दोस्त का परिवार compleet family sex story

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Nitin
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दोस्त का परिवार compleet family sex story

Unread post by Nitin » 26 Apr 2018 09:27

दोस्त का परिवार पार्ट--1


ये बात आज से 9-10 बरश पहले की हैं जब मेरी उमर 20-21 साल की थी. ऊन दिनो मैं बॉम्बे में रहता था. मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार सुखबिनेर रहने आया. वो किराए के मकान में अकेला रहता था. मेरी हम उमर का था इसलिए हम दोनो में गहरी दोस्ती होगयी. वो मुझ पर अधिक विस्वास रखता था क्योंकि में सरकारी कर्मचारी था और उस से ज़्यादा पड़ा लिखा था. वो एक प्राइवेट फॅक्टरी मे मशीन ऑपरेटर था. उसके परिवार में केवल 4 सदस्य थे. उसकी विधवा मा 41 साल की, विधवा भुवा (यानी की उसकी मा की सॅगी ननद) 35 साल की और उसकी कुवारि बहन 18-19 साल की थी. वे सब उसके गाओं मैं रहकर अपनी खेती बड़ी करते थे.


दीवाली वाकेशन में उसकी मा और बहन मुंबई में 1 महीने के लिए आए हुए थे. डिसेंबर में उसकी मा और बहन वापस गाओं जाने की ज़िद करने लगे. लेकिन काम अत्यधिक होने के कर्ण सुखबिंदर को 2 महीने तक कोई भी च्छुटी नही मिल सकती थी. इसलिए वो टेन्षन मे रहने लगा. वो चाहता था कि किसी का गाओं तक साथ हो तो वो मा और बहन को उसके साथ भेज सकता है. लेकिन किसी का भी साथ नही मिला.


सुखबिंदर को टेन्षन में देख कर मैने पुचछा, क्या बात सुखबिनेर, आज कल तुम ज़्यादा टेन्षन में रहते हो ?


सुखबिंदर: क्या करूँ यार, काम ज़्यादा होने के कारण मेरा ऑफीस मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं दे रही हैं और इधर मा गाओं जाने की ज़िद कर रही हैं. मैं चाहता हूँ कि अगर कोई गाओं तक किसी का साथ रहे तो मा और बहन अच्छी तरह से गाओं पहुँच जाएगी और मुझे भी चिंता नहीं रहेगी लेकिन गाओं तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा हैं ना ही मुझे छुट्टी मिल रही हैं इसलिए मैं काफ़ी टेन्षन में हूँ.


यार अगर तुम्हे इतराज़ ना हो तो मैं तुम्हारी प्राब्लम हाल कर सकता हूँ और मेरा भी फ़ायदा होज़ायगा.


सुखबिंदर : यार मैं तुमहरा यह आसहान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा आगर तुम मेरी प्राब्लम हाल कर दो तो. लेकिन यार कैसे तुम मेरी प्राब्लम हाल करोगे और कैसे तुमहरा फ़ायदा होगा ?


यार सरकारी दफ़्तर के अनुसार, मुझे साल में 1 महीने की छुट्टी मिलती हैं. अगर मैं छुट्टी लेता हूँ तो मुझे गाओं या कहीं भी जाने का आने जाने का किराया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती. अगर मैं छुट्टी ना लू तो 1 महीने की छुट्टी लप्स हो जाती है और कुच्छ नहीं मिलता हैं.


सुखबिंदर: यार तुम छुट्टी लेकर मा और बहन को गाओं पहुँचा दो इस बहाने तुम मेरा गाओं भी घूम आना.


अगले दिन ही मैने छुट्टी की लिए आवेदन पत्र देदिया और मेरी च्छुटी मंजूर होगयी.


सुखबिंदर चालू टिकेट लेकर हम दोनो को रेलवे स्टेशन पहुँचाने आया. हुँने टीटी को रिक्वेस्ट कर के किसी तरह 2 सीट अरेंज करली. गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुई. रात करीब 10 बजे हमने खाना खाया और गपशुप करने लगे. बहन ने कहा भाया मुझे नींद आरही हैं और वो उपर के बर्त पर सो गयी. कुच्छ देर बाद मा भी नीचे के बर्त पर चदडार औध कर सो गयी और कहा कि तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जाना. मुझे भी थोड़ी देर बाद नीद आने लगी और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया. सोने से पहले मैने पॅंट खोल कर शॉर्ट पहन लिया. मा अपने बाई तरफ करवट कर के सो गयी. कुच्छ देर बाद मुझे भी नींद आने लगी और मैं भी उनका चदडार ओढ़ कर सोगया. अचानक रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली मैने देखा कि मा की सारी कमर के उपर थी और उनकी चूत घने झांतो के बीच च्छूपी थी. उनका हाथ मेरे शॉर्ट पर लंड के करीब था. यह सब देख कर मेरा लंड शॉर्ट के अंदर फड़फड़ने लगा. मैं कुच्छ भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ. मैं उठकर पैसाब करने चला गया. जब वापस आया मैं चदडार उठा कर देखा तो अभी तक मा उसी अवस्था मैं सोई थी. मैं भी उनकी तरफ करवट कर के सोगया लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. बार बार मेरी आँखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी. थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया वहाँ 5 मिनिट्स तक ट्रेन रुकी थी और मैं विचार कर रहा था कि क्या करूँ.
जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाइट चली गयी मैने सोचा कि भगवान भी मेरा साथ दे रहा हैं. मैने अपना लंड शॉर्ट से निकाल कर लंड के सूपदे की टोपी नीचे सरका कर सूपदे पर ढेर सारा थूक लगा कर सूपदे को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा. गाड़ी के धक्के के कारण आधा सूपड़ा उनकी चूत मैं चला गया लेकिन मा की तरफ से कोई भी हरकत ना हुई. या तो वो गहरी नींद मैं थी या वो जनभूज़ कर कोई हरकत नही कर रही थी मैं समझ नहीं पाया. गाड़ी के धक्के से केवल सूपदे का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अंदर बाहर हो रहा था. एक बार तो मेरा दिल हुवा कि एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लंड चूत में डाल दूं लेकिन संकोच और डर के कारण मेरी हिमत नहीं हुई. गाड़ी के धक्के से केवल सूपदे का थोडा सा हिस्सा चूत में अंदर बाहर हो रहा था. इस तरह चोदते चोदते मेरे लंड ने ढेर सारा फुवरा उनकी चूत और झांतो के उपर फेक दिया. अब मैं अपना लंड शॉर्ट मैं डाल कर सो गया. करीब सवेरे 7 बजे मा ने उठाया और कहा कि चाइ पीलो और तैयार हो जाओ क्यूंकी 1 घंटे में हमारा स्टेशन आने वाला है. मैं फ्रेश हो कर तैयार होगया. स्टेशन आने तक मा बहन और मैं इधर उधर की बातें करने लगे. करीब 09:30 बजे हम सुखबिंदर के घर पहुँचे. वहाँ पर सुखबिंदर की भुवा ने हमारा स्वागत किया और कहा नो धो कर नाश्ता कर्लो. हम नहा धो कर आँगन मैं बैठ कर नास्टा करने लगे. करीब 11:00 बजे भुवा ने मा से कहा “भाभी जी आप लोग थक गये होंगे, आप आराम कीजिए मैं खेत मैं जा रही हूँ और मैं शाम को लोटूगी. मा ने कहा ठीक हैं और मुझसे बोली अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर्लो नहीं तो भुवा के साथ जा कर खेत देख लेना. मैने कहा कि मैं आराम नहीं करूँगा क्यूकी मेरी नीद पूरी होगयी हैं, मैं भुवा के साथ खेत चला जाता हूँ वहाँ पर मेरा टाइम पास भी हो जाएगा.


मैं और भुवा खेत की ओर निकल पड़े. रास्ते में हम लोगो ने इधर उधर की काफ़ी बातें की. उनका खेत बहुत बड़ा था खेत की एक कोने मे एक छ्होटा सा मकान भी था. दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी नही आता. खेत पहुँच कर भुवा काम मैं लग गयी और कहा कि तुम्हे अगर गर्मी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लूँगी भी हैं चाहे तो लूँगी पहन लो और यहाँ आकर मेरी थोड़ी मदद करदो.


मैने मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लूंघी बनियान पहनकर भुवा जी के काम में मदद करने लगा. काम करते करते कभी कभी मेरा हाथ भुवा के चूतर पर टच होता था. कुच्छ देर बाद बुवा से मैने पुछा, भुवा यहाँ कहीं पेसाब करने की जगह हैं ? भुवा बोली कि मकान के पिछे झाड़ियो में जाकर कर्लो. मैं जब पिसाब कर के वापस आया तो देखा भुवा अब भी काम कर रही थी. थोड़ी देर बाद भुवा बोली “आओ अब खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर के फिर काम में लग जाते हैं” अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे. मैं और भुवा दोनो ने पहले हाथ पैर धोए फिर खाना खाने बैठ गये. भुवा मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थी. खाना खाते समय मैने देखा कि मेरे लूँगी ज़रा साइड में हट गयी थी जिस कारण मेरे अंडरवेर से आधा निकला हुवा लंड दिखाई दे रहा था.

Nitin
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Re: दोस्त का परिवार compleet family sex story

Unread post by Nitin » 26 Apr 2018 09:28

और भुवा की नज़र बार बार मेरे लंड पर जा रही थी. लेकिन उन्होने कुच्छ नही कहा और बीच बीच मे उसकी नज़र मेरे लंड पर ही जा रही थी. खाना खाने के बाद भुवा बर्तन धोने लगी जब वो झुककर बर्तन धो रही थी तो मुझे उनके बड़े बड़े बूब्स सॉफ नज़र आ रहे थे. उन्होने केवल ब्लाउस पहना हुवा था. बर्तन धोने के बाद उन्होने कमरे मे आकर चटाई बिच्छा दी और बोली “चलो थोड़ी देर आराम करते हैं” मैं चटाई पर आकर लेट गया. भुवा बोली “बेटे आज तो बड़ी गर्मी हैं” कहा कर उन्होने अपनी सारी खोल दी और केवल पेटिकोट और ब्लाउस पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ करवट कर के लेट गयी.


आचनक मेरी नज़र उनके पेटिकोट पर गयी. उनकी दाहिनी ओर की कमर पर जहाँ पेटिकट का नाडा बँधा था वाहा पर काफ़ी गेप था और गेप से मैसे उनकी कुछ कुछ झांते दिखाई दे रही थी. अब मेरा लंड लूंघी के अंदर हरकत करने लगा. थोड़ी देर बाद भुवा ने करवट बदली तो मैने तुरंत आँखे बंद करके सोने का नाटक करने लगा. थोड़ी देर बाद भुवा उठी और मकान के पिछे चल पड़ी. मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया.


खिड़की बंद थी लेकिन उसमे एक सुराख था मैने सुराख पर आँख लगाकर देखा तो मकान का पिच्छला भाग सॉफ दिखाई दे रहा था. भुवा वहाँ बैठ कर पेसाब करने लगी पेशाब करने के बाद भुवा थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर उठकर मकान के अंदर आने लगी. फिर मैं तुरंत ही अपने स्थान पर आकर लेट गया. भुवा जब वापस मकान में आई तो मैं भी उठकर पिच्छली तरफ पेसाब करने चला गया. मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ लंड पकड़ कर पेसाब करने लगा मैने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुई थी और भुवा की नज़र मेरे लंड पर थी. पेसाब करके जब वापस आया तो देखा भुवा चित लेटी हुई थी. मेरे आने के बाद भुवा बोली बेटे आज मेरी कमर बहुत दुख रही हैं. क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो ? मैने कहा क्यों नही. उसने कहा ठीक हैं सामने तेल की शीशी पड़ी हैं उसे लाकर मेरी कमर की मालिश कर देना. और फिर वो पेट के बल लेट गयी.


मैं तेल लगा कर उनकी कमर की मालिश करने लगा. वो बोली बेटे थोड़ा नीचे मालिश करो. मैने कहा भुवा थोड़ा पेटिकोट का नाडा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटिकोट पर तेल भी नहीं लगेगा. भुवा ने पेटिकोट का नाडा ढीला कर दिया अब मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा. उन्होने और थोडा नीचे मालिश करने को कहा. मैं थोडा नीचे की तरफ मालिश करने लगा. थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली बस बेटे और नाडा बंद कर लेट गयी. मैं भी बगल में आकर लेट गया. अब मेरा दिल और दिमाग़ कैसे चोदा जाए यह विचार करने लगा. आधे घंटे के बाद भुवा उठी और सारी पहन कर अपने काम में लग गयी.


शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुँचे. घर पहुँचकर मैने कहा मा में बाजार जा रहा हूँ. 1 घंटे बाद आ जाउन्गा यह कहकर मैं बाज़ार की ओर निकल पड़ा रास्ते में मैने सराब की दुकान से बियर की बॉटल्स ले आया. घर आकर हाथ पैर धो कर केवल लूँगी पहन कर दूसरे कमरे में जाकर बियर पीने लगा.

एक घंटे में मैने 4 बॉटल बियर पी ली थी और बियर का नशा हावी होने लगा. इतने मे भुवा ने खाने के लिए आवाज़ लगाई. हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद मैं सिगरटे की दुकान जाकर सिगरटे पीने लगा जब वापस आया तो आँगन मे सब बैठ कर बातें कर रहे थे. मैं भी उनकी बातों मे शामिल होगया और हँसी मज़ाक करने लगा.


बातों बातों में भुवा मा से बोली “भाभी दीनू बेटा अच्छी मालिश करता हैं आज खेत में काम करते करते अचानक मेरी कमर मे दर्द उठा तो इसने अच्छी मालिश की और कुच्छ ही देर में मुझे आराम आगया” मा हंस पड़ी और मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखने लगी.

मैं कुच्छ नही कहा और सिर झुका लिया. करीब आधे घंटे के बाद बहन और भुवा सोने चली गयी. मैं और मा इधर उधर की बातें करते रहे. करीब रात 11 बजे मा बोली बेटा आज तो मेरे पैर दुख रहे हैं. क्या तुम मालिश करदोगे.


दीनू :हां क्यूँ नही. लेकिन आप केवल सुखी मालिश कारवाओगी या तेल लगाकर


मा: बेटा अगर तेल लगा कर करोगे तो आसानी होगी और आराम भी मिलेगा


दीनू : ठीक है, लेकिन तेल अगरसरसों का हो तो और भी अच्छा रहेगा और जल्दी आराम मिलेगा.


फिर मा उठ कर अपने कमरे मैं गयी और मुझे भी अपने कमरे में बुला लिया. मैने कहा आप चलिए मैं पेसाब करके आता हूँ. मैं जब पेसाब करके उनके कमरे में गया तो देखा मा अपनी सारी खोल रही थी. मुझे देख कर बोली बेटा तेल के दाग सारी पर ना लगे इसलिए सारी उतार रही हूँ. वो अब केवल ब्लाउस और पेटिकोट में थी और मैं बनियान और लूंघी में था. मा तेल की डिबी मुझे देकर बिस्तर पर सोगयी.

मैं भी उनके पैर के पास बैठ कर उनके पैर से थोड़ा पेटिकोट उपर किया और तेल लगा कर मालिश करने लगा. मा बोली बेटा बड़ा आराम आरहा हैं. ज़रा पींडाली मैं ज़ोर लगा कर मालिश करो. मैं फिर उनका दायां पैर अपने कंधे में रख कर पिंडली में मालिश करने लगा. उनका एक पैर मेरे कंधे पर था और दूसरा नीचे था जिस कारण मुझे उनकी झांते और चूत के दर्शन हो रहे थे क्योनि मा ने अंडर पॅंटी नहीं पहनी थी वैसे भी देहाती लोग ब्रा और पॅंटी नहीं पहनते हैं.


Nitin
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Re: दोस्त का परिवार compleet family sex story

Unread post by Nitin » 26 Apr 2018 09:29

दोस्त का परिवार पार्ट--2

गतान्क से आगे.............

उनकी चूत के दर्शन पाते ही मेरा लंड हरकत करने लगा. मा ने अपना पेटिकोट घुटनो के थोडा उप्पर कर के कहा ज़रा और उपर मालिश करो. मैं अब पिंडली के उपर मालिश करने लगा और उनका पेटिकट घुटनो के थोड़ा उप्पर होने के कारण अब मुझे उनकी चूत सॉफ देखाई दे रही थी इस कारण मेरा लंड फूल कर लोहे की तराहा कड़ा और सख़्त हो गया. और नेकर फाड़ कर बाहर निकलने को बेताब हो रहा था. मैं थोड़ा थोड़ा उपर मालिश करने लगा और मालिश करते करते मेरी उंगलियाँ कभी कभी उनकी जंगो के पास चली जाती थी. जब भी मेरी उंगलियाँ उनके जंगो को स्पर्श करती तो उनके मुँह से हाया हाअ की आवाज़ निकलती थी.


मैने उनकी ओर देखा तो मा की आँखें बंद थी. और बार बार वो अपने होंठों पर अपनी जीब फेर रही थी. मेने सोचा कि मेरी उंगलिओं के स्पर्श से मा को अजीब मज़ा आरहा हैं क्यों ना इस सुनेहरे मौके का फ़ायदा उठाया जाए. मैने मा से कहा मा मेरे हाथ तेल की चिकनाहट के कारण काफ़ी फिसल रहे हैं. यदि आप को अच्छा नहीं लगता है तो मालिश बंद कर दूं ? मा ने कहा कोई बात नहीं मुझे काफ़ी आराम और सुख मिल रहा हैं.


फिर मैं अपने हथेली पर और तेल लगा कर उनके घुटनो के उपर मालिश करने लगा मालिश करते करते अचानक मेरी उंगलियाँ उनकी चूत के इलाक़े के पास टच होने लगी वो आँखें बंद करके केवल आहें भर रही थी मेरी उंगलियाँ उनके पेटिकोट के अंडर चूत तो च्छुने की कोशिश कर रही थी.

अचानक मेरी उंगली नेउनकी चूत तो टच किया मैने थोड़ा घबरा कर अपनी उंगली उनके चूत से हटा ली और उनकी प्रतिक्रिया जान ने के लिए उनके चहरे की ओर देखा लेकिन मा की आँखे बंद थी वो कुच्छ नही बोल रही थी. इधर मेरा लंड सख़्त होकर अंडरवेर के बाहर निकलने को बेताब हो रहा था.



मैने मा से कहा मा मुझे पेसाब लगी हैं, मैं पेसाब करके आता हूँ फिर मालिश करूँगा. मा बोली ठीक है बेटा, वाकई तू बहुत अच्छा मालिश करता है. मन करता है मैं रात भर तुझसे मालिश कर्वाउ. मैं बोला कोई बात नहीं आप जब तक कहोगी मैं मालिश करूँगा यह कह कर मैं पेसाब करने चला गया.


जब पेसाब करके वापस आरहा था तो भुवा के कमरे से मुझे कुछ कुछ आवाज़ सुनाई दी, उत्सुकता से मैने खिड़की की ओर देखा तो वो थोड़ी खुली थी मैने खिड़की से देखा कि भुवा एक दम नंगी सोई थी और अपनी चूत मैं ककड़ी डाल कर ककड़ी को अंदर बाहर कर रही थी और मुँह से हा हाा हाअ की आवाज़ निकल रही थी. यह सीन देख कर मेरा लंड फिर खड़ा होगया. मैने सोचा भुवा की मालिश कल करूँगा आज सुखबिंदर की मा की मालिश करता हूँ क्योंकि तवा गरम है तो रोटी सेक लेनी चाहिए. मैं फिर मा के केमरे में चला गया.


मुझे आया देख कर मा ने कहा बेटा लाइट भूज़ा कर डिम लाइट चालू करदो ताकि मालिश करवाते करवाते अगर मुझे नींद आगयी तो तुम भी मेरे बगल में सो जाना. मैने ट्यूब लाइट बंद करके डिम लाइट चालू करदी जब वापस आया तो मा पेट के बल लेटी थी और उनका पेटिकोट केवल उनकी भारी भारी गांद के उपर था बाकी पैरों का हिस्सा नंगा था बिल्कुल नंगा था.

अब मैं हथेली पर ढेर सारा तेल लगा कर उनके पैरों की मालिश करने लगा पहले पिंडली पर मालिश करता रहा फिर मैं धीरे धीरे घुटनो के उपर झंगो के पास चुट्टर के नीचे मालिश करता रहा. पेटिकोट चूतर पर होने से मुझे उनकी झांते और गांद का च्छेद नज़र आरहा था. अब मैने हिम्मत कर के धीरे धीरे उनका पेटिकोट कमर तक उपर कर्दिया मा कुच्छ नहीं बोली और उनकी आँखे बंद थी.

मैने सोचा शायद उनको नींद आगयी होगी. अब उनकी गांद और चूत के बाल मुझे सॉफ सॉफ नज़र आरहे थे. मैं हिम्मत करके तेल से भरी हुई उंगली उनकी गांद के छेद के उपर लगा ने लगा वो कुच्छ नहीं बोली मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मेरा अंगूठा उनकी चूत की फांको को टच कर रहा था और अंगूठे की बगल की उंगली उनकी गांद के छेद को सहला रही थी. यह सब हरकत करते करते मेरा लंड टाइट होगया और चूत में घुसने के लिया बेताब हो गया.


इतने में मा ने कहा कि बेटा मेरी कमर पर भी मालिश करदो तो मैं उठकर पहले चुपके से मेरा अंडरवेर निकाल कर उनकी कमर पर मालिश करने लगा. थोड़ी देर बाद मैं मा से कहा कि मा तेल से आप का ब्लाउस खराब होज़ायगा. क्या आप अपने ब्लाउस को थोड़ा उपर उठा सकती हो ? यह सुनकर मा ने अपने ब्लाउस के बटन खोलते हुए ब्लाउस को उपर उठा दिया.


मैं फिर मालिश करने लगा मालिश करते करते कभी कभी मेरी हथेली साइड से उनके बूब्स तो छु जाती थी. उनकी कोई भी प्रतिक्रिया ना देख कर मैने उनसे कहा मा अब आप सीधी सोजाए मैं अब आप की स्पेशल तरीके से मालिश करना चाहता हूँ. मा करवट बदल कर सीधी होगयी मैने देखा अब भी उनकी आँखे बंद थी और उनके ब्लाउस के सारे बटन खुले थे और उनकी चूंची सॉफ झलक रही थी. उनकी चूंची काफ़ी बरी बरी थी और साँसों से साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसेली चूंची साफ साफ दिख रही थी.


मा की अपनी सुरीली और नशीली धीमी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी, “बेटा अब तुम थक गये होंगे इन्हा आओ ना.” और मेरे पास ही लेट जाओ ना. पहले तो मैं हिचकिचाया क्यों कि मैने केवल लूंघी पहनी थी और लूंघी के अंदर मेरा लंड चूत के लिए तड़प रहा था वो मेरी परेशानी ताड़ गयी और बोले, “कोई बात नही, तुम अपनी बनियान उतार दो और रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ. शरमाओ मत. आओ ना.”

मुझे अपने कान पर यकीन नही हो रहा था. मैं बनियान उतार कर उनके पास लेट गया. जिस बदन को कभी मैं निहारता था आज मैं उसी के पास लेटा हुआ था. मा का अधनंगा शरीर मेरे बिल्कुल पास था. मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चूंची बिल्कुल नंगी दिखाई दे रही थी, क्या हसीन नज़ारा था. तब मा बोली, “इतने महीने से मालिश करवाई हूँ इसलिया काफ़ी आराम मिला है.


फिर उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपनी उभरी हुए चूंची पर रख दिया और मैं कुछ नही बोल पाया लेकिन अपना हाथ उनके चूंची पर रखा रहने दिया. मुझे यहाँ कुछ खुजा रहा है, ज़रा सहलाओ ना.” मैने उनकी चूंची को सहलाना शुरू किया. और कभी कभी ज़ोर ज़ोर से उनकी चूंची को रगरना शुरू कर दिया. मेरी हथेली की रगर पा कर मा के निपल करे हो गये.


अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ घुमा कर बोली, “बेटा मेरा ब्लाउस खोल दो और ठीक से सहलाओ.” मैने काँपते हुए हाथों से मा का ब्लाउस खोल दिया और उन्होने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया. मेरे दोनो हाथो को अपनी नंगी छाती पर ल गा कर वो बोली, “थोड़ा कस कर दबाओ ना.” मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश मे आकर उनकी रसीली चूंची से जम कर खेलने लगा. क्या बरी बरी चूंचिया थी.


करी करी चूंची और लूंबे लूंबे निपल. पहली बार मैं किसी औरत की चूंची को छु रहा था. मा को भी मुझसे अपनी चूंची की मालिश करवाने मे मज़ा अराहा था. मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था और लूँगी से बाहर निकल आया.

मेरा 9” का लंड पूरे जोश मे आ गया था. मा की चूंची मसल्ते मसल्ते हुए मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लंड उनकी जाँघो मे रगर मारने लगा था. अब उन्होने कहा बेटा तुम्हारा तो लोहे समान होगया है और इसके स्पर्श से लगता है की काफ़ी लंबा और मोटा होगा हैक्या मैं हाथ लगा कर देखूं? उन्होने पूछा और मेरे जबाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसको टटोलने लगी. अपनी मुट्ठी मेरे लंड पर कस के बंद कर ली और बोले, “बापरे, बहुत करक है.”

वो मेरी तरफ घूमी और अपना हाथ मेरी लूंघी मे घुसा कर मेरे फार-फ़राते हुए लंडको पकड़ ल्लिया. लंड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लंड की जर तक ले गयी जिससे सुपरा बाहर आगेया. सुपरे की साइज़ और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गयी.

“बेटा कहाँ छुपा रखा था इतने दिन ऐसा तो मेने अपनी जिंदगी मैं नहीं देखा है उन्होने पूछा. मैने कहा, “यही तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान नही दिया. यदि आप ट्रेन मैं गहरी नींद नहीं होती तो शायद आप देख लेती क्योंकि ट्रेन में रात को मेरा सूपड़ा आप की चूत तो रगड़ रहा था. मा बोली “मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बरा लॉरा होगा ? ये मैं सोच भी नही सकती थी.”


मुझे उनकी बिंदास बोली पर अस्चर्य हुआ जब उन्होने “लॉरा” कहा और साथ ही मे बरा मज़ा आया. वो मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर खीच रही थी और कस कर दबा रही थी. फिर मा ने अपना पेटिकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघो के बीच ले कर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ कारबट ले कर लेट गयी ताक़ि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके.

उनकी चूंची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था. अचानक उन्होने अपनी एक चूंची मेरे मुँह मे थेल्ते हुए कहा, “चूसो इनको मुँह मे लेकर.” मैने उनकी लेफ्ट चूंची कोअपने मुँह मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. थोरे देर के लिए मैने उनकी चूंची को मुँह से निकाला और बोला, “मैं तुम्हारे ब्लाउस मे कसी चूंची को देखता था और हैरान होता था.


इनको छूने की बहुत इक्च्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हे मुँह मे लेकर चुसू और इनका रस पीऊँ. पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कन्ही मुझसे नाराज़ ना हो जाओ. तुम नही जानती कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कल रात से कितना परेशान किया है?” “अक्च्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो” मा ने कहा. फिर क्या था, मा की हरी झंडी पाकर मैं टूट परा मा की चूंची पर.


मेरी जीभ उनके करे निपल को महसूस कर रही थी. मैने अपनी जीभ मा के उठे हुए करे निपल पर घुमाया. मैने दोनो अनारो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हे चूस रहा था. मैं ऐसे कस कर चूंचीओ को दबा रहा था जैसे की उनका पूरा का पूरा रस निचोर लूँगा. मा भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुहह से “ओह! ओह! आह! सी सी, की आवाज़ निकल रही थी. मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मारोर रही थी.


उन्होने अपनी लेफ्ट टांग को मेरी राइट टांग के उपर चढ़ा दी और मेरे लंड को अपनी जाघो के बीच रख लिया. मुझे उनकी जाँघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. एह उनकी झांतों से भरी हुई चूत थी. मेरे लंड का सुपरा उनकी झांतो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था. मैं मा से बोला, “मा मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे मे नही हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ मैं क्या करू?” मा बोली, “तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक?” मैने बोला, “नही.” कितने दुख की बात है. कोई भी औरत इसे देख कर कैसे मना कर सकती है.


मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूंची मसलता रहा. उन्होने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनी दोस्त की मा को चोदोगे?



“क्क्क क्यों नही” मैं बड़ी मुस्किल से कह पाया. मेरा गला सुख रहा था. वो बड़े मादक अंदाज़ मे मुस्कुरा दी और मेरे लंड को आज़ाद करते हुए बोली, “ठीक है, लगता है अपने अनाड़ी बेटे को मुझे ही सब कुछ सीखाना परेगा. चलो अपनी लूंघी निकाल कर पूरे नंगे हो जाओ.” मैने अपनी लूँगी खोल कर साइड में फेक दिया. मैं अपने तने हुए लंड को लेकर नंग धारंग मा के सामने खरा था.

मा अपने रसीले होटो को अपने दन्तो मे दबा कर देखती रही और अपने पेटिकोट का नारा खींच कर ढीला कर दिया. “तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ” कहते हुए मैने उनके पेटिकोट को खींचा. मा नेअपने चूतर उपर कर दिए जिससे की पेटिकोट उनकी टाँगो से उतर कर अलग हो गया. अब वो पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित पड़ी हुई थी. उन्होने अपनी टाँगो को फैला दिया और मुझे रेशमी झांतो के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी रसीली गुलाबी चूत का नज़ारा देखने को मिला.


नाइट लॅंप की हल्की रोशनी मे चमकते हुए नंगे जिस्म को को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड मारे खुशी के झूमने लगा. मा ने अब मुझसे अपने उपर चढ़ने को कहा. मैं तुरंत उनके उपर लेट गया और उनकी चूंची को दबाते हुए उनके रसीले होन्ट चूसने लगा. मा ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन मे कस कर जाकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह मे अपनी जीभ डाल दी . हाई क्या स्वदिस्त और रसीली जीभ थी. मैं भी उनकी जीभ को ज़ोर शोर से चूसने लगा. हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ हल्के मे था और फिर पूरे जोश के साथ.कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होन्ट उनके नाज़ुक गाल्लों पर रगर रगर कर चूमने लगा.


फिर मा ने मेरी पीठ पर से हाथ उपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ कर्दिया. मैं अपने होंठ उनके होंटो से उनकी तोड़ी पर लाया और कंधो को चूमता हुआ चूंची पर पहुँचा. मैं एक बार फिर उनकी चूंची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा.


उन्होने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टाँगे एक-दूसरे से दूर हो गयी. अपने राइट हाथ से वो मेरा लंड पकड़ कर उसे मुट्ठी मे बाँध कर सहलाने लगी और अपने लेफ्ट हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टाँगो के बीच ले गयी. जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होने अपनी चूत के दाने को उपर से रगड़ दिया.


समझदार को इशारा काफ़ी था. मैं उनके चूंची को चूस्ता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा. “बेटा अपनी उंगली अंदर डालो ना?” कहते हुए मा ने मेरी उंगली अपनी चूत के मुँह पर दबा दी. मैने अपनी उंगली उनकी चूत की दरार मे घुसा दी और वो पूरी तरह अंदर चली गयी. जैसे जैसे मैं उनकी चूत के अंदर उंगली अंदर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था .

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