माँ का प्यार

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The Romantic
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Re: माँ का प्यार

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 09:56

अब मैं उसे पटक कर उस पर चढ बैठा और पूरे ज़ोर के साथ उसे चोद डाला झडने के बाद भी मैं अपना लंड उसकी चुनमूनियाँ में घुसेडे हुए उसपर पड़ा पड़ा उसके होंठों को चूमता रहा और उसके शरीर के साथ खेलता रहा अम्मा अब तृप्त हो गई थी पर मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा था माँ ने हँस कर लाड से कहा "तू आदमी है या सांड़?" और फिर झुककर मेरा शिश्न मुँह में लेकर चूसने लगी

पहली बार माँ के कोमल तपते मुँह को अपने लंड पर पाकर मैं ज़्यादा देर नहीं रह पाया और उसके मुँह में ही स्खलित हो गया माँ ने झडते शिश्न को मुँह से निकालने की ज़रा भी कोशिश नहीं की बल्कि पूरा वीर्य पी गयी

दूसरे ही दिन मैं एक सराफ़ के यहाँ से एक मंगल सूत्र ले आया सबसे छुपा कर रखा और साथ ही एक अच्छी रेशम की साड़ी भी ले आया मौका देखकर एक दिन हम पास के दूसरे शहर में शापिंग का बहाना बना कर गये माँ ने वही नयी साड़ी पहनी थी

वहाँ एक छोटे मंदिर में जाकर मैंने पुजारी से कहा कि हमारी शादी कर दे पुजारी को कुछ गैर नहीं लगा क्योंकि अम्मा इतनी सुंदर और जवान लग रही थी कि किसी को यह विश्वास ही नहीं होता कि वह मेरी माँ है माँ शरमा कर मेरे सामने खडी थी जब मैंने हार उसके गले में डाला फिर मैंने अपने नाम का मंगल सूत्र उसे पहना दिया एक अच्छे होटल में खाना खाकर हम घर आ गये

रात को सब सो जाने के बाद अम्मा वही साड़ी पहने मेरे कमरे में आई आज वह दुल्हन जैसी शरमा रही थी मुझसे लिपट कर बोली "राज, आज यह मेरे लिए बड़ी सुहानी रात है, ऐसा प्रेम कर बेटे कि मुझे हमेशा याद रहे आख़िर आज से मैं तेरी पत्नी भी हूँ" मैंने उसके रूप को आँखें भर कर देखते हुए कहा "अम्मा, आज से मैं तुम्हे तुम्हारे नामा से बुलाना चाहता हूँ, कमला अकेले में मैं यही कहूँगा सबके सामने माँ कहूँगा" माँ ने लज्जा से लाल हुए अपने मुखडे को दुलाकर स्वीकृति दे दी

फिर मैं माँ की आँखों में झाँकता हुआ बोला "कमला रानी, आज मैं तुम्हें इतना भोगुँगा कि जैसा एक पति को सुहागरात में करना चाहिए आज मैं तुम्हें अपने बच्चे की माँ बना कर रहूँगा तू फिकर मत कर, अगले माह तक हम दूसरी जगह चले जाएँगे"

अम्मा ने अपना सिर मेरी छाती में छुपाते हुए कहा "ओहा राज, हर पत्नी की यही चाह होती है कि वह अपने पति से गर्भवती हो आज मेरा ठीक बीच का दिन है मेरी कोख तैयार है तेरे बीज के लिए मेरे राजा"

उस रात मैंने अम्मा को मन भर कर भोगा उसके कपड़े धीरे धीरे निकाले और उसके पल पल होते नग्न शरीर को मन भर कर देखा और प्यार किया पहले घंटे भर उसके चुनमूनियाँ के रस का पान किया और फिर उस पर चढ बैठा

उस रात माँ को मैंने चार बार चोदा एक क्षण भी अपना लंड उसकी चुनमूनियाँ से बाहर नहीं निकाला सोने में हमें सुबह के तीन बज गये इतना वीर्य मैंने उसके गर्भ में छोड़ा क़ि उसका गर्भवती होना तय था

उसके बाद मैं इसी ताक में रहता कि कब घर में कोई ना हो और मैं अम्मा पर चढ जाऊ माँ भी हमेशा संभोग की उत्सुक रहती थी पहल हमेशा वही करती थी वह इतनी उत्तेजित रहती थी कि जब भी मैं उसका पेटीकोट उतारता, उसकी चुनमूनियाँ को गीला पाता जब उसने एक दिन चुदते हुए मुझे थोड़ी लजा कर यह बताया कि सिर्फ़ मेरी याद से ही उसकी योनि में से पानी टपकने लगता था, मुझे अपनी जवानी पर बड़ा गर्व महसूस हुआ

कभी कभी हम ऐसे गरम जाते कि सावधानी भी ताक पर रख देते एक दिन जब सब नीचे बैठ कर गप्पें मार रहे थे, मैंने देखा कि अम्मा उपर वाले बाथरूम में गयी मैं भी चुपचाप पीछे हो लिया और दरवाजा खोल कर अंदर चला गया माँ सिटकनी लगाना भूल गयी थी मैं जब अंदर गया तो वह पॉट पर बैठकर मूत रही थी मुझे देखकर उसकी काली आँखें आश्चर्य से फैल गईं

उसके कुछ कहने के पहले ही मैंने उसे उठाया, घुमा कर उसे झुकने को कहा और साड़ी व पेटीकोट उपर करके पीछे से उसकी चुनमूनियाँ में लंड डाल दिया "बेटे कोई आ जाएगा" वह कहती रह गयी पर मैंने उसकी एक ना सुनी और वैसे ही पीछे से उसे चोदने लगा पाँच मिनट में मैं ही झड गया पर वे इतने मीठे पाँच मिनट थे कि घंटे भर के संभोग के बराबर थे

मेरे शक्तिशाली धक्कों से उसका झुका शरीर हिल जाता और उसका लटकता मंगलसूत्र पेम्डुलम जैसा हिलने लगता झड कर मैंने उसके पेटीकोट से ही वीर्य सॉफ किया और हम बाहर आ गये माँ पेटीकोट बदलना चाहती थी पर मैंने मना कर दिया दिन भर मुझे इस विचार से बहुत उत्तेजना हुई कि माँ के पेटीकोट पर मेरा वीर्य लगा है और उसकी चुनमूनियाँ से भी मेरा वीर्य टपक रहा है

क्रमशः…………………


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Re: माँ का प्यार

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 09:57

माँ का प्यार-4

गतान्क से आगे ……………………

हमारा संभोग इसी तरह चलता रहा एक बार दो दिन तक हमें मैथुन का मौका नहीं मिला तो उस रात वासना से व्याकुल होकर आख़िर मैं माँ और बापू के कमरे में धीरे से गया बापू नशे में धुत सो रहे थे और माँ भी वहीं बाजू में सो रही थी

सोते समय उसकी साड़ी उसके वक्षस्थल से हट गयी थी और उसके उन्नत उरोजो का पूरा उभार दिख रहा था साँस के साथ वे उपर नीचे हो रहे थे मैं तो मानों प्यार और चाहत से पागल हो गया माँ को नींद में से उठाया और जब वह घबरा कर उठी तो उसे चुप रहने का इशारा कर के अपने कमरे में आने को कहा कर मैं वापस आ गया

दो मिनट बाद ही वह मेरे कमरे में थी मैं उसके कपड़े उतारने लगा और वह बेचारी तंग हो कर मुझे डाँटने लगी "राज, मैं जानती हूँ की मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और जब भी तुम बुलाओ, आना मेरा कर्तव्य है, पर ऐसी जोखिम मत उठा बेटे, किसी ने देख लिया तो गडबड हो जाएगा"

मैंने अपने मुँह से उसका मुँह बंद कर दिया और साड़ी उतारना छोड़ सिर्फ़ उसे उपर कर के उसके सामने बैठ कर उसकी चुनमूनियाँ चूसने लगा क्षण भर में उसका गुस्सा उतर गया और वह मेरे सिर को अपनी जांघों में जकड कर कराहते हुए अपनी योनि में घुसी मेरी जीभ का आनंद उठाने लगी इसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा कर उसे चोद डाला

मन भर कर चुदने के बाद माँ जब अपने कमरे में वापस जा रही थी तो बहुत खुश थी मुझे बोली "राज, जब भी तू चाहे, ऐसे ही बुला लिया कर मैं आ जाऊन्गि"

अगली रात को तो माँ खुले आम अपना तकिया लेकर मेरे कमरे में आ गयी मैंने पूछा तो हँसते हुए उसने बताया " राज, तेरे बापू को मैंने आज बता दिया कि उनकी शराब की दुर्गंध की वजह से मुझे नींद नहीं आती इसलिए आज से मैं तुम्हारे कमरे में सोया करूंगी उन्हें कोई आपत्ति नहीं है इसलिए मेरे राजा, मेरे लाल, आज से मैं खुले आम तेरे पास सो सकती हू"

मैंने उसे भींच कर उसपर चुंबनो की बरसात करते ऊए कहा "सच अम्मा? आज से तो फिर हम बिलकुल पति पत्नी जैसे एक साथ सो सकेंगे" उस रात के मैथुन में कुछ और ही मधुरता थी क्योंकि माँ को उठ कर वापस जाने की ज़रूरत नहीं थी और मन भर कर आपस में भोगने के बाद हम एक दूसरे की बाँहों में ही सो गये अब सुबह उठ कर मैं माँ को चोद लेता था और फिर ही वह उठ कर नीचे जाती थी

कुछ ही दिन बाद एक रात संभोग के बाद जब माँ मेरी बाँहों में लिपटी पडी थी तब उसने शरमाते हुए मुझे बताया कि वह गर्भवती है मैं खुशी से उछल पड़ा आज माँ का रूप कुछ और ही था लाज से गुलाबी हुए चेहरे पर एक निखार सा आ गया था

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Re: माँ का प्यार

Unread post by The Romantic » 19 Dec 2014 09:57

मुझे खुशी के साथ कुछ चिंता ही हुई दूर कहीं जाकर घर बसाना अब ज़रूरी था साथ ही बापू और भाई बहन के पालन का भी इंतज़ाम करना था

शायद कामदेव की ही मुझपर कृपा हो गयी एक यह कि अचानक बापू एक केस जीत गये जो तीस साल से चल रहा था इतनी बड़ी प्रॉपर्टी आख़िर हमारे नाम हो गयी आधी बेचकर मैंने बैंक में रख दी कि सिर्फ़ ब्याज से ही घर आराम से चलता साथ ही घर की देख भाल को एक विधवा बुआ को बुला लिया इस तरफ से अब मैं निश्चिंत था

दूसरे यह कि मुझे अचानक आसाम में दूर पर एक नौकरी मिली मैंने झट से अपना और माँ का टिकट निकाला और जाने की तारीख तय कर ली माँ ने भी सभी को बता दिया कि वह नहीं सह सकती कि उसका बड़ा बेटा इतनी दूर जाकर अकेला रहे यहाँ तो बुआ थी हीं सबकी देखभाल करने के लिए इस सब बीच माँ का रूप दिन-बा-दिन निखर रहा था ख़ास कर इस भावना से उसके पेट में उसी के बेटे का बीज पल रहा है, माँ बहुत भाव विभोर थी

हम आख़िर आकर नई जगह बस गये यहाँ मैंने सभी को यही बताया कि मैं अपनी पत्नी के साथ हू हमारा संभोग तो अब ऐसा बढ़ा कि रुकता ही नहीं था सुबह उठ कर, फिर काम पर जाने से पहले, दोपहर में खाने पर घर आने के बाद, शाम को लौटकर और फिर रात को जब मौका मिले, मैं बस अम्मा से लिपटा रहता था, उस पर चढा रहता था

माँ की वासना भी शांत ही नहीं होती थी कुछ माह हमने बहुत मज़े लिए फिर आठवें माह से मैंने उसे चोदना बंद कर दिया मैं उसकी चुनमूनियाँ चूस कर उसे झडा देता था और वह भी मेरा लंड चूस देती थी घरवालों को मैंने अपना पता नहीं दिया था, बस कभी कभी फ़ोन पर बात कर लेता था

आख़िर एक दिन माँ को अस्पताल में भरती किया दूसरे ही दिन चाँद सी गुडिया को उसने जन्म दिया माँ तो खुशी से रो रही थी, अपने ही बेटे की बेटी उसने अपनी कोख से जनी थी वह बच्ची मेरी बेटी भी थी और बहन भी माँ ने उसका नाम मेरे नाम पर राज़ी रखा

इस बात को बहुत दिन बीत गये हैं अब तो हम मानों स्वर्ग में हैं माँ के प्रति मेरे प्यार और वासना में ज़रा भी कमी नही हुई है, बल्कि और बढ़ गई है एक उदाहरण यह है कि हमारी बच्ची अब एक साल की हो गयी है और अब माँ का दूध नहीं पीती पर मैं पीता हू माँ के गर्भवती होने का यह सबसे बड़ा लाभ मुझे हुआ है कि अब मैं अपनी माँ का दूध पी सकता हू

इसकी शुरूवात माँ ने राज़ी छह माह की होने के बाद ही की एक दिन जब वह मुझे लिटा कर उपर चढ कर चोद रही थी तो झुककर उसने अपना निपल मेरे मुँह में देकर मुझे दूध पिलाना शुरू कर दिया था उस मीठे अमृत को पाकर मैं बहुत खुश था पर फिर भी माँ को पूछ बैठा कि बच्ची को तो कम नहीं पड़ेगा वह बोली "नहीं मेरे लाल, वह अब धीरे धीरे यह छोड़ देगी पर जब तूने पहली बार मेरे निपल चूसे थे तो मैं यही सोच रही थी कि काश, मेरे इस जवान मस्त बेटे को फिर से पिलाने को मेरे स्तनों में दूध होता आज वह इच्छा पूरी हो गयी"

माँ ने बताया कि अब दो तीन साल भी उसके स्तनों से दूध आता रहेगा बशर्ते मैं उसे लगातार पीऊँ अंधे को चाहिए क्या, दो आँखें, मैं तो दिन में तीन चार बार अम्मा का दूध पी लेता हू ख़ास कर उसे चोदते हुए पीना तो मुझे बहुत अच्छा लगता है

समाप्त

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