पागल वैज्ञानिक

Horror stories collection. All kind of thriller stories in English and hindi.
Jemsbond
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पागल वैज्ञानिक

Unread post by Jemsbond » 25 Dec 2014 18:27

उपन्यास : पागल वैज्ञानिक
उपन्यासकार : शरद चन्द्र गौड़

यह उपन्यास पूर्णतया काल्पनिक है। इसका सम्बन्ध किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से नहीं है। उपन्यास में किसी शहर , गांव एवं काल का प्रयोग काल्पनिक कथ्य को रोचकता प्रदान करने के लिये किया गया है।

राजधानी नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, देश का एक मात्र रिसर्च इन्सटीट्यूट जहाँ बायोसाइंस के रिसर्च स्कालर, जूनियर तथा सीनियर वैज्ञानिकों को सरकार की और से भरपूर ग्रांट मिलती है। आज तक यहां के वैज्ञानिकों ने सेंकड़ों दवाइयां इजाद की, जिनकी मदद से असाधरण से असाधरण रोगों पर शीघ्र काबू पाया जा सका। नित नई खोजों में षामिल थीं महत्वपूर्ण दवाइयाँ जिनके लिये मानव पूर्ण रूप से वनस्पतियों पर निर्भर था लेकिन नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस के कुशल साइंटिस्टों ने पहले इनका केमिकल फार्मूला जाना, फिर उन्हें आर्टिफीसियल ढंग से प्रयोग षाला में तत्वों के निष्चित अनुपात को मिलाकर बनाया। आज भी जो औसधियाँ प्रचलन में हैं जैंसे सिफ्लोक्सीन, क्लोरोक्वीन, जैंसी दवाईयों एवं कैंसर जैसे असाध्य रोग की दवाइ्र्र तैयार करने में इस इन्स्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया है। हाल के प्रयोगों से पता चला है कि कल तक जिस सदाबहार के पौधे को गाय-बैल तक खाने को तैयार नहीं होते थे उस सदसबहार के पौधे में वैज्ञानिक कैंसर जैसे असाध्य रोगों का निदान खोज रहे हैं। आषा यही की जा सकती है कि एक दषक बाद कैंसर से किसी को भी समय से पहले मृत्यु का षिकार नहीं होना पड़ेगा, और इन सब का कारण है उस महान व्यक्ति की लगन, देषप्रेम, और विष्वबंधुत्व जिसे हम डाॅक्टर षिवाजी कृष्णन के नाम से जानते हैं।
लेबोराट्री नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, साड़े चार फिट ऊँची टेबलों पर रखे थे कांच के फ्लास्क, उनसे जुड़ी नलियाँ, जगह-जगह पर नलियों के स्टेण्ड रखे थे, टेबलों के दाएँ एवं बाएँ तरफ बोतलों में विभन्न्ा प्रकार के केमिकल्स वा पावडर रखे थे।
रात के 12ः30 बज रहे थे लेकिनि डाॅक्टर सत्यजीत राय अपने प्रयोंगों में बुरी तरह व्यस्त थे, जूलिया उनकी मदद कर रही थी। जूलिया बीस इक्कीस साल की खूबसूरत युवती थी। उसने एम.एस.सी. बायोसाइंस में पूरी युनीवर्सिटी को टाप किया था...फिर हुआ हुआ उसका सिलेक्सन ‘नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस’ में।
डाॅक्टर सत्यजीत राय सुगन्धों को लेबोराट्री में बनाने का प्रयोग कर रहे थे। उनका मत था फल, फूल, पेड़-पौधे, मांस-मटन में पायी जाने वाली खुषबुओं को विभिन्न्ा केमिकल की मदद से बनाया जा सकता है।
- डाॅक्टर 12ः30 बज गये आज का प्रयोग यहीं खतम कर देना चाहिये।
- नहीं जूलिया मुझे आज के प्रयोगों से बहुत आषा हे, तुम जाओ तुम्हारे घर में तुम्हारा इन्तजार हो रहा होगा।
- इन्तजार ......इन्तजार किसका डाॅक्टर मेरा अब इस दुनिया में कोई नहीं।
- ओह..आई. एम.स्वारी। फिर भी रात बहुत हो गई है अतः तुम्हें चले जाना चाहिये।
- डाॅक्टर अकेले काम करने में तुम्हें तकलीफ नहीं होगी और इतनी रात को जाना भी उचित नहीं, इसलिये आज रात मैं यहीं रुक जाती हूँ.....डाॅक्टर मैं चाय बना कर लाती हूँ।
- ओ.के. बेबी...जस्ट एज यू लाईक।
- ठीक है फिर अच्छे बच्चों की तरह इजी चेयर पर बैठ जाइ्र्रये...जब तक मैं चाय ना बना लाऊँ।
- जूलिया तुमने तो मुझे बच्चा ही बना डाला।
जूलिया ने डाॅक्टर की बातों को नजरन्दाज करते हुए कहा डाॅक्टर इतना काम करते आप थकते नहीं हो।
- तुम भी तो बैटी सुबह से मेरा साथ दे रही हो।
- डाॅक्टर मेरी उमर अभी बीस साल हे और आपकी छैयासठ साल.....मेरी बात और .....
- यानी हम बूढ़े हो गये.....
- मेरा मतलब.....
- अच्छा अब चाय बनाओ।
---000---
कर्नल नागपाल के पास आजकल कोई केस नहीं था। वो अपनी कोठी के लान में इजी चैयर पर बैठ कर सार्जेन्ट दिलीप की बकवास सुन रहे थे। कर्नल नागपाल केन्द्रीय गुप्तचर विभाग के खतरनाक एजेण्ट और सार्जेन्ट दिलीप उनका सहायक.....जिसका चुलबला, हँसमुख स्वभाव विख्यात है।
फादर, सार्जेण्ट दिलीप ने कहा..
- बोलो बेटे
- आज ष्याम का क्या प्रग्राम है।
- कुछ भी नहीं
- में सोच रहा हूँ आज सिल्वर नाईट क्लब जाना चाहिये।
- वो किस खुषी में।
- फादर आज सटर्डे है।
- तो
- आज वहाँ स्पेन की एरिया जेडसन का डान्स हैं
- मेंने तो सुना था से ये डान्स बगैरा पर सरकार ने बेन लगा दिया है...
- सब पर नहीं फादर स्टार क्ल्ब एवं हाॅटेल जिनमें फारेन टूरिस्ट आतें हैं....दे आर फ्री फ्राम दा बैन..
- ओह आई सी..नाओ गो आन तुम क्या कह रहे थे..
- ठीक है मेरी फोर्ड ले जाना मुझे कुछ काम है।
सार्जेंट दिलीप कई दिनों से देख रहा था कर्नल नागपाल के पास कोई केस नहीं था फिर भी वो चिन्तित नजर आते थे और अधिकान्स समय उनका लेबोराट्री में बीतता था। कर्नल ने अपनी कोठी के पीछे स्थित तीन कमरों को लेबोराट्री में बदल दिया था एवं खाली बक्त में ना जाने कौन-कौन सा प्रयोग किया करते थे, सार्जेंट दिलीप को इसकी कोई खबर नहीं रहती थी।
- फादर ये देखो, सार्जेंट दिलीप ने न्यूज पेपर की एक न्यूज पर अंगुली रख दी
- क्या है।
फादर नेषनल रिसर्च लेबोराट्री आफ बायोसाइंस के एक प्रोफेसर ने अपने एक प्रयोग के लिये दस करोड़ रुपये की सहायता मांगी है।
- तो क्या हुआ
- मतलब कुछ नहीं हुआ, गोया दस करोड़ रुपये नहीं दस हजार मांगे हों।
- भाई कोई महत्वपूर्ण प्रयोग कर रहा होगा....अमेरिका में तो अंतरिक्ष के विभन्न्ा प्रयोगों पर अरबों डालर का व्यय आता है।
- फादर यहाँ अंतरिक्ष के प्रयोगों जैसी कोई बात नहीं है।
- तो क्या है।
- वो सुगंधों पर प्रयोग कर रहा है।
- अरे ये तो अच्छी बात है।
- क्या खाक अच्छी बात है भरत में वैसे ही सुगंधों की कोन सी कमी है....साला प्रोफेसर की औलाद मेरा बस चले तो साले की गर्दन काट दूँ।
अच्छा गर्दन बाद में काटना मेंने सुना है आज तुम्हारा सिल्वर नाइ्र्रट क्लब जाने का प्रोग्राम है।
अरे मैं तो भूल ही गया, कह कर सार्जेंट दिलीप उठ खड़ा हुआ।
---000---
सार्जेन्ट दिलीप की फोर्ड कार षहर की चैंड़ी सड़कों पर दौड़ती हुई सिल्वर नाईट क्लब की तरफ जा रही थी। सार्जेंट का और सिल्वर नाईट क्लब का चैली दामन का सांथ पिछले पांच ष्षाल से चला आ रहा था। सिल्वर नाईट क्ल्ब के मेनेजर से लेकर हर बैरा तक उसको अच्छी तरह जानता था....जानते तो सिल्वर नाईट क्लब के हर मेम्मबर भी थे उसको कारण था मोन्टी जो अभी सार्जेंट के बगल में पेन्ट सर्ट पहन और फेल्ट हैट पहन कर सिगरेट पी रहा था।
- बैटे तू भी क्या याद करेगा आज तुझे मैं एरिना जेडसन का डान्स दिखा के लाऊँगा।
- ऊ.....ऊ.....ऊ....
- अबे साले गधे तू तो बन्दर का बन्दर ही रहा जानता नहीं है अमेरिका के विलियम साहब के बन्दर ने चार पोयम और पचास देषों के नाम याद कर लिये हैं...बैटे तू भी जल्दी से कर नहीं तो तेरे को फिर से जंगल छोड़ आऊगा।
लेकिन मोन्टी सार्जेंट की बकवास से परे प्रेम से सिगरेट के कस लगा रहा था।
दस मिनिट बाद सार्जेंट क्ल्ब के अहाते में बने कार पार्किंग में कार पार्क कर रहा था। आज जरूरत से ज्यादा भीड़ दिखाई दे रही थी सार्जेंट की लम्बी फोर्ड मुषकिल से एक कोने में खड़ी हो सकी।
सार्जेंट मोन्टी की अंगुलियों को पकड़े क्लब में दाखिल हो गया, क्लब के एक कोने में उसकी सीट रिजर्व थी । सार्जेंट अपनी सीट पर बैठ गया, मोन्टी एक छलांग में उसके सामने था....सार्जेंट को बैठा देख एक बैरा समीप आया।
- क्या लाऊँ सर।
- एरिना जेडसन
वो तो पन्द्रह मिनिट बाद मिलेंगी बैरे ने मुस्कुराते हुए कहा।
- अभी क्या मिलेगा।
- उनको छोड़कर सब कुछ
- तो बैटे वैटर दो पैग पीटर स्काच विद सोडा...
- यस सर
बैरा लम्बे डग भरते हुए बार की तरफ बड़ गया। सार्जेंट धीरे-धीरे टेबल बजा रहा था। क्लब के एक और बने स्टेज पर कलाकार गिटार पर कोई मधुर धुन बजा रहे थे साथ में एक एंगलो इंडियन लड़की इन्गलिष में कोई गाना गा रही थी लेकिन क्लब में सायद ही कोई ऐंसा हो जो उसका गाना सुन रहा हो...मोन्टी आर्केस्टरा की धुन पर बड़े मजे से सिर हिला रहा था....तभी एक सुरीला स्वर सार्जेंट के कानों से टकराया...मैं यहाँ बैठ सकती हूँं।
आफ कोर्स मेडम मेने केवल दो सीट रिजर्व करायीं हैं। सार्जेंट ने बिना सिर उठाये टेबल बजाते हुए जवाब दिया। तब तक बैरा दो पैग पीटर स्काच के ले आया था
- सर योर
सार्जेंट ने सिर उठाया, और देखा सामने एक अत्यधिक खूबसूरत नवयुवती बैठी थी।
हैलो सार्जेंट ने कहा, हैलो उसने जवाब में धीरे से कहा।
- मेंने आप को पहले यहाँ कभी नहीं देखा.....हेना मोन्टी
- मोन्टी ने सिर हिला दिया
- जी में पेहली बार आयी हूँ...आप यहाँ के...
मेडम में अकसर यहाँ आता रहता हूँ....बन्दे को सार्जेंट दिलीप कहते हैं , और ये हैं इन्सपेक्टर मोन्टी...उसने बन्दर की तरफ इषारा किया।
- क्या
- जी हाँ
- मतलब
- ये इन्सपेक्टर मोन्टी हैं।
- ये तो षायद बन्दर है।
मोन्टी ने घूर कर लड़की की तरफ देखा ,फिर सिगरेट के कष लेने लगा।
- देखो आज इसे बन्दर कह दिया चलेगा। आइन्दा नहीं कहना नहीं तो ये बुरा मान जायेगा।
उŸार में मोन्टी ने फिर सिर हिलाया..
- ठीक है बाई दि वे यू आर एन इन्टरेस्टिंग पर्सन..
- जर्रानवाजी के लिये षुक्रिया ,क्या बन्दा अपने सामने बैठी अनिन्ध सुन्दरी का इन्ट्रोडक्सन जान सकता है।
- ओह सार्जेंट में जूलिया हूँ। मेंने आपका बहुत नाम सुना है ,लेकिन मिल पहली बार रही हूँ, आप कर्नल नागपाल के असिस्टेंट हैं ना।
- आप तो अगता है मेरे बारे में सब कुछ जानती हैं ..
- और आपके मोन्टी के बारे में भी।
- क्या लेंगी
- कुछ नहीं
- जब आयी हैं तो कुछ तो लेना ही पड़ेगा विस्की..बियर
- जी में काफी लूंगी

Jemsbond
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Re: पागल वैज्ञानिक

Unread post by Jemsbond » 25 Dec 2014 18:27


सार्जेंट ने एक बैरे को पास बुलाया और काफी का आर्डर दिया।
पांच मिनिट के पष्चात जूलिया काफी की चुस्कियां ले रही थी...अचानक हाल की लाईट गोल हो गयी। मोन्टी कुरसी पर खड़ा हो गया ,सार्जेंट का दिमाक चकराया। जूलिया की तो चीख निकलने वाली थी तभी स्टेज पर हलकी गुलाबी लाईट का प्रकास का गोला दिखाई देने लगा , गोला धीरे-धीरे बड़ा होता गया, अब गोले के मध्य में एक खूबसूरत लड़की मधुर मुस्कान के साथ खड़ी थी...उसके जिस्म पर गुलाबी रंग के गाऊन नुमां वस्त्र थे...सार्जेंट को इस प्रकार के डान्स में गाऊन की उपयोगिता समझ में नहीं आ रही थी।
आर्केस्ट्रा का स्टेज भी हलके गुलाबी प्रकास से नहा रहा था , साधकों ने आर्केस्ट्रा पर मधुर धुन छेड़ दी थी...एरिना का षरीर आर्केस्ट्रा की धुन पर बिजली की गति से थिरक रहा था, सार्जेंट को गाऊन की उपयोगिता का पता लगता दिख रहा था। एरिना आर्केस्ट्रा की धुन पर गोल-गोल घूम रही थी। उसका गाउन गर्दन से ऊपर तक उठ रहा था, उसके घूमने की रफ्तार बड़ती जा रही थी।अचानक एरिना इतने जोर से घूमी कि उसका गाऊन हवा में उड़ गया,सार्जेंट के मुख से षिसकारी निकली। हाल में हल्का सा गुलाबी प्रकास छाया हुआ था सभी मंत्र मुग्ध डान्स देख रहे थे वह नाम मात्र के कपढ़ों में बिजली की गति से थिरक रही थी या यूं कहो कि उसका अंग-अंग थिरक रहा था। अब केवल एरिना पर सर्च लाईट का सफेद दूधिया प्रकास पढ़ रहा था, बह और अधिक मादक दिखाई दे रही थी, उसके डान्स करने का अन्दाज भी बदलता जा रहा था, सार्जेंट अपने दिमाक पर जोर डाल रहा था, उसे लग रहा था मानों उसने उसे कहीं देखा है। लेकिन उसे कुछ याद नहीं आ रहा था।
आर्केस्ट्रा की तेज धुन अचानक बन्द हो गई, उसने सभी को झुक-झुक कर सलाम किया और स्टेज से ओझल हो गयी।
क्लब का हाल एक बार फिर प्रकास से नहा गया, सार्जेंट अभी तक एरिना के विशय में ही सोच रहा था ,मोण्टी नई सिगरेट जला रहा था, जूलिया अभी भी आर्केस्ट्रा का मधुर धुन गुनगुना रही थीं
- सार्जेंट कहां खो गये।
- षोच रहा था वो खुषनसीब कोन होगा ............
- किसकी बात कर रहे हो..
- ...जिसके साथ इसकी षादी होगी....दूधिया बदन,सांचे में ढला षरीर, बांकी चितवन......
- मैं चली सार्जेंट
- अरे कहां अभी से
- अरे बाबा साड़े ग्यारह बज रहे हैं
उसने हाथ घड़ी में टाइम देखा।
- कहां रहती हैं आप
- नेषनल रिसर्च लेबोराट्री आफ बायो सांइस के पीछे बने क्वार्टर में।
- मैं आप को ड्रोप कर दूंगा चलिये।
- लेकिन आप तो सिविल लाईन में रहते हैं।
- अरे आप को कैंसे मालुम।
- मैंने कहा ना तुम्हारे बास की फेन हू
और मेरी नहीं, सार्जेंट ने रोनी सूरत बनाकर कहा।
- तुम्हारी भी, उसने मुस्कराते हुये कहा।
तुम्हारी भी, खेर चलो..चलो इन्स्पेक्टर मोन्टी,....मोन्टी ने सिर हिलाया, एवं तीनो क्लब से बाहर आ गये।
- आप नेषनल लेबोराट्री में काम करती हैं।
हां डाॅक्टर सत्यजीत राय की असिस्टेण्ट हूं।
बस अगले मोड़ पर दाहिने मोड़ दीजिये, अरे-अरे कहां ले जा रहे हो, मेरा घर आ गया। सार्जेंट ने अपना दाहिना पैर एक्सीलेटर से हटा कर ब्रेक के पैडल दबाया कार दाहिने और के एक क्वार्टर के सामने खड़ी हो गयी। क्वार्टर का बाहरी भाग सुन्दर पुश्पों के पौधों से सुषोभित हो रहा था, निष्चित रूप से यहां रहने वाला फूलों से प्रेम करने वाला है.......नहीं वाली है, अपने सोचने पर सार्जेंट के चेलरे पर मुस्कान आगई।
- आईये
- नहीं फिर कभी मेडम, दिन में नहीं तो वही बात हो जायेगी.....हम हैं आप हैं और ये तनहाई......
- आई थिंक यू आर नाॅट ....जस्ट लाईक देट ....आई हेव नो एनी प्राबलम फ्राम योर साइट एनी वे एस यू लाईक ओके गुड नाईट....
- गुड नाईट बट् थेंक्स टू सर्टीफाई माई करेक्ट....नाओ अगेन स्वीट ड्रीम मेडम।
जूलिया के चेहरे पर हलकी मुस्कान आ गयी.....वो अपने फ्लेट का दरवाजा खोलने लगी।
सार्जेंट ने कार स्टार्ट कर गयेर में डाल दी।
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डाॅक्टर षिवाजीकुश्णन नेषनल रिसर्च लेबोराट्री आफ बायोसाइंस के प्रधान और उनके साथ उनकी विषाल टेबल के सामने बैठे हैं उन्हीं की लेबोराअट्री के काबिल वैज्ञानिक डाॅक्टर सत्यजात राय।
- सर मुझे अपने प्रयोगों के लिये 10 करोड़ रूपयों की जरूरत है।
- मिस्टर राय 10 करोड़ कोई मामूली रकम नहीं है।
- मेरे प्रयोगों से हमारा देष कहां से कहां पहुंच सकता है।
- मैं नहीं समझता मिस्टर राय...
- सर मेरे प्रयोग अधूरे हैं....लेकिन अभी भी उनमें इतनी प्रोग्रेस हो चुकी है कि मैं आगे प्रयोगों को बढ़ाने के लिये यदी सरकार से 10 करोड़ तो क्या 10 अरब भी मांगू तो भी देना पड़ेगा।
- मतलब
- तबाही
- यानी
- अगर मुझे 10करोड़ नहीं मिले तो मैं एंसी तबाही मचाऊंगा कि भारत का बच्चा-बच्चा कांप जायेगा।
- मिस्टर राय आप हमें धमकी दे रहे हैं।
- धमकी नहीं चेतावनी.....
- मैं आपकी धमकियों में नहीं आ सकता, ना ही इतनी मोटी रकम मोहिया करा सकता हूं इसके लिये आप सेेक्रेटियेट से सहायता लें ........
- वो तों लूंगा ही।
- अच्छा आप अब जा सकते हैं....
- सर आप मुझे भगा रहे हैं।
- मिस्टर राय मुझे पूरी लेबोराट्री संभालनी है, फालती की बातों के लिये मेरे पास समय नहीं है। हाँ अगर आप के प्रयोग महत्वपूर्ण रहे तो मैं अपने विषेश कोश से 8-10 लाख की रकम मोहिया करा सकता हूँ।
- 8-10 लाख की रकम आप अपने पास पखिये सर ,लेकिन मेरी चैतावनी याद रखिये।
आई से गेट आऊट डाॅक्टर षिवाजी कृश्णन को जीवन में पहली बार क्रोध आया।
बूढ़ा सत्यजीत राय तेज कदम बढ़ाते हुए बाहर चला गया, उसके माथे पर परेषानी के लक्ष्ण थे, चेहरा क्रोध से तमतमाया हुआ था।
मैं इस देष को दिखा दूंगा ,कि मैं कोन हूँ, हमारे देष में और भी सेकड़ों इन्स्टीट्यूट हैं जहाँ मुझे काम मिल सकता है, बैंक मुझे 10 करोड़ का ऋण दे सकता है। डाॅक्टर सत्यजीत राय सोच रहे थे.....उनका तनाव कुछ कम हो रहा था।
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भारत एक बड़ा राश्ट्र है , इसकी आबादी एक अरब से भी अधिक है। इस बड़ी आबादी वाले विकास षील राश्ट्र का हर व्यक्ति कर्ज में उूबा हुआ है। चारों और भुकमरी, बेरोजगारी, कालाबाजारी,एवं भ्रश्टाचार का भयंकर यप दिखाई दे रहा है। हाँलांकी एँसा नहीं कि इस विषाल राश्ट्र में नेता नहीं हैं ना ही यहां खनिज संसाधनों की कमी है। पंच वर्शीय योजनाओं के माध्यम से देष प्रगति के पथ पर अग्रसर है। ष्षीत युद्ध की समाप्ती के पष्चात एक ध्रविय विष्व में भारत का रूस के साथ ही साथ अमेरिका के साथ भी व्यापारिक ,तकनीकी यहां तक की परमाणविक सहयोग भी बड़ा है। भारत एवं अमेरिका के मध्य असेनिक परमाणु उर्जा के लिये हाल मैं किया गया यमझोता इस क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी उपलब्धी है। प्रगति तो निष्चित रूप से हो रही है, लेकिन सवाल उठता है प्रगति के लाभ का, तब हमारी जनसंख्या आड़े आ जाती है और प्रगति का लाभ केवल चंद व्यक्तियों तक सीमित होकर रह जाता है......अमीर और अमरी हो जाते हैं ...जो गरीब हैं वो तो ना जाने गरीबी के दल दल में कितना धंस जातें हैं।
और आता है समय प्रतिभा-पलायन का , हमारा राश्ट्र एक-एक बच्चे को छोटी कक्षओं से लेकर उच्च षिक्षा तक पढ़ाने में लाखों रूपये खर्च करता है। फिर वही प्रतिभाएं इस देष को छोड़कर चली जाती हैं.......पैसा कमाने भारत माता रोती सिसकती आंखों पर पट्टी बाँधे उन्हैं विदा करती है, डाॅक्टर हरगोविंद खुराना,प्राफेसर चन्द्रषेखर और ना जाने कितने साफ्ट वेयर इन्जीनियर, परमाणु उर्जा वैज्ञानिक धन के आभाव में अपनी मात्र भूमि को त्याग कर पष्चिमी देषों की सेवा कर रहे हैं। लेकिन दोश उनका भी नहीं है, दोश भारत के उन नेताओं का भी नहीं है, जिनके हाथ में देष की बागडोर है। दोष है उस बढ़ती हुयी जनसंख्या का ,दोष है उस से उत्पन्न्ा बेरोजगारी का।आज डाॅक्टर सत्यजीत राय का मन भी कुछ इसी प्रकार के विचारों में खोया हुआ है, वो भी देष छोड़ने का विचार मन से निकाल नहीं पा रहे, लेकिन देष प्रेम उन्हें एंसा करने नहीं दे रहा । डाॅक्टर सत्यजीत राय अपनी उन्न्ाीसवीं सदी की पुरानी मोटर साइकिल को पंजाब नेषनल बैंक के सामने पार्क कर रहे थे। उन्होने ब्राउन कलर का सूट पहना हुआ था ऊपर से ब्राउन हेड और काले जूते। डाॅक्टर तेज कदम बड़ाता हुआ बैंक में दाखिल होता है, वो सीधा मेनेजर के कमरे में जाता है।

Jemsbond
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Re: पागल वैज्ञानिक

Unread post by Jemsbond » 25 Dec 2014 18:28

- मिस्टर षुक्ला आई.एम. डाॅक्टर सत्यजीत राय, नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यूट आफ बायो साइंस।
‘तसरीफ रखिये जनाब’ मेनेजर ने बड़े ही षालीन स्वर में कहा।.....मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ।
- कर तो आप बहुत कुछ सकते हैं ......पर सवाल है आप करेंगे या नहीं।
- जनाब हम यहाँ बैठे ही आपकी सेवा के लिये है, या यँॅॅू कहिये आपकी मेरा मतलब आप लोगों की सेवा करने का ही तो हम वेतन पाते है।
- षुक्रिया मुझे आषा है, आप मेरा काम करेंगे।
- जी हाँ अब हमें पाइंट्स पर आना चाहिये।
- जी हाँ मिस्टर षुक्ला में भी यही चाहता हूँ पर सोच रहा हूँ सिलसिला कहां से षुरू करें.....मैं एक वैज्ञानिक हूँ और प्रयोग कर रहा हूँ।
- आप षुरू से बताईये।
- मैं षुगन्घों पर प्रयोग कर रहा हूँ, मैं जिस लेबोराट्री में प्रयोग कर रहा हूँ वो मेरे प्रयोगों के लिये पर्याप्त नहीं है और मेरे प्रयोगों पर भरी खर्च आना है। महंगे उपकरण खरीदना हैं, साथ ही मैं एक अलग लेबोराट्री की स्थापना करना है, वहाँ मुझे सहायकों की भी जरूरत पड़ेगी।....डाॅक्टर कुछ रुका।
- यस डाॅक्टर
- मिस्टर षुक्ला अमेरिका में मेरा एक मित्र आर्कीट्रेक्ट है, एक मित्र मेरे ही समान बायोसांइस का सांइटिस्ट ...सच पूंछा जाये तो उससे मित्रता ही हमारे सब्जेक्ट में मेल होने के कारण हो सकी...तो मिस्टर मैं बोल रहा था, उनसे मेने कान्टेक्ट किया और अपनी मन्सा बताई, उनके अनुसार मेरे इस प्लान पर पहले चरण में 8 करोड़ रूपये खर्च होंगे , आगे खर्च और होगा....उसका ब्योरा हम बाद में तैयार करने वाले थे....लेकिन पहला ही प्लान धरा रह गया।
- क्या
जी हाँ मिस्टर मुझे अपने इन्सटीट्यूट के प्रधान से आषा थी कि वह मेरे सब्जेक्ट के लिये नया विभाग खुलवा देगा और मुझे उस समय 10 करोड़ की रकम भी मामूली लगीं लेकिन उन्होंने मेरे अनुरोध को ठुकरा दिया....यहाँ तक की मुझे बे..इज्जत तक किया ...आप तो जानते हैं अमेरिका, रूस, फ्रान्स, ब्रिटेन ...इनके बदले हम अपने देष को ही लें तो हथियारों के निर्माण में करोड़ों रूपये खर्च हो रहे हैं....अन्तरिक्ष अनुसंधान में सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर उपग्रहों का निर्माण एवं प्रक्षेपंण किया जा रहा है फिर केवल बायोसांइस को ही क्यों एंसी फेसेलिटी नहीं दी जा रही, देखिये में तो भावनाओं में बहकर सब्जेक्ट से हट गया, बूढ़ा हो गया हूँ ना....खेर तो मैं आपसे 10 करोड़ का ऋण चाहता हूँ डाॅक्टर ने सीधे विशय पर आते हुए कहा।
मेनेजर कुर्सी पर संभल कर बैठ गया , वह जानता था यह उसकी परीक्षा की घड़ी है। उसने नपे तुले षब्दों में कहा..बिल्कुल सही फरमाया डाॅक्टर आपने हमारी सरकार केवल योजना बनाना जानती है लेकिन उस पर अमल हो रहा है कि नहीं इस बात को नजरन्दाज कर देती है। मुझे याद है नेषनल इन्सटीट्यूट आफ बायो सांइन्स जब रूस की मदद से बना तब रूस ने 10 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता की थी ओर भारत सरकार ने उसमें इतना ही रूपया खर्च किया था।
जी हाँ मिस्टर लेकिन मैं सोचता हूँ अभी इन्सटीट्यूट में कुल एक करोड़ का भी सामान नहीं है। तो आपने क्या निर्णय लिया...डाॅक्टर ने अपनी मन्सा पुनः दोहराई।
- डाॅक्टर हम आपको ऋण देने को तैयार हैं....
थेन्कयू मेनेजर....थेन्क्यू वेरी मच...डाॅक्टर ने भावुक होकर कहा।
लेकिन डाॅक्टर इसके लिये आपको सिक्योरिटी देनी पड़ेगी, जो कि जरूरी है, हमारा नियम है, बिना सिक्योरिटी के एक धेले का भी ऋण हम नहीं दे सकते, डाॅक्टर आप बुरा मत मानना क्योंकि देष में एँसे लोगों की कोई कमी नहीं जो लोन में लिये रूपयों को लेकर फरार हो जाते हैं, आप खुद ही सोचिये एँसी हालात में हम क्या करेंगे, हम भी तो जो ऋण में देते हैं वह जनता की ही तो होता है। मेनेजर ने डाॅक्टर के चेहरे को बारीकी से पढ़ते हुए सावधानी भरे लब्जों में कहा।
डाॅक्टर के माथे पर बल पड. गये, वह मेनेजर के षब्दों में छुपे अभिप्राय को समझने का यत्न कर रहा था, .....लेकिन था डाॅक्टर भी समझदार उसने दुनिया दारी देखी थी....उसे मेनेजर की बातों में दम लगा....‘मेनेजर मैं किसकी सिक्योरिटी लाऊँ’ उसने अत्यधिक निराषा भरे षब्दों में कहा।
किसी की भी जो 10 करोड़ की प्रापर्टी रखता हो या फिर अपने इन्सटीट्यूट की, सरकार भी सिक्योरिटी दे सकती है.....आप सचिवालय से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
थेन्क्यू मेनेजर डाॅक्टर ने उठते हुए कहा। वह जानता था रिसर्च इन्स्टीट्यूट उसकी सहायता करने से रहा, और किसी 10 करोड़ की सम्पŸाी वाले को तो वह ठीक से जानता भी नहीं था, कारण भी था ना जानने का, स्टूडेण्ट लाईफ से अब तक उसने अपने विशय को छोड़ किसी से मित्रता की हो एँसा उसे याद नहीं, आज उसको अपने पर खीज आ रही थी क्यों उसने बड़े लोगों से मित्रता नहीं की। विचारों में मग्न वह अपनी मोटर साईकिल की और बढ़ रहा था।
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- फादर मेने सुना है अमेरिका में एक बन्दर का दिल एक जेब कतरे के दिल से बदल दिया गया अब जब कतरा चिड़िया घर में उछल कूद कर रहा है और बन्दर जेब काट रहा है, क्यों ना हम भी मोण्टी का दिल भी किसी जेब कतरे से बदल दें तो हमारे वारे न्यारे हो जायेंगे.....हम मजे से बेठेंगे और साला बन्दर की औलाद जासूसी करेगा, साला आज कर बहुत एस कर रहा है।
मोण्टी ने घूर कर सार्जेंट को देखा और कूद कर टेबल पर बैठ गया....मानो हड़ताल पर हो। मोण्टी की कहानी भी दिलचस्प है सात आठ साल पेहले एक छोटा सा बन्दर ना जाने कहां से घायल अवस्था में कर्नल के बंगले मेें आ गया...हाँलांकी कर्नल के बंगले के लिये अभूतपूर्व सुरक्षा के इन्तजाम किये गये हैं फिर भी वह बन्दर का छोटा सा बच्चा ना जाने कहां से आ गया, लगता है इलेक्ट्रिक करेण्ट की चपेट में आ जाने के कारण ही उसकी हालात ज्यादा बिगड़ गयी थी, सुरक्षा कर्मी बन्दर के बच्चे को कर्नल के पास लेकर आये, कर्नल ने सुरक्षा कर्मियों से तो कोई बात नहीं की लेकिन घायल बन्दर का इलाज बंगले के पीछे बनी लेबोराट्री में षुरू कर दिया, कर्नल को चिकित्सा विज्ञान का इतना ज्ञान था कि कभी-कभी तो ऐसा लगता था मानो वह एक क्वालीफाईड डाॅक्टर हो...वेंसे कर्नल सेना की तकनी विंग संबद्ध एक इन्जीनियर था। सार्जेंट को भी देर सबेरे बन्दर की खबर तो लगनी ही थी और लगी भी ,इलाज तो बेसक बन्दर का कर्नल ने ही किया लेकिन उसकी देखभाल वाकई सार्जेंट ने ही संभाली..सार्जेंट ने ही उसका नाम मोण्टी रखा ,सार्जेंट जानता था माण्टी में कर्नल ने कुछ ना कुछ जेनेटिकल एवं हार्मोनिक परिर्वतन किये हैं, क्योंकि मोण्टी असाधरण रूप से इन्सानी भाशा समझ लेता था.....सार्जेंट की तंद्रा टूटी..
- बेटे कहो तो तुम्हारे दिल से इसका दिल बदल दें इसके लिये अमेरिका नहीं जाना पड़ेगा.....आपरेषन मैं ही कर दूंगा।
- क्या फादर ....आपरेषन....और आप..
और अच्छे से सुनो बेटा श्रीमती मेनिका गांधी जी को यदी पता चल गया के कर्नल नागपाल के असिस्टेण्ड ने एक बन्दर को बन्दी बना कर रखा हुआ है, तो खेर नहीं समझे...तो बेटे अब अच्छे से बैठ जाओ, अब काम करने का समय आ गया ,ये फाईल पढ़ लो आज ही मंत्रालय से आयी है।
- यानी मुसीबत
- बैटे बैठे-बैठे तनख्वा कब तक लोगे...और तुम्हारी पार्टी कैसी रही...सिल्वर नाईट क्लब की।
- पार्टी
- भाई वही पार्टी जो तुम वैज्ञानिक की सहायिका के साथ मना रहे थे....क्या नाम है उसका।
- जूलिया फादर, आप को कैसे पता चला।
- ऐसे ही मेने सोचा एक राउण्ड मैं भी मार दूँ।
- फादर फिर मुझसे मिले क्यों नहीं....
- मेनें सोचा कवाब में हड्डी बनने से क्या फायदा है
हाँलांकी सार्जेंट जानता था कि कर्नल असली कारण बताने वाले नहीं हैं, जरूर क्लब में कुछ गड़बड़ी हुयी होगी। क्या गड़बड़ी हो सकती हैं क्योंकि उसके आने तक तो कुछ नहीं हुआ था फिर आज के पेपर में भी एँसा कुछ संकेत नहीं मिला, हाँलांकी एरिना जेडसन के डांस की तारीफ जरूर की गयी थी। कहीं तो ही कर्नल के क्लब पहुँचने का कारण तो नहीं,षायद उसने षोचा क्योंकि चेहरा उे भी पहचाना लगा था।
- बैटे कहाँ खे गये
- कहीं नहीं
- डान्स में तो मजा आया ना
- क्या डान्य था, क्या सुन्दरता थी, क्या बदन था,क्या अदा थी..
- अच्छा अब काम करो मैं चला लेबोराट्री में।
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रात्री के आठ बज कर तीस मिनिट हो रहे थे, राजधानी के काफी व्यस्त इलाके में ,पैर रखने की जगह नहीं थी,लेकिन आवागमन बिना रूके चल रहा था। दुकाने नयी नवेली दुल्हन की तरह सजी थी। ग्राहकों की मानों बाड़ का गयी थी ऐंसा लगता था मानों आज सारा षहर दुकानों पर टूट पडऋा हो, हकीकत में ऐंसी कोई बात नहीं थी यह तो हर दिन का रोना था। इस भीड़ में षामिल थे दुनिया के जानेमाने जासूस कर्नल नागपाल, उनका असिस्टेन्ट सार्जेंट दिलीप और उसके साथ में था उसकी उंगली थामे बन्दर मोन्टी। उन्हें आज कुछ कपड़े खरीदने थे भीलवाड़ा सूटिंग एण्ड सर्टिंग से। लेकिन यहाँ आलम ऐंसा कार खड़ी करें तो कहाँ, कपड़े की दुकान से आधा किलोमीटर दूर, कार पार्क कर के कर्नल, सार्जेंट और मोन्टी टहलते हुए कपड़े की दुकान की तरफ बड़ रहे थे, उनके मध्य कुछ इस प्रकार की बात चीत हो रही थी।
- फादर
- यस माई सन
- मेरा बस चले तो कपड़े पहनना बन्द कर दूँ....
- क्यों बेटे..
- ये भी कोई बात हुई..
- बरखुदार जरा स्पश्ट षब्दों में कहो..
- फादर यहाँ तो हालात ऐंसे हैं कि जैंसे दुकान खेत में और कार पार्किंग खलियान में।
- सही फरमा रहे हो, पर गनीमत है,भारत में पैदा हुये अगर अमेरिका में होते तो भीलवाड़ा सूटिंग सर्टिंग आने के लिये कम से कम 10 किलोमीटर चलना पड़ता।
- लगाई गप्प फादर मानों मैं अमेरिका गया ही नहीं।

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