hindi sex story long- जेठानी का लंड
Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड
अजय के सामने ही शोभा एक हाथ से मम्मी की 10 इंच के लंड को पम्प कर रही थी और दूसरे से मम्मी के चूचों को निचोड़ रही थीं । चाची के होंठ मम्मी के होंठों से चिपके हुये थे और जीभ शायद कहीं मां के गहरे गले में गोते लगा रही थी । आंख के कोने से अजय ने चाची को मम्मी की लंड मुठियाते देखा तो झटके से चाची की स्तन को थाम लिया । अपना हाथ मम्मी की लंड पर से खींच कर चाची अजय के कानों मे फ़ुसफ़ुसाई “अजय, देखो तुम्हरी मम्मी क्या कर रही हैँ ? जिस्मों की उत्तेजना में कुछ भी स्वीकार कर लेना काफ़ी आसान होता है । हां, अपने बेटे के सामने दीप्ति पूरी तरह से चरित्रहीन साबित हो चुकी थी ।
उसके बेडरूम के बाहर वो सिर्फ़ उसकी मां थीं । वो भी उन दोनों के इस कृत्य का बदला चुकाने को उत्सुक था । पर किससे कहे, दोनों ही उससे उम्र में बड़ी होने के साथ साथ भारतीय पारिवारिक परम्परा के अनुसार सम्मानीय थी । और जब से अपनी मम्मी की रहस्य सामने आई है उसका तो चैन ही उड गया था । मम्मी को मर्द कहा जाए या औरत ! औरत की भी इतनी बडी लंड होती है ? मम्मी की चोदाई व अपनी आँखोँ से देख चुका है , बड़ी बेरहमी चाची की बुर मेँ चोद रही थी । कितनी ताकत थी मम्मी की लंड मेँ । दोनों ही के साथ उसका संबंध पूरी तरह से अवैध था । इसीलिये जब उसकी चाची ने मात्र एक चादर में लिपट कर उसके कमरे में प्रवेश किया और अपने भारी भारी स्तनों को मां के कन्धे से रगड़ना शुरु किया तो वो उन पर से अपनी नज़र ही नहीं हटा पाया । चाची की नाजुक उन्गलियां मम्मी के तने हुये लंड पर थिरक रही थीं तो बदन उसके पूरे शरीर से रगड़ खा रहा था ।
दोनों ही औरतों के बदन से निकला पसीने खुश्बू अजय को पागल किये जा रही थी । दीप्ति ने जब अजय को शोभा के नंगे शरीर पर आंखें गड़ाये देखा तो उन्हें भी अहसास हुआ कि अजय को भरपूर प्यार देने के बाद भी आज तक उसके दिल में अपनी चाची के लिये जगह बनी हुई है । दोनों औरतों के बदन के बीच में शोभा की चूत से निकलता आर्गैज्म का पानी भरपूर चिकनाहट पैदा कर रहा था ।
“देखो अजय” शोभा ने उसकी माँ के फ़ूले लंड पर नजरें जमाये हुए कहा । “कैसा कड़क हो गया है?” मम्मी की लंड को मुट्ठी में भरे भरे ही शोभा चाची धीरे से बोली । मम्मी के गले से आवाज नहीं निकल पाई । उत्तेजना में उन्होनें शोभा चाची के भारी नितम्बों को थाम कर उसे मसलने लगी ताकि फुंकार मारती हुई लंड की किसी से तो रगड़ मिले ।
शोभा ने चेहरा दीप्ति की तरफ़ घुमाया और अपने होंठ दीप्ति के रसीले होंठों पर रख दिये । होंठों को चूसते हुये भी उसने मम्मी के लंड को मुठियाना जारी रखा । नजाकत के साथ दीप्ति के सुपाड़े पर अंगूठा फ़िराने लगी । ” ईईईईई”, दीप्ति सिसक पड़ी । अंगूठे के दबाव से मम्मी की लंड में खून का दौड़ना तेज हो गया । मम्मी की लंड पर चाची की कसती मुट्ठी से मचल सा गया । दीप्ति की तो जान ही निकल गई । हे भगवान । इन सब कामों में शोभा पूरी सावधानी बरत रही थी कि किसी को भी कुछ भी जोर जबरदस्ती जैसा ना लगे । दीप्ति ने नीचे से अपनी चौडी गांड को उछाला शोभा कि मुट्ठी को चोदने का प्रयास किया पर तब तक शोभा ने अपनी मुट्ठी खोल सिर्फ़ सहारा देने के लिये लंड को दो उन्गलियों से पकड़ा हुआ था ।
तभी दीप्ति अजय के लंड पर से उठ खडी हुई और शोभा की बगल में लेट गई । दीप्ति ने कुछ बोलना चाहा पर समझ में नहीं आया कि क्या कहे । दिमाग पूरी तरह दिल से हारा हुआ अजय और शोभा के हाथों की कठपुतली सा बना हुआ था । चाची का इशारा पा अजय चेहरे को आगे खींच कर मम्मी की लंड अपनी खुले मुंह में उतार दिया । दीप्ति ने तुरन्त ही दोनों हाथों से बेटे का चेहरा दबा जानवरों की तरह धक्के लगा शुरु कर दिया । दीप्ति का लंड अजय के गले को अन्दर तक भरा हुआ था । दीप्ति की लंड अब जी भरकर बहना चाहती थी और उसके हाथ शोभा की बुर खोज रहे थे ताकि वापिस उसकी बुर में अपनी लंड डाल सके । पर शोभा तो पहले से ही मां बेटे का सम्पूर्ण मिलन करवाने में व्यस्त थी । एक हाथ की उन्गलियों से दीप्ति के लंड को थामे दूसरे से उसकी भारी गांड को सहला सहला कर जेठानी को और उकसा रही थी । “हां दीदी, शाबास, लंड को वैसे ही चटवाते रहो जैसे हम इससे अपनी चूत चुसवाना चाहते थे । दीप्ति के गालों से गाल रगड़ती हुई शोभा बोली । अजय चौंका । निश्चित ही दोनों औरते उसके ही बारे में बातें कर रही थी ।
उसके बेडरूम के बाहर वो सिर्फ़ उसकी मां थीं । वो भी उन दोनों के इस कृत्य का बदला चुकाने को उत्सुक था । पर किससे कहे, दोनों ही उससे उम्र में बड़ी होने के साथ साथ भारतीय पारिवारिक परम्परा के अनुसार सम्मानीय थी । और जब से अपनी मम्मी की रहस्य सामने आई है उसका तो चैन ही उड गया था । मम्मी को मर्द कहा जाए या औरत ! औरत की भी इतनी बडी लंड होती है ? मम्मी की चोदाई व अपनी आँखोँ से देख चुका है , बड़ी बेरहमी चाची की बुर मेँ चोद रही थी । कितनी ताकत थी मम्मी की लंड मेँ । दोनों ही के साथ उसका संबंध पूरी तरह से अवैध था । इसीलिये जब उसकी चाची ने मात्र एक चादर में लिपट कर उसके कमरे में प्रवेश किया और अपने भारी भारी स्तनों को मां के कन्धे से रगड़ना शुरु किया तो वो उन पर से अपनी नज़र ही नहीं हटा पाया । चाची की नाजुक उन्गलियां मम्मी के तने हुये लंड पर थिरक रही थीं तो बदन उसके पूरे शरीर से रगड़ खा रहा था ।
दोनों ही औरतों के बदन से निकला पसीने खुश्बू अजय को पागल किये जा रही थी । दीप्ति ने जब अजय को शोभा के नंगे शरीर पर आंखें गड़ाये देखा तो उन्हें भी अहसास हुआ कि अजय को भरपूर प्यार देने के बाद भी आज तक उसके दिल में अपनी चाची के लिये जगह बनी हुई है । दोनों औरतों के बदन के बीच में शोभा की चूत से निकलता आर्गैज्म का पानी भरपूर चिकनाहट पैदा कर रहा था ।
“देखो अजय” शोभा ने उसकी माँ के फ़ूले लंड पर नजरें जमाये हुए कहा । “कैसा कड़क हो गया है?” मम्मी की लंड को मुट्ठी में भरे भरे ही शोभा चाची धीरे से बोली । मम्मी के गले से आवाज नहीं निकल पाई । उत्तेजना में उन्होनें शोभा चाची के भारी नितम्बों को थाम कर उसे मसलने लगी ताकि फुंकार मारती हुई लंड की किसी से तो रगड़ मिले ।
शोभा ने चेहरा दीप्ति की तरफ़ घुमाया और अपने होंठ दीप्ति के रसीले होंठों पर रख दिये । होंठों को चूसते हुये भी उसने मम्मी के लंड को मुठियाना जारी रखा । नजाकत के साथ दीप्ति के सुपाड़े पर अंगूठा फ़िराने लगी । ” ईईईईई”, दीप्ति सिसक पड़ी । अंगूठे के दबाव से मम्मी की लंड में खून का दौड़ना तेज हो गया । मम्मी की लंड पर चाची की कसती मुट्ठी से मचल सा गया । दीप्ति की तो जान ही निकल गई । हे भगवान । इन सब कामों में शोभा पूरी सावधानी बरत रही थी कि किसी को भी कुछ भी जोर जबरदस्ती जैसा ना लगे । दीप्ति ने नीचे से अपनी चौडी गांड को उछाला शोभा कि मुट्ठी को चोदने का प्रयास किया पर तब तक शोभा ने अपनी मुट्ठी खोल सिर्फ़ सहारा देने के लिये लंड को दो उन्गलियों से पकड़ा हुआ था ।
तभी दीप्ति अजय के लंड पर से उठ खडी हुई और शोभा की बगल में लेट गई । दीप्ति ने कुछ बोलना चाहा पर समझ में नहीं आया कि क्या कहे । दिमाग पूरी तरह दिल से हारा हुआ अजय और शोभा के हाथों की कठपुतली सा बना हुआ था । चाची का इशारा पा अजय चेहरे को आगे खींच कर मम्मी की लंड अपनी खुले मुंह में उतार दिया । दीप्ति ने तुरन्त ही दोनों हाथों से बेटे का चेहरा दबा जानवरों की तरह धक्के लगा शुरु कर दिया । दीप्ति का लंड अजय के गले को अन्दर तक भरा हुआ था । दीप्ति की लंड अब जी भरकर बहना चाहती थी और उसके हाथ शोभा की बुर खोज रहे थे ताकि वापिस उसकी बुर में अपनी लंड डाल सके । पर शोभा तो पहले से ही मां बेटे का सम्पूर्ण मिलन करवाने में व्यस्त थी । एक हाथ की उन्गलियों से दीप्ति के लंड को थामे दूसरे से उसकी भारी गांड को सहला सहला कर जेठानी को और उकसा रही थी । “हां दीदी, शाबास, लंड को वैसे ही चटवाते रहो जैसे हम इससे अपनी चूत चुसवाना चाहते थे । दीप्ति के गालों से गाल रगड़ती हुई शोभा बोली । अजय चौंका । निश्चित ही दोनों औरते उसके ही बारे में बातें कर रही थी ।
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आंखों के कोनों से दीप्ति ने शोभा के मोटे मोटे चूचों को झूलते देखा । इस स्थिति में भी वो उन दोनों को जी भर के निचोड़ना मसलना चाहती थी । लेकिन अपनी लंड चटवाने स्वाद भी वो छोड़ना नहीं चाहती थी । मन शोभा के लिये कृतज्ञ था कि उसने मां को अपने बेटे के और करीब ला दिया है । अजय जो अपनी आंखों के सामने अपनी जेठानी और अजय की उत्तेजक हरकतें देख रहा था, अब फ़िर से सक्रिय हो उठी । थोड़ा सा उठ कर उसने दोनों हाथों से दीप्ति के उछलते स्तनों को दबोच लिया । शोभा को भी अब खुल कर दोनों मां बेटे के बीच में आना ही पड़ा । दीप्ति के हाथ अपने चूचों पर पड़ते ही शोभा कराह उठी । अन्दर तक सिहर उठी शोभा चाची । मम्मी के खुले सिग्नल से उनकी चूत में चिकने पानी का दरिया बनना चालू हो गया ।
ठीक इसी तरह से अगर अजय मेरी चूत पर भी जीभ फ़िराये तो ? पहली बार तो बस चूम कर रह गया था । आज इसको सब कुछ सिखा दूंगी, यहीं इसकी मां के सामने । और इस तरह से दीप्ति के लिये भी रोज अपनी लंड चुसाई का इन्तजाम हो जायेगा । इन्ही ख्यालों में डूबी हुय़ी शोभा अजय की सीने को छोड़ जेठानी की विशाल गांड को सहलाने लगी । और दीप्ति अधीरतापूर्वक अपने फ़ड़कते लंड को अजय के मुख में पागलों की भांति पेल रही थी । अजय ने हाथ बढ़ा मम्मी के दूसरे निप्पल को मसलना चाहा परन्तु शोभा ने बीच में ही उसका हाथ थाम उसे रोक लिया । क्षण भर के लिये मां बेटे को छोड़ शोभा बिस्तर के सिरहाने पर जा कर बैठ गयी । मम्मी ने चारों तरफ़ नज़र घुमा चाची को देखने का असफ़ल प्रयास किया । अपनी जांघों को अजय की पीठ पर लपेटते हुये दीप्ति बेटे के मुहं को चोदने लगी । माथे पर एक गीले गरम चुम्बन से मम्मी की आंखें खुलीं । शोभा ने उनके पीछे से आकर ये आसन बनाया था । अपने खुले रेशमी बालों को मम्मी के स्तनोँ पर फ़ैला, होठों को खोल कर उसके होठों से भिड़ा दिया ।
शोभा चाची ने जब अपनी थूक सनी जीभ मम्मी के मुख में डाली तो जवाब में मम्मी ने भी लपककर अपनी जुबान को शोभा चाची के गरम मुख में सरका दिया । दोस्तों सम्भोग के समय होने वाली थूक के आदान प्रदान की ये प्रक्रिया बड़ी ही उत्तेजक एवं महत्वपूर्ण होती है । चाची के स्तन मम्मी के सिर पर टिके हुये थे और व उनको अपने मुहं में भरने के लिये उतावला हो रही थी । चाची का मंगलसूत्र उसके गालों से टकराकर ठंडा अहसास दे रहा था और साथ ही साथ उनके शादीशुदा होने की बात भी याद दिला रहा था । शायद इन्हीं विपरीत परिस्थितियों से निकल कर मम्मी भविष्य में जबर्दस्त चुदक्कड़ बन पायेंगी और फ़िर भीषण चुदाई का अनुभव पाने के लिये घर की ही एक भद्र महिला से ज्यादा भरोसेमंद साथी भला कौन मिलेगा ? चाची अब होठों को छोड़ अब मम्मी के उरोजोँ को चूमना लगीं । आगे सरकने से उनके स्तन मम्मी के चेहरे पर आ गये थे । जब मम्मी के होठों ने गदराये चूचों पर निप्पलों को तलाशा तो स्तनों मे अचानक उठी गुदगुदी से शोभा हंस पड़ी । कमरे के अन्दर का वातावरण अब तीनों प्राणियों के लिये काफ़ी सहज हो चला था
अजय अब सारी शर्म त्याग करके पूरी तरह से दोनों औरतों के मस्त बदन को भोगने के लिये तैयार हो चुका था । दीप्ति के दिमाग से भी बन्धन, मर्यादा और लज्जा जैसे विचार गायब हो चुके थे । अब उन्हें भी अपने बेटे के साथ साथ किसी तीसरे प्राणी के साथ प्रणय क्रीड़ा करने में भी कोई संकोच ना था । शोभा चाची की शरारतें भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी । मम्मी के पेट का सहारा ले वो बार बार शरीर ऊपर को उठा अपने चूचों को मम्मी के होठों की पहुंच से दूर कर देतीं । कभी मम्मी की जीभ निप्पलों पर बस फ़िर कर रह जाती तो बिचारे और उत्तेजित हो कर कड़क हो जाते । खुद ही उन दोनों तरसते यौवन कपोतों को जेठानी के मुहं में ठूस देना चाहती थी । और दीप्ति ने यहां भी उसे निराश नहीं किया । चाची की उछल-कूद से परेशान मम्मी ने अजय के सिर को छोड़ कर दोनों हाथों से चाची के झूलते स्तनों को कस कर पकड़ा और दोनों निप्पलों को एक दूसरे से भिड़ा कर एक साथ दातों के बीच में दबा लिया मानों कह रही हो कि अब कहां जाओगी बच कर । शोभा आंखें बन्द करके सर उठाये सिसक सिसक कर मम्मी की करतूतों का मजा ले रही थी । दीप्ति आज उनके साथ दुबारा से सहवास रत थी ।
ठीक इसी तरह से अगर अजय मेरी चूत पर भी जीभ फ़िराये तो ? पहली बार तो बस चूम कर रह गया था । आज इसको सब कुछ सिखा दूंगी, यहीं इसकी मां के सामने । और इस तरह से दीप्ति के लिये भी रोज अपनी लंड चुसाई का इन्तजाम हो जायेगा । इन्ही ख्यालों में डूबी हुय़ी शोभा अजय की सीने को छोड़ जेठानी की विशाल गांड को सहलाने लगी । और दीप्ति अधीरतापूर्वक अपने फ़ड़कते लंड को अजय के मुख में पागलों की भांति पेल रही थी । अजय ने हाथ बढ़ा मम्मी के दूसरे निप्पल को मसलना चाहा परन्तु शोभा ने बीच में ही उसका हाथ थाम उसे रोक लिया । क्षण भर के लिये मां बेटे को छोड़ शोभा बिस्तर के सिरहाने पर जा कर बैठ गयी । मम्मी ने चारों तरफ़ नज़र घुमा चाची को देखने का असफ़ल प्रयास किया । अपनी जांघों को अजय की पीठ पर लपेटते हुये दीप्ति बेटे के मुहं को चोदने लगी । माथे पर एक गीले गरम चुम्बन से मम्मी की आंखें खुलीं । शोभा ने उनके पीछे से आकर ये आसन बनाया था । अपने खुले रेशमी बालों को मम्मी के स्तनोँ पर फ़ैला, होठों को खोल कर उसके होठों से भिड़ा दिया ।
शोभा चाची ने जब अपनी थूक सनी जीभ मम्मी के मुख में डाली तो जवाब में मम्मी ने भी लपककर अपनी जुबान को शोभा चाची के गरम मुख में सरका दिया । दोस्तों सम्भोग के समय होने वाली थूक के आदान प्रदान की ये प्रक्रिया बड़ी ही उत्तेजक एवं महत्वपूर्ण होती है । चाची के स्तन मम्मी के सिर पर टिके हुये थे और व उनको अपने मुहं में भरने के लिये उतावला हो रही थी । चाची का मंगलसूत्र उसके गालों से टकराकर ठंडा अहसास दे रहा था और साथ ही साथ उनके शादीशुदा होने की बात भी याद दिला रहा था । शायद इन्हीं विपरीत परिस्थितियों से निकल कर मम्मी भविष्य में जबर्दस्त चुदक्कड़ बन पायेंगी और फ़िर भीषण चुदाई का अनुभव पाने के लिये घर की ही एक भद्र महिला से ज्यादा भरोसेमंद साथी भला कौन मिलेगा ? चाची अब होठों को छोड़ अब मम्मी के उरोजोँ को चूमना लगीं । आगे सरकने से उनके स्तन मम्मी के चेहरे पर आ गये थे । जब मम्मी के होठों ने गदराये चूचों पर निप्पलों को तलाशा तो स्तनों मे अचानक उठी गुदगुदी से शोभा हंस पड़ी । कमरे के अन्दर का वातावरण अब तीनों प्राणियों के लिये काफ़ी सहज हो चला था
अजय अब सारी शर्म त्याग करके पूरी तरह से दोनों औरतों के मस्त बदन को भोगने के लिये तैयार हो चुका था । दीप्ति के दिमाग से भी बन्धन, मर्यादा और लज्जा जैसे विचार गायब हो चुके थे । अब उन्हें भी अपने बेटे के साथ साथ किसी तीसरे प्राणी के साथ प्रणय क्रीड़ा करने में भी कोई संकोच ना था । शोभा चाची की शरारतें भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी । मम्मी के पेट का सहारा ले वो बार बार शरीर ऊपर को उठा अपने चूचों को मम्मी के होठों की पहुंच से दूर कर देतीं । कभी मम्मी की जीभ निप्पलों पर बस फ़िर कर रह जाती तो बिचारे और उत्तेजित हो कर कड़क हो जाते । खुद ही उन दोनों तरसते यौवन कपोतों को जेठानी के मुहं में ठूस देना चाहती थी । और दीप्ति ने यहां भी उसे निराश नहीं किया । चाची की उछल-कूद से परेशान मम्मी ने अजय के सिर को छोड़ कर दोनों हाथों से चाची के झूलते स्तनों को कस कर पकड़ा और दोनों निप्पलों को एक दूसरे से भिड़ा कर एक साथ दातों के बीच में दबा लिया मानों कह रही हो कि अब कहां जाओगी बच कर । शोभा आंखें बन्द करके सर उठाये सिसक सिसक कर मम्मी की करतूतों का मजा ले रही थी । दीप्ति आज उनके साथ दुबारा से सहवास रत थी ।
Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड
शोभा ने जब आंखें खोली तो दीप्ति को अपनी तरफ़ ही देखते पाया । उसने अजय के मुहं में झटके लगाना बन्द कर दिया था । कमर पर लिपटी उसकी टांगें भी जब खुल कर बिस्तर पा आ गयी थी । जब शोभा ने सिर उठाया तो उसके चेहरे पर छाई वासना और तन्मयता से दीप्ति का दिल टूटने लगा । दोनों ने काफ़ी देर तक एक दूसरे की आंखों मे देखा । अजय उनके निप्पलों पर अपने होंठों से मालिश कर रहा था और इसी वजफ़ से रह रह कर चाची की चूत में बुलबुले उठ रहे थे । अपने प्लान की कामयाबी के लिये शोभा को अब आगे बढ़ना था ।
शोभा ने दीप्ति के सिर के पीछे यन्त्रवत उछलती अपनी कमर को रोका और आगे सरक आई । अजय ने मम्मी के लंड को कस के मुट्ठी में जकड़ लिया और होठों को सिर्फ़ सुपाड़े पर गोल गोल फ़िराने लगा । शोभा ने भी कुहनियों पर खुद को व्यवस्थित करते हुये भारी गांड को जेठानी के चेहरे पर जमा दिया । इस समय शोभा की गीली टपकती चूत दीप्ति के प्यासे होंठों से काफ़ी दूर थी । और मम्मी उत्तेजना में जीभ को घूमा घूमा कर चाची के तर योनि-प्रदेश तक पहुंचने का प्रयास कर रही थी इधर शोभा चाची ने अजय को उसके हाल पर छोड़ अपना ध्यान जेठानी दीप्ति के ऊपर लगा दिया । दीप्ति के चेहरे के पास जा शोभा ने उनके गालों को चूमा । दीप्ति ने भी जवाब में शोभा के दोनों होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में ले लिया । दोनों औरते फ़िर से एक दूसरे में तल्लीन हो गईं । अजय ने सिर उठा कर देखा तो उसकी मां और चाची जैसे किसी दूसरे ही संसार में थी ।
दीप्ति के मुहं में जीभ फ़िराते हुये शोभा अजय की लार का स्वाद महसूस कर सकती थी उधर दीप्ति भी शोभा की जीभ पर खुद उसका, शोभा का और अजय का मिला जुला रस आराम से चाट पा रही थी । आज की रात तीनों ही प्राणी एकाकार हो गये थे । चाची ने दुबारा से मम्मी के खड़े मुस्टंडे लंड के एक तरफ़ अजय के होठों को जमा दूसरी तरफ़ से खुद पूरा मुहं खोल गरमा गरम रॉड को जकड़ लिया । अब इस तरीके से वो दोनों एक दूसरे को किस भी कर सकती थीं और दीप्ति का तन्नाया पुरुषांग भी उनके चार गरम होठों के बीच में आराम से फ़िसल सकता था । मम्मी ने जब ये दृश्य देखा तो मारे जोश के उसने शोभा चाची के दोनों नितम्बों को कस के जकड़ लिया । लेकिन चाची की चूत से बहते झरने को वो अपने प्यासे होठों तक नहीं ला पायी । गांड को नीचे खीचने पर शोभा के होंठ मम्मी के लंड का साथ छोड़ दे देते थे और शोभा चाची ये होने नहीं दे रही थीं । खैर मम्मी ने शोभा की कमर को चूमना चाटना चालू कर दिया । शोभा पूरी तन्मयता से जेठानी के मोटे लंड पर लार टपका उसे होठों से मल रही थी । अजय भी जल्द ही ये कला सीख गई । दोनों दीप्ति के उस कड़कड़ाते पुरुषांग को आइसक्रीम की तरह दोनों तरफ़ से एक साथ चूस रही थीं । बीच-बीच में चाची और अजय के होंठ कभी मिलते तो एक दूसरे को किस करने लगते और यकायक मम्मी की लंड पर दवाब बढ़ जाता । इतनी पूजा करने के बाद तो दीप्ति के लंड में जैसे नया स्वाद ही पैदा हो गया ।
इससे पहले व कभी एक साथ दो लोगोँ से अपनी लंड नहीँ चटवाई थी । या तो ये दूसरी औरत की खूश्बूदार लार है या फ़िर दीप्ति की मूषल लंड से रिसने वाले प्रि-कम जो चुतड के उछलते वक्त बह कर यहां जमा हो गया था । हां, पक्के तौर पर लंड की खाल पर नमकीन स्वाद दीप्ति के पसीने या सुपाड़े से रिसते चिकने पानी का ही था । शोभा के दिमाग में कुछ अलग ही खिचड़ी पक रही थी ।
मम्मी के लंड से होठों को हटा अपने गाल उससे सटा दिये । अजय ने भी चाची की देखा देखी अपने गाल को भी मम्मी के लंड से सटा दिय़ा । दीप्ति की लंड भी इधर उधर झटके खाता हुआ दोनों के ही चेहरों को अपने रस और उनके थूक के मिश्रण से पोतने लगा । इस तरह थोड़ी देर तक तड़पाने के बाद चाची ने मम्मी के लंड को अजय के हवाले कर दिया । अजय ने झट से मम्मी के लंड के फ़ूले हुये गुलाबी सुपाड़े पर होंठों को गोल करके सरका दिया । सुपाड़ा जब उसके गले के भीतरी नरम हिस्से से टकराया और थोड़ा सा गाड़ा तरल भी लन्ड से छूट गया । शायद मम्मी अब ज्यादा देर तक नहीं टिक पायेगा. “शोभा ? तुम किधर जा रही हो?”, दीप्ति जल्दी ही झड़ने वाली थी और व ये पल उसके साथ बांटना चाहती थी । “आपके और अपने लिये इसको कुछ सिखाना बाकी है..” शोभा ने जवाब दिया । चाची का पूरा चेहरा भीग गया था । वो चिकना मिश्रण उनके गालों से बह कर गर्दन से होता हुआ दोनों चूचों के बीच में समा रहा था । चूत अब पानी से भरकर लबलबा रही थी । उसका छूटना जरुरी था । दीप्ति को आज बल्कि अभी इसी वक्त उनकी चूत को चाटना होगा तब तक जब तक की उन्हें आर्गेज्म नहीं आ जाता ।
शोभा ने दीप्ति के सिर के पीछे यन्त्रवत उछलती अपनी कमर को रोका और आगे सरक आई । अजय ने मम्मी के लंड को कस के मुट्ठी में जकड़ लिया और होठों को सिर्फ़ सुपाड़े पर गोल गोल फ़िराने लगा । शोभा ने भी कुहनियों पर खुद को व्यवस्थित करते हुये भारी गांड को जेठानी के चेहरे पर जमा दिया । इस समय शोभा की गीली टपकती चूत दीप्ति के प्यासे होंठों से काफ़ी दूर थी । और मम्मी उत्तेजना में जीभ को घूमा घूमा कर चाची के तर योनि-प्रदेश तक पहुंचने का प्रयास कर रही थी इधर शोभा चाची ने अजय को उसके हाल पर छोड़ अपना ध्यान जेठानी दीप्ति के ऊपर लगा दिया । दीप्ति के चेहरे के पास जा शोभा ने उनके गालों को चूमा । दीप्ति ने भी जवाब में शोभा के दोनों होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में ले लिया । दोनों औरते फ़िर से एक दूसरे में तल्लीन हो गईं । अजय ने सिर उठा कर देखा तो उसकी मां और चाची जैसे किसी दूसरे ही संसार में थी ।
दीप्ति के मुहं में जीभ फ़िराते हुये शोभा अजय की लार का स्वाद महसूस कर सकती थी उधर दीप्ति भी शोभा की जीभ पर खुद उसका, शोभा का और अजय का मिला जुला रस आराम से चाट पा रही थी । आज की रात तीनों ही प्राणी एकाकार हो गये थे । चाची ने दुबारा से मम्मी के खड़े मुस्टंडे लंड के एक तरफ़ अजय के होठों को जमा दूसरी तरफ़ से खुद पूरा मुहं खोल गरमा गरम रॉड को जकड़ लिया । अब इस तरीके से वो दोनों एक दूसरे को किस भी कर सकती थीं और दीप्ति का तन्नाया पुरुषांग भी उनके चार गरम होठों के बीच में आराम से फ़िसल सकता था । मम्मी ने जब ये दृश्य देखा तो मारे जोश के उसने शोभा चाची के दोनों नितम्बों को कस के जकड़ लिया । लेकिन चाची की चूत से बहते झरने को वो अपने प्यासे होठों तक नहीं ला पायी । गांड को नीचे खीचने पर शोभा के होंठ मम्मी के लंड का साथ छोड़ दे देते थे और शोभा चाची ये होने नहीं दे रही थीं । खैर मम्मी ने शोभा की कमर को चूमना चाटना चालू कर दिया । शोभा पूरी तन्मयता से जेठानी के मोटे लंड पर लार टपका उसे होठों से मल रही थी । अजय भी जल्द ही ये कला सीख गई । दोनों दीप्ति के उस कड़कड़ाते पुरुषांग को आइसक्रीम की तरह दोनों तरफ़ से एक साथ चूस रही थीं । बीच-बीच में चाची और अजय के होंठ कभी मिलते तो एक दूसरे को किस करने लगते और यकायक मम्मी की लंड पर दवाब बढ़ जाता । इतनी पूजा करने के बाद तो दीप्ति के लंड में जैसे नया स्वाद ही पैदा हो गया ।
इससे पहले व कभी एक साथ दो लोगोँ से अपनी लंड नहीँ चटवाई थी । या तो ये दूसरी औरत की खूश्बूदार लार है या फ़िर दीप्ति की मूषल लंड से रिसने वाले प्रि-कम जो चुतड के उछलते वक्त बह कर यहां जमा हो गया था । हां, पक्के तौर पर लंड की खाल पर नमकीन स्वाद दीप्ति के पसीने या सुपाड़े से रिसते चिकने पानी का ही था । शोभा के दिमाग में कुछ अलग ही खिचड़ी पक रही थी ।
मम्मी के लंड से होठों को हटा अपने गाल उससे सटा दिये । अजय ने भी चाची की देखा देखी अपने गाल को भी मम्मी के लंड से सटा दिय़ा । दीप्ति की लंड भी इधर उधर झटके खाता हुआ दोनों के ही चेहरों को अपने रस और उनके थूक के मिश्रण से पोतने लगा । इस तरह थोड़ी देर तक तड़पाने के बाद चाची ने मम्मी के लंड को अजय के हवाले कर दिया । अजय ने झट से मम्मी के लंड के फ़ूले हुये गुलाबी सुपाड़े पर होंठों को गोल करके सरका दिया । सुपाड़ा जब उसके गले के भीतरी नरम हिस्से से टकराया और थोड़ा सा गाड़ा तरल भी लन्ड से छूट गया । शायद मम्मी अब ज्यादा देर तक नहीं टिक पायेगा. “शोभा ? तुम किधर जा रही हो?”, दीप्ति जल्दी ही झड़ने वाली थी और व ये पल उसके साथ बांटना चाहती थी । “आपके और अपने लिये इसको कुछ सिखाना बाकी है..” शोभा ने जवाब दिया । चाची का पूरा चेहरा भीग गया था । वो चिकना मिश्रण उनके गालों से बह कर गर्दन से होता हुआ दोनों चूचों के बीच में समा रहा था । चूत अब पानी से भरकर लबलबा रही थी । उसका छूटना जरुरी था । दीप्ति को आज बल्कि अभी इसी वक्त उनकी चूत को चाटना होगा तब तक जब तक की उन्हें आर्गेज्म नहीं आ जाता ।