एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
‘मेंसाहब् रात बहुत हो चुकी है आप कब तक रहेंगी यहा‚ राजकुमार ने पूछा.
‘बस काका जा रही हूँ‚ प़ड़्मिनी ने टेबल पर बिखरे कागजॉ को एक फाइल कवर में रखते हुवे कहा.
प़ड़्मिनी ऑफीस के चोकीदार को काका कह कर ही बुलाती थी.
जैसे ही प़ड़्मिनी अपने कॅबिन से बाहर निकली ऑफीस के सन्नाटे को देख कर उसका दर के मारे गला सुख गया.
‘ओह… कितनी देर हो गयी. पर क्या करूँ ये असाइनमेंट भी तो पूरी करनी ज़रूरी थी वरना वो कमीना सेक्शेणा मेरी जान ले लेता कल. भगवान ऐसा बॉस किसी को ना दे‚ प़ड़्मिनी पार्किंग की तरफ तेज़ी से बढ़ती हुई बड़बड़ा रही है.
कार में बैठते ही उसने अपने पापा को फोन लगाया,‚पापा मैं आ रही हूँ. 20 मिनिट में घर पहुँच जवँगी.
प़ड़्मिनी शादी शुदा होते हुवे भी 5 महीने से अपने मायके में थी. कारण बहुत ही दुखद था. उसका पाती सुरेश उसे दहेज के लिए तने देता था. हर रोज उसकी नयी माँग होती थी. माँगे पूरी करते करते प़ड़्मिनी के परिवार वाले तक चुके थे. जब पानी सर से उपर हो गया तो प़ड़्मिनी अपने ससुराल(देल्ही) से मायके(देहरादून) चली आई.
‘उः आज बहुत ठंड है. सदके भी शुन्सान है. मुझे इतनी देर तक ऑफीस नही रुकना चाहिए था.‚
रात के 10:30 बाज रहे थे. सर्दी में जन्वरी के महीने में इसे वक्त सभी लोग अपने-अपने घरो में रज़ाई में डुबक जाते हैं.
पहली बार प़ड़्मिनी इतनी देर तक घर से बाहर थी. कार चलाते वक्त उसका दिल धक-धक कर रहा था. जो रास्ते दिन में जाने पहचाने लगते थे वो रात को किसी खौफनाक खंदार से कम नही लग रहे थे.
प़ड़्मिनी के हाथ स्टेआरिंग पर काँप रहे थे.‚ऑल इस वाले…ऑल इस वाले‚ वो बार बार दोहरा रही थी.
अचानक उसे सड़क पर एक साया दीखाई दिया. प़ड़्मिनी ने पहले तो राहत की साँस ली की चलो सुनसांसड़क पर उसे कोई तो दिखाई दिया. पर अचानक उसकी राहत घबराहट में बदल गयी. वो साय बिल्कुल सड़क के बीच आ गया था और हाथ हिला कर गाड़ी रोकने का इशारा कर रहा था.
प़ड़्मिनी को समझ नही आया की क्या करे. जब वो उष साए के पास पहुँची तो पाया की एक कोई 35-36 साल का हटता कटता आदमी उसे कार रोकने का इशारा कर रहा था.
प़ड़्मिनी को समझ नही आ रहा थी की क्या करे क्या ना करे. पर वो शाकस बिल्कुल उसकी कार के आगे आ गया था. ना चाहते हुवे भी प़ड़्मिनी को ब्रेक लगाने पड़े.
जैसी ही कार रुकी वो आदमी प़ड़्मिनी के कार को ज़ोर-ज़ोर से ठप-थापाने लगा. वो बहुत घबराया हुवा लग रहा था.
प़ड़्मिनी को भी उसके चेहरे पर दर की शिकन दीखाई दे रही थी. प़ड़्मिनी ने अपनी विंडो का शीसा थोड़ा नीचे सरकया और पूछा, “क्या बात है, पागल हो क्या तुम.”
“मेडम प्लीज़ मुझे लिफ्ट दे दीजिए. मेरी जान को ख़तरा है. कोई मुझे मारना चाहता है,”
“मेरे पास ये फालतू बकवास सुनने का वक्त नही है,” प़ड़्मिनी के मूह से ये शब्द निकले ही थे की उष आदमी की छींख चारो तरफ गूंजने लगी.
एक नकाब पॉश साया उष आदमी को पीछे से लगातार चाकू घोंपे जर आहा था.
“ओह गोद…” प़ड़्मिनी का पूरा शरीर ये दृश्या देख कर तर-तर काँपने लगा.”
वो इतना दर गयी की कार को रेस देने की बजाए ब्रेक को दबाती रही. उसे लगा की कार स्टार्ट नही होगी. वो कार से निकल कर फॉरन उष साए से ऑपोसिट दिसा में भागी.
जो साया उष आदमी को मार रहा था फुर्ती से आगे बढ़ा और प़ड़्मिनी को दबोच लिया, “च…चओडो मुझे…मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.”
बिगाड़ा तो उष आदमी ने भी मेरा कुछ नही था.
“फिर…फिर… तुमने उसे क्यों मारा.”
“ई जस्ट लीके किल्लिंग पीपल.”
“ओह गोद क्या तुम्ही हो वो साएको सीरियल किल्लर.”
“बिल्कुल मैं ही हूँ वो…आओ तुम्हे जंगल में ले जाकर आराम से काटता हूँ. तेरे जैसी सुन्दर पड़ी को मारने में और मज़ा आएगा.”
“बचाओ…” इसे से ज़्यादा प़ड़्मिनी छील्ला नही सकी. क्योंकि उस साए ने उसका मूह दबोच लिया था.”
“हे भगवान मैं किश मुसीबत में फँस गयी. इसे प्ष्यची किल्लर का अगला शिकार मैं बनूँगी मैने सोचा भी नही था. काश दरिंदे का चेहरा देख पाती”
‘बस काका जा रही हूँ‚ प़ड़्मिनी ने टेबल पर बिखरे कागजॉ को एक फाइल कवर में रखते हुवे कहा.
प़ड़्मिनी ऑफीस के चोकीदार को काका कह कर ही बुलाती थी.
जैसे ही प़ड़्मिनी अपने कॅबिन से बाहर निकली ऑफीस के सन्नाटे को देख कर उसका दर के मारे गला सुख गया.
‘ओह… कितनी देर हो गयी. पर क्या करूँ ये असाइनमेंट भी तो पूरी करनी ज़रूरी थी वरना वो कमीना सेक्शेणा मेरी जान ले लेता कल. भगवान ऐसा बॉस किसी को ना दे‚ प़ड़्मिनी पार्किंग की तरफ तेज़ी से बढ़ती हुई बड़बड़ा रही है.
कार में बैठते ही उसने अपने पापा को फोन लगाया,‚पापा मैं आ रही हूँ. 20 मिनिट में घर पहुँच जवँगी.
प़ड़्मिनी शादी शुदा होते हुवे भी 5 महीने से अपने मायके में थी. कारण बहुत ही दुखद था. उसका पाती सुरेश उसे दहेज के लिए तने देता था. हर रोज उसकी नयी माँग होती थी. माँगे पूरी करते करते प़ड़्मिनी के परिवार वाले तक चुके थे. जब पानी सर से उपर हो गया तो प़ड़्मिनी अपने ससुराल(देल्ही) से मायके(देहरादून) चली आई.
‘उः आज बहुत ठंड है. सदके भी शुन्सान है. मुझे इतनी देर तक ऑफीस नही रुकना चाहिए था.‚
रात के 10:30 बाज रहे थे. सर्दी में जन्वरी के महीने में इसे वक्त सभी लोग अपने-अपने घरो में रज़ाई में डुबक जाते हैं.
पहली बार प़ड़्मिनी इतनी देर तक घर से बाहर थी. कार चलाते वक्त उसका दिल धक-धक कर रहा था. जो रास्ते दिन में जाने पहचाने लगते थे वो रात को किसी खौफनाक खंदार से कम नही लग रहे थे.
प़ड़्मिनी के हाथ स्टेआरिंग पर काँप रहे थे.‚ऑल इस वाले…ऑल इस वाले‚ वो बार बार दोहरा रही थी.
अचानक उसे सड़क पर एक साया दीखाई दिया. प़ड़्मिनी ने पहले तो राहत की साँस ली की चलो सुनसांसड़क पर उसे कोई तो दिखाई दिया. पर अचानक उसकी राहत घबराहट में बदल गयी. वो साय बिल्कुल सड़क के बीच आ गया था और हाथ हिला कर गाड़ी रोकने का इशारा कर रहा था.
प़ड़्मिनी को समझ नही आया की क्या करे. जब वो उष साए के पास पहुँची तो पाया की एक कोई 35-36 साल का हटता कटता आदमी उसे कार रोकने का इशारा कर रहा था.
प़ड़्मिनी को समझ नही आ रहा थी की क्या करे क्या ना करे. पर वो शाकस बिल्कुल उसकी कार के आगे आ गया था. ना चाहते हुवे भी प़ड़्मिनी को ब्रेक लगाने पड़े.
जैसी ही कार रुकी वो आदमी प़ड़्मिनी के कार को ज़ोर-ज़ोर से ठप-थापाने लगा. वो बहुत घबराया हुवा लग रहा था.
प़ड़्मिनी को भी उसके चेहरे पर दर की शिकन दीखाई दे रही थी. प़ड़्मिनी ने अपनी विंडो का शीसा थोड़ा नीचे सरकया और पूछा, “क्या बात है, पागल हो क्या तुम.”
“मेडम प्लीज़ मुझे लिफ्ट दे दीजिए. मेरी जान को ख़तरा है. कोई मुझे मारना चाहता है,”
“मेरे पास ये फालतू बकवास सुनने का वक्त नही है,” प़ड़्मिनी के मूह से ये शब्द निकले ही थे की उष आदमी की छींख चारो तरफ गूंजने लगी.
एक नकाब पॉश साया उष आदमी को पीछे से लगातार चाकू घोंपे जर आहा था.
“ओह गोद…” प़ड़्मिनी का पूरा शरीर ये दृश्या देख कर तर-तर काँपने लगा.”
वो इतना दर गयी की कार को रेस देने की बजाए ब्रेक को दबाती रही. उसे लगा की कार स्टार्ट नही होगी. वो कार से निकल कर फॉरन उष साए से ऑपोसिट दिसा में भागी.
जो साया उष आदमी को मार रहा था फुर्ती से आगे बढ़ा और प़ड़्मिनी को दबोच लिया, “च…चओडो मुझे…मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.”
बिगाड़ा तो उष आदमी ने भी मेरा कुछ नही था.
“फिर…फिर… तुमने उसे क्यों मारा.”
“ई जस्ट लीके किल्लिंग पीपल.”
“ओह गोद क्या तुम्ही हो वो साएको सीरियल किल्लर.”
“बिल्कुल मैं ही हूँ वो…आओ तुम्हे जंगल में ले जाकर आराम से काटता हूँ. तेरे जैसी सुन्दर पड़ी को मारने में और मज़ा आएगा.”
“बचाओ…” इसे से ज़्यादा प़ड़्मिनी छील्ला नही सकी. क्योंकि उस साए ने उसका मूह दबोच लिया था.”
“हे भगवान मैं किश मुसीबत में फँस गयी. इसे प्ष्यची किल्लर का अगला शिकार मैं बनूँगी मैने सोचा भी नही था. काश दरिंदे का चेहरा देख पाती”
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
पीछले 2 महीनो में चार मर्डर हो चुके थे. उनमे से 3 आदमी थे और एक कॉलेज गर्ल. पूरे देहरादून में लोग ख़ौफ़ में जी रहे थे. उशके पापा उसे रोज कहते थे की कभी शाम 6 बजे से लाते मत होना. प़ड़्मिनी भी इसे घतना से घबराई हुई थी पर काम में बिज़ी होने के कारण उसे वक्त का ध्यान ही नही रहा.
जंगल की गहराई में ले जा का उष साए ने प़ड़्मिनी के मूह से अपना हाथ हटाया और बोला,”बताओ पहले कहा घुसओन ये तेज धार चाकू.”
“प्लीज़ मुझे जाने दो. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मेरे पर्स में जिट्नी पैसे हैं रख लो. मेरी कार भी रख लो…मुझे मत मारो प्लीज़.”
“वो सब तुम रखो मुझे वो सब नही चाहिए. मुझे तो बस तुम्हे मार कर तस्सल्ली मिलेगी. वैसे तुम्हारे पास कुछ और देने को हो तो बताओ.”
“प़ड़्मिनी समझ रही थी की कुछ और से उसका मतलब क्या है. मेरे पास इसे वक्त कुछ और नही है प्लीज़ मुझे जाने दो”
“अब तो यहा से तुम्हारी लाश ही जाएगी फिर,” वो चाकू को उसके गले पर रख कर बोला.
“रूको अगर चाहो तो मैं ब्लो जॉब दे सकती हूँ”
“वो क्या होता है.”
“ब…ब…ब्लो जॉब मतलब ब्लो जॉब,” प़ड़्मिनी ने हकलाते हुवे कहा.
“हन पर इसमें करते क्या हैं. समझाओ तो सही तुम्हारा पेरपोसल समझ में आया तो ही बात आगे बढ़ेगी वरना में तुम्हे कातने को मारा जर आहा हूँ. मेरा मज़ा खराब मत करो.”
प़ड़्मिनी से कुछ कहे नही बन रहा था. उसे समझ नही आ रहा था की वो इसे दरिंदे को कैसे समझाए. वो बस जींदा रहना चाहती थी इश्लीए उसने ये पेरपोसल रखा था. “क्या गारंटी है की ये साएको वो करने पर भी मुझे जींदा जाने देगा. इशे तो लोगो को मारने में मज़ा आता है.”
“अरे क्या सोच रही हो. कुछ बोलॉगी की नही या काट डालूं अभी के अभी.”
“देखो मुझे उसका मतलब नही पता जो करना है करो.”
“अरे समझाओ तो सही. मैं वादा कराता हंक ई अगर मुझे पसंद आया तो मैं तुम्हे जाने दूँगा.”
“तुम झुत बोल रहे हो. तुम्हारा इन सब बातो में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम बस मुझसे खेल रहे हो. मुझे सब पता है उष कॉलेज गर्ल को तुमने बिना कुछ किए मारा था.”
“कोन सी कॉलेज गर्ल.”
जंगल की गहराई में ले जा का उष साए ने प़ड़्मिनी के मूह से अपना हाथ हटाया और बोला,”बताओ पहले कहा घुसओन ये तेज धार चाकू.”
“प्लीज़ मुझे जाने दो. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मेरे पर्स में जिट्नी पैसे हैं रख लो. मेरी कार भी रख लो…मुझे मत मारो प्लीज़.”
“वो सब तुम रखो मुझे वो सब नही चाहिए. मुझे तो बस तुम्हे मार कर तस्सल्ली मिलेगी. वैसे तुम्हारे पास कुछ और देने को हो तो बताओ.”
“प़ड़्मिनी समझ रही थी की कुछ और से उसका मतलब क्या है. मेरे पास इसे वक्त कुछ और नही है प्लीज़ मुझे जाने दो”
“अब तो यहा से तुम्हारी लाश ही जाएगी फिर,” वो चाकू को उसके गले पर रख कर बोला.
“रूको अगर चाहो तो मैं ब्लो जॉब दे सकती हूँ”
“वो क्या होता है.”
“ब…ब…ब्लो जॉब मतलब ब्लो जॉब,” प़ड़्मिनी ने हकलाते हुवे कहा.
“हन पर इसमें करते क्या हैं. समझाओ तो सही तुम्हारा पेरपोसल समझ में आया तो ही बात आगे बढ़ेगी वरना में तुम्हे कातने को मारा जर आहा हूँ. मेरा मज़ा खराब मत करो.”
प़ड़्मिनी से कुछ कहे नही बन रहा था. उसे समझ नही आ रहा था की वो इसे दरिंदे को कैसे समझाए. वो बस जींदा रहना चाहती थी इश्लीए उसने ये पेरपोसल रखा था. “क्या गारंटी है की ये साएको वो करने पर भी मुझे जींदा जाने देगा. इशे तो लोगो को मारने में मज़ा आता है.”
“अरे क्या सोच रही हो. कुछ बोलॉगी की नही या काट डालूं अभी के अभी.”
“देखो मुझे उसका मतलब नही पता जो करना है करो.”
“अरे समझाओ तो सही. मैं वादा कराता हंक ई अगर मुझे पसंद आया तो मैं तुम्हे जाने दूँगा.”
“तुम झुत बोल रहे हो. तुम्हारा इन सब बातो में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम बस मुझसे खेल रहे हो. मुझे सब पता है उष कॉलेज गर्ल को तुमने बिना कुछ किए मारा था.”
“कोन सी कॉलेज गर्ल.”
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“अछा तो तुम लोगो को मार-मार कर भूल भी जाते हो. वही जिसको मार कर तुमने बस स्टॅंड के पीछे फेंक दिया था.”
“अछा वो…उसने ऐसा पेरपोसल रखा होता तो हो सकता है आज वो जींदा होती.”
“अछा क्या कपड़े पहने थे उष लड़की ने उष दिन. जीश दिन तुमने उसे मारा था.” प़ड़्मिनी को शक हो रहा था की ये नकाब पॉश वही साएको किल्लर है की नही.
“देखो में यहा तुम्हे मारने लाया हूँ तुम्हारे साथ कोई क़ुईज़े में हिस्सा लेने नही. बहुत हो चक्का लगता है मुझे अब तुम्हे ख़त्म करना ही होगा.” उसने ये कहते ही चाकू प़ड़्मिनी के गले पर रख दिया.
“रूको…”
“क्या है अब. मुझे कुछ नाहू सुन-ना. अगर ब्लो जॉब का मतलब समझावगी तो ही रुकुंगा वरना तुम गयी काम से.”
“अछा चाकू तो गले से हटाओ.”
“हन ये लो बोलो अब.”
“तुम सब जानते हो है ना…” प़ड़्मिनी ने दबी आवाज़ में कहा.
‘देखो मेरे पास ज़्यादा बकवास करने का वक्त नही है. तुम बताती हो या नही या फिर उष आदमी की तरह तुम्हे भी मार डालूं‚
‘बताती हूँ, मुझे थोड़ा वक्त तो दो‚
‘जल्दी बोलो वरना फिर कभी नही बोल पावगी‚
‘ब्लो जॉब मतलब की मूह में उसे रख कर सकिंग करना‚
‘ये उसे का क्या मतलब है सॉफ-सॉफ बताओ‚
‘इश् से ज़्यादा मैं नही जानती‚
‘चल ठीक है जाने दे शुरु कर ये तेरी ब्लो जॉब‚
‘क्या गारंटी है की ये सब करने के बाद तुम मुझे मारोगे नही‚
‘किया ना वादा तुझ से मैने…चल अब जल्दी कर‚
‘उशे बाहर तो निकालो‚
‘तुम खुद निकालो…‚
‘खुद निकाल कर दो वरना मैं नही करूँगी‚
‘ऐसा है तो तुम्हे जिंदा रखने का क्या फ़ायडा. अभी काट डालता हूँ तुम्हे‚ उसने प़ड़्मिनी के गले पर चाकू रख कर कहा.
‘रूको निकालती हूँ‚ प़ड़्मिनी ने दबी आवाज़ में कहा
प़ड़्मिनी के काँपते हाथ उष नकाब पॉश साए की पेंट की ज़िप की तरफ बढ़े.
उसने धीरे से ज़िप खोलनी शुरु की. पर अभी वो थोड़ी सी ही खुली थी की वो अटक गयी.
‘ये अटक गयी है…मुझसे नही खुल रही‚
‘तोड़ा ज़ोर लगाओ खुल जाएगी‚
“अछा वो…उसने ऐसा पेरपोसल रखा होता तो हो सकता है आज वो जींदा होती.”
“अछा क्या कपड़े पहने थे उष लड़की ने उष दिन. जीश दिन तुमने उसे मारा था.” प़ड़्मिनी को शक हो रहा था की ये नकाब पॉश वही साएको किल्लर है की नही.
“देखो में यहा तुम्हे मारने लाया हूँ तुम्हारे साथ कोई क़ुईज़े में हिस्सा लेने नही. बहुत हो चक्का लगता है मुझे अब तुम्हे ख़त्म करना ही होगा.” उसने ये कहते ही चाकू प़ड़्मिनी के गले पर रख दिया.
“रूको…”
“क्या है अब. मुझे कुछ नाहू सुन-ना. अगर ब्लो जॉब का मतलब समझावगी तो ही रुकुंगा वरना तुम गयी काम से.”
“अछा चाकू तो गले से हटाओ.”
“हन ये लो बोलो अब.”
“तुम सब जानते हो है ना…” प़ड़्मिनी ने दबी आवाज़ में कहा.
‘देखो मेरे पास ज़्यादा बकवास करने का वक्त नही है. तुम बताती हो या नही या फिर उष आदमी की तरह तुम्हे भी मार डालूं‚
‘बताती हूँ, मुझे थोड़ा वक्त तो दो‚
‘जल्दी बोलो वरना फिर कभी नही बोल पावगी‚
‘ब्लो जॉब मतलब की मूह में उसे रख कर सकिंग करना‚
‘ये उसे का क्या मतलब है सॉफ-सॉफ बताओ‚
‘इश् से ज़्यादा मैं नही जानती‚
‘चल ठीक है जाने दे शुरु कर ये तेरी ब्लो जॉब‚
‘क्या गारंटी है की ये सब करने के बाद तुम मुझे मारोगे नही‚
‘किया ना वादा तुझ से मैने…चल अब जल्दी कर‚
‘उशे बाहर तो निकालो‚
‘तुम खुद निकालो…‚
‘खुद निकाल कर दो वरना मैं नही करूँगी‚
‘ऐसा है तो तुम्हे जिंदा रखने का क्या फ़ायडा. अभी काट डालता हूँ तुम्हे‚ उसने प़ड़्मिनी के गले पर चाकू रख कर कहा.
‘रूको निकालती हूँ‚ प़ड़्मिनी ने दबी आवाज़ में कहा
प़ड़्मिनी के काँपते हाथ उष नकाब पॉश साए की पेंट की ज़िप की तरफ बढ़े.
उसने धीरे से ज़िप खोलनी शुरु की. पर अभी वो थोड़ी सी ही खुली थी की वो अटक गयी.
‘ये अटक गयी है…मुझसे नही खुल रही‚
‘तोड़ा ज़ोर लगाओ खुल जाएगी‚