मैं रोशनी मे शरमाती हुई बोली..-यह क्या किया ? मेरी माँग
भर दिए ? और उसके सीने मे मुँह छुपा लिया..उसने मुझे अपनी बाहों
मे भर लिया..आप नाराज़ तो नही हो ना ? उसका हाथ मेरी पीठ पर
था. मुझसे शरम के मारे कुछ बोलते नही बना.बताओ ना
बीबीजी..अपने मन की बात खुल कर कहो. मैं तब भी कुछ ना बोली.बस
अपनी बाहे उसके गले मे पिरो कर अपने मम्मे उसके सीने से दबा
दिए..मेरे मम्मों का मधुर दबाव महसूस कर वह अपना जवाब पा गया.
और बस अगले ही क्षण वह मेरे उपर था. मैं अपनी टाँगों को खुद ही
मोड़ कर उस के लिए जगह बनाते हुए सोच रही थी कि ये आख़िर चीज़
क्या है.कितनी देर हो गयी अभी तक अपना लंड खड़ा ही किए हुए
है.पहले मेरी मे घुसा चुका था-फिर निकाल के, उठा कर ले
गयामांग मे सिंदूर भरा-फिर खटिया पर आ कर घुसाने को तैयार
है.कब से खड़ा है इसका दूसरे का होता तो अभी तक कभी का ढीला
हो जाता. और मेने टांगे मोडी ही थी कि मेरे प्यारे नौकर ने अपना
लंड पकड़ कर मेरी चूत से लगा दिया. वह धक्का दे उसे अंदर करता
उस के पहले ही मैं उसका हाथ पकड़ कह उठी..हा..री..याआअ
धी..रे...-वह मुस्करा दिया..
अब कमरे मे ट्यूब लाईट का उजाला था,इस वजह से मुझे अपने नौकर
के आगे बहुत शरम आ रही थी.मेने उसे मुस्कराता पा शरमा कर
अपना हाथ कुहनी से मोड़ कर आँखों पर,चेहरे पर रख लिया. उसने
धक्का दिया तो लंड प्रवेश की पीड़ा से मैं एक बारगी तड़प उठी. पर
मुँह को कस के बंद किए रही..बीबीजी..दर्द हो रहा है क्या ? मैने
कहा तो कुछ नही,पर दर्द महसूस ज़रूर कर रही थी.बहुत मोटा और
कड़ा लंड था साले का.ज़्यादा दर्द हो रहा हो तो निकाल लू ? उसने मुझे
छेड़ा..मैं काट के रह गयी. 35 साल की मेरी उमर एक बच्चे की माँ
यह ठीक है कि मेने सात साल बाद लिया था पर यह तो संसार का
आठवा आसचर्या होता कि दर्द की वजह से उसे लंड निकालना पड़
जाता. मैने कनखियों से उसे देखा. मालकिन की चूत मे लंड घुसा
बड़ा खुश नज़र आ रहा था..बीबी जी.(उसने थोड़ा सा लंड बाहर की
तरफ खीचा.)उम...(मैं गणगना कर कमर हिलाई)बोला करो...(उसने
झट से पूरा अंदर कर दिया) मुझे शरम आती है ना.(मैं धक्के से
हिल उठी)अरे इसमे कैसी शरम.यह तो सब कोई करते है.(उसने मेरे
घुटने पकड़ चौड़े कर दिए)बताओकरते है कि नही.(और एक मझोला
धक्का मारा) का..का..करते..है..(मैं आनंद से विहल हो
उठी.)औरत मरद का तो जोड़ा होता है बीबीजी..इसमे कैसी शरम.(उसने
लंड अंदर किया).( मैं मोटे लंड की मार से व्याकुल हो तकिये पर
उपर खिसक पड़ी) बीबीजी.देखो..शरम करोगी तो मज़ा नही
आएगा...(उसने अपने लंड राम को इतना बाहर निकाला लिया कि अंदर
बस सुपारा ही बचा)..(मैं चुप्पी मारे चेहरे पर कुहनी मोडेपडी
रही.)बीबीजी. (उसने मेरी टाँगो को भरपूर उँचा उठा कर लंड
घुसाया.)..(मैं सात साल बाद मर्द का मज़ा ले रही थी.जवाब नही
दिया.बस चुप पड़ी रही )बीबीजी...बोलो ना..अपने मन की भावना को
प्रगट करो..ऐसे चुप ना रहो...मुझे चूत खोल कर पड़ी रहने वाली
औरते पसंद नही है..(और गचाक से लंड घुसेड़ा).
हम बोल तो रहे
हैं.(मैने कुनमूना के उसके धक्के का मज़ा लिया.)बोलोज्यादा दर्द तो नही
है अंदर.(उसने मेरे घुटने को सहलाया)ज़्यादा नही है...(मैं
शरमा के कही)निकाल लू ?धात..-फिर.(वह हंसा)मैं क्या
जानूँ.(मेरे गाल लाल हो गये)चोदु...(वह गपाक से अंदर
किया)हामाआ.(मस्ती के मारे मेरे मुँह से हा निकल पड़ी)मज़ा पा रही
हो ना.(वह बाहर खीचा)हामाआ..(मुझे लगा कि मई जन्नत मे
हू.)ज़ोर से चोदु ?... (वह मेरी जाँघ पर हाथ फेरा)नही...(मैं
उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी.)फिर..(वह पूरा का पूरा लंड
अंदर कर दिया.) धीरे..हाय..धीरे सीई रीई..(मैं दर्द से कराह
उठी).वह धीरे से निकाला.धीरे से घुसाया..ऐसे ? ( मेरी तरफ
देख मुस्कराया)हाँ...आईसीई ईईईईई..(मैं धक्कों के ज़ोर से
उचक पड़ी)मज़ा आया ?(उसे मालकिन की चूत पर कब्जा करने की अपार
खुशी थी)सीईईई..(मैं ज़ोर से सीत्कार उठी.पर उस का जवाब नही
दिया)बोलो..(वह अपना कड़क लंड मेरी चूत मे जड़ तक पेल दिया.)क्या..
(मैं धक्के के ज़ोर से तकिये पर उपर की तरफ खिसक गयी.)कैसा लग
रहा है...
नौकर से चुदाई compleet
Re: नौकर से चुदाई
(वह जल्दी वाला धक्का मारा )सीईईईईई...हरिय्ाआआ..मर
जाउम्गीईईईइ..(मैने चेहरे से हाथ हटा उसका हाथ पकड़ लिया.).वह
तो तेश मे आ गया और तीन चार धक्के दिए. मैं झरने के कगार पर
पहुँच गयी. उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँच मेरी सारी शरम
पता नही कहा घुस गयी. मेने अपने नौकर का हाथ पकड़ उसे अपने
उपर गिरा लिया और दोनो हाथोंदोनो पाओंसे उसे बुरी तरह जकड़ते
हुआ ज़ोर से सिसकारी सी भरी..ओ हर्र्रियाअ रहह..मेरा शरीर
रोमांच से भर उठा. मैं हरिया के नीचे एकदम पत्ते की तरह कंपकपाने
लगी. जैसे कोई जुड़ी ताप बुखार चढ़ा हो. मेरे मुँह से बस
ईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ निकल रही थी. चतुर
हरिया समझ गया कि मेरा डिस्चार्ज हुआ है. उसने उसीमे कस के तीन
चार धक्के मार दिए. और लो उसका भी हो गया..लंड मेरे अंदर तुनक
तुनक के अपना माल गिराने लगा. मैं अपने नौकर की क्रीड़ा पर
निहाल हो गयी..दोनो एक दूसरे को ऐसे जाकड़ लिए कि अब कभी जुदा ही
नही होना है...----.औरत की जिंदगी मे मर्द के पहले
चुबन की बहुत ज़्यादा अहमियत रहती है. शायद मर्द को भी
रहती हो. आप को यह जानकर ताज्जुब होगा कि मैं पिछले दिनों अपने
नौकर हरिया द्वारा चोदि तो गयी थी..पर ना तो उसने मेरा मम्मा
दबाया था और ना ही मुझे चूमा था. पता नही उसके यहा इन बातों
का रिवाज भी था या नही. पर उसके मेरी माँग भर कर चोदने के
तरीके से मैं बहुत थ्रील्ड थी. हालाकी मैने कई बार मर्द के साथ
कल्पना मे चुदाई की थी. पर हरिया का ख़याल उसके नौकर होने की
वजह से कभी नही आया था. एक ऐसे व्यक्ति से चुदाई करवाने का
मज़ा कुछ और ही होता है जिसके बारे मे आपने पहले कभी सोचा ही
नही हो. मेने तो कभी कल्पना ही नही की थी कि किसी दिन अपने नौकर
हरिया से चुदवाउंगी. हालाकी वह मेरे साथ पिछले दो साल से
है..तो मैं बात कर रही थी पहले चुंबन की. मुझे हरिया से
पहला चुंबन आज शाम को मिला. जब मैं स्कूल से आई तो दरवाजा
खोलनेवाला हरिया था. मैं अंदर आई तो उसने फॉरन दरवाजा बंद
कर मुझे बाहों मे भर लिया. एक दम दिन दहाड़े उसकी इस हरकत से
मैं घबरा सी गयी. उसकी बाहों से निकलने की कोशिश की.
छटपताई..छोड़ो ना..-क्या करते हो..-कोई देख लेगा ना.. मैं
छटपटा कर उसकी बाहों से आज़ाद होने की कोशिश करती रही. पर
मेरा यह प्रयास व्यर्थ था. मर्द के आलिंगन से छूटना हम औरतों
के लिए इतना आसान नही होता है. और फिर अगर मर्द हरिया के जैसा
कड़ियल हो तो बिलकुल भी नही. उल्टे इस चक्कर मे मेरे ब्लाओज मे कसे
उरोज उसके चौड़े सीने से रगड़ रगड़ उठे. और तब उसने मुझे चूमा.
एक चुंबन..मेरा पहला चुंबन.मेरे दाएँ वाले गाल पर..हरिया
सावला रंग हमेशा धोती और बंदी पहनता है. 30-35 की उमर
पहाड़ी मर्द कसरती देह फॉलादी बाँहे तेज बीड़ी की महक मेरे
नथुनो मे घुसती चली गयी. बड़ी बड़ी झाओ मुच्छे मेरे गोरे गोरे
गाल पर गढ़ उठी.
शरम के मारे मेरे तो गाल ही गुलाबी हो उठे. मैं चुंबन खा ज़ोर
लगा कर उस से छूट गयी और वाहा से भाग के अपने कमरे मे घुस
गयी. जब मैं अपनी साड़ी से अपना गाल पोन्छा तो उस पल का अहसास
करते ही मेरे गोरे गाल फिर से गुलाबी हो उठे..थोड़ी देर बाद जब
वह खाना बना रहा था तो मैं किसी काम से किचन मे गयी. उसने मोका
नही छोड़ा. मुझे फॉरन से कमर मे हाथ डाल लिपटा लिया..क्या करते
हो.-छोड़ो..-कोई देख लेगा...उसने ज़ोर से आलिंगन मे बाँध लिया. एक बार
फिर मेरे सुपुष्ट उभार उसके सीने से रगड़ उठे..यहा कोई नही है
बीबीजी.-मुन्ना.मैं किसी तरह शरमाई सी बोली.साथ ही कुछ
जानबूझकर कर ही अपने मम्मे उसके सीने से रगड़ी.वो तो बाहर
खेल रहा है..मैं चुप रही तो उसने मुझे भिच लिया..बीबीजी...उसके
हाथ मेरी पीठ पर सख़्त हो गये.हुमुऊ..मैने चिपक कर जवाब
दिया.
जाउम्गीईईईइ..(मैने चेहरे से हाथ हटा उसका हाथ पकड़ लिया.).वह
तो तेश मे आ गया और तीन चार धक्के दिए. मैं झरने के कगार पर
पहुँच गयी. उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँच मेरी सारी शरम
पता नही कहा घुस गयी. मेने अपने नौकर का हाथ पकड़ उसे अपने
उपर गिरा लिया और दोनो हाथोंदोनो पाओंसे उसे बुरी तरह जकड़ते
हुआ ज़ोर से सिसकारी सी भरी..ओ हर्र्रियाअ रहह..मेरा शरीर
रोमांच से भर उठा. मैं हरिया के नीचे एकदम पत्ते की तरह कंपकपाने
लगी. जैसे कोई जुड़ी ताप बुखार चढ़ा हो. मेरे मुँह से बस
ईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ निकल रही थी. चतुर
हरिया समझ गया कि मेरा डिस्चार्ज हुआ है. उसने उसीमे कस के तीन
चार धक्के मार दिए. और लो उसका भी हो गया..लंड मेरे अंदर तुनक
तुनक के अपना माल गिराने लगा. मैं अपने नौकर की क्रीड़ा पर
निहाल हो गयी..दोनो एक दूसरे को ऐसे जाकड़ लिए कि अब कभी जुदा ही
नही होना है...----.औरत की जिंदगी मे मर्द के पहले
चुबन की बहुत ज़्यादा अहमियत रहती है. शायद मर्द को भी
रहती हो. आप को यह जानकर ताज्जुब होगा कि मैं पिछले दिनों अपने
नौकर हरिया द्वारा चोदि तो गयी थी..पर ना तो उसने मेरा मम्मा
दबाया था और ना ही मुझे चूमा था. पता नही उसके यहा इन बातों
का रिवाज भी था या नही. पर उसके मेरी माँग भर कर चोदने के
तरीके से मैं बहुत थ्रील्ड थी. हालाकी मैने कई बार मर्द के साथ
कल्पना मे चुदाई की थी. पर हरिया का ख़याल उसके नौकर होने की
वजह से कभी नही आया था. एक ऐसे व्यक्ति से चुदाई करवाने का
मज़ा कुछ और ही होता है जिसके बारे मे आपने पहले कभी सोचा ही
नही हो. मेने तो कभी कल्पना ही नही की थी कि किसी दिन अपने नौकर
हरिया से चुदवाउंगी. हालाकी वह मेरे साथ पिछले दो साल से
है..तो मैं बात कर रही थी पहले चुंबन की. मुझे हरिया से
पहला चुंबन आज शाम को मिला. जब मैं स्कूल से आई तो दरवाजा
खोलनेवाला हरिया था. मैं अंदर आई तो उसने फॉरन दरवाजा बंद
कर मुझे बाहों मे भर लिया. एक दम दिन दहाड़े उसकी इस हरकत से
मैं घबरा सी गयी. उसकी बाहों से निकलने की कोशिश की.
छटपताई..छोड़ो ना..-क्या करते हो..-कोई देख लेगा ना.. मैं
छटपटा कर उसकी बाहों से आज़ाद होने की कोशिश करती रही. पर
मेरा यह प्रयास व्यर्थ था. मर्द के आलिंगन से छूटना हम औरतों
के लिए इतना आसान नही होता है. और फिर अगर मर्द हरिया के जैसा
कड़ियल हो तो बिलकुल भी नही. उल्टे इस चक्कर मे मेरे ब्लाओज मे कसे
उरोज उसके चौड़े सीने से रगड़ रगड़ उठे. और तब उसने मुझे चूमा.
एक चुंबन..मेरा पहला चुंबन.मेरे दाएँ वाले गाल पर..हरिया
सावला रंग हमेशा धोती और बंदी पहनता है. 30-35 की उमर
पहाड़ी मर्द कसरती देह फॉलादी बाँहे तेज बीड़ी की महक मेरे
नथुनो मे घुसती चली गयी. बड़ी बड़ी झाओ मुच्छे मेरे गोरे गोरे
गाल पर गढ़ उठी.
शरम के मारे मेरे तो गाल ही गुलाबी हो उठे. मैं चुंबन खा ज़ोर
लगा कर उस से छूट गयी और वाहा से भाग के अपने कमरे मे घुस
गयी. जब मैं अपनी साड़ी से अपना गाल पोन्छा तो उस पल का अहसास
करते ही मेरे गोरे गाल फिर से गुलाबी हो उठे..थोड़ी देर बाद जब
वह खाना बना रहा था तो मैं किसी काम से किचन मे गयी. उसने मोका
नही छोड़ा. मुझे फॉरन से कमर मे हाथ डाल लिपटा लिया..क्या करते
हो.-छोड़ो..-कोई देख लेगा...उसने ज़ोर से आलिंगन मे बाँध लिया. एक बार
फिर मेरे सुपुष्ट उभार उसके सीने से रगड़ उठे..यहा कोई नही है
बीबीजी.-मुन्ना.मैं किसी तरह शरमाई सी बोली.साथ ही कुछ
जानबूझकर कर ही अपने मम्मे उसके सीने से रगड़ी.वो तो बाहर
खेल रहा है..मैं चुप रही तो उसने मुझे भिच लिया..बीबीजी...उसके
हाथ मेरी पीठ पर सख़्त हो गये.हुमुऊ..मैने चिपक कर जवाब
दिया.
Re: नौकर से चुदाई
नाराज़ तो नही हो ना..उसने पूछा..दर असल वह डर रहा था. वह
नौकर मैं मालकिन दोनो के स्तर मे बड़ा फ़र्क था. उसने मुझे स्कूल से
आते ही चूम लिया था.इस कारण अब डर रहा था कि कही मालकिन
नाराज़ हो जाए और उसकी नौकरी चली जाए. पर क्या आप भी
समझते है कि उसकी नौकरी जाने वाली थी ? नही भाई नही अरे
उसका तो प्रमोशन होने वाला था. वह तो नौकर से मेरा हसबेंड
बनने वाला था. मेरा प्राईवेट हसबेंड. प्राईवेट हसबेंड
यानी समाज की नज़रो मे मेरा नौकर परंतु घर मे मेरा वो..हा हा हा
हा हा हा दोस्तो कहानी अभी बाकी है आगे क्या हुआ जानने के लिए
पढ़ते रहे नौकर से चुदाई . आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........
नौकर मैं मालकिन दोनो के स्तर मे बड़ा फ़र्क था. उसने मुझे स्कूल से
आते ही चूम लिया था.इस कारण अब डर रहा था कि कही मालकिन
नाराज़ हो जाए और उसकी नौकरी चली जाए. पर क्या आप भी
समझते है कि उसकी नौकरी जाने वाली थी ? नही भाई नही अरे
उसका तो प्रमोशन होने वाला था. वह तो नौकर से मेरा हसबेंड
बनने वाला था. मेरा प्राईवेट हसबेंड. प्राईवेट हसबेंड
यानी समाज की नज़रो मे मेरा नौकर परंतु घर मे मेरा वो..हा हा हा
हा हा हा दोस्तो कहानी अभी बाकी है आगे क्या हुआ जानने के लिए
पढ़ते रहे नौकर से चुदाई . आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........