka tha. Akhirkar mere lund is prahar se Deepa ki chut ki jhilli fat gayi thi aur uski chut par mere lund ne apna naam likh hi diya tha. Idhar Deepa ko shuru me chut ke andar, jaise kisi chiniti ne kat liya ho, itna hi dard hua tha. Usko apne kaumarya bhang ka ahsaas ho chuka tha. Jaise kisi balloon me kisi ne ungli dal kar fod diya ho. Par Jhilli ke fatne ke baad jab lund uski chut ke ant me jakar takrya to Deepa dard se bilbila uthi. Wo uth kar mujh se lipat gayi aur mujhe kaskar pakad liya. Deepa mujhe bilkul hilne nahi de rahi thi. Thodi der tak hum isi pose me rahe. Antatah Deepa ki tight chut ne mere lund ko jagah dena accept kar hi liya. Jisse uska dard kam hone laga. Ashu- maine to kaha tha ki bahut dard hoga. Deepa- meri Jaan is dard ke bad jo maja aayega uski socho. Yeh kah kar Deepa fir bed par let gayi. Maine bhi mauka accha dekh kar apna lund thoda bahar nikala aur pure jor se dhakka mar diya. Is dhakke se Deepa buri tarah sisak uthi- hi re, meri chut. kat dala tune kasai. Ab Deepa ki chut garam ho chuki thi aur mere mote lund se chudayi ke liye taiyyar thi. Maine apne dono hatho me uske kabutaro ko pakad liya aur dhire-dhire lund ko andar bahar karne laga. Par Deepa ki chut buri tarah fadak rahi thi. Uski chudas itni dhire se bujhne wali nahi thi. Wo apni gand ko uchalne lagi. Uski is harkat ko dekh kar maine bhi apni rafter badha di. Upar mai Deepa ke boobs ko buri tarah masal raha tha aur niche Deepa ki chut ki jabardast chudayi ho rahi thi. Har bar lund andar jata aur bahar aa jata. Har bar Deepa sisak uthti. ...maja de diya... Kab se tere lund... ki .. P .. Pyasi thi. dhakke de jaan mujhe... aah. Tej kar…aah…. kabhi mat nikalna isko ... Meri chut ...aah ...fad do isko…kab se pareshan kar rakha hai….aaj chorna nahi…sab kuch lelo….sab….tumhara hai…maja aa gaya... Kamre me ploth-ploth ki awaje aur Deepa ki dard bhari siskariya gunj rahi thi. Udhar mera ka bhi yahi haal tha. Mai uchal uchal kar Deepa ki chut me lund pele ja raha tha ki achanak Deepa ne jor se apni tange bheench li. Uska sara badan akad sa gaya tha. Usne upar uthkar mujhko jor se pakad liya. Uski chut paani chodti hi ja rahi thi. Isse mera ka kaam asaan ho gaya tha. Ab mai aur teji se dhhakke lagane laga. Par ab Deepa gidgidane lagi- Pls ab nikal lo. Ab sahan nahi ho raha. Deepa ki siskariya cheekho me tabdeel ho chuki thi. Par mast hathi ko koi rok paya hai kabhi ? Mujhe to Deepa par daya aa rahi thi par mera lund ab mere kabu me nahi tha. Wo bas ek hi kaam janata tha aur wo use bakhubi kar raha tha. 2 minute tak puri berahami se chudne ke bad Deepa fir se apni gand uchalne lagi. Apni chut ki anwarat chudayi se wo fir se garam ho gayi thi. Fir siskane lagi thi. Isi prakar mai Deepa ki chut ko aadhe ghante tak bina ruke rondta raha. Kabhi dhire, kabhi tej. Jaise jaise Deepa ke chehre par bhav aate jate waise hi meri raftar badalti jati. Ab tak Deepa kam se kam 6 baar pani chod chuki thi. Mera bhi time aa chukka tha. Maine apna lund Deepa ki chut se bahar nikalna chaha par Deepa boli- apna ras mere andar hi nikal do jaan. Ant kareeb jankar maine jor se dhakke lagane shuru kar diye. Deepa bhi buri tarah cheekh rahi thi. Fir mai jor ki dahad mar kar Deepa ke upar hi dher ho gaya. Mera lund Deepa ki chut me apna ras udel raha tha aur bahar sarak raha tha. Deepa ki choti s chut me se veerya nikal kar bahne laga. Deepa aur mere dono ko apni manjil mil chuki thi. Deepa- I love U Meri jaan. Mujhe nahi pata tha ki isme itna maja aata hai. Ashu- Ha meri jaan. Aaj to shurwuat hai. Subah utha to Deepa mujh se chipki huyi thi. Puri raat Deepa ne mujhe sone nahi diya tha aur ab ghode bech kar so rahi hai. Deepa ke sunder jism ka jitna bakhan karu kam hai. Jab bhi mai use dekhta to apne aap sehlane lagta. Mere sehlane se thodi der me hi Deepa ki neend khul gayi. Par raat ka nasha abhi uski aankho se gaya nahi tha. Uthate hi apne hoth mere hotho par rakh kar kiss kiya aur boli- Gud morning jaan. Ashu- Memsaab, meri gun ne akhirkar aapke lal-kile ka darwaja tod hi diya. ab to khush hai aap. mere lund ki aor dekh kar Deepa boli- ye gun nahi puri Top hai. mera to pura lal-kila hi tahas-nahas ho gaya. Ashu- Choti si kothri ko lal-kila kehti ho. Mere to bura haal ho gaya tha. Deepa- Tabhi itna uchal-uchal Top chala rahe the. Ashu- Jab bhagwan ne Top de rakhi hai to kahe ka dar. Deepa- Tum apne sath ye Top lekar kyo ghumte ho. Iska Licence bhi hai tumhare paas ? Deepa hanste huye boli. Ashu- Hathiyaar to rakhna hi padta hai. Pata nahi kab ijjat par khatra aa jaye. Deepa- Accha ji. Kahi bhi istemaal kar lete ho ise. humm. Ashu- Nahi kal pehli baar hi naubat aayi thi. Deepa- Accha Ji. To tumhari ijjat luti ja rahi thi. Ashu- Aur nahi to kya. Mai to mana hi kar raha tha. Deepa- To tumhari marji nahi thi. Maine tumhari ijjat loot li, kyo ? Ashu- Tum hi mere upar chad gayi thi. Deepa- Aur wo meri chidiya ko kisne mara tha. Ashu- to uske badle tumne mera lund bhi to chus liya tha. Deepa- Kabhi kisi ladke ki bhi ijjat lutati hai bhala. .... aise hi kafi der tak hum dono me chuhalbaji chalti rahi. Bablu ne Shyam dwara diye gaye job par likhe pate ko padha. Ye Bandra ka pata tha. Usne Taxi pakdi aur Bandra par pahuch gaya. Bandra Mumbai ke sabse posh ilako me se ek hai. Bandra me Bablu ko LIBAAS Boutique me pahuchana tha. thoda dhundhne ke bad wo LIBAAS pahuch gaya. LIBAAS ke gate sath hi showcase me bahut hi sunder Indo-Western Dresses Mannequins ne pehni thi. LIBAAS ko bahar se dekhne se hi pata chalta tha ki yaha Upper Class ke customer hi aate honge. Gate me ghuste hi ekdum thandi hawa ke jhonke ne use pura taro-taaza kar diya. andar ki sajawat shandar thi. ghuste hi samne Ganesh ji ki badi si murti thi. LIBAAS ke andar ki deewaro par bhi badhiya sajawat ki gayi thi. andar kam roshni thi, par Mannequins par Spot Light pad rahi thi. Andar kul 4 ladkiya thi. 3 Racks ke paas kam kar rahi thi aur ek payment counter par thi. charo hi lagbhag sadharan nain-naksh ki malkin thi. par unke kapde attractive the. Boutique ke andar customer koi nahi tha. Bablu sidha Payment Counter par baithi ladki paas pahucha. Ladki- Yes. How can I help You ? Bablu- Mai Tailor ki job ke liye aaya hu. fir usne apna job-card ladki ko de diya. Ladki- Oh to tum tailor ki job ke liye aaye ho. Theek hai. Par Shama Madam abhi aayi nahi hai. Tum waha baith jao. Wo aane wali hi hai. Babli- Theek Hai. kramashah.....

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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:34

अंजानी डगर पार्ट--9 गतान्क से आगे.................... थोड़ी देर बाद फोन की बेल बजी. काउंटर वाली लड़की- हेलो.....गुड मॉर्निंग मॅम.....जी....एक आदमी आया है.....टेलर के काम के लिए....जी श्याम प्लेसमेंट एजेन्सी से...जी ठीक है. लड़की- सुनो...तुम्हारा नाम क्या है. बबलू- जी बबलू. लड़की- मेडम तो आज आएँगी नही. तुम्हे अपायंट करने से पहले 2-3 दिन ट्राइ पर रखेंगे. उसके बाद ही बाकी बाते फाइनल होंगी. बबलू- जी. लड़की- उपर मास्टर जी से जाकर मिल लो. सीढ़िया उधर है. बाबबलू- उनसे क्या कहु कि किसने भेजा है ? लड़की- उनसे कहना निशा ने भेजा है. बबलू- आपका नाम निशा है. लड़की- क्यो कोई दिक्कत है. बबलू- न..नही. फिर बबलू चुप-चाप निशा के बताई सीढ़ियो से उपर फर्स्ट फ्लोर पर पहुच गया. उपर चढ़ते ही सामने एक रूम दिखाई दिया. कमरे मे 3 स्विंग मशीन रखी थी. उनमे से एक मशीन पर एक 50-55 साल का आदमी कम कर रहा था. वाहा 2 ट्राइ रूम भी बने हुए थे. बबलू- मस्टेरज़ी नमस्ते मस्टेरज़ी- हा नमस्ते. बोलो क्या काम है. बबलू- मैं टेलर के काम के लिए आया हू. मुझे निशा मेडम ने आपके पास भेजा है. मस्टेरज़ी- अच्छा. चलो कोई तो आया. मैं अकेला परेशान हो गया था. बबलू- तो आप अकेले यहा पर काम करते है. और कोई नही है ? मस्टेरज़ी- अरे बेटा आज कल के लड़के दर्जी का काम तो जानते नही है और आ जाते है कैंची चलाने. तुम्हे भी काम आता है या नये रंगरूट हो. पहले कभी काम किया है. बबलू- जी मैने पहले कही काम तो नही किया है. पर आपका सिर पर हाथ होगा तो जल्दी सीख जाउन्गा. मस्टेरज़ी- बेटा कोई हुनर किसी के सिखाने से नही आता. ये तो अपनी काबिलियत पर होता है. दिल लगा कर सीखेगा तो जल्दी उस्ताद बन जाएगा. बबलू- जी मैं पूरी लगन से सीखूंगा. मस्टेरज़ी- देखो असली टेलर वही जो एक बार मे ही एकदम सही फिटिंग के कपड़े सिले. बबलू- जी मस्टेरज़ी- सही फिटिंग के लिए सही नाप लेना बहुत ज़रूरी है. असली ग़लती इसी मे ही होती है. बबलू- जी मस्टेरज़ी- जाओ नीचे से किसी को बुला कर लाओ. बबलू- जी बबलू नीचे जाकर निशा से बोला- जी वो मस्टेरज़ी ने किसी को उपर भेजने के लिए कहा है. निशा- क्यो क्या काम है. बबलू- वो तो पता नही. निशा ने इंटरकम से मस्टेरज़ी के पास फोन मिलाया. निशा- मस्टेरज़ी... किस को बुलाया है. मस्टेरज़ी- अरे कुछ नही... इस नये लड़के को थोड़ी सी ट्रैनिंग देनी थी. निशा- लड़की के साथ ? मस्टेरज़ी- तो क्या मैं खुद का नाप लेना सिखाउ. लॅडीस टेलर है तो किसी लेडी का ही नाप लेगा ना. निशा- ओके इतना भड़कते क्यो हो. किसे भेजू दू. मस्टेरज़ी- तूमम्म्म....ऐसा करो रश्मि को भेज दो. वही ठीक रहेगी. निशा- वही क्यो. मैं आ जाती हू. मस्टेरज़ी- ना बाबा तू रहने दे. तू उसे ही भेज दे. निशा- जैसी आपकी मर्ज़ी. फोन रखकर... निशा- रश्मि उपर जा...मस्टेरज़ी ने बुलाया है. तुम भी उपर जाओ....बबलू. बबलू ने बाकी लड़कियो की तरफ देखा कि कौन जाएगी. रॅक वाली लड़कियो मे से एक बबलू के पास आई और बोली- चलो. बाकी लड़किया भी बबलू की तरफ ही देख रही थी. एक साथ इतनी लड़कियो की अटेन्षन पाकर वो सकपका गया और नज़रे फेर ली. रश्मि आगे चल रही थी और बबलू उसके पीछे था. रश्मि का जिस्म मांसल था. चेहरा ज़्यादा आकर्षक नही था पर रंग सॉफ था. उसकी देह मे बूब्स और कुल्हो पर काफ़ी माँस था. पर उसकी कमर पतली ही थी. चेहरा अटरॅक्टिव होता तो शायद कयामत ढाती. इसी ध्यान मे मगन कब बबलू कब मस्टेरज़ी के पास पहुच गया पता ही नही चला. रश्मि- जी मस्टेरज़ी. कहिए क्या काम है ? मस्टेरज़ी- अरे. निशा ज़रा इसको लॅडीस का सही से नाप लेना सीखना है. तू ज़रा इधर आकर खड़ी हो जा. रश्मि - जी. मस्टेरज़ी- अरे हीरो. तू भी इधर आ जा. बबलू- जी. अब बबलू और मस्टेरज़ी रश्मि के सामने खड़े थे. मस्टेरज़ी ने इंचीटेप उठा लिया. मस्टेरज़ी- पहले कभी किसी का नाप लिया है. बबलू- जी वो कोर्स मे तो नाप लिखा हुआ मिलता था. उसी के हिसाब से कटिंग करके सिल्ना होता था. मैने कभी किसी का नाप नही लिया. मस्टेरज़ी- मुझे पता था. कभी कोई डिप्लोमा-डिग्री से भी कोई हुनर आता है क्या. असल जिंदगी की सच्चाई तो अब पता चलेगी. बबलू- जी. मस्टेरज़ी- चलो आज ब्लाउस से शुरुआत करते है. देखो सबसे पहले लंबाई का नाप लेते है. उसके बाद छाती और कमर का. चलो तुम लेकर दिखाओ. यह सुन कर रश्मि अपना सूट निकालने लगी. बबलू- अरे, आप ये क्या कर रही हो. मस्टेरज़ी- तो तू नाप कैसे लेगा बेटा. बबलू- जी नाप लेने के लिए कपड़े निकालने की क्या ज़रूरत है. उपर से ही ले लेता. मस्टेरज़ी- साले सब कुछ उपर से कर लेता है क्या ? इन कपड़ो के उपर थोड़े ही पहनने है, जो तू इन कपड़ो का नाप लेगा. शरीर का नाप लेना है और सही नाप लेने के लिए अंडर-गारमेंट्स मे ही नाप लेना चाहिए. बबलू- जी समझ गया. अब तक रश्मि अपना सूट उतार चुकी थी. उसके उपरी शरीर पर केवल एक ब्रा ही थी. उसके बूब्स की हालत देख कर सॉफ पता चल रहा था कि ब्रा कुछ ज़्यादा ही छोटी थी. मस्टेरज़ी- बेटा ये क्या है. रश्मि- मस्टेरज़ी, क्या करू पता नही दोनो कैसे अपने-आप ही बड़े होते जा रहे है. मस्टेरज़ी- लगता रोज इनकी खूब सेवा होती है. रश्मि (शरमाते हुए)- क्या मस्टेरज़ी आप भी ना. मस्टेरज़ी- अब बड़े हो रहे है तो क्या हुआ. ब्रा तो मम्मो के साइज़ के हिसाब से ही पहनेगी. देख बेचारो की क्या हालत हो गयी है. कुछ तो इनकी कदर किया कर. रश्मि- मस्टेरज़ी, अभी तो ये दोनो निगोडे मेरी छोटी साइज़ की ब्रा मे जैसे तैसे काबू मे रहते है. अगर बड़ी ब्रा पहनी तो फिर इनका साइज़ जग-जाहिर हो जाएगा. मस्टेरज़ी- तो क्या हुआ पगली. इन्ही पर तो हर मर्द मरता है. जा उधर जाकर ड्रॉयर मे से अपने साइज़ की ब्रा पहन ले. रश्मि- पर मस्टेरज़ी मुझे तो अपनी ब्रा का साइज़ ही नही पता है. मस्टेरज़ी- ऑफ..हो. ये भी मैं ही बताउ. यहा आने वाली हर औरत को मैं ही उनसी ब्रा का सही साइज़ बताता हू. रश्मि- हा मस्टेरज़ी. पिछली बार भी तो आपने ही बताया था मुझे. मस्टेरज़ी- वही तो मैं सोच रहा था की 3 महीनो मे ये नाषपाती से खबूजे कैसे बन गये. रश्मि- मस्टेरज़ी प्लीज़...बार-बार मत छेड़ो ना. मस्टेरज़ी- चल ठीक है. उतार दे इसको. शायद ब्रा के साइज़ के चक्कर मे दोनो बबलू को भूल गये थे. रश्मि की ब्रा को फाड़ कर बाहर निकलने को आतुर मम्मो को देख कर बबलू उत्तेजित हो रहा था. लंड तन कर एक दम सख़्त हो चुका था. रश्मि ने हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. दोनो कबूतर आज़ाद होकर फुदकने लगे. वाकई मे रश्मि के मम्मो ने कहर ढा दिया था. एक पल को लगा की बबलू की साँसे रुक सी गयी हो. उसकी नज़रे रश्मि के निप्पलो पर गढ़ सी गयी थी. मस्टेरज़ी- तेरा साइज़ तो एकदम मस्त हो गया छोरी. ब्रा मे तो असली साइज़ का पता ही नही चल रहा था. ये इतने बड़े हो गये है फिर भी एक दम तने हुए है. क्या राज छुपा रखा है. रश्मि- मस्टेरज़ी मैं डेली ब्रेस्ट टोनर गेल लगाती हू. उसी का कमाल है. मस्टेरज़ी- ह्म्‍म्म...हा आज कल तो कई तरीके है. हमारे समय मे तो बस मालिश ही करते थे. रश्मि- आपने तो मस्टेरनिजी की खूब मालिश की होगी. खूब मोटे होंगे उनके मम्मे. मस्टेरज़ी- उसके मम्मो की बात मत कर. चल सीधी खड़ी हो जा. बबलू का मन कर रहा था कि काश मस्टेरज़ी की जगह उसके हाथ रश्मि के बूब्स का नाप ले रहे होते. पर वो मन मसोस कर खड़ा रह गया. मस्टेरज़ी ने इंक्फिटेप उठाया और रश्मि के बाए बूब की जड़ पर लपेट दिया और फिर दाए का नाप लिया और पॅड पर लिख दिया. फिर उन्होने कमर से लेकर मम्मो तक टेप को लपेटा और लिख लिया. मस्टेरज़ी- पूरे 36 के हो गये है तेरे कबूतर. फिर उन्होने कंधे से निपल तक का नाप लिया और बोले- तू वाहा से 36फ साइज़ की ब्रा लेले. रश्मि ड्रॉयर तक गयी और ब्रा देखने लगी. फिर एक लेकर वापस मस्टेरज़ी के पास आ गयी. रश्मि-ये वाली ठीक लगती है. मस्टेरज़ी- चल पहन ले पर कल तक वापस ला दियो. फिर मस्टेरज़ी ने बबलू की ओर देखा. बबलू जड़ हो चुका था. रश्मि के कबूतरो ने उसके होश उड़ा दिए थे. उसका लंड ने पॅंट मे ही तंबू गाड़ कर आंदोलन कर रखा था. मस्टेरज़ी- क्या हुआ बच्चू ? ये तो रोज होता है यहा. अगर तू ऐसे ही तंबू गाढ कर खड़ा हो जाएगा तो काम क्या तेरा बाप करेगा. साले रश्मि की तो कोई बात नही. पर किसी कस्टमर ने तेरा ये लंड इस हालत मे देख लिया तो तेरी खैर नही बेटा. बबलू- स...सॉरी मस्टेरज़ी. रश्मि- मस्टेरज़ी अबी नया नया है. मुंबई की हवा अभी लगी नही है. बेचारे का इतना सा ट्रेलर देख कर ये हाल हो गया, पूरी फिल्म देखेगा ओ पता नही क्या होगा. रश्मि की बात सुनकर बबलू का चेहरा शरम से लाल हो गया था. तभी फोन की घंटी बजी. मस्टेरज़ी- बोल निशा...रुक मैं ही नीचे आता हू. (फोन रखकर) रश्मि मैं 10 मिनिट मे आता हू. तू इसको नाप लेने की प्रॅक्टीस करा देना. और बबलू तू रश्मि के ब्रेस्ट, वेस्ट, लेंग्थ, और शोल्डर का नाप लेने की प्रॅक्टीस कर लेना. मैं आकर चेक करूँगा. क्रमशः........

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