xossip hindi - गाँव के रंग सास, ससुर, और बहु के संग

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xossip hindi - गाँव के रंग सास, ससुर, और बहु के संग

Unread post by sexy » 11 May 2017 00:58

रामु जोर से कराह उठा. "हाय! ई का कर रही है तु? तु लौड़ा कबसे चूसने लगी? मैं कहता हूँ तो कभी नही चूसती है!"

गुलाबी बिना कुछ बोले मज़े से पति का लन्ड चूसने लगी. कभी वह लन्ड को गले तक घुसा लेती और कभी बाहर निकालकर सुपाड़े को जीभ से चाटती.

"तुझे लौड़ा चूसना भी भाभी ही सिखाई है का?" रामु ने पूछा.
"उंहूं!" गुलाबी ने कहा और चुसाई जारी रखी.

"हमे पहले ही सक था." रामु लन्ड चुसाई का मज़ा लेते हुए बोला, "ई भाभी साली बहुत छिनाल किसम की औरत है. तभी तुझे लन्ड चूसना सिखाई है."
"तो का बुराई है लौड़ा चूसने मे?" गुलाबी ने पूछा, "भाभी तो बड़े भैया का लौड़ा रोज़ चूसती है. हम को तो मज़ा आ रहा है चूसने मे. तुम को मज़ा आ रहा है कि नही, यह बोलो!"
"तु बहुत भोली है रे!" रामु बोला, "भाभी के साथ रहेगी तो तेरे को भी अपने जैसी छिनाल बनाकर छोड़ेगी. आज लौड़ा चूसना सिखाई है. कल किसी और से चुदवाना सिखायेगी. हाय, साली कैसे अपनी मस्त गांड को हिला हिलाकर चलती है, जैसे घर के सारे आदमियों का लौड़ा खड़ा करना चाहती है! उफ़्फ़!!"
"बहुत पियार आ रहा है भाभी पर?" गुलाबी हंसकर बोली.

वह कभी मुंह उठाकर पति का लन्ड हिला रही थी और कभी मुंह मे लेकर चूस रही थी.

"गुलाबी, तुझे बुरा तो नही लग रहा?" रामु ने पूछा.
"हम काहे बुरा माने?" गुलाबी बोली, "सब मरद लोग को जवान औरत देखकर ठरक चढ़ती है. और भाभी है भी तो बहुत सुन्दर!"
"ऊ तो है. पर पता नही हमसे आज ऐसे हंस हंसकर काहे बात कर रही थी." रामु बोला, "घर की बहु कभी घर के नौकर के साथ ऐसी बातें करती है का?"

"देखो जी, कहीं तुमसे चुदवाना तो नही चाहती?" गुलाबी ने पूछा.
"चुप कर. कुछ भी बोलती है." रामु डांटकर बोला, "भाभी काहे हमसे चुदवाने लगी."
"औरों से तो चुदवाती है, तुम से काहे नही चुदवायेगी?" गुलाबी बोली और उसने लन्ड चूसना जारी रखा.

"का कह रही है तु?" रामु चौंक के बोला, "कौन बोला तेरे को?"
"भाभी खुदे बोली." गुलाबी बोली, "बोली ऊ सोनपुर के मेले मे चार-चार से एक साथ चुदवाई थी."
"अरे ऊ मजाक कर रही होगी, पगली!" रामु बोला, "पर बहुत गंदा दिमाग है भाभी का! हमको लगता है अगर हम कभी उसके साथ जबरदस्ती किये तो बहुत मज़े से हमरा लन्ड लेगी."

वीणा, अपने बारे मे रामु की ऐसी बातें सुनकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उसे क्या पता मैं सचमुच उससे चुदवाने का कर्यक्रम बनाये बैठी थी!

"हाय, ई का कह रहे हो तुम!" गुलाबी बोली, "हम मर गये हैं का जो परायी औरत की इज्जत लूटना चाहते हो?"
"अरे तु तो बुरा मान गयी! हम तो मजाक कर रहे थे!" रामु बोला, "बस, बहुत चूस ली मेरा लन्ड. और चूसेगी तो तेरे मुंह मे अपनी सारी मलाई गिरा देंगे."

गुलाबी ने झट से पति का लन्ड अपनी मुंह से निकाल लिया.

"का हुआ?" रामु ने पूछा, "भाभी तुझे अब तक मलाई पीना नही सिखाई?"
"नही." गुलाबी बोली, "हम पूछे नही वह बड़े भैया का मलाई पीती है कि नही."
"जरूर पीती होगी. ऊ जैसी गरम चुदैल है, लगता है उसका कोई कुकर्म करना बाकी नही है." रामु बोला, "चल, अपना घाघरा उतार. थोड़ा चोद लेता हूँ तुझे. तु भी बहुत दिनो से चुदी नही है."

गुलाबी ने उठकर अपना घाघरा उतार दिया और पूरी तरह नंगी हो गई. उसका जिस्म बहुत सुडौल था. नंगी चूची और चूतड़ बहुत कामुक लग रहे थे.

वह बिस्तर पर जाकर लेट गयी और उसने अपनी दोनो टांगें फैला दी. उसकी सांवली चूत पर बहुत बाल थे. उसने दो उंगलियों से अपने चूत को खोला और कहा, "हाय, और रहा नही जा रहा, जी. अपना लौड़ा घुसाओ ना हमरी चूत मे!"

रामु को अपनी भोली भाली पत्नी के मुंह से ऐसी अश्लील भाषा सुनकर बहुत उत्तेजना हो रही थी. उसने अपनी कमीज और बनियान उतार दी और पूरी तरह नंगा हो गया. उसके शरीर भी कसरत किया हुआ सुडौल शरीर था. अपनी बीवी के पैरों के बीच बैठकर उसने अपने लन्ड का सुपाड़ा गुलाबी की चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का दिया.

"हाय! मार डाला! आह!!" गुलाबी बोल उठी, "पेल दो पूरा लन्ड हमरी चूत मे! ऊह!!"

रामु ने कमर उठाकर अपना लन्ड सुपाड़े तक निकाल लिया और फिर जोरदार धक्का देकर पेलड़ तक अन्दर पेल दिया.

"आह!!" गुलाबी बोली, "इतने दिनो बाद तुम्हारा लौड़ा लेके बहुत मज़ा आ रहा है! उम्म!! ओह!!"

रामु कमर उठा उठाकर गुलाबी को चोदने लगा और गुलाबी कमर उठा उठाकर उसका साथ देने लगी.

मैं गुलाबी के कमरे मे झांक ही रही थी कि पीछे से तुम्हारी मामीजी चली आयी. धीरे से मेरे कान मे बोली, "क्या देख रही है, बहु? रामु गुलाबी को चोद रहा है क्या?"
"हाँ माँ, बहुत जोश मे हैं दोनो." मैने कहा.

सासुमाँ ने छेद से कुछ देर अन्दर देखा और कहा, "बहुत मस्त माल है गुलाबी. नंगी बहुत कमोत्तेजक लग रही है. कैसे कमर उठा उठाकर पति से चुदवा रही है. बहु, तु उसे जल्दी पटा ले. घर के मर्द बहुत मज़े ले लेकर चोदेंगे उसे."
"हाँ, माँ. मैं तो कोशिश कर रही हूँ." मैने कहा, "लगता है दो एक दिन मे पट जायेगी."
"बहुत इज़्ज़त करती है तेरी. उसे तु जो सिखायेगी वह सीख लेगी."
"हाँ माँ." मैने कहा, "मेरे कहने पर गुलाबी ने आपके बेटे से अपनी चूची और चूत मिसवाई थी. और मेरे कहने पर वह रामु का लौड़ा भी चूसी."

"और हाँ, उसे कहना अपने चूत के बाल साफ़ किया करे." सासुमाँ बोली. "वर्ना चूत चाटने मे मज़ा नही आयेगा."
"ठीक है, माँ." मैने कहा.
"रामु भी बुरा नही है, बहु." सासुमाँ बोली, "अच्छा खासा लन्ड है उसका. उसे अपनी जवानी का नज़ारा दे और चुदवा ले. बहुत मज़ा पायेगी."
"हाय माँ, वह कमीना तो मेरी इज़्ज़त लूटने के लिये पहले से तैयार बैठा है!" मैने कहा, "अभी गुलाबी को सब बता रहा था."
"फिर तो काम आसान है." सासुमाँ हंसकर बोली और एक हाथ से अपनी एक चूची दबाने लगी. "मुझे भी मन है उसका काला लौड़ा अपनी चूत मे लेने का."

कुछ देर अन्दर देखने के बाद सासुमाँ हट गयी और मैं अन्दर देखने लगी. सासुमाँ ने मेरी ब्लाउज़ के हुक खोल दिये और मेरी दोनो चूचियों के मसलने लगी.
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Unread post by sexy » 15 May 2017 17:38

अन्दर रामु अपनी बीवी को जमकर चोदे जा रहा था. उनका पुराना खाट रामु के धक्कों से चरमरा रहा था.

गुलाबी अपने पति को जकड़े हुए कमर उठा उठाकर लन्ड ले रही थी और मस्ती मे बड़बड़ा रही थी. "हाय मेरे चोदू! कितने दिनो बाद चुद रहे हैं हम! आह!! और देर करते तो हम किसी और से चुदा लेते!! आह!! मेरे राजा, चोदो अच्छे से अपनी पियारी गुलाबी को!! ऊह!! पेलो हमरी चूत अच्छे से!! ऊम्म!! कितना मजा आ रहा है!"

रामु को भी बहुत आनंद आ रहा था गुलाबी को चोदने मे. "ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ!" आवाज़ निकाल के वह ठाप लगा रहा था. पेलड़ मे उसके बड़े बड़े टट्टे नाच रहे थे और उसके ठाप के साथ उसका काला पेलड़ गुलाबी की गांड पर जा के लग रहा था.

"यह ले मेरी पियारी गुलाबी...बिना लौड़े के इतनी प्यासी हो गयी थी...के किसी और से चुदवा लेती! हाँ?" रामु गुलाबी को ठोकता हुआ बोला, "लौड़ा ले...और सांती कर अपनी चूत की! भाभी तो तुझे...पूरी छिनाल बना दी है! आज लौड़ा चूसी है...कल तु मेरा पानी भी पियेगी! ले साली, छिनाल! और का का की है मेरे पीठ पीछे! बोल, साली रंडी! भाभी तुझे किसी और से...चुदाई भी है का? बोल!"

"हाय, राजा! और जोर से चोदो! हम झड़ने वाले हैं!" गुलाबी चिल्लाई.

रामु और जोर से ठाप लगाने लगा और गुलाबी की चूचियों को बेरहमी से मसलने लगा. उसका मोटा काला लन्ड गुलाबी की चूत के पानी से चमक रहा था. एक पिस्टन की तरह वह गुलाबी की चूत के अन्दर बाहर हो रहा था.

गुलाबी जल्दी ही झड़ गयी और रामु को पकड़कर हांफ़ने लगी. रामु ने भी अपना लन्ड जड़ तक बीवी की चूत मे ठूंस दिया और अपना पानी छोड़ने लगा. एक दूसरे से लिपटकर वह हांफ़ने लगे. उनका बदन पसीने-पसीने हो गया था.

मैने दरवाज़े के छेद से मुंह हटाया तो सासुमाँ बोली, "झड़ गये क्या दोनो?"
"हाँ!" मैने मुस्कुराकर कहा और अपने ब्लाउज़ के हुक लगा लिये.
"चल फिर, रसोई मे बहुत काम है" सासुमाँ बोली, "इनकी चुदाई देखने से खाना नही बनेगा."

हम दोनो सास बहु रसोई मे चले गये. करीब एक घंटे बाद गुलाबी रसोई मे आयी. उसके बाल बिखरे थे और सिंदूर फैल गया था. लग रहा था जैसे बहुत बुरी तरह उसका बलात्कार हुआ है.


उस रात खाने के बाद जब सब अपने कमरों मे चले गये, मैं किशन का कमरे मे गयी. उसने दो दिनो से मुझे चोदा नही था और बहुत बेचैन था मेरी चूत मारने के लिये. मेरे कमरे मे पहुंचते ही उसने मुझे चूमना शुरु कर दिया और मेरे कपड़े उतारने लगा. मैने भी उसके कपड़े उतार के उसे नंगा कर दिया. हम दोनो नंगे होकर बिस्तर पर लेट गये.

मैने कुछ देर उसे अपनी चूचियां चुसाई. जब मुझे लगा कि उसका जोश उसके काबू मे आ गया है, मैने उसे अपने ऊपर चढ़ाया और मुझे चोदने को कहा. अपना लन्ड मेरी गरम चूत मे डालकर वह कमर चला चलाकर चोदने लगा. मैं भी दिन भर चुदी नही थी. बहुत मज़ा आ रहा था उससे चुदवाने मे. उस दिन किशन ने मुझे करीब 10 मिनट तक पेला, फिर मेरी चूत मे झड़ गया.

मैं किशन के कमरे के बाहर निकली तो देखा ससुरजी तुम्हारे बलराम भैया के कमरे के बाहर अंधेरे मे खड़े हैं और दरवाज़े के एक फांक से अन्दर देख रहे हैं. उन्होने लुंगी नही पहनी थी और अपना मोटा, खड़ा लन्ड हाथ मे लेकर हिला रहे हैं.

मैं पीछे से जाकर उनके लन्ड को पकड़कर हिलाने लगी और पूछी, "क्या देख रहे हैं, बाबूजी?"
"कौशल्या कोई बहाना बनाकर आज बलराम के साथ सो रही है. उन्हे ही देख रहा हूँ." ससुरजी ने कहा.

मैने कमरे के अन्दर नज़र डाली तो पाया तुम्हारी मामीजी मादरजात नंगी होकर बिस्तर पर टांगें खोले पड़ी थी. उनका बेटा पूरा नंगा था और अपनी माँ पर चढ़ा हुआ था. उनका 8 इंच का लन्ड उनकी माँ की बुर मे डला हुआ था और वह कमर उठा उठाकर अपनी माँ को चोद रहे थे. दोनो माँ-बेटे हवस के दुराचारी खेल मे डूबे हुए थे. सासुमाँ कमर उठा उठाकर बेटे को जोर जोर से चोदने को कह रही थी. और बेटा माँ की घिनौनी चाहत को खुशी से पूरी कर रहा था.

हम ससुर और बहु कुछ देर माँ-बेटे की चुदाई देखते रहे. सासुमाँ बार-बार झड़ रही थी और मस्ती मे अनाप-शनाप बक रही थी. आज रात सासुमाँ अपने बेटे के साथ सोने वाली थी. शायद देर रात तक वह बेटे से चुदवाने वाली थी.

मैने ससुरजी से कहा, "बाबूजी, यह दोनो तो लगता है पूरी रात चुदाई करेंगे. चलिये ना, मुझे बिस्तर मे ले जाकर चोदिये. किशन से चुदाकर मेरी प्यास नही बुझी है."

ससुरजी का खड़ा लन्ड पकड़कर मैं उन्हे उनके कमरे मे ले गई.

जाकर मैं जल्दी से नंगी हो गयी और बिस्तर पर लेट गयी. ससुरजी भी पूरे नंगे हो गये और मुझ पर चढ़ गये. मेरी चूचियों को दबाते और चूसते हुए वह मुझे चोदने लगे. मेरी चूत मे किशन का ढेर सारा वीर्य भरा हुआ था जो मेरी चूत से बहकर बाहर आ रहा था. उसी वीर्य मे ससुरजी अपना लन्ड फच! फच! कर के पेलने लगे जिससे किशन का वीर्य और बाहर आने लगा.

कमरे मे रात भर के लिये हम ससुर और बहु ही थे और एक पति-पत्नी की तरह हम देर रात तक चोदाई करते रहे.

कहो ननद रानी, कैसी लग रही है मेरी कहानी? अपना जवाब जल्दी भेजो. आगे की कहानी कल लिखती हूँ!

तुम्हारी भाभी

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भाभी की यह चिट्ठी बहुत लंबी नही थी. पर पढ़कर मुझे बहुत आनंद आया.

मै रामु से पहले कई बार मिल चुकी थी क्योंकि वह मामाजी के घर पर बहुत सालों से नौकर है. मुझे कभी लगा नही के वह मीना भाभी के बारे मे ऐसे बुरे विचार रखता होगा. मैं सोचने लगी, क्या वह मेरे बारे मे भी ऐसी लंपट बातें सोचता है?

मैने भाभी की चिट्ठी का जवाब भेजा.


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मेरी प्यारी मीना भाभी,

तुम्हारी चिट्ठी मिली. तुमने बहुत ज़्यादा तो नही लिखा है, पर अब जब रामु गाँव से वापस आ गया है, मुझे लगता है तुम्हारी कहानी कोई नयी करवट लेने वाली है. वैसे तुम्हारा यह नौकर तुम्हारे बारे मे कैसी गंदी गंदी बातें अपनी बीवी से करता है! सुनकर तुम्हे बुरा नही लगा? उसके मन मे तो तुम्हारे लिये बहुत ही बुरे विचार हैं.

वैसे तो मैं एक घर के नौकर से चुदवाने के पक्ष मे नही हूँ - घर के नौकर नौकरानीयों को अपनी जगह पर रहना चाहिये. पर मेरी वर्तमान हालत ऐसी है कि हमारे घर मे कोई नौकर होता तो मैं उससे ज़रूर चुदवा लेती.

अपनी अगली चिट्ठी जल्दी भेजना!

तुम्हारी वीणा

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Unread post by sexy » 15 May 2017 17:39

गाँव के रंग सास, ससुर, और बहु के संग - 6


लेखिका: तृष्णा

अगले दिन जब डाकिया आया तब मैं अपने कमरे मे थी. मेरी माँ ने मेरे लिये भाभी की चिट्ठी ली और मेरे कमरे मे ले आयी.

"वीणा, मीना ने चिट्ठी भेजी है तेरे लिये." माँ ने कहा, "कितना भारी लिफ़ाफ़ा है - न जाने क्या लिखा है! पढ़कर बता तो क्या कहती है? मेरे भाई के घर पर सब ठीक तो है?"

मैने जल्दी से माँ के हाथ से भाभी की चिट्ठी ले ली. अब माँ को क्या बताती भाभी चिट्ठीयों मे क्या लिखती है?

"सब ठीक ही होगा, माँ." मैने से कहा, "भाभी को तो आदत है बहुत बोलने की और बहुत लिखने की."

मेरी माँ चली गयी तो मैं अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके बैठ गयी भाभी की चिट्ठी पढ़ने, जैसे कि वह कोई रोचक जासूसी उपन्यास हो. जैसा कि पाठक गण देखेंगे, भाभी की यह चिट्ठी बहुत ही धमाकेदार थी.

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मेरी प्रिय वीणा,

तुम्हारा ख़त मिला. जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम्हे हमारे घर की कहानी पढ़कर बहुत मज़ा आ रहा है.

कल तुम्हारे मामा, मामी, और मेरी योजना दो कदम और आगे बढ़ गई. अगर तुम्हे मेरा पिछला ख़त छोटा लगा हो तो मैं दावे के साथ कहती हूँ तुम यह किश्त पढ़कर बहुत संतुष्ट होगी!

तुम्हारे बलराम भैया का पैर अब ठीक ही हो गया है, पर वह खेत मे नही जा रहे हैं.

कल सुबह की बात है. नाश्ते से पहले किशन खेत मे फसल देखने चला गया.

जब नाश्ता तैयार हुआ सासुमाँ ने किशन के लिये नाश्ता एक डिब्बे मे भरा और गुलाबी को कहा, "गुलाबी, जा यह डिब्बा किशन भैया को दे आ. और सुन, बहुत काम है आज रसोई मे. जल्दी आ जाना!"

गुलाबी जाने को हुई तो मैने कहा, "माँ, गुलाबी काम मे व्यस्त है तो मैं दे आती हूँ देवरजी को खाना."
सासुमाँ ने मेरी तरफ़ एक अर्थ भरी मुसकान फेंकी और कहा, "ठीक है, बहु. तु ही जा. पर तु भी देर नही करना. बहुत काम है आज."
"मै जल्दी आ जाऊंगी, माँ." बोलकर टिफिन का डिब्बा लेकर मैं घर से निकल पड़ी.

किशन को खाना देने जाने का मेरा एक ही उद्देश्य था. पिछली रात मैं ससुरजी के साथ ही सोयी थी, पर सुबह से चूत मे खलबली होने लगी थी. क्या बताऊं, वीणा! सोनपुर मे चुदने के बाद से मेरी यौन भूख हद से ज़्यादा बढ़ गयी है. सारा दिन बस चुदाई करते रहने का मन करता है. मैने सोचा किशन खेत मे अकेला होगा. वहीं कहीं उससे एक पानी चुदवा लुंगी.

वीणा, तुम तो जानती हो तुम्हारे मामाजी की कितनी बड़ी खेती है. किशन के पास पहुंचते पहुंचते मुझे आधा घंटा लग गया. सरसों के खेत के बीच जो कुटिया बनी है उसके बाहर एक चारपायी पर किशन बैठे हुए नाश्ते की राह देख रहा था. आस-पास दूर दूर तक कोई नही था.

मुझे देखते ही किशन बोला, "अरे भाभी, तुम खाना देने आयी हो? गुलाबी नही आयी?"
"क्यों, तुम्हे गुलाबी का इंतज़ार था? कुछ चल रहा है क्या गुलाबी और तुम्हारे बीच?" मैने पूछा, "बहुत जल्दी पक गये, देवरजी! अब कामवाली पर भी मुंह मारने लगे हो!"
"नही भाभी! ऐसा कुछ नही है!" किशन बोला, "वह रोज़ मुझे खेत मे खाना देने आती है ना. बस इसलिये. आपने क्यों कष्ट किया."

मैने टिफिन का डिब्बा चारपायी पर रखा और किशन के बगल मे बैठ गयी.

मैने कहा, "देवरजी, मुझे कष्ट तो बहुत हो रहा है. अब तुम ही कुछ इलाज करो."
मेरा इशारा न समझ के किशन ने पूछा, "क्या कष्ट है आपको, भाभी?"
"हाय, इतना भी नही समझते, देवरजी?" मैने टिफिन का डिब्बा खोलते हुए कहा, "औरत को जवानी मे एक ही तो कष्ट होता है."

किशन मेरी मुंह की तरफ़ देखता रहा. छोकरा अभी तक अनाड़ी ही था.

मैने टिफिन से रोटी और सबजी निकालकर एक थाली मे रखी और कहा, "देवरजी, जवानी मे लड़की एक बार जब चुद जाती है, उसके बाद वह हर वक्त बस चुदवाना ही चाहती है. और समय पर लौड़ा न मिलने पर उसे बहुत कष्ट होता है."

सुनकर किशन मुस्कुरा दिया और मेरी जांघ पर हाथ रखकर सहलाने लगा. उसने एक तंग कुर्ता पजामा पहना हुआ था. पजामे मे उसका लन्ड सर उठाने लगा.

मैने रोटी तोड़कर, थोड़ी सब्जी लेकर एक कौर किशन के मुंह मे डाली और कहा, "देवरजी, तुम तो कल रात 10 मिनट मे ही खलास हो गये थे. मैं तो सारी रात तड़पती रही."
"क्यों भैया कुछ नही किये आपके साथ?" किशन ने पूछा, "आपके कमरे से देर रात तक भैया और आपकी मस्ती की आवाज़ें आ रही थी."

सुनकर मैं डर गई. पिछली रात मैं तो ससुरजी से चुदवाई थी. तुम्हारे बलराम भैया मेरे कमरे मे मुझे नही अपनी माँ को चोद रहे थे. कहीं किशन ने देख तो नही लिया?

"तुमने देखा हम दोनो को चुदाई करते हुए?" मैने पूछा.
"नही भाभी. जब मैं वहाँ गया तब अन्दर की बत्ती बंद थी. कुछ दिखाई नही दिया." किशन बोला.

मेरी जान मे जान आयी. मैने कहा, "हाँ, तुम्हारे भैया ने बहुत देर रात तक चोदा मुझे. पर क्या करूं, मेरी बेदर्द जवानी है ऐसी बला! सुबह उठी नही कि फिर मुझे तड़पाने लगी!"

किशन ने आवाज़ नीची करके कहा, "और जानती हो भाभी, कल रात माँ और पिताजी के कमरे से भी बहुत आवाज़ें आ रही थी."
"कैसे आवाज़ें?" मैने पूछा.
"वैसी आवाज़ें जो आपके कमरे से आ रही थी. मस्ती की आवाज़ें." किशन बोला, "बोलना तो नही चाहिये, पर लगता है पिताजी माँ की बहुत जोरदार ठुकाई कर रहे थे!"

अब मैं उसे क्या बताती की उसके पिताजी उसकी माँ को नही मुझे ठोक रहे थे.

मैने मुस्कुरा के उसके गाल को चूमा और एक हाथ उसके पजामे मे खड़े लन्ड पर ले गयी. उसका लन्ड पूरी तरह खड़ा हो चुका था. उसके पजामे के नाड़े को खोलकर मैने पजामे को नीचे उतार दिया. फिर खींचकर उसके चड्डी को भी उतार दिया. अब उसके नंगे लन्ड को मुट्ठी मे लेकर मैं हिलाने लगी. हाथ मे गरम लन्ड के छुअन से मैं गनगना उठी.

मैने एक रोटी की कौर उसके मुंह मे दी और पूछा, "किशन तुम्हे अपने माँ-पिताजी की चुदाई की आवाज़ें सुनकर अच्छा लगा?"
"भाभी, आप बुरा तो नही मानेंगी?" किशन ने पूछा.
"नही, क्यों?"
"बत्ती बंद होने के कारण मुझे कुछ दिखाई तो नही दे रहा था, पर मैं कल्पना कर रहा था कि माँ किस तरह पिताजी से चुद रही होगी." किशन बोला, "सोचकर मैं बहुत गरम हो गया था."
"यह तो गरम होने वाली ही बात है. सासुमाँ अभी भी बहुत सुन्दर हैं देखने मे. और उनकी चूचियां तो मेरी चूचियों से दुगुनी है.", मैने कहा. "देवरजी, तुम अपनी माँ को चुदते हुए देखना चाहोगे?"
"हाँ भाभी." किशन थोड़ा शरमा के बोला. उसका लन्ड मेरे हाथ मे फुंफकार रहा था.
"क्या तुम अपनी माँ को चोदना पसंद करोगे?" मैने पूछा.

किशन चुप रहा, पर उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी.

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