Re: गुनहगार – Hindi Sex thriller Novel
Posted: 27 Sep 2015 10:43
“शरमाते हुवे तुम और भी सुंदर लगते हो” …. मैं उसके बात आन-सुनी कर दे.
“बस बुहुत बदमाशी हो गये आ.द अब तुम रोमॅन्स झरना ना शुरू हो जाना” ….. वो मुझे प्यार से आ.द बुलाती थे.
“मेरा तू दिल चाहता हा सारा टाइम हे तुम से रोमॅन्स झराता राहों” …. मैने मज़े लायटे हुवे कहा.
“हाँ पता हा जब यूके चले जयो गे वहाँ अंग्राइज लरकियों को देख के मुझे भूल जयो गे” …. उस ने अपना हाथ मेरे हाथों से खैंच लया.
“अरे जान तुम्हारे सुंदराता के सामने कोन टिक सकता हा, मेरा बस चले तू तुम्हेँ सामने बिठा के देखता राहों बस” … मैने और ज़्यादा रोमॅंटिक लहज़े मैं कहा.
“बस ऐसे हे झूती बतन बनाते रहते हो हर समय” …. उस ने झूती खफ्गी से कहा.
“अरे दिल चियर के दिखा डॉन क्या तब यक़ीन करो गे”
“बस बस अब ये घिसा पिता दियलॉगे ना मरो और फ्यूचर का सोचो” …. उस ने बात बदलते हुवे कहा.
“फ्यूचर का क्या सोचना हा बस वहाँ जा के म्बा करना हा और जल्दी जल्दी तुम से बियाः रचना और 10,15 बूचों का बाप बनाना हा” …. मैने मज़े ले कर कहा.
“क्या पागल हो गये हो ?? … 10,15 बुचे मैं कोई मशीन हों क्या ?? ” … मेरे बात सुन के संजना बेहोश होने को थी.
“हाँ तू 2,3 बचों से मेरा गुज़रा नही होगा” …. मैं अब भी उसे तंग कर रहा था.
“तू फिर बेक बुचे अडॉप्ट कर लेना मैं 2 से ज़्यादा बचों के हक़ मैं नही हों” ….
“मुझे तुम्हारे जैसे प्यारे प्यारे बचे चाहयेन अडॉप्ट कर के क्या फ़ायदा” …. मैने उसका गाल चू के कहा.
“बस अब सपने देखना बंद करो और उठो दायर हो गये हा पापा आज घर पर हे हैं और अकेले हैं” …. उस ने उठते हुवे कहा.
“आस यू से माई प्रिन्सेस (जैसे तुम कहो मेरे महारानी)” …. और हम दोनो हाथों मैं हाथ डाइ रेस्तूरंत से बाहर आ गये.
मुझे अपना फ्यूचर बुहुत सुंदर नज़र आ रहा था लंडन के डिग्री और संजना का साथ ऐक ऐसा हे हसीन सपना था जिस से बाहर निकालने का किसे भी दिल ना कराता लायकेन मुझे क्या पता था क़िस्मत मेरे लाइ कुछ और हे लिख रहे थे और मेरे सपनों पे हन्स रहे हा
लंडन बिल्कुल ऐक जादू नगरी जैसा था और कुछ कुछ मुंबई से मिलता जुलता भी वही भीर चाल और हर कोई जल्दी मैं था. वहाँ फुँछ के मुझे कुछ अलग फील नही हुवा बालके ऐसा लगा जैसे मैं अपने जैसे लोगों मैं ही आ गया हों वहाँ पर हर कोई अपने मतलब का था किसी को किसी की परवाह नही थी हर कोई अपनी जिंदगी मैं मगन था, हाँ बस फ़र्क शायद एट्ना हो की वो लोग शायद उतने खुद गार्ज नही थे जितना मैं उस समय तक हो चुका था और हर गुज़राते दिन के साथ और ज़्यादा होता जा रहा था.
संजना के पापा के रेफरेन्स से मुझे वहाँ की ऐक फर्म मैं जॉब भी मिल गयी थे और मेरा लाइ अपना खर्च उठना भी मसला ना रहा था. मुझे लंडन मैं आए 1 साल हो गया था जब ऐक रोड आक्सिडेंट मैं मेरे माता पिता का दिहाथ हो गया और मैं वापस इंडिया ना जा सका बालके मैं जाना हे नही चाहता था तू ये ज़्यादा ठीक होगा क्यूँ की मैं जा सकता था क्यूँ की मुझे अपने जॉब से एतनी चुती नही मिल रहे थी और मुझे बाप के अंटम संस्कार से ज़्यादा प्यारी मुझे वो जॉब थी और वो मन बाप जिन्हों ने मुझे यहाँ तक फुँचाया था वो मेरे अब किसी काम के नही थे मेरे अंदर खुद गारजी का ज़हेर एट्ना फैल चुका था के शायद अब जिस्म मैं खून से ज़्यादा खुद गारजी फैल चुकी थी. संजना ने मुझे बुहुत कन्विन्स क्या वापस आने के लाइ लायकेन मैं नही आया और बेहन भाइयों के साथ तू मेरा नाता पहले भी बुहुत कम था और मन बाप के जाने के बाद तू वो जो थोड़ा बुहुत नाता था वो भी ख़त्म हो गया. मेरे पे बस ऐक हे धुन सॉवॅर थी के मैं ऐक अमीर आदमी बन सकोन और उसके लाइ बस संजना का साथ हे मेरे लाइ काफ़ी था.
म्बा कंप्लीट करने के बाद मुझे ऐक फर्म मैं बुहुत अच्छे जॉब मिल गयी और मेरा एरदा था के मैं संजना के साथ 1,2 साल के अंदर शादी कर लूँ गा तब तक मुझे एट्ना एक्सपीरियेन्स हो जाए गा की मैं उसके पापा का बिज़्नेस भी संभाल सकोन जिस पे मेरी नजरां शायद स्कूल के जमाने से थाइन. लायकेन क़िस्मत को शायद कुछ और हे मंजूर था और मेरे जिंदगी मैं वो दिन आ गया जिस ने मेरे जिंदगी को बिल्कुल हे बदल दया. वो भी आम दिनों के तरहन का ऐक दिन था जब मैं ऑफीस से वापस आया के अचानक मेरा मोबाइल बुज उठा और स्करीन पे संजना का नंबर देख के मेरे फेस पे ऐक स्माइल आ गयी.
“हेलो ! …. संजना माई लव मैं तुम्हारे बड़े मैं हे सोच रहा था अभी ” …. मैने मुस्कुराते हुवे कहा.
“आ.द पापा को हार्ट अटॅक हुवा हा मैं एस वक़्त हॉस्पिटल मैं हों” …. संजना ने रोटी हुवे आवाज़ मैं मुझे वो बुरी खबर दी.
“कब? कैसे? तुम ने मुझे बताया क्यूँ नही” …. मेरे तू जैसे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
“मुझे खुद अभी पता लगा हा पापा ऑफीस मैं थे जब उन्हइन हार्ट अटॅक हुवा मुझे उनके मॅनेजर ने बताया मैं अभी हॉस्पिटल फुँची हों पापा आएक्यू मैं हाँ” …. वो मुसलसल रू रही थी.
“अछा तुम परेशन ना हो भगवान के किरपा से अंकल को कुछ नही होगा” …. मैने उसे तसली डायने के कोशिश की.
गुनहगार – Hindi Sex Novel – 4
“बस बुहुत बदमाशी हो गये आ.द अब तुम रोमॅन्स झरना ना शुरू हो जाना” ….. वो मुझे प्यार से आ.द बुलाती थे.
“मेरा तू दिल चाहता हा सारा टाइम हे तुम से रोमॅन्स झराता राहों” …. मैने मज़े लायटे हुवे कहा.
“हाँ पता हा जब यूके चले जयो गे वहाँ अंग्राइज लरकियों को देख के मुझे भूल जयो गे” …. उस ने अपना हाथ मेरे हाथों से खैंच लया.
“अरे जान तुम्हारे सुंदराता के सामने कोन टिक सकता हा, मेरा बस चले तू तुम्हेँ सामने बिठा के देखता राहों बस” … मैने और ज़्यादा रोमॅंटिक लहज़े मैं कहा.
“बस ऐसे हे झूती बतन बनाते रहते हो हर समय” …. उस ने झूती खफ्गी से कहा.
“अरे दिल चियर के दिखा डॉन क्या तब यक़ीन करो गे”
“बस बस अब ये घिसा पिता दियलॉगे ना मरो और फ्यूचर का सोचो” …. उस ने बात बदलते हुवे कहा.
“फ्यूचर का क्या सोचना हा बस वहाँ जा के म्बा करना हा और जल्दी जल्दी तुम से बियाः रचना और 10,15 बूचों का बाप बनाना हा” …. मैने मज़े ले कर कहा.
“क्या पागल हो गये हो ?? … 10,15 बुचे मैं कोई मशीन हों क्या ?? ” … मेरे बात सुन के संजना बेहोश होने को थी.
“हाँ तू 2,3 बचों से मेरा गुज़रा नही होगा” …. मैं अब भी उसे तंग कर रहा था.
“तू फिर बेक बुचे अडॉप्ट कर लेना मैं 2 से ज़्यादा बचों के हक़ मैं नही हों” ….
“मुझे तुम्हारे जैसे प्यारे प्यारे बचे चाहयेन अडॉप्ट कर के क्या फ़ायदा” …. मैने उसका गाल चू के कहा.
“बस अब सपने देखना बंद करो और उठो दायर हो गये हा पापा आज घर पर हे हैं और अकेले हैं” …. उस ने उठते हुवे कहा.
“आस यू से माई प्रिन्सेस (जैसे तुम कहो मेरे महारानी)” …. और हम दोनो हाथों मैं हाथ डाइ रेस्तूरंत से बाहर आ गये.
मुझे अपना फ्यूचर बुहुत सुंदर नज़र आ रहा था लंडन के डिग्री और संजना का साथ ऐक ऐसा हे हसीन सपना था जिस से बाहर निकालने का किसे भी दिल ना कराता लायकेन मुझे क्या पता था क़िस्मत मेरे लाइ कुछ और हे लिख रहे थे और मेरे सपनों पे हन्स रहे हा
लंडन बिल्कुल ऐक जादू नगरी जैसा था और कुछ कुछ मुंबई से मिलता जुलता भी वही भीर चाल और हर कोई जल्दी मैं था. वहाँ फुँछ के मुझे कुछ अलग फील नही हुवा बालके ऐसा लगा जैसे मैं अपने जैसे लोगों मैं ही आ गया हों वहाँ पर हर कोई अपने मतलब का था किसी को किसी की परवाह नही थी हर कोई अपनी जिंदगी मैं मगन था, हाँ बस फ़र्क शायद एट्ना हो की वो लोग शायद उतने खुद गार्ज नही थे जितना मैं उस समय तक हो चुका था और हर गुज़राते दिन के साथ और ज़्यादा होता जा रहा था.
संजना के पापा के रेफरेन्स से मुझे वहाँ की ऐक फर्म मैं जॉब भी मिल गयी थे और मेरा लाइ अपना खर्च उठना भी मसला ना रहा था. मुझे लंडन मैं आए 1 साल हो गया था जब ऐक रोड आक्सिडेंट मैं मेरे माता पिता का दिहाथ हो गया और मैं वापस इंडिया ना जा सका बालके मैं जाना हे नही चाहता था तू ये ज़्यादा ठीक होगा क्यूँ की मैं जा सकता था क्यूँ की मुझे अपने जॉब से एतनी चुती नही मिल रहे थी और मुझे बाप के अंटम संस्कार से ज़्यादा प्यारी मुझे वो जॉब थी और वो मन बाप जिन्हों ने मुझे यहाँ तक फुँचाया था वो मेरे अब किसी काम के नही थे मेरे अंदर खुद गारजी का ज़हेर एट्ना फैल चुका था के शायद अब जिस्म मैं खून से ज़्यादा खुद गारजी फैल चुकी थी. संजना ने मुझे बुहुत कन्विन्स क्या वापस आने के लाइ लायकेन मैं नही आया और बेहन भाइयों के साथ तू मेरा नाता पहले भी बुहुत कम था और मन बाप के जाने के बाद तू वो जो थोड़ा बुहुत नाता था वो भी ख़त्म हो गया. मेरे पे बस ऐक हे धुन सॉवॅर थी के मैं ऐक अमीर आदमी बन सकोन और उसके लाइ बस संजना का साथ हे मेरे लाइ काफ़ी था.
म्बा कंप्लीट करने के बाद मुझे ऐक फर्म मैं बुहुत अच्छे जॉब मिल गयी और मेरा एरदा था के मैं संजना के साथ 1,2 साल के अंदर शादी कर लूँ गा तब तक मुझे एट्ना एक्सपीरियेन्स हो जाए गा की मैं उसके पापा का बिज़्नेस भी संभाल सकोन जिस पे मेरी नजरां शायद स्कूल के जमाने से थाइन. लायकेन क़िस्मत को शायद कुछ और हे मंजूर था और मेरे जिंदगी मैं वो दिन आ गया जिस ने मेरे जिंदगी को बिल्कुल हे बदल दया. वो भी आम दिनों के तरहन का ऐक दिन था जब मैं ऑफीस से वापस आया के अचानक मेरा मोबाइल बुज उठा और स्करीन पे संजना का नंबर देख के मेरे फेस पे ऐक स्माइल आ गयी.
“हेलो ! …. संजना माई लव मैं तुम्हारे बड़े मैं हे सोच रहा था अभी ” …. मैने मुस्कुराते हुवे कहा.
“आ.द पापा को हार्ट अटॅक हुवा हा मैं एस वक़्त हॉस्पिटल मैं हों” …. संजना ने रोटी हुवे आवाज़ मैं मुझे वो बुरी खबर दी.
“कब? कैसे? तुम ने मुझे बताया क्यूँ नही” …. मेरे तू जैसे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
“मुझे खुद अभी पता लगा हा पापा ऑफीस मैं थे जब उन्हइन हार्ट अटॅक हुवा मुझे उनके मॅनेजर ने बताया मैं अभी हॉस्पिटल फुँची हों पापा आएक्यू मैं हाँ” …. वो मुसलसल रू रही थी.
“अछा तुम परेशन ना हो भगवान के किरपा से अंकल को कुछ नही होगा” …. मैने उसे तसली डायने के कोशिश की.
गुनहगार – Hindi Sex Novel – 4