Re: मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
Posted: 27 Sep 2015 10:41
हम जल्दी जल्दी लाषो का मुआीना करने लगे. बदबू तेज़ से और तेज़ होती जा रही थी. उसमे से कितने लाशें तो जमाने के बावजूद सड़ने लगी थी.
“नेहा…यह वाली लाश ठीक रहेगी.” मैने नेहा को एक बूढ़े मरियल आदमी की सदी हुई लाश नेहा को दिखाई.
“ईएववववव……यक!!!….इस बूढ़े के लाश पे मैं कुछ नही सीखूँगी…” नेहा ने मूह बनाते हुए कहा.
अरे अब लाश की चीड़ फाड़ मे कौन सी चाय्स होता है भला. खैर मैं और लाषो के चहे से सफेद कपड़ा उठा उठा के देखने लगा.
“यह वाली कैसी रहेगी…” मैने नेहा को एक अच्च्ची हालत मे न्यू एअर हुई लाश दिखाई. वो सबसे अलग थलग न्यू एअर हुई थी.
“यह तो किसी बच्ची की लाश है…इसकी उमर कोई दस बारह साल की होगी.” नेहा ने अपना मास्क थोड़ा अड्जस्ट करते हुए कहा.
“तो चलो इस लड़की की चीड़ फाड़ करते है…” मैने कहते हू ग्लव्स पहना और अपने जेब से सिसर्स और मेडिकल नाइफ निकल ली.
“पर यह तो एक बच्ची है….” नेहा ने बोला.
“पर मारी हुई….” मैने कहा.
“फिर भी इंसानियत के नाते…” उसने बोला तो मैने उसको घूर के देखा…वो चुप हो गयी, “ठीक है बाबा चलो इसी की चीड़ फाड़ करते है…” उसने आख़िरकार कहा.
मैने सिसर्स से लाश की छाती फाड़ते हुए नेहा को अंदर फेफड़े और डिल दिखाया. जो जो मुझे प्रोफेसर ने सिखाया था वैसे ही मैं नेहा को बोलने लगा.
नेहा की तो सिट्टी पिटी गुम थी. लाश को चीराते देख उसको उल्टी आने लगी.
“चलो अब तुम लाश का पेट फाड़ के उसकी ‘विसरा’ भर निकालो…मई ज़रा अपना हाथ धो कर आता हू…” मैने उसे अपने खून से साने हाथ को दिखाया.
“अरे कहा जाओगे हाथ ढोने…?” नेहा ने अचानक से पूछा.
“अरे यार बस बाहर नाल लगा है वही से धो कर…तुम जल्दी अपना काम करो, बहुत रात हो गयी है.”
मई बाहर आ गया और नाल के पास जा कर अपने हाथ ढोने लगा. साला मेडिकल लाइन मे यही डिकाट है, पर जब इस लाइन मे आ ही गये है तो अपना डिल मजबूत करना ही पड़ता है. इसमे आपको ऐसे ऐसे काम करने पड़ेंगे जो आपने कभी सोचा भी नही हो.
खैर मैं बस अपने ग्लव्स सॉफ कर ही रहा था तभीइ….
“ईईएईईईईईईईईईईईईई……………………..” अंदर से नेहा की तेज़ चीख सुनाई दी.
मई भाग के अंदर पहुचा, “क्या…क्या हुआ नेहा…चिल्लाई क्यू तुम ?”
“इस…इस..ला..लाश ने मेरा हाथ पकड़ लिया था…”
मई नेहा की बात सुन कर भौचक्का रह गया.
“नेहा…यह वाली लाश ठीक रहेगी.” मैने नेहा को एक बूढ़े मरियल आदमी की सदी हुई लाश नेहा को दिखाई.
“ईएववववव……यक!!!….इस बूढ़े के लाश पे मैं कुछ नही सीखूँगी…” नेहा ने मूह बनाते हुए कहा.
अरे अब लाश की चीड़ फाड़ मे कौन सी चाय्स होता है भला. खैर मैं और लाषो के चहे से सफेद कपड़ा उठा उठा के देखने लगा.
“यह वाली कैसी रहेगी…” मैने नेहा को एक अच्च्ची हालत मे न्यू एअर हुई लाश दिखाई. वो सबसे अलग थलग न्यू एअर हुई थी.
“यह तो किसी बच्ची की लाश है…इसकी उमर कोई दस बारह साल की होगी.” नेहा ने अपना मास्क थोड़ा अड्जस्ट करते हुए कहा.
“तो चलो इस लड़की की चीड़ फाड़ करते है…” मैने कहते हू ग्लव्स पहना और अपने जेब से सिसर्स और मेडिकल नाइफ निकल ली.
“पर यह तो एक बच्ची है….” नेहा ने बोला.
“पर मारी हुई….” मैने कहा.
“फिर भी इंसानियत के नाते…” उसने बोला तो मैने उसको घूर के देखा…वो चुप हो गयी, “ठीक है बाबा चलो इसी की चीड़ फाड़ करते है…” उसने आख़िरकार कहा.
मैने सिसर्स से लाश की छाती फाड़ते हुए नेहा को अंदर फेफड़े और डिल दिखाया. जो जो मुझे प्रोफेसर ने सिखाया था वैसे ही मैं नेहा को बोलने लगा.
नेहा की तो सिट्टी पिटी गुम थी. लाश को चीराते देख उसको उल्टी आने लगी.
“चलो अब तुम लाश का पेट फाड़ के उसकी ‘विसरा’ भर निकालो…मई ज़रा अपना हाथ धो कर आता हू…” मैने उसे अपने खून से साने हाथ को दिखाया.
“अरे कहा जाओगे हाथ ढोने…?” नेहा ने अचानक से पूछा.
“अरे यार बस बाहर नाल लगा है वही से धो कर…तुम जल्दी अपना काम करो, बहुत रात हो गयी है.”
मई बाहर आ गया और नाल के पास जा कर अपने हाथ ढोने लगा. साला मेडिकल लाइन मे यही डिकाट है, पर जब इस लाइन मे आ ही गये है तो अपना डिल मजबूत करना ही पड़ता है. इसमे आपको ऐसे ऐसे काम करने पड़ेंगे जो आपने कभी सोचा भी नही हो.
खैर मैं बस अपने ग्लव्स सॉफ कर ही रहा था तभीइ….
“ईईएईईईईईईईईईईईईई……………………..” अंदर से नेहा की तेज़ चीख सुनाई दी.
मई भाग के अंदर पहुचा, “क्या…क्या हुआ नेहा…चिल्लाई क्यू तुम ?”
“इस…इस..ला..लाश ने मेरा हाथ पकड़ लिया था…”
मई नेहा की बात सुन कर भौचक्का रह गया.