New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान
Posted: 23 Oct 2016 20:45
कहते हैं की वक्त से बड़ी ताक़त इस दुनिया में और कोई नहीं हैं. वक्त के आगे बड़ी से बड़ी चट्टान भी झुक जाती है तो इंसान क्या चीज़ हैं.जो इंसान अगर वक्त का काद्रा करता हैं वो ही इंसान दुनिया में अपना वजूद कायम रख पता हैं. एक बार जो वक्त निकल गया वो कभी वापस नहीं आता मगर कुछ नसीब वाले इंसानो को ही वक्त और किस्मत दोनों मिलती हैं. और वो ही इंसान सफलता के बुलांदियों को छूते हैं. मगर कुछ ऐसे भी इंसान है जो वक्त के हाथों मजबूर और कठपुतलती मात्रा बनकर रही जाते हैं.ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था. मैं भी वक्त के हाथों एक खिलौना बनकर बस रही गया.
मैं इंस्पेक्टर राहुल मल्होत्रा आज वक्त का सताया हुआ एक इंसान जो वक्त के हाथों एक खिलौना के सिवाय और कुछ भी नहीं है. कहने को तो मैं इंस्पेक्टर हूँ मगर आज मेरे पास सब कुछ होकर भी कुछ नहीं हैं. आज मेरे पास बांग्ला, गाड़ी , नौकर चाह कर सब कुछ है जो एक संपन्न परिवार में होना चाहिए या उससे भी ज्यादा .मगर आज ना ही मेरे पास आंटी है और ना ही बाप.ना कोई भाई ना कोई बहन. मैं आज तन्हा हूँ बिलकुल अकेला.ना कोई आगे ना कोई पीछे.बचपन में मेरे आंटी बाप का रोड आक्सिडेंट में डेत हो गया था. जब मैं मात्रा 10 साल का था. अभी मैंने इस दुनिए के बारे में जाना ही कहा था की मेरी दुनिया ही उजाड़ गयी.
बचपान से ही मेरी लाइफ स्ट्रगल रही हैं. मेरे पिताजी कहा करते थे की कभी किसी पर डिपेंड मत रहो और टाइम इस मनी. मैंने उनके ही आदर्शों पर चलकर आज खुद अपनी कड़ी लगान और महंत के बाल पर आज अपने आप को इस काबिल बनाया है की आज मेरी खुद एक हँसती और वजूद हैं. मैंने अपनी पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद मुझे पुलिस की नौकरी मिली और मैंने पुलिस की नौकरी जाय्न कर ली. मगर यहां भी मेरी बदकिस्मती ने मेरा साथ नहीं चोदा मेरी जिंदगी में भी खुशियों के फूल खिले मगर वक्त ने मुझसे वो खुशी भी छीन ली. जी हाँ मेरी खुशी, मेरा प्यार, मेरी तड़प, मेरी जिंदगी सब कुछ वो जिसने मुझे जीना सिखाया , प्यार क्या होता हैं बताया. मगर आज मेरे पास वो प्यार भी नहीं है. वक्त ने मुझसे सब कुछ छीन लिया.आज मैं यही सोचता हूँ की मैं ज़िंदा हूँ भी तो सिर्फ़ एक लाश बनकर रही गया हूँ. अब ना ही मेरे जीने की कोई वजह है ना ही कोई मंजिल. एक मेरी मंजिल थी आज वो भी नहीं है जी हाँ वो नाम जिसे मैं याद करके पल पल मरता हूँ, वो नाम जो मेरी रूह में मेरी हर साँस में आज भी ज़िंदा है वो नाम हैं राधिका शर्मा.
वो राधिका जिसे पकड़ मुझे मंजिल मिल गयी थी, मुझे जीने की वजह मिल गयी थी. मगर आज भी वो ज़िंदा हैं मेरी हर रोम रोम में, मेरे रागों में लहू बनकर . मेरी हर साँस में मेरी धड़कन में. मैं उसे कभी भुला नहीं सकता. खैर जो हुआ वो वक्त तो वापस आ नहीं सकता .आज भी वो पल याद आते ही मेरे अँकून से आनसूंवों का एक सैलाब उमड़ पड़ता है. बात तब की है ……………………………………………..
19-सेप-2008
आज के ही दिन मेरा अपायंटमेंट हुआ था. आज मैं बहुत खुश हूँ. मुझे मेरी कड़ी मेहनत और लगान के बदुलाट आज आपने आप को इस काबिल बनाया की आज अगर मेरे पिताजी ज़िंदा होते तो आज वो अपना सीना तन कर खड़े होते. मैंने शपथ लिया की ना ही मैं अत्याचार सहूँगा और ना ही अत्याचार होने दूँगा. मैं अपनी नौकरी पूरी ईमानदारी और कर्तव्य से पूरा करूँगा. आज मेरी नौकरी करते लगभग एक साल हो चुका है. इतने दीनों में मैंने कई टिपिकल केस भी हैंडिल किया हैं. और बहुत से मुजरिमो को जेल के सलाखों के पीछे भी धकेला हैं. आज बारे बारे मुजरिम मेरे नाम से काप्ते हैं. ऐसे ही मेरा दिन आराम से काट रहा था की एक दिन मैं ड्यूटी पर था और किसी काम से ऑफिस जा रहा था. रास्ते में मैंने अपनी पुलिस जीप एक कॉलेज कंटेने के सामने खड़ी कर दी. और मेरा कॉन्स्टेबल वियर सिंग भी मेरे साथ था.हम दोनों उन ही हँसी मज़ाक कर रहे थे की सामने से दो लड़की आती हुई दिखाई दी. कसम से कहता हूँ मैंने आज तक ऐसी सुन्दर लड़की कभी नहीं देखी थी. गोरा रंग 5.4 इंच हाइट, बहुत सुन्दर नयन, गुलाबी लिप्स, और फिगर तो फिल्म आक्ट्रेस भी उसके सामे फीकी पड़ जाए. और उसकी सहेली भी बिलकुल वैसी ही थी. गोरा रंग लगभग सेम हाइट. ऑलमोस्ट सब सेम. पर चेहरा दोनों का बहुत मासूम था.
हम दोनों भी कॉलेज कंटेने के पास बैठे थे इतने में तीन बदमाश कॉलेज के मैं दरवाजा से आते हुए दीखाई दिए. उनकी नज़र जब उन दोनों लड़की पर पड़ी तो उन तीनों के भी होश उड़ गये. एक गुंडा उनका लीडर था जग्गा. उसका काम ही था रोज रोज लड़ाई , मारा पीती, छेद चढ़ कोई उससे पंगा भी नहीं लेता था. गंदी सूरत, काला जिस्म और मुंह में पानी चबाते हुए वो सामने के मैं दरवाजा पर खड़ा हो गया और उन दोनों लड़कियों का इंतेज़ार करने लगा.
जग्गा- यार देख तो कसम से क्या चिड़िया है. साली पहले तो नहीं देखा इसको. लगता हैं नयी आई हैं. जो भी हैं कसम से पटका है.
इतना सुनते ही जागा का दोस्त रामू बोल पड़ता हैं
रामू- अरे जागा भाई इस लड़की से पंगा मत लो….
मैं इंस्पेक्टर राहुल मल्होत्रा आज वक्त का सताया हुआ एक इंसान जो वक्त के हाथों एक खिलौना के सिवाय और कुछ भी नहीं है. कहने को तो मैं इंस्पेक्टर हूँ मगर आज मेरे पास सब कुछ होकर भी कुछ नहीं हैं. आज मेरे पास बांग्ला, गाड़ी , नौकर चाह कर सब कुछ है जो एक संपन्न परिवार में होना चाहिए या उससे भी ज्यादा .मगर आज ना ही मेरे पास आंटी है और ना ही बाप.ना कोई भाई ना कोई बहन. मैं आज तन्हा हूँ बिलकुल अकेला.ना कोई आगे ना कोई पीछे.बचपन में मेरे आंटी बाप का रोड आक्सिडेंट में डेत हो गया था. जब मैं मात्रा 10 साल का था. अभी मैंने इस दुनिए के बारे में जाना ही कहा था की मेरी दुनिया ही उजाड़ गयी.
बचपान से ही मेरी लाइफ स्ट्रगल रही हैं. मेरे पिताजी कहा करते थे की कभी किसी पर डिपेंड मत रहो और टाइम इस मनी. मैंने उनके ही आदर्शों पर चलकर आज खुद अपनी कड़ी लगान और महंत के बाल पर आज अपने आप को इस काबिल बनाया है की आज मेरी खुद एक हँसती और वजूद हैं. मैंने अपनी पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद मुझे पुलिस की नौकरी मिली और मैंने पुलिस की नौकरी जाय्न कर ली. मगर यहां भी मेरी बदकिस्मती ने मेरा साथ नहीं चोदा मेरी जिंदगी में भी खुशियों के फूल खिले मगर वक्त ने मुझसे वो खुशी भी छीन ली. जी हाँ मेरी खुशी, मेरा प्यार, मेरी तड़प, मेरी जिंदगी सब कुछ वो जिसने मुझे जीना सिखाया , प्यार क्या होता हैं बताया. मगर आज मेरे पास वो प्यार भी नहीं है. वक्त ने मुझसे सब कुछ छीन लिया.आज मैं यही सोचता हूँ की मैं ज़िंदा हूँ भी तो सिर्फ़ एक लाश बनकर रही गया हूँ. अब ना ही मेरे जीने की कोई वजह है ना ही कोई मंजिल. एक मेरी मंजिल थी आज वो भी नहीं है जी हाँ वो नाम जिसे मैं याद करके पल पल मरता हूँ, वो नाम जो मेरी रूह में मेरी हर साँस में आज भी ज़िंदा है वो नाम हैं राधिका शर्मा.
वो राधिका जिसे पकड़ मुझे मंजिल मिल गयी थी, मुझे जीने की वजह मिल गयी थी. मगर आज भी वो ज़िंदा हैं मेरी हर रोम रोम में, मेरे रागों में लहू बनकर . मेरी हर साँस में मेरी धड़कन में. मैं उसे कभी भुला नहीं सकता. खैर जो हुआ वो वक्त तो वापस आ नहीं सकता .आज भी वो पल याद आते ही मेरे अँकून से आनसूंवों का एक सैलाब उमड़ पड़ता है. बात तब की है ……………………………………………..
19-सेप-2008
आज के ही दिन मेरा अपायंटमेंट हुआ था. आज मैं बहुत खुश हूँ. मुझे मेरी कड़ी मेहनत और लगान के बदुलाट आज आपने आप को इस काबिल बनाया की आज अगर मेरे पिताजी ज़िंदा होते तो आज वो अपना सीना तन कर खड़े होते. मैंने शपथ लिया की ना ही मैं अत्याचार सहूँगा और ना ही अत्याचार होने दूँगा. मैं अपनी नौकरी पूरी ईमानदारी और कर्तव्य से पूरा करूँगा. आज मेरी नौकरी करते लगभग एक साल हो चुका है. इतने दीनों में मैंने कई टिपिकल केस भी हैंडिल किया हैं. और बहुत से मुजरिमो को जेल के सलाखों के पीछे भी धकेला हैं. आज बारे बारे मुजरिम मेरे नाम से काप्ते हैं. ऐसे ही मेरा दिन आराम से काट रहा था की एक दिन मैं ड्यूटी पर था और किसी काम से ऑफिस जा रहा था. रास्ते में मैंने अपनी पुलिस जीप एक कॉलेज कंटेने के सामने खड़ी कर दी. और मेरा कॉन्स्टेबल वियर सिंग भी मेरे साथ था.हम दोनों उन ही हँसी मज़ाक कर रहे थे की सामने से दो लड़की आती हुई दिखाई दी. कसम से कहता हूँ मैंने आज तक ऐसी सुन्दर लड़की कभी नहीं देखी थी. गोरा रंग 5.4 इंच हाइट, बहुत सुन्दर नयन, गुलाबी लिप्स, और फिगर तो फिल्म आक्ट्रेस भी उसके सामे फीकी पड़ जाए. और उसकी सहेली भी बिलकुल वैसी ही थी. गोरा रंग लगभग सेम हाइट. ऑलमोस्ट सब सेम. पर चेहरा दोनों का बहुत मासूम था.
हम दोनों भी कॉलेज कंटेने के पास बैठे थे इतने में तीन बदमाश कॉलेज के मैं दरवाजा से आते हुए दीखाई दिए. उनकी नज़र जब उन दोनों लड़की पर पड़ी तो उन तीनों के भी होश उड़ गये. एक गुंडा उनका लीडर था जग्गा. उसका काम ही था रोज रोज लड़ाई , मारा पीती, छेद चढ़ कोई उससे पंगा भी नहीं लेता था. गंदी सूरत, काला जिस्म और मुंह में पानी चबाते हुए वो सामने के मैं दरवाजा पर खड़ा हो गया और उन दोनों लड़कियों का इंतेज़ार करने लगा.
जग्गा- यार देख तो कसम से क्या चिड़िया है. साली पहले तो नहीं देखा इसको. लगता हैं नयी आई हैं. जो भी हैं कसम से पटका है.
इतना सुनते ही जागा का दोस्त रामू बोल पड़ता हैं
रामू- अरे जागा भाई इस लड़की से पंगा मत लो….