अंजानी डगर

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:21

अंजानी डगर पार्ट--2

गतान्क से आगे....................

इसी तरीके से काम करोगे तो ज़्यादा दिन नही टिकोगे !- मेडम गुस्से से बोली. आशु- मेडम सॉरी..वो दीपा मेडम को काफ़ी उठाया...पर वो उठ ही नही रही. मेडम- हा अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद जो है..मैं ऑफीस जा रही हू...शाम तक घर साफ मिलना चाहिए. इतना कहकर मेडम बाहर निकल गयी. 11 बज चुके थे और पेट मे चूहो ने हंगामा कर रखा था. मैं सीधे किचन मे गया और खाने की चीज़ ढूँढने लगा. पूरे किचन के डब्बे खाली थे. ऐसे लग रहा था कि चाइ-कॉफी के अलावा यहा कभी कुछ नही बना. मैं बाहर ही निकलने वाला था की फ्रिड्ज पर नज़र गयी. फ्रिड्ज पूरा मालामाल था. मैने वाहा से 2 बर्गर उठाए और ओवेन मे डाल दिए. फिर गरमा-गरम बर्गर और चिल्ड जूस पीकर शांति मिली. फिर मैं सीधे अपने कमरे पर पहुचा. कमरा साफ करके अपना समान सेट किया. तभी गेट पर नॉक हुई. वॉचमन- और भाई सब ठीक-ठाक हो गया. आशु- हा यार. वॉचमन- अपना नाम तो बता दो यार. आशु- आशु. वॉचमन- मेरा नरेश है. पिछले 15 साल से यहा काम कर रहा हू. आशु- अच्छा..तुम्हारा बाकी परिवार कहा है? नरेश- सब गाव मे हैं. आशु- अच्छा नरेश भाई एक बात तो बताओ...ये मेडम के साब कहा है? नरेश- ....मुझसे ये नही पूछो तो अच्छा है. और कुछ भी पूछ लो. आशु- अच्छा कोई बात नही.. पर ये मेडम की उम्र तो 30 साल से ज़्यादा नही लगती...फिर ये 17-18 साल की बेटी कहा से पैदा हो गयी. नरेश- तुम सब पूछ कर ही मनोगे. दीपा मेडम दीपिका मेम की सौतेली बेटी है. दीपा मेडम के पापा ने दूसरी शादी की थी. आशु- ओह तो ये बात है. मैं दीपा मेडम को उठाने गया था पर वो उठी ही नही ? नरेश- किसी को बताना नही उसे कुछ दिन से ड्रग्स लेने की आदत पड़ गई है. अच्छा मैं गेट पर चलता हू. कोई दिक्कत हो तो इंटरकम पर बता देना. आशु- ओके अब मैं भी थोड़ा आराम करूँगा. बिल्डिंग मे दुबारा पहुचने मे 2 बज गये थे. घर की सफाई करने मे कब 6 बजे पता ही ना चला. तभी कार के रुकने की आवाज़ आई. मेडम ने अंदर आते हुए कहा- दीपा कहा है ? आशु- मेडम मैं दुबारा उपर नही गया. देखने जाउ ? दीपिका- नही, वो गयी होगी अपने दोस्तो के साथ. मेरे सिर मे काफ़ी दर्द है. तुम एक बढ़िया सी कॉफी बना कर आधे घंटे बाद मेरे बेड रूम मे ले आना. उससे पहले नहा ज़रूर लेना. कितनी गंदे लग रहे हो. आशु-जी. आधे घंटे बाद मैं कॉफी लेकर मेडम के बेडरूम के बाहर खड़ा था. नॉक करने पर अंदर से आवाज़ आई, दरवाजा खुला है.. अंदर आ जाओ. कमरे के अंदर जाते ही एक दिन मे तीसरी बार मेरा लंड भड़क गया. मेडम एक स्किन कलर की नेट वाली नाइटी पहने बाथरूम से बाहर निकल रही थी. नाइटी के नीचे से उनकी ब्लॅक ब्रा सॉफ दिखाई दे रही थी. नाइटी की लंबाई उनके हिप्स तक थी और छाती के पास केवल एक बटन लगा था. 36डी साइज़ के बूब्स के उभार के कारण उनकी नाइटी नीचे से खुल गयी थी और पूरे पेट और नाभि के दर्शन हो रहे थे. नीचे उन्होने ब्लॅक पॅंटी पहनी थी. पॅंटी के नीचे गोरी पूरी टाँगे एकदम नंगी थी. मेडम- कॉफी साइड टेबल पर रख दो और यहा आ जाओ. मेडम का अंदाज मादक था. पर मेरे कानो ने जैसे कुछ सुना ही नही था. मैं एकटक मेडम के बूब्स को ही देख रहा था. मेडम ने मेरे हाथ से ट्रे ले कर टेबल पर रखी और हाथ पकड़ कर बेड पर बैठा दिया..मैं जैसे सपना देख रहा था. मेडम- क्या देख रहे हो. यह सुनकर मुझे झटका सा लगा और मे तुरंत उछल कर खड़ा हो गया. आशु- ज..जी सॉरी मेडम. मेडम- मेरी टाँगो मे बड़ा दर्द हो रहा है. क्या तुम थोड़ा दबा दोगे. आशु-जी मेडम. और मैं मेडम की टांगो के पास बैठ गया. मेडम की गोरी मखमली टाँगो पर एक भी बाल नही था. उनके बदन से भीनी-भीनी महक आ रही थी. मैने एक टांग को हाथो मे लेकर दबाना शुरू किया. तभी मेडम चीख पड़ी- क्या करते हो ? आराम से दबाओ और ये लो थोड़ा आयिल भी लगा दो. मैने वैसे ही हल्के हाथ से मालिश शुरू कर दी. मेडम आँखे बंद करके और घुटने मोड़ कर लेटी रही. मेरी नज़र फिर मेडम के मोटे-मोटे बूब्स पर जा टिकी जो ब्लॅक ब्रा के बाहर झाँक रहे थे. मेरे पूरे शरीर मे चीटिया सी रेंगने लगी थी. पर अबकी बार मैने अपने होश नही खोए. मेडम (बंद आँखे किए हुए)- अब थोड़ा उपर करो. यह सुनकर मेरे हाथ मेडम के घुटनो पर पहुच गये. मेडम (बंद आँखे किए हुए)- थोड़ा और उपर. मैं मेडम के घुटनो से जाँघ की मालिश करने लगा. जब भी मेरे हाथ नीचे से उपर की ओर जाते थे. मेडम साँस रोक लेती थी. मेडम (बंद आँखे किए हुए)- थोड़ा और उपर. आशु- वाहा तो आपकी पॅंटी है, वो तेल से गंदी हो जाएगी. मेडम- तो फिर उसे उतार दो ना. मैने वैसा ही किया. अब मेडम बूब्स के नीचे से पूरी नंगी थी. 2 मिनिट बाद मेडम ने अपनी मुड़े हुए घुटने फैला दिए. जिस जगह पर हमारा लंड होता है वाहा पर मेडम का केवल एक हल्का सा उभार था, जो की बीच से कटा हुआ था. वाहा पर बाल एक भी नही था. मेडम (बंद आँखे किए हुए)- अब ज..जाँघ को करो. मेरे दोनो हाथ मेडम की गोरी चित्ति जाँघो को धीरे से सहला रहे थे. हाथ जब भी मेडम के कटाव के पास पहुचते तो मेडम अपने दाँत भींच लेती. मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था. शायद मेडम बहुत थॅकी हुई थी और मेरी मसाज से उन्हे आराम मिल रहा था. मेडम (आँखे बंद किए हुए ही)- अब मेरी चिड़िया की भी मालिश करो. आशु- मेडम आपकी चिड़िया कहा है ? मेडम- अरे बुद्धू मेरी चूत के उपर जो दाना है वही चिड़िया है. आशु- मेडम ये चूत कहा होती है ? तब मेडम ने अपने दोनो हाथो से अपने कटाव की दोनो फांको को खोल दिया- ये चूत है. फिर अपनी उंगली चूत के उपर के दाने पर लगा कर कहा ये चिड़िया होतो है. अब इसकी मालिश करो. मैं मेडम की दोनो टाँगो के बीच बैठ गया और मेडम की चिड़िया को सहलाने लगा. थोड़ी देर मे ही मेडम की टाँगे मचलने लगी. मेडम-थोड़ा तेज करो.......थोड़ा तेज.........और तेज....तेज. मैं मेडम के कहे अनुसार अपनी रफ़्तार और दबाव बढ़ता गया. मेडम- टाँगो पर तो बड़ा दम दिखा रहे थे. एक चिड़िया को नही मार सकते. थोड़ा तेज हाथ चलाओ ना. यह सुनकर मैने मेडम की चूत को अपने बाए हाथ की 2 उंगलियो से खोला और दाए अंगूठे मे आयिल लगा कर मेडम की चिड़िया को बुरी तरह रगड़ने लगा. अब मेडम बुरी तरह छटपटाने लगी. मुँह से इश्स..हा..स..हा निकल रहा था. टाँगे इधर उधर नाच रही थी. अपने हाथो से मेरे बालो को पकड़ कर मेरे सिर को अपनी चूत की तरफ दबाने लगी. मेडम जितना तेज सिसकती, मेरी बेरहमी उतनी ही बढ़ती जाती. अचानक मेडम के मूह से जोरदार चीख निकली-आआआआआआअहह और चूत से एक जोरदार पिचकारी निकल कर मेरे मूह पर आ पड़ी. मैने सोचा मेडम ने मेरे मूह पर यूरिन कर दिया है. थोड़ा मेरे मूह मे भी चला गया था. उसका स्वाद अजीब सा था पर स्वादिष्ट था. मेरी जीभ अपने आप ही बाहर निकल कर मेरे मूह को चाटने लगी. मेडम ने मेरे अब तक चल रहे हाथो को ज़ोर से पकड़ लिया और बोली- तेरे हाथ तो रैल्गाड़ी की तरह चलते है. तेरी मालिश ने तो मेरी टाँगो की सारी थकान निकाल दी. पर मुझे अनमना देख कर मेडम थोड़ा अटकी और पूछा - क्या हुआ ? आशु- क्या मेडम आप भी ना. अपने मेरे मूह पर ही यूरिन कर दिया. मेडम ज़ोर के खिलखिला उठी- पगले ये यूरिन नही स्त्री-रस होता है. केवल इस रस से ही पुरुषो की प्यास बुझ सकती है. आशु- ओह....हा इसका स्वाद तो बहुत अच्‍छा था. मेडम- मैने तेरी प्यास बुझाई अब तू मेरी भी बुझा. आशु- मेडम मेरे पास तो कोई चूत या चिड़िया नही है. आपकी प्यास कैसे बुझाउ. मेडम फिर खिलखिला उठी. वो उठी और मुझे बेड पर लिटा दिया. मेडम ने मेरी पॅंट उतार दी. मेरे अंडरवेर मे 8 इंच का उभार बना हुआ था. मेडम- अरे तुमने तो यहा एक तंबू भी लगा रखा हा. इस तंबू का बंबू कहा है? मैं शर्म के मारे कुछ नही बोला. मैं जिस बात को सुबह से छिपा रहा था, मेडम सीधे वहीं पहुच गयी थी. मैं बिना हिले दुले पड़ा रहा. अब मेडम ने मेरे अंडरवेर के अंदर हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया. मेडम एक दम सन्न रह गयी. फिर अगले ही पल मेरा अंडरवेर भी उतर गया. मेडम- ये क्या है. पत्थर का इतना मोटा मूसल लगा रखा है. मैने आज तक नही इतना मोटा नही देखा. इसे कौन सा तेल पिलाते हो. मैं चुप ही रहा पर मेरा लंड... मेरा लंड जुंगली शेर की तरह दहाड़े लगा रहा था. मेडम ने अपने कोमल हाथो से मेरे लंड को दोबारा नापा. अंडरवेर के अंदर उनको लंड की इतनी मोटाई का विश्वास नही हुआ था. लंड को हल्का सा सहलाने के बाद उन्होने उसे बीच से कस कर पकड़ लिया और नीचे खिचने लगी. मेडम का मूह मेरे लंड के ठीक उपर था और जीभ लप्लपा रही थी. जैसे -जैसे लंड की काली खाल नीचे जा रही थी एक चिकना-गोरा-बड़ी सी सुपारी जैसा कुछ बाहर निकल आया. आशु- मेडम ये क्या है. मेडम- इसको सूपड़ा कहते है. जैसे मेरी चिड़िया ने तेरी प्यास बुझाई थी वैसे ही मेरी प्यास इस से बुझेगी. यह कहकर मेडम ने मेरे लंड को सूँघा. पता नही कैसी स्मेल थी पर मेडम एक दम मदहोश हो गयी. फिर धीरे से उन्होने अपनी जीब मेरे सूपदे पर फिराई और चाटने लगी. पूरे लंड को उपर से नीचे तक चाटने के बाद, मेडम ने सूपदे के मूह पर अपना मूह लगा दिया. उनका मूह पूरा खुला हुआ था. उन्होने एक हाथ से खाल को नीचे खीचा हुआ था. फिर धीरे-धीरे मेडम मेरे लंड को निगलने लगी. देखते ही देखते लंड का सूपड़ा मेडम के गले तक पहुच गया. अब भी मेरा लंड 2 इंच बाहर था. फिर मेडम ने मेरे लंड की लंबाई-चौड़ाई अपने मूह से नापने के बाद उसे बाहर निकाला. मेडम के मूह मे लार भर गयी थी जो उन्होने लंड पर उगल दी और एक गहरी साँस ली. अब मेरा लंड पूरा भीग गया था. मेडम उसे कुलफी की तरह चूसने लगी. बार बार मेरा लंड उनके मूह से बाहर आता फिर तुरंत अंदर चला जाता. मेडम की तेज़ी बढ़ती जा रही थी. बीच-बीच मे मेडम अपने बाए हाथ मे पकड़ी खाल को भी उपर नीचे कर देती थी. इस सब से मैं भी मदहोश हो रहा था. मैने सोचा ऐसे मेडम की प्यास तो पता नही कैसे बुझेगी, पर मेरी हालत अब काबू से बाहर थी. जो आवाज़े पहले मेडम निकाल रही थी, वैसी ही आवाज़े अब मेरे मूह से अपने आप निकल रही थी. टाँगे फदक रही थी और हाथ मेडम के सिर पर अपने आप पहुच गये थे. पर इस सब से मेडम को कोई फरक नही पड़ा था. पूरे 10 मिनिट तक चूसने के बाद मेडम ने मेरा लंड से मूह उठाया और फिर लंबी साँस ली और बोली- बड़ा स्टॅमिना है तेरे मे. पर मेरा नाम भी दीपिका है, मैं अपनी प्यास बुझा कर ही रहूंगी. अगले ही पल जोरदार चुसाई चालू हो गयी. मेडम को पता नही क्या जुनून था. पर इससे मुझे क्या, मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था. अचनांक पता नही मेरे अंदर से कोई तूफान मेरे लंड की ओर बढ़ता सा लगा. अचनांक बहुत मज़ा सा आने लगा, जो शब्दो मे बताना असंभव है. म्‍म्म्ममममममममममममममममममममह - एक ज़ोर की आवाज़ निकली. पता नही क्या हो रहा था पर मुझे इतना मज़ा इससे पहले कभी नही आया था. मेरा रोम-रोम निहाल हो रहा था. जिस शांति की तलाश मे मेरा लंड अब तक भटक रहा था वो अजीब सी शांति मेरे लंड को मिल रही थी. इधर मेडम ने भी उपर नीचे करके चूसना छोड़ कर अपने होंठ मेरे सूपदे पर कस लिए. वो पूरा ज़ोर लगा कर मेरे लंड को आम की तरह चूसने लगी. 5-7 सेकेंड तक मेरे लंड से कुछ निकलता रहा और मेडम उसे निगलती रही. अच्छी तरह लंड की खाल को उपर तक निचोड़ लेने के बाद ही मेडम ने अपना मूह मेरे लंड से हटाया. मेडम की आँखे बंद थी. पता नही क्या हो रहा था पर मुझे नींद सी आने लगी थी. मेडम ने 1 मिनिट तक चुप रही फिर बाकी का भी निगल गयी. फिर मेडम ने मेरे लंड के सूपदे को चूमा और बोली- क्यो आया मज़ा ? आशु- मेडम क्या आपकी प्यास बुझ गयी. मेडम ने मादक अंगड़ाई लेकर कातिल नज़रो से मुझे देखा और बोली- पता नही बुझी या तूने और भड़का दी. तेरी रस का स्वाद कुछ अलग सा था एक दम ताज़ा. कोई खास बात है क्या ? आशु- मेडम आज से पहले मुझे ऐसा मज़ा कभी नही आया. मुझे तो पता भी नही था की मेरे अंदर भी कोई रस होता है. मेडम- यानी आज तेरा पहली बार का रस निकला है... तभी मैं कहु... मेडम की आँखे चमक उठी और कुछ सोचकर बोली -तू अपना समान सर्वेंट क्वॉर्टर से लाकर बगल वाले रूम मे रख ले ना. अब तू हमारे साथ ही रहेगा, पता नही कब कौन सा काम पड़ जाए. मैं हैरानी से एक टक मेडम को देखता रहा पर कुछ ना बोल सका. मेडम- अच्छा अब तेरी नौकरी भी पक्की और सॅलरी भी डबल. और बोल क्या चाहिए ? आशु- मेडम क्या आप मेरे काम से इतनी खुश है? मेडम- हा. और कुछ मन मे हो तो वो भी माँग ले. आशु- जी कुछ नही चाहिए. मेडम- तू बोल तो सही. आशु- रहने दीजिए...पर मेडम आपकी कॉफी तो ठंडी हो गई. मेडम- तेरा रस पी लिया तो कॉफी कौन पिएगा....चल तुझे एक खेल सिखाती हू...तूने कभी चूत लंड की लड़ाई देखी है... आशु- जी नही, कैसे खेलते है बताइए ना.

क्रमशः..................

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:22

part--2 gataank se aage....................

Isi tarike se kam karoge to jyada din nahi tikoge !- Madam Gusse se boli. Ashu- Madam Sorry..wo Deepa Madam ko kafi uthaya...par wo uth hi nahi rahi. Madam- Ha amir baap ki bigdi huyi aulad jo hai..Mai office ja rahi hu...sham tak ghar saaf milna chahiye. itna kehkar madam bahar nikal gayi. 11 baj chuke the aur pet me chuho ne hungama kar rakha tha. Mai sidhe kitchen me gaya aur khane ki cheej dhundhne laga. Pure kitchen ke dabbe khali the. Aise lag raha tha ki chai-coffee ke alawa yaha kabhi kuch nahi bana. Mai bahar hi nikalne wala tha ki Fridge par najar gayi. Fridge pura malamaal tha. Maine waha se 2 burger uthaye aur oven me dal diye. Phir garma-garam burger aur chilled juice pikar shanti mili. Phir mai sidhe apne kamre par pahucha. kamra saaf karke apna saman set kiya. tabhi gate par knock huyi. Watchman- aur bhai sab theek-thak ho gaya. Ashu- ha yaar. Watchman- apna naam to bata do yaar. Ashu- Ashu. Watchman- Mera Naresh hai. pichle 15 saal se yaha kaam kar raha hu. Ashu- Accha..tumhara baki pariwar kaha hai? Naresh- Sab gaav me hain. Ashu- Accha Naresh bhai ek baat to batao...ye Madam ke saab kaha hai? Naresh- ....mujhse ye nahi pucho to accha hai. aur kuch bhi puch lo. Ashu- Accha koi baat nahi.. par ye madam ki umra to 30 saal se jyada nahi lagti...phir ye 17-18 saal ki beti kaha se paida ho gayi. Naresh- Tum sab puch kar hi manoge. Deepa Madam Deepika Memsaab ki sauteli beti hai. Deepa Madam ke papa ne dusari shaadi ki thi. Ashu- oh to ye baat hai. Mai Deepa Madam ko uthane gaya tha par wo uthi hi nahi ? Naresh- Kisi ko batana nahi use kuch din se Drugs lene ki aadat pad gai hai. Accha Mai gate par chalta hu. koi dikkat ho to intercom par bata dena. Ashu- OK ab mai bhi thoda aaram karunga. Building me dubara pahuchane me 2 baj gaye the. ghar ki safai karne me kab 6 baje pata hi na chala. Tabhi car ke rukne ki awaaj aayi. Madam ne andar aate huye kaha- Deepa kaha hai ? Ashu- Madam mai dubara upar nahi gaya. dekhne jau ? Deepika- Nahi, wo gayi hogi apne dosto ke sath. Mere sir me kafi dard hai. tum ek badhiya si coffee bana kar aadhe ghante bad mere Bed room me le aana. usse pehle naha jarur lena. kitni gande lag rahe ho. Ashu-Ji. aadhe ghante bad mai Coffee lekar Madam ke Bedroom ke bahar khada tha. Knock karne par andar se awaaj aayi, darwaja khula hai.. andar aa jao. Kamre ke andar jate hi ek din me tisri baar mera lund bhadak gaya. Madam ek Skin colour ki net wali nighty pehne bathroom se bahar nikal rahi thi. Nighty ke niche se unki black bra saaf dikayi de rahi thi. Nighty ki lambayi unke hips tak thi aur chati ke paas kewal ek button laga tha. 36D size ke boobs ke ubhar ke karan unki nighty niche se khul gayi thi aur pure pet aur nabhi ke darshan ho rahe the. niche unhone black panty penhni thi. Panty ke niche gori puri tange ekdum nangi thi. Madam- coffee side table par rakh do aur yaha aa jao. Madam ka andaaj madak tha. Par mere kano ne jaise kuch suna hi nahi tha. Mai ektak madam ke boobs ko hi dekh raha tha. Madam ne mere hath se tray le kar table par rakhi aur hath pakad kar bed par baitha diya..mai jaise sapna dekh raha tha. Madam- kya dekh rahe ho. Yeh sunkar mujhe jhatka sa laga aur me turant uchal kar khada ho gaya. Ashu- J..Ji Sorry madam. Madam- meri tango me bada dard ho raha hai. kya tum thoda daba doge. Ashu-Ji Madam. aur mai madam ki tango ke paas baith gaya. Madam ki gori makhmali tango par ek bhi baal nahi tha. unke badan se bhini-bhini mehak aa rahi thi. maine ek tang ko hatho me lekar dabana shuru kiya. tabhi madam cheekh padi- KYA KARTE HO ? aaram se dabao aur ye lo thoda oil bhi laga do. maine waise hi halke hath se malish shuru kar di. Madam aankhe band karke aur ghutne mod kar leti rahi. Meri najar fir madam ke mote-mote boobs par ja tiki jo Black bra ke bahar jhank rahe the. mere pure sharir me cheetia si rengne lagi thi. par abki bar maine apne hosh nahi khoye. Madam (band ankhe kiye huye)- ab thoda upar karo. Yeh sunkar mere hath madam ke ghutno par pahuch gaye. Madam (band ankhe kiye huye)- thoda aur upar. Mai madam ke ghutno se jangh ki malish karne laga. Jab bhi mere hath niche se upar ki aur jate the. madam saans rok leti thi. Madam (band ankhe kiye huye)- thoda aur upar. Ashu- waha to aapki panty hai, wo tel se gandi ho jayegi. Madam- to fir use utar do na. maine waisa hi kiya. ab madam boobs ke niche se puri nangi thi. 2 minute baad madam ne apni mude huye ghutne faila diye. Jis jagah par hamara lund hota hai waha war madam ka kewal ek halka sa ubhar tha, jo ki beech se kata hua tha. Waha par baal ek bhi nahi tha. Madam (band ankhe kiye huye)- ab j..jangh ko karo. Mere dono hath madam ki gori chitti jangho ko dheere se sehla rahe the. hath jab bhi madam ke kataav ke paas pahuchate to madam apne daant bheench leti. Meri samajh me kuch nahi aa raha tha. shayad madam bahut thaki huyi thi aur meri massage se unhe aaram mil raha tha. Madam (ankhe band kiye huye hi)- ab meri chidiya ki bhi malish karo. Ashu- Madam aapki chidiya kaha hai ? Madam- Are buddhu meri chut ke upar jo dana hai wahi chidiya hai. Ashu- Madam ye chut kaha hoti hai ? tab madam ne apne dono hatho se apne kataav ki dono fanko ko khol diya- ye chut hai. fir apni ungli chut ke upar ke dane par laga kar kaha ye chidiya hoto hai. ab iski malish karo. mai mdam ki dono tano ke beech baith gaya aur madam ki chidiya ko sehlane laga. thodi der me hi madam ki tange machalne lagi. Madam-thoda tej karo.......thoda tej.........aur tej....tej. Mai madam ke kahe anusar apni raftar aur dabav badhata gaya. Madam- Tango par to bada dum dikha rahe the. ek chidiya ko nahi maar sakte. thoda tej hath chalao na. Yeh sunkar maine madam ki chut ko apne baye hath ki 2 ungliyo se khola aur daye anguthe me oil laga kar madam ki chidia ko buri tarah ragadne laga. ab madam buri tarah chatpatane lagi. munh se iss..ha..ss..ha nikal raha tha. tange idhar udhar nach rahi thi. apne hatho se mere balo ko pakd kar mere sir ko apni chut ki taraf dabane lagi. madam jitna tej sisakti, meri berehami utni hi badhati jati. Achanak madam ke muh se jordar cheekh nikli-AAAAAAAAAAAAAHHHHHHHHHHHHH aur chut se ek jordar pichkari nikal kar mere muh par aa padi. maine socha madam ne mere muh par urine kar diya hai. thoda mere muh me bhi chala gaya tha. uska swad ajeeb sa tha par swadisht tha. Meri jeebh apne aap hi bahar nikal kar mere muh ko chatne lagi. Madam ne mere ab tak chal rahe hatho ko jor se pakad liya aur boli- tere hath to railgadi ki tarah chalte hai. Teri malish ne to meri tango ki sari thakan nikal di. Par mujhe anmana dekh kar madam thoda ataki aur pucha - kya hua ? Ashu- kya madam aap bhi na. apne mere muh par hi urine kar diya. Madam jor ke khilkhila uthi- pagle ye urine nahi Stri-Ras hota hai. kewal is ras se hi purusho ki pyas bujh sakti hai. Ashu- Oh....ha iska swad to bahut accha tha. Madam- Maine teri pyaas bujhayi ab tu meri bhi bujha. Ashu- Madam mere paas to koi chut ya chidiya nahi hai. Aapki pyas kaise bujhau. Madam fir khilkhila uthi. wo uthi aur mujhe bed par lita diya. Madam ne meri pant utar di. mere underwear me 8 inch ka ubhar bana hua tha. Madam- are tumne to yaha ek tambu bhi laga rakha ha. Is tambu ka bambu kaha hai? Mai sharm ke mare kuch nahi bola. Mai jis baat ko subah se chipa raha tha, madam sidhe wahin pahuch gayi thi. Mai bina hile dule pada raha. ab madam ne mere underwear ke andar hath dal kar mere lund ko pakad liya. Madam ek dum sann reh gayi. fir agle hi pal mera underwear bhi utar gaya. Madam- Ye kya hai. patthar ka itna mota musal laga rakha hai. maine aaj tak nahi itna mota nati dekha. ise kaun sa tel pilate ho. Mai chup hi raha par mera lund... Mera lund jungli sher ki tarah dahade laga raha tha. madam ne apne komal hatho se mere lund ko dobara naapa. Underwear ke andar unko lund ki itni motayi ka vishwas nahi hua tha. lund ko halka sa sahlane ke baad unhone use beech se kas kar pakad liya aur niche khichne lagi. Madam ka muh mere lund ke theek upar tha aur jeebh lalapa rahi thi. jaise -jaise lund ki kali khal niche ja rahi thi ek chikna-gora-badi si supari jaisa kuch bahar nikal aaya. Ashu- Madam ye kya hai. Madam- isko supada kehte hai. jaise meri chidiya ne teri pyas bujhayi this waise hi meri pyas is se bujhegi. Yeh kahkar madam ne mere lund ko sungha. pata nahi kaisi smell thi par madam ek dum madhosh ho gayi. fir dhere se unhone apni jheebh me supade par firayi aur chatne lagi. pure lund ko upar se niche tak chatne ke bad, madam ne supade ke muh par apna muh laga diya. unka muh pura khula hua tha. unhone ek hath se khal ko neeche kheecha hua tha. fir dheere-dheere madam mere lund ko nigalne lagi. dekhte hi dekhte lund ka supada madam ke gale tak pahuch gaya. ab bhi mera lund 2 inch bahar tha. phir madam ne mere lund ki lambayi-chodayi apne muh se napne ke bad use bahar nikala. madam ke muh me laar bhar gayi thi jo unhone lund par ugal di aur ek gehri saans li. ab mera lund pura bheeg gaya tha. madam use kulfi ki tarah chusne lagi. bar bar mera lund unke muh se bahar aata fir turant andar chala jata. madam ki teji badhti ja rahi thi. beech-beech me madam apne baye hath me pakdi khal ko bhi upar neeche kar deti thi. is sab se mai bhi madhosh ho raha tha. maine socha aise madam ki pyas to pata nahi kaise bujhegi, par meri halat ab kabu se bahar thi. jo awaaje pehle madam nikal rahi thi, waisi hi awaje ab mere muh se apne aap nikal rahi thi. tange phadak rahi thi aur hath madam ke sir par apne aap pahuch gaye the. Par is sab se madam ko koi farak nahi pada tha. pure 10 minute tak chusne ke bad madam ne mera lund se muh uthaya aur fir lambi saans li aur boli- bada stamina hai tere me. par mera naam bhi Deepika hai, mai apni pyas bujha kar hi rahungi. agle hi pal jordar chusayi chalu ho gayi. Madam ko pata nahi kya junoon tha. par isse mujhe kya, mai to jannat ki sair kar raha tha. Achanank pata nahi mere andar se koi tufan mere lund ki aur badhta sa laga. achanank bahut maja sa aane laga, jo shabdo me batana asambav hai. mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh - ek jor ki awaaj nikli. pata nahi kya ho raha tha par mujhe itna maja isse pehle kabhi nahi aaya tha. mera rom-rom nihal ho raha tha. jis shanti ki talash me mera lund ab tak bhatak raha tha wo ajeeb si shanti mere lund ko mil rahi thi. idhar madam ne bhi upar niche karke chusna chor kar apne honth mere supade par kas liye. Wo pura jor laga kar mere lund ko aam ki tarah choosane lagi. 5-7 second tak mere lund se kuch nikalta raha aur madam use nigalti rahi. acchi tarah lund ki khal ko upar tak nichod lene ke bad hi madam ne apna muh mere lund se hataya. Madam ki ankhe band thi. pata nahi kya ho raha tha par mujhe neend si aane lagi thi. madam ne 1 minute tak chup rahi fir baki ka bhi nigal gayi. fir madam ne mere laund ke supade ko chuma aur boli- kyo aaya maja ? Ashu- madam Kya aapki pyas bujh gayi. madam ne madak angdayi lekar katil najro se mujhe dekha aur boli- pata nahi bujhi ya tune aur bhadka di. Teri ras ka swad kuch alag sa tha ek dum taaza. koi khas baat hai kya ? Ashu- Madam aaj se pehle mujhe aisa maja kabhi nahi aaya. Mujhe to pata bhi nahi tha ki mere andar bhi koi ras hota hai. Madam- yani aaj tera pehli baar ka ras nikla hai... tabhi mai kahu... Madam ki ankhe chamak uthi aur kuch sochkar boli -tu apna saman servant quarter se lakar bagal wale room me rakh le na. ab tu hamare sath hi rahega, pata nahi kab kaun sa kam pad jaye. mai hairani se ek tak madam ko dekhta raha par kuch na bol saka. Madam- Accha ab teri naukri bhi pakki aur salary bhi double. Aur bol kya chahiye ? Ashu- madam kya aap mere kaam se itni khush hai? Madam- ha. aur kuch man me ho to wo bhi mang le. Ashu- ji kuch nahi chahiye. Madam- Tu bol to sahi. Ashu- rehne dijiye...par Madam aapki Coffee to thandi ho gai. Madam- tera ras pi liya to coffee kaun piyega....chal tujhe ek khel sikhati hu...tune kabhi chut lund ki ladayi dekhi hai... Ashu- ji nahi, kaise khelte hai bataaiye na. kramashah.........

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:23

अंजानी डगर पार्ट--3 गतान्क से आगे.................... मैं बेड पर लेटा हुआ था. मेडम ने मेरे जाँघो के दोनो तरफ घुटने रख लिए और मुझे अपने बाकी कपड़े उतारने को कहा. मेडम की चूत मेरे लंड के ठीक उपर थी. मेरा लंड एवरेस्ट की तरह तना हुआ था. सूपड़ा भी बाहर था. लंड की लंबाई भी 10 इंच लग रही थी. मेडम ने अपने हाथ से लंड को सहलाया. पर जैसे मुझे कुछ महसूस ही नही हुआ. मेडम ने लंड का कसाव चेक किया और बोली- अरे ये तो अब तक सख़्त है. फिर मेडम ने अपनी गीली चूत का मूह मेरे सूपदे पर टीका दिया और लंड से चूत के दाने को रगड़ने लगी. इससे मेडम की चूत से थोडा पानी बाहर आ गया और वो बदहवास होने लगी. उन्होने लंड को हाथ मे पकड़ कर उस पर चूत को टीका दिया. पर मेरी नज़र तो मेडम के 36डी बूब्स पर टिकी थी. अब मूह के होंठो की तरह मेडम की चूत के होठ मेरे लंड को चूमने लगे. मेडम अपनी चूत का दबाव मेरे लंड पर बढ़ाने लगी. मेडम ने सहारे के लिए दोनो हाथ मेरे कंधो के पास बेड पर रख लिए. तभी मैने उनकी नाइटी का बटन खोल दिया और उनके बूब्स ब्रा से झाँकने लगे. मेडम की क्लीवेज की गहराई देखते ही मूह मे पानी आ गया. मैने ठान लिया कि आज इनको पाकर ही दम लूँगा. मैने हिम्मत करके अपने दोनो हाथ मेडम के बूब्स पर रख दिए, पर मेडम का ध्यान तो केवल लंड घुस्वाने पर था. मैं बूब्स को दबाने लगा. पर यहा मामला दूसरा था. मेडम ने पूरा ज़ोर लगा लिया पर लंड था कि घुसा ही नही. मेडम की चूत की चिकनाई से लंड फिसल गया और मेडम की चिड़िया तो कुचल गयी. मेडम सिसक उठी और लंड को फिर सही जगह लगाने के लिए नीचे झुक गयी और उनके मोटे मोटे बूब्स मेरे छाती पर दब गये. मैने मौका अच्छा देखा और मेरे हाथ मेडम की कमर पर पहुच गये. अगले ही पल मेडम की ब्रा की स्ट्रॅप्स खुल गये और जैसे ही मेडम उपर उठी, ब्रा कंधो से फिसलकर नीचे कलाईयो तक पहुच गयी. अब मेडम के मोटे-मोटे बूब्स मेरे मूह के उपर नाच रहे थे. मैने दोनो को पकड़ लिया और दबाने लगा. दोनो खरबूजे सख़्त थे उन पर मेरे हाथो का दबाव बढ़ता गया. थोड़ी ही देर मे मेरे हाथ मेडम के बूब्स को बुरी तरह मसल रहे थे. फिर मैने अपना सिर थोडा उपर किया और बाए बूब का निपल मूह मे दबा लिया. मेडम- आराम से...कही कट ना जाए. मेडम की स्वीकृति पाकर मेरी बाँछे खिल गयी. अब मैने मेडम के दोनो निपल बारी बारी चूसने लगा. मेडम के बूब्स के आगे दीपा के बूब्स कही नही थे. रात दिन जिस चीज़ के ख़यालो मे खोया रहता था वो आज मेरी थी. मुझे जो चाहिए था वो मिल गया था पर मेडम पूरी कोशिश के बाद भी सफल नही पा रही थी. बार बार लंड फिसलकर उनकी चिड़िया को कुचल देता था. उनकी चिड़िया ज़्यादा देर तक ये प्रहार सहन ना कर सकी और चूत ने रस की बौछार कर ही दी. मेरा लंड उनके रस से पूरी तरह भीग गया. 3 मिनिट तक जुगत लगाने के बाद मेडम की हालत पस्त हो चुकी थी. बिल्ली के बिल मे शेर इतनी आसानी से कैसे घुस सकता था. इसके लिए 50 केजी की मेडम बहुत कमजोर थी. अंत मे मेडम मेरे उपर ही धराशायी हो गयी और उनके बूब मेरे मूह पर दब गये... मेडम मेरे आगोश मे पूरी तरह नंगी पड़ी थी. मेरे हाथ उनके संगमरमरी जिस्म को धीरे-धीरे सहला रहे थे. मेरे हाथ बार-बार उनके मोटे-मोटे बूब्स पर पहुच जाते और निपल को छेड़ देते. इससे मेडम चिहुक उठती. मेडम बेहद थॅकी सी लग रही थी पर उनकी आँखो के गुलाबी डोरे उनके मन की हालत बयान कर रहे थे. मैं बेड से उठा और मेडम को खीच कर उनकी चूत अपनी ओर कर ली. मेडम- न..न..नही ये मेरी चूत मे नही घुस पाएगा. मेरी चूत फट जाएगी. आशु- मेडम प्लीज़. बस एक बार. मेडम- थोड़ा आराम कर ले, मैं कही भागी थोड़े ही जा रही हू. आशु- मेडम मेरा लंड अब काबू मे नही है. प्लीज़ आप टाँगे खोल दीजिए ना. मेडम केवल उपर से ही मना कर रही थी. मन मे तो उनके लड्डू फुट रहे थे. मेडम ने अपनी टाँगे खोल कर हवा मे उठा दी. अब उनकी चूत किसी गुलदस्ते की तरह लग रही थी. गोरी चूत के अंदर लाल चिड़िया सॉफ दिखाई दे रही थी. चूत एकदम गीली थी. मेरे लंड का सूपड़ा मेडम के चूत के उपर लहरा रहा था. मेडम ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर चूत के मुहाने पर रख दिया और बोली- मैं कितना भी चिल्लाउ, पर पूरी बेरहमी से चोदना. मैने थोड़ा ज़ोर लगाया तो लंड का सूपड़ा 2 इंच अंदर चला गया. मेडम ने अपने दाँत भीच लिए. फिर मैने और ज़ोर से धक्का लगाया तो लंड थोड़ा और अंदर घुस गया. मेडम दर्द के मारे चीखने लगी- आआआययययययययईईईई...रुक जाओ... अभी और अंदर मत करना... बहुत दर्द हो रहा... मम्मी...आज तो मर जाउन्गि...रुक जा...फॅट जाएगी...आअहह इधर मेरा हाल भी बुरा था. जब मेडम के मूह मे लंड गया था तो सब आराम से हो रहा था. पर यहा तो जैसे पत्थर मे कील ठोकने जैसा था. लंड को जैसे ज़ोर से बाँध दिया हो. अजीब सा नशा छा रहा था. इसी नशे की खुमारी मे अचानक एक ज़ोर का धक्का लग गया. मेडम- आआआआग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...चिर गयी......फॅट गयी.......मार डाला........काट डाला........बाहर निकालो.....मुझसे सहन नही हो रहा....छोड़ दो मुझे.......बाहर निकालो....आआआआआआआअहह. मेडम की हालत देख कर मैं डर सा गया. 2 मिनिट तक बिना हीले रुका रहा. मैने थोड़ा झुक कर मेडम के निपल चूसने लगा. इस से मेडम उत्तेजित होने लगी. मौका अच्छा देख कर मैने फाइनल धक्का मार दिया. अब मेरा लंड 8 इंच अंदर पिछली दीवार से जा टकराया. मेडम की चूत मे तो जैसे किसी ने गरम पिघला लोहा भर दिया हो. उनकी साँसे अटक रही थी और आँखो से आँसू बह रह थे. मेडम बदहवास हो कर इधर-उधर हिल कर लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी. दर्द उनकी सहन शक्ति के बाहर था. मैं शांत रहा. 2 मिनिट बाद धीरे से लंड को बाहर निकालने लगा. पर मेडम ने फिर नीचे खिच लिया. 3-4 बार ऐसे ही किया को मेडम की चीखे सिसकारियो मे बदलने लगी. मुझे भी इस नये खेल मज़ा आने लगा. मेडम बेड पर टाँगे फलाए लेटी थी और मैं अपनी टाँगो पर बेड के साथ खड़ा था. मेडम ने अपने हाथो से चादर पकड़ रखी थी. लंड के अंदर बाहर होने की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. मैने दोनो हाथो से मेडम के विशाल मुम्मे लगाम की तरह पकड़ रखे थे. पथ..पथ की आवाज़े निकल रही थी. लंड और चूत की जोरदार जंग छिड़ी थी. मेडम- इसस्स..हहा...थोड़ा तेज करो ना...आज अपनी मेडम की चूत को फाड़ दो ना...प्लीज़ थोड़ा तेज...और तेज...जो कहोगे वो करूँगी....बहुत मज़ा आ रहा है...मेरे रज्जा..मैं तेरी हू...मेरी चूत तेरी है...तेज...चोद...फाड़..काट दे इसको...इश्स हहाअ. जैसे-जैसे रफ़्तार बढ़ती जा रही थी मेडम बदहवास होती जा रही थी. मेडम की सिसकारियो का वॉल्यूम बढ़ता जा रहा था. मेडम के बेडरूम मे जोरदार चुदाई हो रही थी. दो जवानिया टकरा रही थी. लंड और चूत की जोरदार भिड़ंत हो रही थी. चिल्ड एसी था पर दोनो पसीने से भीगे हुए थे. मेडम की सिसकारिया पूरी बिल्डिंग मे गूँज रही थी. हर 2-3 मिनिट बाद मेडम कुछ ज़्यादा तेज चिल्लाने लगती और उनकी चूत से रस बहने लगता. फिर 20-25 सेकेंड के लिए वो निढाल हो जाती. पर मुझे इस सब से कोई फरक नही पड़ता था. मैं अपने काम मे लगा हुआ था. थोड़ी ही देर मे मेडम फिर मैदान मे आ जाती पर 2-3 मिनिट बाद ही झाड़ जाती. मेडम के 6 बार झड़ने के बाद अब मेरी बारी थी. अचानक मुझे भी बहुत मज़ा सा आने लगा. मैने पूरा ज़ोर लगा कर मेडम की चूत मे अपना लंड एकदम भीतर तक घुसा दिया. 10 सेकेंड तक मेरा लंड अपना रस उगलता रहा और मेडम की चूत मे भरता रहा. मेडम भी मेरे साथ झाड़ गयी. अब जाकर मुझे संतुष्टि मिली थी. मेरा लंड अपने आप छोटा होकर मेडम की चूत से बाहर आने लगा. मेडम का चेहरा खिला हुआ था. मैं मेडम की बगल मे धराशायी हो गया और मेडम मेरे बालो मे उंगलिया फिराने लगी. पूरी रात मैं और मेडम एक दूसरे से लिपट कर सोए रहे. सुबह जब आँख खुली तो मेडम कही जाने के लिए तय्यार हो रही थी. उनका समान भी पॅक रखा था. मेडम- मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रही हू. पीछे से सावधानी से रहना. और ये लो 50000 रुपये, तुम्हारी अड्वान्स तन्खा. तुम चाहो तो इस रूम मे भी रह सकते हो. आशु-जी. मैने मेडम का समान उठाया और ले जाकर कार मे रख दिया. मेडम के जाने के बाद मुझे दीपा का ख्याल आया. मैं सीधा उसके रूम मे पहुच गया. क्रमशः..............

Post Reply