hindi sex story long- जेठानी का लंड
hindi sex story long- जेठानी का लंड
मुम्बई के बडे शहर मेँ दीप्ति अपने पति गोपाल और एकमात्र 19 साल का बेटा अजय के साथ रहती थी । बडा खुशहाल परिवार था उसका । गोपाल का छोटा भाई कुमार अपनी पत्नी के साथ बाहर रहता था । एक दिन शोभा और कुमार अपने बडे भाई गोपाल और दीप्ति के घर पर आये हुये थे । उस वक्त सब लोग एक हत्या की कहानी पर आधारित जो इस फिल्म देख रहे थे । आम मसाला फिल्म की तरह इस फिल्म में भी कुछ कामुक दृश्य थें । एक आवेशपूर्ण और गहन प्यार दृश्य आते ही अजय कमरें को छोड़ कर जा चुका था । गोपाल और दीप्ति दृश्य के आते ही और लड़के के कमरा छोड़ने के कारण जम से गये थे ।
घर के ऊपर और सब सोने के कमरें थे और और शाम को जब से ये लोग आये थे, कोई भी ऊपर नहीं गया था । नौकर सामान लेकर आया था और गोपाल, कुमार शराब के पैग बना रहे थे । महिलायें भी इस वक्त उनके साथ बैठ कर पी रही थी । हालांकि परिवार को पूरी तरह से माता पिता की रूढ़िवादी चौकस निगाहों के अधीन रखा गया था । बड़ों के आसपास होने पर महिलायें सिंदूर, मंगलसूत्र और साड़ी परंपरागत तरीके से पहनती थी । कुमार के बड़े भाई होने के नाते, शोभा के लिए, गोपाल भी बङे थे और वह अपने सिर को उनकी उपस्थिति में ढक कर रखती थी । लेकिन चूंकि, दोनों कुमार और गोपाल बड़े शहरों में और बड़ी कंपनियों में काम करने वाले है, सो उनके अपने घरों में जीवन शैली जो बड़े पैमाने पर उदार है । शोभा और दीप्ति दोनो हो बङे शहरों से थी अतः उनके विचार काफी उन्मुक्त थे । लेकिन ये सब के चलते एक बहुत बडा राज छुपा हुआ था उस घर मेँ जो सिर्फ गोपाल और शोभा को ही मालुम था । दोनों महिलायें हमेशा नये फैशन के कपङे पहन कर ही यात्रा करती थी, खासकर जब घर के माता पिता साथ नहीं होते थे । हालांकि, दोनों की उम्र में दस साल का अंतर है, दीप्ति अपनी वरिष्ठता का उपयोग करते हुए घर में नये फैशन की सहमति बनाती थी । इस प्रकार, बिना आस्तीन के ब्लाउज, पुश ब्रा, खुली पीठ के ब्लाउज और मेकअप का उपयोग होता था ।
हालांकि, यह स्वतंत्रता केवल छुट्टीयां व्यतीत करते समय के लिये ही दी गई है । सामान्य दिनचर्या में ऐसी चीजों के लिये कोई जगह नहीं थी । वे अक्सर सेक्स जीवन की बातें आपस में बाटती थीं और यहाँ से भी दोनों में काफी समानतायें थीं । दोनों ही पुरुष बहुत प्रयोगवादी नहीं थें और सेक्स एक दिनचर्या ही था । लेकिन अगली पीढ़ी का अजय बहुत अलग था । वह एक और अधिक उदार माहौल में, भारत के बड़े शहरों में बङा हुआ था । लड़का बड़ा हो गया था और बहुत जल्द ही अब एक पुरुष होने वाला था । ये बात भी शोभा ने इस बार नोट की थी । फिल्म में प्रेम दृश्य आने पर वह कमरा छोड़कर गया था इसी से स्पष्ट था उसें काफी कुछ मालूम था । बचपन में गर्मीयों की छुट्टी अजय शोभा के यहां ही बिताता था । एक छोटे लड़के के रूप में शोभा उसको स्नान भी कराती थी । कई बार कुमार की कामोद्दीपक उपन्यास गायब हो जाते थे वह खोजने पर वह उनको अजय के कमरे में पाती थी । इस बारे में सोच कर ही वह कभी कभी उत्तेजित हो जाती थी पर अजय के एक सामान्य स्वस्थ लड़का होने के कारण वह इस बारे में चुप रही । अजय के कमरा छोडने के फौरन बाद, गोपाल और कुमार भी थकने का बहाना बना कर जा रहे थे ।
शोभा को कोई संदेह ना था कि ये क्या हो सकता है । दीप्ति से उसकी नजरें एक बार मिली थी । पर दीप्ति अपनी चेहरे पर एक शरारती मुस्कराहट भरी और सीढ़ियों पर चल दी । शराब का नशा होने के बाद भी फिल्म का असर शोभा पर काफी अच्छा रहा था । फिल्म के उस प्रेम दृश्य में आदमी उस औरत को जानवरों की तरह चौपाया बना कर चोद रहा था । अपने कॉलेज के दिनों में शोभा ने इस सब के बारें में के बारे में अश्लील साहित्य में पढ़ा था और कुछ अश्लील फिल्मों में देखा भी था लेकिन अपने पति के साथ कभी इस का अनुभव नहीं किया । इस विषय की चर्चा अपने पति से करना उसके लिये बहुत सहज नहीं था । उनके लिए सेक्स शरीर की एक जरूरी गतिविधि थी । शोभा ने अपने आप को चारों ओर से उसके पल्लू से लपेट लिया । इन मादक द्रुश्य के प्रभाव से उसे एक कंपकंपी महसूस हो रही थी । इस वक्त वह सोच रही थी कि कुमार अब कहां हैं? शोभा को नींद आ रही थी और उसने ऊपर जाकर सोने का निर्णय लिया ।
घर के ऊपर और सब सोने के कमरें थे और और शाम को जब से ये लोग आये थे, कोई भी ऊपर नहीं गया था । नौकर सामान लेकर आया था और गोपाल, कुमार शराब के पैग बना रहे थे । महिलायें भी इस वक्त उनके साथ बैठ कर पी रही थी । हालांकि परिवार को पूरी तरह से माता पिता की रूढ़िवादी चौकस निगाहों के अधीन रखा गया था । बड़ों के आसपास होने पर महिलायें सिंदूर, मंगलसूत्र और साड़ी परंपरागत तरीके से पहनती थी । कुमार के बड़े भाई होने के नाते, शोभा के लिए, गोपाल भी बङे थे और वह अपने सिर को उनकी उपस्थिति में ढक कर रखती थी । लेकिन चूंकि, दोनों कुमार और गोपाल बड़े शहरों में और बड़ी कंपनियों में काम करने वाले है, सो उनके अपने घरों में जीवन शैली जो बड़े पैमाने पर उदार है । शोभा और दीप्ति दोनो हो बङे शहरों से थी अतः उनके विचार काफी उन्मुक्त थे । लेकिन ये सब के चलते एक बहुत बडा राज छुपा हुआ था उस घर मेँ जो सिर्फ गोपाल और शोभा को ही मालुम था । दोनों महिलायें हमेशा नये फैशन के कपङे पहन कर ही यात्रा करती थी, खासकर जब घर के माता पिता साथ नहीं होते थे । हालांकि, दोनों की उम्र में दस साल का अंतर है, दीप्ति अपनी वरिष्ठता का उपयोग करते हुए घर में नये फैशन की सहमति बनाती थी । इस प्रकार, बिना आस्तीन के ब्लाउज, पुश ब्रा, खुली पीठ के ब्लाउज और मेकअप का उपयोग होता था ।
हालांकि, यह स्वतंत्रता केवल छुट्टीयां व्यतीत करते समय के लिये ही दी गई है । सामान्य दिनचर्या में ऐसी चीजों के लिये कोई जगह नहीं थी । वे अक्सर सेक्स जीवन की बातें आपस में बाटती थीं और यहाँ से भी दोनों में काफी समानतायें थीं । दोनों ही पुरुष बहुत प्रयोगवादी नहीं थें और सेक्स एक दिनचर्या ही था । लेकिन अगली पीढ़ी का अजय बहुत अलग था । वह एक और अधिक उदार माहौल में, भारत के बड़े शहरों में बङा हुआ था । लड़का बड़ा हो गया था और बहुत जल्द ही अब एक पुरुष होने वाला था । ये बात भी शोभा ने इस बार नोट की थी । फिल्म में प्रेम दृश्य आने पर वह कमरा छोड़कर गया था इसी से स्पष्ट था उसें काफी कुछ मालूम था । बचपन में गर्मीयों की छुट्टी अजय शोभा के यहां ही बिताता था । एक छोटे लड़के के रूप में शोभा उसको स्नान भी कराती थी । कई बार कुमार की कामोद्दीपक उपन्यास गायब हो जाते थे वह खोजने पर वह उनको अजय के कमरे में पाती थी । इस बारे में सोच कर ही वह कभी कभी उत्तेजित हो जाती थी पर अजय के एक सामान्य स्वस्थ लड़का होने के कारण वह इस बारे में चुप रही । अजय के कमरा छोडने के फौरन बाद, गोपाल और कुमार भी थकने का बहाना बना कर जा रहे थे ।
शोभा को कोई संदेह ना था कि ये क्या हो सकता है । दीप्ति से उसकी नजरें एक बार मिली थी । पर दीप्ति अपनी चेहरे पर एक शरारती मुस्कराहट भरी और सीढ़ियों पर चल दी । शराब का नशा होने के बाद भी फिल्म का असर शोभा पर काफी अच्छा रहा था । फिल्म के उस प्रेम दृश्य में आदमी उस औरत को जानवरों की तरह चौपाया बना कर चोद रहा था । अपने कॉलेज के दिनों में शोभा ने इस सब के बारें में के बारे में अश्लील साहित्य में पढ़ा था और कुछ अश्लील फिल्मों में देखा भी था लेकिन अपने पति के साथ कभी इस का अनुभव नहीं किया । इस विषय की चर्चा अपने पति से करना उसके लिये बहुत सहज नहीं था । उनके लिए सेक्स शरीर की एक जरूरी गतिविधि थी । शोभा ने अपने आप को चारों ओर से उसके पल्लू से लपेट लिया । इन मादक द्रुश्य के प्रभाव से उसे एक कंपकंपी महसूस हो रही थी । इस वक्त वह सोच रही थी कि कुमार अब कहां हैं? शोभा को नींद आ रही थी और उसने ऊपर जाकर सोने का निर्णय लिया ।
Re: hindi sex story long- जेठानी का लंड
ऊपर जाते ही न जाने कहाँ से जेठानी आ गयी, “सो, कैसा चल रहा है सब कुछ”, शोभा ने पूछा । “क्या कैसा चल रहा है?” दीप्ति ने शंकित स्वर में पूछा । “वहीं सबकुछ, आपके और भाई साहब के बीच में..” शोभा ने दीप्ति को कुहनी मारते हुये कहा । दोनों के बीच सालों से चलता आ रहा था इस तरह का मजाक और छेड़खानी । “आह, वो”, दीप्ति ने दिमाग को झटका सा दिया । “दीदी, क्या हुआ?” शोभा के स्वर ने दीप्ति के विचारों को तोड़ा । “नहीं, कुछ नहीं । आओ, हॉल में बैठ कर बातें करते हैं” । साड़ी के पल्लू से अपने हाथ पोंछती हुई दीप्ति बाहर हॉल की तरफ़ बढ़ गई । हॉल में इस समय कोई नहीं था । दोनों मर्द अपने अपने कमरों मे सोने चले गये थे और अजय का कहीं अता पता नहीं था । दीप्ति सोफ़े पर पसर गई और शोभा उसके बगल में आकर जमीन पर ही बैठ गयी ।
“आपने जवाब नहीं दिया दीदी ।”
“क्या जवाब?” दीप्ति झुंझला गयी । ये औरत चुप नहीं रह सकती । शोभा के कन्धे पर दबाव बढ़ाते हुये दीप्ति ने कहा ।
“आपने मेरी बरसों से दबी हुई इच्छाओं को भड़का दिया है इस सिनेमा के बारे में सोचने भर से मेरी चूत में पानी भर रहा है ।” शोभा बोली । दीप्ति ने शोभा की ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाया, बोली “उदास मत हो छोटी, आज मैँ हुं ना, आज जेठानी तेरी बुर से पानी निकालेगी । शोभा दीप्ति के शब्दों से दंग रह गयी,”क्या कह रही हो दीदी? ।”
और शोभा को हाथ पकड़ कर अपने पास खींचा और बाहों में भर लिया । शोभा के हाथ दीप्ति की पीठ पर मचल रहे थे । जेठानी के बदन से उठती आग वो महसूस कर सकती थी । उसके हाथ अब शोभा के स्तनों पर थे । अंगूठे से वो अपनी देवरानी के निप्पल को दबाने सहलाने लगी । अपनी बहन जैसी जेठानी से मिले इस सिग्नल के बाद तो शोभा के जिस्म में बिजलियां सी दौड़ने लगीं । दीप्ति भी अपने ब्लाऊज और साड़ी के बीच नन्गी पीठ पर शोभा के कांपते हाथों से सिहर उठी ।
अपने चेहरे को शोभा के चेहरे से सटाते हुये दीप्ति ने दूसरा हाथ भी शोभा के दूसरे स्तन पर जमा दिया । दोनों पन्जों ने शोभा के यौवन कपोतों को मसलना शुरु कर दिया । शोभा के स्तन आकार में दीप्ति के स्तनों से कहीं बड़े और भारी थे । शोभा ने पीछे हटते हुये दीप्ति और अपने बीच में थोड़ी जगह बना ली ताकि दीप्ति आराम से उसके दुखते हुये मुम्मों को सहला सके । उसका चेहरा दीप्ति के गालों से रगड़ रहा था और होंठ थरथरा रहे थे । शोभा की गर्म सांसे दीप्ति के चेहरे पर पड़ रहीं थीं । दोनों के होंठ एक दूसरे की और लपके और अगले ही पल दोनों औरतें प्रेमी युगल की भांति एक दूसरे को किस कर रही थीं । दोनों की अनुभवी जीभ एक दूसरे के मुहं में समाई हुई थी । “तुम्हारे मुम्मे तो मेरे मुम्मों से भी कहीं ज्यादा भरे हुये है, जी भर के चूसा होगा इनको देवर जी ने” दीप्ति ने अपनी स्तनों को ब्लाऊज के ऊपर से ही दबाते हुये बोली । शोभा दीप्ति के मन की बात समझ गई और तुरन्त ही जेठानी की ब्लाऊज के सारे बटन खोल कर पीछे पीठ पर ब्रा के हुक भी खोल दिये दीप्ति के भारी भारी चूचें अपनी जामुन जैसे बड़े निप्पलों के साथ बाहर को उछल पड़े । शोभा जीवन में पहली बार किसी दुसरी औरत के स्तनों को देख रही थी । कितने मोटे और रसीले है ये । दीप्ति ने दोनों हाथों में उठा कर अपने चूंचे शोभा की तरफ़ बढ़ाये । शोभा झुकी और तनी हुई निप्पलों पर चुम्बनों की बारिश सी कर दी । “ओह, शोभाआआआ” दीप्ति आनन्द से सीत्कारी । शोभा ने एक निप्पल अपने मुहं मे ही दबा लिया । उसकी जीभ जेठानी की तनी हुई घुंडी पर वैसे ही नाच रही थी जैसे वो रोज रात पति की गुलाबी सुपाड़े पर फ़ुदकती थी । पहली बार एक औरत के साथ । नया ही अनुभव था ये तो । दीप्ति खुद एक स्त्री होने के नाते वो ये जानती थी की शोभा क्या चाहती है । शोभा के बदन में भी अलग ही आकर्षण था । उसके शरीर में भी वही जोश और उत्तेजना थी । ये सोचते सोचते ही दीप्ति ने भी शोभा के निप्पल को चबाने लगी ।
“आऊच…आह्ह्ह” शोभा के मुहं से दबी हुई चीख भी निकली । दीप्ति अब उस बिचारे निप्पल पर अपने दातों का प्रयोग कर रही थी । शोभा अपना दूसरा स्तन हाथ में भर लिया । दीप्ति ने शोभा का थूक से सना निप्पल छोड़ दिया और फ़िर से शोभा के निप्पल को मुहं में भर लिया और पहले से भी ज्यादा तीव्रता से चुसाई में जुट गयी मानो निप्पल नहीं लंड हो जो थोड़ी देर में ही अपना पानी छोड़ देगा ।
“आआआह्ह्ह्ह्ह्ह॥ दीदी, प्लीज जोर से चूसो, हां हां”, शोभा दीप्ति को उकसाते हुये चीखी । उसकी चूत में तो बिजली का करंट सा दौड़ रहा था । “यहां, देखो यहां घुसती है मर्द की जुबान”, शोभा ने फ़ुर्ती के साथ दीप्ति कि साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर पैन्टी की कसी हुई इलास्टिक में हाथ घुसेड़ दिया । पैन्टी को खींच कर उतारने का प्रयास किया तो शोभा की हाथ में कोई बडे मांस पिंड जैसा चीज लगी । उसने उपर जेठानी की तरफ देखा, दीप्ति मुस्करा रही थी । तभी दीप्ति ने खुद ही साड़ी और पेटिकोट को कमर पर इकट्ठा कर उन्गली फ़सा अपनी पैन्टी नीचे जांघों तक सरका दी, शोभा की आँखेँ एकदम खुले के खुले रह गए । पहली बार शोभा को इतना बडा सदमा लगा । दीप्ति के पैन्टी निचे सरकते ही एक 8 इंच का लम्बा और मोटा लंड बाहर निकल आया, साथ मेँ बडे-बडे अंडे जैसे अंडकोष । दीप्ति के लंड घने काले झाँटोँ से भरे थे । क्या मनमोहक द्रुश्य था शोभा के सामने । उसकी सगी बहन जैसी जेठानी पूरी तरह से औरत नहीँ थी । स्त्री के शरीर मेँ पुरुषांग । स्त्री और पुरुष के अद्भुतपूर्व मिश्रण थे दीप्ति की बदन मेँ । और दीप्ति के लंड के तो क्या कहने! 8 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा था दीप्ति की लंड । इतना बडा लंड जिन्दगी मेँ पहली बार देख रही थी शोभा । अपनी पति कुमार का तो अपनी भाभी के लंड का आधा ही होगा । शोभा बडे प्यार से जेठानी की लंड को मुठ्ठी मेँ भर कर बडे-बडे अंडकोष पर जिभ फिराते हुए उपर दीप्ति की मुखडे को देखने लगी । दीप्ति की चेहरे पर मुस्कराहट था ।”ये क्या है दीदी ? और अजजययय…..कैसा….?” शोभा लंड को चाटती हुई पुछी । “ये बहुत लम्बी कहानी है किसी दिन बैठ के बताउंगी ।”
“आपने जवाब नहीं दिया दीदी ।”
“क्या जवाब?” दीप्ति झुंझला गयी । ये औरत चुप नहीं रह सकती । शोभा के कन्धे पर दबाव बढ़ाते हुये दीप्ति ने कहा ।
“आपने मेरी बरसों से दबी हुई इच्छाओं को भड़का दिया है इस सिनेमा के बारे में सोचने भर से मेरी चूत में पानी भर रहा है ।” शोभा बोली । दीप्ति ने शोभा की ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाया, बोली “उदास मत हो छोटी, आज मैँ हुं ना, आज जेठानी तेरी बुर से पानी निकालेगी । शोभा दीप्ति के शब्दों से दंग रह गयी,”क्या कह रही हो दीदी? ।”
और शोभा को हाथ पकड़ कर अपने पास खींचा और बाहों में भर लिया । शोभा के हाथ दीप्ति की पीठ पर मचल रहे थे । जेठानी के बदन से उठती आग वो महसूस कर सकती थी । उसके हाथ अब शोभा के स्तनों पर थे । अंगूठे से वो अपनी देवरानी के निप्पल को दबाने सहलाने लगी । अपनी बहन जैसी जेठानी से मिले इस सिग्नल के बाद तो शोभा के जिस्म में बिजलियां सी दौड़ने लगीं । दीप्ति भी अपने ब्लाऊज और साड़ी के बीच नन्गी पीठ पर शोभा के कांपते हाथों से सिहर उठी ।
अपने चेहरे को शोभा के चेहरे से सटाते हुये दीप्ति ने दूसरा हाथ भी शोभा के दूसरे स्तन पर जमा दिया । दोनों पन्जों ने शोभा के यौवन कपोतों को मसलना शुरु कर दिया । शोभा के स्तन आकार में दीप्ति के स्तनों से कहीं बड़े और भारी थे । शोभा ने पीछे हटते हुये दीप्ति और अपने बीच में थोड़ी जगह बना ली ताकि दीप्ति आराम से उसके दुखते हुये मुम्मों को सहला सके । उसका चेहरा दीप्ति के गालों से रगड़ रहा था और होंठ थरथरा रहे थे । शोभा की गर्म सांसे दीप्ति के चेहरे पर पड़ रहीं थीं । दोनों के होंठ एक दूसरे की और लपके और अगले ही पल दोनों औरतें प्रेमी युगल की भांति एक दूसरे को किस कर रही थीं । दोनों की अनुभवी जीभ एक दूसरे के मुहं में समाई हुई थी । “तुम्हारे मुम्मे तो मेरे मुम्मों से भी कहीं ज्यादा भरे हुये है, जी भर के चूसा होगा इनको देवर जी ने” दीप्ति ने अपनी स्तनों को ब्लाऊज के ऊपर से ही दबाते हुये बोली । शोभा दीप्ति के मन की बात समझ गई और तुरन्त ही जेठानी की ब्लाऊज के सारे बटन खोल कर पीछे पीठ पर ब्रा के हुक भी खोल दिये दीप्ति के भारी भारी चूचें अपनी जामुन जैसे बड़े निप्पलों के साथ बाहर को उछल पड़े । शोभा जीवन में पहली बार किसी दुसरी औरत के स्तनों को देख रही थी । कितने मोटे और रसीले है ये । दीप्ति ने दोनों हाथों में उठा कर अपने चूंचे शोभा की तरफ़ बढ़ाये । शोभा झुकी और तनी हुई निप्पलों पर चुम्बनों की बारिश सी कर दी । “ओह, शोभाआआआ” दीप्ति आनन्द से सीत्कारी । शोभा ने एक निप्पल अपने मुहं मे ही दबा लिया । उसकी जीभ जेठानी की तनी हुई घुंडी पर वैसे ही नाच रही थी जैसे वो रोज रात पति की गुलाबी सुपाड़े पर फ़ुदकती थी । पहली बार एक औरत के साथ । नया ही अनुभव था ये तो । दीप्ति खुद एक स्त्री होने के नाते वो ये जानती थी की शोभा क्या चाहती है । शोभा के बदन में भी अलग ही आकर्षण था । उसके शरीर में भी वही जोश और उत्तेजना थी । ये सोचते सोचते ही दीप्ति ने भी शोभा के निप्पल को चबाने लगी ।
“आऊच…आह्ह्ह” शोभा के मुहं से दबी हुई चीख भी निकली । दीप्ति अब उस बिचारे निप्पल पर अपने दातों का प्रयोग कर रही थी । शोभा अपना दूसरा स्तन हाथ में भर लिया । दीप्ति ने शोभा का थूक से सना निप्पल छोड़ दिया और फ़िर से शोभा के निप्पल को मुहं में भर लिया और पहले से भी ज्यादा तीव्रता से चुसाई में जुट गयी मानो निप्पल नहीं लंड हो जो थोड़ी देर में ही अपना पानी छोड़ देगा ।
“आआआह्ह्ह्ह्ह्ह॥ दीदी, प्लीज जोर से चूसो, हां हां”, शोभा दीप्ति को उकसाते हुये चीखी । उसकी चूत में तो बिजली का करंट सा दौड़ रहा था । “यहां, देखो यहां घुसती है मर्द की जुबान”, शोभा ने फ़ुर्ती के साथ दीप्ति कि साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर पैन्टी की कसी हुई इलास्टिक में हाथ घुसेड़ दिया । पैन्टी को खींच कर उतारने का प्रयास किया तो शोभा की हाथ में कोई बडे मांस पिंड जैसा चीज लगी । उसने उपर जेठानी की तरफ देखा, दीप्ति मुस्करा रही थी । तभी दीप्ति ने खुद ही साड़ी और पेटिकोट को कमर पर इकट्ठा कर उन्गली फ़सा अपनी पैन्टी नीचे जांघों तक सरका दी, शोभा की आँखेँ एकदम खुले के खुले रह गए । पहली बार शोभा को इतना बडा सदमा लगा । दीप्ति के पैन्टी निचे सरकते ही एक 8 इंच का लम्बा और मोटा लंड बाहर निकल आया, साथ मेँ बडे-बडे अंडे जैसे अंडकोष । दीप्ति के लंड घने काले झाँटोँ से भरे थे । क्या मनमोहक द्रुश्य था शोभा के सामने । उसकी सगी बहन जैसी जेठानी पूरी तरह से औरत नहीँ थी । स्त्री के शरीर मेँ पुरुषांग । स्त्री और पुरुष के अद्भुतपूर्व मिश्रण थे दीप्ति की बदन मेँ । और दीप्ति के लंड के तो क्या कहने! 8 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा था दीप्ति की लंड । इतना बडा लंड जिन्दगी मेँ पहली बार देख रही थी शोभा । अपनी पति कुमार का तो अपनी भाभी के लंड का आधा ही होगा । शोभा बडे प्यार से जेठानी की लंड को मुठ्ठी मेँ भर कर बडे-बडे अंडकोष पर जिभ फिराते हुए उपर दीप्ति की मुखडे को देखने लगी । दीप्ति की चेहरे पर मुस्कराहट था ।”ये क्या है दीदी ? और अजजययय…..कैसा….?” शोभा लंड को चाटती हुई पुछी । “ये बहुत लम्बी कहानी है किसी दिन बैठ के बताउंगी ।”
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दीप्ति बोली ।”फिर भी कुछ तो बताईये, दीदी । “शोभा ने जिद पे उतर आई ।”बस इतना समझ लो कि मेरी ख्वाईशेँ, मेरी तमन्ना पूरी हुई है । पिछले पांच साल हो गए मेरी इस बदलाव को ।” “मतलब मेरी प्यारी जेठानी पांच सालोँ से साडी के निचे लंड लिए इसी घर मेँ घुम फिर रही हैँ ?” शोभा आश्चर्य होकर पुछी ।”हां छोटी, मैँ पिछले पांच सालोँ से लंड लिए अपनी पति और बेटे के साथ जिंदगी गुजार रही हुं । तुम्हारे जेठ जी को ये मालुम है और खुशी-खुशी मुझे स्वीकारा है और अब मैँ इस बदलाव यानि की मेरी लंड का भरपुर मजा उठाना चाहती हुं ।” दीप्ति ने बात पूरी की ।”पर दिदी, क्या अजय को ये मालुम है कि उसकी प्यारी माँ की मर्द के जैसा लंड है, उसकी माँ बाकी महिलाओँ से अलग है ? “”नहीँ, यही डर मुझे हमेशा लगी रहती है! कि कब उसे ये बात पता लग जाएगा ।” दीप्ति ने शंका जाहिर करते हुए कहा ।”नहीँ दीदी, कुछ नहीँ होगा मैँ उसे मना लुंगी बस अब के सोचिए दीदी आपकी ये विशाल लंड देख कर मुझसे और रहा नहीँ जाता ।” कहती हुई शोभा ने जेठानी की तने लंड को मुठ्ठी मेँ भर ली ।
इधर दीप्ति ने फ़िर से शोभा के स्तनों को जकड़ा उधर शोभा भी पूरी तैयारी में थी । दीप्ति की समझ में तो कुछ भी नहीं आ रहा था और शोभा अपने जिस्म में उमड़ती उत्तेजना से नशे में झूम रही थी ।
शोभा के कपडे पूरी तरह से अस्त व्यस्त थे । शोभा उसकी दोनों टांगों के बीच में बैठी हुई थी । उसकी साड़ी का पल्लू बिस्तर पर बिछा हुआ था । लो कट के ब्लाउज से विशाल स्तनों के बीच की दरार साफ दिख रही थी । आखिरकार शोभा ने खुद ही कमरे में प्रवेश किया था और अब वो जेठानी की लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी । दीप्ति ने वापस अपना हाथ शोभा के सिर पर रख कर उसकी मुंह में लंड घुसेडने का प्रयास कर रही थी । इस जोर जबरदस्ती में दीप्ति की फुंफकार मारता लंड शोभा के सिर, बालों और सिन्दूर से रगड खा के रह गया । अपना लक्ष्य चूक जाने से दीप्ति का लंड और भी तन गया और उसके मुंह से एक आह सी निकली । शोभा ने नीचे झुककर देखा तो ब्लाउज का लो कट गला, दो भारी स्तनों और उनके बीच की दरार का शानदार दृश्य दीप्ति को दिखा रहा था । शोभा का मंगलसूत्र इस वक्त उसके गले से लटका हुआ दो बङी बङी गेंदों के बीच में झूल रहा था । शोभा ने तुरन्त ही अपनी शादी की इस निशानी को वापिस से ब्लाउज में डाला और वहीं पास पडे साड़ी के पल्लू से खुद को ढकने की कोशिश की । तब तक दीप्ति दोनों हाथों से शोभा के उरोजों को बेदर्दी से मसल दिया ।
दीप्ति ने धक्का दे कर शोभा को हटाया और खुद बिस्तर के बगल में खङी हो गईं । दीप्ति की उत्तेजना स्वभाविक थी । भारी साँसों के कारण ऊपर नीचे होते उनके स्तन, गोरे चेहरे और बिखरे हुए बाल, मांग में भरा हुआ सिंदूर और पारंपरिक भारतीय पहनावा उनके इस रूप को और भी गरिमामय तरीके से उत्तेजक बना रहा था ,उसने अपनी पेटीकोट को कमर के ऊपर सरका राखी थी और दीप्ति की मांसल जांघोँ के मध्य सबसे विशालकाय लंड हवा में लहरा रहा था ।
दीप्ति का किसी भी औरत के साथ ये पहला अनुभव था । कांपते हुए हाथों से उसने शोभा के स्तनों को एक साइड से छुआ और शोभा के मुहं से एक सीत्कार सी निकल गयी । शोभा ने भी अपनी जेठानी के गुब्बारे कि तरह फूले हुये उन स्तनों को बिना कुछ सही या गलत सोचे पूरी तन्मयता से मसल रही थी । अब तक भी दीप्ति गरम होने लग गयी थीं । दीप्ती ने दोनों हाथों से शोभा के चेहरे को पकड कर अपने उरोजों के पास खींचा । उत्तेजना के मारे बिचारी दीप्ति की हालत खराब हो रही थी ।
शोभा ने अब खुद ही अपना ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया । दीप्ति ने भी आगे बढते हुये शोभा के तने हुये चूचों के ऊपर चुम्बनों की बारिश सी कर दी । दीप्ति ने जेठानी के सिर को अपने दोनों स्तनों के बीच में दबोच लिया । इस समय दीप्ति अपना एक घुटना बिस्तर पर टेककर और दूसरे पैर फर्श पर रख कर खडी हुई थीं । दीप्ति ब्रा के ऊपर से ही होंठों से शोभा के स्तनों पर मालिश कर रही थी । शोभा ने उसके गालों को प्यार से चूम लिया । परन्तु अब अपने शरीर पर जेठानी के गर्म होंठ उसको एक मानसिक शान्ति दे रहे । दीप्ति ने शोभा के दोनों विशाल गुम्बदों पर अपने होंठ रगडते हुये एक हाथ से उसकी पीठ और गर्दन सहलाना जारी रखा । इधर शोभा ने जैसे ही दीप्ति की कमर और फिर उसके नीचे एकदम उभरे हुए मांसल नितंबों का स्पर्श किया, जेठानी के फूले हुये लंड का विशाल सुपाङा उसके पेट से जा लगा । दीप्ति के मुहं से एक सिसकारी छूट गयी ।
इधर दीप्ति ने फ़िर से शोभा के स्तनों को जकड़ा उधर शोभा भी पूरी तैयारी में थी । दीप्ति की समझ में तो कुछ भी नहीं आ रहा था और शोभा अपने जिस्म में उमड़ती उत्तेजना से नशे में झूम रही थी ।
शोभा के कपडे पूरी तरह से अस्त व्यस्त थे । शोभा उसकी दोनों टांगों के बीच में बैठी हुई थी । उसकी साड़ी का पल्लू बिस्तर पर बिछा हुआ था । लो कट के ब्लाउज से विशाल स्तनों के बीच की दरार साफ दिख रही थी । आखिरकार शोभा ने खुद ही कमरे में प्रवेश किया था और अब वो जेठानी की लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी । दीप्ति ने वापस अपना हाथ शोभा के सिर पर रख कर उसकी मुंह में लंड घुसेडने का प्रयास कर रही थी । इस जोर जबरदस्ती में दीप्ति की फुंफकार मारता लंड शोभा के सिर, बालों और सिन्दूर से रगड खा के रह गया । अपना लक्ष्य चूक जाने से दीप्ति का लंड और भी तन गया और उसके मुंह से एक आह सी निकली । शोभा ने नीचे झुककर देखा तो ब्लाउज का लो कट गला, दो भारी स्तनों और उनके बीच की दरार का शानदार दृश्य दीप्ति को दिखा रहा था । शोभा का मंगलसूत्र इस वक्त उसके गले से लटका हुआ दो बङी बङी गेंदों के बीच में झूल रहा था । शोभा ने तुरन्त ही अपनी शादी की इस निशानी को वापिस से ब्लाउज में डाला और वहीं पास पडे साड़ी के पल्लू से खुद को ढकने की कोशिश की । तब तक दीप्ति दोनों हाथों से शोभा के उरोजों को बेदर्दी से मसल दिया ।
दीप्ति ने धक्का दे कर शोभा को हटाया और खुद बिस्तर के बगल में खङी हो गईं । दीप्ति की उत्तेजना स्वभाविक थी । भारी साँसों के कारण ऊपर नीचे होते उनके स्तन, गोरे चेहरे और बिखरे हुए बाल, मांग में भरा हुआ सिंदूर और पारंपरिक भारतीय पहनावा उनके इस रूप को और भी गरिमामय तरीके से उत्तेजक बना रहा था ,उसने अपनी पेटीकोट को कमर के ऊपर सरका राखी थी और दीप्ति की मांसल जांघोँ के मध्य सबसे विशालकाय लंड हवा में लहरा रहा था ।
दीप्ति का किसी भी औरत के साथ ये पहला अनुभव था । कांपते हुए हाथों से उसने शोभा के स्तनों को एक साइड से छुआ और शोभा के मुहं से एक सीत्कार सी निकल गयी । शोभा ने भी अपनी जेठानी के गुब्बारे कि तरह फूले हुये उन स्तनों को बिना कुछ सही या गलत सोचे पूरी तन्मयता से मसल रही थी । अब तक भी दीप्ति गरम होने लग गयी थीं । दीप्ती ने दोनों हाथों से शोभा के चेहरे को पकड कर अपने उरोजों के पास खींचा । उत्तेजना के मारे बिचारी दीप्ति की हालत खराब हो रही थी ।
शोभा ने अब खुद ही अपना ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया । दीप्ति ने भी आगे बढते हुये शोभा के तने हुये चूचों के ऊपर चुम्बनों की बारिश सी कर दी । दीप्ति ने जेठानी के सिर को अपने दोनों स्तनों के बीच में दबोच लिया । इस समय दीप्ति अपना एक घुटना बिस्तर पर टेककर और दूसरे पैर फर्श पर रख कर खडी हुई थीं । दीप्ति ब्रा के ऊपर से ही होंठों से शोभा के स्तनों पर मालिश कर रही थी । शोभा ने उसके गालों को प्यार से चूम लिया । परन्तु अब अपने शरीर पर जेठानी के गर्म होंठ उसको एक मानसिक शान्ति दे रहे । दीप्ति ने शोभा के दोनों विशाल गुम्बदों पर अपने होंठ रगडते हुये एक हाथ से उसकी पीठ और गर्दन सहलाना जारी रखा । इधर शोभा ने जैसे ही दीप्ति की कमर और फिर उसके नीचे एकदम उभरे हुए मांसल नितंबों का स्पर्श किया, जेठानी के फूले हुये लंड का विशाल सुपाङा उसके पेट से जा लगा । दीप्ति के मुहं से एक सिसकारी छूट गयी ।