कलयुग की द्रौपदी

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:52

हालाकी संभोग का ग्यान माला ने रानी को दिया ज़रूर था पर अपनी कलाई जितनी मोटे और 10“ लंबे साप की तरह फुफ्कारते लंड की उसने कल्पना भी नही की थी. गाओं के नेक्कर वाले लड़को को उसने तालाब के किनारे पेसाब करते देखा था तो कभी ये ना सोचा था की उमर के साथ उनका लंड कितना बढ़ेगा.

रानी आँखें फाड़-फाड़के जग्गा के लंड को देख रही थी तभी जग्गा फिर बोला – गुड़िया, ये लिंग अब तुम्हारे सब छिद्रों में घुसकर तुम्हारे बदन को पवित्र करेगा और अगर तुम्हारी पूजा सफल हुई तो प्रसाद भी देगा. चलो इसकी पूजा की शुरूवात इसे नमन करके अपने हाथों में लेकर अपने मूह में लो!

ये सुनकर रानी अंदर ही अंदर घ्रणा से भर गयी पर तभी उसे याद आया की किस तरह दोनो ने उसका मूत पिया था बिना कोई शरम के. वो याद आते ही रानी का दिल सॉफ हो गया और उसके मॅन में एक आस्था ने जनम ले लिया की अपने पति परमेश्वर का किसी भी चीज़ से घ्रणा नही करनी चाहिए.

सहसा उसने एक हाथ से जग्गा के लंड को नमन किया और उसे अपने हथेली में भरने की कोशिश करने लगी. वो घोड़े का लंड उसकी नाज़ुक और नन्हे पंजे में समा ही नही रहा था. मजबूरी में उसने अपने दूसरे पंजे का प्रयोग किया और जैसे एक बल्लेबाज बॅट को पकड़ता है उसी तरह एक के पीछे एक हाथ से जग्गा का लंड पकड़ लिया और अपने रसभरे लाल लिपस्टिक से सजे होठों से चूम लिया.

इस गरम स्पर्शा से जग्गा बौरा गया और उसका लंड अपने चरम पर पहुँच गया. 2“ चौड़ा और 10“ लंबा. मस्ती की वजह से अनायास ही उसकी आँखें बंद हो गयी.

- सुपाडे पर जो च्छेद है उसपर जीभ चलाओ ग्गूडिया – रंगा उसे डाइरेक्सेन देते हुए बोला.

- हां, बिल्कुल ठीक, अब सुपाड़ा मूह में लो और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करो. दोनो हाथ से भी चॅम्डी पे घर्षण करो. हां, शाबाश!!!

रानी वैसा ही करती गयी जैसा रंगा कह रहा था. दोनो हाथों से लंड थामने के बाद भी उपर की तरफ करीब 4“ लंड खाली था जो अपने मूह में अंदर-बाहर कर रही थी.

रानी का छोटा सा मूह जग्गा के विशालकाय लॉड की वजह से पूरा खुल गया था. वो हौले-हौले अपने हाथों से लंड मुठियाते भी जा रही थी. होठ और जीभ की गरमाहट और सुपाडे के छेद पर होती गुदगुदी जग्गा को पागल बना रही थी.

रानी को लंड चूसने में टल्लीन देख रंगा उसके चूची चूसने में लग गया.

जग्गा का चेहरा गरम लोहे जैसा तमतमाया हुआ था और 5-7 मिनिट बाद जब उसे महसूस हुआ की वो झड़ने वाला है तो नशे में भरे आवाज़ में बोला – गुड़िया रानी, तुम्हे पूजा का प्रसाद मिलने वाला है. डरना मत जो भी मिले बिना बर्बाद किए पूरा सेवन कर लेना. समझी???

रानी को माला की बात याद आ गयी. मूह में लंड भरे होने की वजह से उसने सिर्फ़ इकरार में सर हिला दिया.

तब जग्गा ने रानी के हाथ अपने लंड से च्छुडवाए और अपने हाथों से उसका सर पीछे से थाम लिया और खुद ही अपने कमर को आगे-पीछे करने लगा. 30 सेकेंड बाद उसके कमर में एक थररतराहट हुई और उसने अपना लंड 5-6“ रानी के मूह में धकेल दिया. अचानक गरमा गरम लावे जैसा कोई पदार्थ रानी के गले में पिचकारी की तरह पड़ा.

फव्वारे की धार बहुत तेज थी. रानी का गला चोक होने लगा और गू....गूओ.गूओ की आवाज़ आने लगी. साथ ही प्रेशर की वजह से उसके आँखों से आँसू निकल पड़े. उसने अपना सर पीछे खीचने की कोशिश की पर जगा के हाथों ने उसे जकड़े रखा. 1...2....3...4...5...6..7..8.....9.......... जाने कितने फव्वारे एक-के बाद एक छूटने लगे. करीब 30 सेकेंड्स बाद जग्गा का वीर्या निकलना बूँद हुआ. रानी गतगत जग्गा के वीर्या को पीते जा रही थी ताकि चोक ना हो.

अपना लंड पूरी तरह झाड़ने के बाद जग्गा ने बाहर निकाला तो देखा की रानी के लाल लिपस्टिक उसके लंड पे कई जगह निशान छ्चोड़ चुका था.

लंड निकलते ही रानी ने राहत की साँस ली. आँसुओं से भरा उसका चेहरा जिसमे काली काजल मिक्स थी, बहुत ही खूबसूरत लग रहा था.

रानी के होठों पे अभी भी कुछ गाढ़ी मलाई रह गयी थी जो उसने अपनी उंगली में लपेटकर देखने लगी. क्या यही वो तेज पूर्णा प्रसाद है?? कितना गरम था?? करीब 1 ग्लास तो होगा ही??

यही सोचते हुए उसने वो उंगली मूह में डाली और जीभ से टेस्ट करने लगी. इतना बुरा भी नही है?? यही सोचते हुए उसे चाट गयी.

रंगा जो अब तक जग्गा को देख मज़े ले रहा था, अब खुद भी सेक्स में बौरा गया था.

जग्गा का लंड अब थोड़ा नरम पड़ गया था पर उसे मालूम था की फिर से 10 मिनिट में ये उतना ही वीर्या निकाल सकता है जितना अभी निकाला. मंद पड़ने पर भी जग्गा का लंड 6-7” लंबा लग रहा था.

अब रंगा की बारी थी. उसने खड़े होकर अपनी लूँगी उतार दी. रानी ने देखा की उसके और जग्गा के लंड में कोई असमानता नही थी बस इतना की रंगा का लंड कोयले के जैसा काला था झाट जग्गा से घानी.

जग्गा ने रंगा का स्थान ग्रहण किया और रानी के तोतापरी आम जैसे चूचियों से खेलने लगा.

रंगा ने अपना फनफनता लंड रानी के मूह में डाल दिया और सुपाडे पर उसकी जीभ की सरसराहट का मज़ा लेने लगा. उसने रानी को अपने हाथों से लंड थामने से मना किया और बोला – मेरी चिड़िया, ज़रा जंगल के नीचे जो गोटियाँ है उससे खेलो तो गुड़िया रानी!!!

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:53

रानी ने बेझिझक अपने हाथेलियो से रंगा की गोटियों को मसालने लगी.

- धीरे-धीरे, रानी, बहुत नाज़ुक है. आराम से मींजो ज़रा.

रानी हौले-हौले गोटियाँ मीसने लगी.

इस प्रक्रिया में रंगा को अत्यधिक आनंद आ रहा था. गोटियों के मीसने से खुद-बा-खुद उसके चेहरे पे एक नशीली मुस्कान थिरकने लगी. उसने रानी कर सर पीछे से थाम रखा था. 1-2 मिनिट में उसका नशा बढ़ने लगा तो उसने अपना लंड रानी के मूह में 5“ धकेल दिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी.

रानी का फिर से बुररा हाल होने लगा और उसके गाले से गू...गूओ आवाज़ आने लगी. गाल आँसुओं से तर-बतर हो गये.

5 मिनट बाद रंगा का बाँध टूट गया और रानी के मूह में गरम वीर्य का सैलाब आ गया.

इस गर्माहट में यूँ लग रहा था जैसे उसका पूरा अस्तित्वा बह जाएगा. पर फिर भी अपने देवताओं में आस्था ने उसे हिम्मत दी और उसने एक बूँद भी बाहर गिरने ना दिया. आख़िर में उसने जीभ से होठ चाटकर बाकी वीर्य भी ग्रहण कर लिया.

सब होने के बाद दोनो रानी के आजू-बाजू बैठ गये और प्रशानशा भरे स्वर में बोले – वाह गुड़िया!! तू तो सबसे अच्छी पुजारीन है. इतना प्रसाद तो शायद ही किसी भक्त को मिला होगा. याद रखना जितना ज़्यादा प्रसाद निकलॉगी और पीयोगी उतना तुम्हारा रंग निखरेगा, तंदुरुस्त रहोगी, बाल मजबूत रहेंगे और चेहरे पे तेज रहेगा.

दोनो रानी के लंड चूसने से अती प्रसन्न थे. रंगा बोला – तुमने हमको बहुत प्रसन्न किया है तो अब हम तुमको इनाम देंगे.

उन्होने सोच रखा था की अब वो इस नन्ही कली को फूल बना देंगे, पर रानी ने उन्हे इतना खुश कर दिया था की उन्होने सोचा दर्द देने के पहले थोड़ा रानी को और मीठा सुख दे देते हैं.

ये कहते हुए उसने रानी को बिस्तर पर लिटा दिया. अब जग्गा रानी के पावं के तरफ आया और घुटनों से मोडते हुए फैला दिया. इतने में रंगा ने अपने जलते होठ रानी के नरम-नाज़ुक रसीले होठों पे रख दिए. वो रानी के मूह में अपनी जीभ धकेलकर गोल-गोल घुमाने लगा. उसकी ये क्रीड़ा रानी को अच्छी लगी और वो भी जवाब में अपनी जीभ से रंगा के जीभ को चाटने लगी.

रानी के मूह से गुलाब जल और वीर्या की मिली-जुली टेस्ट आ रही थी जो रंगा जी भर कर चूस चाट कर पी रहा था. पर इन सब में रानी को रंगा की घनी मूछों की वजह से चेहरे पर गुदगुदी भी हो रही थी जो सारे क्रीड़ा को और आनंदमयी बना रहा था.

जग्गा ने रानी के घाघरा को कमर तक उपर उठा दिया. जांघों पर ठंडी लहर महसूस कर रानी ने कनखियों से नीचे देखा तो पाया की जग्गा उसके अनछुई चूत के करीब अपने सर घुसाए अधलेटा था. इतने में ही जग्गा की गरम लपलपाति जीभ का एहसास उसे अपने चूत पर हुआ. ठंडी कपकपि से उसका पूरा वजूद हिल गया और रंगा के साथ चुंबन क्रीड़ा थम गयी. रंगा समझ गया और फिर उसने रानी के लबों से अपने होठ हटा दिए ताकि रानी अपनी चूत के साथ होते कलापों को देख सके. अब उसने उसके गर्दन, कान के लाओं, और वाक्स पर चूमना-चाटना शुरू कर दिया.

इधर जग्गा ने पहले चुंबन के बाद रानी की चूत को गौर से निहारा जो किसी नवजात बच्चे के होठों जैसी गुलाबी और फूलों की पंखुड़ी जैसी नाज़ुक दिख रही थी.

कुँवारी होने की वजह से रानी की चूत का दाना (पेशाब की नली) भी नही दिखता था. झाट बिल्कुल नाम मात्र की.

जग्गा ने हौले से दोनो हाथ के अंगूठे से रानी की चूत के फाकों को हल्का सा फैलाया तो दाना दिखने लगा. फिर उसने अपनी लार टपका कर जीभ उस दाने पर रख कर चुभलने लगा.

रानी के पूरे बदन में एक तररतराहट हुई और उसके रोंगटे खड़े हो गये.

1-2 मिनट के बाद जग्गा ने रानी की गहराई नापने की सोची और अपने दाये हाथ की मिड्ल उंगली में लार लगाई और फिर से फाकों को फैलाते हुए चूत के द्वार पर रखा और धीरे से अंदर घुसाने लगा.

अचानक इस क्रीड़ा से रानी को दर्द का आभास हुआ और वो हल्की सी चीक्ख पड़ी. जग्गा समझ गया शायद उसने रानी की झिल्ली टच कर दी है. उसकी उंगली मुस्किल से 2-3“ अंदर ही घुसी होगी. उसने रानी की सील लंड से ही तोड़ने का सोच कर उंगली बाहर निकाल ली और थोड़ा और थूक लगाकर 2“ पेलने लगा.

रानी को अती आनंद आ रहा था. वो कमसिन जवानी आने वाले दर्दनाक पलों से अंजान ये सोचकर आंदोलित थी की क्या यही आनंद का चरम है या अभी और भी कुछ बाकी है.

जग्गा का चूत चूसना और रंगा के चूसने-चाटने से रानी का चेहरा और छाती तो लाल हो ही गया था पर कचौरी जैसी फूली चूत भी सनसना गयी थी.

जग्गा कभी उसके दाने को जीभ से चाट रहा था तो कभी चूत में जीभ डालकर आग लगा रहा था. उंगलियों के पेलने से तो मानो अंदर तूफान सा आ रहा था.

10 मिनट में रानी को लगा उसके बदन की सारी एनर्जी उसकी चूत में आ गयी है और एक बाढ़ (फ्लड) बनकर बाहर निकल जाना चाहती है.

इस अनुभव से अंजान उसके बदन ने एक झटका लिया और सचमुच सारे बाँध तोड़ दिए. जग्गा को रानी के गीलेपन का अहसास अपनी उंगलियों पर हुआ.

अपना सारा रस निकालने के बाद रानी बेड पर निढाल पड़ी रही. करीब 5 मिनट रंगा-जग्गा ने भी उसे डिस्टर्ब नही किया और उस बीच रंगा ने बाहर से कुछ बूटी लाकर बेड के बाजू मैं मेज पर रख दी.

दोस्तो अभी तो शुरू आत है अगले पार्ट मैं रानी की कमसिन चूत और रंगा और जग्गा के 10" लंबे लंड क्या क्या गुल खिलाते है तो दोस्तो फिर मिलेंगे अगले पार्ट मैं रानी की पहली चुदाई के साथ तब तक के लिए विदा आपको कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना आपका दोस्त राज शर्मा

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:54

कलयुग की द्रौपदी--3

( गतान्क से आगे)

हेल्लो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा कलयुग की द्रौपदी का पार्ट--3 लेकर आपकी अदालत मैं हाजिर हूँ .ओर आशा करता हूँ कि पहले दोनों पार्ट की तरह आपको ये पार्ट भी पसंद आएगा .दोस्तो कहानी के बारे मैं अपनी राय ज़रूर दें . आप लोगो की राय मिलने मेरा उत्साह बढ़ जाता है . ओर मैं ओर जोश के साथ आपके लिए कहानियाँ लिखता हूँ. अभी तक आपने पढ़ा था कैसे रंगा और जग्गा कमसिन कली रानी को उठा लाए थे ओर किस तरह उन्होने मासूम रानी को शादी के सपने दिखाकर झूठ मूठ की शादी करके उसके यौवन का रस पान करने के लिए बेताब हो रहे थे . अब आगे --------

मस्ती और थकान से निढाल रानी 5 मिनट बाद उठके बैठी तो देखा उसका घांघरा कमर तक उठा हुआ था और बदन पर गहनों को छ्चोड़ कुछ भी नही था. अपनी इस अवस्था को भाप रानी शरम से लाल हो गयी और घान्घरे को नीचे तक सरका अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया.

ये देख रंगा हँसते हुए बोला – अभी भी शरमावत है गुड़िया रानी!! अब तो बस आखरी काम बाकी है – तुमको पूरा जवान करने का काम!

ये कहते हुए दोनो बिस्तर पे आ गये और रानी के हाथों को छाती पर से हटके उसे लिटा दिया.

जग्गा ने फिर से रानी के पैर घुटनो से मॉड्कर अपने घुटनों के बल चलता हुआ जांगों के बीच आ गया. रानी ने उसे ऐसा करता देख आने वाले ख़तरे को भापके सहम गयी. माला की सिखाई हुई बातें उसे फिर याद आने लगी और वो जग्गा के मोटे-लंबे लंड को भयभीत नज़रों से देखते हुए सोचने लगी की ये तो उसके कलाई जितना मोटा है कैसे उसके नन्ही सी चूत में समा पाएगा????

इन्ही ख़यालों में खोई हुई थी जब जग्गा ने डब्बी से वॅसलीन निकाला और अपने लंड पे ढेर सारा लगा लिया और अपने दाए हाथ से लंड पकड़कर सूपड़ा रानी के चूत पर रखके सहलाने लगा.

रानी डारी हुई थी पर इस घर्षण से वो फिर से मस्त हो गयी. जग्गा ने दूसरे हाथ की दो उंगलियों से चूत के फाकों को फैलाया और सूपड़ा हल्के दबाव से उसके चूत में ½ “ घुसा दिया. रानी को अभी कुछ ख़ास एहसास नही हुआ.

रंगा ने रानी के सर के तरफ से आकर जग्गा की तरफ फेस कर अपना लंड रानी के मूह में घुसेड दिया. इतने में लंड निशाने पे रख जग्गा ने 1“ और घुसेड दिया.

इस बार रानी को गहरे दर्द का आभास हुआ पर मूह लंड से भरा होने से घुटि-घुटि चीख निकली.

जग्गा ने उतने पे ही रुक कर 1 ½ “ लंड हौले-हौले पेलने लगा.

रानी का दर्द कुछ कम हुआ ही था की 2 मिनट बाद उसने एक करारा झटका दिया और लंड सारी अड़चने पार करता हुआ 5” अंदर समा गया. फ़चक की आवाज़ के साथ रानी की चूत ने खून का कुल्ला किया और लंड के साइड से रीसने लगा. झिल्ली फॅट ते ही रानी की घुटि चीख फिर निकली. तभी रंगा ने लंड मूह से निकाल लिया और रानी की दर्द भरी चीखें उस कमरे में गूंजने लगी.

निका…..काल लीजिए प्लीईईईईईसए हम मर जाएँगे आ.आ.आ…………….आ.आआआ.

फॅट गया मेरा बूर.............प्लीईईईईईसए.

रो-रोकर रानी का बुरा हाल था और दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था.

जग्गा बोला – रोवे से कोई फाय्दा नही है गुड़िया, ई तो होना ही था. 5 मिनट में सब ठीक हो जाएगा और तुमको आनंद आएगा.

रानी बकरी जैसी मिमियाते हुए बोली – हम मर जाएँगे. प्लीज़ निकाल लीजिए.

जग्गा ने उसकी बात अनसुनी कर रानी की दोनो जंघें अपने हाथ से थामकर लंड 4” बाहर निकाला और हौले-हौले 5” तक पेलता रहा. रानी दर्द से बिलबिला रही थी और मूह से ऐसी आवाज़ें आ रही थी जैसे बकरे के गर्देन पर कसाई के चाकू के रेतने पर निकलती है.

2 मिनट बाद जग्गा के हल्के धक्कों से रानी थोडा सामानया हुई पर दर्द अभी भी था.

रंगा अभी भी रुका हुआ था. तब जग्गा एक सेकेंड के लिए ठीठका और फिर एक और जोरदार धक्का दिया. रानी की आँखें बाहर की तरफ उबल पड़ी. उसका मूह खुला का खुला रह गया पर आवाज़ ना निकल पाई.

इस बार करीब 9” अंदर पैठ चुका था जग्गा का लंड. रानी के खुले मुँह में झट से रंगा ने अपना लंड घुसा दिया. अब रानी सिर्फ़ अंदर से दर्द महसूस कर रोती जा रही थी. 5 सेकेंड के पॉज़ के बाद जग्गा ने धीरे-धीरे 9“ पेलने लगा. रानी को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे पैरों के बीच से दो टुकड़ों में काट रहा हो. रंगा के टटटे रानी के नाक पर चोट कर रहे थे जिससे उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी. पर शायद उसके देवता यही चाहते थे.

5 मिनट धीरे पेलने के बाद जग्गा ने महसूस किया की रानी का रोना अब गरम आहों में बदल गया था. तब उसने पेलने की रफ़्तार बढ़ा दी और उसका खून से रंगा लंड रानी के घायल चूत में रेल केइंजन के पिस्टन जैसे अंदर-बाहर करने लगा.

गहरा दर्द अब हल्का मीठा सा लगने लगा था रानी को परजब भी जग्गा का लंड 10” अंदर जाकर उसके गर्भ तक चोट करता तो रानी का बदन झटके लेता था.

रानी ने अब अपनी टाँगें जग्गा के कमर पर लपेटने की कोशिश की जो उसके विशालकाय जिस्म को लपेट भी नही पा रही थी.

कुछ ही समय में रानी ने अपनी कमर उचकाके जग्गा के धक्कों का साथ देने लगी.

पूरे कमरा मैं रानी के पायल की छमछमाहट भर गयी थी. रंगा-जग्गा-रानी की गरम साँसें और चूत पे पड़ रहे लंड की थपथपाहट से रूम गूँज उठा.

उन दोनो सांड जैसे विशालकाय दानवों के बीच में रानी जैसे 4.5’ की नन्ही-मुन्नी गुड़िया पीसती जा रही थी. दूर से कोई देखे तो रानी की जग्गा के जांगों के मुक़ाबले नन्ही टाँगें ही नज़र आ रही थी. मूह तो रंगा के लंड से ढका था और बाकी पूरा जिस्म जग्गा से.

Post Reply