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Re: पागल वैज्ञानिक

Posted: 25 Dec 2014 18:34
by Jemsbond
तारकोल की चिकनी काली सड़क पर कार फर्राटे से दौड़ रही थी। कार सार्जेंट चला रहा था , आदतन वह तेज कार चलाता था इस समय भी रफ्तार 85 से ऊपर ही थी। कर्नल ने वाटर प्रुफ जरकीन की भीतरी जेब से ट्रांसमीषन निकाला जिसका आकार माचिस की डिब्बी के बराबर था। उसने एरियल खींचकर बाहर निकाल दिया।
- यस.....यस.....कर्नल नागपाल
- यस.....यस....09 हिअर
- मालूम करो षहर सभी नाकों पर चेकिंग हो रही है कि नहीं?
- श्रीमान मदन अभी एक संदिग्ध कार का पीछा कर रहा था, वो षहर के बाहर जाने वाले इलाके में जा रहे थे, अचानक उनका नाके के 50 गज पहले ही मूड़ बदल गया और कार वापिस षहर की तरफ चली गई....
- और मदन..
- श्रीमान वो अभी भी पीछा कर हा है......अभी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
- मैंने नाके की चेकिंग का कहा था?
- श्रीमान मदन के अनुसार वहाँ सादे वस्त्रों में जितने भी व्यक्ति पान, और चाय की दुकान के आस पास खड़े थे वे सभी पुलिसिये थे.........................उनमें से दो को तो मदन पहचानता भी था......कालेज के समय में वे उसके साथ पढ़ते थे।
- ओ.के. रिपोर्ट जल्दी देना।
- जी हाँ श्रीमान
कर्नल ने वायरलेस को बंद कर अपने वाटर प्रुफ जेकेट की अंदरूनी जेब में डाला, सार्जेंट दिलीप ध्यान से कर्नल की बातें सुन रहा था................
- क्या हुआ
- कुछ नहीं नाके पर चेकिंग हो रही है, मदन एक कार का पीछा कर रहा है.................मेरे ख्याल से यह कार वही होगी जो अपने बगल से निकली थी....याद है ना?
- लेकिन उसका पीछा नहीं हो रहा था।
- तुम्हें कैंसे मालूम?
- वो.........वो........
- वो.....वो मत करो , मदन षायद मोटर साईकिल पर होगा?
- बस एक बात तो बता दो फादर
- क्या
- ये पूरी टीम यहाँ कैंसे पहुँच गयी।
- बरखुरदार इन्डियन एयर लाईन के विमान का अपहरण हो गया था अभी हाॅल में याद है?
- जी हाँ उसे मुसलिम आतंकवादी नेपाल और पाकिस्तान होते हुए कांधार ले गये थे........ओसामा बिन लादेन ...और मुल्ला उमर ने उसका अपहरण करवाया था और उसके बदले हमारे विदेष मंत्रालय को उनसे समझोता करना पड़ा एवं यात्रियों की सुरक्षित रिहाई के बदले हमने चार खुंखार आतंकवादी उनके हवाले कर दिये.......
- वेरी वेल सेड....जीनियस.....यू हेव ए वंडरफुल नालेज एण्ड मेमोरी....पाकिस्तानी राश्ट्रपती परवेज मुसर्रफ पर अंतर्राश्ट्रीय दबाव पड़ा तभी पाकस्तानी हुकमरानों की
मध्यस्थता से समझोता संभव हो सका.........
- षर्मनाक समझोता कहो फादर.....यहाँ तो हमने देष के स्वाभीमान को गिरवी रख कर विमान के यात्रियों की जान बचाई....................
- देखो सार्जेंट आतंकवादियों को तो हम फिर से पकड़ सकते हैं किन्तु झूटे स्वाभिमान के चलते देष के 170 नागरिकों की बली नहीं चढ़ाई जा सकती.......देष के नागरिकों की हिफाजत की जिम्मेदारी भी सरकार की ही बनती है.....................हमने अपनी तरफ से हरचन्द कौषिष की, कि कमाण्डो कार्यवाही कर के अपहरित नागरिकों को छुड़वालें लेकिन तुम्हें तो याद होगा इस कोषिष में हमारा एक नागरिक उनकी गोलियों का षिकार हो गया......खैर छोड़ो इस विशय में बाद में विस्तार से चर्चा करेंगे......तुम पूंछ रहे थे ये हमारी खुपिया टीम के सारे सदस्य यहाँ कैंसे पहुँच गये......वो क्या है कि ये केस भी मुझे गृह मंत्रालय द्वारा सौंप दिया गया था, इसी सिलसिले में मैंने अपनी पूरी टीम यहाँ भिजवा दी थी.........में खुद भी आने वाला था......................लेकिन मुझे कांधार जाना पढ़ गया............और बाद में उस सर्मनाक समझोते के विशय में तो तुम्हें पूरी जानकारी है ही।
- वही में समझूं ये रेडीमेट जासूस यहा यहाँ कहां से आ गये।
वो अपने हाॅटल पहुँच चुके थे सार्जेंट ने कार एक किनारे पार्क कर दी और फिर दोनों हाॅटल में घुस गये..................उन्होंने काउंटर से चाबी ली एवं सीड़ियों की तरफ बढ़ गये।

Re: पागल वैज्ञानिक

Posted: 25 Dec 2014 18:35
by Jemsbond
कर्नल ने चाबी ताले में डाली अचानक उसका ध्यान किवाड़ पर गया उसे कुछ याद आया लेकिन वह षायद अपने विचारों की स्वयम् पुश्टी नहीं कर पा रहा था, सार्जेंट की आंखों में भी विचित्र भाव झलक रहे थे................उसे मालुम था दर्वाजे पर कर्नल ने जो बाल चिपकाये थे वे इस समय नहीं दिख रहे थे।
अंत में कर्नल ने चाबी ताले में डालकर घुमा दी......................कपाट खालने से पहले पतलून में खुंसी 38 केलीबर की भारी मोजर रिवाल्वर निकालकर हाथ में ले ली............वैंसी ही एक रिवाल्वर अब सार्जेंट के हाथ में भी थी।
कर्नल और सार्जेंट में आखों ही आंखों में कुछ इषारा हुआ दानों एक दूसरे की मंषा समझ गये, सार्जेंट दीवाल से सट कर खड़ा हो गया कर्नल ने एक जोर की लात किवाड़ पर मारी और हवा में उछलकर दूसरे ही पल वो कमरे के अंदर था।
तभी सार्जेंट को गोली चलने की आवाज सुनाई दी, एक व्यक्ति तेजी से बाहर भागा। लेकिन सार्जेंट मुस्तेद था उसने टांग अड़ा दी.................वह मुंह के बल गिर पड़ा, लेकिन बला की फुर्ती से उठ खड़ा हुआ उसका दाहिना हाथ खून से सना हुआ था षायद कर्नल की गोली उसके हाथ में लगी थी, उसने फ्लाइंग किक सार्जेंट की छाती पर मारी, सार्जेंट दर्द से दोहरा हो गया लेकिन अगले ही पल संभल गया उसके चहरे पर हिंसा के भाव थे अब तक वह उस व्यक्ति को जिन्दा पकड़ना चाहता था इसलिये पिस्तोल का उपयोग नहीं कर रहा था , उसने पतलून् में खुंसी पिस्तोल फिर से खींच ली, वो पिस्तोल सीधी ही करता की, उसकी किक सीधी पिस्तोल में लगी और पिस्तोल हवा में उछलकर गेलरी से होती हुयी नीचे लान में चली गयी, लेकिन वह भी अपनी झोंक में फर्स पर गिर गया था, इसके पहले कि वह संभलता सार्जेंट उसके उपर सवार हो गया और उसके बालों को पकड़ कर खींचा....................लेकिन यह क्या उसके सारे बाल उसके हाथ में आ गये अब उसकी सफाचट खोपड़ी से वह और खतरनाक दिखने लगा था।
तो आप हैं.........क्या कहते हैं ...अच्छा ट्रेवलिंग एजेंट, सार्जेंट ने उसका सिर बजा दिया वो दर्द से दोहरा हो गया, खड़े हो जाओ माई डिअर मिट्टी क षेर..........वह खड़ा हुआ, और पलट कर एंसा भागा मानों माना हुआ एथलीट हो, सार्जेंट उसके पीछे भागा वो हाॅटल से निकलकर सीधे एक मोटर साइकिल की तरफ दौड़ा एक ही किक में मोटर साइकिल स्टार्ट कर तूफानी रफ्तार से भाग निकला।
उसको मोटर साईकिल स्टार्ट करता देख सार्जेंट अपनी कार की तरफ बड़ा उसने फुरती से कार स्टार्ट की ,लेकिन कार एक तरफ झुक रही थी। सार्जेंट ने उतरकर देखा कार के एक चक्के में बिल्कुल हवा नहीं थी।
सार्जेंट जानता था अब पीछा करने का कोई फायदा नहीं वो तो ना जाने कहां निकल गया होगा, लेकिन वह निष्चित रूप से वही व्यक्ति है जो उसे ट्रेवलिंग एजेंसी पर मिला था।
सार्जेंट लाबी से होते हुए रूम में आया लेकिन फिर उसके आष्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कर्नल का कहीं अता पता नहीं था, एक जर्मन रिवाल्वर दरवाजे के पास पड़ी थी, सार्जेंट ने बड़ी सावधानी से रूमाल की मदद से रिवाल्वर उठाकर सूटकेष में रख ली।
कर्नल आखिर गया तो कहां गया, इससे भी अहम प्रष्न वो गया कहां से। लेकिन सार्जेंट को अपनी ही बुद्धी पर तरस आ गया क्योंकि खिड़की खुली थी, उसने झांक कर देखा वह होटल का पिछवाड़ा था और खिड़की की बगल से पाइप नीचे तक गई थी। कर्नल जैसे व्यक्ति का उससे नीचे उतरना कतई असम्भव नहीं था।
वो षोच रहा था अब वो क्या करे क्योंकि उसके पास अब कोई काम नहीं था।

Re: पागल वैज्ञानिक

Posted: 25 Dec 2014 18:36
by Jemsbond
और इधर कर्नल ने जैसे ही रूम में घुसा उसकी नजर उस व्यक्ति पर पड़ गयी, वह चाहता तो उसे वहीं समाप्त कर सकता था लेकिन वह तो उसके ठिकाने तक पहुँचना चाहता था जहाँ अपहरण करके डाॅक्टर को छिपाया गया है। उसने उसके हाथ का निषाना साधकर गोली चला दी, रिवाल्वर उसके हाथ से निकलकर नीचे जा गिरी, वो पलट कर दरवाजे से बाहर भागा, वो जानता था एक निहत्थे को सार्जेंट आसानी से कुछ समय रोक सकता है। वो खिड़की से उतरकर बाहर निकले और फिर बन्दर की तरह पाइप के सहारे उतरता हुआ अगले ही पल नीचे था। वह लगभग दौड़ता हुये पूरा घेरा काटता हुआ हाॅटल के सामने पहुँचा, वो अपनी कार की तरफ भागा, लेकिन उसकी निगाह पहले ही बिना हवा के टायर पर पड़ गयी। उसने हाॅटल की चाहारदीवारी से बाहर आकर एक कार टेक्सी रूकवाई। तभी एक गंजा व्यक्ति भागते हुए हाॅटल से बाहर आया और मोटर साईकिल स्टार्ट करने लगा कर्नल तो एक बारगी पहचान ही नहीं सका लेकिन अगले ही पल उसे हाॅटल की लाबी में सार्जेंट दिखाई दिया।
किधर चलना है साहब, सरदार ड्राइवर ने कर्नल से पूंछा।
सरदार जी इस मोटर साईकिल का पीछा करना वो भी सावधानी से उसे पता नहीं चलना चाहिये, कर्नल ने कहा।
- मामला क्या है जी.......................
- मामला गुप्तचर विभाग का है..............दारजी................प्लीज जल्दी कीजिये क्योंकि तब तक मोटर साईकिल कार से दूर जा चुकी थी।
लगता था सरदार जी को कर्नल की बातें जम गयी, उसने धड़ा-धड़ गेयर बदले और मोटर साईकिल और कार के बीच का फाँसला धीरे-धीरे घटने लगा।
- साहब आप कर्नल नागपाल हैं ?
- क्यों, तुम कैसे जानते हो!
- जानना पड़ता है साहब।
- अरे भाई देखने में तो भले आदमी लग रहे होे और भले आदमी तो पुलिष की जात से ही नफरत करते हैं।
- लेकिन आप तो पुलिष नहीं जासूस हैं।
- अंतर क्या है।
- बहुत है साहब।
- दारजी आपने बताया नहीं आप मुझे कैंसे जानते हो।
मोटर साईकिल के चालक को षायद अभी अपने पीछा किये जाने का अहसास नहीं था अतः वह बड़े आराम से मोटर साईकिल चला रहा था। कर्नल जानता था उसे आसानी से अपने पीछा किये जाने का अहसास होने वाला भी नहीं क्योंकि मोटर साईकिल का बैकमिरर टूटा हुआ था।
- साहब हम डकेत रह चुके हैं, कई बैंक डकैती डाली...............................दिल्ली में भी एक डाली थी, लेकिन साहब उसमें अपना बाॅस मर गया...............षायद ना मरा हो लेकिन मुझे अब तक नहीं मिला तब से हमने बुरे काम छोड़ दिये......एक टेक्सी खरीद ली बस।
- दार जी तुम्हें मुझे एँसा बताते भय नहीं लगता।
- भय कैसा कर्नल साहब क्योंकि मेरे खिलाफ कुछ सिद्ध होने वाला नहीं।
- क्या नाम है?
- नाम में क्या रखा है साहब, वो देख्यिे आपका मुर्गा उस बिल्डिंग में घुस गया।
कर्नल ने कहा कार रोका। और उसने एक पांचसो का नोट सरदारजी के हाथ में थमा दिया।
- अरे साहब इसकी क्या जरूरत.................
- जरूरत है सरदारजी जीने खने के लिये महनत की कमाई की जरूरत है।
- में भी चलूँ साहब
- नहीं दारजी।
- जैसी आपकी मरजी।
कर्नल के सामने एक तीन मंजिली बिल्डिंग थी जिसमें निष्चित रूप से रिहायषी घर थे क्योंकि नीचे नेम प्लेट और साथ में क्वार्टर का नम्बर पड़ा हुआ था। कर्नल ने कुछ षोचकर बिल्डिंग के साईड में बने टाॅयलेट में घुसकर जेब से माचिस के आकार की डिबिया के आकार जितना बड़ा ट्रांसमीटर निकालकर उसका एरियल खींचा.........................यस कर्नल नागपाल स्पीकिंग..................फादर आप कहां चले गये.................जल्दी करो समय नहीं है, पता नोट करो, सार्जेंट कर्नल द्वारा बताया गया पता नोट करने लगा........................फादर क्या कहा न्यू प्रिन्सेस स्ट्रीट हिमालय विला...
- बिल्कुल यही स्थानीय थाने जाकर कम से कम 50 सषस्त्र सिपाही लेकर पहुँचो। में बिल्डिंग में प्रवेष कर रहा हूँ आवर एण्ड आल।