Re: नागिन का बदला
Posted: 22 Dec 2014 22:08
परेशानहाल शुक्ला इंस्पेक्टर राजीव के चैम्बर में घुस गया।
‘‘सर, मैं बहुत परेशान हूँ।’’ उसने अंदर घुसते ही कहा।
इं. राजीव ने किसी फाइल से सर उठाकर उसकी ओर देखा, ‘‘वह तो तुम्हारे चेहरे ही से मालूम हो रहा है। क्या बात है?’’
‘‘सर, एक नागिन हमारे पीछे लग गयी है। उसने बलवन्त और सुखराम को मार डाला। और अब मुझे भी खत्म करना चाहती है।’’
‘‘तुम्हारी बातें मेरी समझ में नहीं आयीं। पहले तुम आराम से बैठो कुर्सी पर फिर बताओ ये नागिन का क्या किस्सा है?’’
सब इं.शुक्ला सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी देर अपनी साँसों को दुरुस्त करता रहा, फिर कहने लगा, ‘‘सर, आपको बलवन्त और सुखराम के बारे में पता ही है।’’
‘‘इतना मालूम है कि दोनों साँप के डसने से मरे हैं।’’
‘‘वह एक नागिन है सर, जो हमारे पीछे पड़ गयी है। मेरे दोनों दोस्तों को उसने मार दिया, और अब मेरे आगे पीछे फिर रही है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने उसे अपने दरवाजे पर देखा था और फिर भागा हुआ यहाँ आ गया।’’
‘‘तुम तो कहानी किस्सों की बातें कर रहे हो, जिसमें किसी नाग को मार दिया जाता है। बाद में नागिन उसका बदला लेती है। कहीं तुम लोगों ने तो नहीं किसी नाग को मार दिया है?’’
‘‘ऐसा तो कभी नहीं हुआ सर। हम लोगों ने तो कभी चींटी भी नहीं मारी। ...अरे बाप रे!’’ अचानक शुक्ला चीख उठा। इं.राजीव ने उसकी नजरों की दिशा में देखा तो वहाँ एक नागिन मौजूद थी, अपनी पतली जीभ लपलपाती हुई।’’
इं.राजीव ने रिवाल्वर निकालकर उसपर फायर करना चाहा। लेकिन बिजली की गति से नागिन वहाँ से गायब हो चुकी थी।
इंस्पेक्टर राजीव ने घूमकर देखा, शुक्ला सूखे पत्ते की तरह काँप रहा था।
‘‘सर, वह नागिन मुझे नहीं छोड़ेगी।’’ रो देने के स्वर में कहा शुक्ला ने।
‘‘घबराओ मत। तुम्हें कुछ नहीं होगा।’’ इं.राजीव ने उसे दिलासा दिया।
‘‘नहीं सर, अब मुझे यकीन हो गया है। यह नागिन उसी लड़की की आत्मा है।’’
‘‘कौन लड़की?’’ चैंक कर पूछा इं.राजीव ने।
‘‘अरे वही, जिसके साथ हम तीनों ने जबरदस्ती की थी और फिर उसे मार डाला था।’’ झोंक में बोल गया शुक्ला। फिर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। लेकिन अब तक तीर कमान से निकल चुका था।
इं.राजीव ने उसका गरेबान पकड़ लिया, ‘‘क्या बक रहे हो?किस लड़की को मार डाला तुम लोगों ने?’’
शुक्ला को पूरी कहानी सुनानी ही पड़ी। इं.राजीव का चेहरा क्रोध से लाल हो गया। उसने शुक्ला को एक झटका दिया, ‘‘तुम जैसे लोगों ने ही पूरे पुलिस डिपार्टमेन्ट को बदनाम कर रखा है। तुम लोगों को जिन्दा रहने का कोई हक नहीं। वह नागिन जानवर होकर भी तुम लोगों से लाख दर्जे अच्छी है।’’
‘‘मैं अपनी गलती मानता हूं सर। नशे में बहक गया था। लेकिन प्लीज मुझे उस नागिन से बचा लीजिए।’’ शुक्ला गिड़गिड़ाया।
इं.राजीव का क्रोध थोड़ा कम हुआ, ‘‘ठीक है, मैं देखता हूँ। लेकिन तुम्हें अपने आपको कानून के हवाले करना पड़ेगा।’’
‘‘मैं जिंदगी भर जेल में सड़ने के लिए तैयार हूं।’’
‘‘हूं।’’ इं.राजीव कुछ सोचने लगा था।
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‘‘सर, मैं बहुत परेशान हूँ।’’ उसने अंदर घुसते ही कहा।
इं. राजीव ने किसी फाइल से सर उठाकर उसकी ओर देखा, ‘‘वह तो तुम्हारे चेहरे ही से मालूम हो रहा है। क्या बात है?’’
‘‘सर, एक नागिन हमारे पीछे लग गयी है। उसने बलवन्त और सुखराम को मार डाला। और अब मुझे भी खत्म करना चाहती है।’’
‘‘तुम्हारी बातें मेरी समझ में नहीं आयीं। पहले तुम आराम से बैठो कुर्सी पर फिर बताओ ये नागिन का क्या किस्सा है?’’
सब इं.शुक्ला सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी देर अपनी साँसों को दुरुस्त करता रहा, फिर कहने लगा, ‘‘सर, आपको बलवन्त और सुखराम के बारे में पता ही है।’’
‘‘इतना मालूम है कि दोनों साँप के डसने से मरे हैं।’’
‘‘वह एक नागिन है सर, जो हमारे पीछे पड़ गयी है। मेरे दोनों दोस्तों को उसने मार दिया, और अब मेरे आगे पीछे फिर रही है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने उसे अपने दरवाजे पर देखा था और फिर भागा हुआ यहाँ आ गया।’’
‘‘तुम तो कहानी किस्सों की बातें कर रहे हो, जिसमें किसी नाग को मार दिया जाता है। बाद में नागिन उसका बदला लेती है। कहीं तुम लोगों ने तो नहीं किसी नाग को मार दिया है?’’
‘‘ऐसा तो कभी नहीं हुआ सर। हम लोगों ने तो कभी चींटी भी नहीं मारी। ...अरे बाप रे!’’ अचानक शुक्ला चीख उठा। इं.राजीव ने उसकी नजरों की दिशा में देखा तो वहाँ एक नागिन मौजूद थी, अपनी पतली जीभ लपलपाती हुई।’’
इं.राजीव ने रिवाल्वर निकालकर उसपर फायर करना चाहा। लेकिन बिजली की गति से नागिन वहाँ से गायब हो चुकी थी।
इंस्पेक्टर राजीव ने घूमकर देखा, शुक्ला सूखे पत्ते की तरह काँप रहा था।
‘‘सर, वह नागिन मुझे नहीं छोड़ेगी।’’ रो देने के स्वर में कहा शुक्ला ने।
‘‘घबराओ मत। तुम्हें कुछ नहीं होगा।’’ इं.राजीव ने उसे दिलासा दिया।
‘‘नहीं सर, अब मुझे यकीन हो गया है। यह नागिन उसी लड़की की आत्मा है।’’
‘‘कौन लड़की?’’ चैंक कर पूछा इं.राजीव ने।
‘‘अरे वही, जिसके साथ हम तीनों ने जबरदस्ती की थी और फिर उसे मार डाला था।’’ झोंक में बोल गया शुक्ला। फिर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। लेकिन अब तक तीर कमान से निकल चुका था।
इं.राजीव ने उसका गरेबान पकड़ लिया, ‘‘क्या बक रहे हो?किस लड़की को मार डाला तुम लोगों ने?’’
शुक्ला को पूरी कहानी सुनानी ही पड़ी। इं.राजीव का चेहरा क्रोध से लाल हो गया। उसने शुक्ला को एक झटका दिया, ‘‘तुम जैसे लोगों ने ही पूरे पुलिस डिपार्टमेन्ट को बदनाम कर रखा है। तुम लोगों को जिन्दा रहने का कोई हक नहीं। वह नागिन जानवर होकर भी तुम लोगों से लाख दर्जे अच्छी है।’’
‘‘मैं अपनी गलती मानता हूं सर। नशे में बहक गया था। लेकिन प्लीज मुझे उस नागिन से बचा लीजिए।’’ शुक्ला गिड़गिड़ाया।
इं.राजीव का क्रोध थोड़ा कम हुआ, ‘‘ठीक है, मैं देखता हूँ। लेकिन तुम्हें अपने आपको कानून के हवाले करना पड़ेगा।’’
‘‘मैं जिंदगी भर जेल में सड़ने के लिए तैयार हूं।’’
‘‘हूं।’’ इं.राजीव कुछ सोचने लगा था।
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