Re: यमदूत की लापरवाही
Posted: 15 Dec 2014 16:28
“और इस बंदे ने कॉल रिसीव करने के बजाय फोन तुम्हारे हाथ में दे दिया और तुमने कॉल रिसीव करके मुझे बताया की अजय की तबियत ठीक नहीं है”
“हाँ कहा था” शीतल ने फिर सहमति से सर हिलाया.
“उसके बाद मैंने अजय से उस फाइल के बारे में पूछा जो मैंने इसे पिछले दिन ही दी थी. लेकिन इसने फाइल के बारे में ऐसा जवाब दिया जैसे कुछ जानता ही ना हो. हम तो ये समझते रहे की ये बीमार है. लेकिन डॉक्टर का कहना है की इसे शारीरिक या मानसिक किसी भी प्रकार की कोई बिमारी ही नहीं है. अगर ये बीमार नहीं है तो ये बिमारी का नाटक करे खामोश क्यों बैठा है? और अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये हफ्ता वसूली करने वाली गेंग के चंगुल में फंसा कैसे? ये रात को घर में सो रहा था फिर वहां गया कैसे?” मलूकदास बोले जा रहा था और शीतल व शांति देवी मलूकदास कि बात को गौर से सुन रही थी.
“तुम दोनों को अब भी शायद ये एहसास नहीं हुआ होगा कि मैं कहना क्या चाहता हूँ. लेकिन इन सब बातों पर गौर करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि ये अजय नहीं है.”
“क्या! अजय नहीं है! ये क्या कह रहे है आप? अगर ये अजय नहीं है तो और कौन है?” इस बार मलूकदास कि बात सुन कर शीतल व शांति देवी को जोर का झटका लगा.
“ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. और अजय आज भी उस गेंग के कब्जे में है जिस गेंग को कल रात हम दो करोड़ रुपये दे कर इसे छुड़ा कर लाये है. ये उसी गेंग का मेम्बर है. और कल रात जो कुछ हुआ वो इसी के इशारे पर हुआ है. अजय का अपहरण तो उसी दिन हो गया गया था जिस दिन अजय और शीतल शोपिंग के लिए गए थे. उस समय कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था लेकिन तुम दोनों को पता नहीं चला. शीतल जब शोपिंग मॉल में गयी तो कोई पीछे से आया है अजय को कोई नशीली बेहोशी कि दवाई सुंघा कर गाडी में ड़ाल दिया गया और अजय कि जगह इसे बिठा दिया गया. ताकि ये हमारी खबर उन लोगों को देता रहे और हमारी दौलत लुटता रहे. लेकिन इसको इस बात का डर था कि अगर ये ज्यादा बोला तो इसके बोलचाल के तरीके में फर्क देख कर कहीं हम इसकी असलियत ना जान ले कहीं इसकी पोल ना खुल जाए इसलिए इस बंदे ने बिमारी का बहाना करके हमारे सारे सवालों के जवाब से बचने के लिए मौन धारण कर लिया.
“लेकिन अब क्या होगा बाबूजी?” मलूकदास कि बात पूरी होने पर शीतल ने पूछा.
“वही होगा जो हम चाहेंगे. मैं इसका सारा बंदोबस्त कर दूंगा. लेकिन इसे ज़रा भी ये एहसास नहीं होना चाहिए कि हमें इसकी असलियत पता चल गयी है वरना ये हमें नुक्सान भी पहुंचा सकता है तब तक मैं इसका ऐसा प्रबंध करुन्घा कि ये जिंदगी भर याद रखेगा” मलूकदास ने शीतल को अजय के हमशक्ल से सावधान रहने कि सलाह देते हुए कहा.
“लेकिन आप ये यकीन के साथ कैसे कह सकते है की ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. कहीं ऐसा न हो की आप हमशक्ल के भ्रम में अजय को ही पुलिस के हवाले कर दे” शांति देवी ने कहा.
“आपकी बात सही है. लेकिन यकीन करने से पहले हम यह भ्रम भी मिटा देंगे कि ये अजय है या अजय का हमशक्ल. और ये भ्रम मिटाने में हमारी मदद करेगी फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की रिपोर्ट”
“फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट?” शांति देवी और शीतल ने पूछा.
“हाँ फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट. शीतल तुम एक काम करो इस बहरुपीये के खाने में नींद कि गोली मिला देना. जब ये गहरी नींद में सो जाए तब कैसे भी करके तुम कागज पर इसके फिंगर प्रिंट ले लेना. अजय के फिंगर प्रिंट मेरे पास एक पुरानी फाइल में है. में उस फाइल और इसके फिंगर प्रिंट का मिलान कराउंगा. एक बार फिंगर प्रिंट कि जांच हो जाने दो, फिर देखना मैं इस बहरुपीये का इलाज कैसे करता हूँ” मलूकदास ने शीतल को उसके फिंगर प्रिंट लेने कि सलाह दी मलूकदास के कहे अनुसार शीतल ने उसके खाने में नींद कि गोली मिला दी. जब वो गहरी नींद सो गया तो शीतल ने कागज पर उसकी अंगुलिओं के और हाथ के निशान ले लिए. और कागज मलूकदास को दे दिया. मलूकदास ने अजय के फिंगर प्रिंट वाली पुरानी फाइल और इसके फिंगर ले जा कर अपने वकील को जांच कराने सौंप दिए.
“हाँ कहा था” शीतल ने फिर सहमति से सर हिलाया.
“उसके बाद मैंने अजय से उस फाइल के बारे में पूछा जो मैंने इसे पिछले दिन ही दी थी. लेकिन इसने फाइल के बारे में ऐसा जवाब दिया जैसे कुछ जानता ही ना हो. हम तो ये समझते रहे की ये बीमार है. लेकिन डॉक्टर का कहना है की इसे शारीरिक या मानसिक किसी भी प्रकार की कोई बिमारी ही नहीं है. अगर ये बीमार नहीं है तो ये बिमारी का नाटक करे खामोश क्यों बैठा है? और अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये हफ्ता वसूली करने वाली गेंग के चंगुल में फंसा कैसे? ये रात को घर में सो रहा था फिर वहां गया कैसे?” मलूकदास बोले जा रहा था और शीतल व शांति देवी मलूकदास कि बात को गौर से सुन रही थी.
“तुम दोनों को अब भी शायद ये एहसास नहीं हुआ होगा कि मैं कहना क्या चाहता हूँ. लेकिन इन सब बातों पर गौर करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि ये अजय नहीं है.”
“क्या! अजय नहीं है! ये क्या कह रहे है आप? अगर ये अजय नहीं है तो और कौन है?” इस बार मलूकदास कि बात सुन कर शीतल व शांति देवी को जोर का झटका लगा.
“ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. और अजय आज भी उस गेंग के कब्जे में है जिस गेंग को कल रात हम दो करोड़ रुपये दे कर इसे छुड़ा कर लाये है. ये उसी गेंग का मेम्बर है. और कल रात जो कुछ हुआ वो इसी के इशारे पर हुआ है. अजय का अपहरण तो उसी दिन हो गया गया था जिस दिन अजय और शीतल शोपिंग के लिए गए थे. उस समय कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था लेकिन तुम दोनों को पता नहीं चला. शीतल जब शोपिंग मॉल में गयी तो कोई पीछे से आया है अजय को कोई नशीली बेहोशी कि दवाई सुंघा कर गाडी में ड़ाल दिया गया और अजय कि जगह इसे बिठा दिया गया. ताकि ये हमारी खबर उन लोगों को देता रहे और हमारी दौलत लुटता रहे. लेकिन इसको इस बात का डर था कि अगर ये ज्यादा बोला तो इसके बोलचाल के तरीके में फर्क देख कर कहीं हम इसकी असलियत ना जान ले कहीं इसकी पोल ना खुल जाए इसलिए इस बंदे ने बिमारी का बहाना करके हमारे सारे सवालों के जवाब से बचने के लिए मौन धारण कर लिया.
“लेकिन अब क्या होगा बाबूजी?” मलूकदास कि बात पूरी होने पर शीतल ने पूछा.
“वही होगा जो हम चाहेंगे. मैं इसका सारा बंदोबस्त कर दूंगा. लेकिन इसे ज़रा भी ये एहसास नहीं होना चाहिए कि हमें इसकी असलियत पता चल गयी है वरना ये हमें नुक्सान भी पहुंचा सकता है तब तक मैं इसका ऐसा प्रबंध करुन्घा कि ये जिंदगी भर याद रखेगा” मलूकदास ने शीतल को अजय के हमशक्ल से सावधान रहने कि सलाह देते हुए कहा.
“लेकिन आप ये यकीन के साथ कैसे कह सकते है की ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. कहीं ऐसा न हो की आप हमशक्ल के भ्रम में अजय को ही पुलिस के हवाले कर दे” शांति देवी ने कहा.
“आपकी बात सही है. लेकिन यकीन करने से पहले हम यह भ्रम भी मिटा देंगे कि ये अजय है या अजय का हमशक्ल. और ये भ्रम मिटाने में हमारी मदद करेगी फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की रिपोर्ट”
“फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट?” शांति देवी और शीतल ने पूछा.
“हाँ फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट. शीतल तुम एक काम करो इस बहरुपीये के खाने में नींद कि गोली मिला देना. जब ये गहरी नींद में सो जाए तब कैसे भी करके तुम कागज पर इसके फिंगर प्रिंट ले लेना. अजय के फिंगर प्रिंट मेरे पास एक पुरानी फाइल में है. में उस फाइल और इसके फिंगर प्रिंट का मिलान कराउंगा. एक बार फिंगर प्रिंट कि जांच हो जाने दो, फिर देखना मैं इस बहरुपीये का इलाज कैसे करता हूँ” मलूकदास ने शीतल को उसके फिंगर प्रिंट लेने कि सलाह दी मलूकदास के कहे अनुसार शीतल ने उसके खाने में नींद कि गोली मिला दी. जब वो गहरी नींद सो गया तो शीतल ने कागज पर उसकी अंगुलिओं के और हाथ के निशान ले लिए. और कागज मलूकदास को दे दिया. मलूकदास ने अजय के फिंगर प्रिंट वाली पुरानी फाइल और इसके फिंगर ले जा कर अपने वकील को जांच कराने सौंप दिए.