चिकनी भाभी--6
गतान्क से आगे................
"उतावला क्यों ना होऊ? मेरी प्यारी भाभी को भैया सारी सारी रात खूब जम कर चोदे और मेरी किस्मत में उनकी चूत के दर्शन तक ना हों. इतनी खूबसूरत भाभी की चूत तो और भी लाजबाब होगी. एक बार दिखा दोगि तो घिस तो नहीं जाओगी. अच्छा, इतना तो बता दो कि आपकी चूत भी उतनी ही चिकनी है जितनी फिल्म में उस लड़की की थी?"
"नहीं रे, जैसे मर्दों के लंड के चारों तरफ बाल होते हैं वैसे ही औरतों की चूत पर भी बाल होते हैं. उस लड़की ने तो अपने बाल शेव कर रखे थे."
"भाभी तब तो जितने घने और सुंदर बाल आपके सिर पर हैं उतने ही घने बाल आपकी चूत पर भी होंगे? आप अपनी चूत के बाल शेव नहीं करतीं?"
"तेरे भैया को मेरी झाँटें बहुत पसंद हैं इसलिए शेव नहीं करती."
"हाई भाभी आपकी चूत की एक झलक पाने के लिए कब से पागल हो रहा हूँ, और कितना तडपाओगि ?"
"सबर कर, सबर कर ! सबर का फल हमेशा मीठा होता है." यह कह कर बड़े ही कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराती हुई नीचे चली गयी.
मेरे लंड के दुबारा दर्शन करने के बाद से तो भाभी का काफ़ी बुरा हाल था. एक दिन मैने उनके कमरे में मोटा सा खीरा देखा. मैने उसे सूंघ कर देखा तो खीरे में से भी वैसी ही महक आ रही थी जैसी भाभी की पॅंटी में से आती थी. लगता था भाभी खीरे से ही लंड की भूख मिटाने की कोशिश कर रही थी.
मुझे मालूम था कि गंदी पिक्चर भी वो कयि बार देख चुकी थी. भैया को जा कर तीन महीने बीत गये. घर में मोटा ताज़ा लंड मौज़ूद होने के बावज़ूद भी भाभी लंड की प्यास में तडप रही थी.
मैने एक और प्लान बनाया. बाज़ार से एक हिन्दी का बहुत ही गंदा नॉवेल लाया जिसमे देवर भाभी की चुदाई के क़िस्से थे. उस नॉवेल में भाभी अपने देवर को चोदने के लिए पटाती है. वो जान कर कपड़े धोने इस प्रकार बैठती है कि उसके पेटिकोट के नीचे से देवर को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं. ये नॉवेल मैने ऐसी जगह रखा जहाँ भाभी के हाथ लग जाए. एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैने पाया कि वो नॉवेल अपनी जगह पर नहीं था. मैं जान गया कि भाभी वो नॉवेल पढ़ चुकी है.
अगले सनडे को मैने देखा कि भाभी कपड़े बाथरूम में धोने के बजाय बाहर के नल पर धो रही थी. उसने सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहन रखा था. मुझे देख कर बोली,
"आ आशु बैठ. तेरे कोई कपड़े धोने हैं तो देदे." मैने कहा मेरे कोई कपड़े नहीं धोने हैं और मैं भाभी के सामने बैठ गया. भाभी इधेर उधेर की गप्पें मारती रही . अचानक भाभी के पेटिकोट का पिछला हिस्सा नीचे गिर गया. सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल की धरकन बढ़ गयी. भाभी गोरी गोरी मांसल जाँघो के बीच में से सफेद रंग की पॅंटी झाँक रही थी. भाभी जिस अंदाज़ में बैठी हुई थी उसके कारण पॅंटी भाभी की चूत पर बुरी तरह कसी हुई थी.
चिकनी भाभी compleet
Re: चिकनी भाभी
फूली हुई चूत का उभार मानो कछि को फाड़ कर आज़ाद होने की कोशिश कर रहा हो. पॅंटी चूत की फांकों में धँसी हुई थी. पॅंटी के दोनो तरफ से काली काली झांटें बाहर निकली हुई थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. भाभी मानो बेख़बर हो कर कपड़े धोती जा रही थी और मुझसे गप्पें मार रही थी. अभी मैं भाभी की टाँगों के बीच के नज़ारे का मज़ा ले ही रहा था कि वो अचानक उठ कर अंदर जाने लगी.
मैने उदास हो कर पूछा " भाभी कहाँ जा रही हो ?" "
एक मिनिट में आई." थोड़ी देर में वो बाहर आई. उनके हाथ में वोही सफेद पॅंटी थी जो उन्होने अभी अभी पहनी हुई थी. भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी पॅंटी धोने लगी. लेकिन बैठते समय उन्होने पेटिकोट ठीक से टाँगों के बीच दबा लिया. यह सोच के कि पेटिकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा.
मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटिकोट फिर से नीचे गिर जाए. शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली. भाभी का पेटिकोट का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया. अब तो मेरे होश ही उड़ गये. उनकी गोरी गोरी मांसल टाँगें सॉफ नज़र आने लगी. तभी भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुँह को आ गया. भाभी की चूत बिल्कुल नंगी थी. गोरी गोरी सुडोल जांघों के बीच में उनकी चूत सॉफ नज़र आ रही थी.
पूरी चूत घने काले बालों से धकि हुई थी, लेकिन चूत की दोनो फाँकें और बीच का कटाव घनी झांतों के पीछे से नज़र आ रहा था. चूत इतनी फूली हुई थी और उसका मुँह इस प्रकार से खुला हुआ था, मानो अभी अभी किसी मोटे लंड से चुदी हो. भाभी कपड़े धोने में ऐसे लगी हुई थी मानो उसे कुच्छ पता ना हो. मेरे चेहरे की ओर देख कर बोली….. " क्या बात है आशु, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तूने साँप देख लिया हो?" मैं बोला
"भाभी साँप तो नहीं लेकिन साँप जिस बिल मे रहता है उसे ज़रूर देख लिया."
"क्या मतलब ? कौन से बिल की बात कर रहा है?" मेरी आँखें भाभी की चूत पर ही जमी हुई थी.
"भाभी आपकी टाँगों के बीच में जो साँप का बिल है ना मैं उसी की बात कर रहा हूँ."
"हाअ..एयेए !!! बदमाश !! इतनी देर से तू यह देख रहा था ? तुझे शरम नहीं आई अपनी भाभी की टाँगों के बीच में झाँकते हुए?' यह कह कर भाभी ने झट से टाँगें नीचे कर लीं.
मैने उदास हो कर पूछा " भाभी कहाँ जा रही हो ?" "
एक मिनिट में आई." थोड़ी देर में वो बाहर आई. उनके हाथ में वोही सफेद पॅंटी थी जो उन्होने अभी अभी पहनी हुई थी. भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी पॅंटी धोने लगी. लेकिन बैठते समय उन्होने पेटिकोट ठीक से टाँगों के बीच दबा लिया. यह सोच के कि पेटिकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा.
मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटिकोट फिर से नीचे गिर जाए. शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली. भाभी का पेटिकोट का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया. अब तो मेरे होश ही उड़ गये. उनकी गोरी गोरी मांसल टाँगें सॉफ नज़र आने लगी. तभी भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुँह को आ गया. भाभी की चूत बिल्कुल नंगी थी. गोरी गोरी सुडोल जांघों के बीच में उनकी चूत सॉफ नज़र आ रही थी.
पूरी चूत घने काले बालों से धकि हुई थी, लेकिन चूत की दोनो फाँकें और बीच का कटाव घनी झांतों के पीछे से नज़र आ रहा था. चूत इतनी फूली हुई थी और उसका मुँह इस प्रकार से खुला हुआ था, मानो अभी अभी किसी मोटे लंड से चुदी हो. भाभी कपड़े धोने में ऐसे लगी हुई थी मानो उसे कुच्छ पता ना हो. मेरे चेहरे की ओर देख कर बोली….. " क्या बात है आशु, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तूने साँप देख लिया हो?" मैं बोला
"भाभी साँप तो नहीं लेकिन साँप जिस बिल मे रहता है उसे ज़रूर देख लिया."
"क्या मतलब ? कौन से बिल की बात कर रहा है?" मेरी आँखें भाभी की चूत पर ही जमी हुई थी.
"भाभी आपकी टाँगों के बीच में जो साँप का बिल है ना मैं उसी की बात कर रहा हूँ."
"हाअ..एयेए !!! बदमाश !! इतनी देर से तू यह देख रहा था ? तुझे शरम नहीं आई अपनी भाभी की टाँगों के बीच में झाँकते हुए?' यह कह कर भाभी ने झट से टाँगें नीचे कर लीं.
Re: चिकनी भाभी
" आपकी कसम भाभी इतनी लाजबाब चूत तो मैने किसी फिल्म में भी नहीं देखी. भैया कितनी किस्मत वाले हैं. लेकिन भाभी इस बिल को तो एक लंबे मोटे साँप की ज़रूरत है."
भाभी मुस्कुराते हुए बोली,
"कहाँ से लाउ उस लंबे मोटे साँप को.?"
"मेरे पास है ना एक लंबा मोटा साँप. एक इशारा करो, सदा ही आपके बिल में रहेगा."
"हट नालयक." यह कहा कर भाभी कपड़े सुखाने छत पे चली गयी..
ज़ाहिर था कि ये करने का विचार भाभी के मन में नॉवेल पढ़ने के बाद ही आया था. अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया कि भाभी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैं मोके की तलाश में था जो जल्दी ही हाथ
आ गया.
तीन दिन बाद कॉलेज में बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन था. मैने खूब कसरत और मालिश करनी शुरू कर दी थी. भाभी भी मुझे अच्छी खुराक खिला रही थी. एक दिन भाभी नहा रही थी और मैं अपने कमरे में मालिश कर रहा था. मैने सिर्फ़ अंडरवेर पहन रखा था. इतने में भाभी नहा कर कमरे में आ गयी. वो पेटिकोट और ब्लाउस में थी.
मैने भाभी से कहा" भाभी ज़रा पीठ की मालिश कर दोगि?" भाभी बोली " हाँ हाँ क्यों नहीं चल लेट जा" मैं चटाई पर पेट के बल लेट गया. भाभी ने हाथ में तैल ले कर मेरी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया. भाभी के मुलायम हाथों का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था. पीठ पर मालिश करने के बाद चलने को हुई तो मैं बोला,
"कर ही रही हो तो पूरे बदन की मालिश कर दो ना. आपके हाथ की मालिश होने पर मैं ज़रूर बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन में जीत जाउन्गा."
"ठीक है कर देती हूँ, चल उल्टा हो कर लेट जा." मैं पीठ के बल लेट गया. भाभी ने पहले मेरे हाथों की मालिश की और फिर टाँगों की शुरू कर दी. जैसे जैसे मेरी जांघों के पास पहुँची मेरी दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. मेरा लंड धीरे धीरे हरकत करने लगा. अब भाभी पेट पर और लंड के चारों तरफ जांघों पर मालिश करने लगी. मेरा लंड बुरी तरह से फंफनाने लगा. ढीले लंड से भी अंडरवेर का कसा उभार होता था. अब तो ये उभर फूल कर दुगना हो गया. भाभी से ये छुपा नही था और उनका चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था.कनखियों से उभार को देखते हुए बोली-
"आशु, लगता है तेरा अंडरवेर फॅट जाएगा. क्यों क़ैद कर रखा है बेचारे पन्छि को. आज़ाद कर दे." और यह कह कर खिलखिला कर हंस पड़ी.
"आप ही आज़ाद कर दो ना भाभी इस पन्छि को. आपको दुआएँ देगा."
"ठीक है मैं इसे आज़ादी देती हूँ" ये कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर नीचे खैंच दिया. अंडरवेर से आज़ाद होते ही मेरा 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड किसी काले कोब्रा की तरह फनफना कर खड़ा हो गया. भाभी के तो होश ही उड़ गये. चेहरे की हँसी एकदम गायब हो गयी. उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी. मैने पूछा,
"क्या हुआ भाभी? घबराई हुई सी लगती हो."
भाभी मुस्कुराते हुए बोली,
"कहाँ से लाउ उस लंबे मोटे साँप को.?"
"मेरे पास है ना एक लंबा मोटा साँप. एक इशारा करो, सदा ही आपके बिल में रहेगा."
"हट नालयक." यह कहा कर भाभी कपड़े सुखाने छत पे चली गयी..
ज़ाहिर था कि ये करने का विचार भाभी के मन में नॉवेल पढ़ने के बाद ही आया था. अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया कि भाभी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैं मोके की तलाश में था जो जल्दी ही हाथ
आ गया.
तीन दिन बाद कॉलेज में बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन था. मैने खूब कसरत और मालिश करनी शुरू कर दी थी. भाभी भी मुझे अच्छी खुराक खिला रही थी. एक दिन भाभी नहा रही थी और मैं अपने कमरे में मालिश कर रहा था. मैने सिर्फ़ अंडरवेर पहन रखा था. इतने में भाभी नहा कर कमरे में आ गयी. वो पेटिकोट और ब्लाउस में थी.
मैने भाभी से कहा" भाभी ज़रा पीठ की मालिश कर दोगि?" भाभी बोली " हाँ हाँ क्यों नहीं चल लेट जा" मैं चटाई पर पेट के बल लेट गया. भाभी ने हाथ में तैल ले कर मेरी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया. भाभी के मुलायम हाथों का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था. पीठ पर मालिश करने के बाद चलने को हुई तो मैं बोला,
"कर ही रही हो तो पूरे बदन की मालिश कर दो ना. आपके हाथ की मालिश होने पर मैं ज़रूर बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन में जीत जाउन्गा."
"ठीक है कर देती हूँ, चल उल्टा हो कर लेट जा." मैं पीठ के बल लेट गया. भाभी ने पहले मेरे हाथों की मालिश की और फिर टाँगों की शुरू कर दी. जैसे जैसे मेरी जांघों के पास पहुँची मेरी दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. मेरा लंड धीरे धीरे हरकत करने लगा. अब भाभी पेट पर और लंड के चारों तरफ जांघों पर मालिश करने लगी. मेरा लंड बुरी तरह से फंफनाने लगा. ढीले लंड से भी अंडरवेर का कसा उभार होता था. अब तो ये उभर फूल कर दुगना हो गया. भाभी से ये छुपा नही था और उनका चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था.कनखियों से उभार को देखते हुए बोली-
"आशु, लगता है तेरा अंडरवेर फॅट जाएगा. क्यों क़ैद कर रखा है बेचारे पन्छि को. आज़ाद कर दे." और यह कह कर खिलखिला कर हंस पड़ी.
"आप ही आज़ाद कर दो ना भाभी इस पन्छि को. आपको दुआएँ देगा."
"ठीक है मैं इसे आज़ादी देती हूँ" ये कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर नीचे खैंच दिया. अंडरवेर से आज़ाद होते ही मेरा 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड किसी काले कोब्रा की तरह फनफना कर खड़ा हो गया. भाभी के तो होश ही उड़ गये. चेहरे की हँसी एकदम गायब हो गयी. उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी. मैने पूछा,
"क्या हुआ भाभी? घबराई हुई सी लगती हो."