हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है

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sexy
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Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है

Unread post by sexy » 09 Jul 2016 21:05

क्योंकी वह उस आदमी को पहचानता नही था.

” अंजलीजी घरसे भागकर आई है … बाहर गाडीमें आपकी राह देख रही है …” वह आदमी फिरसे उसके कानमें बोला.

विवेकने झटसे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरपर खुले हूए थे वह सब वेब पेजेस बंद कर दिए. और उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेसे बाहर निकल गया.

उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेके बाहर जाते हूए विवेक सोचने लगा.

उसने तो मुझे जो हूवा वह सब भूल जानेके लिए मेल की थी …

फिर वह अचानक भागकर क्यों आगई होगी? ….

शायद उसके रिश्तेदारोंने उसपर दबाव बनाया होगा …

और इसलिए उसने वह मेल लिखी होगी …

अब विवेक उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेके बाहर पहूंच गया था. बाहर सब तरफ अंधेरा था और अंधेरेमें एक कोनेमें उसे एक खिडकीयोंको सब काले शिशे लगाई हूई कार दिखाई दी.

इसी गाडीमें आई होगी अंजली…

जैसे वह आदमी उस गाडीकी तरफ बढने लगा, विवेकभी उसके पिछे पिछे उस गाडीकी तरफ बढने लगा. गाडीके पास पहूंचतेही उसके खयालमें आगया की गाडीका पिछला दरवाजा खुला है.

दरवाजा खुला रखकर वह अपनी राह देख रही होगी….

गाडीके और पास पहूंचतेही विवेकने पिछले खुले दरवाजेसे अंजलीके लिए अंदर झांककर देखा.

लेकिन यह क्या ?…

तभी किसी काले सायेने पिछेसे आकर उसके नाकपर क्लोरोफॉर्मका रुमाल रख दिया और उसे अंदर गाडीमें धकेल दिया. वह अंदर जानेके लिए प्रतिकार करने लगा तो उस काले सायेने लगभग जबरदस्ती उसे अंदर ठूंस दिया. गाडीका दरवाजा बंद होगया और गाडी तेजीसे दौडने लगी. विवेकके खयालमें आगयाकी उसके साथ कुछ धोखा हूवा है. लेकिन तबतक देर हो चुकी थी. उसे अब अहसास होने लगा था की वह अपना होश खोने लगा है.

जिस आदमीने विवेकको गाडीतक लाया था उसने जेबसे पैसे निकाले और वह वे पैसे गिनते हूए वहांसे निकल गया.

विवेक एक बेडपर बेसुध पडा हुवा था. अब धीरे धीरे उसे होश आने लगा था. जैसेही वह पुरी तरह होशमें आगया, उसे वह एक अन्जान जगहपर है ऐसा अहसास होगया. वह तुरंत बैठ गया और अपनी नजर चारो तरफ दौडाने लगा. उसके सामने अलेक्स और उसके दो साथी काले लिबासमें बैठे थे. उनके चेहरेभी काले कपडेसे ढंके हूए थे. विवेकने उठकर खडे होनेकी कोशीश की तब उसके खयालमें आगया की उसके हाथपैर बंधे हूए है.

वैसेही हालमें जोर लगाकर फिरसे उठकर खडे होनेकी कोशीश करते हूए वह बोला, ” कौन हो आप लोग? … मुझे यहां कहां और क्यो लाया आप लोगोनें …”

” चिंता मत करो … यहां हम तुझे ठाठबाठमें रखनेवाले है … हमने तुम्हे अंजलीजीके रिस्तेदारोंके कहे अनुसार यहा लाया है … वैसे वे लोग बहुत अच्छे है … जादातर ऐसे झमेलेमें पडते नही है … लेकिन क्या करे इसबार बाते उनके बसके बाहर निकल गई .. फिरभी उन्होने तुम्हे कोई तकलिफ ना हो इसका खास ध्यान रखनेकी हिदायत दी है … ”

अलेक्स वहांसे उठकर जानेलगा तो विवेक चिल्लाया.

” मुझे छोड दो … मुझे पकडकर तुम्हे क्या मिलनेवाला है ?”

अलेक्स जाते हूए एकदमसे रुक गया, और मुंहपर उंगली रखते हुए विवेकसे बोला,

” चूप जादा आवाज नही करना … ”

फिर अपने दो साथीकी तरफ देखकर वह बोला, ” ओय… तुम दोनो इसपर ध्यान रखो … ”

फिर दुबारा विवेककी तरफ देखकर अलेक्स बोला, ” और मजनू तूम … जादा चालाकी करनेकी कोशीश मत करना.. नही तो दोनो पैर तोडकर तुम्हारे हाथमें दे देंगे… और ध्यान रखो अंजलीजीके रिश्तेदार अच्छे लोग होंगे … हम नही … ”

अलेक्स आगे और उसके दो साथी उसके पिछे पिछे कमरेके बाहर निकल गए. उन्होने कमरेको बाहरसे ताला लगाकर चाबी उन दोनोंमेसे एक के पास दी, उसे वह चाबी संभालकर रखनेकी हिदायत दी और अलेक्स वहांसे निकल गया.

सुबहका वक्त था. एक कमरेमें अतूल कॉम्प्यूरपर बैठा था और अलेक्स उसके बगलमें बैठा हुवा था, ” अब देखो … हमारा मजदूरीका काम अब खत्म हुवा है ” अतूलने अलेक्ससे कहा और उसने कॉम्प्यूटरपर विवेकके मेलबॉक्सका ब्रेक किया हुवा पासवर्ड देकर विवेकका मेलबॉक्स खोला.

” अब असली काम शुरु हो गया है …” अतूल कॉम्प्यूटर ऑपरेट करते हूए बोला.

अलेक्स चूपचाप गौरसे वह क्या कर रहा है यह देख रहा था.

अतूल अब विवेकके मेलबॉक्समें मेल टाईप करने लगा –

“” मिस अंजली… हाय… वुई हॅड अ नाईस टाईम … आय रिअली ऍन्जॉइड इट.. खुशीसे लथपथ और आपके प्यारसे भीगे हूए वह क्षण मैने अपने हृदय और कॅमेरेमें कैद कर रखे है …”

अतूलने टाईप करते हूए एक बार अलेक्सकी तरफ देखा. दोनों एक दुसरेकी तरफ देखकर अजीब तरहसे मुस्कुराए. फिर अतूल आगे टाईप करने लगा –

” मै तुम्हारी क्षमा मांगता हूं की वे पल मैने तुम्हारे इजाजतके बिना कॅमेरेमें कैद किए … वे पल थे ही ऐसे की मै अपने आपको रोक ना सका … तुम्हे झूठ लगता है? … तो देखो … उन पलोंमेसे एक पलका फोटो मै इस मेलके साथ भेज रहा हूं … ऐसे काफी पल मैने मेरे कॅमेरेमें और मेरे दिलमें कैद करके रखे है … सोच रहा हूं की उन पलोंको .. उन फोटोग्राफ्सको इंटरनेटपर पब्लीश करुं … क्यों कैसी झकास आयडिया है ? नही? … लेकिन वह तुम्हे पसंद नही आएगा … नही तुम्हारी अगर वैसी इच्छा ना हो तो उन पलोंको मै हमेशाके लिए मेरे हृदयमें दफन कर सकता हूं … लेकिन उसके लिए तुम्हे एक मामुली किमत अदा करनी होगी … क्या करें हर चिजकी एक तय किमत होती है … नही?…”

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Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है

Unread post by sexy » 09 Jul 2016 21:05

फिरसे अतूल टाईप करते हूए रुका, वह अलेक्सकी तरफ मुडकर बोला,

” अलेक्स बोलो तुम्हे कितनी किंमत चाहिए ?”

” मांगो 20-25 लाख” अलेक्सने कहा.

” बस 25 लाखही … ऐसा करते है 25 तुम्हारे और 25 मेरे … 50 कैसा रहेगा ” अतूलने कहा.

” 50 !” अलेक्स आश्चर्यभरी आंखोसे अतूलकी तरफ देखते हूए बोला.

अतूल फिरसे बची हूई मेल टाईप करने लगा –

” कुछ नही बस सिर्फ 50 लाख रुपए… तुम्हारे लिए एकदम मामुली रकम है … और हां … पैसोंका बंदोबस्त जल्दसे जल्द करो … पैसे कहां और कैसे पहूंचाने है … यह सब बादकी मेलमें बताऊंगा …

मै इस मेलके लिए तुम्हारी तहे दिलसे माफी चाहता हूं … लेकिन क्या करे कुछ पानेके लिए कुछ खोना पडता है … अगले मेलकी प्रतिक्षा करना… और हां … मुझे पुलिससे बहुत डर लगता है … और जब मुझे डर लगता है तब मै कुछभी कर सकता हूं …. किसीका खुनभी …

— तुम्हारा … सिर्फ तुम्हारा … विवेक ”

अतूलने पुरी मेल टाईप की. फिर एक दो बार पढकर देखी ताकी कोई गलती ना छुटे. फिर कोई गलती नही है इसकी तसल्ली होते ही ‘सेंड’ बटनपर क्लीक कर अंजलीको भेजभी दी.

जब स्क्रिनपर ‘मेल सेंट’ मेसेज आया. दोनोंने एक दुसरेका हाथ टकराकर ताली बजाई.

उधर अंजलीने जब मेलबॉक्स खोलकर वह मेल पढी, उसे अपने पैरोंके निचेसे मानो जमिन खिसक गई हो ऐसा लगा. उसने झटसे अपने सामने रखे इंटरकॉमपर दो डीजीट दबाए ,

” मोना… सेन्ड शरवरी इन … इमिडीयटली”

शामका वक्त था. अतूल एक कमरेमें कॉम्प्यूटरपर बैठा हुवा था. उस कमरेसे बगलकेही कमरेमें बंद किया हुवा विवेक दिख रहा था. लेकिन विवेकको उसके कमरेसे अतूलके कमरेमेंका कुछ नही दिख रहा था. अतूलको रातदिन कॉम्प्यूटरके सिवा कुछ सुझताही न था. अलेक्स अपना एक्सरसाईज वैगेरे निपटाकर पसिना पोंछते हूएही अतुलके पास जाकर बैठ गया.

” क्यों लडकी क्या बोलती है? … उसे पैसा प्यारा है या अपनी इज्जत? ” अलेक्सने पुछा.

अलेक्सको अपने पास आकर बैठा हुवा पाकर अतुल विवेकका मेलबॉक्स खोलते हूए बोला,

” देखो तुम्हे एक मजेकी चिज दिखाता हूं ”

अतूलने विवेकके मेलबॉक्समेंसे एक मेल खोली.

” देखोतो इस मेलमें अंजलीने क्या लिखा हुवा है.”

दोनो पढने लगे. मेल पढनेके बाद दोनो उनके कमरेको और विवेकके कमरेंको अलक करते कांचसे विवेककी तरफ देखने लगे.

”देखोतो इस मेलमें यह अंजली …

विवेकको समझानेकी कोशीश कर रही है…

वह सोच रही होगी..

कबूतरकी एकदमसे कैसे मर सारी वफाए…

अब इसको क्या बताएं, कैसे समझाए

कि बेचारा इधर पिंजरेमे बंधा तडप रहा है ”

फिरसे विवेककी तरफ देखते हूए उन्होने एक दुसरेके हाथसे ताली बजाई और वे जोरसे हंसने लगे. दोनोंका हंसना थमनेके बाद अलेक्सने एक आशंका उपस्थित की,

” यह विवेक अपने होस्टेलसे अचानक गायब होनेसे वहा कुछ हंगामा तो नही खडा होगा ?”

” अरे हां … अच्छा हुवा तुमने याद दिलाया … उसके होस्टेलमें रह रहे उसके किसी दोस्तको मेल कर उसका बंदोबस्त करता हुं ” अतूलने कहा.

अतूल मेल टाईप करने लगा और टाईप करते हूए बोला, ” लेकिन अलेक्स याद रखो … इसके आगेही असली खतरा है … इसके आगे हमे सारी मेल्स अलग अलग सायबर कॅफेमें जाकर भेजनी पडेगी … नही तो ट्रेस होनेका बडा खतरा है … ”

…. कॉम्प्यूटरपर मेल आनेका बझर बजतेही अंजलीने अपना मेलबॉक्स खोला. उसे एक नई मेल आयी हूई दिखाई दी. वह मेल उसने भेजे स्निफर प्रोग्रॅमकीही थी. उसने झटसे वह मेल खोली और

” यस्स!” उसके मुंहसे जितभरे उद्गार निकले.

उसने भेजे स्निफरने अपना काम सही सही निभाया था.

उसने बिजलीके गतीसे मेल सॉफ्टवेअर ओपन किया और …

” यह उसका मेल आयडी और यह उसका पासवर्ड” कहते हूए विवेकका मेल ऍड्रेस टाईप करते हूए उस प्रोग्रॅमको विवेकके मेलका पासवर्ड दिया.

अंजलीने उसका मेल अकाऊंट खोलतेही और की बोर्डकी दो चार बटन्स और दोन चार माऊस क्लीक्स दबाए. और दोनोभी कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी.

” ओ माय गॉड … आय जस्ट कान्ट बिलीव्ह” अंजलीके खुले मुंहसे निकला.

शरवरी कभी मॉनिटरकी तरफ तो कभी अंजलीके आश्चर्यसे खुले मुंहकी तरफ देख रही थी.

” शरवरी यह देखो विवेकके मेलबॉक्समें … देखो यह मेल … जो है तो मेरे नामकी पर मैने भेजी नही है … ” “” मतलब ?” शरवरीने पुछा.

” मतलब मै और विवेकके अलावा दुसरा कोई है जो यह मेल अकाऊंटस खोल रहा है … और हो सकता है वही तिसरा आदमी जो मुझे ब्लॅकमेल कर रहा है … लेकिन वह तिसरा है कौन ?”

कॉन्फरंस रुममें अंजली, इन्स्पेक्टर कंवलजीत और शरवरी बैठे हूए थे. अंजली इन्स्पेक्टर और शरवरीसे इसी केसके सिलसिलेमें कुछ बाते कर रही थी. सब कुछ बयान होनेके बाद अंजलीने एक लंबी सांस ली और आगे कहा,

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Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है

Unread post by sexy » 12 Jul 2016 10:02

तो पुरी कहानी इस प्रकार है …”

अंजलीने फिरसे एकबार सामने बैठे इन्स्पेक्टर कंवलजीत और शरवरीकी तरफ देखा.

” कंवलजीत अंकल… अब मुझे डर … वह ब्लॅकमेलर फोटो इंटरनेटपर डालेगा क्या? इस बात का नही है … मुझे असली चिंता है विवेककी … शायद विवेक उनके कब्जेमें है … उसके जानको खतरातो नही ?” अंजलीने अपना डर जाहिर किया.

” उसकी जो मेल आई थी उसे हमारे एक्स्पर्टसने ट्रेस करनेकी कोशीश की थी … एक्सॅक्ट लोकेशन और कॉम्प्यूटरका तो कुछ पता नही चला … लेकिन इतना जरुर पता चला की मेल मुंबईसे कहीसे की गई होगी.”

” इसका मतलब पैसे कहां देना है और कैसे देना है यह बतानेवाली मेलभी मुंबईसेही आएगी ” इतनी देरसे चुप्पी साधी हूई शरवरी पहली बार बोली.

” शायद हां … या शायद ना भी … यह वह क्रिमीनल कितना पहूंचा है इसपर निर्भर करेगा … लेकिन इसबार हम पहलेसेही तयार होनेसे, मेल कौनसे गांवसे, उस गांवके किस जगहसे और कौनसे कॉम्प्यूटरसे आई यह हमे पता चल सकेगा … ” इन्सपेक्टरने कहा.

” इसका मतलब हमारे पास उसके अगले मेलका इंतजार करनेके अलावा दुसरा कोई चारा नही है … ” अंजली निराश होकर बोली.

” हां … लगता तो ऐसाही है .. ” इन्स्पेक्टरभी सोचते हूए सारी संभावनाए जांचते हूए बोला.

एक पुरानी कार एक सायबर कॅफेके पास आकर रुकी. गाडीके ड्रायव्हींग सिटपर अलेक्स बैठा हूवा था और उसके बगलके सिटपर अतूल बैठा हूवा था. शायद किसीको शक ना हो इसलिए उन्होने वहां आनेके लिए और अगले सारे कामके लिए उस पुरानी कारको चूना था. गाडी रुकतेही गाडीसे अतूल निचे उतरा.

” तूम अब पैसे लानेके लिए निकल जावो … मै मेलपर उसे जगहकी सारी जानकारी देता हूं … और सुनो … जरा संभलकर … तुम्हे काफी अंतर तय करना है ” अतूलने उतरते हूए अलेक्ससे कहा.

” यू डोन्ट वरी… तूम एकदम बिनधास्त रहो ” अलेक्स गाडीके ड्रायव्हींग सिटपर बैठे हूए बोला.

” अच्छा पैसे मिलनेके बाद उस पंटरका क्या करना है ” अलेक्सने कुछ सोचते हूए पुछा. उसका इशारा विवेककी तरफ था.

” उसका क्या करना है .. यह बादमें देखेंगे …. लेकिन वह अपनी महबुबाके लिए शहीद होगा इसकी जादा संभावना पकडकर हमे चलना होगा… क्योंकी रास्तेसे चलते हूए सामने आए गढ्ढोंको भरते हूए आगे जाना जरुरी होता है … नही तो वापस आते हूए उसी गढ्ढोंमे फिसलकर गिरनेकी संभावना जादा होती है.” अतूल उतरते हूए गुढतासे हसते हूए अलेक्सकी तरफ देखते हूए बोला.

अलेक्सभी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया.

अतूल गाडीसे उतरा और सायबर कॅफेकी तरफ निकल पडा. अलेक्सने गाडी आगे बढाई और अगले चौराहेपर मुडकर वह तेजीसे आगे निकल गया.

अतूल सायबर कॅफेमें एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठा था. उसने चॅटींग सेशन खोला और अंजलीभी चाटींग रुममें है यह देखकर उससे चॅटींग शुरु की –

” हाय मिस. अंजली”

उधर अतूलने भेजा हुवा मेसेस अंजलीके मॉनिटरपर अवतरीत हुवा. और तभी शरवरी अंजलीके कॅबिनमें आ गई. शरवरीको देखतेही अंजलीने उसे ‘उसकाही मेसेज है’ ऐसा इशारा किया. इशारा मिलतेही शरवरी तुरंत कॅबिनके बाहर गई. बाहर जाकर शरवरी अंजलीके ऑफीसके बगलमें स्थित एक रुममें चली गई. उस रुममें इन्स्पेक्टर कंवलजीत और, और दो लोग एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठे थे. शरवरीने कमरेमें प्रवेश करतेही कहा –

” सर उसका मेसेज आया है ”

वे तिनों एकदम सतर्क होकर, सिधे बैठकर कॉम्प्यूटरकी तरफ देखने लगे.

” कम ऑन सुरज ट्रेस द ब्लडी बास्टर्ड ” उन दोनोंको उत्साहीत करनेके उद्देशसे इन्सपेक्टरने कहा.

” सर ही इज ट्रेस्ड … द कॉल इज अगेन फ्रॉम मुंबई … ऍन्ड सी द आय पी ऍड्रेस…”

इन्स्पेक्टरने मॉनिटरकी तरफ देखा और तुरंत मोबाईल लगाया,

” हॅलो राज… हमने उस ब्लॅकमेलरको ट्रेस किया है … उसे अभीभी अंजलीने चॅटींगपर बिझी रखा है … तूम वहां मुंबईमें उसके सही सही ठिकानेका पता लगाओ … ऍन्ड सी दॅट द फेलो शुड नॉट एस्केप… हां यह लो ब्लॅकमेलरका आय पी ऍड्रेस ….”

अबभी अंजलीको ब्लॅकमेलरका मेसेज ‘ हाय मिस अंजली ‘ उसके चॅटींग विंडोमें दिख रहा था. वह अब मनही मन उसे जादासे जादा वक्त तक चॅटींगपर कैसे बिझी रखा जाए ताकी पुलिस उसे ट्रेस कर पकड सकें, इसके बारेमें सोच रही थी. तभी अगला मेसेज आया,

‘ अंजली प्लीज ऍकनॉलेज युवर प्रेसेन्स ‘

अब अंजलीके पास कुछतो मेसेजे भेजनेके अलावा कोई चारा नही था, नही तो वह डिस्कनेक्ट होनेका डर था.

‘ हॅलो.. ‘ उसने मेसेज टाईप कर भेजा.

इधर इन्स्पेक्टरने फिरसे मुंबईको फोन लगाया.

” राज … कुछ पता चला?”

” यस सर … द एरीया वुई हॅड जस्ट फाईन्ड आऊट… इट्स ठाणे… बट द एक्सॅक्ट स्पॉट वुई आर ट्राईंग टू लोकेट…” उधरसे राज बोल रहा था.

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