hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
दोस्तो आप भी सोच रहे होंगे कि ये कैसा नाम है इस कहानी का तो दोस्तो किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि "आशिक़ बन कर अपनी ज़िंदगी बर्बाद मत करना......" लेकिन समय के साथ साथ बर्बादी तो तय है, जो मैने खुद चुनी....मैने वो सब कुछ किया ,जिसके ज़रिए मैं खुद को बर्बाद कर सकता था, और रही सही कसर मेरे अहंकार ने पूरी कर दी थी...अपनी ज़िंदगी के सबसे अहम 4 साल बर्बाद करने के बाद मैं आज इस मुकाम पर था कि अब कोई भी मुकाम हासिल नही किया जा सकता, पापा चाहते थे कि मैं भी अपने बड़े भाई की तरह पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बन जाऊं...लेकिन मैने अपनी ज़िंदगी के उन अहम समय मे जब मैं कुछ कर सकता था, मैने यूँ ही बर्बाद कर दिया, घरवाले नाराज़ हुए, तो मैने सोचा कि थोड़े दिन नाराज़ रहेंगे बाद मे सब ठीक हो जाएगा....लेकिन कुछ भी ठीक नही हुआ, सबके ताने दिन ब दिन बढ़ने लगे...बर्बाद ,नकारा कहकर बुलाते थे सभी मुझे घर मे...और एक दिन तंग आकर मैं घर से निकल गया और नागपुर आ गया अपने एक दोस्त के पास, नागपुर आने से पहले सुनने मे आया था कि मेरा बड़ा भाई विपेन्द्र विदेश जाने वाला है, और उसके साथ शायद मोम डॅड भी जाएँगे....लेकिन मुझे किसी ने नही पुछा...शायद वो मुझे यही छोड़ जाने के प्लान मे थे...खैर मुझे खुद फरक नही पड़ता इस बात से,और आज मुझे नागपुर आए हुए लगभग 2 महीने से उपर हो चुके है, मेरा भाई विदेश गया कि नही, मेरे माँ-बाप विदेश गये कि नही , ये सब मुझे कुछ नही पता और ना ही मैने इन दो महीनो मे कभी जानने की कोशिश की और जहाँ तक मेरा अंदाज़ा था वो लोग मुझे मरा मानकर शायद हमेशा के लिए मेरे बड़े भाई के साथ विदेश चले गये होंगेयदि कोई मुझसे पुछे कि दुनिया का सबसे बेकार, सबसे बड़ा बेवकूफ़, ईवन सबसे बड़ा चूतिया कौन है , तो मैं बिना एक पल गँवाए अपना हाथ उपर खड़ा कर दूँगा और बोलूँगा "मैं हूँ".यदि किसी को अपनी लाइफ की जड़े खोदकर बर्बाद करनी हो तो वो बेशक मेरे पास आ सकता था, और बेशक मैं उसकी मदद भी करता हूँ....
नागपुर आए हुए मुझे दो महीने से उपर हो गया था,जहाँ मैं रहता था , वहाँ से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर एक नयी नयी मेटलर्जिकल इंडस्ट्री शुरू हुई थी...काफ़ी धक्के मुक्के लगाकर कैसे भी करके मैने वहाँ अपनी नौकरी फिक्स की , बड़ी ही बड़जात किस्म की नौकरी थी, 12 घंटे तक अपने शरीर को आग मे तपाने के बाद बस गुज़ारा हो जाए इतना ही पैसा मिलता था....खैर मुझे कोई शिकायत भी नही थी....जैसे जैसे समय बीत रहा था, मैं उन फॅक्टरी की आग मे जल रहा था, जीने के सारे अरमान ख़तम हो रहे थे, और जब कभी आसमान को देखता तो सिर्फ़ दो लाइन्स मेरे मूह से निकल पड़ती...
आसमानो के फलक पर कुछ रंग आज भी बाकी है.........!!!
जाने ऐसा क्यूँ लगता है कि ज़िंदगी मे कुछ अरमान आज भी बाकी है.........!!!
और मेरी सबसे बड़ी बदक़िस्मती ये थी कि मेरा नाम भी अरमान था, जिसके अरमान पूरे नही हुए, या फिर यूँ कहे कि मेरे अरमान पूरे होने के लिए कभी बने ही नही थे.
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"अरमान...अरमान...उठ, वरना लेट हो जाएगा..."वरुण ना जाने कब से मुझे उठाने की कोशिश मे लगा हुआ था, और जब मैने बिस्तर नही छोड़ा तो हमेशा की तरह आज भी उसने पानी की एक बोतल उठाई और सीधे मेरे चेहरे पर उडेल दिया....
"टाइम कितना हुआ है..."आँखे मलते हुए मैं उठकर बैठ गया, और घड़ी पर नज़र दौड़ाई, सुबह के 8 बज रहे थे....भारी मन से मैने बिस्तर छोड़ा और बाथरूम मे घुस गया....
वरुण मेरा बचपन का दोस्त था और इसी की वजह से मैं नागपुर मे था, जहाँ हम रहते थे, वो एक कॉलोनी थी,जो कि शहर से दूर बना हुआ था,...इस कॉलोनी मे कयि बड़े बड़े रहीस लोग भी रहते थे, तो कुछ मेरी तरह घिस घिस कर ज़िंदगी गुजारने वालो मे से भी थे....मेरे साथ क्या हुआ, मैने ऐसा क्या किया ,जिससे सब मुझसे दूर हो गये, ये सब वरुण ने कयि बार जानने की कोशिश की...लेकिन मैने हर बार टाल दिया...वरुण प्रेस मे काम करता था, उसकी हालत और उसके शौक देखकर इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि उसकी सॅलरी काफ़ी मोटी होगी और यदि मुझे कभी किसी चीज़ की ज़रूरत होती तो वो बिना कुछ कहे मुझ पर पैसे लूटा देता, ये जानते हुए भी कि मैं उसके पैसे कभी वापस नही करूँगा.....
"अब ब्रेकफास्ट क्या खाक करेगा , टाइम नही बचा है...."मैं बाथरूम से निकला ही था कि उसने मुझे टोका..."और पी रात भर दारू, साले खुद को देख ,क्या हालत बना रखी है..."
"अब तू सुबह सुबह भासन मत दे..."मैने झुझलाते हुए कहा....
"अकड़ देखो इस लौन्डे की,..."वरुण बोलते बोलते रुक गया, जैसे उसे कुछ याद आ गया हो....वो थोड़ी देर रुक कर बोला...
"वो तेरी आइटम आई थी, सुबह-सुबह...."
"कौन..."मैं जानता था कि वो किसकी बात कर रहा है, लेकिन फिर भी मैने अंजान बनने की कोशिश की...
"निशा..."
"निशा...."मैने अपना सेल फोन उठाया, तो देखा कि निशा की बहुत सारी मिस कॉल पड़ी हुई थी....
"क्या बोली वो..."
"मुझसे तो बस इतना बोल के गयी कि, अरमान जब उठ जाए तो मुझे कॉल कर ले..."
"ओके...."
निशा हमारी ही कॉलोनी मे रहती थी, वो उन अय्याश लड़कियो मे से थी, जिनके माँ-बाप के पास बेशुमार धन-दौलत होती है, जिसे वो अपने दोनो हाथो से भी लुटाए तो भी उनके बॅंक बॅलेन्स पर कोई फरक ना पड़े.....निशा से मेरी पहले मुलाक़ात कॉलोनी के गार्डेन मे ही हुई थी, और जल्द ही हमारी ये पहली मुलाक़ात बिस्तर पर जाकर ख़तम हुई,...निशा उन लड़कियो मे से थी, जिनके हर गली , हर मोहल्ले मे मुझ जैसा एक बाय्फ्रेंड होता है, जिसे वो अपनी हवस मिटाने के लिए इस्तेमाल करती है...इस कॉलोनी मे मैं निशा का बाय्फ्रेंड था, या फिर यूँ कहे कि मैं उसका एक तरह से गुलाम था.....वो जब भी ,जैसे भी चाहे मेरा इस्तेमाल करके अपने शरीर के हवस को पूरा करती थी...दिल मे कयि बार आया कि उसे छोड़ दूं, उससे बात करना बंद कर दूं, लेकिन मैने कभी ऐसा कुछ भी नही किया....क्यूंकी निशा के साथ बिस्तर पर बीता हुआ हर एक पल मुझे अपनी धिक्कार ज़िंदगी से बहुत दूर ले जाता था, जहाँ मैं कुछ पल के लिए सब कुछ भूल सा जाता था....
"चल ठीक है, मिलते है 12 घंटे के बाद..."वरुण ने मजाकिया अंदाज़ मे कहा....
हर रोज की तरह मैं आज भी उस स्टील प्लांट मे अपना खून जलाने के लिए निकल पड़ा,...मैं अभी रूम से निकला ही था कि निशा का कॉल फिर आने लगा...
"हेलो..."मैने कॉल रिसीव की...
"गुड मॉर्निंग शहाबजादे...उठ गये आप..."
"इतनी इज़्ज़त से कोई मुझसे बात करे, इसकी आदत नही मुझे...कॉल क्यूँ किया..."
"ओह हो...तेवेर तो ऐसे जैसे सच मे शहाबजादे हो...आज मोम-डॅड रात मे किसी पार्टी के लिए जा रहे है...घर बिल्कुल खाली है...."
"ठीक है, रात को खाना खाने के बाद मैं आ जाउन्गा..."
कुछ देर तक निशा की तरफ से कोई आवाज़ नही आई और जब मैं कॉल डिसकनेक्ट करने वाला था तभी वो बोली...
"खाना ,मेरे साथ ही खा लेना..."
"ठीक है, मैं आ जाउन्गा..."
निशा ने मुझे आज रात अपने घर पर बुलाया था, जिसका सॉफ मतलब था कि आज मुझे उसके साथ उसी के बिस्तर पर सोना है
निशा से बात करने के बाद मैं स्टील प्लांट की तरफ चल पड़ा, जहाँ मुझे 12 घंटे तक अपना खून जलाना था,...
नागपुर आए हुए मुझे दो महीने से उपर हो गया था,जहाँ मैं रहता था , वहाँ से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर एक नयी नयी मेटलर्जिकल इंडस्ट्री शुरू हुई थी...काफ़ी धक्के मुक्के लगाकर कैसे भी करके मैने वहाँ अपनी नौकरी फिक्स की , बड़ी ही बड़जात किस्म की नौकरी थी, 12 घंटे तक अपने शरीर को आग मे तपाने के बाद बस गुज़ारा हो जाए इतना ही पैसा मिलता था....खैर मुझे कोई शिकायत भी नही थी....जैसे जैसे समय बीत रहा था, मैं उन फॅक्टरी की आग मे जल रहा था, जीने के सारे अरमान ख़तम हो रहे थे, और जब कभी आसमान को देखता तो सिर्फ़ दो लाइन्स मेरे मूह से निकल पड़ती...
आसमानो के फलक पर कुछ रंग आज भी बाकी है.........!!!
जाने ऐसा क्यूँ लगता है कि ज़िंदगी मे कुछ अरमान आज भी बाकी है.........!!!
और मेरी सबसे बड़ी बदक़िस्मती ये थी कि मेरा नाम भी अरमान था, जिसके अरमान पूरे नही हुए, या फिर यूँ कहे कि मेरे अरमान पूरे होने के लिए कभी बने ही नही थे.
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"अरमान...अरमान...उठ, वरना लेट हो जाएगा..."वरुण ना जाने कब से मुझे उठाने की कोशिश मे लगा हुआ था, और जब मैने बिस्तर नही छोड़ा तो हमेशा की तरह आज भी उसने पानी की एक बोतल उठाई और सीधे मेरे चेहरे पर उडेल दिया....
"टाइम कितना हुआ है..."आँखे मलते हुए मैं उठकर बैठ गया, और घड़ी पर नज़र दौड़ाई, सुबह के 8 बज रहे थे....भारी मन से मैने बिस्तर छोड़ा और बाथरूम मे घुस गया....
वरुण मेरा बचपन का दोस्त था और इसी की वजह से मैं नागपुर मे था, जहाँ हम रहते थे, वो एक कॉलोनी थी,जो कि शहर से दूर बना हुआ था,...इस कॉलोनी मे कयि बड़े बड़े रहीस लोग भी रहते थे, तो कुछ मेरी तरह घिस घिस कर ज़िंदगी गुजारने वालो मे से भी थे....मेरे साथ क्या हुआ, मैने ऐसा क्या किया ,जिससे सब मुझसे दूर हो गये, ये सब वरुण ने कयि बार जानने की कोशिश की...लेकिन मैने हर बार टाल दिया...वरुण प्रेस मे काम करता था, उसकी हालत और उसके शौक देखकर इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि उसकी सॅलरी काफ़ी मोटी होगी और यदि मुझे कभी किसी चीज़ की ज़रूरत होती तो वो बिना कुछ कहे मुझ पर पैसे लूटा देता, ये जानते हुए भी कि मैं उसके पैसे कभी वापस नही करूँगा.....
"अब ब्रेकफास्ट क्या खाक करेगा , टाइम नही बचा है...."मैं बाथरूम से निकला ही था कि उसने मुझे टोका..."और पी रात भर दारू, साले खुद को देख ,क्या हालत बना रखी है..."
"अब तू सुबह सुबह भासन मत दे..."मैने झुझलाते हुए कहा....
"अकड़ देखो इस लौन्डे की,..."वरुण बोलते बोलते रुक गया, जैसे उसे कुछ याद आ गया हो....वो थोड़ी देर रुक कर बोला...
"वो तेरी आइटम आई थी, सुबह-सुबह...."
"कौन..."मैं जानता था कि वो किसकी बात कर रहा है, लेकिन फिर भी मैने अंजान बनने की कोशिश की...
"निशा..."
"निशा...."मैने अपना सेल फोन उठाया, तो देखा कि निशा की बहुत सारी मिस कॉल पड़ी हुई थी....
"क्या बोली वो..."
"मुझसे तो बस इतना बोल के गयी कि, अरमान जब उठ जाए तो मुझे कॉल कर ले..."
"ओके...."
निशा हमारी ही कॉलोनी मे रहती थी, वो उन अय्याश लड़कियो मे से थी, जिनके माँ-बाप के पास बेशुमार धन-दौलत होती है, जिसे वो अपने दोनो हाथो से भी लुटाए तो भी उनके बॅंक बॅलेन्स पर कोई फरक ना पड़े.....निशा से मेरी पहले मुलाक़ात कॉलोनी के गार्डेन मे ही हुई थी, और जल्द ही हमारी ये पहली मुलाक़ात बिस्तर पर जाकर ख़तम हुई,...निशा उन लड़कियो मे से थी, जिनके हर गली , हर मोहल्ले मे मुझ जैसा एक बाय्फ्रेंड होता है, जिसे वो अपनी हवस मिटाने के लिए इस्तेमाल करती है...इस कॉलोनी मे मैं निशा का बाय्फ्रेंड था, या फिर यूँ कहे कि मैं उसका एक तरह से गुलाम था.....वो जब भी ,जैसे भी चाहे मेरा इस्तेमाल करके अपने शरीर के हवस को पूरा करती थी...दिल मे कयि बार आया कि उसे छोड़ दूं, उससे बात करना बंद कर दूं, लेकिन मैने कभी ऐसा कुछ भी नही किया....क्यूंकी निशा के साथ बिस्तर पर बीता हुआ हर एक पल मुझे अपनी धिक्कार ज़िंदगी से बहुत दूर ले जाता था, जहाँ मैं कुछ पल के लिए सब कुछ भूल सा जाता था....
"चल ठीक है, मिलते है 12 घंटे के बाद..."वरुण ने मजाकिया अंदाज़ मे कहा....
हर रोज की तरह मैं आज भी उस स्टील प्लांट मे अपना खून जलाने के लिए निकल पड़ा,...मैं अभी रूम से निकला ही था कि निशा का कॉल फिर आने लगा...
"हेलो..."मैने कॉल रिसीव की...
"गुड मॉर्निंग शहाबजादे...उठ गये आप..."
"इतनी इज़्ज़त से कोई मुझसे बात करे, इसकी आदत नही मुझे...कॉल क्यूँ किया..."
"ओह हो...तेवेर तो ऐसे जैसे सच मे शहाबजादे हो...आज मोम-डॅड रात मे किसी पार्टी के लिए जा रहे है...घर बिल्कुल खाली है...."
"ठीक है, रात को खाना खाने के बाद मैं आ जाउन्गा..."
कुछ देर तक निशा की तरफ से कोई आवाज़ नही आई और जब मैं कॉल डिसकनेक्ट करने वाला था तभी वो बोली...
"खाना ,मेरे साथ ही खा लेना..."
"ठीक है, मैं आ जाउन्गा..."
निशा ने मुझे आज रात अपने घर पर बुलाया था, जिसका सॉफ मतलब था कि आज मुझे उसके साथ उसी के बिस्तर पर सोना है
निशा से बात करने के बाद मैं स्टील प्लांट की तरफ चल पड़ा, जहाँ मुझे 12 घंटे तक अपना खून जलाना था,...
Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
मैं हर रात इस आस मे सोता हूँ कि, सुबह होते ही मेरा कोई भी खास दोस्त मेरे पिच्छवाड़े पर लात मार कर उठाए और फिर गले लगाकर बोले कि"रिलॅक्स कुत्ते, जो कुछ भी हुआ, वो सब एक सपना था...अब जल्दी से चल ,फर्स्ट क्लास दम्मो रानी की है, यदि लेट हुए तो हथियार पकड़ कर पूरे पीरियड भर बाहर खड़ा रहना पड़ेगा...."
लेकिन हक़ीक़त कभी सपने या ख्वाब मे तब्दील नही होते...मैने अपने साथ कुछ बहुत बुरा किया था...ये भी एक हक़ीक़त थी....जिस स्टील प्लांट मे मैं काम करता था, वहाँ मेरी किसी से कोई पहचान नही थी और ना ही कभी मैने उनसे मिलने-जुलने की कोशिश की....जब कभी एक दूसरे की हेल्प पड़ती तो"ये...ओये...ग्रीन शर्ट...ब्लू शर्ट..."ये सब बोलकर अपना काम चला लेते....उस दिन मैं रात को 9 बजे अपने रूम पर आया...वरुण मुझसे पहले आ चुका था....
"चल , हाथ-मूह धो ले...दारू पीते है..."एक टेबल की तरफ वरुण ने इशारा किया, जहाँ एम.डी. की बोतल रखी हुई थी...
"मैं आज निशा के घर जा रहा हूँ..."
"अरे ग़ज़ब...मतलब आज पूरी रात, लाइव मॅच होने वाला है..."
"लाइव मॅच तो होगा, लेकिन ऑडियेन्स सिर्फ़ हम दोनो होंगे..."
"साला ,मुझे अभी तक ये समझ नही आया कि निशा जैसी हाइ प्रोफाइल क्लास वाली लड़की ,तुझसे कैसे सेट हो गयी....मैं मर गया था क्या.."एम.डी. की बोतल को खोलते हुए वरुण ने कहा"अरमान, एक काम कर...तू निशा से शादी कर ले...लाइफ सेट हो जाएगी...."
"सजेशन अच्छा है, लेकिन मुझे पसंद नही..."
"तो फिर एक और सरिया उठा के पिच्छवाड़े मे डाल लियो, ज़िंदगी और भी बढ़िया गुज़रेगी..."चिढ़ते हुए वरुण बोला...
"मैं चलता हूँ..."ये बोलकर मैं रूम से बाहर आया...
निशा की तरह मैं भी चाहता था कि वो हर रात मेरी साथ ही बिताए, यही रीज़न था कि मैने उसे अभी तक छोड़ा नही था...और एक सॅडेस्ट पर्सन से सेक्स करने की चाह ने भी उसे मुझे बाँध रखा था....वो हमेशा जब भी मुझसे मिलती तो यही कहती कि, तुम्हारे साथ बहुत मज़ा आता है और उसके ऐसा कहने के बाद मैं एक बनावटी मुस्कुराहट उसपर फेक के मारता हूँ, जिसका निशाना हर बार ठीक बैठता है......
"कम..."निशा ने दरवाजा खोलते हुए कहा, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे जल्दी से अंदर खींच लिया....
"सब्र कर थोड़ी देर...."मैने अंदर ही अंदर हज़ार गालियाँ निशा को दी
अंदर आकर हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठ गये, वो मेरे सामने वाली चेयर पर बैठी मुझे शरारत भरी नज़रों से देख रही थी, मैने भी उसकी आँखो मे आँखे डाली और इशारा किया कि मैं तैयार हूँ...मेरा इशारा पाकर वो एकदम से उठी और खाने की प्लेट को डाइनिंग टेबल पर रखकर सीधे मेरे उपर बैठ गयी.
"तुम डॉक्टर हो..."अपनी गहरे लाल रंग की शर्ट की बटन को खोलते हुए वो मुझसे पुछि....
"नही, मैं इंडिया का प्रेसीडेंट हूँ...कुछ काम था क्या..."मैने भी अपनी खाने की प्लेट डाइनिंग टेबल पर रखी और उसके जीन्स का लॉक खोलते हुए बोला...उसने अपने दोनो से मेरे सर को पकड़ा और प्यार से सहलाने लगी....
"अरमान, तुम जानते हो मुझे सबसे ज़्यादा क्या पसंद है..."
"चुदाई..."मैं मन ही मन मे चिल्लाया और निशा की तरफ देख कर ना मे सर हिलाया, अब मेरी नज़र निशा के चेहरे से होते हुए उसके सीने पर जा अटकी, जहाँ उसकी छाती के दोनो फूल बाहर खिलने के लिए तड़प रहे थे....निशा की कोमल गोरी कमर को सहलाते हुए मैने पकड़ा और उसे उपर उठा कर उसकी जीन्स को उसके घुटनो से भी नीचे कर दिया, अब वो मेरे सामने सिर्फ़ रेड ब्रा और पैंटी मे थी, उसके पूरे गोरे जिस्म मे ये रंग कयामत ढा रहा था...
मेरे सीने को सहलाती हुई निशा ने मेरी शर्ट को उतार कर फेक दिया और बेतहाशा मेरे सीने को किस करने लगी, इस वक़्त मेरे हाथ उसकी छातियो पर अटके हुए थे, मैने निशा के सीने के उन दोनो उभारों को कसकर पकड़ा और दबा दिया....
"आअहहस्सस्स....धत्त्त..."वो झूठे गुस्से के साथ बोली..
"नाइस ब्रा, काफ़ी अच्छा लग रहा है ,तुम पर...."उसकी ब्रा को उसके जिस्म से अलग करते हुए मैने कहा...
"यदि ये ब्रा, मेरे जिस्म पर इतना ही अच्छा लग रहा था तो फिर इसे उतारा क्यूँ...."
"क्यूंकी इस ब्रा के पीछे जो चीज़ है वो इससे भी खूबसूरत है"
उसकी छाती अब मेरे सामने नंगी थी, और मैं उसके उभारों को जब चाहे जैसे चाहूं दबा सकता था, वैसे तो मैं खुद को उसका गुलाम मानता था था,लेकिन सेक्स करते वक़्त वो मेरी गुलाम हो जाती थी...निशा के सीने के एक उभार को मैने प्यार से अपने मूह मे भर लिया और दूसरे को तेज़ी से मसल्ने लगा...
"मना किया ना...आहह उउउहह"मेरा हाथ हटाते हुए वो बोली"कितनी बार मना किया है, ज़्यादा तेज़ी से मत दबाया करो..."
मैं इस वक़्त निशा से बहस नही करना चाहता था, इसलिए मैने उसकी बात मान ली और अपने एक हाथ को उसकी छाती पर से हटा लिया और अपने हाथो से निशा के नंगे पेट को सहलाते हुए उसकी चूत पर अपना एक हाथ रख दिया...मेरे ऐसा करने पर वो किसी मछलि की तरह उछल पड़ी और सिसकारिया लेनी लगी,...मेरे पैंट मे बने हुए तंबू का उसे अहसास हो गया था, वो एक मादक सी आवाज़ मे बोली...
"जल्दी .....प्लीज़...आइ कॅन'ट वेट मोर....."मेरे लंड को पैंट के बाहर से ही सहलाती हुई निशा ने कहा....उसकी आवाज़ मे कंपन था...जो मुझे मदहोश कर रही थी...
मैने निशा को उपर उठाया और मैं खुद वहाँ खड़ा हो गया, चेयर को पीछे करने के बाद वो मेरे सामने घुटनो पर बैठी और मेरी तरफ देखते हुए मेरे लंड पर अपना हाथ फिरा रही थी, उसके बाद उसने मेरे लंड को पैंट से बाहर निकाला और अपने हाथो मे थामकर आगे पीछे करने लगी.....
"तुम जानते हो, तुम मे सबसे खास चीज़ क्या है...."मेरे लंड को अपने हाथो से सहलाती हुई उसने मुझसे पुछा....
"लंड...."
"बिल्कुल सही जवाब और आपको मिलती है एक चूत,जिसे आप आज रात भर रगड़ सकते है...."
निशा की इन चन्द लाइन्स ने मुझे और भी ज़्यादा पागल और मदहोश कर दिया और एक यही वक़्त था, जब मुझे उसकी चुदाई करने के अलावा और कुछ भी याद नही रहता, इन्ही चन्द पॅलो के लिए मैं आज भी निशा के साथ था....
"मेरे इनाम को पर्दे मे क्यूँ रखा है..."ऐसा कहते हुए मैने उसी वक़्त निशा को पकड़ कर ज़मीन पर लिटा दिया, और उसकी रशभरी गुलाबी चूत को पर्दे से बाहर किया...ये सब कुछ मैने इतनी जल्दी किया कि निशा हैरान रह गयी...और फिर मुस्कुराते हुए बोली...
"बहुत जल्दी हो रही है आपको.."
"तू कसम से माल ही ऐसी है..."
मेरा ऐसा कहते ही वो खुशी से मचल उठी, निशा को ज़मीन पर लिटाकर मैने एक बार फिर उसकी छाती को मसलना शुरू किया...
"आहह....उूुउउ....."निशा की प्यार भरी मचलन फडक रही थी और वो उतेजना की चरम सीमा पर पहुच कर दस्तक दे रही थी, वो इस वक़्त इतनी मदहोश हो गयी थी कि वो खुद के हाथो से अपने सीने के उभारों को रगड़ने लगी और मुझे इशारा किया कि ,मैं वो सब कुछ करूँ,जिसके लिए आज रात मैं यहाँ था....मैने निशा की गोरी चिकनी कमर को पकड़ा और उसे अपने लंड के ठीक उपर बैठा लिया, उसकी चूत इस वक़्त मेरे लंड के स्पर्श के लिए तड़प रही थी...मैने उसकी तड़प कम करने के लिए अपने हाथो से उसकी चूत को थोड़ा फैलाया और सीधे अपना लंड एक तेज धक्के के साथ अंदर घुसा दिया....
"अहह.......आहह"अपनी उंगली को दांतो से दबाते हुए वो बोली, उसका चेहरा इस वक़्त लाल पीला हो रहा था,...
मैं ज़मीन पर लेटा हुआ था और निशा मेरे उपर बैठी हुई अपनी गान्ड हिला कर मज़े लूट रही थी...इस तरह उसका दर्द भी कुछ कम हो गया था, और अब वो मस्ती भरी सिसकारियाँ ले रही थी...मैने एक बार फिर से अपने सबसे चहेती जगह को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और तेज़ी से अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा,...कभी निशा मेरे हाथो को पकड़ लेती तो कभी अपनी चिकनी गान्ड को मटकाते हुए आगे पीछे करती....मेरे तेज धक्को के साथ उसकी सिसकारियाँ भी बढ़ती जा रही थी, इसी बीच मैने उसके बूब्स को कयि बार बहुत तेज़ी से मसला , इतना तेज़ी से कि उसकी मस्ती भरी सिसकारियो मे अब दर्द झलक रहा था,लेकिन ये दर्द वो अपनी भारी गान्ड को आगे पीछे करके सह रही थी, हम दोनो इस पोज़िशन मे बहुत देर तक रहे,उसके बाद मैने निशा को अलग किया और घुटने पीछे की तरफ मोड़ कर बैठ गया और उसकी जाँघो को सहलाते हुए उसे भी अपने उपर बैठा लिया....
"स्शह...ये क्या कर रहे हो..."निशा बोली...
"कुछ नही, बस अपना काम कर रहा हूँ..."उसके नंगे बदन पर किस करते हुए मैं बोला और फिर अपने लंड को उसकी चूत से टिकाया और एक जोरदार धक्का मारा. इस पोज़िशन मे मैं पहली बार निशा को चोद रहा था,इसलिए वो तैयार ना थी , और जैसे ही मेरा लंड पूरा अंदर घुसा वो दर्द के मारे ज़ोर से चीखी, वो दर्द से तड़प उठी और मुझसे च्छुटने की कोशिश करने लगी,लेकिन मैने उसकी कमर को कसकर पकड़ा और उसकी चूत मे लंड अंदर बाहर करने लगा....निशा ने अपने हाथो से मेरे लंड को निकालने की भी कोशिश की ,लेकिन उसके हाथ मेरा काम बिगाड़ते उससे पहले ही मैने उसके दोनो हाथो को पकड़ कर पीछे जकड लिया, अब उसके पास असहाय होकर चुदने के आलवा और कोई रास्ता नही था,...निशा की सिसकारियाँ इस बीच लगातार निकल रही थी , जो मुझे और भी उतेज़ित कर रही थी, निशा की सिसकारियो मे दर्द सॉफ झलक रहा था....मैने निशा को ज़मीन पर वापस लिटाया और उसकी टाँगो को पकड़ कर उसे खुद की तरफ खींचा, उसके बाद मैने उसकी दोनो टाँगो को उपर उठाकर उसकी तरफ मोड़ दिया ,जिससे उसकी चूत मेरे सामने की तरफ आ गयी और बिना एक पल गँवाए मैने अपना लंड अंदर डाल दिया,निशा की चीख एक बार फिर पूरे घर मे गूँजी, उसका गोरा शरीर, दर्द और मस्ती से लाल पीला हो रहा था...
"मैं...अब...आहह....अरमान...आइ ल्ल्लूओवीए युवयू....सस्शह एसस्स्स्स्स्सस्स"
निशा झड गयी और उसकी गुलाबी चूत से पानी बाहर रिसने लगा , अब मैने उसके गालो को तेज़ी से सहलाया और बुरी तरह से निशा से लिपटकर और भी तेज़ी से अपना लंड घुसाने लगा...वो मुझे रोकने की कोशिश करने लगी ,लेकिन मैं नही रुका और लगातार अपना लंड उसकी चूत मे देता रहा, और कुछ देर के बाद मैं भी झड गया....मैं और निशा अब भी एक दूसरे से लिपटे हुए थे...हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे आँखे डाल कर ना जाने क्या देख रहे थे....फिर उसने ऐसा कुछ कहा, जिसकी मैने कभी कल्पना तक नही की थी.......
लेकिन हक़ीक़त कभी सपने या ख्वाब मे तब्दील नही होते...मैने अपने साथ कुछ बहुत बुरा किया था...ये भी एक हक़ीक़त थी....जिस स्टील प्लांट मे मैं काम करता था, वहाँ मेरी किसी से कोई पहचान नही थी और ना ही कभी मैने उनसे मिलने-जुलने की कोशिश की....जब कभी एक दूसरे की हेल्प पड़ती तो"ये...ओये...ग्रीन शर्ट...ब्लू शर्ट..."ये सब बोलकर अपना काम चला लेते....उस दिन मैं रात को 9 बजे अपने रूम पर आया...वरुण मुझसे पहले आ चुका था....
"चल , हाथ-मूह धो ले...दारू पीते है..."एक टेबल की तरफ वरुण ने इशारा किया, जहाँ एम.डी. की बोतल रखी हुई थी...
"मैं आज निशा के घर जा रहा हूँ..."
"अरे ग़ज़ब...मतलब आज पूरी रात, लाइव मॅच होने वाला है..."
"लाइव मॅच तो होगा, लेकिन ऑडियेन्स सिर्फ़ हम दोनो होंगे..."
"साला ,मुझे अभी तक ये समझ नही आया कि निशा जैसी हाइ प्रोफाइल क्लास वाली लड़की ,तुझसे कैसे सेट हो गयी....मैं मर गया था क्या.."एम.डी. की बोतल को खोलते हुए वरुण ने कहा"अरमान, एक काम कर...तू निशा से शादी कर ले...लाइफ सेट हो जाएगी...."
"सजेशन अच्छा है, लेकिन मुझे पसंद नही..."
"तो फिर एक और सरिया उठा के पिच्छवाड़े मे डाल लियो, ज़िंदगी और भी बढ़िया गुज़रेगी..."चिढ़ते हुए वरुण बोला...
"मैं चलता हूँ..."ये बोलकर मैं रूम से बाहर आया...
निशा की तरह मैं भी चाहता था कि वो हर रात मेरी साथ ही बिताए, यही रीज़न था कि मैने उसे अभी तक छोड़ा नही था...और एक सॅडेस्ट पर्सन से सेक्स करने की चाह ने भी उसे मुझे बाँध रखा था....वो हमेशा जब भी मुझसे मिलती तो यही कहती कि, तुम्हारे साथ बहुत मज़ा आता है और उसके ऐसा कहने के बाद मैं एक बनावटी मुस्कुराहट उसपर फेक के मारता हूँ, जिसका निशाना हर बार ठीक बैठता है......
"कम..."निशा ने दरवाजा खोलते हुए कहा, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे जल्दी से अंदर खींच लिया....
"सब्र कर थोड़ी देर...."मैने अंदर ही अंदर हज़ार गालियाँ निशा को दी
अंदर आकर हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठ गये, वो मेरे सामने वाली चेयर पर बैठी मुझे शरारत भरी नज़रों से देख रही थी, मैने भी उसकी आँखो मे आँखे डाली और इशारा किया कि मैं तैयार हूँ...मेरा इशारा पाकर वो एकदम से उठी और खाने की प्लेट को डाइनिंग टेबल पर रखकर सीधे मेरे उपर बैठ गयी.
"तुम डॉक्टर हो..."अपनी गहरे लाल रंग की शर्ट की बटन को खोलते हुए वो मुझसे पुछि....
"नही, मैं इंडिया का प्रेसीडेंट हूँ...कुछ काम था क्या..."मैने भी अपनी खाने की प्लेट डाइनिंग टेबल पर रखी और उसके जीन्स का लॉक खोलते हुए बोला...उसने अपने दोनो से मेरे सर को पकड़ा और प्यार से सहलाने लगी....
"अरमान, तुम जानते हो मुझे सबसे ज़्यादा क्या पसंद है..."
"चुदाई..."मैं मन ही मन मे चिल्लाया और निशा की तरफ देख कर ना मे सर हिलाया, अब मेरी नज़र निशा के चेहरे से होते हुए उसके सीने पर जा अटकी, जहाँ उसकी छाती के दोनो फूल बाहर खिलने के लिए तड़प रहे थे....निशा की कोमल गोरी कमर को सहलाते हुए मैने पकड़ा और उसे उपर उठा कर उसकी जीन्स को उसके घुटनो से भी नीचे कर दिया, अब वो मेरे सामने सिर्फ़ रेड ब्रा और पैंटी मे थी, उसके पूरे गोरे जिस्म मे ये रंग कयामत ढा रहा था...
मेरे सीने को सहलाती हुई निशा ने मेरी शर्ट को उतार कर फेक दिया और बेतहाशा मेरे सीने को किस करने लगी, इस वक़्त मेरे हाथ उसकी छातियो पर अटके हुए थे, मैने निशा के सीने के उन दोनो उभारों को कसकर पकड़ा और दबा दिया....
"आअहहस्सस्स....धत्त्त..."वो झूठे गुस्से के साथ बोली..
"नाइस ब्रा, काफ़ी अच्छा लग रहा है ,तुम पर...."उसकी ब्रा को उसके जिस्म से अलग करते हुए मैने कहा...
"यदि ये ब्रा, मेरे जिस्म पर इतना ही अच्छा लग रहा था तो फिर इसे उतारा क्यूँ...."
"क्यूंकी इस ब्रा के पीछे जो चीज़ है वो इससे भी खूबसूरत है"
उसकी छाती अब मेरे सामने नंगी थी, और मैं उसके उभारों को जब चाहे जैसे चाहूं दबा सकता था, वैसे तो मैं खुद को उसका गुलाम मानता था था,लेकिन सेक्स करते वक़्त वो मेरी गुलाम हो जाती थी...निशा के सीने के एक उभार को मैने प्यार से अपने मूह मे भर लिया और दूसरे को तेज़ी से मसल्ने लगा...
"मना किया ना...आहह उउउहह"मेरा हाथ हटाते हुए वो बोली"कितनी बार मना किया है, ज़्यादा तेज़ी से मत दबाया करो..."
मैं इस वक़्त निशा से बहस नही करना चाहता था, इसलिए मैने उसकी बात मान ली और अपने एक हाथ को उसकी छाती पर से हटा लिया और अपने हाथो से निशा के नंगे पेट को सहलाते हुए उसकी चूत पर अपना एक हाथ रख दिया...मेरे ऐसा करने पर वो किसी मछलि की तरह उछल पड़ी और सिसकारिया लेनी लगी,...मेरे पैंट मे बने हुए तंबू का उसे अहसास हो गया था, वो एक मादक सी आवाज़ मे बोली...
"जल्दी .....प्लीज़...आइ कॅन'ट वेट मोर....."मेरे लंड को पैंट के बाहर से ही सहलाती हुई निशा ने कहा....उसकी आवाज़ मे कंपन था...जो मुझे मदहोश कर रही थी...
मैने निशा को उपर उठाया और मैं खुद वहाँ खड़ा हो गया, चेयर को पीछे करने के बाद वो मेरे सामने घुटनो पर बैठी और मेरी तरफ देखते हुए मेरे लंड पर अपना हाथ फिरा रही थी, उसके बाद उसने मेरे लंड को पैंट से बाहर निकाला और अपने हाथो मे थामकर आगे पीछे करने लगी.....
"तुम जानते हो, तुम मे सबसे खास चीज़ क्या है...."मेरे लंड को अपने हाथो से सहलाती हुई उसने मुझसे पुछा....
"लंड...."
"बिल्कुल सही जवाब और आपको मिलती है एक चूत,जिसे आप आज रात भर रगड़ सकते है...."
निशा की इन चन्द लाइन्स ने मुझे और भी ज़्यादा पागल और मदहोश कर दिया और एक यही वक़्त था, जब मुझे उसकी चुदाई करने के अलावा और कुछ भी याद नही रहता, इन्ही चन्द पॅलो के लिए मैं आज भी निशा के साथ था....
"मेरे इनाम को पर्दे मे क्यूँ रखा है..."ऐसा कहते हुए मैने उसी वक़्त निशा को पकड़ कर ज़मीन पर लिटा दिया, और उसकी रशभरी गुलाबी चूत को पर्दे से बाहर किया...ये सब कुछ मैने इतनी जल्दी किया कि निशा हैरान रह गयी...और फिर मुस्कुराते हुए बोली...
"बहुत जल्दी हो रही है आपको.."
"तू कसम से माल ही ऐसी है..."
मेरा ऐसा कहते ही वो खुशी से मचल उठी, निशा को ज़मीन पर लिटाकर मैने एक बार फिर उसकी छाती को मसलना शुरू किया...
"आहह....उूुउउ....."निशा की प्यार भरी मचलन फडक रही थी और वो उतेजना की चरम सीमा पर पहुच कर दस्तक दे रही थी, वो इस वक़्त इतनी मदहोश हो गयी थी कि वो खुद के हाथो से अपने सीने के उभारों को रगड़ने लगी और मुझे इशारा किया कि ,मैं वो सब कुछ करूँ,जिसके लिए आज रात मैं यहाँ था....मैने निशा की गोरी चिकनी कमर को पकड़ा और उसे अपने लंड के ठीक उपर बैठा लिया, उसकी चूत इस वक़्त मेरे लंड के स्पर्श के लिए तड़प रही थी...मैने उसकी तड़प कम करने के लिए अपने हाथो से उसकी चूत को थोड़ा फैलाया और सीधे अपना लंड एक तेज धक्के के साथ अंदर घुसा दिया....
"अहह.......आहह"अपनी उंगली को दांतो से दबाते हुए वो बोली, उसका चेहरा इस वक़्त लाल पीला हो रहा था,...
मैं ज़मीन पर लेटा हुआ था और निशा मेरे उपर बैठी हुई अपनी गान्ड हिला कर मज़े लूट रही थी...इस तरह उसका दर्द भी कुछ कम हो गया था, और अब वो मस्ती भरी सिसकारियाँ ले रही थी...मैने एक बार फिर से अपने सबसे चहेती जगह को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और तेज़ी से अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा,...कभी निशा मेरे हाथो को पकड़ लेती तो कभी अपनी चिकनी गान्ड को मटकाते हुए आगे पीछे करती....मेरे तेज धक्को के साथ उसकी सिसकारियाँ भी बढ़ती जा रही थी, इसी बीच मैने उसके बूब्स को कयि बार बहुत तेज़ी से मसला , इतना तेज़ी से कि उसकी मस्ती भरी सिसकारियो मे अब दर्द झलक रहा था,लेकिन ये दर्द वो अपनी भारी गान्ड को आगे पीछे करके सह रही थी, हम दोनो इस पोज़िशन मे बहुत देर तक रहे,उसके बाद मैने निशा को अलग किया और घुटने पीछे की तरफ मोड़ कर बैठ गया और उसकी जाँघो को सहलाते हुए उसे भी अपने उपर बैठा लिया....
"स्शह...ये क्या कर रहे हो..."निशा बोली...
"कुछ नही, बस अपना काम कर रहा हूँ..."उसके नंगे बदन पर किस करते हुए मैं बोला और फिर अपने लंड को उसकी चूत से टिकाया और एक जोरदार धक्का मारा. इस पोज़िशन मे मैं पहली बार निशा को चोद रहा था,इसलिए वो तैयार ना थी , और जैसे ही मेरा लंड पूरा अंदर घुसा वो दर्द के मारे ज़ोर से चीखी, वो दर्द से तड़प उठी और मुझसे च्छुटने की कोशिश करने लगी,लेकिन मैने उसकी कमर को कसकर पकड़ा और उसकी चूत मे लंड अंदर बाहर करने लगा....निशा ने अपने हाथो से मेरे लंड को निकालने की भी कोशिश की ,लेकिन उसके हाथ मेरा काम बिगाड़ते उससे पहले ही मैने उसके दोनो हाथो को पकड़ कर पीछे जकड लिया, अब उसके पास असहाय होकर चुदने के आलवा और कोई रास्ता नही था,...निशा की सिसकारियाँ इस बीच लगातार निकल रही थी , जो मुझे और भी उतेज़ित कर रही थी, निशा की सिसकारियो मे दर्द सॉफ झलक रहा था....मैने निशा को ज़मीन पर वापस लिटाया और उसकी टाँगो को पकड़ कर उसे खुद की तरफ खींचा, उसके बाद मैने उसकी दोनो टाँगो को उपर उठाकर उसकी तरफ मोड़ दिया ,जिससे उसकी चूत मेरे सामने की तरफ आ गयी और बिना एक पल गँवाए मैने अपना लंड अंदर डाल दिया,निशा की चीख एक बार फिर पूरे घर मे गूँजी, उसका गोरा शरीर, दर्द और मस्ती से लाल पीला हो रहा था...
"मैं...अब...आहह....अरमान...आइ ल्ल्लूओवीए युवयू....सस्शह एसस्स्स्स्स्सस्स"
निशा झड गयी और उसकी गुलाबी चूत से पानी बाहर रिसने लगा , अब मैने उसके गालो को तेज़ी से सहलाया और बुरी तरह से निशा से लिपटकर और भी तेज़ी से अपना लंड घुसाने लगा...वो मुझे रोकने की कोशिश करने लगी ,लेकिन मैं नही रुका और लगातार अपना लंड उसकी चूत मे देता रहा, और कुछ देर के बाद मैं भी झड गया....मैं और निशा अब भी एक दूसरे से लिपटे हुए थे...हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे आँखे डाल कर ना जाने क्या देख रहे थे....फिर उसने ऐसा कुछ कहा, जिसकी मैने कभी कल्पना तक नही की थी.......
Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
"दिलवालो के घर तो कब के उजड़ चुके....
दिल के आशियाने तो कब के जल चुके....."निशा से मैने सिर्फ़ इतना ही कहा ,जब उसने मुझसे शादी करने के लिए कहा...निशा ,मुझसे शादी करना चाहती है, ये सुनकर मैं कुछ देर के लिए जैसे कोमा मे चला गया था, मैं अब भी ज़मीन पर निशा के उपर लेटा हुआ था और मेरा लंड अब भी उसकी चूत मे अंदर तक धंसा था....मेरे द्वारा कही गयी इन दो पंक्तियो को सुनकर वो पल भर के लिए मुस्कुराइ और फिर मेरे सर पर हाथ फिराती हुई बोली
"तुमने अभी जो कहा, इसका मतलब क्या हुआ..."
"मैं तुमसे शादी नही कर सकता..."
जब मैने उसे ऐसा कहा तो मैने सोच लिया था कि उसके चेहरे पर नाराज़गी के भाव आएँगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ, वो मेरा सर सहलाती रही.....
"मैं मज़ाक कर रही थी..."वो बोली"आक्च्युयली, डॅड ने मेरी शादी कहीं और फिक्स कर दी है और नेक्स्ट वीक शायद लड़के वाले मुझे देखने भी आ रहे है...."
"गुड , लेकिन फिर मुझसे क्यूँ पुछा कि मैं तुमसे शादी करूँगा या नही..."मेरे हाथ धीरे धीरे उसके पूरे शरीर को सहला रहे थे....
"मैं जानना चाहती थी कि, तुम मुझसे प्यार करने लगे हो या नही..."मेरे हाथ की हरकतों से तंग आकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, और हँसती हुई बोली...
"और मैं तुमसे प्यार करता हूँ या नही, ये तुम क्यूँ जानना चाहती थी.."मैने उसके हाथ को दूर किया और फिर से अपना काम शुरू कर दिया, उसकी आँखो मे जिस्म की प्यास फिर से उतरने लगी...
"मैने ये इसलिए पुछा क्यूंकी, मेरे जितने भी बाय्फ्रेंड है, जब मैने उन्हे कहा कि अब मैं उनके साथ रीलेशन नही रख सकती, तो वो बहुत उदास हुए, कुछ तो बच्चो की तरह रोने लगे और बोलने लगे कि,....निशा प्लीज़ मत जाओ, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, तो बस मैं यही जानना चाहती थी कि, कहीं औरो की तरह तुम्हे भी मुझसे प्यार नही हुआ है, वरना आज की रात के बाद तुम भी उन लड़को की तरह रोना धोना शुरू करते...."
"डॉन'ट वरी, मैं ऐसा कुछ भी नही करूँगा...."मैने निशा के दोनो हाथो को कसकर पकड़ा और मेरा लंड जो उसकी चूत मे पहले से ही घुसा हुआ था, मैं उसे फिर से अंदर बाहर करने लगा....मेरी इस हरकत पे वो एक बार फिर मुस्कुरा उठी.....
"तुम्हे, एक बात बताऊ...आअहह..."
"हां बोलो..."
"उन लड़को ने कॉल कर कर के मुझे इतना परेशान कर दिया कि मुझे अपना नंबर तक चेंज करना पड़ा....ज़रा धीरे डालो, अभी अभी झड़ी हूँ तो थोड़ा दर्द हो रहा है..."
"यदि इस काम मे दर्द ना हो तो फिर मज़ा कैसे आएगा,..."मैने और भी तेज़ी से अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगी, निशा सिसकारी लेते हुए हांप भी रही थी, और अपने होंठो को दांतो से काटने लगी....
"प्लीज़ स्टॉप...."
"इस गाड़ी का ब्रेक फैल हो गया है..."
"इस गाड़ी को अभी रोको, रात बहुत लंबी है और सफ़र भी बहुत लंबा है...."उसने मेरी कमर को कसकर जकड लिया और बोली"तुम्हे क्या, तुम तो मेरे उपर लेटे हुए हो, यहाँ ज़मीन पर नीचे तो मैं लेटी हुई हूँ...उठो अभी..."
दिल तो नही चाहता था कि मैं उसे छोड़ू, लेकिन इसका अहसास मुझे हो गया था कि वो ज़मीन पर नीचे लेटकर बहुत देर तक मुझसे सेक्स नही कर सकती ,इसलिए मैने अपना लंड निकाला और खड़ा हुआ, उके बाद मैने मैने सहारा देकर उसे भी उठाया....
"अब बाकी काम बिस्तर पर करते है..."वो एक बार फिर मुस्कुराइ, और अपने कपड़े उठाकर अपने बेडरूम के तरफ बढ़ी....दिल किया कि निशा को पीछे से पकड़ कर वही लिटा कर चोद दूं, लेकिन फिर सोचा कि जब रात लंबी है तो पूरी रात सोकर इसे छोटी क्यूँ बनाई जाए.......
जैसे कि अक्सर रहिसों के घर मे किसी कोने मे शराब की कुछ बोटले रखी होती है, वैसा ही एक छोटा सा शराबखाना निशा के घर मे भी था...जहाँ एक से एक ब्रॅंडेड दारू रखी हुई थी,...
मैं उस छोटे से शराबखाने की तरफ बढ़ा और वहाँ की चेयर पर बैठकर अपना पेग बनाने लगा, दो -तीन पेग मारकर मैने अपने कपड़े पहने और निशा के पूरे घर को देखा, निशा का घर बाहर से जितना बड़ा दिखता था, वो अंदर से और भी बड़ा और आलीशान था , हर एक छोटी से छोटी चीज़ से लेकर बड़ी से बड़ी चीज़ ब्रॅंडेड थी,...
दारू पीने के बाद मैं क्या सोचने लगता हूँ ये मैं खुद आज तक नही समझ पाया, दारू पीने के बाद मेरे पूरे दिमाग़ मे दुनियाभर की बाते आती है, कभी कभी किसी नेता का भाषण तो कभी कभी किसी बाय्फ्रेंड की पोज़िशन, कभी कोई फिल्मस्टार आक्ट्रेस तो कभी कोई सोशियल वर्कर.....लेकिन इस वक़्त अभी जो मेरे ख़याल मे आ रहा था, वो निशा के बारे मे था,...दारू और निशा दोनो ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था.....
लेकिन इस वक़्त अभी जो मेरे ख़याल मे आ रहा था, वो निशा के बारे मे था,...दारू और निशा दोनो ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था.....
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निशा मे एक अजब सी कशिश थी , जो किसी भी मर्द को अपनी तरफ खींच सकती है, फिर चाहे वो निशा के फ्रॅंक बिहेवियर से अट्रॅक्ट हो या उसकी अजब सी शेप मे ढली हुई छाती से या उसकी कट्तश फिगर से....मैं निशा से उसकी छातियों की वजह से अट्रॅक्ट हुआ था, और यही कारण था कि मैं अक्सर उसके साथ सेक्स करते वक़्त उसके सीने के उभारों को पकड़ कर मसल्ने लगता था,...
"अरमान, ज़रा उपर तो आना...."
"कौन है बे..."आवाज़ सुनकर मैं बौखलाया, लेकिन फिर ऐसे लगा जैसे कि मुझे निशा ने आवाज़ दी हो,...
"उसी ने बुलाया होगा..."मैने खुद से कहा और से उठकर सीढ़ियो से उपर जाने लगा, मुझे निशा का बेडरूम मालूम था, इसलिए मैं सीधे वही पहुचा....
"निशा...."
"मैं अंदर हूँ बाथरूम मे..."
निशा की आवाज़ ने मेरा ध्यान बाथरूम की तरफ खींचा,
"इस वक़्त बाथरूम मे , क्या कर रही हो..."
"चूत सॉफ कर रही हूँ, यदि इंट्रेस्टेड हो तो आकर सॉफ कर दो..."
"हां ,जैसे दुनिया की सारी इंट्रेस्टिंग काम ख़तम हो गये है , जो मैं अंदर आकर तुम्हारी चूत सॉफ करूँ..."
"फिर मेरा टवल बिस्तर पर पड़ा है , वो दो...."
मैने बिस्तर पर नज़र डाली, वहाँ टवल के साथ साथ ब्लॅक कलर की ब्रा और पैंटी भी रखी हुई थी, मैने टवल उठाया और निशा को आवाज़ दी...
"दो..."बाथरूम का दरवाज़ा पूरा खोलकर निशा ने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाया, वो पूरी की पूरी पानी मे भीगी हुई नंगी खड़ी थी ,जिसे देखकर मेरे लंड ने एक बार फिर सलामी ठोक दी पैंट के अंदर....
"अरे दो ना..."मुझे अपनी तरफ इस तरह से देखता हुआ पाकर वो बोली"इतने ध्यान से तो तुमने मुझे उस वक़्त भी नही देखा था, जब मैं तुम्हारे साथ पहली बार हम बिस्तर हुई थी..."
मैने कुछ नही कहा और उसके पूरे नंगे गोरे जिस्म को आँखो से नापते हुए उसे टवल दे दिया, और बिस्तर पर आकर लेट गया...एक बात जो मैं अक्सर सोचता कि दुनिया भर की लड़कियाँ बाथरूम मे जाते वक़्त टवल बाहर क्यूँ भूल जाती है....
"ब्रा भी देना...."एक बार फिर बाथरूम से आवाज़ आई और बाथरूम का दरवाज़ा खुला,
"ये लो..."ब्रा और पैंटी दोनो उसके हाथ मे पकड़ाते हुए मैं बोला और मेरी नज़र सीधे उसके सीने पर जा अटकी.....
"साइज़ मालूम है, इनका..."वो दरवाजे को पकड़ कर मस्ती मे बोली और जब मैने कुछ नही कहा तो वो बाथरूम का दरवाज़ा बंद करने लगी....
"निशा...वेट..."
"बोलिए जनाब..."
"जल्दी से बाहर आओ, तुम्हारे बिना चैन नही है..."मैं अपनी इस हरकत पर खुद शरमा गया.....
कुछ देर के बाद निशा बाहर आई, और मेरे बगल मे लेट कर मेरी तरह वो भी छत को देखने लगी...
"तुम सच मे शादी करने वाली हो..."निशा का एक हाथ पकड़ कर मैं बोला...वो अभी अभी नहा के आई थी ,जिसकी वजह से उसके पूरे जिस्म मे ठंडक सवार थी....मेरे सवाल को सुनकर वो थोड़ा हैरान हुई और मेरी तरफ अपना चेहरा करके बोली
"ये तुम क्यूँ पुच्छ रहे हो, "
"बस ऐसे ही..."
"हां यार, सच मे शादी कर रही है और आज की रात हम दोनो की आख़िरी रात होगी..."
"आख़िरी रात..."मैं बुदबुदाया...
"आख़िर तुम्हारे मन मे है क्या..."वो हैरान थी कि मैं अब क्यूँ उससे उसकी शादी के बारे मे पुच्छ रहा हूँ, जबकि पहली बार ही उसे मैने मैने सॉफ मना कर दिया था, खैर हैरान तो मैं खुद भी था....
"यू आर आ स्ट्रेंज मॅन...लेकिन आज कुछ ज़्यादा ही अजीब हरकते कर रहे हो..."मैने उसका जो हाथ पकड़ रखा था वो उसे सहलाती हुई बोली, उसका चेहरा अब भी मेरी तरफ था....निशा को अक्सर ऐसा लगता कि दुनिया भर का सारा सस्पेंस मेरे अंदर ही भरा पड़ा है....
"नही ऐसी कोई बात नही है, मैं तो बस ऐसे ही पुछ रहा था..."कोई तो बात थी जो मेरे अंदर खटक रही थी, ये मैं जानता था....
"अब सारी रात ऐसे ही बोर करोगे या फिर कुछ और........"
वो आगे कुछ और कहती उसके पहले ही मैने उसकी चूत के उपर अपना हाथ रख दिया....
"डाइरेक्ट पॉइंट पे हा..."वो एक बार फिर मुस्कुराते हुए बोली...
"पॉइंट पे तो अब आया हूँ..."मैने उसके पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाते हुए बोला और अपनी एक उंगली चूत के अंदर डाल दिया...कुछ देर पहले के वाकये से अभी भी उसकी चूत गीली थी...
हम दोनो एक दूसरे को देख रहे थे , आज पहली बार वो मुझे बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी, दिल कर रहा था कि उसे चूम लूँ, लेकिन निशा को किस पसंद नही था...
"तुम क्या सोच रहे हो..."वो काँपती हुई आवाज़ मे मेरी तरफ देखकर बोली...जवाब मे मैने अपने दूसरे हाथ की उंगलियो को अपने होंठो पर रखकर इशारा किया कि मैं होतो को अपने होंठो मे भरना चाहता हूँ....मेरे इशारे से निशा थोड़ी अनकंफर्टबल हुई और मुझे कुछ देर तक ना जाने क्या देखती रही.....
"रियली यू वान्ट तो डू इट...???"अपने होंठ पे पर अजीब सी हरकत लाते हुए उसने मुझसे पुछा, मेरी एक उंगली अब भी उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी.....
"यस...आइ वान्ट टू किस यू..."
मैने बस इतना कहा और वो मेरे होंठो के करीब आई, हम दोनो एक दूसरे की साँसे महसूस कर रहे थे, जो कि हम दोनो को और भी गरम कर रही थी....आज पहली बार निशा के लिए मेरे दिल मे कुछ फीलिंग्स आई थी और वो फीलिंग्स इसलिए थी क्यूंकी निशा आज मुझसे दूर जा रही थी, आज की रात हमारी आख़िरी रात थी, शायद इसीलिए वो मान भी गयी.....
"तुम सच मे बहुत अजीब हो..."मेरे होंठो को अपने होंठो से टच करके वो बोली"बट आइ लाइक यू..."
और इसके बाद मैने समय ना गँवाते हुए उसके होंठो को भर लिया....और उसके उपर आ गया....इसी बीच मैने उसको एक बार छोड़ा वो मेरे किस लेने से हांप रही थी उसके सीने के उभार बहुत जल्दी उपर नीचे हो रहे थे....
"एक बात बताओ"मैं बोला"जब तुम्हे मालूम था कि मैं कुछ देर बाद तुम्हारी ब्रा और पैंटी को उतार दूँगा तो तुमने पहना ही क्यूँ...."
दिल के आशियाने तो कब के जल चुके....."निशा से मैने सिर्फ़ इतना ही कहा ,जब उसने मुझसे शादी करने के लिए कहा...निशा ,मुझसे शादी करना चाहती है, ये सुनकर मैं कुछ देर के लिए जैसे कोमा मे चला गया था, मैं अब भी ज़मीन पर निशा के उपर लेटा हुआ था और मेरा लंड अब भी उसकी चूत मे अंदर तक धंसा था....मेरे द्वारा कही गयी इन दो पंक्तियो को सुनकर वो पल भर के लिए मुस्कुराइ और फिर मेरे सर पर हाथ फिराती हुई बोली
"तुमने अभी जो कहा, इसका मतलब क्या हुआ..."
"मैं तुमसे शादी नही कर सकता..."
जब मैने उसे ऐसा कहा तो मैने सोच लिया था कि उसके चेहरे पर नाराज़गी के भाव आएँगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ, वो मेरा सर सहलाती रही.....
"मैं मज़ाक कर रही थी..."वो बोली"आक्च्युयली, डॅड ने मेरी शादी कहीं और फिक्स कर दी है और नेक्स्ट वीक शायद लड़के वाले मुझे देखने भी आ रहे है...."
"गुड , लेकिन फिर मुझसे क्यूँ पुछा कि मैं तुमसे शादी करूँगा या नही..."मेरे हाथ धीरे धीरे उसके पूरे शरीर को सहला रहे थे....
"मैं जानना चाहती थी कि, तुम मुझसे प्यार करने लगे हो या नही..."मेरे हाथ की हरकतों से तंग आकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, और हँसती हुई बोली...
"और मैं तुमसे प्यार करता हूँ या नही, ये तुम क्यूँ जानना चाहती थी.."मैने उसके हाथ को दूर किया और फिर से अपना काम शुरू कर दिया, उसकी आँखो मे जिस्म की प्यास फिर से उतरने लगी...
"मैने ये इसलिए पुछा क्यूंकी, मेरे जितने भी बाय्फ्रेंड है, जब मैने उन्हे कहा कि अब मैं उनके साथ रीलेशन नही रख सकती, तो वो बहुत उदास हुए, कुछ तो बच्चो की तरह रोने लगे और बोलने लगे कि,....निशा प्लीज़ मत जाओ, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, तो बस मैं यही जानना चाहती थी कि, कहीं औरो की तरह तुम्हे भी मुझसे प्यार नही हुआ है, वरना आज की रात के बाद तुम भी उन लड़को की तरह रोना धोना शुरू करते...."
"डॉन'ट वरी, मैं ऐसा कुछ भी नही करूँगा...."मैने निशा के दोनो हाथो को कसकर पकड़ा और मेरा लंड जो उसकी चूत मे पहले से ही घुसा हुआ था, मैं उसे फिर से अंदर बाहर करने लगा....मेरी इस हरकत पे वो एक बार फिर मुस्कुरा उठी.....
"तुम्हे, एक बात बताऊ...आअहह..."
"हां बोलो..."
"उन लड़को ने कॉल कर कर के मुझे इतना परेशान कर दिया कि मुझे अपना नंबर तक चेंज करना पड़ा....ज़रा धीरे डालो, अभी अभी झड़ी हूँ तो थोड़ा दर्द हो रहा है..."
"यदि इस काम मे दर्द ना हो तो फिर मज़ा कैसे आएगा,..."मैने और भी तेज़ी से अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगी, निशा सिसकारी लेते हुए हांप भी रही थी, और अपने होंठो को दांतो से काटने लगी....
"प्लीज़ स्टॉप...."
"इस गाड़ी का ब्रेक फैल हो गया है..."
"इस गाड़ी को अभी रोको, रात बहुत लंबी है और सफ़र भी बहुत लंबा है...."उसने मेरी कमर को कसकर जकड लिया और बोली"तुम्हे क्या, तुम तो मेरे उपर लेटे हुए हो, यहाँ ज़मीन पर नीचे तो मैं लेटी हुई हूँ...उठो अभी..."
दिल तो नही चाहता था कि मैं उसे छोड़ू, लेकिन इसका अहसास मुझे हो गया था कि वो ज़मीन पर नीचे लेटकर बहुत देर तक मुझसे सेक्स नही कर सकती ,इसलिए मैने अपना लंड निकाला और खड़ा हुआ, उके बाद मैने मैने सहारा देकर उसे भी उठाया....
"अब बाकी काम बिस्तर पर करते है..."वो एक बार फिर मुस्कुराइ, और अपने कपड़े उठाकर अपने बेडरूम के तरफ बढ़ी....दिल किया कि निशा को पीछे से पकड़ कर वही लिटा कर चोद दूं, लेकिन फिर सोचा कि जब रात लंबी है तो पूरी रात सोकर इसे छोटी क्यूँ बनाई जाए.......
जैसे कि अक्सर रहिसों के घर मे किसी कोने मे शराब की कुछ बोटले रखी होती है, वैसा ही एक छोटा सा शराबखाना निशा के घर मे भी था...जहाँ एक से एक ब्रॅंडेड दारू रखी हुई थी,...
मैं उस छोटे से शराबखाने की तरफ बढ़ा और वहाँ की चेयर पर बैठकर अपना पेग बनाने लगा, दो -तीन पेग मारकर मैने अपने कपड़े पहने और निशा के पूरे घर को देखा, निशा का घर बाहर से जितना बड़ा दिखता था, वो अंदर से और भी बड़ा और आलीशान था , हर एक छोटी से छोटी चीज़ से लेकर बड़ी से बड़ी चीज़ ब्रॅंडेड थी,...
दारू पीने के बाद मैं क्या सोचने लगता हूँ ये मैं खुद आज तक नही समझ पाया, दारू पीने के बाद मेरे पूरे दिमाग़ मे दुनियाभर की बाते आती है, कभी कभी किसी नेता का भाषण तो कभी कभी किसी बाय्फ्रेंड की पोज़िशन, कभी कोई फिल्मस्टार आक्ट्रेस तो कभी कोई सोशियल वर्कर.....लेकिन इस वक़्त अभी जो मेरे ख़याल मे आ रहा था, वो निशा के बारे मे था,...दारू और निशा दोनो ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था.....
लेकिन इस वक़्त अभी जो मेरे ख़याल मे आ रहा था, वो निशा के बारे मे था,...दारू और निशा दोनो ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था.....
.
निशा मे एक अजब सी कशिश थी , जो किसी भी मर्द को अपनी तरफ खींच सकती है, फिर चाहे वो निशा के फ्रॅंक बिहेवियर से अट्रॅक्ट हो या उसकी अजब सी शेप मे ढली हुई छाती से या उसकी कट्तश फिगर से....मैं निशा से उसकी छातियों की वजह से अट्रॅक्ट हुआ था, और यही कारण था कि मैं अक्सर उसके साथ सेक्स करते वक़्त उसके सीने के उभारों को पकड़ कर मसल्ने लगता था,...
"अरमान, ज़रा उपर तो आना...."
"कौन है बे..."आवाज़ सुनकर मैं बौखलाया, लेकिन फिर ऐसे लगा जैसे कि मुझे निशा ने आवाज़ दी हो,...
"उसी ने बुलाया होगा..."मैने खुद से कहा और से उठकर सीढ़ियो से उपर जाने लगा, मुझे निशा का बेडरूम मालूम था, इसलिए मैं सीधे वही पहुचा....
"निशा...."
"मैं अंदर हूँ बाथरूम मे..."
निशा की आवाज़ ने मेरा ध्यान बाथरूम की तरफ खींचा,
"इस वक़्त बाथरूम मे , क्या कर रही हो..."
"चूत सॉफ कर रही हूँ, यदि इंट्रेस्टेड हो तो आकर सॉफ कर दो..."
"हां ,जैसे दुनिया की सारी इंट्रेस्टिंग काम ख़तम हो गये है , जो मैं अंदर आकर तुम्हारी चूत सॉफ करूँ..."
"फिर मेरा टवल बिस्तर पर पड़ा है , वो दो...."
मैने बिस्तर पर नज़र डाली, वहाँ टवल के साथ साथ ब्लॅक कलर की ब्रा और पैंटी भी रखी हुई थी, मैने टवल उठाया और निशा को आवाज़ दी...
"दो..."बाथरूम का दरवाज़ा पूरा खोलकर निशा ने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाया, वो पूरी की पूरी पानी मे भीगी हुई नंगी खड़ी थी ,जिसे देखकर मेरे लंड ने एक बार फिर सलामी ठोक दी पैंट के अंदर....
"अरे दो ना..."मुझे अपनी तरफ इस तरह से देखता हुआ पाकर वो बोली"इतने ध्यान से तो तुमने मुझे उस वक़्त भी नही देखा था, जब मैं तुम्हारे साथ पहली बार हम बिस्तर हुई थी..."
मैने कुछ नही कहा और उसके पूरे नंगे गोरे जिस्म को आँखो से नापते हुए उसे टवल दे दिया, और बिस्तर पर आकर लेट गया...एक बात जो मैं अक्सर सोचता कि दुनिया भर की लड़कियाँ बाथरूम मे जाते वक़्त टवल बाहर क्यूँ भूल जाती है....
"ब्रा भी देना...."एक बार फिर बाथरूम से आवाज़ आई और बाथरूम का दरवाज़ा खुला,
"ये लो..."ब्रा और पैंटी दोनो उसके हाथ मे पकड़ाते हुए मैं बोला और मेरी नज़र सीधे उसके सीने पर जा अटकी.....
"साइज़ मालूम है, इनका..."वो दरवाजे को पकड़ कर मस्ती मे बोली और जब मैने कुछ नही कहा तो वो बाथरूम का दरवाज़ा बंद करने लगी....
"निशा...वेट..."
"बोलिए जनाब..."
"जल्दी से बाहर आओ, तुम्हारे बिना चैन नही है..."मैं अपनी इस हरकत पर खुद शरमा गया.....
कुछ देर के बाद निशा बाहर आई, और मेरे बगल मे लेट कर मेरी तरह वो भी छत को देखने लगी...
"तुम सच मे शादी करने वाली हो..."निशा का एक हाथ पकड़ कर मैं बोला...वो अभी अभी नहा के आई थी ,जिसकी वजह से उसके पूरे जिस्म मे ठंडक सवार थी....मेरे सवाल को सुनकर वो थोड़ा हैरान हुई और मेरी तरफ अपना चेहरा करके बोली
"ये तुम क्यूँ पुच्छ रहे हो, "
"बस ऐसे ही..."
"हां यार, सच मे शादी कर रही है और आज की रात हम दोनो की आख़िरी रात होगी..."
"आख़िरी रात..."मैं बुदबुदाया...
"आख़िर तुम्हारे मन मे है क्या..."वो हैरान थी कि मैं अब क्यूँ उससे उसकी शादी के बारे मे पुच्छ रहा हूँ, जबकि पहली बार ही उसे मैने मैने सॉफ मना कर दिया था, खैर हैरान तो मैं खुद भी था....
"यू आर आ स्ट्रेंज मॅन...लेकिन आज कुछ ज़्यादा ही अजीब हरकते कर रहे हो..."मैने उसका जो हाथ पकड़ रखा था वो उसे सहलाती हुई बोली, उसका चेहरा अब भी मेरी तरफ था....निशा को अक्सर ऐसा लगता कि दुनिया भर का सारा सस्पेंस मेरे अंदर ही भरा पड़ा है....
"नही ऐसी कोई बात नही है, मैं तो बस ऐसे ही पुछ रहा था..."कोई तो बात थी जो मेरे अंदर खटक रही थी, ये मैं जानता था....
"अब सारी रात ऐसे ही बोर करोगे या फिर कुछ और........"
वो आगे कुछ और कहती उसके पहले ही मैने उसकी चूत के उपर अपना हाथ रख दिया....
"डाइरेक्ट पॉइंट पे हा..."वो एक बार फिर मुस्कुराते हुए बोली...
"पॉइंट पे तो अब आया हूँ..."मैने उसके पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाते हुए बोला और अपनी एक उंगली चूत के अंदर डाल दिया...कुछ देर पहले के वाकये से अभी भी उसकी चूत गीली थी...
हम दोनो एक दूसरे को देख रहे थे , आज पहली बार वो मुझे बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी, दिल कर रहा था कि उसे चूम लूँ, लेकिन निशा को किस पसंद नही था...
"तुम क्या सोच रहे हो..."वो काँपती हुई आवाज़ मे मेरी तरफ देखकर बोली...जवाब मे मैने अपने दूसरे हाथ की उंगलियो को अपने होंठो पर रखकर इशारा किया कि मैं होतो को अपने होंठो मे भरना चाहता हूँ....मेरे इशारे से निशा थोड़ी अनकंफर्टबल हुई और मुझे कुछ देर तक ना जाने क्या देखती रही.....
"रियली यू वान्ट तो डू इट...???"अपने होंठ पे पर अजीब सी हरकत लाते हुए उसने मुझसे पुछा, मेरी एक उंगली अब भी उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी.....
"यस...आइ वान्ट टू किस यू..."
मैने बस इतना कहा और वो मेरे होंठो के करीब आई, हम दोनो एक दूसरे की साँसे महसूस कर रहे थे, जो कि हम दोनो को और भी गरम कर रही थी....आज पहली बार निशा के लिए मेरे दिल मे कुछ फीलिंग्स आई थी और वो फीलिंग्स इसलिए थी क्यूंकी निशा आज मुझसे दूर जा रही थी, आज की रात हमारी आख़िरी रात थी, शायद इसीलिए वो मान भी गयी.....
"तुम सच मे बहुत अजीब हो..."मेरे होंठो को अपने होंठो से टच करके वो बोली"बट आइ लाइक यू..."
और इसके बाद मैने समय ना गँवाते हुए उसके होंठो को भर लिया....और उसके उपर आ गया....इसी बीच मैने उसको एक बार छोड़ा वो मेरे किस लेने से हांप रही थी उसके सीने के उभार बहुत जल्दी उपर नीचे हो रहे थे....
"एक बात बताओ"मैं बोला"जब तुम्हे मालूम था कि मैं कुछ देर बाद तुम्हारी ब्रा और पैंटी को उतार दूँगा तो तुमने पहना ही क्यूँ...."