hindi sex story long- जेठानी का लंड

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
jasmeet
Silver Member
Posts: 593
Joined: 15 Jun 2016 21:01

Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड

Unread post by jasmeet » 18 Jun 2016 20:26

रात को जब थोड़ी देर के लिये दीप्ति की आंख भी लग गयी । अचानक अजय के कमरे से कुछ आवाज आयी तो वो जाग गयी, धीरे से वो कमरे के अन्दर दाखिल हुयी और अजय के बिस्तर के पास पहुँच गयी । आंखें जअब अन्धेरे की अभ्यस्त हुयीं तो देखा कि अजय चादर के अन्दर हाथ डाले किसी चीज को ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था । अजय, कमरे में अपनी मां कि मौजूदगी से अनभिज्ञ मुट्ठ मारने में व्यस्त था । शायद अजय कल की रात को अपनी माँ और चाची के करतुत को सपनों में ही दुहरा रहा था । “आह, चाचीईईई” अजय की कराह सुनकर दीप्ति को कोई शक नहीं रह गया कि अजय उसकी सच्चाई जान चुका था । शोभा और अपने के लिये उनका मन घृणा से भर उठा ।

आखिर क्यूं हो गया ऐसा ? आज उनका लाड़ला ठीक उनके ही सामने कैसा तड़प रहा है । और वो भी उस शोभा का नाम ले कर, नहीं । अजय को और तड़पने की जरुरत नहीं है । उसकी मां है यहां पर उसकी हर ज़रुरत को पूरा करने के लिये । अजय के लिये उनके निर्लोभ प्रेम और इस कृत्य के बाद में होने वाले असर ने क्षण भर के लिये दीप्ति को रोक लिया । अगर उनके पति अजय के पिता को कुछ भी पता चल गया तो ? कहीं अजय ये सोचकर की उसकी मां एक सामान्य औरत नहीँ है उन्हें नकार दे तो ? तो, तो, तो? बाकी सब की उसे इतनी चिन्ता नहीं थी । और अपने पति को वो सब कुछ खुद ही बता कर समझा सकती थी कि अजय की जरुरतों को पूरा करना कितना आवश्यक था । नहीं तो जवान लड़का किसी भी बाजारु औरत या मर्द के साथ आवारागर्दी करते हुये खुद को किसी भी बिमारी और परेशानी में डाल सकता था । पता नही कब, लेकिन दीप्ति चलती हुई सीधे अजय की तरफ़ बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गईं । अजय ने भी एक साये को भांप लिया । तुरन्त ही समझ गया की ये शख्स कोई औरत ही है और मम्मी ही होगी । पिछले रात की द्रुश्य मन मेँ आते ही अपने लन्ड पर उसकी पकड़ मजबूत हो गयी । बचपन से देखती आई उसकी ममतामयी मम्मी बाकी औरतोँ से कितनी भिन्न है, उनकी गठीले औरत की बदन पर ईतना बडा पुरुषत्व ! मम्मी को औरत नाम दिया जाए या मर्द । कितना लम्बा और मोटा था मम्मी का लंड और क्या चोदाई कर रही थी चाची की बुर मेँ ! किसी hardcore porn फिल्म से कम नहीँ । कितना परेशान था सवेरे से । दसियों बार मुत्ठ मार मार कर टट्टें खाली कर चुका था । लेकिन अब मम्मी उसके पास थी । और वो ही उसको सही तरीके से शान्त कर पायेंगी ।

दीप्ति कांपते कदमों से अजय कि तरफ़ बढ़ी । सही और गलत का द्वंद्ध अभी तक उसके दिमाग में चल रहा था । डर था कि कहीं अजय उससे नफ़रत ना करने लगे । तो वो क्या करेगी ? कहीं वो खुद ही अपने आप से नफ़रत ना करने लगे । इन सारे शकों के बावजूद व अजय को धीरे से पुकारा

“अजय बेटा तुम अभी तक सोए नहीँ ।” दीप्ति बेटे से पुछी । अजय ने मम्मी की बात का कोई जवाब नहीँ दिया । अजय को चुप देख दीप्ति दोबारा पुछी- “तुम अभी तक जाग रहे हो बेटा । ”

“ये सब क्या है मम्मी, मेरा तो कुछ समझ नहीँ आ रहा है पागल हो जाउंगा ।” अजय गुस्से से बोला ।

दीप्ति को झटका लगा । कैसे बेटे को समझाए । लेकिन व आज सारी बात का खुलासा करेगी । यही सोचते हुए दीप्ति बोली-“बेटा, मैँ तुम्हारी माँ ही हुं, पर मेरे शरीर मेँ बदकिस्मत से पुरुषोँ की निशानी आ चुकी है । पर बेटा मैँ तुम्हेँ अब भी उतना ही प्यार करती हुं जितना पहले करती थी ।” कहने के साथ दीप्ति की आंखोँ से आंसु टपक पडे ।
मम्मी की आंखोँ मेँ पछतावे के आंसु देख अजय का गुस्सा एकदम ठंडा पठ गया । मम्मी की एक हाथ को हाथ मेँ लिए बोला-“सॉरी मम्मी, मुझे ये सब बातेँ मालुम नहीँ था, व तो आपको चाची के साथ देखा और बस…..।”
दीप्ति आंखोँ मेँ आए आंसु पोछा और चेहरे पर मुस्कराहट लाती हुई बोली- “सॉरी बेटा, मुझे इस तरह हॉल मेँ तुम्हारे चाची के साथ नहीँ करना चाहिए था । पर बेटा न चाहते हुए भी मुझे इस पुरुषांग को अपनी नारी शरीर मेँ अपनाना पडा ।”

“नहीँ मम्मी, अब मुझे आपसे कोई शिकायत नहीँ । पर क्या आपको ऐसी ही रहनी पडेगी ।”

User avatar
jasmeet
Silver Member
Posts: 593
Joined: 15 Jun 2016 21:01

Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड

Unread post by jasmeet » 18 Jun 2016 20:27

“अब मेरी इस बदलाव के कारण मेरी शरीर की जरुरतेँ भी बदल गई । और शरीर की मांग को पुरा करने के लिए ही मैँने तुम्हारी चाची के साथ हो गई । मजबुरी मेँ मुझे अब इसी पुरुषत्व को अपना कर जिन्दगी गुजारनी होगी । ऐसा नहीँ करती तो बेटा मैँ आज तुम्हारी मम्मी नहीँ रहती बल्की एक मर्द बन गई होती ।” दीप्ति ने बातेँ खतम की । मम्मी की बातेँ सुनकर अब अजय का मन साफ हो चुका था । व माँ के गोद मेँ सर रखते हुए बोला-“मैँ आपके साथ हुं मम्मी, आप मेरी प्यारी मम्मी हो ।”

“क्या आप इसी शरीर के साथ पूरी उम्र बिताऐंगी? अचानक आपकी शरीर मेँ ये बदलाव कैसे आया ।” अजय ने पुछा ।

अपने बेटे के सवाल का जवाब देती हुई दीप्ति बोली-
“बेटा, मैँ तो पूरी तरह से मर्द बनने जा रही थी । पर सामाजिक नियमोँ का उलंघन करके मैँ पुरुष बनना नहीँ चाहती थी । इसिलीए हमने डॉक्टरोँ के सलाह लिए और मेरी बदलती शरीर को रोक लिया । पुरे शरीर पहले जैसा स्त्री का ही रहा लेकिन मेरे शरीर मेँ लंड और अंडकोष बढ चुका था । इसे हटाना बहुत मुस्किल काम था । जब डॉक्टरोँ ने बताया की मैँ इसी के साथ भी खुशी से जी सकती हुं तो तुम्हारे पिताजी और मैँ खुशी-खुशी इसे ग्रहण किया । जो तुमने कल देखा वही सच है । अब मैँ भी इस सच को मानसिक तौर से अपना लिया है ।” दीप्ति आँसूओँ को पोछती हुई बोली ।

“लेकिन अब मैं आ गयी हूँ, तुम्हें मुठ मारने की कोई जरुरत नहीं ।” कहने के साथ ही मम्मी ने चादर के अन्दर हाथ डाल कर लन्ड के ऊपर जमे अजय के हाथों को अपने दोनो हाथों से ढक लिया । अब जैसे जैसे मम्मी लन्ड पर हाथ ऊपर नीचे करती अजय का हाथ भी खुद बा खुद उपर नीचे होता. “मम्मी” अजय ने फ़ुसफ़ुसाया । अपना हाथ लन्ड से अलग कर अजय उठ खडा हुआ और अपनी मम्मी को बिस्तर पर लिटा दिया । मम्मी की साडी को पेटीकोट समेत कमर के उपर तक सरका दिया और अपनी माँ के 8 इंच के मुरझा पडा लंड को मुठ्ठी मेँ भर लिया । दीप्ति ने अपनी बेटे के हाथों को पूरी आजादी दे दी उस शानदार खिलौने से खेलने की । अपने सपनों की मलिका को पास पाकर अजय का लन्ड भी फुल गया । अजय ने मम्मी के लन्ड पर उन्गलियां फ़िराईं तो उसकी नसों में बहता गरम खून साफ़ महसूस हुआ । आंखे बन्द करके पूरे ध्यान से मम्मी की उस महान औजार को दोनो हाथों से मसलने लगा । मम्मी की ये लन्ड इतना कठोर, इतना तगड़ा, इससे पहले अपनी जिन्दगी में उसने कभी औरत की ऐसे लन्ड को हाथ में नहीं लिया था ।

याद नहीं अजय के जन्म के बाद क्या दवा खाया था कि आज उसकी औरत के बदन पे ये लन्ड उग अया जो अपने पति, बेटे के लंड से भी कहीं आगे था । अपने ही ख्यालों में डूबी हुई उस मां को ये भी याद नहीं रहा कि कब अजय की मुट्ठी ने उसकी लंड को कसके दबाकर जोर जोर से दुहना चालू कर दिया । लन्ड की मखमली खाल खीचने से दीप्ति दर्द से कराह उठी । हाथ बढ़ा कर दीप्ति ने बेटे की अनियंत्रित कलाई को थामी । अजय ने दूसरे हाथ से अपनी मम्मी की चुचियोँ को सहलाया । खुद को घुटनों के बल बिस्तर के पास ही स्थापित करती हुई अजय ने
मम्मी की लन्ड को मुठियाना चालू रखा और आनन्द देने के काम में लग गया । “हाँ आआआआहहहह” । शरीर पर दौड़ती जादुई उन्गलियों का असर था ये, और ज्यादा आनन्द की चाह में दीप्ति बेकरारी में अपनी कमर हिलाने लगी ।

तुरन्त ही झुकते हुये अजय ने पूरा मुहं खोला और मम्मी की तन्नाये लंड को निगल लिया । उसके होंठ मम्मी की लंड के निचले हिस्से पर जमे हुये थे । दीप्ति के हाथ अजय के कन्धों पर जम कर उसे अपने पास खीचने लगे । अन्धेरी रात में अजय भी उस मादा शरीर को अपने पूरे बदन पर महसूस करना चाहता था । लेकिन उसकी मम्मी ने तो पूरे कपड़े पहने हुये है । दीप्ति की उत्तेजना अपने चरम पर थी । उधर अजय ने भी शरीर को थोड़ा और झुकाते हुए मम्मी की खड़ी लंड तक पहुंचने की चेष्टा की । जो शोभा ने किया वो वह भी कर सकता है । तो क्या हुआ अगर लंड चूसने का उसका अनुभव जीरो है, भावनायें तो प्रबल हैं ना । एक बार के लिये उसे ये सब लार का समुन्दर सा बह रहा था । आखिर पहली बार कोई औरत की लंड गलत लगा किन्तु अपने ही मम्मी के साथ सैक्स करने से ज्यादा गलत भला क्या होता ।

User avatar
jasmeet
Silver Member
Posts: 593
Joined: 15 Jun 2016 21:01

Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड

Unread post by jasmeet » 18 Jun 2016 20:27

मन थोड़ा अजीब सा हो रहा था लेकिन फ़िर उसकी लंड का ख्याल आते ही नया जोश भर गया । अगर उसने आज मम्मी की लंड नहीं चूसा तो वह कल फ़िर से इस आनन्द को पाने के लिये शोभा के पास जा सकती है । अजय अब अपनी माँ का चेहरा देखना चाहता था वही चेहरा जो किसी देवी की मूर्ति की तरह चमक रहा था । हाथ बढ़ाकर बिस्तर के पास की लैम्प जलाई तो लम्बे बालों मे ढका चेहरा आज कुछ बदला हुआ लगा । दीप्ति ने अपना चेहरा अजय की तरफ़ घुमायी । दीप्ति समझ गईं अभी नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति आ खड़ी हुई है । अगर उन्होनें वासना और अनुभव का सहारा नहीं लिया तो इस मानसिक बाधा को पार नहीं कर पायेंगी और फ़िर अजय भी कभी उनका नहीं हो पायेगा । अपनी लंड चुसवाते हुए भी दीप्ति के दिल में सिर्फ़ एक ही जज्बा था कि वो अजय को सैक्स के चरम पर अपने साथ ले जायेगी जहां व सब कुछ भूल कर बस लडके को चोदेगी । दो मिनट पहले के मानसिक आघात के बाद दीप्ति का लंड थोड़ा नरम पड़ गया था वो फ़िर से अपने शबाब पर लौट आया । मां के लम्बे बाल अलग ही रेशमी अहसास पैदा कर रहे थे ।

पिछली रात से बहुत ज्यादा अलग ना सही लेकीन काफ़ी मजेदार था ये सब । दीप्ति ने भी अब सब कुछ सोचना छोड़ कर बेटे के सिर को हाथों से थाम लिया और फ़िर अपनी भारी नितम्ब उछालती हुई बेटे के मुहं को चोदने लगी । दीप्ति का नियंत्रण खत्म हो गया । वो अभी झड़ना नहीं चाहती थी परन्तु जोश, वो गर्मी और मुहं से आती गोंगों की आवाजों से आपा खो कर उसकी वीर्य बह निकली.”उई मां” दीप्ति सीत्कारी । अजय सब समझ गया । मम्मी छूटने वाली थी । उसकी लंड की नसों मे बहते वीर्य का आभास पाकर अजय ने अपना मुहं हटाय़ा और मुट्ठी में जकड़ कर मम्मी की लंड को पम्प करने लगा ।
अजय का लंड भी फुंकर मारने लगा था । ये देखते हुए दीप्ति अपनी लंड से अजय का हटा दिया और अपनी लंड को अजय के लंड से भिडा दी । मम्मी अब दोनोँ के लंड को अपनी मुठ्ठी मेँ पकड ली और एकसाथ दोनोँ लंड को मुठियाने लगी । अजय माँ की चिकनी लंड का घर्षण अपने लंड पर महसूस कर रहा था ।
“मेरा निकलने वाला है मम्मी ।” अजय बोला ।
“थोडा रुक जाओ बेटा एकसाथ ऑर्गाजम करते हैँ ।” शोभा हाँफती हुई बोली ।
“OK माँ ।” अजय राजी हो गया । दीप्ति दोनोँ के लंड मुठियाना चालु रखा । उसकी हाथ तेजी से चलने लगी । मम्मी की भारी नितम्ब बिस्तर पर उछलने लगा था । अजय अपनी दोनोँ हाथ से माँ के कंधा पकड के रखा था । दोनोँ के लंड फुल गए थे और सुपाडेँ एकदम लाल हो चुके थे ।
“मम्मी…मैँ…अब रहा नहीँ जाता ।” अजय दर्द मेँ कराह उठा ।
“बस एक और सेकॉन्ड रुक जाओ बेटा ।” दीप्ति उत्तेजना मेँ कांपती हुई बोली ।
फिर दीप्ति दोनोँ के लंड को मजबुती से पकडती हुई एक पिस्टन के भांति अपनी हाथ उपर-निचे करने लगी । दोनोँ के नंगे शरीर उत्तेजना के मारे कांप रहे थे, धडकनेँ बढ चुकी थी । तभी मम्मी की आवाज सुनते ही अजय का धर्य का बांध टुट गया और उसके लंड से विर्य की धार निकल पडी और दीप्ति भी कराह उठी मानो रो पडेगी, आआआई….ईईई… के साथ ही दीप्ति ने जोर से गांड उछाली और एक पिचकारी के साथ मम्मी की गुलाबी सुपाड़े में से वीर्य की धार छूट कर सीधे अजय के पेट पर पड़ी । दीप्ति ने दोनो आंखें बन्द कर लीं । दीप्ति की हाथ दोनों के वीर्य से सना हुआ था । अभी तक झटके लेती हुई अपनी लंड के साथ अजय के लंड को भी दीप्ति ने निचोड़ निचोड़ कर खाली कर दिया । मां के हाथ और पेटीकोट उसकी वीर्य से सने हुये थे । दीप्ति ने अजय की जांघों पर सिमटी पड़ी चादर से अपनी लंड रगड़ कर साफ़ की । अजय ने बिस्तर पर एक तरफ़ हटते हुये अपनी मां के लिये जगह बना ली । दीप्ति भी अजय के पास ही बिस्तर पर लेट गयी । खुद को इस तरह से व्यवस्थित किया की अजय का चेहरा ठीक उनके स्तनों के सामने हो और लंड उसके हाथ में । ब्लाउज के सारे बटन खोल कर दीप्ति ने उसे अपने बदन से आज़ादी दे दी ।

अजय की आंखों के सामने मां की नन्गी जवानी बिखरी पड़ी थी । जबसे सैक्स शब्द का मतलब समझने लगा था उसकी मां ने कभी भी उसे अपने इस रूप का दर्शन नहीं दिया था । अजय का सिर पकड़ दीप्ति ने उसे अपने चूंचों मे छिपा लिया । अजय थोड़ा सा कुनमुनाया. “श्श्श्श”. “मेरे बच्चे, तेरे लिये तेरी मां ही सब कुछ है । अजय के होठों ने अपने आप ही मां के निप्पलों को ढूंढ लिया । जीवन में पहली बार ना सही लेकिन इस समय अपनी मां के शरीर से अपनी भूख मिटाने का ये अनोखा ही तरीका था । मां के दोनों निप्पल बुरी तरह से तने हुये थे । शायद बहुत उत्तेजित थी । अपने बेटे के लिये उसकी मां ने अपने आनन्द की परवाह भी ना की । अजय का मन दीप्ति के लिये प्यार और सम्मान से भर गया । मां बेटे एक दूसरे से बेल की तरह लपटे पड़े थे । अजय का एक पावं दीप्ति की कमर को जकड़े था तो हाथ और होंठ मां के सख्त हुये उरोजोँ पर मालिश कर रहे थे । दीप्ति की लंड में भी धीरे धीरे जान लौटने लगी । पर दिन भर का थका अजय जल्दी ही अपनी ममतामयी मां के आगोश में सो गया । दीप्ति थोड़ी सी हताश तो थी किन्तु अजय की जरुरतों को खुद से पहले पूरा करना उनकी आदत में था । खुद की टांगों के बीच में आग ही लगी थी पर अजय को जन्मजात अवस्था में खुद से लिपटा कर सोना उसे सुख दे रहा था । थोङी देर में दीप्ति भी नींद के आगोश में समा गयी । जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वो तो एक बड़े खेल की शुरुआत भर था । एक ऐसा खेल जो इस घर में अब हर रात खेला जाने वाला था ।

Post Reply