गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे full on adult

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rajkumari
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गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे full on adult

Unread post by rajkumari » 26 Dec 2017 13:14

गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे

मेरा नाम रश्मि सिंह है. मैं यूपी के एक छोटे से शहर सीतापुर में रहती हूँ. जब मैं 24 बरस की थी तो मेरी शादी अनिल के साथ हुई . अनिल की सीतापुर में ही अपनी दुकान है. शादी के बाद शुरू में सब कुछ अच्छा रहा और मैं भी खुश थी. अनिल मेरा अच्छे से ख्याल रखता था और मेरी सेक्स लाइफ भी सही चल रही थी.

शादी के दो साल बाद हमने बच्चा पैदा करने का फ़ैसला किया. लेकिन एक साल तक बिना किसी प्रोटेक्शन के संभोग करने के बाद भी मैं गर्भवती नही हो पाई. मेरे सास ससुर भी चिंतित थे की बहू को बच्चा क्यूँ नही हो रहा है. मैं बहुत परेशान हो गयी की मेरे साथ ऐसा क्यूँ हो रहा है. मेरे पीरियड्स टाइम पर आते थे. शारीरिक रूप से भी मैं भरे पूरे बदन वाली थी.

तब मैं 26 बरस की थी , गोरा रंग , कद 5’3” , सुन्दर नाक नक्श और गदराया हुआ मेरा बदन था. कॉलेज के दिनों से ही मेरा बदन निखर गया था, मेरी बड़ी चूचियाँ और सुडौल नितंब लड़कों को आकर्षित करते थे.

मैं शर्मीले स्वाभाव की थी और कपड़े भी सलवार सूट या साड़ी ब्लाउज ही पहनती थी. जिनसे बदन ढका रहता था. छोटे शहर में रहने की वजह से मॉडर्न ड्रेसेस मैंने कभी नही पहनी. लेकिन फिर भी मैंने ख्याल किया था की मर्दों की निगाहें मुझ पर रहती हैं. शायद मेरे गदराये बदन की वजह से ऐसा होता हो.

अनिल ने मुझे बहुत सारे डॉक्टर्स को दिखाया. मेरे शर्मीले स्वाभाव की वजह से लेडी डॉक्टर्स के सामने कपड़े उतारने में भी मुझे शरम आती थी. लेडी डॉक्टर चेक करने के लिए जब मेरी चूचियों, निपल या चूत को छूती थी तो मैं एकदम से गीली हो जाती थी. और मुझे बहुत शरम आती थी.

सभी डॉक्टर्स ने कई तरह की दवाइयाँ दी , मेरे लैब टेस्ट करवाए पर कुछ फायदा नही हुआ.

फिर अनिल मुझे देल्ही ले गया लेकिन मैंने साफ कह दिया की मैं सिर्फ़ लेडी डॉक्टर को ही दिखाऊँगी. लेकिन वहाँ से भी कुछ फायदा नही हुआ.

मेरी सासूजी ने मुझे आयुर्वेदिक , होम्योपैथिक डॉक्टर्स को दिखाया, उनकी भी दवाइयाँ मैंने ली , लेकिन कुछ फायदा नही हुआ.

अब अनिल और मेरे संबंधों में भी खटास आने लगी थी. अनिल के साथ सेक्स करने में भी अब कोई मज़ा नही रह गया था , ऐसा लगता था जैसे बच्चा प्राप्त करने के लिए हम ज़बरदस्ती ये काम कर रहे हों. सेक्स का आनंद उठाने की बजाय यही चिंता लगी रहती थी की अबकी बार मुझे गर्भ ठहरेगा या नही.

ऐसे ही दिन निकलते गये और एक और साल गुजर गया. अब मैं 28 बरस की हो गयी थी. संतान ना होने से मैं उदास रहने लगी थी. घर का माहौल भी निराशा से भरा हो गया था.

एक दिन अनिल ने मुझे बताया की जयपुर में एक मेल गयेनोकोलॉजिस्ट है जो इनफर्टिलिटी केसेस का एक्सपर्ट है , चलो उसके पास तुम्हें दिखा लाता हूँ. लेकिन मेल डॉक्टर को दिखाने को मैं राज़ी नही थी. किसी मर्द के सामने कपड़े उतारने में कौन औरत नही शरमाएगी. अनिल मुझसे बहुत नाराज़ हो गया और अड़ गया की उसी डॉक्टर को दिखाएँगे. अब तुम ज़्यादा नखरे मत करो.

अगले दिन मेरी पड़ोसन मधु हमारे घर आई और मेरी सासूजी से बोली,” ऑन्टी जी , आपने रश्मि को बहुत सारे डॉक्टर्स को दिखा दिया लेकिन कोई फायदा नही हुआ. रश्मि बता रही थी की वो देल्ही भी दिखा लाई है. आयुर्वेदिक , होम्योपैथिक सब ट्रीटमेंट कर लिए फिर भी उसको संतान नही हुई. बेचारी आजकल बहुत उदास सी रहने लगी है. आप रश्मि को श्यामपुर में गुरुजी के आश्रम दिखा लाइए. मेरी एक रिश्तेदार थी जिसके शादी के 7 साल बाद भी बच्चा नही हुआ था. गुरुजी के आश्रम जाकर उसे संतान प्राप्त हुई. रश्मि की शादी को तो अभी 4 साल ही हुए हैं. मुझे यकीन है की गुरुजी की कृपा से रश्मि को ज़रूर संतान प्राप्त होगी. गुरुजी बहुत चमत्कारी हैं.”

मधु की बात से मेरी सासूजी के मन में उम्मीद की किरण जागी. मैंने भी सोचा की सब कुछ करके देख लिया तो आश्रम जाकर भी देख लेती हूँ.

मेरी सासूजी ने अनिल को भी राज़ी कर लिया.

“ देखो अनिल, मधु ठीक कह रही है. रश्मि के इतने टेस्ट वगैरह करवाए और सबका रिज़ल्ट नॉर्मल था. कहीं कोई गड़बड़ी नही है तब भी बच्चा नही हो रहा है. अब और ज़्यादा समय बर्बाद नही करते हैं. मधु कह रही थी की ये गुरुजी बहुत चमत्कारी हैं और मधु की रिश्तेदार का भी उन्ही की कृपा से बच्चा हुआ.”

उस समय मैं मधु के आने से खुश हुई थी की अब जयपुर जाकर मेल डॉक्टर को नही दिखाना पड़ेगा , पर मुझे क्या पता था की गुरुजी के आश्रम में मेरे साथ क्या होने वाला है.

इलाज़ के नाम पर जो मेरा शोषण उस आश्रम में हुआ , उसको याद करके आज भी मुझे शरम आती है. इतनी चालाकी से उन लोगों ने मेरा शोषण किया . उस समय मेरे मन में संतान प्राप्त करने की इतनी तीव्र इच्छा थी की मैं उन लोगों के हाथ का खिलौना बन गयी .

जब भी मैं उन दिनों के बारे में सोचती हूँ तो मुझे हैरानी होती है की इतनी शर्मीली हाउसवाइफ होने के बावजूद कैसे मैंने उन लोगो को अपने बदन से छेड़छाड़ करने दी और कैसे एक रंडी की तरह आश्रम के मर्दों ने मेरा फायदा उठाया.

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Re: गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे full on adult

Unread post by rajkumari » 26 Dec 2017 13:15

गुरुजी का आश्रम श्यामपुर में था , उत्तराखंड में एक छोटा सा गांव जो चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ था. आश्रम के पास ही साफ पानी का एक बड़ा तालाब था. कोई पोल्यूशन ना होने सा उस गांव का वातावरण बहुत ही अच्छा था और जगह भी हरी भरी बहुत सुंदर थी. ऐसी शांत जगह आकर किसी का भी मन प्रसन्न हो जाए.

मुझे अनिल के साथ आश्रम में आना था लेकिन ऐन वक़्त पर अनिल किसी ज़रूरी काम में फँस गये इसीलिए मेरी सासूजी को मेरे साथ आना पड़ा. आश्रम में आने के बाद मैंने देखा की गुरुजी के दर्शन के लिए वहाँ लोगों की लाइन लगी हुई है. हमने गुरुजी को अकेले में अपनी समस्या बताने के लिए उनसे मुलाकात का वक़्त ले लिया.

काफ़ी देर बाद हमें एक कमरे में गुरुजी से मिलने ले जाया गया. गुरुजी काफ़ी लंबे चौड़े , हट्टे कट्टे बदन वाले थे , उनकी हाइट 6 फीट तो होगी ही. वो भगवा वस्त्र पहने हुए थे. शांत स्वर में बोलने का अंदाज़ उनका सम्मोहित कर देने वाला था. आवाज़ में ऐसा जादू था की गूंजती हुई सी लगती थी , जैसे कहीं दूर से आ रही हो . कुल मिलाकर उनका व्यक्तित्व ऐसा था की सामने वाला खुद ही उनके चरणों में झुक जाए. उनकी आँखों में ऐसा तेज था की आप ज़्यादा देर आँखें मिला नही सकते.

हम गुरुजी के सामने फर्श पर बैठ गये. सासूजी ने गुरुजी को मेरी समस्या बताई की मेरी बहू को संतान नही हो पा रही है , गुरुजी ध्यान से सासूजी की बातों को सुनते रहे. हमारे अलावा उस कमरे में दो और आदमी थे , जो शायद गुरुजी के शिष्य होंगे. उनमें से एक आदमी , सासूजी की बातों को सुनकर , डायरी में कुछ नोट कर रहा था.

गुरुजी – माताजी , मुझे खुशी हुई की अपनी समस्या के समाधान के लिए आप अपनी बहू को मेरे पास लायीं. मैं एक बात साफ बता देना चाहता हूँ की मैं कोई चमत्कार नही कर सकता लेकिन अगर आपकी बहू मुझसे ‘दीक्षा’ले और जैसा मैं बताऊँ वैसा करे तो ये आश्रम से खाली हाथ नही जाएगी , ऐसा मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ. माताजी समस्या कठिन है तो उपचार की राह भी कठिन ही होगी , लेकिन अगर इस राह पर आपकी बहू चल पाए तो एक साल के भीतर उसको संतान की प्राप्ति अवश्य होगी.लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा की जैसा कहा जाए , बिना किसी शंका के वैसा ही करना होगा. तभी आशानुकूल परिणाम मिलेगा.

गुरुजी की बातों से मैं इतनी प्रभावित हुई की तुरंत अपने उपचार के लिए तैयार हो गयी. मेरी सासूजी ने भी हाथ जोड़कर फ़ौरन हाँ कह दिया.

गुरुजी – माताजी , उपचार के लिए हामी भरने से पहले मेरे नियमों को सुन लीजिए. मैं अपने भक्तों को अंधेरे में नही रखता. तीन चरणों में उपचार होगा तब आपकी बहू माँ बन पाएगी. पहले ‘दीक्षा’, फिर ‘जड़ी बूटी से उपचार’ , और फिर ‘यज्ञ’. पूर्णिमा की रात से उपचार शुरू होगा और 5 दिन तक चलेगा. इस दौरान दीक्षा और जड़ी बूटी से उपचार को पूर्ण किया जाएगा. उसके बाद अगर मुझे लगेगा की हाँ इतना ही पर्याप्त है तो आपकी बहू छठे दिन आश्रम से जा सकती है. पर अगर ‘यज्ञ’की ज़रूरत पड़ी तो 2 दिन और रुकना पड़ेगा. आश्रम में रहने के दौरान आपकी बहू को आश्रम के नियमों का पालन करना पड़ेगा , इन नियमों के बारे में मेरे शिष्य बता देंगे.

गुरुजी की बातों को मैं सम्मोहित सी होकर सुन रही थी. मुझे उनकी बात में कुछ भी ग़लत नही लगा. उनसे दीक्षा लेने को मैंने हामी भर दी.

गुरुजी – समीर , इनकी बहू को आश्रम के नियमों के बारे में बता दो और इसके पर्सनल डिटेल्स नोट कर लो. बेटी तुम समीर के साथ दूसरे कमरे में जाओ और जो ये पूछे इसको बता देना. माताजी अगर आपको कुछ और पूछना हो तो आप मुझसे पूछ सकती हैं.

मैं उठी और गुरुजी के शिष्य समीर के पीछे पीछे बगल वाले कमरे में चली गयी. वहाँ पर रखे हुए सोफे में समीर ने मुझसे बैठने को कहा. समीर मेरे सामने खड़ा ही रहा.

समीर लगभग 40 – 42 बरस का था , शांत स्वभाव , और चेहरे पे मुस्कुराहट लिए रहता था.

समीर – मैडम , मेरा नाम समीर है. अब आप गुरुजी की शरण में आ गयी हैं , अब आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है. मैंने आश्रम में बहुत सी औरतों को देखा है जिनको गुरुजी के खास उपचार से फायदा हुआ. लेकिन जैसा की गुरुजी ने कहा की आपको बिना किसी शंका के जैसा बताया जाए वैसा करना होगा.

“मैं वैसा करने की पूरी कोशिश करूँगी . दो साल से मैं अपनी समस्या से बहुत परेशान हूँ. “

समीर – आप चिंता मत कीजिए मैडम. सब ठीक होगा. अब मैं आपको बताता हूँ की करना क्या है. अगले सोमवार को शाम 7 बजे से पहले आप आश्रम में आ जाना. सोमवार को पूर्णिमा है , आपको दीक्षा लेनी होगी. मैडम , आप अपने साथ साड़ी वगैरह मत लाना. हमारे आश्रम का अपना ड्रेस कोड है और यहीं से आपको साड़ी वगैरह सब मिलेगा. जो जड़ी बूटियों से बने डिटरजेंट से धोयी जाती हैं. और मैडम आश्रम में गहने पहनने की भी अनुमति नही है. असल में सब कुछ यहीं से मिलेगा इसलिए आपको कुछ लाने की ज़रूरत ही नही है.

समीर की बातों से मुझे थोड़ी हैरानी हुई. अभी तक आश्रम में मुझे कोई औरत नही दिखी थी . मैं सोचने लगी , साड़ी तो आश्रम से मिल जाएगी लेकिन मेरे ब्लाउज और पेटीकोट का क्या होगा. सिर्फ़ साड़ी पहन के तो मैं नही रह सकती .

शायद समीर समझ गया की मेरे दिमाग़ में क्या शंका है.

समीर – मैडम, आपने ध्यान दिया होगा की गुरुजी ने मुझे आपके पर्सनल डिटेल्स नोट करने को कहा था. इसलिए आप ब्लाउज वगैरह की फ़िकर मत कीजिए. सब कुछ आपको यहीं से मिलेगा. हम हेयर क्लिप से लेकर चप्पल तक सब कुछ आश्रम से ही देते हैं.

समीर मुस्कुराते हुए बोला तो मेरी शंका दूर हुई. फिर मैंने सोचा मेरे अंडरगार्मेंट्स का क्या होगा , वो भी आश्रम से ही मिलेंगे क्या. लेकिन ये बात मैं एक मर्द से कैसे पूछ सकती थी.

समीर – मैडम , अब आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दीजिए. मैडम एक बात और कहना चाहूँगा , जवाब देने में प्लीज़ आप बिल्कुल मत शरमाना और बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब देना क्यूंकी आप अपनी समस्या के समाधान के लिए यहाँ आई हैं और हम सबका यही प्रयास रहेगा की आपकी समस्या का समाधान हो जाए.

मैं थोड़ी नर्वस हो रही थी. समीर की बातों से मुझे सहारा मिला और फिर मैंने उसके सवालों के जवाब दिए , जो बहुत ही निजी किस्म के थे .

समीर – मैडम, आपको रेग्युलर पीरियड्स आते हैं ?

“हाँ , समय पर आते हैं. कभी कभार ही मिस होते हैं.”

समीर – लास्ट बार कब हुआ था इर्रेग्युलर पीरियड ?

“लगभग तीन या चार महीने पहले. तब मैंने कुछ दवाइयाँ ले ली थी फिर ठीक हो गया.”

समीर – आपकी पीरियड की डेट कब है ?

“22 या 23 को है.”

समीर सर झुकाकर मेरे जवाब नोट कर रहा था इसलिए उसका और मेरा 'आई कांटेक्ट' नही हो रहा था. वरना इतने निजी सवालों का जवाब दे पाना मेरे लिए बड़ा मुश्किल होता. डॉक्टर्स को छोड़कर किसी ने मुझसे इतने निजी सवाल नही पूछे थे.

समीर – मैडम आप को हैवी पीरियड्स आते हैं या नॉर्मल ? उन दिनों में अगर आपको ज़्यादा दर्द महसूस होता है तो वो भी बताइए.

“नॉर्मल आते हैं, 2 - 3 दिन तक, दर्द भी नॉर्मल ही रहता है.”

समीर – ठीक है मैडम. बाकी निजी सवाल गुरुजी ही पूछेंगे जब आप वापस आश्रम आएँगी तब.

मैं सोचने लगी अब और कौन से निजी सवाल हैं जो गुरुजी पूछेंगे.

समीर – मैडम , अब आश्रम के ड्रेस कोड के बारे में बताता हूँ. आश्रम से आपको चार साड़ी मिलेंगी जो जड़ी बूटी से धोयी जाती हैं , भगवा रंग की. इतने से आपका काम चल जाएगा. ज़रूरत पड़ी तो और भी मिल जाएँगी. आपका साइज़ क्या है ? मेरा मतलब ब्लाउज के लिए….”

एक अंजान आदमी के सामने ऐसी निजी बातें करते हुए मैं असहज महसूस कर रही थी. उसके सवाल से मैं हकलाने लगी.

“आपको मेरा साइज़ क्यूँ चाहिए ? “ , मेरे मुँह से अपनेआप ही निकल गया.

समीर – मैडम , अभी तो मैंने बताया था की आश्रम में रहने वाली औरतों को साड़ी , ब्लाउज, पेटीकोट आश्रम से ही मिलता है. तो उसके लिए आपका साइज़ जानना ज़रूरी है ना.

“ठीक है. 34” साइज़ है.”

समीर ने मेरा साइज़ नोट किया और एक नज़र मेरी चूचियों पर डाली जैसे आँखों से ही मेरा साइज़ नाप रहा हो.

समीर – मैडम , आश्रम में ज़्यादातर औरतें ग्रामीण इलाक़ों से आती हैं . शायद आपको मालूम ही होगा गांव में औरतें अंडरगार्मेंट नही पहनती हैं , इसलिए आश्रम में नही मिलते. लेकिन आप शहर से आई हैं तो आप अपने अंडरगार्मेंट ले आना . पर उनको आश्रम में जड़ी बूटी से स्टरलाइज करवाना मत भूलना. क्यूंकी दीक्षा के बाद कुछ भी ऐसा पहनने की अनुमति नही है जो जड़ी बूटियों से स्टरलाइज ना किया गया हो.

अंडरगार्मेंट की समस्या सुलझ जाने से मुझे थोड़ा सुकून मिला. पर मुझसे कुछ बोला नही गया इसलिए मैंने ‘हाँ ‘ में सर हिला दिया.

समीर – थैंक्स मैडम. अब आप जा सकती हैं. और सोमवार शाम को आ जाना.

मैं सासूजी के साथ अपने शहर लौट गयी. सासूजी ने बताया की जब तुम समीर के साथ दूसरे कमरे में थी तो उनकी गुरुजी से बातचीत हुई थी. सासूजी गुरुजी से बहुत ही प्रभावित थीं. उन्होने मुझसे कहा की जैसा गुरुजी कहें वैसा करना और आश्रम में अकेले रहने में घबराना नही , गुरुजी सब ठीक कर देंगे.

कुल मिलाकर गुरुजी के आश्रम से मैं संतुष्ट थी और मुझे भी लगता था की गुरुजी की शरण में जाकर मुझे ज़रूर संतान प्राप्ति होगी. पर उस समय मुझे क्या पता था की आश्रम में मेरे ऊपर क्या बीतने वाली है.

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Re: गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे full on adult

Unread post by rajkumari » 26 Dec 2017 13:15

अगले सोमवार की शाम को मैं अपनी सासूजी के साथ गुरुजी के आश्रम पहुँच गयी. मेरा बैग लगभग खाली था क्यूंकी समीर ने कहा था की सब कुछ आश्रम से ही मिलेगा. सिर्फ़ एक एक्सट्रा साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट और 3 सेट अंडरगार्मेंट्स के अपने साथ लाई थी. मैंने सोचा इतने से मेरा काम चल जाएगा. इमर्जेन्सी के लिए कुछ रुपये भी रख लिए थे.

आश्रम में समीर ने मुस्कुराकर हमारा स्वागत किया. हम गुरुजी के पास गये , उन्होने हम दोनो को आशीर्वाद दिया . फिर गुरुजी से कुछ बातें करके मेरी सासूजी वापस चली गयीं. अब आश्रम में गुरुजी और उनके शिष्यों के साथ मैं अकेली थी. आज दो और गुरुजी के शिष्य मुझे आश्रम में दिखे. अभी उनसे मेरा परिचय नही हुआ था.

गुरुजी – बेटी यहाँ आराम से रहो. कोई दिक्कत नही है. क्या मैं तुम्हें नाम लेकर बुला सकता हूँ ?

“ ज़रूर गुरुजी.”

गुरुजी के अलावा उनके चार शिष्य वहाँ पर थे. उस समय पाँच आदमियों के साथ मैं अकेली औरत थी. वो सभी मुझे ही देख रहे थे तो मुझे थोड़ा असहज महसूस हुआ. लेकिन गुरुजी की शांत आवाज़ सुनकर सुकून मिला.

गुरुजी – ठीक है रश्मि , तुम्हारा परिचय अपने शिष्यों से करा दूं. समीर से तो तुम पहले ही मिल चुकी हो , उसके बगल में कमल , फिर निर्मल और ये विकास है. दीक्षा के लिए समीर बताएगा और उपचार के दौरान बाकी लोग बताएँगे की कैसे कैसे करना है. अब तुम आराम करो और रात 10 बजे दीक्षा के लिए आ जाना. समीर तुम्हें सब बता देगा.

समीर – आइए मैडम.

समीर मुझे एक छोटे से कमरे में ले गया , उसमे एक अटैच्ड बाथरूम भी था . समीर ने बताया की आश्रम में यही मेरा कमरा है. बाथरूम में एक फुल साइज़ मिरर लगा हुआ था, जिसमे सर से पैर तक पूरा दिख रहा था. मुझे थोड़ा अजीब सा लगा की बाथरूम में इतने बड़े मिरर की ज़रूरत क्या है ? बाथरूम में एक वाइट टॉवेल, साबुन, टूथपेस्ट वगैरह ज़रूरत की सभी चीज़ें थी जैसे एक होटेल में होती हैं.

कमरे में एक बेड था और एक ड्रेसिंग टेबल जिसमें कंघी , हेयर क्लिप , सिंदूर , बिंदी वगैरह था. एक कुर्सी और कपड़े रखने के लिए एक कपबोर्ड भी था. मैं सोचने लगी समीर सही कह रहा था की सब कुछ यहीं मिलेगा. ज़रूरत की सभी चीज़ें तो थी वहाँ.

फिर समीर ने मुझे एक ग्लास दूध और कुछ स्नैक्स लाकर दिए.

समीर – मैडम , अब आप आराम कीजिए. वैसे तो सब कुछ यहाँ है लेकिन फिर भी कुछ और चाहिए होगा तो मुझे बता दीजिए. 10 बजे मैं आऊँगा और दीक्षा के लिए आपको ले जाऊँगा. दीक्षा में शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण किया जाता है. आपके उपचार का वो स्टार्टिंग पॉइंट है.
मैडम आप अपना बैग मुझे दे दीजिए . मैं इसे चेक करूँगा और आश्रम के नियमों के अनुसार जिसकी अनुमति होगी वही चीज़ें आप अपने पास रख सकती हैं.

समीर की बात से मुझे झटका लगा , ये अब मेरा बैग भी चेक करेगा क्या ?

“लेकिन बैग में तो कुछ भी ऐसा नही है. आपने कहा था की सब कुछ आश्रम से मिलेगा तो मैं कुछ नही लाई.”

समीर – मैडम , फिर भी मुझे चेक तो करना पड़ेगा. आप शरमाइए मत. मैं हूँ ना आपके साथ. जो भी समस्या हो आप बेहिचक मुझसे कह सकती हैं.

फिर बिना मेरे जवाब का इंतज़ार किए समीर ने बैग उठा लिया. बैग में से उसने मेरा पर्स निकाला. फिर मेरी ब्रा निकाली और उन्हे बेड पे रख दिया. फिर उसने बैग से पैंटी निकाली और थोड़ी देर तक पकड़े रहा जैसे सोच रहा हो की मेरे बड़े नितंबों में इतनी छोटी पैंटी कैसे फिट होती है .

मैं शरम से नीचे फर्श को देखने लगी. कोई मर्द मेरे अंडरगार्मेंट्स को छू रहा है. मेरे लिए बड़ी असहज स्थिति थी.

शुक्र है उसने मेरी तरफ नही देखा. फिर उसने कुछ रुमाल निकाले और साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट सब बैग से निकालकर बेड में रख दिया. अब बैग में कुछ नही बचा था.

समीर – ठीक है मैडम, जो ये आपकी एक्सट्रा साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट है इसे मैं ऑफिस में ले जा रहा हूँ क्यूंकी कपड़े आश्रम से ही मिलेंगे. मैं दीक्षा के समय आश्रम की साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट लाकर दूँगा और रात में सोने के लिए नाइट ड्रेस भी मिलेगी. ये आपके अंडरगार्मेंट्स भी मैं ले जा रहा हूँ , स्टरलाइज होने के बाद कल सुबह अंडरगार्मेंट्स आपको मिल जाएँगे.

मैं क्या कहती , सिर्फ़ सर हिलाकर हामी भर दी. उसने बेड से मेरे अंडरगार्मेंट्स उठाये और फिर से कुछ देर तक पैंटी को देखा. मैं तो शरम से पानी पानी हो गयी. आजतक किसी भी पराए मर्द ने मेरी ब्रा पैंटी में हाथ नही लगाया था और यहाँ समीर मेरे ही सामने मेरी पैंटी उठाकर देख रहा था. लेकिन अभी तो बहुत कुछ और भी होना था.

समीर – मैडम, मुझे आपकी ब्रा और पैंटी चाहिए ….वो मेरा मतलब है जो आपने पहनी हुई है , स्टरलाइज करने के लिए.

“लेकिन इनको कैसे दे दूं अभी ? “ हकलाते हुए मैं बोली.

समीर – मैडम देखिए, मुझे जड़ी बूटी डालकर पानी उबालना पड़ेगा , जिसमे ये कपड़े धोए जाएँगे. इसको उबालने में बहुत टाइम लगता है. तब ये कपड़े स्टरलाइज होंगे. इसलिए आप अपने पहने हुए अंडरगार्मेंट्स उतार कर मुझे दे दीजिए , मैं बार बार थोड़ी ना ये काम करूँगा. एक ही साथ सभी अंडरगार्मेंट्स को स्टरलाइज कर दूँगा.

वो ऐसे कह रहा था जैसे ये कोई बड़ी बात नही. पर बिना अंडरगार्मेंट्स के मैं सुबह तक कैसे रहूंगी ? लेकिन मेरे पास कोई चारा नही था, मुझे अंडरगार्मेंट्स उतारकर स्टरलाइज होने के लिए देने ही थे. आश्रम के मर्दों के सामने बिना ब्रा पैंटी के मैं कैसे रहूंगी सुबह तक. मुझे दीक्षा लेने भी जाना था और आश्रम के सभी मर्द जानते होंगे की मेरे अंडरगार्मेंट्स स्टरलाइज होने गये हैं और मैं अंदर से कुछ भी नही पहनी हूँ.

“ठीक है , आप कुछ देर बाद आओ , तब तक मैं उतार के दे दूँगी.”

समीर – आप फिकर मत करो मैडम . मैं यही वेट करता हूँ. इनको उतारने में क्या टाइम लगना है …”

“ठीक है , जैसी आपकी मर्ज़ी….” कहकर मैं बाथरूम में चली गयी. समीर कमरे में ही खड़ा रहा.

बाथरूम का दरवाज़ा ऊपर से खुला था , मतलब छत और दरवाज़े के बीच कुछ गैप था. मैं सोचने लगी अब ये क्या मामला है ? मुझे कपड़े लटकाने के लिए बाथरूम में एक भी हुक नही दिखा तब मुझे समझ में आया की कपड़े दरवाज़े के ऊपर डालने पड़ेंगे इसीलिए ये गैप छोड़ा गया है. लेकिन कमरे में तो समीर खड़ा था , जो भी कपड़े मैं दरवाज़े के ऊपर डालती सब उसको दिख जाते . इससे उसको पता चलते रहता की क्या क्या कपड़े मैंने उतार दिए हैं और किस हद तक मैं नंगी हो गयी हूँ. इस ख्याल से मुझे पसीना आ गया. फिर मुझे लगा की मैं कुछ ज़्यादा ही सोच रही हूँ , ये लोग तो गुरुजी के शिष्य हैं सांसारिक मोहमाया से तो ऊपर होंगे.

अब मैंने दरवाज़े की तरफ मुँह किया और अपनी साड़ी उतार दी और दरवाज़े के ऊपर डाल दी. फिर मैं अपने पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी. पेटीकोट उतारकर मैंने साड़ी के ऊपर लटका दिया. बाथरूम के बड़े से मिरर पर मेरी नज़र पड़ी , मैंने दिखा छोटी सी पैंटी में मेरे बड़े बड़े नितंब ढक कम रहे थे और दिख ज़्यादा रहे थे. असल में पैंटी नितंबों के बीच की दरार की तरफ सिकुड जाती थी इसलिए नितंब खुले खुले से दिखते थे. उस बड़े से मिरर में अपने को सिर्फ़ ब्लाउज और पैंटी में देखकर मुझे खुद ही शरम आई. फिर मैंने पैंटी उतार दी और उसे दरवाज़े के ऊपर रखने लगी तभी मुझे ध्यान आया , कमरे में तो समीर खड़ा है. अगर वो मेरी पैंटी देखेगा तो समझ जाएगा मैं नंगी हो गयी हूँ. मैंने पैंटी को फर्श में एक सूखी जगह पर रख दिया.

फिर मैंने अपने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए. और फिर ब्रा उतार दी . समीर दरवाज़े से कुछ ही फीट की दूरी पर खड़ा था और मैं अंदर बिल्कुल नंगी थी. मैं शरम से लाल हो गयी और मेरी चूत गीली हो गयी. मेरे हाथ में ब्लाउज और ब्रा थी , मैंने देखा ब्लाउज का कांख वाला हिस्सा पसीने से भीगा हुआ है . ब्रा के कप भी पसीने से गीले थे. फिर मैंने दरवाज़े के ऊपर ब्लाउज डाल दिया. फर्श से पैंटी उठाकर देखी तो उसमें भी कुछ गीले धब्बे थे. मैं सोचने लगी ऐसे कैसे दे दूं ब्रा पैंटी समीर को , वो क्या सोचेगा . पहले धो देती हूँ.

तभी कमरे से समीर की आवाज़ आई ,”मैडम , ये आपके उतारे हुए कपड़े मैं धोने ले जाऊँ? आप नये वाले पहन लेना. पसीने से आपके कपड़े गीले हो गये होंगे.”

वो आवाज़ इतनी नज़दीक से आई थी की जैसे मेरे पीछे खड़ा हो. घबराकर मैंने जल्दी से टॉवेल लपेटकर अपने नंगे बदन को ढक लिया. वो दरवाज़े के बिल्कुल पास खड़ा होगा और दरवाज़े के ऊपर डाले हुए मेरे कपड़ों को देख रहा होगा. दरवाज़ा बंद होने से मैं सेफ थी लेकिन फिर भी मुझे घबराहट महसूस हो रही थी.

“नही नही, ये ठीक हैं.” मैंने कमज़ोर सी आवाज़ में जवाब दिया.

समीर – अरे क्या ठीक हैं मैडम. नये कपड़ों में आप फ्रेश महसूस करोगी. और हाँ मैडम , आप अभी मत नहाना , क्यूंकी दीक्षा के समय आपको नहाना पड़ेगा.

तब तक मेरी घबराहट थोड़ी कम हो चुकी थी . मैंने सोचा ठीक ही तो कह रहा है , पसीने से मेरे कपड़े भीग गये हैं. नये कपड़े पहन लेती हूँ. लेकिन मैं कुछ कहती उससे पहले ही…....

समीर – मैडम, मैं आपकी साड़ी , पेटीकोट और ब्लाउज धोने ले जा रहा हूँ और जो आप एक्सट्रा सेट लाई हो , उसे यही रख रहा हूँ.”

मेरे देखते ही देखते दरवाज़े के ऊपर से मेरी साड़ी , पेटीकोट, ब्लाउज उसने अपनी तरफ खींच लिए. पता नही उसने उनका क्या किया लेकिन जो बोला उससे मैं और भी शरमा गयी.

समीर – मैडम, लगता है आपको कांख में पसीना बहुत आता है. वहाँ पर आपका ब्लाउज बिल्कुल गीला है और पीठ पर भी कुछ गीला है.

उसकी बात सुनकर मैं शरम से मर ही गयी. इसका मतलब वो मेरे ब्लाउज को हाथ में पकड़कर ध्यान से देख रहा होगा. ब्लाउज की कांख पर, पीठ पर और वो हिस्सा जिसमे मेरी दोनो चूचियाँ समाई रहती हैं. मैं 28 बरस की एक शर्मीली शादीशुदा औरत और ये एक अंजाना सा आदमी मेरी उतरी हुई ब्लाउज को देखकर मुझे बता रहा है की कहाँ कहाँ पर पसीने से भीगा हुआ है.

“हाँ ……..वो… ..वो मुझे पसीना बहुत आता है….”

फिर मैंने और टाइम बर्बाद नही किया और अपनी ब्रा पैंटी धोने लगी. वरना उनके गीले धब्बे देखकर ना जाने क्या क्या सवाल पूछेगा.

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