वर्ष २०१२ जिला धौलपुर की एक घटना - thriller adventure story

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Re: वर्ष २०१२ जिला धौलपुर की एक घटना - thriller adventure st

Unread post by novel » 30 Oct 2015 08:17

कोई दस दिन बीते! और गंगा वापिस आई अपने घर! भूदेव के संग! भूदेव अपने संग एक बाबा को भी लेकर आया था, जिन्होंने शान्ति-कर्म करना था उस तेजराज के लिए! ताकि तेजराज, वो समय के धागों में अटका हुआ है, मुक्त हो सके! आगे जा सके! घर आये वे तो सभी खुश! सभी के लिए कुछ न कुछ लाया था वो भूदेव! और जमना तो खूब लड़ी थी गंगा से! कि याद ही नहीं आई किसी कि, वहीँ की होके रह गयी, आदि आदि! और माला! रो रो के बुरा हाल था उसका तो! हमसाया थी गंगा उस माला का! गंगा भी खूब रोई! लेकिन माँ-बाप खुश थे! जंवाई बहुत अच्छे मिले थे उन्हें! अपने बेटे की ही तरह के! और भूदेव, भूदेव भी बहुत प्रसन्न था! उसे उसका प्रेम जो मिल गया था! बहुत कम ही ऐसे भाग्यवान हुआ करते हैं! और भूदेव, भूदेव उन्ही में से एक था!
मित्रगण!
दो दिन हंसी-ख़ुशी से बीते! और फिर दो दिन के बाद, अब पूजन का मुहूर्त आया! बाबा जी ने कहा भूदेव से, सारी सामग्री लेकर आया था भूदेव! और फिर चले वो घर से! गंगा बेचैन थी बहुत! जाना चाहती थी संग! भूदेव ने बहुत समझाया था उसको, और तब जाकर वो मानी!
वे दोनों पहुँच गए थे वहां पर! अब पूजन की तैयारी हुई! बाबा ने सारी तैयारियां कीं! और बैठ गए पूजन के लिए! प्रार्थना आरम्भ हो गयी! और तभी, दूर, उस दीवार के पास, वो खड़ा दिखा! वो तेजराज, उस भूदेव को! भूदेव दौड़ पड़ा उस से मिलने के लिए! जैसे ही मिला, गले लगे दोनों!
"भूदेव! बस कुछ क्षणों में मैं विदा ले लूँगा! फिर तेजराज कहीं नहीं होगा! जो भी कुछ हुआ, मुझे, जानकर, या अनजाने में, मेरी वजह से, तुझे या गंगा को कष्ट हुआ हो, तो मुझे माफ़ कर देना भूदेव! माफ़ कर देना!" कहते कहते रो पड़ा तेजराज!
"नहीं तेजराज! नहीं! तुम्हे कोई नहीं भूलेगा! न गंगा! और न मैं! कभी नहीं! और हाँ! तुम्हे याद रखने के लिए, मैं अपने पुत्र का नाम तेजराज ही रखूंगा! वचन दिया! तुमने कोई गलत नहीं किया! तुम्हारी जगह मैं होता, तो मैं भी यही करता! तुम्हारा बलिदान, हम कभी नहीं भूलेंगे!" बोला भूदेव!
और तभी! तेजराज के पाँव गायब हुए! देखा दोनों ने!
"मैं चलता हूँ अब! बहुत भटक लिया मैं भूदेव! बहुत! मुझे माफ़ करना भूदेव! माफ़ कर..............." इतना बोलकर, लोप हो गया वो! न बोल सका पूरा वाक्य!
"अलविदा तेजराज! अलविदा!" बोला भूदेव! और लौट पड़ा! पूजन समाप्त हो गया था! निबट गया था सब! अब लौट आये घर वे!
मित्रगण!
समय बढ़ता रहता है आगे! और समय बढ़ा! गाँव में तीन दिन तक, अखंड भंडारा चला! उस तेजराज की आत्मा की शान्ति के लिए! तीन माह के बाद, माला का ब्याह हो गया, ब्याह के दो महीने बाद, माला का पति सपरिवार गुजरात चला गया, माला कभी न लौट सकी फिर! जमना का ब्याह छह महीने बाद हुआ! गंगा और भूदेव ने ऐसा ब्याह किया कि पूरे गाँव ने देखा! अगले ही वर्ष, गंगा ने एक पुत्र को जन्म दिया! और उसका नाम भूदेव ने तेजराज ही रखा! वचनानुसार! गंगा के माता-पिता भी अकेले नहीं रहे! वो उदयचंद रहने लगा था उनके साथ! उसका ब्याह भी हो गया था! हाँ, जमना बहुत दूर ब्याही थी, और उसका संयुक्त परिवार भी बहुत दूर जा बसा था! कभी आती बरसों में! माँ गुजरी, पिता गुजरे, और उदयचंद की कोई संतान न हुई, हाँ, भूदेव, अपनी माँ की मौत के बाद, दूर चला गया था! उसको भेज दिया गया था दूर, वो अमीन बन चुका था उस समय तक!
समय नहीं रुकता! गंगा और भूदेव भी नहीं रुके! कोई नहीं रुकता! वे भी काल-गृह में प्रवेश कर गए! रह गयी जमना! जमना का भाग्य ही साथ नहीं दे पाया! पति नहीं रहा, संतान नहीं रही! लौट आई, उदयचंद के पास, उदयचंद भी काल-गृह में प्रवेश कर गया था! जमना, मथुरा चली गयी, जहां, बाबा कुंदन से टकरा गयीं वो! और बाबा कुंदन, उनकी वृद्धावस्था को देख, अपने संग ले आये! उसी जगह, जहां से उस जमना का गाँव पास ही था! तेजराज, पुत्र उस भूदेव का, कहाँ है, कुछ नहीं पता!
मित्रगण! मैं उस गाँव गया था जमना को लेकर! अम्मा जमना! अब घर नहीं है उनका वहाँ! मवेशी बांधते हैं लोग उधर! हाँ, वो कुआँ मैंने देखा जहां पानी पिया करता था भूदेव! जहाँ पहली बार मिला था वो उस गंगा से! और वो अँधा कुआँ भी देखा, जहां तेजराज वास करता था! वो दीवार भी! सब वहीँ हैं! लेकिन आज, भूले-बिसरे हैं! मैंने बस, इस घटना के ज़रिये प्रयास किया कि एक बार, फिर से जीवंत हो जाएँ ये कुछ किरदार!
अम्मा का रख-रखाव अच्छा हो, हारी बीमारी में मुझे सूचित करें, ऐसा मैं बाबा कुंदन से कह आया था! और हाँ, वहाँ से जाने से पहले, एक बार अम्मा के चरण पड़े थे मैंने! और फिर से अम्मा से खा कि मुझे एक बार फिर, तस्वीर दिखाएँ उस गंगा की! अम्मा ने दिखाई! और गंगा! मेरे सामने जैसे जीवित हो गयी! जैसे, घोड़े पर आ रहा हो भूदेव और गंगा, ताक रही हो उसका रास्ता!!
बस यही कहानी है उस गंगा की! बस यही!
साधुवाद!
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