"बाप रे… ! ये लंड है या मूसल ! किसी घोड़े का लंड तो नहीं लगा लिया? और ये अमरूद? उस सांड़ के भी इतने बड़े नहीं थे."
"भाभी इसकी भी मालिश कर दो ना." भाभी ने ढेर सा तैल हाथ में लेकर खड़े हुए लंड पे लगाना शुरू कर दिया. बड़े ही प्यार से लंड की मालिश करने लगी.
"आशु तेरा लंड तो तेरे भैया से कहीं ज़्यादा बड़ा है. सच तेरी बीवी बहुत ही किस्मत वाली होगी.एक लंबा मोटा लंड औरत को तृप्त कर देता है. तेरा तो…."
"भाभी आप किस बीवी की बात कर रहीं हैं? इस लंड पे सबसे पहला अधिकार आपका है."
"सच ! देख आशु, मोटे तगड़े लंड की कीमत एक औरत ही जानती है. इसको मोटा तगड़ा बनाए रखना. जब तक तेरी शादी नहीं होती मैं इसकी रोज़ मालिश कर दूँगी."
"आप कितनी अच्छी हैं भाभी. वैसे भाभी इतने बड़े लंड को लॉडा कहते हैं."
"अच्छा बाबा, लॉडा. सुहागरात को बहुत ध्यान रखना. तेरी बीवी की कुँवारी चूत का पता नहीं क्या हाल हो जाएगा. इतना मोटा और लंबा लॉडा तो मेरे जैसों की चूत भी फाड़ देगा. "
"यह आप कैसे कह सकती हैं? एक बार इसे अपनी चूत में डलवा के तो देखिए."
"हट नालयक." भाभी बड़े प्यार से बहुत देर तक लंड की मालिश करती रही. जब मुझसे ना रहा गया तो बोला
"भाभी आओ मैं भी आपकी मालिश कर दूं."
"मैं तो नहा चुकी हूँ."
"तो क्या हुआ भाभी मालिश कर दूँगा तो सारी थकावट दूर हो जाएगी. चलिए लेट जाइए." भाभी को मर्द का स्पर्श हुए तीन महीने हो चुके थे. वो थोड़े नखरे कर के मान गयी और पेट के बल चटाई पर लेट गयी.
क्रमशः...............
चिकनी भाभी compleet
Re: चिकनी भाभी
चिकनी भाभी--7
गतान्क से आगे................
"भाभी ब्लाउस तो उतार दो तैल लगाने की जगह कहाँ है. अब शरमाओ मत. याद है ना मैं आपको नंगी भी देख चुका हूँ." भाभी ने अपना ब्लाउस उतार दिया. अब वो काले रंग के ब्रा और पेटिकोट में थी. मैं भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर उनकी पीठ पर तैल लगाने लगा. चुचियो के आस पास मालिश करने से वो उत्तेजित हो जाती. फिर मैने ब्रा का हुक खोल दिया और बड़ी बड़ी चुचिओ को मसल्ने लगा. भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी. वो आँखें मूंद कर लेटी रही. खूब अच्छी तरह चुचिओ को मसल्ने के बाद मैने उनकी टाँगों पर तैल लगाना शुरू कर दिया. जैसे जैसे तैल लगाता जा रहा था, पेटिकोट को उपर की ओर खिसकाता जा रहा था.
मेरा अंडरवेर मेरी टाँगों में फसा हुआ था, मैने उसे उतार फेंका. भाभी की गोरी गोरी मोटी जांघों के पीछे बैठ कर बड़े प्यार से मालिश की. धीरे धीरे मैने पेटिकोट भाभी के चूतदों के उपर सरका दिया.
अब मेरे सामने भाभी के बड़े बड़े , गोरे और गोल गोल चूतड़ थे. भाभी ने छ्होटी सी जालीदार नाइलॉन की पारदर्शी काली पॅंटी पहन रखी थी जो कुच्छ भी छुपा पाने में असमर्थ थी.
उपर से भाभी के चुतड़ों की आधी दरार पॅंटी के बाहर थी. फैले हुए मोटे चूतड़ करीब पूरे ही बाहर थे. चुतड़ों के बीच में पॅंटी के दोनो तरफ से बाहर निकली हुई भाभी की लंबी काली झटें दिखाई दे रही थी. भाभी की फूली हुई चूत के उभार को बड़ी मुश्किल से कछि में क़ैद कर रखा था. मैने उन मोटे मोटे चुतड़ों की जी भर के मालिश की जिससे पॅंटी चूतरो से सिमट कर बीच की दरार में फँस गयी.
अब तो पूरे चूतड़ ही नंगे थे. मालिश करते करते मैं उनकी चूत के आस पास हाथ फेरने लगा और फिर फूली हुई चूत को मुथि में भर लिया. भाभी की पॅंटी बिल्कुल गीली हो गयी थी. उनकी प्यासी बूर बहुत पानी छ्चोड़ रही थी.
"इसस्स…. आआ…. क्या कर रहा है. छ्चोड़ दे उसे, मैं मर जाउन्गि. तू पीठ पर ही मालिश कर नहीं तो मैं चली जाउन्गि."
"ठीक है भाभी पीठ पर ही मालिश कर देता हूँ." मैं भाभी की टाँगों के बीच में थोड़ा आगे खिसक कर उनकी पीठ पर मालिश करने लगा. ऐसा करने से मेरा तना हुआ लॉडा भाभी की चूत से जा टकराया. अब मेरे तने हुए लंड और भाभी की चूत के बीच छ्होटी सी पॅंटी थी. भाभी की चूत का रस जालीदार पॅंटी से निकल कर मेरे लंड के सुपरे को गीला कर रहा था. मैं भाभी की चुचिओ को दबाने लगा और अपने लंड से भाभी की चूत पर ज़ोर डालने लगा.
लंड के दबाव के कारण पॅंटी भाभी की चूत में घुसने लगी. बड़े बड़े चूतादो से सिमट कर अब वो बेचारी पॅंटी उनके बीच की दरार में धँस गयी थी. भाभी के मुँह से उत्तेजना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी.
मुझसे ना रहा गया और मैने एक ज़ोरदार धक्का लगाया. मेरे लंड का सुपरा भाभी की जालीदार पॅंटी को फाड़ता हुआ उनकी चूत में समा गया.
"आआआः…….ऊवू….उई माआ. ऊऊफ़.. यह क्या कर दिया आशु. तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. छोड़ मुझे, मैं तेरी भाभी हूँ. मुझे नहीं मालिश करवानी" लेकिन भाभी ने हटने की कोई कोशिश नहीं की. मैने थोड़ा सा दबाव डाल कर आधा इंच लंड और भाभी की चूत में सरका दिया.
" अया …ऊवू तेरे लॉड ने मेरी पॅंटी तो फाड़ ही दी, अब मेरी चूत भी फाड़ डालेगा." मेरे मोटे लंड ने भाभी की चूत के छेद को बुरी तरह फैला दिया था.
गतान्क से आगे................
"भाभी ब्लाउस तो उतार दो तैल लगाने की जगह कहाँ है. अब शरमाओ मत. याद है ना मैं आपको नंगी भी देख चुका हूँ." भाभी ने अपना ब्लाउस उतार दिया. अब वो काले रंग के ब्रा और पेटिकोट में थी. मैं भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर उनकी पीठ पर तैल लगाने लगा. चुचियो के आस पास मालिश करने से वो उत्तेजित हो जाती. फिर मैने ब्रा का हुक खोल दिया और बड़ी बड़ी चुचिओ को मसल्ने लगा. भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी. वो आँखें मूंद कर लेटी रही. खूब अच्छी तरह चुचिओ को मसल्ने के बाद मैने उनकी टाँगों पर तैल लगाना शुरू कर दिया. जैसे जैसे तैल लगाता जा रहा था, पेटिकोट को उपर की ओर खिसकाता जा रहा था.
मेरा अंडरवेर मेरी टाँगों में फसा हुआ था, मैने उसे उतार फेंका. भाभी की गोरी गोरी मोटी जांघों के पीछे बैठ कर बड़े प्यार से मालिश की. धीरे धीरे मैने पेटिकोट भाभी के चूतदों के उपर सरका दिया.
अब मेरे सामने भाभी के बड़े बड़े , गोरे और गोल गोल चूतड़ थे. भाभी ने छ्होटी सी जालीदार नाइलॉन की पारदर्शी काली पॅंटी पहन रखी थी जो कुच्छ भी छुपा पाने में असमर्थ थी.
उपर से भाभी के चुतड़ों की आधी दरार पॅंटी के बाहर थी. फैले हुए मोटे चूतड़ करीब पूरे ही बाहर थे. चुतड़ों के बीच में पॅंटी के दोनो तरफ से बाहर निकली हुई भाभी की लंबी काली झटें दिखाई दे रही थी. भाभी की फूली हुई चूत के उभार को बड़ी मुश्किल से कछि में क़ैद कर रखा था. मैने उन मोटे मोटे चुतड़ों की जी भर के मालिश की जिससे पॅंटी चूतरो से सिमट कर बीच की दरार में फँस गयी.
अब तो पूरे चूतड़ ही नंगे थे. मालिश करते करते मैं उनकी चूत के आस पास हाथ फेरने लगा और फिर फूली हुई चूत को मुथि में भर लिया. भाभी की पॅंटी बिल्कुल गीली हो गयी थी. उनकी प्यासी बूर बहुत पानी छ्चोड़ रही थी.
"इसस्स…. आआ…. क्या कर रहा है. छ्चोड़ दे उसे, मैं मर जाउन्गि. तू पीठ पर ही मालिश कर नहीं तो मैं चली जाउन्गि."
"ठीक है भाभी पीठ पर ही मालिश कर देता हूँ." मैं भाभी की टाँगों के बीच में थोड़ा आगे खिसक कर उनकी पीठ पर मालिश करने लगा. ऐसा करने से मेरा तना हुआ लॉडा भाभी की चूत से जा टकराया. अब मेरे तने हुए लंड और भाभी की चूत के बीच छ्होटी सी पॅंटी थी. भाभी की चूत का रस जालीदार पॅंटी से निकल कर मेरे लंड के सुपरे को गीला कर रहा था. मैं भाभी की चुचिओ को दबाने लगा और अपने लंड से भाभी की चूत पर ज़ोर डालने लगा.
लंड के दबाव के कारण पॅंटी भाभी की चूत में घुसने लगी. बड़े बड़े चूतादो से सिमट कर अब वो बेचारी पॅंटी उनके बीच की दरार में धँस गयी थी. भाभी के मुँह से उत्तेजना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी.
मुझसे ना रहा गया और मैने एक ज़ोरदार धक्का लगाया. मेरे लंड का सुपरा भाभी की जालीदार पॅंटी को फाड़ता हुआ उनकी चूत में समा गया.
"आआआः…….ऊवू….उई माआ. ऊऊफ़.. यह क्या कर दिया आशु. तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. छोड़ मुझे, मैं तेरी भाभी हूँ. मुझे नहीं मालिश करवानी" लेकिन भाभी ने हटने की कोई कोशिश नहीं की. मैने थोड़ा सा दबाव डाल कर आधा इंच लंड और भाभी की चूत में सरका दिया.
" अया …ऊवू तेरे लॉड ने मेरी पॅंटी तो फाड़ ही दी, अब मेरी चूत भी फाड़ डालेगा." मेरे मोटे लंड ने भाभी की चूत के छेद को बुरी तरह फैला दिया था.
Re: चिकनी भाभी
“भाभी आप तो कुँवारी नहीं हैं. आपको तो लंड की आदत है?"
"आआआः… मुझे आदमी के लंड की आदत है घोड़े के लंड की नहीं. चल निकाल उसे बाहर." लेकिन भाभी को दर्द के साथ मज़ा आ रहा था. उसने अपने चूतदों को हल्का सा उचकाया तो मेरा लंड आधा इंच और भाभी की चूत में सरक गया. अब मैने भाभी की कमर पकड़ के एक और धक्का लगाया. मेरा लंड पॅंटी के च्छेद में से भाभी की चूत को दो भागों में चीरता होता हुआ 4 इंच अंडर घुस गया.
"आआआआआः… आहह….आहह. मर गयी ! छ्चोड़ दे आशु फॅट जाएगी. ऊवू…धीरे राजा. अभी और कितना बाकी है? निकाल ले आशु, अपनी ही भाभी को चोद रहा है." मैं भाभी की चुचिओ को मसल्ते हुए बोला
"अभी तो आधा से थोड़ा ही ज़्यादा गया है भाभी, एक बार पूरा डालने दो फिर निकाल लूँगा." "हे राम! तू घोड़ा था क्या पिछले जनम में. मेरी चूत तेरे मूसल के लिए बहुत छ्होटी है" मैने धीरे धीरे दबाव डाल कर 2 इंच और अंदर पेल दिया.
"भाभी, मेरी जान थोड़े से अपने इन मस्ताने चूतदों को और उँचे करो ना." भाभी ने अपने मस्त गोल चूतदों को और उँचा कर दिया. अब उनकी छाती चटाई पर टिकी हुई थी. इस मुद्रा में भाभी की चूत मेरा लंड पूरा निगलने के लिए तैयार थी. अब मैने भाभी के चूतदों को पकड़ के बहुत ज़बरदस्त धक्का लगाया. पूरा 8 इंच का लॉडा भाभी की चूत में जड़ तक समा गया.
"आआआआआआआः………. मार डाला…….ऊवू .…अया…..अघ….उई…सी….आ… अया….. ओईइ….. माआ…… कितना जालिम है रे..आह….ऐसे चोदा जाता है अपनी भाभी को? पूरा 8 इंच का मूसल घुसा दिया?" भाभी की चूत में से थोड़ा सा खून भी निकल आया. अब मैं धीरे धीरे लंड को थोड़ा सा अंडर बाहर करने लगा.
भाभी का दर्द कम हो गया था और वो भी चुतड़ों को पीछे की ओर उचका कर लंड को अंदर ले रही थी. अब मैने भी लंड को सुपरे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंदर पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत इतनी गीली थी कि उसमे से फ़च फ़च की मीठी आवाज़ पूरे कमरे में गूंज़्ने लगी.
"तू तो उस सांड़ की तरह चढ़ कर चोद रहा है रे अपनी भाभी को. ज़िंदगी में पहली बार किसी ने ऐसे चोदा है. अया…..आ..एयेए.ह…..ऊवू..ओह."
अब मैने लंड को बिना बाहर निकाले भाभी की फटी हुई पॅंटी को पूरी तरह फाड़ कर उनके जिस्म से अलग कर दिया ओर छल्ले की तरह कमर से लटकते हुए पेटिकोट को उतार दिया. भाभी अब बिल्कुल नंगी थी. चूतड़ उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लंबी झाटों से भरी चूत बहुत ही सुंदर लग रही थी.
भारी भारी चूतरो के बीच गुलाबी गांद के छेद को देख कर तो मैने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गांद ज़रूर लूँगा. बिल्कुल नंगी करने के बाद मैने फिर अपना 8 इंच का लॉडा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था. मैने चूत के रस में उंगली गीली करके भाभी की गांद में सरका दी.
"आआआः… मुझे आदमी के लंड की आदत है घोड़े के लंड की नहीं. चल निकाल उसे बाहर." लेकिन भाभी को दर्द के साथ मज़ा आ रहा था. उसने अपने चूतदों को हल्का सा उचकाया तो मेरा लंड आधा इंच और भाभी की चूत में सरक गया. अब मैने भाभी की कमर पकड़ के एक और धक्का लगाया. मेरा लंड पॅंटी के च्छेद में से भाभी की चूत को दो भागों में चीरता होता हुआ 4 इंच अंडर घुस गया.
"आआआआआः… आहह….आहह. मर गयी ! छ्चोड़ दे आशु फॅट जाएगी. ऊवू…धीरे राजा. अभी और कितना बाकी है? निकाल ले आशु, अपनी ही भाभी को चोद रहा है." मैं भाभी की चुचिओ को मसल्ते हुए बोला
"अभी तो आधा से थोड़ा ही ज़्यादा गया है भाभी, एक बार पूरा डालने दो फिर निकाल लूँगा." "हे राम! तू घोड़ा था क्या पिछले जनम में. मेरी चूत तेरे मूसल के लिए बहुत छ्होटी है" मैने धीरे धीरे दबाव डाल कर 2 इंच और अंदर पेल दिया.
"भाभी, मेरी जान थोड़े से अपने इन मस्ताने चूतदों को और उँचे करो ना." भाभी ने अपने मस्त गोल चूतदों को और उँचा कर दिया. अब उनकी छाती चटाई पर टिकी हुई थी. इस मुद्रा में भाभी की चूत मेरा लंड पूरा निगलने के लिए तैयार थी. अब मैने भाभी के चूतदों को पकड़ के बहुत ज़बरदस्त धक्का लगाया. पूरा 8 इंच का लॉडा भाभी की चूत में जड़ तक समा गया.
"आआआआआआआः………. मार डाला…….ऊवू .…अया…..अघ….उई…सी….आ… अया….. ओईइ….. माआ…… कितना जालिम है रे..आह….ऐसे चोदा जाता है अपनी भाभी को? पूरा 8 इंच का मूसल घुसा दिया?" भाभी की चूत में से थोड़ा सा खून भी निकल आया. अब मैं धीरे धीरे लंड को थोड़ा सा अंडर बाहर करने लगा.
भाभी का दर्द कम हो गया था और वो भी चुतड़ों को पीछे की ओर उचका कर लंड को अंदर ले रही थी. अब मैने भी लंड को सुपरे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंदर पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत इतनी गीली थी कि उसमे से फ़च फ़च की मीठी आवाज़ पूरे कमरे में गूंज़्ने लगी.
"तू तो उस सांड़ की तरह चढ़ कर चोद रहा है रे अपनी भाभी को. ज़िंदगी में पहली बार किसी ने ऐसे चोदा है. अया…..आ..एयेए.ह…..ऊवू..ओह."
अब मैने लंड को बिना बाहर निकाले भाभी की फटी हुई पॅंटी को पूरी तरह फाड़ कर उनके जिस्म से अलग कर दिया ओर छल्ले की तरह कमर से लटकते हुए पेटिकोट को उतार दिया. भाभी अब बिल्कुल नंगी थी. चूतड़ उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लंबी झाटों से भरी चूत बहुत ही सुंदर लग रही थी.
भारी भारी चूतरो के बीच गुलाबी गांद के छेद को देख कर तो मैने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गांद ज़रूर लूँगा. बिल्कुल नंगी करने के बाद मैने फिर अपना 8 इंच का लॉडा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था. मैने चूत के रस में उंगली गीली करके भाभी की गांद में सरका दी.