Re: क्या ये धोखा है ?
Posted: 16 Oct 2014 07:11
हिंदी सेक्सी कहानियाँ
क्या ये धोखा है ?--3
गतान्क से आगे............
यूँ ही फिर एक साल गुजर गया..इस बार ज़्यादा के दिनो में मयके गयी…मेरे चचेरी बेहन की शादी थी…और भी सभी घर के लोग आए हुए थे..जो बाहर रहते थे वो भी…मेरी चचेरी बेहन 2 भाई और दो बेहन हैं…बड़ी बेहन की पहले ही शादी हो गयी थी और दोनो भाई उससे छ्होटे थे…बड़े का नाम विवेक था जो कि मेडिकल कॉलेज.में पढ़ाई कर रहा था बॉमबे में और छ्होटा अभी स्कूल में पढ़ रहा था..विवेक मुझसे 4 साल छ्होटा था…उसकी बात करते समय मुझे उसके बचपन की याद आ गयी…तब मैं 18-19 की होगी और विवेक की उम्र तब 14-15 की रही होगी….तब बचपन में बच्चो का थोड़ा टीवी और दोस्तो के चलते कुच्छ ग़लत बातें सीखने लगते हैं…मुझे याद हैं जब हम सो जाते थे तब वो रात को 1 -2 बजे उठकर धीरे से मेरे पास आकर मेरे बदन को इधर उधर छुता था…पहले तो मैं घबरा गयी पर बाद में जब जान गयी की वो विवेक हैं तो मैं नाटक करती जैसे की अचानक जाग गयी हूँ और वो धीरे से भाग कर अपने बिस्तेर में दुबक जाता…मैं ये नहीं कहूँगी की मुझे वो सब अच्छा नहीं लगता था पर आख़िर रिस्ते भी कुच्छ होते हैं और मैं शायद बिलकूल शरीफ थी उस समय..मैं नींद में होती तो वो धीरे धीरे कपड़ो के उपर से ही मेरे बूब्स को सहलाता और मेरे स्कर्ट के नीचे घुटनो तक सहलाता था..मैं कुच्छ देर देखती वो क्या कर रहा हैं पर फिर जैसे ही वो जाँघो के उपर हाथ ले जाता मैं जागने का नाटक करती और वो भाग जाता…ये कुच्छ सालों तक चला था….अब तो जब हमने देखा वो काफ़ी बड़ा और समझदार हो गया था…उसने मेरे पैर च्छुए और सब समाचार पूछा और अपने कॉलेज की बात बताने लगा…
क्या ये धोखा है ?--3
गतान्क से आगे............
यूँ ही फिर एक साल गुजर गया..इस बार ज़्यादा के दिनो में मयके गयी…मेरे चचेरी बेहन की शादी थी…और भी सभी घर के लोग आए हुए थे..जो बाहर रहते थे वो भी…मेरी चचेरी बेहन 2 भाई और दो बेहन हैं…बड़ी बेहन की पहले ही शादी हो गयी थी और दोनो भाई उससे छ्होटे थे…बड़े का नाम विवेक था जो कि मेडिकल कॉलेज.में पढ़ाई कर रहा था बॉमबे में और छ्होटा अभी स्कूल में पढ़ रहा था..विवेक मुझसे 4 साल छ्होटा था…उसकी बात करते समय मुझे उसके बचपन की याद आ गयी…तब मैं 18-19 की होगी और विवेक की उम्र तब 14-15 की रही होगी….तब बचपन में बच्चो का थोड़ा टीवी और दोस्तो के चलते कुच्छ ग़लत बातें सीखने लगते हैं…मुझे याद हैं जब हम सो जाते थे तब वो रात को 1 -2 बजे उठकर धीरे से मेरे पास आकर मेरे बदन को इधर उधर छुता था…पहले तो मैं घबरा गयी पर बाद में जब जान गयी की वो विवेक हैं तो मैं नाटक करती जैसे की अचानक जाग गयी हूँ और वो धीरे से भाग कर अपने बिस्तेर में दुबक जाता…मैं ये नहीं कहूँगी की मुझे वो सब अच्छा नहीं लगता था पर आख़िर रिस्ते भी कुच्छ होते हैं और मैं शायद बिलकूल शरीफ थी उस समय..मैं नींद में होती तो वो धीरे धीरे कपड़ो के उपर से ही मेरे बूब्स को सहलाता और मेरे स्कर्ट के नीचे घुटनो तक सहलाता था..मैं कुच्छ देर देखती वो क्या कर रहा हैं पर फिर जैसे ही वो जाँघो के उपर हाथ ले जाता मैं जागने का नाटक करती और वो भाग जाता…ये कुच्छ सालों तक चला था….अब तो जब हमने देखा वो काफ़ी बड़ा और समझदार हो गया था…उसने मेरे पैर च्छुए और सब समाचार पूछा और अपने कॉलेज की बात बताने लगा…