Thriller अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म ) adultery Thriller

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Re: Thriller अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म ) adultery Thriller

Unread post by admin » 05 Jul 2020 11:06

“तुम झूठ बोल रहे हो।” अंत में चौधरी बोला।

-“तो फिर तुम खुद सच्चाई का पता लगा लो।”

राज गौर से उन्हें देख रहा था। चौधरी ने यह देखा तो उसे हिला कर जाने का संकेत कर दिया।

राज उन्हें छोडकर अंदर चला गया।
लॉबी में अंधेरा था। एक बंद खिड़की से बाहर से हल्की सी रोशनी अंदर आ रही थी। सतीश सैनी की पत्नि रजनी दूर एक कोने में कुर्सी में धँसी हुई थी।

-“कौन है?” वह बोली।

-“राज। वह आदमी जो तुम्हारे लिए मुसीबत लाया था।”

-“तुम मुसीबत नहीं लाए। यह शुरू से ही मेरे साथ है।” वह उठकर उसके पास आ गई- “तुम पुलिस विभाग में हो?”

-“नहीं। मैं प्रेस रिपोर्टर हूँ।” सच्चाई का पता लगाकर अखबार के जरिये लोगों तक पहुंचाता हूँ।

-“इस किस्से से तुम्हारा क्या ताल्लुक है?”

-“कुछ नहीं। इत्तिफ़ाक से इसमें फंस गया हूँ।”

-“ओह।”

-“तुम्हें तो इसके बारे में जरूर कुछ पता होगा।”

-“क्यों।”

-“क्योंकि तुम इसमें इनवाल्व लोगों को जानती हो।”

-“तुम दूसरों की बात कर रहे हो मैं तो अपने पति तक को पूरी तरह नहीं जानती।”

-“तुम्हारी शादी को कितना अर्सा हो गया?”

-“सात साल। तुम किस अखबार के लिए काम करते हो?”

-“पंजाब केसरी के लिए।”

-“पंजाब केसरी के राज कुमार हो।” रजनी के स्वर में हैरानी का पुट था- “तुम्हारा काफी नाम मैंने सुना है। तुम मुसीबतजदा लोगों की मदद करते हो। मेरी मदद करोगे?”

-“किस मामले में?”

-“क....क्या मैं तुम पर भरोसा कर सकती हूँ?”

-“मैं सिर्फ इतना कह सकता हूँ भले लोग अक्सर मुझ पर भरोसा करते हैं।”

-“सॉरी। मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।”

-“मुझसे क्या करना चाहती हो?”

-“यह तो सही मायने में खुद मैं भी नहीं जानती। मगर इतनी बात जरूर है किसी के लिए परेशानी खड़ी करना मैं नहीं चाहती?”

-“इस किसी में तुम्हारा पति भी शामिल है?”

-“हाँ।” एकाएक उसका स्वर बहुत धीमा हो गया- “मैंने पिछली रात सतीश को अपनी सभी चीजें दो बड़े सूट केसों में पैक करते पाया था। मुझे यकीन है वह मुझे छोड़कर जाने वाला है।”

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Re: Thriller अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म ) adultery Thriller

Unread post by admin » 05 Jul 2020 11:07

“उससे पूछ क्यों नहीं लेती?”

-“इतनी हिम्मत मुझमें नहीं है।”

-“उसे प्यार करती हो?”

-“पता नहीं। कई साल पहले तो करती थी।”

-“तुम दोनों के बीच कोई दूसरी औरत है?”

-“कोई नहीं, कई औरतें हैं।”

-“मीना बवेजा भी उनमें से एक है?”

-“वह हुआ तो करती थी। पिछले साल तक उनके बीच कुछ था। सतीश का कहना है वो जो भी था खत्म हो गया। लेकिन वो अभी भी हो सकता है। अगर तुम मीना को ढूँढकर पता लगाओ की किस के साथ उसके गहरे ताल्लुकात हैं तो असलियत का पता चल सकता है।”

-“वह कब से गायब है?”

-“पिछले शुक्रवार को गई थी वीकएंड मनाने।”

-“कहाँ?”

-“यह मैं नहीं जानती।”

-“तुम्हारे पति के साथ गई थी?”

-“नहीं। कम से कम वह तो मना करता है। मैं कहने जा रही थी....।”

राज के पीछे से सैनी का स्वर उभरा।

-“तुम क्या कहने जा रही थीं?”

स्पष्टत: वह चुपचाप लॉबी का दरवाजा खोकर अंदर आ गया था।

राज को एक तरफ धकेलकर अपनी पत्नि के सामने अड़ गया।

-“मैंने तुम्हें बकवास करने के लिए मना किया था।”

-“म...मैंने कुछ नहीं कहा।”

-“लेकिन मैंने तुम्हें कहते सुना था। अब यह मत कहना मैं झूठ बोल रहा हूँ....।”

अचानक उसने पत्नि के मुँह पर थप्पड़ जमा दिया।

वह लड़खड़ाकर पीछे हट गयी।

राज ने उसका कंधा पकड़कर उसे अपनी ओर घुमाया।
-“औरत पर ताकत मत आजमाओ, पहलवान।”

-“हरमजादे।” सैनी गुर्राया और घूंसा चला दिया।

राज को अपनी गरदन की बायीं साइड सुन्न हो गई महसूस हुई। वह पीछे हटकर दरवाजे के पास रोशनी में आ गया।

आशा के अनुरूप सैनी भी उसकी ओर झपटा।

प्रत्यक्षत: शांत खड़ा राज तनिक घूमा और उसके पेट में साइड किक जमा दी।

सैनी के चेहरे पर पीड़ा भरे भाव प्रगट हुए। दोनों हाथों से पेट दबाए वह दोहरा हो गया।

राज ने आगे बढ़कर उसकी गरदन के पृष्ठ भाग पर दोहत्थड़ दे मारा।

सैनी औंधे मुँह नीचे गिरा। उसका चेहरा फर्श से टकराया और उसकी चेतना जवाब दे गई।

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