New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

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jasmeet
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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 02 Nov 2016 10:49

लगता हैं.

मोनिका- प्लीज़ विजय होश में करो ना. मुझे आज तुम्हारी नियत कुछ ज्यादा ही खराब लग रही है. सच में तुम्हें दर्द देने में पता नहीं क्या मजा मिलता है.

विजय- तू सही कह रही है जब तक औरत चीकती नहीं है मुझे ज़रा भी मजा नहीं आता. इतना कहकर विजय मोनिका का शादी का पल्लू को खींचने लगता है और कुछ देर में वो उसके जिस्म से अलग कर देता है..

मोनिका- क्या बात है आज कोई दूसरी आइटम तो नहीं मिल गयी ना तुझे जो तेरी लंड आज सोने का नाम ही नहीं ले रहा है. इतना कहकर मोनिका उसका लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है.

विजय- ज्यादा बक बक मत कर समझी, नहीं तो जानती है ना मैं तुझे काजीरी के पास भेज डूंजा फिर साली कोसते रहना जिंदगी भर अपने आप को .

मोनिका कजरी का नाम सुनते ही उसके रौूंगते खड़े हो जाते हैं और एकदम से सहम जाती है…………

मोनिका- देख विजय तू मुझे जान से मर दे मगर मुझे उसके पास भेजने की बात मत किया कर.

विजय- अरे तू इतना डरती क्यों है वो तेरी चुत की सारी खुजली हमेशा हमेशा के लिए मिटा देगी. तुझे भी तो एक साथ 8, 10 लंड लेने में मजा आएगा.

(काजीरी एक एजेंट है जो प्रॉस्टिट्यूशन का धंधा चलती है. और उसका मलिक और कोई नहीं बल्कि विजय है. काजीरी कस्टमर से बात करके वो लड़की सप्लाइ करती है और जो लड़की उसकी चौखत पर एक बार कदम रख ले वो समझ लो इस दुनिया की सबसे बड़ी रंडी बनकर रही जाती है. उसका हिसाब है जितना मोटा मालदार कस्टमर उतनी ज्यादा पैसा. चाहे लड़कियों को उस पैसे के लिए कुछ भी क्यों ना करना पड़े. उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता. बस हाथ में पैसा आना चाहिए. और बस लड़की ज़िंदा वापस आनी चाहिए चाहे वो किसी भी हाल में हो)

मोनिका- नहीं विजय मैं तुम्हारे लिए सब कुछ करूँगी पर प्लीज़ मुझे काजीरी के पास मत भेजना.

विजय- आ गयी ना लाइन पर. चल अब मेरे सारे कपड़े निकल और जो शुरू से प्रोसेस होता है वो शुरू कर वरना मुझे इंसान से हैवान बनने में ज्यादा डियर नहीं लगता.

इतना सुनकर मोनिका उसके कपड़े एक एक करके निकाल देती है.

अब विजय मोनिका के सामने बिलकुल नंगा खड़ा हो जाता है अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था. मोनिका उसको एक टुक उसके लंड को देखते ही रहती है. उसको ऐसा देखकर विजय उससे कहता है.

विजय- क्यों मेरी रंडी ऐसे क्या देख रही है चल आ जा इधर.
मोनिका इतना सुनकर विजय के पास चली जाती है. और विजय के पास जा कर खड़ी हो जाती है.

विजय- अब बस खड़ी ही रहेगी या मेरा लंड भी अपने मुंह में लेगी. चल सबसे पहले तू मेरे पास आ जा मेरी बाहों में.
मोनिका विजय के एक दम करीब जा कर खड़ी हो जाती है. और विजय ठीक उसके पीछे जाकर अपने दोनों हाथ से उसके दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर बहुत ज़ोर से मसल देता है.


मोनिका- अऔच………… की सिसकी भारी आवाज़ उसके मुंह से निकल जाती है.

कुछ देर तक विजय उसके बूब्स ब्लाउज के ऊपर से ही मसलता है और फिर अपने दो उंगलियों से उसके दोनों निपल्स को मसलना शुरू कर देता है और धीरे धीरे उसके उंगलियों में दबाव बदाना शुरू हो जाता है और उधर मोनिका के मुंह से सिसकारी भी तेज होने लगती है. उसकी चुत एक दम गीली होने लगती है.

विजय- तेरी निपल्स कितनी मस्त है रे जी करता है इन्हें काट कर अपने पास रख लूँ.

मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे मसलों ना बहुत दर्द कर रहा है.
विजय- साली नीचे तेरी चुत जरूर गीली होगी और कुतिया कह रही है की दर्द हो रहा है.

विजय अपना एक हाथ सीधा मोनिका के चुत पर रख देता है और कस कर मसल देता है.

विजय- अरे ये तो पूरी गीली है. चल अब अपने ब्लाउज और पेटीकोट निकल.

मोनिका भी चुप चाप अपना हाथ बढ़कर अपने ब्लाउज का स्तनों खोलने लगती है और धीरे धीरे करके एक एक स्तनों खोल देती है और नीचे हाटक लेजा कर अपनी पेटीकोट का नाडा धीरे से सरका देती है. उसका पेटीकोट नीचे ज़मीन पर गिर जाता है. अब मोनिका सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में विजय के सामने खड़ी रहती है.

विजय- अब मेरा मुंह क्या देख रही है चल जल्दी से आकर मेरा लंड चूस ना.

मोनिका धीरे धीरे विजय के पास आती है और झुक कर नीचे ज़मीन पर बैठ जाती है. उसको नीचे बैठता हुआ देखकर

विजय- ऐसे नहीं मेरी जान चल तू मेरे बेडरूम में.
मोनिका भी कुछ बोलती नहीं और विजय के पीछे पीछे उसके बेडरूम में चली जाती है…….

मोनिका के दिल और दिमाग में कई तरह के सवाल चल रहे थे. उसे समाज नहीं आ रहा था की विजय उसके साथ आज क्यों इतनी दरिंदगी दिखा रहा है. अक्सर वो मोनिका को अपने बाहों में लेकर खूब प्यार से उसकी चुदाई किया करता था तो आज ऐसा क्या हुआ की आज विजय पूरा हैवान नज़र आ रहा है. कही वो ड्रग्स के वजह से तो नहीं..

मोनिका ने आपने आप से सवाल किया — नहीं नहीं विजय तो हमेशा से ड्रग्स लेता चला आ रहा है. उसने ड्रग्स के नशे में मेरे साथ कई बार सेक्स किया है पर आज ऐसा क्यों ???????????

कहीं ना कहीं बहुत बड़ी गड़बड़ होने वाली है या कोई बहुत बड़ा तूफान के आने का संकेत. पता नहीं ये अब किसकी जिंदगी बर्बाद करने पर तुला हुआ है. ये सब सोचते हुए भी मोनिका को कुछ समाज नहीं आ रहा था. तभी विजय की आवाज़ सुनाई….

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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 02 Nov 2016 10:50

दी.

विजय- क्या हुआ मेरी जान आज तू जब से आई है कुछ परेशान लग रही है बात क्या है. अगर कोई प्राब्लम हो तो बता दे.

मोनिका- पता नहीं विजय पर आज मुझे तुम कुछ बदले बदले से नज़र आ रहे हो.

विजय- तू तो बेकार में चिंता करती है अरे मैं तुझे कभी नहीं भूलूंगा तू तो मेरी रंडी हमेशा से थी और हमेशा ही रहेगी. इतना सुनते ही मोनिका का भी मन हल्का हो जाता है और वो विजय के करीब चली जाती है.

विजय- जान आज मेरे लंड में भूकाल सा आया हुआ है पता नहीं क्यों. बस तू आज मुझे मत रोकना मुझे मेरे दिल की कर लेने दे .

इतना सुनकर मोनिका मुस्करा देती है .
मोनिका- तो मेरे राजा आख़िर क्या करना चाहते हो तुम मेरे साथ. चल तू भी क्या याद करेगा कर ले जो करना है मगर प्यार से.

विजय- मुस्कुराते हुए तो चल बेड पर पीठ के बाल लेट जा और अपनी गर्दन बेड से नीचे झूला ले. मैं आज ये पूरा लंड तेरे हलक में डालना चाहता हूँ.

मोनिका भी चुप चाप आकर बेड पर लेट जाती है और अपनी गुर्देन बेड के नीचे झुका लेती है. थोड़ी डियर बाद विजय उसके मुंह के नज़दीक आता है और उसके सर को अपने हाथों से पकड़ लेता है और कहता है इस लिए तो तू मेरी पर्सनल रंडी है. जो मैं चाहता हूँ वो बस तू ही दे सकती हीं. इतना कहकर दोनों मुस्करा देते हैं.

अब विजय अपना पूरा लंड धीरे ढेरी मोनिका के मुंह में पेलना शुरू करता है. जैसे जैसे उसके लंड पर दबाव बनता है मोनिका की साँस फूलना शुरू हो जाती है और लंड धीरे धीरे मोनिका के मुंह में घुसता चला जाता है.

मोनिका अब तक पूरे 5 इंच लंड अपने मुंह में ले चुकी थी और अब उसकी सांसें तेज होने लगी ही. इधर विजय एक बार फिर पूरा लंड उसी पोज़िशन में बाहर निकलता है और फिर तेजी से अंदर की ओर धकेलने लगता है. मोनिका की आँखें बाहर को आने लगती है और फिर से उसकी साँसें उखदनी चालू हो जाती है. अब विजय अपना लंड करीब 7 इंच तक मोनिका के मुंह में पेल चुका था.

मोनिका का दम घुटने लगता है मगर वो आपने आँखों का इशारा से विजय को मना नहीं करती और फिर विजय इस बार एक झटके में अपना लंड बाहर खींच लेता है और उतनी ही तेजी से अंदर को धकेल देता है. बस फिर क्या था मोनिका की आँखों से आनसूंवों का सैलाब बहने लगता है और उसके मुंह से गूओ………..गूऊऊऊओ की आवाजें निकालने लगती है.
वो छटपटाने लगती है और ज़ोर ज़ोर से अपने दोनों हाथ विजय के पैरों पर मारती है. करीब 10 इंच पूरा लंड अपने हलक में लेने की वजह से मोनिका की हालत खराब होने लगती है .


तकरीबन 10 सेकेंड तक विजय अपना लंड मोनिका के हलक के नीचे पहुँचने में कामयाब हो जाता है और उधर मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती है ऐसा लगत् है की उसका दम घुटने से वो मर जाएगी. कुछ डियर तक उसी पोज़िशन में रहने के बाद विजय अपना पूरा लंड बाहर निकल लेता है. जैसे ही विजय का लंड बाहर आता है मोनिका ज़ोर से खांसने लगती है और उसके मुंह से लेकर लंड तक एक दूर के तरह थूक की लाइन नज़र आती है.

फिर देर ना करते हुए विजय एक बार फिर अपना लंड पूरा मोनिका के हलक में डाल देता है और उसी पोज़िशन में कुछ देर रहने देता है . पहले के मुकाबले इस बार मोनिका को ज्यादा तकलीफ नहीं होती और कुछ डियर में विजय का शरीर अकड़ने लगता है और वो मोनिका के सर को पढ़कर तेजी से लंड आगे पीछे करने लगता है .कुछ ही मिनिट्स में उसका वीर्य पूरा मोनिका के हलक के नीचे उतार जाता है और वो मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे पूरा अपने पेट में लेना पड़ता है.

विजय- सुन रांड़!! मेरा वीर्य बड़ा कीमती है पूरा पी जाना एक भी बंद नीचे नहीं गिरना चाहिए वरना तू जानती है ना …….और विजय हँसे लगता है..

इस तरह वाइल्ड सेक्स से मोनिका आपने आप को कुछ ही डियर में कंट्रोल कर लेती है और वो चुप चाप वही पसर जाती है.

विजय- अरे क्या हुआ तू तो इतनी जल्दी ठंडी पड़ गयी . अभी तो ये मेरा पहली बार निकाला है चल अभी तो मुझे तेरी चुत और गांड की कुटाई भी तो करनी है. चल दुबारा इसमें जान डाल दे.

मोनिका- बस करो विजय क्या हुआ है तुम्हें ऐसा जुंगलिपन मैंने आज तक तुम्हें कभी नहीं देखा. मुझे नहीं चुदवाना तुमसे मैं अपने घर जा रही हूँ. और मोनिका के आँख में आँसू आ जाते हैं. उसको रोता हुआ देखकर विजय भी थोड़ा ठंडा पड़ जाता है.

विजय- इयां सॉरी जान पता नहीं मुझे आज क्या हो गया था. मैं खुद हैरान हूँ. और वो कैसे भी करके मोनिका को दुबारा मना लेता है.

लेकिन विजय आज अच्छी तरह से जनता था की उसके वाइल्ड सेक्स के पीछे क्या कारण है. क्यों वो आज इतना जंगली बन गया था. बस राधिका ही वो वजह थी जो उसके जहाँ में जो वो चाह कर भी उसे नहीं भुला पा रहा था. और वो ये सोच रहा था की राधिका ने उसपर ऐसा क्या जादू कर डाला है .

मोनिका- विजय मैंने तुमसे कहा था ना की जब तुम ड्रग्स लेते हो तो मुझे तुमसे सेक्स करना बिलकुल भी पसंद नहीं है.
विजय- मोनिका को प्यार से गले लगते हुए. मेरी जान मैं क्या करूं ये ड्रग्स मेरे रोम रोम में….

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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 02 Nov 2016 10:50

समा चुका है. मैंने कितनी बार तुम्हारे कहने पर इसे चोदने की कोशिसक की है मगर मैं इसे नहीं चोद पाया. जब तक दिन में एक बार मैं नहीं लेता लगता हैं जैसे मैं पागल हो जाऊंगा .

मोनिका- मैं समाज सकती हूँ विजय पर फिर फिर तुम्हें ये ज़हर चोद ना होगा.

विजय- मोनिका प्लीज़ यार मुझे तेरी चुत मरने का बहुत मन कर रहा है.

मोनिका- तो मर लो ना मैंने कब रोका है मगर प्यार से करोगे तो जैसे कहोगे वैसे दूँगी.

विजय- अपने ब्रा और पैंटी तो निकल दे ना कब तक मुझसे छुपाती फ़िरेगी.

इतना सुनकर मोनिका अपना हाथ पीछे लेजा कर ब्रा का हुक खोल देती है और फिर धीरे से पैंटी भी सरका देती है. अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था.

विजय- चल ना एक बार मेरे पीछे से होकर पूरा लंड चाट ले. कसम से बहुत मजा आता है फिर मैं तेरी भी चाटूँगा.

मोनिका- तुम नहीं सुधेरोगे लेकिन मुझे तुम्हारी गांड चत्ने में बहुत घिंन आती है.

विजय- लेकिन जान उससे मेरे लंड में जान भी तो आ जाती है.
मोनिका- चलाओ बहुत बातें बनाते हो. घूम जाओ . इतना कहकर मोनिका उसके गांड को चाटना शुरू करती है.

मोनिका को बार बार उबकाई जैसा आने लगता है पर विजय की वजह से वो चुप चाप उसके गांड को चाटती है और थोड़ी डियर में विजय का लंड भी खड़ा हो जाता है.

विजय- वो मेरी रानी तू तो कमाल का चूसती है. चल अपने पैर फैलकर लेट जा. और विजय उसके चुत के एक दम नज़दीक आता है और जैसे ही जीभ उसके चुत के होल पर रखता है मोनिका को एक तेज करेंट जैसे लगता है. वो इतनी मदहोश हो जाती है और अपने दोनों आँख बंद कर लेती है . और कुछ देर में मोनिका के मुंह से तेज सिसकारी निकालने लगती है. इतनी डियर की चुत चूसा में मोनिका झरने के बहुत करीब होती है मगर विजय उसको अपनी बाहों में उठा लेता है और खुद नीचे बेड पर लेट जाता है और मोनिका को आपने ऊपर आने को कहता है.

मोनिका भी उसी पोज़िशन में आ जाती है और फिर शुरू होता है मोनिका की चुत की कूटल का सिलसिला. विजय एक ही बार में पूरा लंड मोनिका के चुत में डाल देता है. और करीब 10 मिनट तक उसी पोज़िशन में चोदने के बाद अपना लंड मोनिका के चुत से निकल कर उसके गांड पर रख देता है और धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता है. मोनिका अऔच………………की ज़ोर से आवाज़ करती है और विजय धीरे धीरे अपना लंड पूरा मोनिका के गांड में डालने लगता है.

थोड़ी देर की तकलीफ के बाद मोनिका खुद ही उछाल उछाल कर विजय से अपनी गांड मरवती है और करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद विजय का पानी मोनिका के गांड में निकल जाता है. और साथ साथ मोनिका भी झाड़ जाती है.और इसी बीच जब विजय का पानी निकलता है तो विजय भी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगता है और उसके मुंह से अचानक निकल पड़ता है
ओह ………..राधिका…………………………??????


मोनिका भी हैरत से विजय को देखने लगती है और फिर ना चाहते हुए भी उसका शक बढ़ता जाता है. उधर विजय भी चुप चाप अपने कपड़े पहन लेता है और मोनिका से नजरें नहीं मिला पता.

मोनिका- ये राधिका कौन है विजय. मोनिका ये सवाल उससे पूछेगी विजय ने कभी सोचा भी नहीं था और वो एक दम से हड़बड़ा जाता है .
मोनिका भी उसकी ओर हैरत से देखती है लगता है जैसे विजय उससे कुछ छुपा रहा है या क्या कोई राज़ है . अगर इसमें कोई राज़ है तो क्या है वो राज़….

मोनिका को शक भरे नज़रो से देख कर एक बार तो विजय भी मन में घबरा जाता है .तभी जल्दी से आपने आप को संभालते हुए कहता है

विजय- कौन राधिका ???? मैं किसी राधिका को नहीं जनता.
मोनिका- तुम मुझे बुद्धू समझते हो क्या . क्या मतलब है नहीं जानते . अगर नहीं जानते तो फिर राधिका शब्द तुम्हारे जुबान पर कैसे आया. मोनिका थोड़ी गुस्से से विजय को देखकर बोली.

विजय- कसम से जान मैं किसी राधिका को नहीं जनता. अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं तुमसे आख़िर क्यों छिपाता. विजय भी अपनी बात को ज़ोर देते हुए कहा.

मोनिका- तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो सच सच बता दो वरना अच्छा नहीं होगा.
विजय- नहीं मोनिका सच कह रहा हूँ मैं किसी राधिका को नहीं जनता. वो तो बस मैं आज सुबह राहुल के पास गया था तो मुझे राहुल के साथ राधिका नाम की लड़की मिली थी बस तभी से ……….

मोनिका- अगर ये बात सच है तो फिर ठीक है . अगर ये बात झूती निकली तो समाज लेना मैं सीधा राहुल के पास जाकर तुम्हारी पूरी करतूत उसको बक दूँगी. उसके बाद तुम समाज लेना राहुल तुम्हारे साथ क्या करेगा.

विजय- हे जान अरे यू सीरीयस. जैसे तुम समझ रही हो ऐसा कुछ भी नहीं है.

इतना कहकर विजय झट से अपने रूम से बाहर निकल जाता है और मोनिका को हज़ारों सवाल सोचने पर मज़बूर कर देता है.

मोनिका – हो ना हो दाल में कुछ काला जरूर है. मैं जानती हूँ विजय किस हद तक कमीना है. वो कुछ भी कर सकता है उसका कोई भरोसा नहीं है पर इसके पीछे वजह क्या हो सकती है . मोनिका बहुत डियर तक सोचती है पर उसे कुछ नहीं समझ आता है और वो भी रूम से बाहर अपने घर की ओर चली जाती है.

……………………………………..

दूसरे दिन

राधिका अपने घर से तैयार होकर बाहर निकलती है कॉलेज के लिए तभी निशा का फोन आता है. वो फोन…

completed 15th part

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