New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

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jasmeet
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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 27 Oct 2016 09:59

राहुल अपनी नज़र फेयर लेता है और राधिका भी शर्मा जाती हैं.

इतने डियर में विजय आ जाता है………..

विजय- घूर का राधिका और निशा की ओर देखते हुए चेयर पर बैठ जाता हैं.

विजय- यार तू यहां इस कंटेने में क्या कर रहा हैं.और ये दोनों बालायें कौन हैं.

राहुल- ये राधिका है और ये निशा है. फिर राहुल उनका परिचय करवाता है.लेकिन राधिका और निशा को उसकी नियत ठीक नहीं लगती और दोनों अनकंफर्टबल फील करती हैं. इतने में राधिका और निशा चलने को राहुल से बोल देती हैं.

उनको अचानक जाता देख कर विजय को बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता हैं.पर वो कुछ बोलता नहीं और फिर घूर घूर कर राधिका और निशा को देखने लगता हैं.

राहुल- ठीक है आप लोग जाए. मुझे भी अभी ऑफिस निकलना हैं. बिल की चिंता मत कीजिए मैं पे कर दूँगा. और राधिका और निशा बायें बोलकर निकल जाती हैं.

विजय- यार ये दोनों पटका कौन है. कसम से मैंने इतना मस्त आइटम कभी नहीं देखी.यार मेरे लिए भी एक का तो तू जोगाद कर दे ना.

राहुल- सुधार जा यार जहां देखो मुंह मरता फिरता हैं. अगर इतनी ही बदन में आग लगी है तो क्यों नहीं कर लेता शादी.
विजय- यार क्या बताऊं कसम से इतनी खूबसूरत लड़की मैंने आज तक नहीं देखी. तुझे कहा से मिल गयी ये दोनों .

राहुल- आबे पिटेगा बहुत खतरनाक हैं ये दोनों . कभी भूल से भी पंगे मत लेना . और राहुल उसे जग्गा वाला किस्सा विजय के बता देता हैं..

विजय- यार सुचमुच मुझे तो बिलकुल विश्वास ही नहीं हो रहा.
राहुल- चल चोद ना यार काम की बात बता कैसा चल रहा है तेरा क्लीनिक.

विजय- तेरी दुवा है दोस्त ठीक चल रहा है . अभी क्लीनिक से ही आ रहा हूँ.

राहुल- अच्छा बता मुझसे क्या काम था तुझे.

विजय- तुझसे कभी काम रहता है क्या जो आज रहेगा. बस दिल किया और मिलने चला आ गया. तभी विजय के मोबाइल पर फोन बजता हैं.
विजय- डॉक्टर विजय स्पीकिंग
उधर से- डॉक्टर साहब एक पटेंट आया है आक्सीएँडेंटल केस है जल्दी आप आ जाए.

विजय- यार मुझे चलना होगा अपने क्लीनिक. चल ओके बायें. इतना बोलकर विजय कंटेने से बाहर निकल जाता है.

तभी कंटेने का नौकर राहुल को बिल देता है. और राहुल जैसे ही अपने जेब में से पर्स निकलता है उसमें से एक दो सिक्के ज़मीन पर गिर जाते हैं. जैसे ही वो उसे उठाने को झुकता है उसकी नज़र टेबल के नीचे पड़े ई-कार्ड पर पड़ती है और वो उसे उठा लेता है.

अरे ये तो राधिका जी का ई कार्ड है. ये यहां पर कैसे गिर गया. राहुल उसे कुछ देर देखकर अपने जेब में रख लेता है और बिल पे कर के कंटेने से बाहर निकल जाता है. और अपने जीप में बैठकर वहां से रवाना हो जाता है.

इधर

राधिका और निशा
राधिका- देखा तूने उस आदमी को जो राहुल का दोस्त था मुझे तो वो ज़रा भी अच्छा नहीं लगा. कैसे हम दोनों को घूर घूर कर देख रहा था. ऐसा लग रहा था की कभी लड़की देखी ही नहीं है.

निशा- यार जाने दे ना लोगों का काम ही है देखना. तू यार हर बात को क्यों इतना सीरियस्ली लेती है . लगता है तुझे भी हर किसी से पुंगा लेने का मन करता रहता है.

राधिका- सच बताऊं अगर राहुल वहां पर नहीं होता तो उस साले को वही अपनी सैंडल निकल कर मारती.

निशा- फिर वही बात. चोद ना यार. अच्छा बता तुझे राहुल कैसा लगा.
राधिका- कैसा लगा मुतलब, जैसा लगना चाहिए वैसे.ठीक ही है.

निशा- बस ठीक ही है या थोड़ा अट्रॅक्टिव भी है. मुझे तो यार पहली नज़र में उसने मेरे दिल में हलचल मचा दिया. सच काहु यार क्या पर्सनॅलिटी है उसकी. कितना हॅंडसम बंदा है. और कितना ईमानदार भी है.

राधिका- बस बस जहां देखो अपनी बक बक शुरू कर देती है. अगर तुझे इतना ही पसंद आया तो क्यों नहीं वही पर प्रपोज़ कर दिया.

निशा- मर जावा गुड खाके . राधिका तूने तो मेरी मन की बात कह डाली. चले फिर वापस राहुल के पास .

राधिका- हे भगवान क्या हो गया है इस लड़की को. क्या पहली नज़र में भी कहीं प्यार होता है क्या.तू बिलकुल पागल है.सुधार जा नहीं तो कल को कोई भी तुझे भगा कर ले जाएगा फिर पछताना जिंदगी भर इस प्यार के चक्कर में….

निशा- यार तू मुझसे छुपाती क्यों हैं बता ना सच में राहुल तुझे कैसा लगा.

राधिका- अगर तू कह रही है तो बंदे में जरूर कोई बात होगी.इतना कहकर दोनों हँसने लगते हैं.

उधर विजय अपनी कार में बैठ गया और अपनी कार को लेकर क्लीनिक के अपोजिट डाइरेक्षन की ओर चला गया. उसके मन में बार बार राधिका और निशा का खूबसूरत चेहरा और उन दोनों के बूब्स और गान्ड उसके आँखों के सामने घूम रहे थे. जहां वो एक हाथ से कार की स्टेआरिंग को थमा था वही उसका दूसरा हाथ से वो अपना लंड को सहला रहा था.

उसका गला बार बार सुख रहा था और लंड पर हाथ का प्रेशर भी बढ़ता जा रहा था. तभी वो अपने आप से सवाल करता है यार ये राधिका और निशा कौन है. राहुल के साथ तो पहले इन्हें कभी नहीं देखा. जो भी है कसम से क्या चीज़ हैं. अगर मुझे ये मिल जाए तो दिन क्या रात क्या मैं तो इन्हें जिंदगी भर एक पल के लिए भी अपने लंड से दूर नहीं करूँगा. पर जो भी वो मुझे तो इस साली राधिका पर दिल आ गया है. निशा भी साली पूरी पटाहाका है पर राधिका के आगे कुछ फीकी है. जो भी हो इस साले तन्हा आदमी (राहुल) के जीवन….

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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 27 Oct 2016 10:00

में ऐसी हास्सेना का क्या काम.

जब राहुल से मिलने विजय आया था और वो जब उससे मिल कर जाने लगा उस वक्त अगर राहुल की नज़र विजय पर पड़ी होती तो ना चाहते हुए भी उसका बेस्ट फ़्रेंड विजय पर हज़ोरों शक भरे सवाल उसके दिमाग में खड़ा करने के लिए काफी था,विजय के इस कुटिल मुस्कान को राहुल देख नहीं पाया था. ये उसका किस्मत या बढ़हकिस्मती कहिए पर हो ना हो आने वाला जरूर कोई बहुत बड़ा तूफान का एक इशारा था. जो राहुल की जिंदगी पर बहुत भारी पड़ने वाला था.

इधर विजय भी बहुत ज्यादा बेचैन था उसकी बेक़ारारी राधिका का जिस्म था. जो पल पल उसके दिल दिमाग में छाती जा रही थी. वो ना चाहते हुए भी राधिका और निशा को एक पल के लिए भी नहीं भुला पा रहा था.कुछ डियर ड्राइव करते हुए उसने एक नंबर पर कॉल किया.

उधर से आवाज़ आई- हेलो!!!
विजय- कैसी है मेरी रांड़!!!!!!!

विजय ने मोनिका को फोन लगाया था. वो उसकी पर थी बोले तो (पर्सनल रंडी). वो उसे जब चाहे जहां चाहे अपनी हवस मिटाने के लिए बुला लेता था.

फोन पर मोनिका-
मोनिका- अरे मेरे राजा आज कैसे तुझे इतने दीनों के बाद मेरी याद आई है. तू तो मुझे एक दम भूल ही जाता है. बोल ना कैसे याद किया मुझे.

विजय- अरे मेरी रांड़ आज मेरे लंड में तूफान खड़ा हुआ है. और इस तूफान को तू ही रोक सकती है. इस लिए तू जितनी जल्दी हो सके मेरे घर पर आ जा.

मोनिका- क्यों आज किसी आइटम को तो नहीं देख लिया जो तू आज इतना बेकरार है.
विजय- तो क्या किसी आइटम से कम है . चल दिमाग मत चाट तू मेरे घर 1 घंटे के अंदर आ जा. नहीं तो तू जानती है ना मैं कितना बड़ा हरामी हूँ.

मोनिका- हां जानती हूँ तू कितना बड़ा हरामी हैं. अरे 100 हरामी मारे होंगे तो तू अकेला उनके बराबर पैदा हुआ होगा. इतना कहकर दोनों हँसे लगते हैं. और विजय फोन रख देता है.

थोड़ी डियर बाद वो अपने घर पहुंच जाता है और अपनी कार को पार्क करता है और सीधा अपने रूम का लॉक खोलता है और अंदर आकर जल्दी से अपना पेंट और आंडरवेयर निकल कर फेंक देता है.

विजय का लंड लगभग 10′ इंच के आस पास है और करीब 3′ इंच मोटा. वो झट से अपने हाथों से अपना लंड सहलाने लगता है और आँख बंद कर के मस्ती के सागर में डूब जाता है.

अब जब उसकी आँखें बंद होती है तो उसको राधिका और निशा का चेहरा उसके आँखों के सामने आ जाता है. और सपनों में राधिका और निशा को चोदने लगता है और उसका हाथ और तेजी से आगे पीछे होने लगते हैं. अब वो करीब आपने चरम सीमा पर पहुँच ने वाला ही होता है की तभी घर का बेल बजता है और विजय तुरंत आँख खोल लेता है. और वो झल्ला कर जल्दी से अपना आंडरवेयर और पेंट पहन कर दूर खोलने चला जाता है.


बाहर दूध वाला था. उसे इतना गुस्सा आता है मगर वो कुछ बोलता नहीं है. और घर के अंदर जा कर दूध का डब्बा ले आता है.
दूध वाला भी विजय के माथे पर पसीना और उसके कपड़े देख कर कुछ अंदाज़ा लगा लेता है और वो मुस्करा देता है.

दूधवाला- साहेब आप क्या इस वक्त घर पर अकेले हैं क्या.
विजय- क्यों क्या हुआ मुझे किसी और के साथ होना चाहिए क्या.

दूधवाला- नहीं साहब मेरा कहने का मतलब वो नहीं था. मैं तो ये कह रहा था की अब आपको शादी कर लेनी चाहिए देखिए ना अब आपकी उमर भी तो शादी से ज्यादा हो रही है और आपो कितनी परेशानी उतनी पड़ती है. मेरी राई मानिए तो आप जल्दी से जल्दी शादी कर लीजिए.

विजय- तू ठीक कह रहा है. मुझे दिन भर क्लीनिक से घर और घर से क्लीनिक. फिर घर आकर खुद ही खाना बनाना पड़ता है. ठीक है इसके बारे में मैं कुछ सोचता हूँ.

दूधवाला- साहब बीवी के आने से आपकी बहुत सारी प्राब्लम भी सॉल्व हो जाएगी जैसे अभी आप जो कर रहे थे वो भी.

इतना सुनते ही विजय एकदम से घबरा जाता है और उखड़ी आवाज़ में कहता है

विजय- तू… तुम से किसने कह दिया की मैं क्या कर रहा था.
दूधवाला- साहेब आपका चेहरा ही बता रहा है और देखिए ना साहब इस वक्त आपका पेंट का ज़िप भी खुला हुआ है.

विजय- वो तो मैं बाथरूम में गया हुआ था. चुप चाप दूध दो और निकलो यहां से.
दूधवाला- साहेब क्यों गुस्सा करते हो हर कोई तो यही काम करता है इसमें शरमाते की क्या बात है .इतना कहकर दूधवाला मुस्करा कर बाहर चला जाता है.

विजय मन में सोचता है इस कुटिए राधिका ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है . साली को जब से दीखा है लंड सोने का नाम ही नहीं ले रहा .

फिर वो दरवाजा बंद करके दूध को कीचतें में रख देता है और फिर अपना पेंट और आंडरवेयर निकल कर शुरू हो जाता है. विजय के साथ फिर से वही होता है. इस बार भी वो अपनी चरम सीमा पर पहुँचने वाला था की फिर से दूर बेल बजाती है.

विजय- इस बार कौन मादरचोद आ गया साला लगता हैं मैं ठंडा नहीं हो पाऊँगा आज.

विजय दरवाजा खोलता है सामने सेल्समेन खड़ा रहता है.

सेल्समेन- साहेब मेरे पास कुछ समान है सोचा आपको देखता चालू.
विजय- मुझे नहीं चाहिए. जाओ यहां से.

सेल्समेन- साहब एक बार तो देख लो ना आपके काम का भी चीज़ मिलेगा.
विजय- कुछ डियर समान को देखता है और कहता है इसमें मेरे काम की कोई चीज़ नहीं है.

सेल्समेन- साहब….

11th chapter complete

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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 02 Nov 2016 10:48

मैं जनता हूँ इस वक्त आप अकेले हैं. पर मुझे पता है आपकी गर्लफ्रेंड भी होगी.
विजय- तुझे कैसे पता की मेरी गर्लफ्रेंड भी है.

सेल्समेन- साहब मैं आदमी को बात और उसके बहाओोउर से पचान लेता हूँ.
विजय- तो बता ना मैं किस टाइप का आदमी हूँ.

सेल्समेन- सर आप बारे रंगीन मिज़ाज़ के इंसान है. और इस वक्त आप कुछ और काम में बिज़ी थे. है ना सेल्समेन बोलते बोलते चुप हो जाता है.

विजय- मन में इस साले को कैसे पता चला की मैं मूठ मर रहा था. कहीं ऐसा तो नहीं की ये मेरे घर में किसी खिड़की से झुका हो. नहीं नहीं सारा कमरा तो बंद है.

सेल्समेन- क्या सोच रहे हैं साहेब.
विजय- नहीं नहीं कुछ नहीं बस तुम जाओ मुझे कुछ नहीं लेना है. और विजय उसे ज़बारजस्ति घर से बाहर भेज देता है.

फिर से वही कहानी होती है. वो झट से अंदर आता है और फिर पेंट और आंडरवेयर निकल बाहर फेंक देता है.

मगर इससे पहले की वो मूठ मारना शुरू करे तभी फिर से दूर बेल बजती हैं.

विजय- झल्ला कर अब कौन हरामी आ गया. लगता है आज मेरी केमिस्ट्री में मूठ मारना लिखा ही नहीं है.

इतना कहकर विजय दरवाजा खोलता है और सामने मोनिका को देखकर उसके चेहरे पर खुशी आ जाती है.

विजय- तो आ गयी मेरी रांड़……………. बहुत वेट करवाया तुमने. आज तो तेरी अच्छे से लूँगा.

मोनिका- विजय को दूर करते हुए- कुछ तो सब्र करो लगता हैं की मैं जेट हूँ जहाँ बुलाओगे तुरंत पहुँच जाऊंगी .

विजय- अरे मेरी चमिया तू जानती नहीं है ये चुत और लंड की आग होती ही ऐसी है जब अंदर आग लगती है ना तो आदमी ज़ाहुनूं तब भी पहुँच जाता है. इतना कहकर विजय मोनिका को अपनी बाहों में दबोच लेता हैं……………..

मोनिका- तुम अब पूरे 32 साल के हो गये हो और इतनी ही चुदाई का शोवक है तो क्यों नहीं कर लेते शादी. अरे 3, 4 साल बाद तो कोई तुमको अपनी लड़की भी नहीं देगा. तुमसे कोई लड़की ब्याह भी नहीं करेगी.

विजय- हंसते हुए अरे मेरी रांड़ तो तू है ना अपनी चुत देने के लिए. तू भी तो पूरे 30 साल की हो गयी है और अब तो तू पूरी चीज़ बन गयी है.

मोनिका- रहने दो ज्यादा मस्का मत लगाओ और जो करना है वो जल्दी से कर लो. मुझे घर भी जाना है.

विजय- तो चल जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर पूरा नंगी हो जा.आज तो मैं तेरी अच्छे से लूँगा.

मोनिका- ये भी कोई बात हुई क्या. जब देखो कपड़े निकल्डो. अरे क्या कोई ऐसे ही चुदाई करता है क्या. ज़रा धीरे धीरे मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझसे कुछ बातें करो, फिर मेरे जिस्म से खेलों, थोड़ा मुझसे प्यार करो फिर देखना मैं ऐसी आग लगाऊंगी की तुम भी क्या याद करोगे.

विजय- ऐसा क्या मेरी रंडी तो फिर मैं अभी आता हूँ. आज तो तेरी चुत और गांड रगड़ रगड़ कर चोदूंगा.



इतना कहकर विजय दूसरे कमरे में चला जाता है और कुछ देर बाद उसके हाथ में एक इंजेक्शन लेकर वापस मोनिका के पास आता है. मोनिका इंजेक्शन को देखकर घबरा जाती है और विजय से कहती है..

मोनिका- ये क्या कर रहे हो तुम. मुझे जिसका डर था वही हुआ.

दा-असल जो इंजेक्शन विजय के हाथ में था वो कोई दवाई नहीं थी बल्कि ड्रग्स का इंजेक्शन था. विजय ड्रग्स का अडिक्ट था. और वो ड्रग्स का भी बिज़्नेस चलता था.

विजय- बस एक बार मैं ये इंजेक्शन ले लू तो फिर देखना आज मेरी तेरी चुत कैसे फाड़ता हूँ.

मोनिका- नहीं विजय ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो. ड्रग्स लेने के बाद तो तुम पूरे जानवर बन जाते हो. तुम्हें ये भी होश नहीं रहता है की मुझपर क्या बीतती है. तुम बहुत ज्यादा वाइल्ड हो जाते हो. मुझे तो तुमसे कभी कभी डर लगता है.

विजय- अरे मेरी रंडी तुझे तो वाइल्ड सेक्स बहुत पसंद है ना. चिंता मर कर मैं तेरी आराम से मारूँगा. इतना कहकर विजय मोनिका के दोनों बूब्स को अपने हाथों में लेकर मसल देता है और मोनिका के मुंह से ज़ोर से चीख निकल जाती है.

मोनिका- आआआ………………हह. प्लीज़ विजय मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही ना ज़रा आराम से दबाओ ना.

विजय- एक हाथ से मोनिका के बूब्स दबाता है और दूसरे हाथ में इंजेक्शन लेकर खड़ा रहता हैं.

विजय- चल आज तू ही लगा दे मुझे ये नसीला इंजेक्शन. तू लगाए गी तो दर्द कम होगा.

मोनिका- प्लीज़ विजय क्यों नहीं तुम ड्रग्स को चोद देते हो. जानते हो ना ये कितना खतरनाक है.
विजय- अरे मेरी जान शराब और शबाब का नशा तो आदमी कभी भी नहीं चोद सकता. जिसको ये दोनों की लत्त लग गयी वो इन दोनों का गुलाम बन जाता है.

और विजय मोनिका को इशारा करता है. मोनिका आकर उसे उसके हाथों में ड्रग्स का इंजेक्शन लगा देती है.

थोड़ी डियर था उसे कोई होश ही नहीं रहता फिर वो धीरे धीरे सामान्य होने लगता है और मोनिका को अपने पास आने का इशारा करता है.

मोनिका- प्लीज़ विजय ज़रा आराम से करना. मुझे बहुत डर लगता है जब तुम ड्रग्स लेकर मेरे साथ सेक्स करते हो तो.

विजय- विजय की आँखें एक दम लाल हो चुकी थी और वो मोनिका के दोनों बूब्स को अपने हाथों में एकदम कस कर भींच देता है और मोनिका के मुंह से एक दर्द भारी सिसकारी निकल पड़ती है.

विजय- कसम से तेरा दूध कितना मस्त है लगता है इन्हें कहा जाऊं. साली पूरे 38 साइज के गोल गोल हैं.

फिर अपने दोनों हाथ बदककर मोनिका के शादी के ऊपर से ही उसके दोनों निपल्स को अपनी चुटकी में लेकर ज़ोर ज़ोर से मसलने….

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