Re: पेलो मुझे मेरे राजा भैया new hindi rajsharmastories
Posted: 09 Feb 2018 09:13
मेरी बहन चूतड उठा उठा कर मेरी उन्गली से चुदवाने लगी और साथ मेरी मुठ मारने लगी थी. अब मुझ से नही रहा जा रहा था. अगर कुछ देर और ऐसा ही चलता रहता तो मेर लन्ड झड ही जाता. मै नेहा की चुची को ज़ोर से चुस कर अपने से अलग कर दिया.
"नेहा, मेरी बहना, अब मै तूझे चोदे बिना नही रह सकता. तेरा भाई आज पहली बार किसी लडकी को चोद रहा है और वो भी अपनी सगि बहन को! तुझ जैसी बहन को चोदना ये मेरी खुशकिस्मत है. मै चाहता हू कि मेरी बहन मुझ से ऐसी ही प्यार से चुदवाती रहे. मुझे बस एक बर अपनी प्यारी बहन की चुम्मी लेने दो......प्लीज...........मेरी प्यारी बहना........"
मैने नेहा की कुर्ती तो पहले ही उतारी थी, उसका स्कर्ट भी खीन्च कर निकाल दिया और अपनी लुन्गी निकल कर फेन्क दी. मैने नेहा को चित लिटा दिया और उसके पैरो को अच्छी तरह फैला दिया. नेहा व्याकुल हो उठी थी.
"भैया ले लो एक चुम्मी जलदे और मेरी नीचेवाली प्यास बुझाओ..........." और उसने अपने होठ चुमी देनेकी मुद्रा मे कर लिए. लेकिन मेरा प्लान अलग था, मै नीचे झुक गया और नेहा की चूत की गुलाबी पन्खुडियोपे अपने होठ रख दिये. नेहा कसमसायी और उसने मेरा सिर अपनी चूत पे कस के जकड लिया. मै अपनी बहन की चूत को चाटने लगा. मेरा लन्ड मेरी बहन के मुख के सामने था. मेरी बहन ने झट से मेरे लन्ड को खीच कर अपने मुह मे ले लिया और अपने हाथो से मेरे अन्डकोश सहलाने लगी. हम भाई बहन ६९ की पोजिशन मे थे मै चूत चाटने मे और नेहा मेर लन्ड चुसने मे लग गयी. मेरी ज़ुबान पर नेहा के चूत रस की बौछार हो रही थी. वो बहुत गरम ही चुकी थी और मेरे सुपाडे को लॉलीपॉप की तरह चुस रही थी. मैने भी अपनी बहन की गोरी जान्घो को फैला रखा था और उसकी मख्खन जैसी चूत को चाट रहा था. कभी कभी नेहा मेरे अन्डकोश चाट लेती तो मेरा जिस्म काम्प जाता. फिर उसने अचानक मेरी गान्ड मे एक उन्गली घुसेड दी तो मेरा पूरा बदन ऐठ गया.
मै समझ गया कि अब और देर करना ठीक नही होगा. हम एक दूसरे से अलग हुए और मै अपनी बहन को चित लिटा दिया और उसके मखमली चूतडो के नीचे एक तकिया रख दिया जिस कारन मेरी प्यारी बहना की चूत उपर उभर गयी. नेहा की आन्खे मेरे लन्ड को भूखी नज़रो से देख रही थी. मै भी हवस भरी नज़र से अपनी बहन के नन्गे हुस्न को निहार रहा था और फ़िर मै उसके नन्गे जिस्म पर झुका. मैने अपने लन्ड का सुपाडा उसकी कुवारी चूत पर रगडना शुरु कर दिया. चूत किसी आग के शोले की तरह तप रही थी. मै नीचे से उपर तक लन्ड को रगड रहा था की वो चीख पडी,
"भैया, क्यू तडपा रहे हो? अब मेरी चूत को ठन्डी करो न? इस की आग शान्त कर दो मेरे भैया! अपनी बहन को इतना उत्तेजित कर रहे हो, अब चोद भी डालो, प्लीऽऽऽऽऽऽऽझ !"
जान्घो को खोल कर मै लन्ड क सुपाडा अपनी बहन की चूत के मुख पर रखा और एक जोरदार धक्का मार दिया. नेहा का भी यह पहला मौका था तो उसके मुह से एक लम्बी चीख निकल गयी.
"आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............उउउउउइइइइइइइ........माऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ" मै थोडा डर गया और उसे पूछा.
"मेरी रानी, बहुत दर्द हो रहा हू तो रुक जाऊ" लेकिन नेहाने प्यारसे मुझे और कसके पकड लिया और गर्दन से इशारा करके चालू रखने के लिए कहा. उसका यह प्यार देखकर मै और उत्तेजित हुआ और लन्ड थोडा बाहर निकालकर एक जोरका धक्का लगाया. इस धक्केसे नेहा की चूत की गुलाबी फ़ान्को को चीरता हुआ लन्ड मेरी बहन की चूत मे घुसता चला गया. मुझे मेह्सूस हुआ की मेरा लन्ड किसी आग की भटटी मे घुस गया हो. मखमल से भी अधिक मुलायम चूत की दीवारो ने मेरे लन्ड को जकड लिया और मुझे जन्नत का मज़ा मिलने लगा. मेरी प्यारी बहन कराह उठी,
"भैया प्यार से चोदो अपनी बहना को! बहुत मस्त है आपका यह हथियार.......मेरे राजा भैया.....पेलते जाओ........और अन्दर ........हा बस्स यूही.........आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............. भैया बहुत मस्त है आपका ये लन्ड!"
नेहा के मुह से ऐसी बाते सुनकर मेरी वासना और बढ रही थी. चूत से बहने वाले रस ने लन्ड का रास्ता आसान बना दिया था और थोडी देर मे ही मेरा पूरा ८ इन्च का लन्ड मेरी बहन की बुर मे घुस चुका था.
मै अपना मुख झुका कर नेहा की चुची पर रख दिया और चाटने लगा. मेरा लन्ड मस्ती मे चूत के अन्दर बहर हो रहा था और मै अपनी कमर हिला हिला कर अपनी सगी बहन को बडे प्यारसे चोद रह था,
"नेहा, मेरी रानी बहना, मै ऐसा अनन्द पहले कभी नही मेह्सूस क्या! सच बहना, तू मेरी पत्नि है आज से. तुझे चोद कर मेरी किस्मत खुल गयी है. देख तेरे राज भैया का लन्ड तेरी चूत की गहरायी मे समा चुका है. आज से मै तेर भैया नही सैय्या हू ! तुझे अपनी पत्नि बना कर सारी उमर चोदून्गा, ये तेरे राज भैया का वादा है तुमसे!"
नेहा चुदायी के अनन्द मे इतनी खो चुकी थी की कुछ बोल नही पा रही थी. उसने बस मेरा मुह अपनी तरफ खीन्च लिया और मुझे प्यारसे किस करने लगी. अब तो मै स्वर्ग मे था, मेरा लन्ड नेहा की चूत की फचाफच चुदाई कर रहा था, मेरे हाथ उसकी कडी चुचियोको मसल कर कुचल रहे थे और मेरे होठ उसके मुह मे घुसे थे. मैने नेहा का मुह भी इतनी जोरसे चूमा कि उसके होठ बिलकुल लाल लाल हो गए. लेकिन वो भी मस्ती के मूड मे थी. मेरी बहन अब अपने चूतड उठा कर चुदवा रही थी. मैने हाथो को उसके मम्मोसे हटा कर उसके चूतडो को कसके थाम लिया और जम कर अपने जिस्म से चिपका लिया.
"ओह्ह्ह्ह्ह्ह भैया...........आआ....चोदो जोर से! पेलो मुझे मेरे राजा भैया........आआ....बहुत आनन्द दे रह है आपका लन्ड मेरी चूत को, मेरे सैय्या.........आआ....चोद डालो आज अपनी बहन को...बना लो मुझे अपनी पत्नि, अपनी रानी, मै तुम्हारी हू आजसे ............जो चाहे कर लो लेकिन ऐसे चोदते रहो......आआआआआ........!!!" वो हान्फ़ रही थी. हमारे जिस्म पसिना पसिना हो चुके थे और हम पागलो की तरह चोदे जा रहे थे. चुदाई अपनी उन्चाई तक पहुन्च चुकी थी. मेरा झडने का वक्त नज़दीक आ रहा था. मेरे अन्डकोश से रस उपर उठ रहा था. उधर नेहा जिस रफ़्तार से गान्ड उछाल रही थी, मुझे लगा की वो भी झडने वाली है.
"भैया.........आआ, जोर से..मै गयी...मेरी चूत गयी...मै.......मै ........मै झडी मेरे भैया....... चोद लो अपनी बहन को जोर से...पेलो भैया...अपना रस गिरा दो मेरी चूत मे ....मुझे अपने बच्चे की मा बना दो मेरे भैया...अपनी पत्नि को मा बन दो.......ऊऊ...मै गयी..ओह्ह्ह.........राज भैया........आआआआआ.........मेरे पति.........मेरे सैय्या.........मेरे.............मेरे...........मै.......!!!" और यू चिल्लाते वो निढाल हो गई.
मेरा लन्ड भी पिचकारी छोडने को था. मै अपनी बहन को अपनी बाहो मे जकड कर जोर जोर से चोदना जारी रखा. मुझे अपने नीचे अपनी बहन के बजाए अपनी बिवी दिख रही थी. वासना की चमक से भरी मेरी
नेहा मुझे मेरी पत्नि दिख रही थी जो मुझ से प्यार से चुदवा रही थी. तभी मेरे लन्ड क बान्ध टूट पडा और रस क फ़ुवारा नेहा की चूत मे गिरने लगा. चूत भी झड रही थी. लन्ड रस अब चूत रस मे मिक्स हो रहा था. तूफ़ानी धक्के अब धीरे होने लगे और पूरी तरह से शान्त हो कर हम पति-पत्नि की तरह अलिन्गन्बद्ध हो कर लेट कर नन्गे सो गए.
अपनी बहन नेहा को मै उस रात तीन बार चोदा. दोनो थक चुके थे. हम भाई बहन चुदायी मे इतने व्यस्त थे की रात कब बीत गयी पता ही न चला. अगला दिन सन्डे थ इस लिये कोई प्रॉब्लेम नही था. हम दोपहर तक सोते रहे. २ बजे जब मेरी आन्ख खुली तो नेहा नहा कर बाथरूमसे निकल रही थी और उसने जिस्म पर तौलिया लपेटा हुआ था. जब वो मेरे पास आयी तो मै तौलिया खीच कर उसको नन्गा कर दिया,
"क्या कर रहे हो भैया? दिल नही भरा अभी तक? मेरी चूत का कचुमर निकाल दिया है तुम्हारे लन्ड ने! अब कुछ खा ले?" नेहा हसते हुए बोली. उसके होठ लाल और सूजे हुए लग रहे थे, उसकी चुचियोपे मेरे नाखूनोके निशान थे, चलते वक्*त भी वो थोडी लन्गडाकर चल रही थी. मैने देखा हमारे बिस्तर की चादर पर कुछ खून के धब्बे भी थे. मुझे कल रात की चुदाई याद आई और नेहा को कितना दर्द हुआ होगा ये सोच कर शर्मिन्दा हुआ.
मैने नेहा को अपनी गोद मे बिठाकर कहा
"सॉरी नेहा, मेरी रानी....मैने कल रात तुम्हे बहुत परेशान किया बहुत दर्द होता होगा तुम्हे..." लेकिन मेरी बात बीच मे काटकर नेहा बोली
"ऐसे न कहो भैया, यह दर्द बहुत मीठा है.....आपके प्यारकी निशानी है ये दाग, मै तो इन्हे गहने मानती हू. अब चिन्ता छोडो, भूख लगी होगी, नहा धो लो और कुछ खा लो, मै कही भागी नही जा रही हू, जी भर के कर लेना जो करना है"
मै बाथरूम मे जाने लगा और उसको चूमते हुए बोला," कभी अपनी पत्नि, और वो भी इतनी प्यारीसी पत्नि से भी जी भरता है क्या? नेहा मेरी रानी बहना, आज से तुम मेरे सामने नन्गी रहो, जब जी करे मै तुम्हे चोदून्गा, बोल चलेगा ना तुझे"
नेहा मेरे होठोको चूमते हुए बोली" मै तो कबकी तुम्हारी हो चुकी मेरे राजा भैया, जब मर्जी हो, मै तुम्हारे लिए तैयार हू"
मै नहा कर नन्गा ही बाहर निकला और देखा तो नेहा फोन पर मा से बात कर रही थी. मै झुक कर उसकी चुची चूसने लगा तो नेहा को बात करना मुश्किल होने लगा, मै एक हाथ से उसकी दूसरी चुची मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत मे उन्गली कर रहा था. नेहा ने झूठमूठ मुझे आखोसे डाटा, लेकिन मैने शरारत बन्द नही की. फिर वो अपनी आवाज़ से उत्तेजना छुपाने के लिये बोली," मा, लो आप भैया से बात कर लो" और मेरे हाथ मे फोन थमा दिया. मा बोल रही थी,
" कैसे हो बेटा? अपनी बहन के लिये कोइ लडका मिला क्या? अब हमे नेहा की शादी जल्द से जल्द कर देनी चाहिये" मै कैसे बोलता? मेरा मुह तो अपनी बहन की चुची से भरा हुआ था.
लेकिन मै चुची से मुह उठा कर फोन लिया और नेहा का हाथ अपने लन्ड पर रखते हुए बोल
"मा घबराने की कोई बात नही है. एक लडका मैने देखा है जिसे नेहा भी शायद पसन्द करेगी. वो भी उसको चाहता है. लेकिन आप एक बार उसे देख लेना. ऐसा करो ना मा, आपही यहा आ कर देख लो. उम्मीद है आपको ये रिश्ता पसन्द आयेगा."
मा खुश हो कर बोली," ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा, मै जानती थी कि तुम अपनी बहन का ख्याल रखोगे. ठीक है मै भी वहा आने का बन्दोबस्त करने मे जुट जाती हू " और मा ने फोन रख दिया.
मै मन ही मन खुश हो रहा था. लेकिन नेहा ने चिन्ता जताते हुए कहा
"भैया, ये क्या कह रहे हो? कौन सा लडका देखा है तुमने मेरे लिये? मा से झूठ क्यू बोल रहे थे?"
"नेहा, मेरी बहना, अब मै तूझे चोदे बिना नही रह सकता. तेरा भाई आज पहली बार किसी लडकी को चोद रहा है और वो भी अपनी सगि बहन को! तुझ जैसी बहन को चोदना ये मेरी खुशकिस्मत है. मै चाहता हू कि मेरी बहन मुझ से ऐसी ही प्यार से चुदवाती रहे. मुझे बस एक बर अपनी प्यारी बहन की चुम्मी लेने दो......प्लीज...........मेरी प्यारी बहना........"
मैने नेहा की कुर्ती तो पहले ही उतारी थी, उसका स्कर्ट भी खीन्च कर निकाल दिया और अपनी लुन्गी निकल कर फेन्क दी. मैने नेहा को चित लिटा दिया और उसके पैरो को अच्छी तरह फैला दिया. नेहा व्याकुल हो उठी थी.
"भैया ले लो एक चुम्मी जलदे और मेरी नीचेवाली प्यास बुझाओ..........." और उसने अपने होठ चुमी देनेकी मुद्रा मे कर लिए. लेकिन मेरा प्लान अलग था, मै नीचे झुक गया और नेहा की चूत की गुलाबी पन्खुडियोपे अपने होठ रख दिये. नेहा कसमसायी और उसने मेरा सिर अपनी चूत पे कस के जकड लिया. मै अपनी बहन की चूत को चाटने लगा. मेरा लन्ड मेरी बहन के मुख के सामने था. मेरी बहन ने झट से मेरे लन्ड को खीच कर अपने मुह मे ले लिया और अपने हाथो से मेरे अन्डकोश सहलाने लगी. हम भाई बहन ६९ की पोजिशन मे थे मै चूत चाटने मे और नेहा मेर लन्ड चुसने मे लग गयी. मेरी ज़ुबान पर नेहा के चूत रस की बौछार हो रही थी. वो बहुत गरम ही चुकी थी और मेरे सुपाडे को लॉलीपॉप की तरह चुस रही थी. मैने भी अपनी बहन की गोरी जान्घो को फैला रखा था और उसकी मख्खन जैसी चूत को चाट रहा था. कभी कभी नेहा मेरे अन्डकोश चाट लेती तो मेरा जिस्म काम्प जाता. फिर उसने अचानक मेरी गान्ड मे एक उन्गली घुसेड दी तो मेरा पूरा बदन ऐठ गया.
मै समझ गया कि अब और देर करना ठीक नही होगा. हम एक दूसरे से अलग हुए और मै अपनी बहन को चित लिटा दिया और उसके मखमली चूतडो के नीचे एक तकिया रख दिया जिस कारन मेरी प्यारी बहना की चूत उपर उभर गयी. नेहा की आन्खे मेरे लन्ड को भूखी नज़रो से देख रही थी. मै भी हवस भरी नज़र से अपनी बहन के नन्गे हुस्न को निहार रहा था और फ़िर मै उसके नन्गे जिस्म पर झुका. मैने अपने लन्ड का सुपाडा उसकी कुवारी चूत पर रगडना शुरु कर दिया. चूत किसी आग के शोले की तरह तप रही थी. मै नीचे से उपर तक लन्ड को रगड रहा था की वो चीख पडी,
"भैया, क्यू तडपा रहे हो? अब मेरी चूत को ठन्डी करो न? इस की आग शान्त कर दो मेरे भैया! अपनी बहन को इतना उत्तेजित कर रहे हो, अब चोद भी डालो, प्लीऽऽऽऽऽऽऽझ !"
जान्घो को खोल कर मै लन्ड क सुपाडा अपनी बहन की चूत के मुख पर रखा और एक जोरदार धक्का मार दिया. नेहा का भी यह पहला मौका था तो उसके मुह से एक लम्बी चीख निकल गयी.
"आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............उउउउउइइइइइइइ........माऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ" मै थोडा डर गया और उसे पूछा.
"मेरी रानी, बहुत दर्द हो रहा हू तो रुक जाऊ" लेकिन नेहाने प्यारसे मुझे और कसके पकड लिया और गर्दन से इशारा करके चालू रखने के लिए कहा. उसका यह प्यार देखकर मै और उत्तेजित हुआ और लन्ड थोडा बाहर निकालकर एक जोरका धक्का लगाया. इस धक्केसे नेहा की चूत की गुलाबी फ़ान्को को चीरता हुआ लन्ड मेरी बहन की चूत मे घुसता चला गया. मुझे मेह्सूस हुआ की मेरा लन्ड किसी आग की भटटी मे घुस गया हो. मखमल से भी अधिक मुलायम चूत की दीवारो ने मेरे लन्ड को जकड लिया और मुझे जन्नत का मज़ा मिलने लगा. मेरी प्यारी बहन कराह उठी,
"भैया प्यार से चोदो अपनी बहना को! बहुत मस्त है आपका यह हथियार.......मेरे राजा भैया.....पेलते जाओ........और अन्दर ........हा बस्स यूही.........आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............. भैया बहुत मस्त है आपका ये लन्ड!"
नेहा के मुह से ऐसी बाते सुनकर मेरी वासना और बढ रही थी. चूत से बहने वाले रस ने लन्ड का रास्ता आसान बना दिया था और थोडी देर मे ही मेरा पूरा ८ इन्च का लन्ड मेरी बहन की बुर मे घुस चुका था.
मै अपना मुख झुका कर नेहा की चुची पर रख दिया और चाटने लगा. मेरा लन्ड मस्ती मे चूत के अन्दर बहर हो रहा था और मै अपनी कमर हिला हिला कर अपनी सगी बहन को बडे प्यारसे चोद रह था,
"नेहा, मेरी रानी बहना, मै ऐसा अनन्द पहले कभी नही मेह्सूस क्या! सच बहना, तू मेरी पत्नि है आज से. तुझे चोद कर मेरी किस्मत खुल गयी है. देख तेरे राज भैया का लन्ड तेरी चूत की गहरायी मे समा चुका है. आज से मै तेर भैया नही सैय्या हू ! तुझे अपनी पत्नि बना कर सारी उमर चोदून्गा, ये तेरे राज भैया का वादा है तुमसे!"
नेहा चुदायी के अनन्द मे इतनी खो चुकी थी की कुछ बोल नही पा रही थी. उसने बस मेरा मुह अपनी तरफ खीन्च लिया और मुझे प्यारसे किस करने लगी. अब तो मै स्वर्ग मे था, मेरा लन्ड नेहा की चूत की फचाफच चुदाई कर रहा था, मेरे हाथ उसकी कडी चुचियोको मसल कर कुचल रहे थे और मेरे होठ उसके मुह मे घुसे थे. मैने नेहा का मुह भी इतनी जोरसे चूमा कि उसके होठ बिलकुल लाल लाल हो गए. लेकिन वो भी मस्ती के मूड मे थी. मेरी बहन अब अपने चूतड उठा कर चुदवा रही थी. मैने हाथो को उसके मम्मोसे हटा कर उसके चूतडो को कसके थाम लिया और जम कर अपने जिस्म से चिपका लिया.
"ओह्ह्ह्ह्ह्ह भैया...........आआ....चोदो जोर से! पेलो मुझे मेरे राजा भैया........आआ....बहुत आनन्द दे रह है आपका लन्ड मेरी चूत को, मेरे सैय्या.........आआ....चोद डालो आज अपनी बहन को...बना लो मुझे अपनी पत्नि, अपनी रानी, मै तुम्हारी हू आजसे ............जो चाहे कर लो लेकिन ऐसे चोदते रहो......आआआआआ........!!!" वो हान्फ़ रही थी. हमारे जिस्म पसिना पसिना हो चुके थे और हम पागलो की तरह चोदे जा रहे थे. चुदाई अपनी उन्चाई तक पहुन्च चुकी थी. मेरा झडने का वक्त नज़दीक आ रहा था. मेरे अन्डकोश से रस उपर उठ रहा था. उधर नेहा जिस रफ़्तार से गान्ड उछाल रही थी, मुझे लगा की वो भी झडने वाली है.
"भैया.........आआ, जोर से..मै गयी...मेरी चूत गयी...मै.......मै ........मै झडी मेरे भैया....... चोद लो अपनी बहन को जोर से...पेलो भैया...अपना रस गिरा दो मेरी चूत मे ....मुझे अपने बच्चे की मा बना दो मेरे भैया...अपनी पत्नि को मा बन दो.......ऊऊ...मै गयी..ओह्ह्ह.........राज भैया........आआआआआ.........मेरे पति.........मेरे सैय्या.........मेरे.............मेरे...........मै.......!!!" और यू चिल्लाते वो निढाल हो गई.
मेरा लन्ड भी पिचकारी छोडने को था. मै अपनी बहन को अपनी बाहो मे जकड कर जोर जोर से चोदना जारी रखा. मुझे अपने नीचे अपनी बहन के बजाए अपनी बिवी दिख रही थी. वासना की चमक से भरी मेरी
नेहा मुझे मेरी पत्नि दिख रही थी जो मुझ से प्यार से चुदवा रही थी. तभी मेरे लन्ड क बान्ध टूट पडा और रस क फ़ुवारा नेहा की चूत मे गिरने लगा. चूत भी झड रही थी. लन्ड रस अब चूत रस मे मिक्स हो रहा था. तूफ़ानी धक्के अब धीरे होने लगे और पूरी तरह से शान्त हो कर हम पति-पत्नि की तरह अलिन्गन्बद्ध हो कर लेट कर नन्गे सो गए.
अपनी बहन नेहा को मै उस रात तीन बार चोदा. दोनो थक चुके थे. हम भाई बहन चुदायी मे इतने व्यस्त थे की रात कब बीत गयी पता ही न चला. अगला दिन सन्डे थ इस लिये कोई प्रॉब्लेम नही था. हम दोपहर तक सोते रहे. २ बजे जब मेरी आन्ख खुली तो नेहा नहा कर बाथरूमसे निकल रही थी और उसने जिस्म पर तौलिया लपेटा हुआ था. जब वो मेरे पास आयी तो मै तौलिया खीच कर उसको नन्गा कर दिया,
"क्या कर रहे हो भैया? दिल नही भरा अभी तक? मेरी चूत का कचुमर निकाल दिया है तुम्हारे लन्ड ने! अब कुछ खा ले?" नेहा हसते हुए बोली. उसके होठ लाल और सूजे हुए लग रहे थे, उसकी चुचियोपे मेरे नाखूनोके निशान थे, चलते वक्*त भी वो थोडी लन्गडाकर चल रही थी. मैने देखा हमारे बिस्तर की चादर पर कुछ खून के धब्बे भी थे. मुझे कल रात की चुदाई याद आई और नेहा को कितना दर्द हुआ होगा ये सोच कर शर्मिन्दा हुआ.
मैने नेहा को अपनी गोद मे बिठाकर कहा
"सॉरी नेहा, मेरी रानी....मैने कल रात तुम्हे बहुत परेशान किया बहुत दर्द होता होगा तुम्हे..." लेकिन मेरी बात बीच मे काटकर नेहा बोली
"ऐसे न कहो भैया, यह दर्द बहुत मीठा है.....आपके प्यारकी निशानी है ये दाग, मै तो इन्हे गहने मानती हू. अब चिन्ता छोडो, भूख लगी होगी, नहा धो लो और कुछ खा लो, मै कही भागी नही जा रही हू, जी भर के कर लेना जो करना है"
मै बाथरूम मे जाने लगा और उसको चूमते हुए बोला," कभी अपनी पत्नि, और वो भी इतनी प्यारीसी पत्नि से भी जी भरता है क्या? नेहा मेरी रानी बहना, आज से तुम मेरे सामने नन्गी रहो, जब जी करे मै तुम्हे चोदून्गा, बोल चलेगा ना तुझे"
नेहा मेरे होठोको चूमते हुए बोली" मै तो कबकी तुम्हारी हो चुकी मेरे राजा भैया, जब मर्जी हो, मै तुम्हारे लिए तैयार हू"
मै नहा कर नन्गा ही बाहर निकला और देखा तो नेहा फोन पर मा से बात कर रही थी. मै झुक कर उसकी चुची चूसने लगा तो नेहा को बात करना मुश्किल होने लगा, मै एक हाथ से उसकी दूसरी चुची मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत मे उन्गली कर रहा था. नेहा ने झूठमूठ मुझे आखोसे डाटा, लेकिन मैने शरारत बन्द नही की. फिर वो अपनी आवाज़ से उत्तेजना छुपाने के लिये बोली," मा, लो आप भैया से बात कर लो" और मेरे हाथ मे फोन थमा दिया. मा बोल रही थी,
" कैसे हो बेटा? अपनी बहन के लिये कोइ लडका मिला क्या? अब हमे नेहा की शादी जल्द से जल्द कर देनी चाहिये" मै कैसे बोलता? मेरा मुह तो अपनी बहन की चुची से भरा हुआ था.
लेकिन मै चुची से मुह उठा कर फोन लिया और नेहा का हाथ अपने लन्ड पर रखते हुए बोल
"मा घबराने की कोई बात नही है. एक लडका मैने देखा है जिसे नेहा भी शायद पसन्द करेगी. वो भी उसको चाहता है. लेकिन आप एक बार उसे देख लेना. ऐसा करो ना मा, आपही यहा आ कर देख लो. उम्मीद है आपको ये रिश्ता पसन्द आयेगा."
मा खुश हो कर बोली," ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा, मै जानती थी कि तुम अपनी बहन का ख्याल रखोगे. ठीक है मै भी वहा आने का बन्दोबस्त करने मे जुट जाती हू " और मा ने फोन रख दिया.
मै मन ही मन खुश हो रहा था. लेकिन नेहा ने चिन्ता जताते हुए कहा
"भैया, ये क्या कह रहे हो? कौन सा लडका देखा है तुमने मेरे लिये? मा से झूठ क्यू बोल रहे थे?"