New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

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rajkumari
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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by rajkumari » 17 Feb 2017 10:31

ना. क्यों तू अपने ही जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं. पता भी हैं आगे जाकर इसका क्या अंजाम होगा.

राधिका-प्लीज़ निशा मुझे बस मेरे हाल पर चोद दे. मैं जैसे भी हूँ ठीक हूँ.
निशा- मेरी आँखों में देखकर बता राधिका की जो तू ये सब कर रही हैं क्या ये सब तुझे ठीक लगता हैं. भला तू अपने ही भैया से वो सब कैसे कर सकती हैं. क्या तेरी आत्मा इस बात की गवाही नहीं देती की…………….

राधिका-बस कर निशा , मैं ये सब बिलकुल सुनना नहीं चाहती, प्लीज़ चुप हो जा.

निशा- मुझे विश्वास नहीं होता की तू वही राधिका हैं जो कल तक तुझे जो भी आँख उठा कर देख लेता था तू उसका बंद बजा देती थी तो आज क्या हो गया हैं तुझे. क्यों आज अपने ही बदन को अपने ही भाई के हवाले करना चाहती हैं. क्यों तू अपने आप को बर्बाद करना चाहती हैं.

राधिका- बोल ले निशा जितना जी में आए मुझे बोल ले, मैं तुझे आज एक शब्द भी नहीं बोलूँगी.
निशा- ठीक हैं राधिका ये ले मेरा गिफ्ट अब मैं चलती हूँ हो सके तो तू मुझे माफ कर देना. आज के बाद मैं तुझसे कभी नहीं मिलूंगी.

राधिका के आंकोहन से आँसू निकल पड़ते हैं और वो झट से निशा का हाथ पदक लेती हैं.
राधिका- मुझे माफ कर दे निशा मेरे ये इरादा नहीं था की तुझे दुख पहुँचे. राधिका अपने आँखों से आँसू पोछते हुए बोली.

निशा- प्लीज़ राधिका मुझे जाने दे. मैं अब तेरे साथ कोई भी रिश्ता नहीं रखना चाहती प्लीज़ लीव में…………..
राधिका- अगर तू इस वक्त यहाँ से चली गयी तो मेरा मारा हुआ मुंह देखेगी. और तू जानती हैं की मैं बोलती नहीं करती भी हूँ.

निशा के बढ़ते कदम इतना सुनकर रुक जाते हैं और फिर वो राधिका के करीब आती हैं.

निशा- तू क्यों ऐसा कर रहीं हैं. क्यों तू अपने जिंदगी बर्बाद करने पर तुली हुई हैं.आख़िर क्या जताना चाहती हैं तू…. ….मेरी बात मान राधिका अब भी कुछ नहीं बिगाड़ा हैं वक्त रहते संभाल जा. वरना कल को तेरी शादी हो गयी और तेरे ससुराल वालों को इस बात की भनक भी लग गयी तो तेरा ज़ीना मुश्किल हो जाएगा.

राधिका- जाने दे ना निशा मैं सब कुछ अपने नसीब पर चोद चुकी हूँ. अगर मेरे नसीब में गिरना ही लिखा हैं तो मुझे गिरे से कोई नहीं बच्चा सकता.

निशा- नसीब वासीब कुछ नहीं होता राधिका. यहाँ पर इंसान खुद अपनी तकदीर बनता हैं और बिगर्ड्ा हैं. आज भी सब कुछ तेरे हाथों में हैं. आगे तेरी मर्जी ………………..

फिर कुछ डियर के बाद दोनों नॉर्मल होते हैं और कृष्णा भी घर पर आ जाता हैं और फिर दोनों मिलकर राधिका का बर्तडे सेलेब्रेट करते हैं. राधिका भी उसे अपने घर पर खाना खिलती हैं और फिर निशा करीब 7 बजे अपने घर चली जाती हैं.निशा के जाने के बाद वो उसका गिफ्ट पैक खोलती हैं उसमें एक लाल डेरी था.जिसे देखकर राधिका का चेहरा से खिल उठता हैं. ….. राधिका कुछ डियर में घर का सारा काम खुतम करके, बिस्तर पर लेट जाती हैं. उसकी आँखों में नींद कोसों दूर थी. जैसे ही वो बिस्तर पर लेट थी हैं उसके आँखों के सामने सुबह से अब तक की पूरी घटनायें याद आने लगती हैं. जो भी हो आज उसका दिन वाकई में यादगार बन गया था. सुबह उठाते ही भैया का सर्प्राइज़ प्रेज़ेंट, फिर दिन भर राहुल के साथ वो हसीना पल और शाम को भैया के साथ वो घटनायें सब कुछ उसकी नज़र के सामने घूमने लगता हैं.काफी डियर तक ये सब सोचते सोचते उसको नींद आ जाती हैं.

सुबह जब उसकी आँख खुलती हैं तो वो झट से फ्रेश होती हैं और नाश्ता बनाकर अपने कॉलेज के लिए निकल पड़ती हैं. थोड़ी डियर में उसके बाप और भैया दोनों बाहर निकल जाते हैं.

पुलिस स्टेशन में……………..

इधर राहुल भी सुबह 9 बजे अपने पुलिस हेडक्वार्टर पहुँच जाता हैं. उसके थोड़े डियर के बाद ही ख़ान भी जीप से उतारकर उसके सामने आता हैं.

ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!
राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान भाई , कहिए क्या हाल समाचार हैं.

ख़ान- सर एक बहुत जरूरी बात करनी थी आपसे. मामला बहुत गंभीर हैं.
राहुल- बोलो ख़ान क्या बात हैं??

ख़ान- सर कल रात में करीब 10 बजे में.ग चव्क पर पुलिस मुठभेड़ में दो बदमाश मारे गये हैं . और सर हमारा कॉन्स्टेबल रघु के हाथ में भी गोली लगी हैं. अभी वो हॉस्पिटल में एडमीशन हैं. और खतरे से बाहर हैं.

राहुल- क्या???? इतना सब कुछ हो जाने पर तुम अभी मुझे ये रिपोर्ट दे रहे हो. कल नहीं बता सकते थे क्या???
ख़ान- सॉरी सर आपने कल छुट्टी ली थी तो मैंने आपको डिस्टर्ब करना सही नहीं समझा.

राहुल- चलो कोई बात नहीं लेकिन आगे से मुझे तुरंत रिपोर्ट मिलनी चाहिए. और हाँ उन बदमाशों का कुछ पता चला क्या,, कौन थे वो?? और उनका मक़साद क्या था.

ख़ान- सर कल रात में हमने में.ग रोड पर नाकाबंदी कर रखी थी. इतने में ये दोनों बदमाश अपनी मोटरसाइकल से आए और आते ही हम पर फाइरिंग कर दी. जवाब में हमें भी गोली चलानी पड़ी. और ये दोनों मारे गये.

राहुल- इनके पास कुछ समान मिला हैं क्या कोई ई.द या कुछ????
ख़ान- हाँ सर इनके पाद ड्रग्स के कुछ पॅकेट्स थे. और एक रिवाल्वर भी मिला हैं. जिसे ये लोग हम पर हुँला किए थे.

ख़ान- और सर इनका पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ये भी पता चल हैं की ये दोनों बहुत दीनों से ड्रग्स के अडिक्ट थे. और ये शायद इसका धंधा भी करते थे. और एक चौकाने वाली बात भी पता चली हैं.

राहुल- कौन सी बात??
ख़ान- सर हमने इस….

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rajkumari
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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by rajkumari » 17 Feb 2017 10:31

रिवाल्वर की पूरी आइडेंटिफिकेशन निकली हैं. ये रिवाल्वर किसी डॉक्टर के नाम से इश्यू हैं. पर सर नाम और अड्रेस जाली हैं. और हाँ सर आप पर जो 5 महीने पहले जो हुँला हुआ था वो गोली इसी रिवाल्वर से चलाई गयी थी.

अब चौकने की बड़ी राहुल की थी.

राहुल- क्या बकते हो ख़ान ??
ख़ान- हाँ सर हमने पूरी रिपोर्ट टेस्ट करवाई हैं और जिससे ये 100% प्रूफ होता हैं की ये गोली इसी रिवाल्वर की हैं. ख़ान रिपोर्ट देते हुए बोला.

राहुल- तो इसका मतलब जो गोली मुझपर चलाई गयी थी और जो गोली रघु को लगी हैं वो दोनों सेम हैं. और एक ही रिवाल्वर से चलाई गयी हैं. इसका मतलब ये कोई बहुत बड़ी साज़िश रची गयी हैं. यानि की ये दोनों सिर्फ़ मोहरे थे. इनका असली मलिक कोई और हैं.

ख़ान- हाँ सर आपने बिलकुल सही पहचाना .
राहुल- पूरे शहर में रेड अलर्ट घोषित कर दो. शहर से जानी वाली सारी गाड़ियों की अच्छे से तलाशी लो. मुझे किसी भी हाल में ये ड्रग्स का धंधा करने वाले गिरोह को पकड़ना हैं. उसके बाद उन सालों की ऐसी मौत मारूँगा की मौत भी शर्मा जाएगी.

फिर थोड़े डियर के बाद राहुल खुद जाकर उनका मूवयणा करता हैं. और फिर इस केस की तहक़ीकत शुरू कर देता हैं.

वहाँ से दूर ……………….बिहारी के गेस्ट हाउस में.

विजय- नमस्कार बिहारी जी.
बिहारी- आओ आओ विजय कैसा चल रहा हैं धंधा पानी.

विजय-आपको तो सब पता हैं की कल रात हमारे दो आदमी मारे जा चुके हैं और पुलिस भी अब आक्टिव हो गयी हैं. जगह जगह नाकाबंदी भी लगा रखा है. अब तो समझ लो की धंधा बिलकुल बंद हो गया हैं.

बिहारी- तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ. ऐसे ऐसे नमूने लोग को रखोगे अपने धंधे में तो यही होगा ना.
विजय- प्लीज़ बिहारी जी आप कैसे भी करके इस सिचुयेशन को हैंडिल कर लीजिए.वरना वो हरामी राहुल को अगर भनक भी लग गयी की ड्रग्स का गान्ड लीडर मैं ही हूँ तो साला मुझे ज़िंदा दफ़न कर देगा.

बिहारी- मैं इस वक्त कुछ नहीं कर सकता. अभी एलेक्षन का टाइम हैं और मैं अपनी रेप्युटेशन नहीं खराब करना चाहता. बेहतर इसी में हैं की तुम कुछ दीनों तक अपना धंधा बंद कर दो. जब हालत सुधार जाएँगे तो देख लेंगे.

विजय- बिहारी तुमने मेरे दोस्त हो इसका मतलब ये नहीं की तुम केवल अपना ही फायदा निकालो. आज जो तुम्हारी पोज़िशन हैं सब मेरी बदौलत हैं. और आज भी तुम मेरे बगैर ये एलेक्षन जीत नहीं सकते. तो अब मुझे नहीं लगता की अब मुझे तुमसे इस बारे में कोई बात करनी चाहिए. बाकी तुम खुद समझदार हो.

बिहारी- ठीक हैं ठीक हैं. मैं कुछ सोचता हूँ. लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा.
विजय- बोल ना बिहारी तुझे क्या चाहिए.

बिहारी- तू तो जनता ही हैं ना मेरी कमज़ोरी. लड़की चाहिए मुझे चोदने के लिए. ना की रंडी.
विजय- अरे यार अब तेरे लिए मैं लड़की का कहाँ से इंतजाम करूं. ठीक हैं मैं कुछ सोचता हूँ.विजय मन ही मन बिहारी को गली देता हैं. साला मादरचोद देख लेना किसी दिन कुत्ता ये लड़की के चाकार में साला बर्बाद हो जाएगा. साला 50 साल का हो गया मगर आइयशी साले की दिन-बीए-दिन बढ़ती ही जा रही हैं. अपना तो फँसेगा साला कहीं मुझे भी ना ले डूबे.

कुछ डियर तक उन दोनों में ऐसी ही बात होती हैं फिर दोनों वहाँ से निकल जाते हैं अपने अपने रास्ते.

विजय – अब मादरचोद के लिए लड़की कहाँ से ले आओं. साला रंडी माँगता तो मैं काजीरी से बोलकर लाइन लगा देता. और अब मेरी नज़र में तो कोई लड़की………………………..एक दम से विजय को कुछ याद आता हैं और उसके चेहरे पर मुस्कान फैल जाती हैं…………………………………………………..हैं एक लड़की तो है………..
दूसरे दिन जब राधिका कॉलेज पहुँचती हैं तो वही पर कंटेने में निशा भी बैठी मिलती हैं. वो उसके पास जाकर बैठ जाती हैं.

निशा- आ गयी जान. मैं तेरा ही वेट कर रही थी.
राधिका- हाँ तुझे तो मेरे बिना एक पल भी चैन ही नहीं मिलता.शुक्र हैं की मैं तेरी सहेली हूँ वरना बाय्फ्रेंड होती तो ……… इतना कहकर राधिका मुस्करा देती हैं.

वही थोड़े दूर पर दो लड़के आपस में बात कर रहे थे और वो उनकी बात सुन लेते हैं तभी एक बोल पड़ता हैं
पहला- यार हम क्या मर गये हैं. हमें अपना बाय्फ्रेंड बना लो कसम से मजा आ जाएगा.

दूसरा- यार हमारी भी रातें रंगीन हो जाएगी और टुंदोनो की भी.बोलो ना क्या कहती हो.

जैसा की निशा उम्मीद की थी की राधिका इस बार जरूर उनका बंद बजाएगी मगर अब झटका लगने की बड़ी उन लड़कों की नहीं बल्कि निशा की थी.

राधिका- यार निशा चलो ना कहीं और चलते हैं.
निशा- एक दम से हैरत से देखते हुए- राधिका!!! ये तू बोल रही हैं मैं बिलकुल विश्वास नहीं कर सकती!!! ओह गोद ई कांट इमॅजिन!!!!

राधिका- इसमें हैरत की क्या बात हैं. प्लीज़ चलो ना यहाँ से.
निशा उठकर उन दोनों के करीब जाती हैं और जाकर वही खड़ी हो जाती हैं.

निशा- हाँ तो आप क्या बोल रहे थे ज़रा मैं भी तो सुनू.निशा एक दम गुस्से होकर और उन दोनों को घूर कर बोली..

निशा के ऐसे तेवर देखकर दोनों लड़के चुप चाप वहां से सॉरी बोल कर निकालने लगते हैं. लेकिन जवाब में निशा उन दोनों को एक एक थप्पड़ गाल पर मर देती हैं.

निशा- हम कंज़ूर नहीं हैं. और हमें कंज़ूर समझने की गलती भी मत करना. आज के बाद किसी ने हमसे ऐसी बातें भी की तो साले की मुंह नोंच लूँगी.

और कुछ डियर में माहौल पहले जैसे हो जाता हैं. इतना सब कुछ होने के बाद भी आज राधिका पहली बार एक भी….

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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by rajkumari » 17 Feb 2017 10:33

शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान – Romantic Thriller Saga – 42


शब्द नहीं बोली थी.

निशा भी चुप चाप राधिका के पास जाकर बैठ जाती हैं. और उसके आँखों से आँसू का एक सैलाब बहने लगता हैं.
राधिका- प्यार से निशा के कंधे पर हाथ रखकर- क्या जरूरत हैं तुझे ऐसे लड़कों से उलझने की.

निशा- मर गयी निशा!!! आज से मैं तेरी कोई नहीं राधिका, प्लीज़ लीव में अलोन!!!
राधिका एक टुक उसको देखती हैं फिर से अपना हाथ उसके हाथ में रख देती हैं

राधिका- आख़िर बनाएगी भी की बात क्या है. तू मुझसे ऐसे क्यों पेश आ रही हैं.आख़िर तू रो… क्यों रही हैं???

निशा- ये बात मुझे तुझसे पूछने चाहिए की आख़िर तुझे क्या हो गया हैं. मुझे विश्वास नहीं हो रहा की तू अब वो राधिका हैं . कल तक जो आदमी घूर कर देख भी लेता था तू उसका पूरा बंद बजा देती थी लेकिन आज ऐसा क्या हो गया हैं जो वो दो लड़के इतना सब कुछ बोल कर हमें निकल गये और तू एक भी शब्द नहीं बोली. मैं इसकी वजह जानना चाहती हूँ.

राधिका इतना सुनकर कुछ डियर तक खामोश रहती हैं मगर कोई जवाब नहीं देती हैं.

निशा- बोल ना राधिका चुप क्यों हैं. मुझे तेरा जवाब चाहिए.हैं कोई इसका जवाब????
राधिका- प्लीज़ निशा ये सब बातें बाद में करेंगे. प्लीज़ अब रोना बंद का नाअ.

निशा- मैं जानती थी की तेरे पास इसका कोई जवाब नहीं होगा. अब तू वो राधिका नहीं रही जो मेरी कभी जान हुआ करती थी.

निशा- आख़िर तू क्या साबित करना चाहती हैं राधिका. प्लीज़ मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ तू अपने आप को तमाशा मत बना. ये रास्ता तुझे जिंदगी की ओर नहीं बल्कि मौत की ओर ले जाएगा. और जब तक तू इस बात को समझेगी तब तक बहुत डियर हो चुकी होगी. और मैं अपनी राधिका को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती .आगर तुझे कुछ हो गया तो मैं तेरे बगैर नहीं जी पाऊंगी. तू मेरी जान से बढ़कर हैं. प्लीज़ …………….इतना कहकर निशा फूट फूट कर राधिका के कंधे पर रोने लगती हैं.

राधिका के भी आँखें नूं हो जाती और वो अपना हाथ बढ़कर निशा के आँसू पोछती हैं. दोनों के आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.

कुछ डियर तक वो दोनों ऐसे ही लिपटकर एक दूसरे से रोते हैं.

निशा- देख राधिका मैं तेरी कोई दुश्मन नहीं हूँ. और मैं कभी नहीं चाहूँगी की तुझपर कोई आँच भी आए. मैं तो यही भगवान से दुआ करती हूँ की अगर मौत भी आकर मुझसे कहे तो मैं तेरे बदले अपनी जान देना पसंद करूँगी मगर तुझे कुछ नहीं होने दूँगी.

राधिका अपने आँसू पोछते हुए- प्लीज़ निशा ऐसी बात मत कर, तुझे मैं कैसे समझौं की आज मैं किस मज़धार में खड़ी हूँ. मेरे सेम एक तरफ पहाड़ हैं तो डुसरी तरफ खाई. इयां सॉरी निशा मैं तुझे अपनी मज़बूरी नहीं बता सकती. लेकिन वादा जरूर करती हूँ की वक्त आने पर तुझे सब कुछ पता चल जाएगा.निशा- आख़िर कौन सी मज़बूरी हैं जो तू मुझे नहीं बता सकती.
राधिका- नहीं निशा प्लीज़ मुझे फोर्स मत कर मैं इस वक्त तुझे नहीं समझा सकती.

निशा- लेकिन मैं जानती हूँ तेरी मज़बूरी का कारण, तेरे भैया हैं ना वो वजह.और तू अपने ही भैया के साथ सोना चाहती हैं यही हैं ना तेरी मज़बूरी.

राहिका- प्लीज़ निशा मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ चुप हो जा.

निशा- ठीक हैं राधिका अगर तेरी यही ज़िद्द हैं तो मैं अपने सर की कसम कहा कर कहती हूँ की मैं आज के बाद तेरे भैया और तेरे बीच में कभी नहीं आओोँगी. आज से तेरा जो दिल में आए तू कर.मैं तुझे कभी कुछ नहीं कहूँगी, मगर एक बात याद रखना की तू अपनी ही जिंदगी से एक घिनौना मज़ाक कर रही हैं. जिसका अंजाम आगे जाकर बहुत भयानक होने वाला हैं.

राधिका- मुझे अपनी चिंता नहीं हैं निशा, मुझे अपनों के खोने का दर्द मालूम हैं. एक बार मैं अपनी आंटी को खो चुकी हूँ और अब अपने भैया को नहीं खोना चाहती. चाहे इसके बदले मुझे कितनी भी बड़ी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े.

निशा- अरे बलिदानी वहाँ दी जाती हैं जहाँ लोग उसकी काद्रा समझे . तुझे क्या लगता हैं की तेरे कुर्बानी से क्या तेरे भैया अपना जिंदगी संवार लेंगे. कभी नहीं राधिका हाँ तेरे भैया को तो नहीं पर मेरी जान से बढ़कर मेरी रढ़हिका जरूर मुझसे दूर हो जाएगी.

इतना कहकर एक बार फिर निशा राधिका को अपने गले लगा लेती हैं.
राधिका- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब अंकल से बोलकर तेरे हाथ जल्दी से पीले करने पड़ेंगे.लगता हैं तू तो मेरे से भी बेस्ट हाउसवाइफ बनेगी.

निशा- मारूँगी समझी. और फिर दोनों के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती हैं. ……………………..

आज राधिका के मन में हज़रों सवाल उठ रहे थे. ऊपर से निशा के ऐसे तेवर देखकर उसे खुद विश्वास नहीं हो रहा था. वो कॉलेज अटेंड कर के घर आती हैं और फ्रेश होकर खाना बनती हैं.

दूसरे दिन सुबह ही राहुल का फोन आता हैं और वो राधिका से मिलने के लिए बेचैन रहता हैं. आज संडे होने के कारण वो राधिका को लेने उसके घर आता हैं और कुछ डियर में वो उसे अपने घर ले जाता हैं.

राहुल- जान अब तो मैं यही सोचता हूँ की जल्दी से जल्दी हम शादी कर ले.
राधिका- हाँ तो जनाब कब मुझे मंगलसूत्र पहना रहे हैं.

राहुल- बहुल जल्दी. देख लेना ऐसा बारात लेकर आओोंगा की सारा शहर देखता रही जाएँगा. और मैं अपनी दुल्हन को अपनी बाहों में उठाकर इस घर में ले आओोंगा.

राधिका- लेकिन आप तो हमसे सुहागरात पहले ही मना चुके हैं. अब उसका क्या.
राहुल- अरे तो क्या हुआ….

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