Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Posted: 27 Oct 2016 09:40
कोई 20 मिनट बाद वो नहा कर निकली बाहर तो राजू के होश उड़ गये.
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे शीने में.”
“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सूखने दो.”
राजू दूसरा टोलिया लेकर घुस गया बाथरूम में. वो कोई 10 मिनट में ही नहा कर निकल आया.
जब वो बाहर निकला तो पद्मिनी की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. राजू उसके सुंदर शरीर को ऊपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नहीं पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. राजू तो बस देखता ही रही गया. उसकी सांसें तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसों की रफ्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब पद्मिनी के यौवन की शोभा बढ़ा रहे थे.
“अफ मैं पागल ना हो जाऊं तो क्या करूँ.” राजू ने मान ही मान सोचा.
राजू धीरे से आगे बढ़ा और दोनों हाथों से पद्मिनी के नितंबों को थाम लिया.
“आअहह” पद्मिनी उछाल कर आगे तरफ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” पद्मिनी गुस्से में बोली.
“रोक नहीं पाया खुद को. सॉरी.”
“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अतचा तरीका है तुम्हारा.” पद्मिनी ने कहा.
“हाँ तरीका तो अतचा है हिहिहीही….”
“बदमाश को तुम एक नंबर को.”
“वो तो हूँ” राजू ने हंसते हुए कहा.
पद्मिनी दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”
राजू ने पीछे से आकर पद्मिनी को दबोच लिया अपनी बाहों में और पद्मिनी के गले पर किस करके बोला, “पद्मिनी ई लव यू.”
“ई लव यू टू राजू पर.”
“पर क्या?”
“हम दोनों बिलकुल अलग हैं राजू. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकती.”
“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”
“तुम्हें सब पता है…नाटक मत करो.”
पद्मिनी के इतने नज़दीक आकर राजू का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और पद्मिनी को अपने नितंबों पर बहुत अतचे से फील हो रहा था.
“राजू प्लीज़ हटा लो इसे.”
“क्या हटा लंड. कुछ समझ में नहीं आया.” राजू ने पद्मिनी को और ज़ोर से काश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.
नितंबों पर लिंग की चुवन से पहले ही पद्मिनी के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्स से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.
“बोलिए ना क्या हटा लंड. आप नहीं बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”
पद्मिनी छटपटाने लगी राजू की बाहों में मगर राजू की पकड़ से निकलना आसाआन नहीं था.
“क्या मेरा लंड आपकी गान्ड को परेशान कर रहा है?”
“चुत उप! हाथ जाओ वरना जींदगी भर बात नहीं करूँगी तुमसे.” पद्मिनी चिल्लाई.
राजू तुरंत हाथ गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आंखें बंद करके.
“हाँ अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हें मनाने आना और तुम्हें फिर से मेरे शरीर से खेलने का मौका मिले.ई हटे यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नहीं शुनि कभी मैंने.” पद्मिनी ने कहा.
“अब आपको कभी कुछ नहीं कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” राजू ने कहा.
राजू बिस्तर से उठा और ज़मीन पर एक चटाई बीचा कर उस पर तकिया रख कर लेट गया. पद्मिनी समझ गयी की राजू ने बिस्तर उसके लिए छोड दिया है. पद्मिनी बिस्तर पर बैठ गयी और घुटनों में सर छुपा कर शूबकने लगी.
“मेरी भावनाओं की ज़रा भी कदर नहीं करते तुम…प्यार क्या निभाओगे तुम. जब से प्यार हुआ है क्या तुमने कुछ भी जान-ने की कोशिश की मेरे बारे में. क्या पूछा तुमने कभी की कैसा फील करती हूँ मैं अपने आंटी अंकल के बिना. क्या पूछा तुमने कभी की क्यों मेरी पहली शादी बिखर गयी. नहीं तुम्हें मेरे दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं है. बस मेरा शरीर चाहिए तुम्हें और वो भी तुरंत. थोड़ा सा भी इंतजार नहीं कर सकते. हवस के पुजारी हो तुम…जिसे औरत के शरीर के शिवा कुछ नहीं दीखता. क्यों मेरे दिल में झाँकने की कोशिश नहीं करते तुम.क्यों मेरे शरीर पर ही रुक जाते हो तुम. क्या इसी को प्यार कहते हो तुम. क्या तुम्हें पता भी है किस हाल में हूँ मैं एर कैसे एक-एक दिन जी रही हूँ.मम्मी अंकल की मौत के बाद पूरी तरह बिखर चुकी हूँ. तुम्हारे प्यार ने जीवन में एक उम्मीद की किरण सी दीखाई थी मगर अब सब खत्म सा होता दीख रहा है. ये प्यार बस शरीर तक ही रही गया है…इसे से आगे नहीं तरफ पा रहा है.,” पद्मिनी शूबक्ते हुए सोच रही थी.
राजू पद्मिनी के दिल की मनःस्थिति से बेख़बर चुपचाप पड़ा था आंखें बंद किए. “मैं प्यार करता हूँ आपको और आप इसे शरीर से खेलना समझती हैं. पता नहीं कौन सी दुनिया से हैं आप. ज़रा सी नजदीकी और छेद चढ़ बर्दास्त नहीं आपको. शादी के बाद भी यही सब चलेगा शायद. ये प्यार मुझे बर्बादी की तरफ ले जा रहा है. आपका यौवन मुझे भड़का देता है और मैं आपकी तरफ खींचा चला आता हूँ. बदले में मुझे गालियाँ और तिरस्कार मिलता है आपका. प्यार ये रंग दीखायगा सोचा नहीं था कभी.”
अचानक पद्मिनी ने अपने आँसू पोंछे. उसने मान ही मान कुछ फैसला किया था. वो बिस्तर से उठी और कमरे की लाइट बंद कर दी. कुछ देर बाद वो झीजकते हुए राजू की चटाई के पास आ गयी और उसके पास लेट गयी. राजू को पता तो चल गया था की पद्मिनी उसके पास लेट गयी है आकर पर फिर भी चुपचाप आंखें बंद किए पड़ा रहा.
“राजू नाराज़ रहोगे मुझसे?”
“आपका रोज का यही नाटक है. पहले मुझे कुत्ते की तरह खुद से दूर भगा देती हो फिर खुद मेरे पास आ जाती हो.” राजू ने कहा.
“क्या करूँ तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ. तुमसे दूर नहीं रही सकती. ना ही तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त कर सकती हूँ.”
“कल भी यही कहा था आपने ये सब मज़ाक है और कुछ नहीं.” राजू ने कहा.
“मज़ाक नहीं है ये सच है. तुमसे बहुत नाराज़ हूँ फिर भी यहां तुम्हारे पास आई हूँ क्योंकि तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.” पद्मिनी शूबक्ते हुए बोली.
राजू मान ही मान मुस्करा रहा था ये सब सुन कर. बाहों में भर लेना चाहता था पद्मिनी को इसे मासूम प्यार के लिए पर पता नहीं क्यों पद्मिनी को थोड़ा और सताने का मूंड़ था उसका. “तो क्या कोई अहसान कर रही हो मुझ पर.” राजू ने कहा.
“नहीं अहसान तो खुद पर कर रही हूँ..तुमसे दूर रही कर जी नहीं सकती ना इसलिए अहसान खुद पर कर रही हूँ. तुम पर अहसान क्यों करूँगी…तुम तो जींदगी हो मेरी.” पद्मिनी ने फिर से शूबक्ते हुए कहा.
अब राजू से रहा नहीं गया और उसने बाहों में भर लिया पद्मिनी को. मगर जैसे ही उसने उसे बाहों में लिया वो हैरान रही गया. वो फौरन पद्मिनी से अलग हो गया.
“पद्मिनी ये सब क्या है तुम कपड़े उतार कर क्यों आई हो मेरे पास.”
“पता नहीं क्यों आई हूँ बस आ गयी हूँ किसी तरह. आगे तुम संभाल लो.”
“क्या पागलपन है ये. कहा है कपड़े तुम्हारे?”
“ बिस्तर पर पड़े हैं.”
राजू अंधेरे में बिस्तर की तरफ बढ़ा और वहां से कपड़े उठा कर पद्मिनी के ऊपर फेंक दिए, “पहनो जल्दी वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. तुमने ऐसा करके अपमान किया है मेरे प्यार का. मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगा. तुमने तमाचा मारा है मेरे मुंह पर ये सब करके. यही साबित करना चाहती हो ना की मैं हवस का पुजारी हूँ और तुम सटी सावित्री हो जिसे मैं मजबूर करता हूँ सेक्स के लिए. मान गये आपको. आप तो साइको से भी ज्यादा खतरनाक गेम खेल गयी मेरे साथ. ई हटे यू. आप ना प्यार के लायक हैं और ना शादी के लायक हैं. अब समझ में आया क्यों आपकी पहली शादी नहीं चल पाई. आप रिश्ते निधा ही नहीं सकती.” राजू ने कहा.
पद्मिनी ने ये सब शुंते ही फूट-फूट कर रोने लगी. इतनी ज़ोर से रो रही थी वो की राजू के कान फॅट रहे थे उसका रोना सुन कर.
“ये क्या तमाशा है बंद करो ये नाटक!” राजू ज़ोर से चिल्लाया.
पद्मिनी शूबक्ते हुए उठी और अपने कपड़े पहन कर वापिस वही लेट गयी चटाई पर. राजू पाँव लटका कर बिस्तर पर बैठ गया.
कमरे में एक दम खामोशी छा गयी. पद्मिनी पड़ी-पड़ी सूबक रही थी और राजू अपना सर पकड़ कर बैठा था.
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रोहित हॉस्पिटल पहुँच तो गया मगर शालिनी के कमरे की तरफ जाने से डर रहा था. “पता नहीं बात क्रएंगी या नहीं. एक बार मिल कर अपना पाक्स तो रख दम फिर जो उनकी इतचा होगी देख लेंगी.”
रोहित दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. शालिनी आंखें बंद किए पड़ी थी. रोहित ने उन्हें जगाना सही नहीं समझा और वापिस मूंड़ कर जाने लगा.
“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.
रोहित तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जगह रही हैं.”
“तुम मुझे सोने दोगे तब ना शो पवँगी. कहा थे सुबह से. फोन भी नहीं मिल रहा था तुम्हारा.” शालिनी ने कहा.
“मैडम आपने मुझे सुबह यहां से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आंखों में आँसू लेकर गया था यहां से.”
“जो बात तुम्हें मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”
“मैडम रीमा से प्यार नहीं किया कभी मैंने. हाँ अतचे दोस्त जरूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”
“क्या?” ये बात चौहान ने नहीं बताई मुझे.
“जी हाँ मैडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नहीं जगह पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नहीं. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”
“अगर चौहान राजी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”
“मैडम झूठ नहीं बोलूँगा. अब नहीं कर सकता शादी रीमा से.”
“क्यों नहीं कर सकते?”
“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”
“शायद मुझे पता है और शायद नहीं भी. खैर चोदा. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेन्षन का सुन कर. मैं ड्यूटी जाय्न करते ही कोशिश करूँगी उसे कॅन्सल करवाने की.”
“सस्पेन्षन की आदत हो चुकी है अब.”
“हम भी ऑप्टिमिस्टिक रोहित. सब ठीक हो जाएगा.”
“मैडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे राज खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नहीं है.”
“वेरी गुड. मेरी कहीं भी जरूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”
“थेन्क यू मैडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मान लेकर गया था यहां से. ऐसा लग रहा था जैसे की दुनिया ही उजाड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” रोहित कह कर चल दिया.
“रुको!”
“जी कहिए.”
“कुछ कहना चाहती थी पर चलो चोदा. फिर कभी…”
“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाएं फिरते हैं वो बात मगर कह नहीं पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मौका ही नहीं देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”
“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हें पता भी है?”
“जी हाँ पता है”
“फिर बोलने की क्या जरूरत है. यू कॅन गो नाउ…हहेहहे.” शालिनी ने हंसते हुए कहा.
“एक बार बोल देती तो अतचा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”
“तुम जाते हो की नहीं…मेरे पास कुछ नहीं है कहने को. इस डेठ क्लीयर.”
“जी हाँ सब कुछ क्लीयर है स्प्राइट की तरह.”
“हाहहहाहा…..आआहह” शालिनी खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के जख्म में दर्द होने लगा.
“क्या हुआ मैडम?”
“कुछ नहीं हँसने से पेट का जख्म दर्द करने लगा.”
“मेरे ऊपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अतचा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी खुशियाँ आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुश्कूराती रहें.”
“तुम कुछ भी कर लो मैं वो बोलने वाली नहीं हूँ.”
“यही तो मेरी बदकिशमति है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. शो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिलकुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”
“ऑल थे बेस्ट.” शालिनी ने कहा
रोहित कमरे से बाहर निकला तो शालिनी का डॉक्टर मिल गया उसे.
“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मैडम को.”
“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”
“स्प साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”
“नहीं उनका केस तो डॉक्टर अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. स्प साहिब के खास दोस्त भी हैं. मैडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मैडम के पेट में.”
“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में आतची केर होती है. सभी अतचे डॉक्टर हैं.”
“जी हाँ. अभी अरे प्राउड ऑफ इट.”
अचानक रोहित का फोन बज उठा. फोन अननोन नंबर से था.
“यार कही ये साइको का तो नहीं?”
रोहित ने फोन उठाया.
“हेलो.”
“हेलो इस तीस इंस्पेक्टर रोहित.”
“जी हाँ मैं रोहित ही हूँ बोलिए.”
“दोपहर से आपका फोन ट्राइ कर रहा हूँ. मैं दिल्ली से बोल रहा हूँ इन्स्पेकटर गणेश.”“हाँ बोलिए.”
“देखिए कॉलोनेक की बहन रहती हैं यहां. हमने उनसे पूछताछ की है. कर्नल कहा है उन्हें भी कुछ नहीं पता. उनके अनुसार कर्नल का स्वभाव ऐसा ही है…बिना बताए गायब हो जाता है. देहरादून में जो घर है उसका वो उसने किसी सीसी नाम के आदमी को दिया है शायद.”
“सीसी…पूरा नाम बोलिए ना इसे सीसी ने तो परेशान कर रखा है हमें.”
“देखिए कर्नल की बहन को इतना ही पता था. एक महीना पहले कर्नल ने बताओ बताओ में बोल दिया था उसे की वो अपना देहरादून वाला घर अपने एक फ़्रेंड सीसी को दे रहा है. ज्यादा बात नहीं हुई इसे बारे में उनकी. यही पता चला यहां, सोचा आपको बता दम. मीडिया में छाया हुआ है ये साइको का केस. शायद आपको इसे से कुछ मदद मिले. ऑल थे बेस्ट” गणेश ने फोन काट दिया.
“यार ये तो गोल चक्कर में घूम रहे हैं हम. फिर बात इसे सीसी पर आ कर अटक गयी. पर इतना तो क्लीयर है अब की कर्नल के घर में रहने वाला ही साइको है. उसी का नाम सीसी है. सीसी इस साइको. वेरी फन्नी. ना साइको मिल रहा है ना सीसी. दोनों एक ही हैं तो ये तो होना ही था. देखता हूँ कब तक बचोगे मिस्टर सीसी उर्फ साइको. कुछ ना कुछ तो तुम्हारे बारे में पता चल ही रहा है.”
पद्मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इसे कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राजू की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आंखों से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिश कर रही थी की मुंह से कोई आवाज़ ना हो पर रही-रही कर सूबक ही पड़ती थी.
राजू बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.
“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए जिम्मेदार हो.” राजू ने मान ही मान सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.
प्यार में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक सकता. प्यार वो आग है जीशमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छोटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मान में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता. संभव ही नहीं है ये बात.
राजू का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैंने ये क्या किया? क्या कुछ नहीं कह दिया मैंने पद्मिनी को.” राजू ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्मिनी के पास आ कर बैठ गया.
पद्मिनी अभी भी सूबक रही थी. राजू ने पद्मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्मिनी चुप हो जाओ.”
पद्मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राजू घबरा गया उस यू रोते देख.
“पद्मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हें यू रोते देख कर.” राजू ने भावुक आवाज़ में कहा.
“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”
“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैंने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ कर दो. ”
“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिलकुल लायक नहीं हूँ तुम्हारे प्यार के. अतचा हो की साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नहीं जीना चाहती.”
“पद्मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”
“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नहीं समझते. मेरे दर्द और तकलीफ का अहसास तक नहीं तुम्हें. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिलकुल अकेली जिसे कोई नहीं समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”
“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहा है मेरी बंदूक.” राजू उठ कर कमरे की आलमारी की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.
ये शुंते ही पद्मिनी तर-तर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्मिनी फुआरन उठ खड़ी हुई. राजू अंधेरे में कहा है उसके कुछ नज़र नहीं आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राजू पिस्तौल निकाल चुका था आलमारी से और अपनी कांपती पर रखने वाला था. पद्मिनी बिना वक्त गंवाए राजू की तरफ भागी और बंदूक राजू के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.
पद्मिनी लिपट गयी राजू से और रोते हुए बोली, “तुम्हें नहीं खो सकती राजू…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हें नहीं खो सकती. मेरा कोई नहीं है तुम्हारे शिवा.”
“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मर लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नहीं.”
दोनों एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनों की ही आंखें टपक रही थी.
“राजू मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है राजू…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हाथ जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राजू. इसे सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहां सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के शिवा कुछ और नहीं है.”
“पद्मिनी तुम्हारी कसम कहा कर कहता हूँ मेरा प्यार सिर्फ़ शारीरिक नहीं है. मैं तुम्हारा हर दर्द समझता हूँ.”
“मम्मी- अंकल की मौत के बाद घुट-घुट कर जी रही हूँ मैं. बिलकुल भी मान नहीं लगता मेरा कही भी. रोज उनकी याद किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है. फिर मैं खुद को गुनहगार मानती हूँ. मेरे कारण उन्हें इतनी बुरी मौत मिली. मेरे गम बाँट लिया करो राजू कभी-कभी…सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद रखती हूँ. तुम भी निराश करोगे तो कहा जाऊंगी मैं.”
“तुम्हें मैंने पहले भी बताया है की 7 साल का था जब मेरे पेरेंट्स गुजर गये. खून के आँसू रोया था मैं. मौत का मतलब भी नहीं जानता था तब. जब मुझे बताया गया उनके बारे में तो यही लगा की कही घूमने गये हैं. जानता हूँ तुम्हारे गम को और अतचे से समझता भी हूँ. पर क्या हम इन गामो में ही डूबे रहेंगे. निकलो बाहर पद्मिनी.”
“मैंने अपने पेरेंट्स को दुख के शिवा कुछ नहीं दिया. मेरी शादी बिखर जाने से बहुत दुखी थे वो. पर मेरा यकीन करो राजू मैंने कोशिश की थी रिश्ता निभाने की. पर उनकी हर रोज एक नयी डीमानड होती थी. शर्म आती थी मुझे रोज-रोज अपने अंकल से कुछ माँगते हुए. इतना कुछ लेकर भी उनका पेट नहीं भरता था. मैं सब कुछ छोड कर हमेशा के लिए अपने घर आ गयी. क्या मैंने ये गलत किया था राजू. क्या रिश्ते को हर हाल में निभाना चाहिए. अंकल बहुत नाराज़ हुए थे मुझसे जब मैं सब कुछ छोड कर घर आई थी. कई दिन तक उन्होंने बात तक नहीं की मुझसे. ये सब कुछ तुम्हें बताना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ है दिल में जो तुमसे शेयर करना चाहती हूँ. अगर तुम नहीं शुनोगे, मुझे नहीं समझोगे तो कहा जाऊंगी मैं. अपने मान मंदिर में तुम्हें बैठा चुकी हूँ और किस से उम्मीद करूँ.”
“सॉरी पद्मिनी…ई आम रियली सॉरी फॉर डेठ. मैं सच में बहुत कमीना हूँ. ये बात साबित हो गयी आज.”
पद्मिनी ने राजू के मुंह पर हाथ रख दिया और बोली, “बस खुद को कुछ मत कहो. तुम्हारे खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती मैं. हाँ मैं खुद तुम्हें बहुत कुछ बोल देती हूँ गुस्से में. फिर बाद में बहुत पछताती भी हूँ.”
“अतचा ये बताओ…कपड़े उतार कर क्यों आई थी तुम मेरे पास?”
“मैंने सोचा जब तुम्हें मेरा शरीर ही चाहिए तो समर्पित कर देती हूँ खुद को तुम्हारे आगे. सोच रही थी की शायद उसके बाद हम प्यार में और आगे तरफ पाएँगे. ये शरीर तुम्हारा ही तो है…तुम्हें देने में हर्ज ही क्या है.”
“पद्मिनी हम एक दूसरे को अभी समझ नहीं पाए हैं इसलिए ये बातें हो रही हैं. देखना आगे से कोई भी शिकायत का मौका नहीं दूँगा तुम्हें. तुम्हारे हर दुख में साथ हूँ मैं पद्मिनी. तुम अकेली नहीं हो. तुमने अपने पेरेंट्स को अब खोया है…मैंने तो बचपन में ही खो दिया था. ये दर्द मेरे लिए इतना कामन और नॅचुरल है की तुम्हारे दर्द को कभी समझ ही नहीं पाया. यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी. मुझे माफ कर दो पद्मिनी. आगे से ऐसा नहीं होगा. चलो बिस्तर पर लेट कर आराम से बातें करते हैं.”
“राजू ई लव यू सो मच. मुझे उम्मीद थी की तुम मेरी बात समझोगे. तुम्हारी आंखों में मैंने वो इंसान देखा है जो मेरी हर बात समझता है. तुमसे प्यार यू ही नहीं कर लिया मैंने. एक अतचे इंसान की छवि देखी थी तुम्हारी आंखों में.”
“मैं जितना भी कमीना सही पर बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें. कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए. जितना ख़ूस्स मैं अब हूँ इतना ख़ूस्स जींदगी में कभी नहीं रहा. आंटी अंकल की मौत के बाद अब मैं जीना सीख रहा हूँ वरना तो खुद को यहां वहां घसीट रहा था. तुमने मेरी जींदगी को खूबसूरत बना दिया है पद्मिनी इतना खूबसूरत की मैं पागल हो गया हूँ. इसे पागल पान में तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर बैठा…यकीन मानो हर बात में मेरा प्यार ही था.”
“राजू थोड़ा कन्सर्वेटिव हूँ मैं. कही मेरा ये बिहेवियर तुम्हें मुझसे दूर तो नहीं कर देगा.”
“पागल हो क्या. तुमसे तो किसी हाल में भी दूर नहीं जाने वाला. तुम तो मेरी जान हो” राजू ने पद्मिनी को ज़ोर से जकड़ कर कहा.
“तो थोड़ा कंट्रोल रखोगे ना अब तुम, एट लास्ट जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती.”
“यही पाप मुझसे नहीं होगा पद्मिनी बाकी तुम कुछ भी माँग लो. दीवाना बन गया हूँ तुम्हारा…चाहूं भी तो भी खुद को रोक नहीं सकता.”
“अफ मतलब बात वही की वही रही…”
“बिलकुल नहीं…अब से तुम्हारे दिल की धड़कनों को ध्यान से शुनूँगा. तुम्हारी मृज्नेयनी आंखों में ध्यान से देखूँगा. समझने की कोशिश करूँगा अपनी पद्मिनी को. चेहरे पर कोई भी शिकन नहीं आने दूँगा. आंखों में आँसू आएँगे तो मैं उन्हें अमृत समझ कर पी लूँगा. तुम्हारे दुख और तकलीफ खुद भी खुद मेरी आत्मा तक पहुँच जाएँगे. सब कुछ करूँगा पर मेरा हक़ नहीं छोड सकता. आख़िर आशिक हूँ तुम्हारा तुम्हारे हुस्न से खेलने का हक़ बनता है मेरा…”
“बहुत खूब मेरे दीवाने…तुम तो प्यार की नयी मिशाल कायम करोगे शायद.”
“बिलकुल करूँगा. तुम साथ डोगी तो मिशाल कायम हो ही जाएगी.” राजू ने हंसते हुए कहा.
“फिर तो जंग रहेगी तुम्हारे मेरे बीच.” पद्मिनी ने भी हंसते हुए कहा.
“जंग तो शुरू से चल रही है हमारे बीच इसमें नया क्या है. लेकिन अब और मजा आएगा.”
“चलो चोदा मुझे मैं अपने दुश्मन के गले लग कर क्यों रहूं.”
“क्योंकि प्यार करती हैं आप मुझसे कोई मज़ाक नहीं…जंग में कई बार दुश्मन भी गले मिलते हैं.”
“तुम सच में पागल हो राजू.”
“हाँ तुम्हारे प्यार में पागल हहेहहे…चलो अब शोते हैं.” राजू पद्मिनी को लेकर बिस्तर की तरफ चल दिया.
“मैं भला अपने दुश्मन के साथ क्यों लेटुन.”
“अभी जंग में विराम चल रहा है…साथ लेट सकती हो कोई दिक्कत नहीं है.” राजू ने कहा.
पद्मिनी चेहरे पर प्यारी सी मुश्कान लिए राजू के साथ बिस्तर पर आ गयी. राजू ने लाइट बंद कर दी और पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“कब करोगी मुझसे शादी”
“मैं तो कल कर लूँगी पर डाइवोर्स नहीं हुआ अभी. वो होते ही कर लेंगे हम शादी.”
“वैसे तुमने बहुत बड़ा जोखिम लिया था कपड़े उतार कर मेरे पास आने का.”
“बहुत भावुक हो गयी थी राजू.. सॉरी …दुबारा ऐसा नहीं होगा. मैं भी कम पागल नहीं हूँ तुम्हारे लिए. गुस्सा थी तुमसे बहुत ज्यादा फिर भी तुम्हारे पास आ गयी थी वो भी कपड़े उतार कर.”
“मैं भड़क जाता ना तो पछताती तुम बहुत. आज रात ही कामसूठरा के सारे आसान आजमा लेता तुम्हारे ऊपर फिर तुम्हें पता चलता की मेरे पास कपड़े उतार कर आने का क्या मतलब होता है.”
“डराव मत मुझे तुम वरना शादी नहीं करूँगी तुमसे.”
“मत करना शादी… ये प्यार काफी है मेरे लिए तुम पर हक़ जताने के लिए. तुम्हें मान से पत्नी मान चुका हूँ.”
“अब क्या कहूँ तुम्हें…ई लव यू. लेकिन अपनी जंग जारी रहेगी…शादी से पहले कुछ नहीं हहेहहे.”
“एक पप्पी तो दे दो फिलहाल उसमें तो कोई जंग नहीं है हमारे बीच. कोल्गेट तो कर ही रखा होगा तुमने.”
“हाँ कोल्गेट तो कर रखा है.” बस इतना ही कहा पद्मिनी ने.
राजू आगे बढ़ा और अपने होठों को पद्मिनी के होठों पर टीका दिया. पद्मिनी ने राजू के होठों को अपने होठों में जकड़ने में ज़रा भी देरी नहीं की. ये एक ऐसी किस थी जीशमे प्यार के साथ साथ एक अंडरस्टॅंडिंग भी शामिल थी. दोनों एक प्यारी सी जंग के लिए तैयार थे.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 51
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे शीने में.”
“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सूखने दो.”
राजू दूसरा टोलिया लेकर घुस गया बाथरूम में. वो कोई 10 मिनट में ही नहा कर निकल आया.
जब वो बाहर निकला तो पद्मिनी की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. राजू उसके सुंदर शरीर को ऊपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नहीं पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. राजू तो बस देखता ही रही गया. उसकी सांसें तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसों की रफ्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब पद्मिनी के यौवन की शोभा बढ़ा रहे थे.
“अफ मैं पागल ना हो जाऊं तो क्या करूँ.” राजू ने मान ही मान सोचा.
राजू धीरे से आगे बढ़ा और दोनों हाथों से पद्मिनी के नितंबों को थाम लिया.
“आअहह” पद्मिनी उछाल कर आगे तरफ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” पद्मिनी गुस्से में बोली.
“रोक नहीं पाया खुद को. सॉरी.”
“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अतचा तरीका है तुम्हारा.” पद्मिनी ने कहा.
“हाँ तरीका तो अतचा है हिहिहीही….”
“बदमाश को तुम एक नंबर को.”
“वो तो हूँ” राजू ने हंसते हुए कहा.
पद्मिनी दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”
राजू ने पीछे से आकर पद्मिनी को दबोच लिया अपनी बाहों में और पद्मिनी के गले पर किस करके बोला, “पद्मिनी ई लव यू.”
“ई लव यू टू राजू पर.”
“पर क्या?”
“हम दोनों बिलकुल अलग हैं राजू. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकती.”
“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”
“तुम्हें सब पता है…नाटक मत करो.”
पद्मिनी के इतने नज़दीक आकर राजू का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और पद्मिनी को अपने नितंबों पर बहुत अतचे से फील हो रहा था.
“राजू प्लीज़ हटा लो इसे.”
“क्या हटा लंड. कुछ समझ में नहीं आया.” राजू ने पद्मिनी को और ज़ोर से काश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.
नितंबों पर लिंग की चुवन से पहले ही पद्मिनी के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्स से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.
“बोलिए ना क्या हटा लंड. आप नहीं बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”
पद्मिनी छटपटाने लगी राजू की बाहों में मगर राजू की पकड़ से निकलना आसाआन नहीं था.
“क्या मेरा लंड आपकी गान्ड को परेशान कर रहा है?”
“चुत उप! हाथ जाओ वरना जींदगी भर बात नहीं करूँगी तुमसे.” पद्मिनी चिल्लाई.
राजू तुरंत हाथ गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आंखें बंद करके.
“हाँ अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हें मनाने आना और तुम्हें फिर से मेरे शरीर से खेलने का मौका मिले.ई हटे यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नहीं शुनि कभी मैंने.” पद्मिनी ने कहा.
“अब आपको कभी कुछ नहीं कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” राजू ने कहा.
राजू बिस्तर से उठा और ज़मीन पर एक चटाई बीचा कर उस पर तकिया रख कर लेट गया. पद्मिनी समझ गयी की राजू ने बिस्तर उसके लिए छोड दिया है. पद्मिनी बिस्तर पर बैठ गयी और घुटनों में सर छुपा कर शूबकने लगी.
“मेरी भावनाओं की ज़रा भी कदर नहीं करते तुम…प्यार क्या निभाओगे तुम. जब से प्यार हुआ है क्या तुमने कुछ भी जान-ने की कोशिश की मेरे बारे में. क्या पूछा तुमने कभी की कैसा फील करती हूँ मैं अपने आंटी अंकल के बिना. क्या पूछा तुमने कभी की क्यों मेरी पहली शादी बिखर गयी. नहीं तुम्हें मेरे दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं है. बस मेरा शरीर चाहिए तुम्हें और वो भी तुरंत. थोड़ा सा भी इंतजार नहीं कर सकते. हवस के पुजारी हो तुम…जिसे औरत के शरीर के शिवा कुछ नहीं दीखता. क्यों मेरे दिल में झाँकने की कोशिश नहीं करते तुम.क्यों मेरे शरीर पर ही रुक जाते हो तुम. क्या इसी को प्यार कहते हो तुम. क्या तुम्हें पता भी है किस हाल में हूँ मैं एर कैसे एक-एक दिन जी रही हूँ.मम्मी अंकल की मौत के बाद पूरी तरह बिखर चुकी हूँ. तुम्हारे प्यार ने जीवन में एक उम्मीद की किरण सी दीखाई थी मगर अब सब खत्म सा होता दीख रहा है. ये प्यार बस शरीर तक ही रही गया है…इसे से आगे नहीं तरफ पा रहा है.,” पद्मिनी शूबक्ते हुए सोच रही थी.
राजू पद्मिनी के दिल की मनःस्थिति से बेख़बर चुपचाप पड़ा था आंखें बंद किए. “मैं प्यार करता हूँ आपको और आप इसे शरीर से खेलना समझती हैं. पता नहीं कौन सी दुनिया से हैं आप. ज़रा सी नजदीकी और छेद चढ़ बर्दास्त नहीं आपको. शादी के बाद भी यही सब चलेगा शायद. ये प्यार मुझे बर्बादी की तरफ ले जा रहा है. आपका यौवन मुझे भड़का देता है और मैं आपकी तरफ खींचा चला आता हूँ. बदले में मुझे गालियाँ और तिरस्कार मिलता है आपका. प्यार ये रंग दीखायगा सोचा नहीं था कभी.”
अचानक पद्मिनी ने अपने आँसू पोंछे. उसने मान ही मान कुछ फैसला किया था. वो बिस्तर से उठी और कमरे की लाइट बंद कर दी. कुछ देर बाद वो झीजकते हुए राजू की चटाई के पास आ गयी और उसके पास लेट गयी. राजू को पता तो चल गया था की पद्मिनी उसके पास लेट गयी है आकर पर फिर भी चुपचाप आंखें बंद किए पड़ा रहा.
“राजू नाराज़ रहोगे मुझसे?”
“आपका रोज का यही नाटक है. पहले मुझे कुत्ते की तरह खुद से दूर भगा देती हो फिर खुद मेरे पास आ जाती हो.” राजू ने कहा.
“क्या करूँ तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ. तुमसे दूर नहीं रही सकती. ना ही तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त कर सकती हूँ.”
“कल भी यही कहा था आपने ये सब मज़ाक है और कुछ नहीं.” राजू ने कहा.
“मज़ाक नहीं है ये सच है. तुमसे बहुत नाराज़ हूँ फिर भी यहां तुम्हारे पास आई हूँ क्योंकि तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.” पद्मिनी शूबक्ते हुए बोली.
राजू मान ही मान मुस्करा रहा था ये सब सुन कर. बाहों में भर लेना चाहता था पद्मिनी को इसे मासूम प्यार के लिए पर पता नहीं क्यों पद्मिनी को थोड़ा और सताने का मूंड़ था उसका. “तो क्या कोई अहसान कर रही हो मुझ पर.” राजू ने कहा.
“नहीं अहसान तो खुद पर कर रही हूँ..तुमसे दूर रही कर जी नहीं सकती ना इसलिए अहसान खुद पर कर रही हूँ. तुम पर अहसान क्यों करूँगी…तुम तो जींदगी हो मेरी.” पद्मिनी ने फिर से शूबक्ते हुए कहा.
अब राजू से रहा नहीं गया और उसने बाहों में भर लिया पद्मिनी को. मगर जैसे ही उसने उसे बाहों में लिया वो हैरान रही गया. वो फौरन पद्मिनी से अलग हो गया.
“पद्मिनी ये सब क्या है तुम कपड़े उतार कर क्यों आई हो मेरे पास.”
“पता नहीं क्यों आई हूँ बस आ गयी हूँ किसी तरह. आगे तुम संभाल लो.”
“क्या पागलपन है ये. कहा है कपड़े तुम्हारे?”
“ बिस्तर पर पड़े हैं.”
राजू अंधेरे में बिस्तर की तरफ बढ़ा और वहां से कपड़े उठा कर पद्मिनी के ऊपर फेंक दिए, “पहनो जल्दी वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. तुमने ऐसा करके अपमान किया है मेरे प्यार का. मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगा. तुमने तमाचा मारा है मेरे मुंह पर ये सब करके. यही साबित करना चाहती हो ना की मैं हवस का पुजारी हूँ और तुम सटी सावित्री हो जिसे मैं मजबूर करता हूँ सेक्स के लिए. मान गये आपको. आप तो साइको से भी ज्यादा खतरनाक गेम खेल गयी मेरे साथ. ई हटे यू. आप ना प्यार के लायक हैं और ना शादी के लायक हैं. अब समझ में आया क्यों आपकी पहली शादी नहीं चल पाई. आप रिश्ते निधा ही नहीं सकती.” राजू ने कहा.
पद्मिनी ने ये सब शुंते ही फूट-फूट कर रोने लगी. इतनी ज़ोर से रो रही थी वो की राजू के कान फॅट रहे थे उसका रोना सुन कर.
“ये क्या तमाशा है बंद करो ये नाटक!” राजू ज़ोर से चिल्लाया.
पद्मिनी शूबक्ते हुए उठी और अपने कपड़े पहन कर वापिस वही लेट गयी चटाई पर. राजू पाँव लटका कर बिस्तर पर बैठ गया.
कमरे में एक दम खामोशी छा गयी. पद्मिनी पड़ी-पड़ी सूबक रही थी और राजू अपना सर पकड़ कर बैठा था.
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रोहित हॉस्पिटल पहुँच तो गया मगर शालिनी के कमरे की तरफ जाने से डर रहा था. “पता नहीं बात क्रएंगी या नहीं. एक बार मिल कर अपना पाक्स तो रख दम फिर जो उनकी इतचा होगी देख लेंगी.”
रोहित दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. शालिनी आंखें बंद किए पड़ी थी. रोहित ने उन्हें जगाना सही नहीं समझा और वापिस मूंड़ कर जाने लगा.
“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.
रोहित तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जगह रही हैं.”
“तुम मुझे सोने दोगे तब ना शो पवँगी. कहा थे सुबह से. फोन भी नहीं मिल रहा था तुम्हारा.” शालिनी ने कहा.
“मैडम आपने मुझे सुबह यहां से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आंखों में आँसू लेकर गया था यहां से.”
“जो बात तुम्हें मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”
“मैडम रीमा से प्यार नहीं किया कभी मैंने. हाँ अतचे दोस्त जरूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”
“क्या?” ये बात चौहान ने नहीं बताई मुझे.
“जी हाँ मैडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नहीं जगह पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नहीं. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”
“अगर चौहान राजी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”
“मैडम झूठ नहीं बोलूँगा. अब नहीं कर सकता शादी रीमा से.”
“क्यों नहीं कर सकते?”
“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”
“शायद मुझे पता है और शायद नहीं भी. खैर चोदा. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेन्षन का सुन कर. मैं ड्यूटी जाय्न करते ही कोशिश करूँगी उसे कॅन्सल करवाने की.”
“सस्पेन्षन की आदत हो चुकी है अब.”
“हम भी ऑप्टिमिस्टिक रोहित. सब ठीक हो जाएगा.”
“मैडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे राज खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नहीं है.”
“वेरी गुड. मेरी कहीं भी जरूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”
“थेन्क यू मैडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मान लेकर गया था यहां से. ऐसा लग रहा था जैसे की दुनिया ही उजाड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” रोहित कह कर चल दिया.
“रुको!”
“जी कहिए.”
“कुछ कहना चाहती थी पर चलो चोदा. फिर कभी…”
“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाएं फिरते हैं वो बात मगर कह नहीं पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मौका ही नहीं देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”
“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हें पता भी है?”
“जी हाँ पता है”
“फिर बोलने की क्या जरूरत है. यू कॅन गो नाउ…हहेहहे.” शालिनी ने हंसते हुए कहा.
“एक बार बोल देती तो अतचा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”
“तुम जाते हो की नहीं…मेरे पास कुछ नहीं है कहने को. इस डेठ क्लीयर.”
“जी हाँ सब कुछ क्लीयर है स्प्राइट की तरह.”
“हाहहहाहा…..आआहह” शालिनी खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के जख्म में दर्द होने लगा.
“क्या हुआ मैडम?”
“कुछ नहीं हँसने से पेट का जख्म दर्द करने लगा.”
“मेरे ऊपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अतचा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी खुशियाँ आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुश्कूराती रहें.”
“तुम कुछ भी कर लो मैं वो बोलने वाली नहीं हूँ.”
“यही तो मेरी बदकिशमति है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. शो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिलकुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”
“ऑल थे बेस्ट.” शालिनी ने कहा
रोहित कमरे से बाहर निकला तो शालिनी का डॉक्टर मिल गया उसे.
“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मैडम को.”
“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”
“स्प साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”
“नहीं उनका केस तो डॉक्टर अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. स्प साहिब के खास दोस्त भी हैं. मैडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मैडम के पेट में.”
“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में आतची केर होती है. सभी अतचे डॉक्टर हैं.”
“जी हाँ. अभी अरे प्राउड ऑफ इट.”
अचानक रोहित का फोन बज उठा. फोन अननोन नंबर से था.
“यार कही ये साइको का तो नहीं?”
रोहित ने फोन उठाया.
“हेलो.”
“हेलो इस तीस इंस्पेक्टर रोहित.”
“जी हाँ मैं रोहित ही हूँ बोलिए.”
“दोपहर से आपका फोन ट्राइ कर रहा हूँ. मैं दिल्ली से बोल रहा हूँ इन्स्पेकटर गणेश.”“हाँ बोलिए.”
“देखिए कॉलोनेक की बहन रहती हैं यहां. हमने उनसे पूछताछ की है. कर्नल कहा है उन्हें भी कुछ नहीं पता. उनके अनुसार कर्नल का स्वभाव ऐसा ही है…बिना बताए गायब हो जाता है. देहरादून में जो घर है उसका वो उसने किसी सीसी नाम के आदमी को दिया है शायद.”
“सीसी…पूरा नाम बोलिए ना इसे सीसी ने तो परेशान कर रखा है हमें.”
“देखिए कर्नल की बहन को इतना ही पता था. एक महीना पहले कर्नल ने बताओ बताओ में बोल दिया था उसे की वो अपना देहरादून वाला घर अपने एक फ़्रेंड सीसी को दे रहा है. ज्यादा बात नहीं हुई इसे बारे में उनकी. यही पता चला यहां, सोचा आपको बता दम. मीडिया में छाया हुआ है ये साइको का केस. शायद आपको इसे से कुछ मदद मिले. ऑल थे बेस्ट” गणेश ने फोन काट दिया.
“यार ये तो गोल चक्कर में घूम रहे हैं हम. फिर बात इसे सीसी पर आ कर अटक गयी. पर इतना तो क्लीयर है अब की कर्नल के घर में रहने वाला ही साइको है. उसी का नाम सीसी है. सीसी इस साइको. वेरी फन्नी. ना साइको मिल रहा है ना सीसी. दोनों एक ही हैं तो ये तो होना ही था. देखता हूँ कब तक बचोगे मिस्टर सीसी उर्फ साइको. कुछ ना कुछ तो तुम्हारे बारे में पता चल ही रहा है.”
पद्मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इसे कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राजू की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आंखों से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिश कर रही थी की मुंह से कोई आवाज़ ना हो पर रही-रही कर सूबक ही पड़ती थी.
राजू बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.
“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए जिम्मेदार हो.” राजू ने मान ही मान सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.
प्यार में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक सकता. प्यार वो आग है जीशमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छोटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मान में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता. संभव ही नहीं है ये बात.
राजू का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैंने ये क्या किया? क्या कुछ नहीं कह दिया मैंने पद्मिनी को.” राजू ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्मिनी के पास आ कर बैठ गया.
पद्मिनी अभी भी सूबक रही थी. राजू ने पद्मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्मिनी चुप हो जाओ.”
पद्मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राजू घबरा गया उस यू रोते देख.
“पद्मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हें यू रोते देख कर.” राजू ने भावुक आवाज़ में कहा.
“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”
“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैंने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ कर दो. ”
“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिलकुल लायक नहीं हूँ तुम्हारे प्यार के. अतचा हो की साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नहीं जीना चाहती.”
“पद्मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”
“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नहीं समझते. मेरे दर्द और तकलीफ का अहसास तक नहीं तुम्हें. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिलकुल अकेली जिसे कोई नहीं समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”
“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहा है मेरी बंदूक.” राजू उठ कर कमरे की आलमारी की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.
ये शुंते ही पद्मिनी तर-तर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्मिनी फुआरन उठ खड़ी हुई. राजू अंधेरे में कहा है उसके कुछ नज़र नहीं आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राजू पिस्तौल निकाल चुका था आलमारी से और अपनी कांपती पर रखने वाला था. पद्मिनी बिना वक्त गंवाए राजू की तरफ भागी और बंदूक राजू के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.
पद्मिनी लिपट गयी राजू से और रोते हुए बोली, “तुम्हें नहीं खो सकती राजू…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हें नहीं खो सकती. मेरा कोई नहीं है तुम्हारे शिवा.”
“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मर लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नहीं.”
दोनों एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनों की ही आंखें टपक रही थी.
“राजू मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है राजू…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हाथ जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राजू. इसे सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहां सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के शिवा कुछ और नहीं है.”
“पद्मिनी तुम्हारी कसम कहा कर कहता हूँ मेरा प्यार सिर्फ़ शारीरिक नहीं है. मैं तुम्हारा हर दर्द समझता हूँ.”
“मम्मी- अंकल की मौत के बाद घुट-घुट कर जी रही हूँ मैं. बिलकुल भी मान नहीं लगता मेरा कही भी. रोज उनकी याद किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है. फिर मैं खुद को गुनहगार मानती हूँ. मेरे कारण उन्हें इतनी बुरी मौत मिली. मेरे गम बाँट लिया करो राजू कभी-कभी…सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद रखती हूँ. तुम भी निराश करोगे तो कहा जाऊंगी मैं.”
“तुम्हें मैंने पहले भी बताया है की 7 साल का था जब मेरे पेरेंट्स गुजर गये. खून के आँसू रोया था मैं. मौत का मतलब भी नहीं जानता था तब. जब मुझे बताया गया उनके बारे में तो यही लगा की कही घूमने गये हैं. जानता हूँ तुम्हारे गम को और अतचे से समझता भी हूँ. पर क्या हम इन गामो में ही डूबे रहेंगे. निकलो बाहर पद्मिनी.”
“मैंने अपने पेरेंट्स को दुख के शिवा कुछ नहीं दिया. मेरी शादी बिखर जाने से बहुत दुखी थे वो. पर मेरा यकीन करो राजू मैंने कोशिश की थी रिश्ता निभाने की. पर उनकी हर रोज एक नयी डीमानड होती थी. शर्म आती थी मुझे रोज-रोज अपने अंकल से कुछ माँगते हुए. इतना कुछ लेकर भी उनका पेट नहीं भरता था. मैं सब कुछ छोड कर हमेशा के लिए अपने घर आ गयी. क्या मैंने ये गलत किया था राजू. क्या रिश्ते को हर हाल में निभाना चाहिए. अंकल बहुत नाराज़ हुए थे मुझसे जब मैं सब कुछ छोड कर घर आई थी. कई दिन तक उन्होंने बात तक नहीं की मुझसे. ये सब कुछ तुम्हें बताना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ है दिल में जो तुमसे शेयर करना चाहती हूँ. अगर तुम नहीं शुनोगे, मुझे नहीं समझोगे तो कहा जाऊंगी मैं. अपने मान मंदिर में तुम्हें बैठा चुकी हूँ और किस से उम्मीद करूँ.”
“सॉरी पद्मिनी…ई आम रियली सॉरी फॉर डेठ. मैं सच में बहुत कमीना हूँ. ये बात साबित हो गयी आज.”
पद्मिनी ने राजू के मुंह पर हाथ रख दिया और बोली, “बस खुद को कुछ मत कहो. तुम्हारे खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती मैं. हाँ मैं खुद तुम्हें बहुत कुछ बोल देती हूँ गुस्से में. फिर बाद में बहुत पछताती भी हूँ.”
“अतचा ये बताओ…कपड़े उतार कर क्यों आई थी तुम मेरे पास?”
“मैंने सोचा जब तुम्हें मेरा शरीर ही चाहिए तो समर्पित कर देती हूँ खुद को तुम्हारे आगे. सोच रही थी की शायद उसके बाद हम प्यार में और आगे तरफ पाएँगे. ये शरीर तुम्हारा ही तो है…तुम्हें देने में हर्ज ही क्या है.”
“पद्मिनी हम एक दूसरे को अभी समझ नहीं पाए हैं इसलिए ये बातें हो रही हैं. देखना आगे से कोई भी शिकायत का मौका नहीं दूँगा तुम्हें. तुम्हारे हर दुख में साथ हूँ मैं पद्मिनी. तुम अकेली नहीं हो. तुमने अपने पेरेंट्स को अब खोया है…मैंने तो बचपन में ही खो दिया था. ये दर्द मेरे लिए इतना कामन और नॅचुरल है की तुम्हारे दर्द को कभी समझ ही नहीं पाया. यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी. मुझे माफ कर दो पद्मिनी. आगे से ऐसा नहीं होगा. चलो बिस्तर पर लेट कर आराम से बातें करते हैं.”
“राजू ई लव यू सो मच. मुझे उम्मीद थी की तुम मेरी बात समझोगे. तुम्हारी आंखों में मैंने वो इंसान देखा है जो मेरी हर बात समझता है. तुमसे प्यार यू ही नहीं कर लिया मैंने. एक अतचे इंसान की छवि देखी थी तुम्हारी आंखों में.”
“मैं जितना भी कमीना सही पर बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें. कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए. जितना ख़ूस्स मैं अब हूँ इतना ख़ूस्स जींदगी में कभी नहीं रहा. आंटी अंकल की मौत के बाद अब मैं जीना सीख रहा हूँ वरना तो खुद को यहां वहां घसीट रहा था. तुमने मेरी जींदगी को खूबसूरत बना दिया है पद्मिनी इतना खूबसूरत की मैं पागल हो गया हूँ. इसे पागल पान में तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर बैठा…यकीन मानो हर बात में मेरा प्यार ही था.”
“राजू थोड़ा कन्सर्वेटिव हूँ मैं. कही मेरा ये बिहेवियर तुम्हें मुझसे दूर तो नहीं कर देगा.”
“पागल हो क्या. तुमसे तो किसी हाल में भी दूर नहीं जाने वाला. तुम तो मेरी जान हो” राजू ने पद्मिनी को ज़ोर से जकड़ कर कहा.
“तो थोड़ा कंट्रोल रखोगे ना अब तुम, एट लास्ट जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती.”
“यही पाप मुझसे नहीं होगा पद्मिनी बाकी तुम कुछ भी माँग लो. दीवाना बन गया हूँ तुम्हारा…चाहूं भी तो भी खुद को रोक नहीं सकता.”
“अफ मतलब बात वही की वही रही…”
“बिलकुल नहीं…अब से तुम्हारे दिल की धड़कनों को ध्यान से शुनूँगा. तुम्हारी मृज्नेयनी आंखों में ध्यान से देखूँगा. समझने की कोशिश करूँगा अपनी पद्मिनी को. चेहरे पर कोई भी शिकन नहीं आने दूँगा. आंखों में आँसू आएँगे तो मैं उन्हें अमृत समझ कर पी लूँगा. तुम्हारे दुख और तकलीफ खुद भी खुद मेरी आत्मा तक पहुँच जाएँगे. सब कुछ करूँगा पर मेरा हक़ नहीं छोड सकता. आख़िर आशिक हूँ तुम्हारा तुम्हारे हुस्न से खेलने का हक़ बनता है मेरा…”
“बहुत खूब मेरे दीवाने…तुम तो प्यार की नयी मिशाल कायम करोगे शायद.”
“बिलकुल करूँगा. तुम साथ डोगी तो मिशाल कायम हो ही जाएगी.” राजू ने हंसते हुए कहा.
“फिर तो जंग रहेगी तुम्हारे मेरे बीच.” पद्मिनी ने भी हंसते हुए कहा.
“जंग तो शुरू से चल रही है हमारे बीच इसमें नया क्या है. लेकिन अब और मजा आएगा.”
“चलो चोदा मुझे मैं अपने दुश्मन के गले लग कर क्यों रहूं.”
“क्योंकि प्यार करती हैं आप मुझसे कोई मज़ाक नहीं…जंग में कई बार दुश्मन भी गले मिलते हैं.”
“तुम सच में पागल हो राजू.”
“हाँ तुम्हारे प्यार में पागल हहेहहे…चलो अब शोते हैं.” राजू पद्मिनी को लेकर बिस्तर की तरफ चल दिया.
“मैं भला अपने दुश्मन के साथ क्यों लेटुन.”
“अभी जंग में विराम चल रहा है…साथ लेट सकती हो कोई दिक्कत नहीं है.” राजू ने कहा.
पद्मिनी चेहरे पर प्यारी सी मुश्कान लिए राजू के साथ बिस्तर पर आ गयी. राजू ने लाइट बंद कर दी और पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“कब करोगी मुझसे शादी”
“मैं तो कल कर लूँगी पर डाइवोर्स नहीं हुआ अभी. वो होते ही कर लेंगे हम शादी.”
“वैसे तुमने बहुत बड़ा जोखिम लिया था कपड़े उतार कर मेरे पास आने का.”
“बहुत भावुक हो गयी थी राजू.. सॉरी …दुबारा ऐसा नहीं होगा. मैं भी कम पागल नहीं हूँ तुम्हारे लिए. गुस्सा थी तुमसे बहुत ज्यादा फिर भी तुम्हारे पास आ गयी थी वो भी कपड़े उतार कर.”
“मैं भड़क जाता ना तो पछताती तुम बहुत. आज रात ही कामसूठरा के सारे आसान आजमा लेता तुम्हारे ऊपर फिर तुम्हें पता चलता की मेरे पास कपड़े उतार कर आने का क्या मतलब होता है.”
“डराव मत मुझे तुम वरना शादी नहीं करूँगी तुमसे.”
“मत करना शादी… ये प्यार काफी है मेरे लिए तुम पर हक़ जताने के लिए. तुम्हें मान से पत्नी मान चुका हूँ.”
“अब क्या कहूँ तुम्हें…ई लव यू. लेकिन अपनी जंग जारी रहेगी…शादी से पहले कुछ नहीं हहेहहे.”
“एक पप्पी तो दे दो फिलहाल उसमें तो कोई जंग नहीं है हमारे बीच. कोल्गेट तो कर ही रखा होगा तुमने.”
“हाँ कोल्गेट तो कर रखा है.” बस इतना ही कहा पद्मिनी ने.
राजू आगे बढ़ा और अपने होठों को पद्मिनी के होठों पर टीका दिया. पद्मिनी ने राजू के होठों को अपने होठों में जकड़ने में ज़रा भी देरी नहीं की. ये एक ऐसी किस थी जीशमे प्यार के साथ साथ एक अंडरस्टॅंडिंग भी शामिल थी. दोनों एक प्यारी सी जंग के लिए तैयार थे.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 51