गदराई धोबन की चुदाई – एक सेक्स सीरियल

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
rajkumari
Platinum Member
Posts: 1095
Joined: 22 May 2016 09:23

Re: गदराई धोबन की चुदाई – एक सेक्स सीरियल

Unread post by rajkumari » 01 Sep 2017 12:46

मेरे पूछने पर कि ऐसा क्यों हुआ तो उसने कहा- मैं अपने अनुभव से यही कह सकती हूँ कि एक युवती को आनन्द देने तथा संतुष्ट करने के लिए बहुत लम्बे लिंग की आवश्यकता नहीं है। अगर आपके लिंग जैसा मोटा और सख्त लिंग किसी भी युवती की योनि में जाएगा तो उसे आनंद और संतुष्टि अवश्य ही मिलेगी।
मस्तराम जी, मेरे पति का लिंग आप के लिंग से एक इंच अधिक लम्बा ही होगा लेकिन मोटाई में वह आपके लिंग से लगभग आधा भी नहीं है। मेरे पति का लिंग लम्बा होने के कारण थोड़ा लचीला और नर्म महसूस होता है जबकि आपका लिंग एक लोहे की रॉड की तरह लगता है। इसीलिए आपके लिंग ने मेरे योनि में फंस कर हिलते हुए इतनी ज़बरदस्त रगड़ मारी थी कि मेरी योनि में आज बहुत ही हलचल हुई थी। उसी हलचल के कारण मैं तीन तीन बार स्खलित हुई थी।
एक दूसरे के गुप्तांगों से खेलने एवं इस बातचीत के पायल मुझसे भी अधिक उत्तेजित हो उठी और बोली- मस्तराम जी, सच कहूँ तो इस समय मेरी योनि में फिर से बहुत हलचल हो रही है और अगर आपकी अनुमति हो तो मैं आपके गन्ने का रस एक बार फिर से निकालना चाहूंगी।
मैं भी अपनी उत्तेजना को नियंत्रण करने का असफल प्रयत्न कर रहा था इसलिए पायल की बात सुन कर तुरंत उसे अपने बाँहों में भर लिया और फिर उसके उरोजों को मसलते हुए मैं उसके होंठों को भी चूसने लगा।
वह मुझसे अधिक उत्तेजित थी इसलिए चुम्बन में उसने मेरा पूरा साथ दिया तथा नीचे से मेरे लिंग को अपने हाथों में लेकर हिलाने लगी और उसे अपनी योनि के होंठों एवं भगनासा पर रगड़ने लगी थी।
कुछ हो क्षणों में पायल उत्तेजना के शिखर पर पहुँच गई और उसकी योनि में से योनि-रस की बूंदें मेरे पैरों पर गिरने लगी था।
मैंने तब अधिक देर नहीं करने की सोची और पायल को पॉट के पास ले जाकर नीचे झुका कर घोड़ी बना दिया तथा पीछे से उसके नितम्बों की दरार को खोलते हुए अपने लिंग को उसकी रसीली योनि में धकेल दिया।
योनि-रस से गीली होने के कारण मेरा लिंग फिसलता हुए उसकी योनि की जड़ तक पहुँच गया और जब उसकी अंदरूनी दीवार से टकराया तब उसने एक सिसकारी ले तथा बोली- आह्ह्ह… थोड़ा धीरे करिए, अंदर दुखता है।
मैंने कहा- ठीक है अब जैसा कहोगी वैसा ही करूँगा।
और इसके बाद मैंने थोड़ा नीचे झुक कर अपने सीने को उसकी पीठ से लगा दिया और उसके उरोजों को हाथों में ले कर मसलते हुए अपने लिंग को धीरे धीरे उसकी योनि के अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में पायल की योनि के अंदर हलचल होने लगी और उसमें हो रही सिकुड़न तथा खिंचावट की लहरें मुझे मेरे लिंग पर महसूस होने लगी थी।
कभी कभी जब योनि में बहुत तीव्र खिंचावट होती तब मुझे लगता था कि मेरा लिंग उसकी की अंदरूनी जकड़न के कारण उसी में फंस गया है।
पन्द्रह मिनट के बाद पायल ने कहा- मस्तराम जी, बहुत ही आनन्द आ रहा है। अब मैं शिखर पर पहुँचने वाली हूँ इसलिए तेज़ तेज़ कीजिये ताकि हम दोनों एक साथ ही स्खलित हों।
पायल की बात सुन कर जब मैंने संसर्ग की गति बढ़ाई तब उसने भी तेज़ी से अपने चूतड़ों को पीछे की ओर धकेलने लगी।
हमारी पांच मिनट की इस धक्का-पेल में अचानक पायल का शरीर अकड़ने लगा और उसकी टांगें कांपने लगी तथा उसकी योनि के अंदर ज़बरदस्त सिकुड़न होने लगी थी।
तभी मेरा लिंग उसकी योनि में फंस कर फूलने लगा और हम दोनों ने जोर से चिंघाड़ते हुए सिसकारी भरी और अपना अपना रस स्खलित किया।
रस के संखलित होते ही पायल की टांगों ने खड़े रहने से जवाब दे दिया और जब वह निर्जीव सी हो कर नीचे गिरने लगी तब मैंने उसे पकड़ लिया तथा उसे उठा कर अपनी गोदी में बिठा लिया।
दस मिनट के बाद जब पायल सामान्य हुई तब मैंने उससे पूछा- तुम्हें क्या हो गया था जो अचानक ही नीचे क्यों गिरने लगी थी?
वह बोली- कुछ नहीं, बस योनि की सिकुड़न एवं खिंचावट के कारण टाँगें कांपने लगी थी और मेरे लिए खड़े रहना असम्भव हो गया था। मेरे शरीर की सारी ताकत जैसे उस सिकुड़न एवं खिंचावट में व्यय हो गई थी।
मैंने पूछा- अब कैसा महसूस हो रहा है? क्या कमजोरी महसूस हो रही है?
उसने कहा- नहीं, कोई कमजोरी नहीं है। अब तो बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने आज जितनी बार भी सम्भोग किया है उन सब में से अधिक आनन्द एवं संतुष्टिदायक अभी वाला सम्भोग ही था।
मैंने पूछा- इस सम्भोग में ऐसा क्या हुआ जो तुम इसे सब से अधिक आनन्द एवं संतुष्टिदायक कह रही हो?
पायल ने मेरे गालों और होंठों को चूमते हुए कहा- मेरी योनि में जितनी सिकुडन एवं खिंचावट अभी अभी हुई थी उतनी मुझे पहले कभी भी नहीं हुई। मैं तो आनन्द की चरम-सीमा से भी उपर पहुँच गई थी और मुझे अत्यंत संतुष्टि का आभास भी हुआ था। मेरे शरीर के रोम रोम में जो हलचल हुई थी उसका नशा मुझे अभी भी महसूस हो रहा है।
उसके बाद पायल ने मेरे लिंग को और मैंने उसकी योनि को अच्छी तरह से धोया तथा हमने उनका एक एक चुम्बन भी लिया और फिर हम दोनों साथ साथ नहाने लगे।
नहाने के बाद दोनों ने मिल का चाय नाश्ता बनाया और उसके करने के बाद पायल ने धुले कपड़े उठाये और शाम को आने के लिए कह कर अपने घर चली गई।
इसके बाद पायल अगली तीन रातें मेरे साथ ही सोई और हम दोनों ने कामसूत्र के बहुत से आसनों में सम्भोग किया तथा दोनों के अपनी अपनी कामाग्नि को तृप्त किया।
चार वर्षों से भी अधिक समय हो गया है और पायल हर शनिवार एवं इतवार सुबह जब कपड़े धोने के लिए मेरे कमरे में आती है तब मुझे यौन संसर्ग का सुख, आनन्द तथा संतुष्टि दे कर ही जाती है।
इसी आशा के साथ की अगले कई वर्षों भी यह सिलसिला इसी तरह चलता रहेगा।

Post Reply