पेलो मुझे मेरे राजा भैया new hindi rajsharmastories

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Nitin
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Re: पेलो मुझे मेरे राजा भैया new hindi rajsharmastories

Unread post by Nitin » 09 Feb 2018 09:13

मेरी बहन चूतड उठा उठा कर मेरी उन्गली से चुदवाने लगी और साथ मेरी मुठ मारने लगी थी. अब मुझ से नही रहा जा रहा था. अगर कुछ देर और ऐसा ही चलता रहता तो मेर लन्ड झड ही जाता. मै नेहा की चुची को ज़ोर से चुस कर अपने से अलग कर दिया.

"नेहा, मेरी बहना, अब मै तूझे चोदे बिना नही रह सकता. तेरा भाई आज पहली बार किसी लडकी को चोद रहा है और वो भी अपनी सगि बहन को! तुझ जैसी बहन को चोदना ये मेरी खुशकिस्मत है. मै चाहता हू कि मेरी बहन मुझ से ऐसी ही प्यार से चुदवाती रहे. मुझे बस एक बर अपनी प्यारी बहन की चुम्मी लेने दो......प्लीज...........मेरी प्यारी बहना........"

मैने नेहा की कुर्ती तो पहले ही उतारी थी, उसका स्कर्ट भी खीन्च कर निकाल दिया और अपनी लुन्गी निकल कर फेन्क दी. मैने नेहा को चित लिटा दिया और उसके पैरो को अच्छी तरह फैला दिया. नेहा व्याकुल हो उठी थी.

"भैया ले लो एक चुम्मी जलदे और मेरी नीचेवाली प्यास बुझाओ..........." और उसने अपने होठ चुमी देनेकी मुद्रा मे कर लिए. लेकिन मेरा प्लान अलग था, मै नीचे झुक गया और नेहा की चूत की गुलाबी पन्खुडियोपे अपने होठ रख दिये. नेहा कसमसायी और उसने मेरा सिर अपनी चूत पे कस के जकड लिया. मै अपनी बहन की चूत को चाटने लगा. मेरा लन्ड मेरी बहन के मुख के सामने था. मेरी बहन ने झट से मेरे लन्ड को खीच कर अपने मुह मे ले लिया और अपने हाथो से मेरे अन्डकोश सहलाने लगी. हम भाई बहन ६९ की पोजिशन मे थे मै चूत चाटने मे और नेहा मेर लन्ड चुसने मे लग गयी. मेरी ज़ुबान पर नेहा के चूत रस की बौछार हो रही थी. वो बहुत गरम ही चुकी थी और मेरे सुपाडे को लॉलीपॉप की तरह चुस रही थी. मैने भी अपनी बहन की गोरी जान्घो को फैला रखा था और उसकी मख्खन जैसी चूत को चाट रहा था. कभी कभी नेहा मेरे अन्डकोश चाट लेती तो मेरा जिस्म काम्प जाता. फिर उसने अचानक मेरी गान्ड मे एक उन्गली घुसेड दी तो मेरा पूरा बदन ऐठ गया.

मै समझ गया कि अब और देर करना ठीक नही होगा. हम एक दूसरे से अलग हुए और मै अपनी बहन को चित लिटा दिया और उसके मखमली चूतडो के नीचे एक तकिया रख दिया जिस कारन मेरी प्यारी बहना की चूत उपर उभर गयी. नेहा की आन्खे मेरे लन्ड को भूखी नज़रो से देख रही थी. मै भी हवस भरी नज़र से अपनी बहन के नन्गे हुस्न को निहार रहा था और फ़िर मै उसके नन्गे जिस्म पर झुका. मैने अपने लन्ड का सुपाडा उसकी कुवारी चूत पर रगडना शुरु कर दिया. चूत किसी आग के शोले की तरह तप रही थी. मै नीचे से उपर तक लन्ड को रगड रहा था की वो चीख पडी,

"भैया, क्यू तडपा रहे हो? अब मेरी चूत को ठन्डी करो न? इस की आग शान्त कर दो मेरे भैया! अपनी बहन को इतना उत्तेजित कर रहे हो, अब चोद भी डालो, प्लीऽऽऽऽऽऽऽझ !"

जान्घो को खोल कर मै लन्ड क सुपाडा अपनी बहन की चूत के मुख पर रखा और एक जोरदार धक्का मार दिया. नेहा का भी यह पहला मौका था तो उसके मुह से एक लम्बी चीख निकल गयी.

"आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............उउउउउइइइइइइइ........माऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ" मै थोडा डर गया और उसे पूछा.

"मेरी रानी, बहुत दर्द हो रहा हू तो रुक जाऊ" लेकिन नेहाने प्यारसे मुझे और कसके पकड लिया और गर्दन से इशारा करके चालू रखने के लिए कहा. उसका यह प्यार देखकर मै और उत्तेजित हुआ और लन्ड थोडा बाहर निकालकर एक जोरका धक्का लगाया. इस धक्केसे नेहा की चूत की गुलाबी फ़ान्को को चीरता हुआ लन्ड मेरी बहन की चूत मे घुसता चला गया. मुझे मेह्सूस हुआ की मेरा लन्ड किसी आग की भटटी मे घुस गया हो. मखमल से भी अधिक मुलायम चूत की दीवारो ने मेरे लन्ड को जकड लिया और मुझे जन्नत का मज़ा मिलने लगा. मेरी प्यारी बहन कराह उठी,

"भैया प्यार से चोदो अपनी बहना को! बहुत मस्त है आपका यह हथियार.......मेरे राजा भैया.....पेलते जाओ........और अन्दर ........हा बस्स यूही.........आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............. भैया बहुत मस्त है आपका ये लन्ड!"

नेहा के मुह से ऐसी बाते सुनकर मेरी वासना और बढ रही थी. चूत से बहने वाले रस ने लन्ड का रास्ता आसान बना दिया था और थोडी देर मे ही मेरा पूरा ८ इन्च का लन्ड मेरी बहन की बुर मे घुस चुका था.

मै अपना मुख झुका कर नेहा की चुची पर रख दिया और चाटने लगा. मेरा लन्ड मस्ती मे चूत के अन्दर बहर हो रहा था और मै अपनी कमर हिला हिला कर अपनी सगी बहन को बडे प्यारसे चोद रह था,

"नेहा, मेरी रानी बहना, मै ऐसा अनन्द पहले कभी नही मेह्सूस क्या! सच बहना, तू मेरी पत्नि है आज से. तुझे चोद कर मेरी किस्मत खुल गयी है. देख तेरे राज भैया का लन्ड तेरी चूत की गहरायी मे समा चुका है. आज से मै तेर भैया नही सैय्या हू ! तुझे अपनी पत्नि बना कर सारी उमर चोदून्गा, ये तेरे राज भैया का वादा है तुमसे!"

नेहा चुदायी के अनन्द मे इतनी खो चुकी थी की कुछ बोल नही पा रही थी. उसने बस मेरा मुह अपनी तरफ खीन्च लिया और मुझे प्यारसे किस करने लगी. अब तो मै स्वर्ग मे था, मेरा लन्ड नेहा की चूत की फचाफच चुदाई कर रहा था, मेरे हाथ उसकी कडी चुचियोको मसल कर कुचल रहे थे और मेरे होठ उसके मुह मे घुसे थे. मैने नेहा का मुह भी इतनी जोरसे चूमा कि उसके होठ बिलकुल लाल लाल हो गए. लेकिन वो भी मस्ती के मूड मे थी. मेरी बहन अब अपने चूतड उठा कर चुदवा रही थी. मैने हाथो को उसके मम्मोसे हटा कर उसके चूतडो को कसके थाम लिया और जम कर अपने जिस्म से चिपका लिया.

"ओह्ह्ह्ह्ह्ह भैया...........आआ....चोदो जोर से! पेलो मुझे मेरे राजा भैया........आआ....बहुत आनन्द दे रह है आपका लन्ड मेरी चूत को, मेरे सैय्या.........आआ....चोद डालो आज अपनी बहन को...बना लो मुझे अपनी पत्नि, अपनी रानी, मै तुम्हारी हू आजसे ............जो चाहे कर लो लेकिन ऐसे चोदते रहो......आआआआआ........!!!" वो हान्फ़ रही थी. हमारे जिस्म पसिना पसिना हो चुके थे और हम पागलो की तरह चोदे जा रहे थे. चुदाई अपनी उन्चाई तक पहुन्च चुकी थी. मेरा झडने का वक्त नज़दीक आ रहा था. मेरे अन्डकोश से रस उपर उठ रहा था. उधर नेहा जिस रफ़्तार से गान्ड उछाल रही थी, मुझे लगा की वो भी झडने वाली है.

"भैया.........आआ, जोर से..मै गयी...मेरी चूत गयी...मै.......मै ........मै झडी मेरे भैया....... चोद लो अपनी बहन को जोर से...पेलो भैया...अपना रस गिरा दो मेरी चूत मे ....मुझे अपने बच्चे की मा बना दो मेरे भैया...अपनी पत्नि को मा बन दो.......ऊऊ...मै गयी..ओह्ह्ह.........राज भैया........आआआआआ.........मेरे पति.........मेरे सैय्या.........मेरे.............मेरे...........मै.......!!!" और यू चिल्लाते वो निढाल हो गई.
मेरा लन्ड भी पिचकारी छोडने को था. मै अपनी बहन को अपनी बाहो मे जकड कर जोर जोर से चोदना जारी रखा. मुझे अपने नीचे अपनी बहन के बजाए अपनी बिवी दिख रही थी. वासना की चमक से भरी मेरी
नेहा मुझे मेरी पत्नि दिख रही थी जो मुझ से प्यार से चुदवा रही थी. तभी मेरे लन्ड क बान्ध टूट पडा और रस क फ़ुवारा नेहा की चूत मे गिरने लगा. चूत भी झड रही थी. लन्ड रस अब चूत रस मे मिक्स हो रहा था. तूफ़ानी धक्के अब धीरे होने लगे और पूरी तरह से शान्त हो कर हम पति-पत्नि की तरह अलिन्गन्बद्ध हो कर लेट कर नन्गे सो गए.

अपनी बहन नेहा को मै उस रात तीन बार चोदा. दोनो थक चुके थे. हम भाई बहन चुदायी मे इतने व्यस्त थे की रात कब बीत गयी पता ही न चला. अगला दिन सन्डे थ इस लिये कोई प्रॉब्लेम नही था. हम दोपहर तक सोते रहे. २ बजे जब मेरी आन्ख खुली तो नेहा नहा कर बाथरूमसे निकल रही थी और उसने जिस्म पर तौलिया लपेटा हुआ था. जब वो मेरे पास आयी तो मै तौलिया खीच कर उसको नन्गा कर दिया,

"क्या कर रहे हो भैया? दिल नही भरा अभी तक? मेरी चूत का कचुमर निकाल दिया है तुम्हारे लन्ड ने! अब कुछ खा ले?" नेहा हसते हुए बोली. उसके होठ लाल और सूजे हुए लग रहे थे, उसकी चुचियोपे मेरे नाखूनोके निशान थे, चलते वक्*त भी वो थोडी लन्गडाकर चल रही थी. मैने देखा हमारे बिस्तर की चादर पर कुछ खून के धब्बे भी थे. मुझे कल रात की चुदाई याद आई और नेहा को कितना दर्द हुआ होगा ये सोच कर शर्मिन्दा हुआ.

मैने नेहा को अपनी गोद मे बिठाकर कहा
"सॉरी नेहा, मेरी रानी....मैने कल रात तुम्हे बहुत परेशान किया बहुत दर्द होता होगा तुम्हे..." लेकिन मेरी बात बीच मे काटकर नेहा बोली

"ऐसे न कहो भैया, यह दर्द बहुत मीठा है.....आपके प्यारकी निशानी है ये दाग, मै तो इन्हे गहने मानती हू. अब चिन्ता छोडो, भूख लगी होगी, नहा धो लो और कुछ खा लो, मै कही भागी नही जा रही हू, जी भर के कर लेना जो करना है"

मै बाथरूम मे जाने लगा और उसको चूमते हुए बोला," कभी अपनी पत्नि, और वो भी इतनी प्यारीसी पत्नि से भी जी भरता है क्या? नेहा मेरी रानी बहना, आज से तुम मेरे सामने नन्गी रहो, जब जी करे मै तुम्हे चोदून्गा, बोल चलेगा ना तुझे"

नेहा मेरे होठोको चूमते हुए बोली" मै तो कबकी तुम्हारी हो चुकी मेरे राजा भैया, जब मर्जी हो, मै तुम्हारे लिए तैयार हू"

मै नहा कर नन्गा ही बाहर निकला और देखा तो नेहा फोन पर मा से बात कर रही थी. मै झुक कर उसकी चुची चूसने लगा तो नेहा को बात करना मुश्किल होने लगा, मै एक हाथ से उसकी दूसरी चुची मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत मे उन्गली कर रहा था. नेहा ने झूठमूठ मुझे आखोसे डाटा, लेकिन मैने शरारत बन्द नही की. फिर वो अपनी आवाज़ से उत्तेजना छुपाने के लिये बोली," मा, लो आप भैया से बात कर लो" और मेरे हाथ मे फोन थमा दिया. मा बोल रही थी,

" कैसे हो बेटा? अपनी बहन के लिये कोइ लडका मिला क्या? अब हमे नेहा की शादी जल्द से जल्द कर देनी चाहिये" मै कैसे बोलता? मेरा मुह तो अपनी बहन की चुची से भरा हुआ था.

लेकिन मै चुची से मुह उठा कर फोन लिया और नेहा का हाथ अपने लन्ड पर रखते हुए बोल

"मा घबराने की कोई बात नही है. एक लडका मैने देखा है जिसे नेहा भी शायद पसन्द करेगी. वो भी उसको चाहता है. लेकिन आप एक बार उसे देख लेना. ऐसा करो ना मा, आपही यहा आ कर देख लो. उम्मीद है आपको ये रिश्ता पसन्द आयेगा."

मा खुश हो कर बोली," ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा, मै जानती थी कि तुम अपनी बहन का ख्याल रखोगे. ठीक है मै भी वहा आने का बन्दोबस्त करने मे जुट जाती हू " और मा ने फोन रख दिया.

मै मन ही मन खुश हो रहा था. लेकिन नेहा ने चिन्ता जताते हुए कहा

"भैया, ये क्या कह रहे हो? कौन सा लडका देखा है तुमने मेरे लिये? मा से झूठ क्यू बोल रहे थे?"

Nitin
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Re: पेलो मुझे मेरे राजा भैया new hindi rajsharmastories

Unread post by Nitin » 09 Feb 2018 09:13

मैने नेहा की चुची मसलते हुए उसकी एक चुम्मी ले और कहा" मेरी प्यारी बहन के लिये ये राज कैस रहेगा? मा कह रही थी की भाई को ही बहन की खुशी का ख्याल रखना पडेगा. अब बस मा को मना ले तो बात ठीक हो जयेगी!"

फिर एक दिन मा गाव से हमारे यहा आ गई. हम दोनो उसे लेने स्टेशन गये थे. मा विधवा के लिबास मे ही थी लेकिन सफ़ेद साडी मे भी खिल रही थी. पिताजी के गुजरने के बाद मानो उसका एक बोझ हलका हुआ था, उसका हुस्न और चमक उठा था. मैने मा की पैर छू लिए तब मा ने प्यार से गले लगया, उसके सीने के उभार मेरे सीने से टकरा गये. मैने जान बूझकर मा को आलिन्गन मे लेकर उसके मासल जिस्म पर हाथ फ़ेरा और उसे जल्दी नही छोडा. मेरा लन्ड तो उस वक्त ही खडा हो गया और मा के पेट पर चुभने लग. शायद अब मेरे लन्ड को घर की चूत खाने की आदत हो चुकी थी. जब मै मा के गले लग रहा था तो नेहा मुझे अजीब नज़रो से घूर रही थी. मुझे लगा जैसे उसकी नज़र मे इर्षा की झलक थी. और होती भी क्यू नही. आखिर वो मुझे अपना पति समझ रही थी. लेकिन मेरी बहन/पत्नि नही जानती थी की उसका अपना पति अपनी मा से सम्बन्ध बनाने की कोशिश कर रहा था तो उसे अपना पति मा के साथ बान्ट कर खाना होगा. मेरी अपनी बहन के साथ शादी का रास्ता मै अपनी मा की चूत से हो कर निकालने वाला था. मेरे शैतानी दिमाग मे एक प्लान बन रहा था.

हम सब घर आये, बडे खुश थे, इधर उधर की बात करते रहे. नेहा किसी उलझन मे लग रही थी. जब मा नहाने गयी तो वो बोली,"भैया, अब मा को क्या जवाब दोगे? लडका कहा है? अगर उसने पूछ लिया तो?" मैने अपनी बहन को बाहो मे भर के एक किस लिया और उसकी चुची मसलने लगा. नेहा भी गरम हो कर मेरा साथ देने लगी. मैन्से उसे मौका देखकर मेरे दिल की बात कह डाली

"नेहा, मेरी रानी, मै मा को भी बिस्तर मे लेना चाहता हू, जब मै मा को चोद लून्गा तो वो ना करने की हालत मे नही रहेगी. वो भी तो एक प्यासी औरत है, और फ़िर हम तीनो यहा पे मज़े से रहेगे".

नेहा का शुरु मे अपने कानोपे विश्वास ही नही हो रहा था कि मै अपनी मा को पटाकर चोदने की फिराक मे हू. जब मैने उसे दुबारा समझाया तो वो नकली गुस्सा करते हुए बोली

"क्या कह रहे हो भैया, यानी मेरी मा मेरी सौतन होगी, और हम तीनो......." इसके पहले की वो और कुछ बोले मैने उसके होठ अपने होठोसे बन्द किए और वो केमिस्ट से लाई दवा उसके हाथ मे थमाकर बोला

" तुम बस ये दवा मा को पिला देना. मा अब नहा के आएगी तो उसे चाय-नाश्ता परोसना और उसके चाय मे ये मिला देना. ये दवा कोई भी औरत की चूत मे आग लगा देती है, तो मा मुझे धुत्कारेगी नही. उसको भी एक मर्द की जरूरत तो होगी, इस दवा से वो इच्छा भडकेगी, जिसे मै बुझा कर तुझे अपनी पत्नि बनाने की मन्ज़ुरी ले लून्गा!!

नेहा की आखे फटी की फटी रह गई. लेकिन उसके अन्दर भी मेरी जितनी ही वासना जगी हुई थी इसलिए वो ये काम करने के लिए राजी हो गई.

कुछ देर बाद मा नहा के बाहर आई. नेहा ने प्लान के मुताबिक उसे चाय-नाश्ता दिया जिसमे वो दवा मिलाई थी. फिर मा और नेहा अन्दर के कमरे मे गए और बाते करने लगे. मै दरवाजे पे खडा होकर कान लगाए उनकी बाते सुन रहा था. मा पूछ रही थी

"नेहा, क्या तुमने वो लडका देखा है जिसका जिक्र राज कर रहा था? कैसा है वो, तुझे पसन्द है क्या, क्या उसे तुम पसन्द हो?" मा ने अब दवा ली थी तो उसका असर कुछ समय मे शुरु होनेवाला ही था, तो नेहा ने भी बेझिझक बता दिया.

"मा असल मे मै राज भैया से ही बहुत प्यार करती हू, तो हम दोनो ने सोचा की क्यू हम दोनो एक दूसरे से शादी कर ले" नेहा की बात सुनकर मा को जैसे झटका लगा

"नेहा.......ये तू क्या बोल रही है, पागल तो नही हुई है. रुको मै अभी राज को बुलाती हू, राज...........राज..." मा ने मुझे बुलाते ही मै कमरे मे दाखिल हो गया. उनकी बाते तो मैने पहले ही सुन ली थी, सो मैने अन्दर जातेही नेहा को अपनी बाहो मे भर लिया औए उसको किस करने लगा, साथ ही उसकी चुचिया मसलने लगा. मा तो बेहोश होते होते बची.

"राज, ये क्या हो रह है? अपनी बहन के साथ ये करते हुए शरम नही आयी? अपनी बहन के साथ ये सब........नेहा तुम भी?.....हे भगवान!!" मा नफ़रत से बोली. मेरा हाथ नेहा के पजामी के अन्दर उसकी चूत पर था और वो मेरा लन्ड सहला रही थी. मा ने नहा कर एक गाऊन पहना था उसका बदन नहाने के पानी से भीगा हुआ था और वो गाऊन उसे चिपक कर बैठा था, जिसकी वजह से मा का सुगठित शरीर साफ झलक रहा था. मेरा लन्ड मा के भीगे जिस्म को देख कर लोहा हो चुका था. मैने आगे बढ कर मा को बाहो मे ले लिया और कहा" नेहा और मेरी शादी तो होने वाली है. आपको मै अपने दमाद के रूप मे क्यू पसन्द नही ? दिखने मे ठीक हू, कमाता हू, कोई बुरी आदत नही, आपको और नेहा को बहुत प्यार करता हू और नेहा भी मुझे बहुत प्यार करती है. सच, मा मै अपनी बहन को पत्नि बना कर बहुत खुश रखून्गा और आपको भी........" ये कहते हुए मेरे हाथ अब मा की चुची तक पहुन्च गये थे. उसका पेट का चिकना जिस्म मेरे हाथ लगा तो मै मा को भीच लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लग. मा कुछ समझ नही पाई. उसपर दवाई का असर होने लगा था और उसे मर्दाना स्पर्श ने उतेजित कर दिया था, शुरु मे तो वो ना नुकुर कर रही थी.

"उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़...ना.....बेटा..ये क्या.....ना बेत...ये नही हो सकता...हम एक परिवार है...मै तेरी मा और नेहा तेरी बहन...नही बेटा ये पाप है!!"

लेकिन मै नही रुका और मा के सुडौल जिस्म को स्पर्श करता रहा.
मैने मा को नितम्ब के नीचे से पकड कर कसके दबाया और चूमने लगा. मा के मासल चूतड मुझे बहुत मस्त लगे और मै उनको रगडने लग. मा अब भी तैय्यार नही थी"छोड मुझे राज, शरम नही आती तुझे अपनी मा के साथ ये सब करते हुए? और नेहा, तुम भी कैसे बहक गई" नेहा धीरे से बोली" मा सब कुछ पता ही नही चला कैसे हो गय! भैया मुझे वाकई बहुत प्यार करते है ये बात सच है.

नेहा ने मा के समीप जा कर उसके बदन से गाऊन हटा दिया और वो मा को किस करने लगी. मेरी इन दो प्यारी औरतोको समलिन्गी सम्बन्ध बनाते देख मेरा लन्ड बुरी तरह से सख्त हो गया. मा पर अब दवाई शायद असर करने लगी थी, उसने नेहा को बहुत ज्यादा नही रोका. कुछ ही समय मे मा के बदन क उपर वाला हिस्सा नन्गा हो गया, मा के शरीर पर काले रन्ग की ब्रा थी. मै चुप चाप खडा था, अब मैने मेरा पजामा उतार दिया और मा क्को हिरसे बाहो मे भर लिया. मेरा कडा लन्ड मा के नाभी के आसपास चुभ रहा था. मैने मा को उनके गालो पे चूमना शुरु किया और मेरे हाथ उनकी ब्रा निकालने की कोशिश कर रहे थे. मा की नजर मेरे खडे लन्ड पे गई और वो शरमा गई. नेहाने मा को पीछेसे पकड लिया था और वो उन्हे गालो पे किस कर रही थी. मैने मा के ब्रा मे कसी चुचियोके उपर के हिस्से को चूमना शुरु किया जिससे मा के मुह से एक मादक सिसकरी निकल गई. मुझे यकीन हो गया कि दवा काम कर रही है और मा भी अभी मस्ती के मूड मे आ रही है. मैने उसके कमर मे हाथ डालकर उसकी चुचियोको चूमना जारी रखा, उसके चुचियोपे हलकेसे दात गडाए और उन चुचियोके बीच वाली क्लीव्हेज को चाटने लगा. अब मा का विरोध कम होता दिखाई दे रहा था. पहले ’ना ना” की रट लगाती मा अब सिर्फ ’स्स्स्स्स.......हाय........उम्म्म्म.’ जैसी आवाजे निकाल रही थी. तभी शरारती नेहा ने पीछेसे मा के ब्रा का हूक निकाल दिया जिससे उनकी ब्रा शरीर से अलग हो गयी और मेरा काम और भी आसान हो गया. मा की चुचिया बडी बडी थी, निपल के आसपास भूरे रन्ग का हिस्सा और उसपर खडे निपल......मा गोरी थी तो उसके चुचीपर नीले कलर की नसे साफ दिख रही थी. नेहा की चुची थोडी छोटी लेकिन सख्त थी, मा की चुची थोडी ढीली थी लेकिन बहुत खूबसूरत दिख रही थी, अपनी सगी मा की नन्गी चुची मेरे सामने थी इस बात से ही मै उत्तेजित हो गया और हाथ उपर करके मा की चुची कसके पकड ली और अपनी मुठ्ठीमे उन्हे भर दबोचा. मा के मुह से ’स्स्स्स्स्स्स्स.........आआआआह्ह्ह्ह्ह.......’ जैसी आवाजे निकलने लगी जो मेरी वासना और भडकाने लगी. मुझे अब जल्दही मा को चोदना था,

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Re: पेलो मुझे मेरे राजा भैया new hindi rajsharmastories

Unread post by Nitin » 09 Feb 2018 09:14

मैने उसे बेडपर ढकेल दिया और उसपर लेटकर एक चुची को मुह मे लिया, मेरा दूसरा हाथ उसकी दूसरी चुची रगड था. अब मैने एक हाथ उसकी काली पॅन्टी के उपर रख कर मा की चूत को सहलाने लग. मा की चूत गरम थी और गीली भी हुई थी, शायद दवा और अन्दर की उत्तेजना से ऐसा हुआ हो. मुह से वो इन्कार कर रही थी
" बस करो राज, मुझे छोड दो, तुम दोनो जो चाहे करो लेकिन मुझे छोड दो, मुझे बक्ष दो, ये सब क्या कर रहे हो............क्या मेरे साथ भी गलत काम करना चाहते हो? "

मै हस कर बोल" मा तेरी चूत तो यही कह रही है की तू चुदने के लिये बे-करार हो. जब मै ये काम मेरी बहन के साथ कर सकता हू तो आपके साथ क्यू नही, सच बताओ, आप को मर्द की जरूरत महसूस नही होती, देखो आपकी चूत कितना पानी छोड रही है" और मैने मेरी एक उन्गली मा की चूत मे घुसा दी. मा को जैसे शॉक लगा, ऐसे वो उछली. मैने नेहा को इशारा किया, उसने मा के हाथ पकड रखे और मैने मा की पॅन्टी उतार कर फेक दी. अब मा मेरे सामने बिलकुल बेबस नन्गी पडी थी. मा का नग्न शरीर देखकर मेरे बदन मे सुरसुरी पैदा हुई. मैने थोडी शरारत करनेकी सोची. मै किचनसे एक शहद की बोतल ले आया और ढेर सारा शहद मा के बदन पर लगाया. मा थोडी चिढकर बोली

"राज ये क्या पागलपन है, क्या कर रहे हो" मैने जवाब नही दिया और मा के नन्गे बदन को लगा शहद चाटने लगा.
मैने मा को पैर से लेकर सिर तक चाट लिया. यहा तक की मैने शहद की कुछ बून्दे मा की चूत मे डाल दी और चूत के अन्दर जीभ डालकर चाट लिया. मा की मासल जान्घो को किस करते हुए मुझ पर नशासा चढ रहा था. मा की चूत डबल रोटी की तरह फूली हुई थी. उसकी चूत अब गरम होती जा रही थी. चूत पर छोटे छोटे बाल थए. शायद कुछ दिन पहले ही शेव की थी चूत. मैने मा के जिस्म पर शहद का अच्छा लेप कर दिया, खूब सारा शहद उसकी चूत और चुची पर लगाय. मा बिना पानी के मछली की तरह तडप रही थी. नेहा ने मुझे चापट मारी और बोली," भैया ये तुम्हारी मा है और इसे सास भी बनाना चाहते हो. सच बताओ मेरे प्यारे भैया, जब चोदोगे तो इसको मा कहोगे या सास?"

नेहा की बात सुनकर मा तो इतनी शरमा गई की पूछो मत. मै बेशरमीसे बोला

रुको डार्लिन्ग ! पहले इस मीठी चीज को खूब चखून्गा, फिर बताऊन्गा ये मेरी मा है या सास. और फ़िर खूब चोदून्गा इसको!"

अब तो हम दोनो भाई बहन मा पर टूट पडे. मै उसकी चुची चाट और चूस रहा था और नेहा उसके पेट और नाभी मे लगा शहद चाट रही थी. मा "आह" "ओह्ह" की आवाज़े निकालती रही और मै और नेहा उसको चूम चूम कर चाटते रहे.

मा का जिस्म का स्वाद और शहद की मिठास दोनो बहुत नशीले लग रहे थे. फिर मैने मा की जान्घो को चूमा चाटा, और चूत पर जुबान फ़ेरी. मा का चिल्लाना अब कम हुआ था और वो भी अब शायद उत्तेजित हो चुकी थी. नेहा उस वक्त मा की चुची चुस रही थी

"ओ....ओ...अम्म्म्म्म्म्म...........मेरी मा..........मुझे क्या हो रहा है....मेरे बच्चो अब बस करो.........मै और नही सह सकती, ..मुझे......मुझे....अब मुझे......... शान्त करो.. मेरा जिस्म जल रह है....उफ़्फ़्फ़........ये मुझे क्या हो रहा है........हे भग्वान........राज बेटा.............अब और मत तडपा...........आ जाओ मेरे अन्दर" मा की मुह से ये सुनने से मुझे यकीन हो गया कि मा अब खुद भी चुदवाने के मूड मे आ गई है. मेरी खुशी का ठिकाना नही था, अब मेरी सेक्सी बहन और मेरी उतनीही सेक्सी मा मेरे साथ यौन सबन्ध रखने के लिए राजी हो गई थी. मैने मा की चूत मे उन्गली डालकर उसे और उत्तेजित करने लगा. मैने मा से कहा

"मा ये बदलाव कैसे आ गया............मै तो बहुत खुश हू.......सॉरी मुझे तुमपर जबरदस्ती करनी पडी लेकिन अब सिर्फ प्यारसे चोदून्गा तुम्हे......" और मैने मा की चुची चूसना आरम्भ किया. मा मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए बोली

"राज तू ही अपनी बहन को सुख दे सकता है...मुझे किसी और पर एतबार नही रहा...इसलिए मै चुप रही...........लेकिन अब तुमने मेरे बदन मे आग लगा दी है...........अब जल्दी से कुछ कर मेरे राजा............मेरे लाल.........."

मै मा की सहमतिसे खुश हुआ. उसे और छेडने के लिए बोला" बोलो मा, क्या करू मै.........तुम जो कहोगी वही करून्गा" और मैने मेरी उन्गली घचाघच उसके चूत मे पेलनी शुरु कर दी. मा ने मुझे कसके बाहोमे जकड लिया और बोली

"चल नालायक..........अपनी मा के मुह से गन्दी बात कहलवाना चाहता है............स्स्स्स्स्स्स्स्स..........मुझे चोद अभी.........मुझे चोद कर ज़र अपनी मर्दानगी का सबूत दे दे मेरे लाल....तभी तो मेरी बेटी सौप दून्गी तुझे........चोद ले अपनी मा को भी...ऊऊ...आआह्ह्ह...मेर बदन जल रह है,..ऊऊओ..!!"

मा कामुकता मे ना जाने क्या क्या बक रही थी. कामुकता वाली दवाई का असर भी उस पर पूरी तरह से हो चुका था. मा ने हाथ बढाकर मेरे लन्ड को पकड कर अपनी चूत पर रगडने लगी. मैने उसे पलन्ग पर घोडी बना कर पीछे से लन्ड घुसाने की कोशिश की. मा के चूतड इतने मादक थे की एक बार तो मा की गान्ड मे लन्ड पेलने को मन ललचा गया. मन को सम्झा कर अपनी मा की चूत मे मैने लन्ड पेल दिया. नेहा नीचे झुककर मा की चुची चुस रही थी और मेरे लन्ड को अन्दर डालने मे मदद कर रही थी. फच की आवाज़ से मेरा लन्ड अपनी मा की चूत मे प्रवेश कर गया. मा के मुख से कामुक सिसकारी निकल गयी. मै मा की कमर को थाम कर लन्ड पेलना शुरु कर दिया. इतनी उमर मे भी मेरी मा की चूत बहुत टाईट थी.

"ओह्ह्ह्ह राज...चोद डाल मुझे..........मै तो लन्ड क स्वाद ही भूल गयी थी...तेरे पापा के बाद तेरा लन्ड ले रही है मेरी चूत.........उउउफ़्फ़्फ़्फ़ चोद बेटा...हम दोनो मा-बेटी तेरे लिया ही है आज से.......चोद बेटा........चोद अपनी मा को!!"

मै मज़े से मा को चोदने लग. नेहा उठ कर मेरे सामने आ गयी और मेरे होठो को चूमने लगी. मेरा लन्ड पुरा मा की चूत मे घुस चुका था. नेहा मस्ती मे बोली," भैया अब तो हम दोनो को चोद लिया है तुमने...हम दोनो तुम्हारी अमानत है आजसे..........चोद इसे......चोदो अपनी मा को........मिटा दे उसकी प्यास.....चोद लो भैया!"

मै अब तूफ़ानी गति से मा को चोदने लग. मा भी अपनी गान्ड पीछे ढकेलने लगी. वो एक कुतिआ की तरह हान्फ़ रही थी. नेहा ने एक उन्गली मा की गान्ड मे घुसा डाली. मा चिहुक उठी," ओह्ह्ह........ये मत करो....मेरी गान्ड मत छेडो....मा की चूत से मन नही भरा क्या तुम्हारा जो गान्ड भी मारने लगे हो बेटा....तेरी मा की चूत पानी छोड रही है बेटा..जोर से चोद!!"

मै इन बातोसे बहुत उत्तेजित हुआ था और मेरा लन्ड भी पानी छोडने की स्थिती मे था. मा का बदन अकडा तो मेरा लन्ड भी पानी छोडने लगा. मेरा रस भी मा की चूत मे गिरने लगा. नेहा ने मा की चूत को उन्गलियो से छेडना जारी रखा.......और फिर मा की चीख निकल गयी," ओ.......मर गयी...झड गयी मै.........राज बेटा तेरी मा चुद गयी...........ईई!"

और हम तीनो बिस्तर पर लस्त हो कर गिर पडे. मेरा लन्ड सिकुडकर मा की चूत से बाहर आ गया. मैने प्यारसे मा और नेहा को खूब चूमा और उनके चुचियोपर प्यारसे हाथ फेरने लगा. मा की आन्ख बहुत देरसे खुली.
"मा कैसा लगा भैया का लन्ड?" नेहा ने पूछा. मा ने मुझे किस करते हुए कहा," अब तो मुझे भी इससे प्यार हो गया है मेरे बेटे......इतना सुख मुझे सालोके बाद नसीब हुआ. कल ही मै तुम दोनो की शादी करवा दून्गी...लेकिन मेरी एक शर्त है"

"कैसी शर्त" नेहा और मैने एक साथ पूछा.

"यही की ये पति अकेले तुम्हारा नही, हम दोनो का होगा"

मै और नेहा यह बात सुनकर बहुत खुश हुए और फिर मा को चूमने लगे.

अगले दिन मा ने मन्दिर मे जा कर हमारी शादी करवा दी. मैने मा के चरन स्पर्श किये तो वो मुस्कुरा कर बोली,
"राज बेटा, तुम पहले पैर स्पर्श करोगे और फ़िर इनको उठा कर अपने कन्धो पर रख लोगे, मै जानती हू..........."
मैने हसकर जवाब दिया" कल रात जो घोडी बन के मजे ले रही थी वो भूल गई क्या.."
मा बोली" उस सवारी ने तो मुझे थका दिया है...आज बस अपनी पत्नि नेहा से ही सुहागरात मना लेना!"
नेहा बोली" ऐसे कैसे हो सकता है, कल ही तो आपने बोला कि ये पति दोनो का होगा तो सुहागरात मे आपको भी साथ लेन्गे."
मै मुस्कुरा पडा और अपनी मा और बिवि बनी बहन को लेकर घर आ गया
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