नागिन का बदला

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Jemsbond
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नागिन का बदला

Unread post by Jemsbond » 22 Dec 2014 22:06

नागिन का बदला

उसके जिस्म पर फटे पुराने चिथड़े थे और चेहरे पर भूख प्यास के साथ भय की लकीरें। वह बेतहाशा भाग रही थी। क्योंकि तीन दरिन्दे उसका पीछा कर रहे थे। ये तीनों वो थे जिन पर देश की बहूबेटियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। यानि पुलिस बल के होनहार रंगरूट थे ये। किन्तु आज उनकी आँखें अपनी हवस में कर्तव्य भूल गयी थीं। एक पेड़ तले बैठी अकेली अबला उनके लिए आसान शिकार बन चुकी थी।

अचानक लड़की ने एक ठोकर खायी और मुंह के बल जमीन पर गिर पड़ी। उसका सर वहाँ पड़े पत्थर से टकराया और ज़मीन उसके खून से लाल होने लगी। उसने सर उठाकर देखा तो नशे में धुत तीनों दरिन्दे उसे घेरे हुए वहशियाना हंसी हंस रहे थे।

फिर वे उसपर टूट पड़े। देर तक उनका वहशियाना खेल चलता रहा। और जब वे अपनी हवस शान्त करके दूर हटे तो वहां नजर आ रही थी एक लाश। बेजान बिना किसी हरकत के।
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‘‘हम लोगों ने उसे मारकर अच्छा नहीं किया।’’ तीनों इस समय एक कमरे में मौजूद थे। उनमें से एक ने ये शब्द कहे थे। इस समय उनमें से कोई नशे में नहीं था।

‘‘तो क्या उसे छोड़ देते सबको बताने के लिए। हममें से किसी की नौकरी बाकी नहीं रहती।’’ दूसरे ने पहले को फटकारा।

‘‘सुखराम ठीक कहता है बलवन्त। वह लड़की अगर जिन्दा रहती तो हमारे लिए खतरा बन सकती थी।’’ तीसरा भी बोल उठा।

‘‘मैं तो इसलिए कह रहा था कि उसके साथ मज़ा बहुत आया था।’’ बलवन्त फिर बोला, ‘‘वैसे वह वहाँ आयी कैसे थी?’’

‘‘भिखारी तो कहीं भी पहुँच जाते हैं। ऊपरवाला भी खूब है। भिखारियों में भी इतनी खूबसूरती पैदा कर देता है।’’
‘‘तू तो कविता कहने लगा शुक्ला। लेकिन मेरे दिमाग में एक शंका है।’’ बलवन्त बोला।

‘‘कैसी शंका?’’
‘‘हम उसकी लाश यूं ही छोड़ आये थे। तफ्तीश जरूर होगी उसकी। कहीं ऐसा न हो कोई सुबूत मिल जाये, और हम लोग पकड़े जायें।’’

‘‘तू बेकार में चिन्ता करता है। तफ्तीश के लिए भी हम ही लोग बुलाये जायेंगे। अगर कोई सुबूत छूट भी गया तो हम अपने करकमलों से उसे स्वाहा कर देंगे।’’ सुखराम इत्मिनान के साथ बोला।

‘‘यानि हमारे फंसने का दूर दूर तक कोई चांस नहीं।’’

‘‘हां। अब बस एक ही खतरा है हमारे लिए।’’

‘‘कैसा खतरा?’’ दोनों सुखराम की बात पर चौंक उठे।
‘‘यही कि वह लड़की पुनर्जन्म किसी नागिन के रूप में ले ले और फिर हमसे एक एक कर बदला ले, पिछले जन्म का। जैसा कि पुरानी फिल्मों में होता था।’’

‘‘नागिन का बदला।’’ बलवन्त बोला और फिर तीनों कहकहा मारकर हंस पड़े।

‘‘चलो अब ड्यूटी पर चलने की तैयारी की जाये।’’ शुक्ला उठ खड़ा हुआ। बाकी दोनों भी उस के साथ खड़े हो गये।
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Jemsbond
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Re: नागिन का बदला

Unread post by Jemsbond » 22 Dec 2014 22:07


बलवन्त के इस समय पूरे मजे थे। एक राज्यमन्त्री के गेट पर उसकी ड्यूटी लगी थी। राज्यमन्त्री तो अपने बेडरूम में किसी कालगर्ल के साथ व्यस्त थे, लिहाजा उसके लिए भी ऊंघने का पूरा मौका था। और यही उसने किया। राइफल उतारकर साइड में रखी और दीवार से टेक लगाकर पसर गया।

अचानक उसे महसूस हुआ, उसके पैरों पर कोई लिजलिजी वस्तु रेंग रही है। उसने ऊंघती आँखों के पपोटे धीरे से खोलकर उधर नजर की। दूसरे ही पल उसके रोंगटे खड़े हो गये। क्योंकि वस्तु एक जहरीली नागिन थी। हड़बड़ा कर उसने सीधा होना चाहा, किन्तु उससे पहले ही नागिन आना फन काढ़कर उसकी आँखों से आँखें मिला चुकी थी। फिर उसे संभलने का भी मौका नहीं मिल सका। नागिन ने सीधे उसके माथे पर वार किया था और फिर बिजली की गति से वहाँ से गायब हो गयी।

‘‘बचाओ!’’ वह चीखा। आसपास मौजूद दूसरे लोग उसके पास दौड़ पड़े।

‘‘म..मुझे साँप ने काट लिया है मुझे डाक्टर के पास ले चलो ... फौरन।’’ उसने लोगों से कहा।

‘‘कहाँ..किधर है साँप?’’ उसकी बात सुनकर बाकी सब भी घबरा गये।

‘‘वह एक नागिन थी।’’ कहते हुए वह बेहोश हो गया। लोग उसे लेकर डाक्टर के पास भागे। लेकिन जहर अपना काम कर चुका था। उसे बचाया नहीं जा सका।

बलवन्त की जलती चिता के पास उसके दोनों दोस्त उदास और चिंतित खड़े थे।
‘‘समझ में नहीं आता नेताजी के बंगले में साँप किधर से आ गया।’’ शुक्ला कह रहा था।

‘‘कुछ भी हो, लेकिन हमारा एक अच्छा दोस्त हमसे जुदा हो गया।’’

‘‘ऊपर वाले की मर्जी। चलो घर चलते हैं।’’ दोनों ने आगे बढ़ने के लिए कदम उठाये, लेकिन फिर ठिठक कर रह गये। क्योंकि सामने एक नागिन फन काढ़े हुए गुस्सैली नजरों से उन्हें घूर रही थी।

दोनों हड़बड़ा गये। फिर शुक्ला ने अपना सर्विस रिवाल्वर निकालकर उसपर फायर करना चाहा। लेकिन उससे पहले ही नागिन बिजली की तरह लहराकर झाड़ियों में गायब हो चुकी थी।

‘‘यार, कहीं ये वही साँप तो नहीं था जिसने बलवन्त को डसा है।’’ सुखराम ने झाड़ियों की तरफ देखते हुए कहा।
‘‘हो सकता है। लेकिन ये हमारे सामने क्यों आया था?’’

‘‘आया नहीं आयी थी। वह नर नहीं मादा थी। एक खतरनाक नागिन।’’ सुखराम ने संशोधन किया।
‘‘कुछ भी हो, लेकिन उसका दूसरी बार दिखाई देना शुभ संकेत नहीं है।’’

‘‘दरअसल वह यहाँ देखने आयी थी कि उसके ज़हर का कितना असर हुआ है। अब छोड़ो इन सब बातों को, क्या घर नहीं चलना है?’’

‘‘हाँ चलो। यहाँ तो अब सुनसान हो रहा है।’’
वो दोनों जल्दी से वहाँ से चल दिये। नागिन देखने के बाद उनके दिलों में डर भी समा गया था।
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Jemsbond
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Re: नागिन का बदला

Unread post by Jemsbond » 22 Dec 2014 22:07


सुखराम की पत्नी उसकी गलत हरकतों से तंग आकर उससे तलाक ले चुकी थी। बच्चा कोर्ग था नहीं। इसलिए वह अकेला ही अपनी फ्लैट पर रहता था और जमकर शराबखोरी करता था।

इस समय भी उसके हाथ में लाल परी थी और सामने टी0वी0 आॅन था जिसपर कोई नर्तकी अपने लटके झटके दिखा रही थी। बैक्ग्राउण्ड में कोई भद्दा सा म्यूजिक बज रहा था।

उसने दो तीन चुस्कियां लीं और उस भद्दे म्यूजिक पर थिरकने लगा। फिर उस म्यूजिक में किसी संपेरे की बीन भी शामिल हो गयी। इसी के साथ याद आ गयी उसे वह नागिन।

‘‘क्या बकवास कहानियां होती थीं पुराने समय मेें। कोई आदमी किसी नाग को मार देता था, फिर नागिन उससे बदला लेती थी।’’ अपनी बात पर वह खुद ही हो हो करके हंसने लगा। नशा उसके ऊपर हावी हो रहा था।

अचाानक उसकी हंसी पर ब्रेक लग गया। क्योंकि खिड़की पर वही नागिन नजर आ रही थी, फन उठाकर इधर उधर झूमती हुई।

सुखराम ने दो तीन बार सर झटका और घूर घूरकर खिड़की की तरफ देखने लगा। नागिन लगातार झूमे जा रही थी।

‘‘लगता है मेरे को नशा ज्यादा हो गया है। ये ससुरी हर जगह दिखाई पड़ रही है।’’
लेकिन फिर उसका नशा हिरन हो गया। क्योंकि नागिन अब खिड़की से उतरकर उसी की तरफ आ रही थी। वह उछलकर खड़ा हो गया और शराब की बोतल हाथ में थाम ली नागिन को मारने के लिए। हालांकि उसका हाथ बुरी तरह कांप रहा था।

नागिन ने उसके ऊपर झपट्टा मारा। उसने बोतल से अपना बचाव करना चाहा। लेकिन नागिन उससे ज्यादा फुर्तीली थी। बोतल का वार बचाते हुए उसने उसकी कलाई में दाँत गाड़ दिये।

सुखराम ने देखा अपना जहर उगलने के बाद वह उसी खिड़की से वापस जा रही थी।
खौफ से कांपते हुए उसने जल्दी से मोबाइल उठाया और शुक्ला का नंबर मिला दिया।

‘‘हैलो!’’ दूसरी तरफ से शुक्ला की नींद भरी आवाज आयी। शायद वह सो गया था।
‘‘शुक्ला, मैं मर रहा हूँ। वही नागिन....।’’

‘‘क्या?’’ शुक्ला के चौंकने की आवाज आयी।
‘‘उसने मुझे काट लिया है। मेरे को लगता है उसमें उसी लड़की की आत्मा समा गयी है और हमसे बदला ले रही है।’’

‘‘बेकार की बातें मत करो। मैं आ रहा हूं तुम्हारे पास।’’
‘‘कोई फायदा नहीं। अब मेरा अंत आ गया है।’’ बेहोश होने से पहले उसने अंतिम वाक्य कहा और फिर उसके हाथ से फोन छूट गया।

स्पीकर से अभी भी शुक्ला की हैलो हैलो की आवाज आ रही थी।
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