Re: गुनहगार – Hindi Sex thriller Novel
Posted: 29 Sep 2015 10:54
हमारे दरमियाँ लरैईिओं का सिलसला अब ऐक आम बात बन गयी थोर रोज़ किसी ना किसी बात पे हमारे लरआई होती थी और अब छोटी छोटी लरायाँ बड़ी लराइयों मैं बदलती जा रही देन. और फिर ऐक ऐसा वक़ीया हुवा जिस ने मेरे ज़िंदगी मैं सब कुछ बदल दया, मेरे भरपूर मेहनत का मुझे ये सिला मिला के आख़िर रोहित ओबेरोई ने मुझे वो ऑफर कर दी जिस का मैं कब से एन्ताज़ार कर रहा था उस ने मुझे कहा के अगर मैं उसके केनेडियन प्रॉजेक्ट को संभाल लोन तू उसे बुहुत खुशी होगी और मेरे लाइ एस से बड़ी बात क्या हो सकती थी मैं उन दिनों कॅनडा मैं रोहित ओबेरोई के साथ एसए सिलसाले मैं बात चीत करने आया हुवा था जब मुझे संजना की कॉल आई के जिस मैं उस ने मुझे बताया के वो प्रेग्नेंट हो गयी हा, मेरे कॅनडा आने से पहले उसकी तबीयत तू काफ़ी खराब थी लायकेन मुझे अंदाज़ा नही था के उसकी तबीयत एस वजा से भी खराब हो सकती हा, मेरे लाइ ये ऐक खुशी की खबर थी और पहली बार मैं मेरा दिल चाह रहा था के मैं सब कम चोर कर वापस लंडन जायों संजना के पास लायकेन मैं ऐसा कर ना सका मुझे अभी कॅनडा मैं बुहुत सा काम करना था और मैं ना चाहते हुवे भी वापस लंडन ना जा सका. मेरे वापस जाने पर एस बारी संजने ने मुझ से लरआई नही की वो बुहुत खुश थी के वो मन बनाने वाली हा और मैने एस बात का शूकर क्या लायकेन अब उसे पहले से ज़्यादा मेरे ज़रूरात थी, ऐक तरफ तू मैं उसके प्रेग्नेंट होने पे खुश था लायकेन दूसरी तरफ मुझे एस बात की परेशानी थी के एस समय जब मैं ऐक तरफ अपनी जॉब चोर रहा हों और दूसरी तरफ रोहित ओबेरोई के प्रॉजेक्ट के सिलसाले मैं काम का दबयो एस सब मैं संजना के लाइ वक़्त निकलना बुहुत मुश्किल था. मैने जॉब से रिज़ाइन कर दया था लायकेन मुझे वहाँ पे अपना काम पूरा करना था मैं अब ऑफीस से दायर से आने लगा क्यूँ की मैं वहाँ पे जल्द से जाड़ल अपना काम ख़त्म करना चाह रहा था और मेरे पास संजना के लाइ वक़्त और भी कम हो गया धीरे धीरे सनजान ने भी मुझ से शिकायत करना कम कर दी थी. रोहित ओबेरोई के मेरे लाइ पसंद बर्हती जा रही थी अब वो हर काम मैं मुझे अपने साथ रखता और अब खुले लफ़्ज़ों मैं मेरे लाइ अपनी पसंद का ेज़ार कराता और मेरे लाइ उस समय रोहित ओबेरोई को खुश करने से ज़्यादा ज़रूरी काम और कोई ना था. और फिर वो सब कुछ हुवा जिस का शायद मैने भी नही सोचा था, मेरे और संजना के लरायाँ तू पहली भी होते रहे देन लायकेन जो उस दिन हुवा वो हमारे ज़िंदगी को हमेशा के लाइ बदल गया. वो भी उन काए दिनों के तरहन मैं से ऐक दिन था जब मैं ऑफीस से दायर से काम ख़त्म कर के वापस फ्लॅट आया तू मुझे अपने फ्लॅट का दरवाज़ा खुला मिला मैं काफ़ी हैरान हुवा क्यूँ की संजना ने ऐसे लापरवाही कभी ना की थी मेरे दिल अचानक धारका के कहीं कुछ घालत ना हो गया मैं जदली से अपने फ्लॅट के अंदर गया तू वहाँ पे मुझे अपने साथ वाली फ्लॅट मैं रहने वाली मिस.नॅन्सी खड़ी नज़र आई, संजना बेड पे लैयती हुवे थी और डॉक्टर उसे इंजेक्षन लगा रहा था. मिस.नॅन्सी से मुझे पता चला के संजना की तबीयत काफ़ी खराब हो गयी थी और वो बड़ी मुश्किल से मिस.नॅन्सी के फ्लॅट तक फुँची और फिर उस ने वहाँ डॉक्टर को बुलाया. मिस नॅन्सी और डॉक्टर के जाने के बाद मैं सजना के करीब बेड पे बैठ गया
“संजना तुम्हारी तबीयत खराब हो गयी थी तू मुझे फोन कर डाइतें” …. मैने नरम लहज़े मैं कहा
“उस से क्या होता ??, तुम्हारे पास वक़्त ही कहाँ होता हा आज कल ?? ” ….. संजना की नज़रैयण सामने दीवार पे टिकी थाइन
“संजना तुम जानती हो मैने ऑफीस से रिज़ाइन कर दया और मुझे जल्दी जल्दी यहाँ पे काम ख़त्म करना हा वहाँ पे रोहित ओबेरोई मेरा एन्ताज़ार कर रहा हा मैने उसके प्रॉजेक्ट को संभालना हा वहाँ जा कर” …. मैने हमेशा की तरहन उसे राति रटाई लाइन सुनाई
“आ.द तुम्हेँ रोहित ओबेरोई और उसके प्रॉजेक्ट के एलवा दुनिया मैं कुछ नज़र आता हा या नही, मैं तुम्हेँ समझा समझा के तक गयी हों अब तू मैने तुम से कहना भी चोर दया हा लायकेन दिन बी ए दिन रोहित ओबेरोई का बहोत तुम्हेँ जकार्ता जा रहा हा” …. उस ने थके थके से लहज़े मैं कहा
“तुम फिर से वोही पूरेानी बात को चेर रही हो मैं तुम्हेँ कितने दफ़ा समझा चुका हों के वो प्रॉजेक्ट मेरे लाइ बुहुत एहम हा, तुम जानती हो मैने कितनी मेहनत की हा तब जा कर रोहित ओबेरोई ने ये ऑफर की मुझे अब मैं एसए किसी कारण खोना नही चाहता” …. मैने सख़्त लहज़े मैं कहा
“चाहे उसके लाइ तुम्हेँ मुझे भी खोना परे ??” …. संजना के आवाज़ मैं अफ़सोस था
“तुम क्या बोल रही हो ??, मैं ये सब कुछ तुमहरे लाइ और अपने आने वाले बचे के लाइ ही तू कर रहा हों” ….
“झूट बिल्कुल झूट !, तुम जानते हो मेरे लाइ पैसा कभी एट्ना ज़रूरी नही रहा, पापा सारी ज़िंदगी पैसा कमाते रहे उनके पास मेरे लाइ बुहुत कम वक़्त होता था ऐसे मैं अंकली के प्यार ने मुझे सहारा दया, अंकली के बाद तुम ने वो कमी पूरी की मुझे कभी तन्हाई का वो एहसास नही हुवा जो बूचपन मैं होता था लायकेन अब मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा हा के तुम एज बर्हते जा रहे हो और मैं पीछे रह गयी हों, क्यूँ आ.द बतायो मुझे जवाब दो ??” …. उस ने रोटी हुवे आवाज़ मैं मुझ से सवाल क्या
“मेरे पास तुम्हारी फज़ूल बातों का जवाब नही हा, तुम्हेँ ये सब कुछ सिर्फ़ एस लाइ लग रहा हा के मैं एन दिनों काफ़ी मसरूफ़ हों जैसी ही ये काम का दबयो ख़त्म हो जाए गा सब कुछ ठीक हो जाए गा” … मैने उसे समझते हुवे कहा
“नही आ.द सब कुछ ठीक नही होगा, तुम हर गुज़राते दिन के साथ मुझ से दूर होते जा रहे हो, मुझे दर हा किसी दिन ये फासला एट्ना ना बरह जाए के फिर हम दोनो के लाइ एसए पूर करना ना-मुमकिन बन जाए” ….
“मेरा ख़याल हा तुम्हेँ अब आराम करना चाहये, तुम्हारी तबीयत पहले ही खराब हा, हम एस मामले पे कल बात कारण गे” …. मैने उसकी बात का जवाब डाइ बिना उसे आराम करने का कहने लगा
“नही, हम आज ही बात कारण गे, आ.द भगवान के लाइ मुझे कुछ नही चाहये मुझे तुम चाहये हो तरस गयी मैं तुम्हारे दो पल के साथ के लाइ मुझे ये फ्लॅट अब ऐक जैल लगने लगा हा जहाँ पे मैं क़ैद हों, मेरे बात मानो हम वापस इंडिया चलते हैं” …. उस ने मेरा हाथ पाकरते हुवे कहा
“संजना कैसी बेवक़ूफी की बताईं कर रही हो, इंडिया जा के हम क्या कारण गे ??, मुझे ज़िंदगी मैं एज बरहने का मोक़ा मिल रहा और तुम मुझे पीछे की तरफ जाने का बोल रही हो ” …. मैने एस बार थोड़ा घुसे से कहा
“कितना एज आ.द ??, और कितना एज ?? , पापा ने सारे ज़िंदगी पैसा कमाया तू क्या हुवा ??, ऐक पल मैं सब कुछ चला गया ना, पैसे से रिश्ते नही खड़ीदे जाते हमारे पास जितना हा हमारे लाइ बुहुत हा, हम इंडिया वापस चलते हैं वहाँ पे बुंगलोव हा फॅक्टरी हा तुम उस फॅक्टर को संभाल लाना ” …. वो तू जैसे इंडिया जाने को त्यार बेठी थी
“उस फॅक्टरी से क्या मिले गा मुझे ?? , रोहित ओबेरोई का ये ऐक प्रॉजेक्ट मुझे कहाँ से कहाँ फुँचा सकता हा तुम सोच नही सकतें, अगर उस ने मुझे अपने इंटरनॅशनल प्रॉजेक्ट का मॅनेजिंग डाइरेक्टर बना दया तू ये कितनी बड़ी कामयाबी होगी मेरे तुम ये क्यूँ नही सोचटें” …. मेरे आवाज़ मैं अब भी सख्ती थी
“उस से क्या होगा आ.द ?? , अब ये प्रॉजेक्ट हा फिर एसके बाद और होगा फिर और तुम्हारे क़दम कहाँ जा के रुकण गे भगवान जाने लायकेन एस सब मैं हम बुहुत पीछे रह गये हैं और तुम एज बर्हते जा रहे हो, मैं तुम्हारे रफ़्तार का मुक़ाबला नही कर पा रहे हों” … उसकी आँखों से आँसू बहने लगे
“हाँ हाँ, मैं खुद घरज़ हों, पैसे का लालच हा मुझे, यही कहना चाहती हो, अरे तुम्हेँ तू खुश होना चाहये के तुम्हारा पाती एतने कामयाबियान हासिल कर रहा और तुम बेठ के रोने रू रही हो और मुझे सब चोर चार कर इंडिया जाने की बताईं कर रही हो, तुम चाहते हो के मैं घर मैं तुम्हारे पहलू से लग कर बेठ जायों ?? , और्तैईन तू अपनी पाती की कामयाबी पे खुश होती हाँ और उसकी तरक़ी की प्रठना कराती हाँ और तुम … ” …. मैने घुसे से उसके हाथ से अपना हाथ चुराया
“संजना मेडम, तुम्हेँ क्या पता कितनी मेहनत करनी पार्टी हा, दिन रात ऐक क्या हा मैने, खून पसीना बहाया हा मैने एस प्रॉजेक्ट के लाइ, तुम्हेँ मेरे मेहनत नज़र नही आते और तुम उल्टा उसे बेकार करने की कोशिश कर रही हो. क्या मिले गा तुम्हारे छोटी से फॅक्टरी संभाल के मुझे ??, हाँ बतायो मुझे मेरा खाब वो छोटी से फॅक्टरी चलाने का नही हा मैने अपने लाइ बुहुत से सपने देखे थे जिन्हेँ पूरा करना हा, पहले वो भानु प्राताप सला कूटे का पीला सब कुछ ले यूरा मेरे हाथ से, और अब तुम यहाँ बेठ के मुझ से अपनी तन्हाई के रोने रू रही हो, तुम्हेँ तू शूकर करना चाहये मैने तुम्हेँ खाली हाथ भी क़बूल कर लया और तुम्हेँ उस नुरख से बचाया और तुम बजाए मेरा शूकर अदा करने के अपने मज़लूमियत के रोने रू रही हो” …. मेरे अंदर शायद एतने अरसे से लावा पाक रहा था उसे आज बहने का मोका मिल गया
“क … क्या .. क्या तुम ने वो सब एहसान क्या मुझ पे ?? , तुम्हारा प्यार क्या सिर्फ़ उस डोलात की वजा से था” …. संजना तू जैसे मेरे बातिं सुन कर ऐक मुजसमा बन गयी थी उसकी आँखों ऐसे बाहर को उबाल रही थाइन जैसे अभी बाहर आ जाएँ गी
“हाँ हाँ अब कह दो के मैने तुम से डोलात के लाइ प्यार क्या था, ये एलज़ाम भी लगा दो मुझ पे” …. मैं उस समय अपने होश मैं नही था घुसे ने मुझे पागल कर दया था
“आ.द, तुम ने मुझ पे एहसान कर के मुझे भानु प्राताप से चुराया, मुझ पे एहसान कर के मुझे खाली हाथ क़बूल क्या” …. संजना खाब की सी काफियत मैं मेरे बताईं दोहरा रही थी
मैने घुसे से अपने समणि पार्टी छोटी से टेबल को ऐक लात मारी और दूसरे कमरे मैं चला गया, मेरे दिमघ पे उस वक़्त बुहुत शदीद घुसा सॉवॅर था मुझे संजना के बातों से ऐसा लग रहा था जैसे उस से बरा खुद घरज़ कोई नही हा. मैने अपने की हुवे शायद ऐक आक्लॉटी आचाय भी उस दिन गँवा दी थी, संजना ने सारे ज़िंदगी मेरे कब कब और कितने मदद की थी अगर मैं शायद गिनता तू गिन भी नही सकता था, आज जिस मक़ाम पर मैं फुँचा था वो सिर्फ़ संजना के वजा से था स्कूल से ले कर आज तक उस ने हर क़दम पे मुझे सहारा दया था, मैं तू ऐक हक़ीर से एंसन था जो शायद दुनिया की भीर मैं गुम हो जाता संजना ने मुझे आसमान पर फुँचाया था और आज मैने उसी आसमान पे थूकने की कोशिश की थी लायकेन अंजान था के आसमान पर अगर थूका जाए तू वो थूक वापस अपने हे मौन पर आ गिराता हा.
गुनहगार – Hindi Sex Novel – 13
“संजना तुम्हारी तबीयत खराब हो गयी थी तू मुझे फोन कर डाइतें” …. मैने नरम लहज़े मैं कहा
“उस से क्या होता ??, तुम्हारे पास वक़्त ही कहाँ होता हा आज कल ?? ” ….. संजना की नज़रैयण सामने दीवार पे टिकी थाइन
“संजना तुम जानती हो मैने ऑफीस से रिज़ाइन कर दया और मुझे जल्दी जल्दी यहाँ पे काम ख़त्म करना हा वहाँ पे रोहित ओबेरोई मेरा एन्ताज़ार कर रहा हा मैने उसके प्रॉजेक्ट को संभालना हा वहाँ जा कर” …. मैने हमेशा की तरहन उसे राति रटाई लाइन सुनाई
“आ.द तुम्हेँ रोहित ओबेरोई और उसके प्रॉजेक्ट के एलवा दुनिया मैं कुछ नज़र आता हा या नही, मैं तुम्हेँ समझा समझा के तक गयी हों अब तू मैने तुम से कहना भी चोर दया हा लायकेन दिन बी ए दिन रोहित ओबेरोई का बहोत तुम्हेँ जकार्ता जा रहा हा” …. उस ने थके थके से लहज़े मैं कहा
“तुम फिर से वोही पूरेानी बात को चेर रही हो मैं तुम्हेँ कितने दफ़ा समझा चुका हों के वो प्रॉजेक्ट मेरे लाइ बुहुत एहम हा, तुम जानती हो मैने कितनी मेहनत की हा तब जा कर रोहित ओबेरोई ने ये ऑफर की मुझे अब मैं एसए किसी कारण खोना नही चाहता” …. मैने सख़्त लहज़े मैं कहा
“चाहे उसके लाइ तुम्हेँ मुझे भी खोना परे ??” …. संजना के आवाज़ मैं अफ़सोस था
“तुम क्या बोल रही हो ??, मैं ये सब कुछ तुमहरे लाइ और अपने आने वाले बचे के लाइ ही तू कर रहा हों” ….
“झूट बिल्कुल झूट !, तुम जानते हो मेरे लाइ पैसा कभी एट्ना ज़रूरी नही रहा, पापा सारी ज़िंदगी पैसा कमाते रहे उनके पास मेरे लाइ बुहुत कम वक़्त होता था ऐसे मैं अंकली के प्यार ने मुझे सहारा दया, अंकली के बाद तुम ने वो कमी पूरी की मुझे कभी तन्हाई का वो एहसास नही हुवा जो बूचपन मैं होता था लायकेन अब मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा हा के तुम एज बर्हते जा रहे हो और मैं पीछे रह गयी हों, क्यूँ आ.द बतायो मुझे जवाब दो ??” …. उस ने रोटी हुवे आवाज़ मैं मुझ से सवाल क्या
“मेरे पास तुम्हारी फज़ूल बातों का जवाब नही हा, तुम्हेँ ये सब कुछ सिर्फ़ एस लाइ लग रहा हा के मैं एन दिनों काफ़ी मसरूफ़ हों जैसी ही ये काम का दबयो ख़त्म हो जाए गा सब कुछ ठीक हो जाए गा” … मैने उसे समझते हुवे कहा
“नही आ.द सब कुछ ठीक नही होगा, तुम हर गुज़राते दिन के साथ मुझ से दूर होते जा रहे हो, मुझे दर हा किसी दिन ये फासला एट्ना ना बरह जाए के फिर हम दोनो के लाइ एसए पूर करना ना-मुमकिन बन जाए” ….
“मेरा ख़याल हा तुम्हेँ अब आराम करना चाहये, तुम्हारी तबीयत पहले ही खराब हा, हम एस मामले पे कल बात कारण गे” …. मैने उसकी बात का जवाब डाइ बिना उसे आराम करने का कहने लगा
“नही, हम आज ही बात कारण गे, आ.द भगवान के लाइ मुझे कुछ नही चाहये मुझे तुम चाहये हो तरस गयी मैं तुम्हारे दो पल के साथ के लाइ मुझे ये फ्लॅट अब ऐक जैल लगने लगा हा जहाँ पे मैं क़ैद हों, मेरे बात मानो हम वापस इंडिया चलते हैं” …. उस ने मेरा हाथ पाकरते हुवे कहा
“संजना कैसी बेवक़ूफी की बताईं कर रही हो, इंडिया जा के हम क्या कारण गे ??, मुझे ज़िंदगी मैं एज बरहने का मोक़ा मिल रहा और तुम मुझे पीछे की तरफ जाने का बोल रही हो ” …. मैने एस बार थोड़ा घुसे से कहा
“कितना एज आ.द ??, और कितना एज ?? , पापा ने सारे ज़िंदगी पैसा कमाया तू क्या हुवा ??, ऐक पल मैं सब कुछ चला गया ना, पैसे से रिश्ते नही खड़ीदे जाते हमारे पास जितना हा हमारे लाइ बुहुत हा, हम इंडिया वापस चलते हैं वहाँ पे बुंगलोव हा फॅक्टरी हा तुम उस फॅक्टर को संभाल लाना ” …. वो तू जैसे इंडिया जाने को त्यार बेठी थी
“उस फॅक्टरी से क्या मिले गा मुझे ?? , रोहित ओबेरोई का ये ऐक प्रॉजेक्ट मुझे कहाँ से कहाँ फुँचा सकता हा तुम सोच नही सकतें, अगर उस ने मुझे अपने इंटरनॅशनल प्रॉजेक्ट का मॅनेजिंग डाइरेक्टर बना दया तू ये कितनी बड़ी कामयाबी होगी मेरे तुम ये क्यूँ नही सोचटें” …. मेरे आवाज़ मैं अब भी सख्ती थी
“उस से क्या होगा आ.द ?? , अब ये प्रॉजेक्ट हा फिर एसके बाद और होगा फिर और तुम्हारे क़दम कहाँ जा के रुकण गे भगवान जाने लायकेन एस सब मैं हम बुहुत पीछे रह गये हैं और तुम एज बर्हते जा रहे हो, मैं तुम्हारे रफ़्तार का मुक़ाबला नही कर पा रहे हों” … उसकी आँखों से आँसू बहने लगे
“हाँ हाँ, मैं खुद घरज़ हों, पैसे का लालच हा मुझे, यही कहना चाहती हो, अरे तुम्हेँ तू खुश होना चाहये के तुम्हारा पाती एतने कामयाबियान हासिल कर रहा और तुम बेठ के रोने रू रही हो और मुझे सब चोर चार कर इंडिया जाने की बताईं कर रही हो, तुम चाहते हो के मैं घर मैं तुम्हारे पहलू से लग कर बेठ जायों ?? , और्तैईन तू अपनी पाती की कामयाबी पे खुश होती हाँ और उसकी तरक़ी की प्रठना कराती हाँ और तुम … ” …. मैने घुसे से उसके हाथ से अपना हाथ चुराया
“संजना मेडम, तुम्हेँ क्या पता कितनी मेहनत करनी पार्टी हा, दिन रात ऐक क्या हा मैने, खून पसीना बहाया हा मैने एस प्रॉजेक्ट के लाइ, तुम्हेँ मेरे मेहनत नज़र नही आते और तुम उल्टा उसे बेकार करने की कोशिश कर रही हो. क्या मिले गा तुम्हारे छोटी से फॅक्टरी संभाल के मुझे ??, हाँ बतायो मुझे मेरा खाब वो छोटी से फॅक्टरी चलाने का नही हा मैने अपने लाइ बुहुत से सपने देखे थे जिन्हेँ पूरा करना हा, पहले वो भानु प्राताप सला कूटे का पीला सब कुछ ले यूरा मेरे हाथ से, और अब तुम यहाँ बेठ के मुझ से अपनी तन्हाई के रोने रू रही हो, तुम्हेँ तू शूकर करना चाहये मैने तुम्हेँ खाली हाथ भी क़बूल कर लया और तुम्हेँ उस नुरख से बचाया और तुम बजाए मेरा शूकर अदा करने के अपने मज़लूमियत के रोने रू रही हो” …. मेरे अंदर शायद एतने अरसे से लावा पाक रहा था उसे आज बहने का मोका मिल गया
“क … क्या .. क्या तुम ने वो सब एहसान क्या मुझ पे ?? , तुम्हारा प्यार क्या सिर्फ़ उस डोलात की वजा से था” …. संजना तू जैसे मेरे बातिं सुन कर ऐक मुजसमा बन गयी थी उसकी आँखों ऐसे बाहर को उबाल रही थाइन जैसे अभी बाहर आ जाएँ गी
“हाँ हाँ अब कह दो के मैने तुम से डोलात के लाइ प्यार क्या था, ये एलज़ाम भी लगा दो मुझ पे” …. मैं उस समय अपने होश मैं नही था घुसे ने मुझे पागल कर दया था
“आ.द, तुम ने मुझ पे एहसान कर के मुझे भानु प्राताप से चुराया, मुझ पे एहसान कर के मुझे खाली हाथ क़बूल क्या” …. संजना खाब की सी काफियत मैं मेरे बताईं दोहरा रही थी
मैने घुसे से अपने समणि पार्टी छोटी से टेबल को ऐक लात मारी और दूसरे कमरे मैं चला गया, मेरे दिमघ पे उस वक़्त बुहुत शदीद घुसा सॉवॅर था मुझे संजना के बातों से ऐसा लग रहा था जैसे उस से बरा खुद घरज़ कोई नही हा. मैने अपने की हुवे शायद ऐक आक्लॉटी आचाय भी उस दिन गँवा दी थी, संजना ने सारे ज़िंदगी मेरे कब कब और कितने मदद की थी अगर मैं शायद गिनता तू गिन भी नही सकता था, आज जिस मक़ाम पर मैं फुँचा था वो सिर्फ़ संजना के वजा से था स्कूल से ले कर आज तक उस ने हर क़दम पे मुझे सहारा दया था, मैं तू ऐक हक़ीर से एंसन था जो शायद दुनिया की भीर मैं गुम हो जाता संजना ने मुझे आसमान पर फुँचाया था और आज मैने उसी आसमान पे थूकने की कोशिश की थी लायकेन अंजान था के आसमान पर अगर थूका जाए तू वो थूक वापस अपने हे मौन पर आ गिराता हा.
गुनहगार – Hindi Sex Novel – 13