नौकर से चुदाई compleet

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raj..
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Re: नौकर से चुदाई

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 21:38

नौकर से चुदाई पार्ट---6
गतान्क से आगे.......
वह मेरे इस तरह बोलने से खुश हो पूछा..तो क्या हुआ ? पड़ जाने दो.
मैं बदले मे उसके गले मे बाँह डाल चिपक सी गयी..और जो किसी ने
देख लिया तो...-तो क्या. उसने मेरे दूसरे गाल को भी चूस
लिया..हाय..बदनामी हो जाएगी ना.. मैं क्रत्रिम रोष से उसे ढका के
हटाती हुई बोली..बस वो क्या हटा धक्का दे मुझे ही खटिया पर गिरा
दिया. और दूसरे ही पल वो मेरे उपर था. बाकी काम आटोमेटिक ही हुआ.
मेरी टांगे अपने आप उँची हुई चौड़ी हुई उस का मोटा लंड ना जाने कहा
से आ कर मेरी चूत पर टिक गया. वह बहुत गरम था. उस का कडापन
मैं साफ साफ महसूस कर रही थी. उसने तो अपने आप खुद ही
अपना ठिकाना ढूँढ लिया. मेरे छिद्र पर टीका दबाव पड़ा और अगले
ही पल फाटक खोल अंदर घुस चला. घुसा तो घुसता ही चला गया.
अंदर और अंदर वह मेरे चेहरे को ताबाद तोड़ चूमता हुआ
बड़बड़ाया.बीबीजी बोलो.बोलती रहो..चुप मत रहना..आप को मेरी
कसम है... मुझे तो उस वक्त ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत अंदर
से चौड़ी हो रही है. दर्द किसी चीज़ के खुलने का दर्द किसी चीज़ के
फेलने का दर्द चौड़ा होने का दर्द एक ऐसी सुरंग मे घुसवाने का
दर्द जहाँ पिछले सात साल से कोई गया ही नही था. अब ऐसे समय मे मैं
क्या बोलती..बस मूह से सीत्कार ही निकल सकी. मैं अपने उपर सवार
हरिया को पकड़ ज़ोर की आवाज़ मे सीत्कार
उठी..-सीईईईई...माआआ.. उपर चढ़े हरिया का हाथ पकड़
ली..-हरियाआआअ..धीरेरेरेरे... वह अपने दोनो हाथों से मेरा
चेहरा पकड़ लिया और दाया गाल चूम कर बोला..बस...बस..हो गया
बीबीजी... और फिर रुका नही. शुरू हो गया. मेरे चेहरे के चुंबन
लेते हुए धीरे धीरे शाट मारने लगा. मैं पहले सोच रही थी कि
पता नही इस के यहा चुम्मे लेने का रिवाज है कि नही. पिछली
चुदाइयो मे ना तो इसने चुम्मे लिए थे, ना ही मम्मे दबाए थे. मैं
सोची थी कि क्या पता इसे मुझे मेरे हिसाब से सिखाना पड़ेगा.
दर-असल जब मेने चुदवाना शुरू ही कर दिया था तो मैं ठीक से ही
चुदाई का मज़ा लेना चाहती थी. एक संपूर्ण मज़ा. पर मेरी सोच
इसने ग़लत साबित कर दी. उसे आता तो सब था पर वह हमारे बीच
नौकर मालकिन का रिश्ता होने से डर रहा था.धीरे धीरे कदम उठा
रहा था. इस बार तो उसने मुझे चुदाई के पूरे समय ही चूमा. अपने
दोनो हाथों मे मेरा चेहरा भरे रहा. मैने अपनी गरदन दाए
घुमाई तो दाए गाल पर चूम लिया..पुच्च. उधर उचक कर नीचे से
धक्का भी मार दिया..सी..धक्का खा मैं सीतकारी. अपनी गरदन
बाए घुमाई..पुच्च. वा मेरा बया गाल चूम लिया. और नीचे से
धक्का मारा. मैं करी..सीईई. बस इसी तरह का क्रम चल पड़ा.
चुंबन धक्का और मेरा सिसकारना. शुरू मे मैं झिझक रही थी. पर
जब मेने देखा कि इसे मेरा सिसकीया भरना अच्छा लग रहा है तो
मेने भी उत्साह से सीत्कारना शुरू कर
दिया..

raj..
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Re: नौकर से चुदाई

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 21:39

मेने भी उत्साह से सीत्कारना शुरू कर
दिया..सीईईपूचसीईईपुच्चसीईयपुच्च्च्चसीए ईईएपुच्च्चसीईए
ईईईएपुच्च्च्च्च.उसके धक्को का ज़ोर क्रमवार ज़्यादा,और ज़्यादा,और
ज़्यादा से भी ज़्यादा होता गया. मैं सीत्कारीया भर भर उस का उत्साह
बढ़ाती रही..कैसा लग रहा है बीबीजी. वह पूछा. पर मैं जवाब
नही दे सकी..मज़ा पा रही हो ना.-यह तो मज़ा लेने की चीज़ है
बीबीजी.-खूब मज़ा लिया करो.. वह मेरे गाल ही नहीपुरा चेहरा ही
चूम डाला. मेरे पूरे चेहरे को चूम चूम चुदाई लगाई. दाया गाल
चूमधक्का मारा. बाया गाल चूमधक्का मारा. तोड़ी चूमा लंडपेला.
कान चूमा लंड घुसाया. आख़ें चूमि-धक्का मारा. माथा चूमा लंड
घुसेड़ा. कनपटी चूमा-धक्का मारा. गर्ज यह की होठ छोड़ मेरे
चेहरे पर ऐसी कोई जगह नही बची जहा उसने अपना ठप्पा ना
लगाया हो. होठ नही चूमे..अपने लंबे लंड से धक्के मार मार कर
मेरी चूत की एक एक इंच जगह चोद डाली. इस पूरे प्रकरण मे दो
चीज़ों ने मुझे परेशान किया. एक तो उसकी बड़ी बड़ी झाओ मूँछे
मुझे सब जगह गढ़ती रही. दूसरी उसके मुँह से आती बीड़ी की तीखी
गंध. तीखी बास से चुदते चुदते मेरी तो नाक ही सड़ गयी. पर
आप से मान की बात कहती हुंमुझे लगा अच्छा...बहुत ही अच्छा. पूरा
चेहरा उसके थूक से गीला हो गया. गालों को चूम चूम कर लाल कर
डाला..फिर चोदते चोदते चूमते चूमते वो झाड़ा. मोटा लंड एक दम
से फूल उठा. झटका खाया तो उसने गुर्रा के पूरा अंदर घुसेड
दिया. लंड ने तुनकी खाई और एक पिचकारी सी छोड़ी. ठीक उसी
समय हरिया के मुँह से गुर्राहट निकली. मेरा दाया गाल अपने मुँह
मे ले ज़ोर से चूस डाला. तभी लंड ने दूसरी तुनकी ली. और
पिचकारी छोड़ी. वह ज़ोर से.उउउउउउ किया..

मेरे गाल की चुसाइ बढ़ा दिया. बस उस के इस प्रकार की हरकत से मैं
समझ गयी कि इसे पूरा मज़ा मिला है. और यह अहसास कि मैने इसे
मज़ा दिया है.मुझे भी झाड़ा गया. मेरी भी ठीक उसी समय चूत हो
गयी. डिस्चार्ज..मेरा जोरदार स्खलन हुआ. बुरी तरह कंपकापाते हुए
मैं अपने पर चढ़े हरिया को हाथों से पकड़ ली. हम दोनो को ही होश
ना था. वह मेरी चूत मे झरता रहा. उसके लंड से बाद मे भी और
तुनकिया छूटी. और मई उसके लंड पर अपना पानी बहाती रही. दोनो
दो जिस्म एक जान हो गये.

raj..
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Re: नौकर से चुदाई

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 21:40



बड़ी देर तक हाफते हुए वह मेरे उपर ही
पड़ा रहा. मेरी चूत मे लंड घुसा ही रहा. जब तक-तब तक की ससुरा
ढीला हो कर खुद ही ना खिसका. घर के घर मे थे कोई जल्दी तो थी
ही नही. बड़ी देर तक दोनो चिपते पड़े रहे..फिर जब मुझे ज़ोर की
बाथरूम आई तभी मैं नीचे से कुनमूनाई. वह मुझे पर से
उतरा. तो मैं उठ कर अपने कपड़े ढूँढने लगी. उसने मुझे रोक दिया.
मैने प्रश्न भरी निगाहों से उसे देखा..छोड़ो ना.जाने दो अब. मेरी
निगाहों मे उस के लिए असीमित प्यार था..अभी नही..वह मुझे पकड़
कर गले से लगा लिया. नंगा वह नंगी मैं सीन मजेदार था..कर तो
लिए..अब और क्या ?कैसा लगा बीबीजी. मैने जवाब तो नही दिया बस मुस्करा
के उसे देखी..बताओ ना.वह मेरी नंगी पीठ पर हाथ चलाया. तब
मैं उसके गाल पर अपनी तरफ से एक किस करी. यह मेरा हरिया को
पहला किस था. और हाथ छुड़ाने लगी..अभी मत जाओ बीबी जी..अभी
मन नही भरा .. मन तो साला मेरा भी सात साल से प्यासा था. पर
यदि मैं बाथरूम ना जाती तो वही निकल पड़ती. क्या करती-जाना
अर्जेंट था. मैने छूटने की कोशिश की तो वही समझ
गया..बीबीजी..पेशाब जाना है क्या ?.मैने शरमा कर हा मे गरदन
हिलाई. वा बोला.यही मोरी पर हो आओ ना.. मैं फिर हा मे गरदन
हिला दी. तब जा के वो छोड़ा. मैं लगभग दौड़ती हुई सी मोरी पर
गयी. वाहा बैठते ही जो मेरी सुर्राटी छूटी तो एक बारगी तो मैं
खुद अपने पर शरमा उठी. अकेले बंद कमरे मे-रात के सन्नाटे
मेमेरी पेशाब निकलने की आवाज़ हरिया ने भी ज़रूर सुनी होगी.क्या
सोचा होगा उसने मन मे...

उस रात भी मेरी दो चुदाई हुई. एक बार तृप्त होने के बाद भी उस
ने मुझे जाने ना दिया.ना कपड़े पहनने दिए.वही अपने साथ सुला
लिया. अकेले बंद कमरे में-अपने नौकर के साथ नंगी पड़ी मुझे शरम
तो बहुत आ रही थी.पर क्या करती. जानती थी कि जवानी का मज़ा इसी
तरह लिया जाता है.-भगवान ने चूत को बनाया ही ऐसी जगह है.
बिना कपड़े खोले इस का मज़ा लिया ही नही जा सकता है. चुदाई के
बाद की खुमारी भी अजीब होती है. मेरा तो उस से अलग होने का मन ही
नही हो रहा था. नंगी होने की वजह से शरम आ रही थी सो मैं तो
हरिया की छाती में ही घुसी जा रही थी. उस के नंगे बदन से
चिपकाने मे मज़ा भी आ रहा था. उपर से वह मुझे बाहों मे ले मेरे
सारे बदन पर यहा वाहा सब जगह हाथ फेर रहा था..बीबीजी..(उसने
मेरी पीठ पर हाथ फिराया.) उम..(मैं अपनी तरफ से उस से चिपक
उठी.)कैसा लग रहा है .. (उसने मुझे अपनी तरफ खीचा तो मेरे
मम्मे उसके छाती से जा लगे.)...(मैं अपने छत्तीस न्म्बर के मम्मों
को हरिया से दबाता हुआ महसूस की.)बोले ना..चुप मत रहा करो..(उसने
पीठ पर हाथ फेरा.)क्या...(मैने आँख उठा कर उसकी तरफ
देखा.)अच्छा लग रहा है ना..(वह मेरे कूल्हों पर पहुँच
गया.)हूंम्म (करके मैं आगे को सरक अपने मम्मों को उस की छाती से
चिबद जाने दी.).और अपना पुराना राग आलापी..हरीयाहह.मुझे
छोड़ के मत जाना कभी..वह मेरे कूल्हों की मालिश किया..नही
बीबीजी..हमारा विस्वास करो.हम आपको छोड़ कर कही नही
जाएँगे..उसके कहने के ढंग पर मुझे बहुत प्यार आ गया. मैने उस
से चिपक कर अपने हेवी कूल्हे पर उस के हाथ का दबाव महसूस
किया..हमने आपकी माँग में सिंदूर भरा है ना बीबीजी.हम..-अब हम
आपको नही छोड़ने वाले है..और उसने मुझे अपने से चिपका लिया
मेरे मम्मे उस के सीने से दब कर पिचक गये. मेरे गाल की पप्पी लिया
तो मुझे बड़ा अच्छा लगा. धीरे धीरे उसमे फिर से उत्तेजना आ रही
थी. और जब उत्तेजना बढ़ी तो वह पुँह मेरे उपर चढ़ता चला आया.
मेरी तरफ से कोई विरोध ना था. मैं पीठ के बल हो गयी. अपनी
टागो को उस के स्वागत में खुद ही फेला दिया. दर-असल जो वो चाहता
था वही मैं भी चाहती थी. संगम लंड और चूत क़ा संगम.. उसने
मेरे घुटनों को हाथ लगा इशारा दिया तो मैने फॉरन अपने घुटने
मोड़ कर उस के लिए जगह बना दी.

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