New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

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jasmeet
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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 27 Oct 2016 09:57

इस लेटर को पड़ने के लिए कही उस साले टपोरी पर तेरी दिल तो नहीं आ गया.
निशा- अरे जानेमन जब वो लड़का तुझे ये लेटर इतने प्यार से दे कर गया है तो पढ़ लेने में क्या प्राब्लम है. पढ़ कर फेंक देना.

राधिका- चल ठीक है जैसी तेरी मर्जी. पढ़ कर बताना देखना कैसे उसकी पूरी शहनाई निकालूंगी. निशा लेटर पड़ने लगती हैं. लेटर की शब्दों में……….

मेरी प्यारी राधिका,
मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ. जब से मैंने तुम्हें देखा है दिन रात तुम्हारे ख्यालों में खोया रहता हूँ. ना दिन को चैन ना रात में आराम.मैं ये लेटर अपने खून से लिख रहा हूँ तुम्हें पाने की लिए तो ये बहुत छोटी सी भेंट हैं. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ. अगर मेरा प्यार सक्चा है तो तुम मुझसे मिलने जरूर आओगी. इस लिए मैं अपना कॉंटॅक्ट नंबर नीचे दे रहा हूँ मुझे तुम्हारे फोन का इंतेज़ार रहेगा.
तुम्हारा होने वाला आशिक…………………

इतना सुनते ही राधिका का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वो निशा से कहती है.
राधिका- तो जनाब ने आपने खून से ये लव लेटर लिखा है. लगता हैं इनके शरीर में खून कुछ ज्यादा ही है. कोई बात नहीं कल तक साले की पूरी खून ना चूस लू तो मेरा नाम भी राधिका नहीं…और क्या लिखा हैं ना दिन में चैन और ना रात में आराम. कल से तुझे ऐसी जगह फसूंगई की साला ना दिन में सो पाएगा ना ही रात में.

निशा- यार कूल डाउन क्यों तू इतना भड़कती हैं. जाने दे ना यार क्यों बेचारे की बंद बजाने पर तुली हुई है.
राधिका- अरे तू जानती नहीं इन लोफर लोग को ये बस हमारे बदन के पीछे पड़े रहते हैं. जहाँ इन्हें हमारा बदन एक बार मिल गया .. इनका प्यार भी अपने असली रंग में आ जाएगा.

निशा- मुझे पता है राधिका तू सच कह रही है पर इन सब से बार बार उलझाना भी तो ठीक नहीं है. मैं तो कहती हूँ की जाने दे ना यार.
राधिका- यार इस बार चोद दिया तो अगली बार इसकी हिम्मत और तरफ जाएगी. आज तो लेटर दिया है कल बीच सड़क पर हाथ पकड़ेगा. मैं इसका इलाज़ कुछ सोचती हूँ.

निशा को भी राधिका की बात सच लगी इस वजह से उसने कोई भी बात आगे नहीं कही.

दूसरे दिन राधिका और निशा एक साथ बैठ कर बातें कर रही थी की तभी राधिका का मोबाइल बजा. उसने अपने बैग से अपनी मोबाइल निकली और नंबर देखने लगी. नंबर अननोन था. उसने फोन रेसीएवे किया.

राधिका- कौन बोल रहा है.
उधर से – मैं प्रसांत तुम्हारा आशिक हूँ तुमने मिलने को कहा था ना …कहा पर मिलना है मैं आ रहा हूँ. राधिका ने उसे अपने घर के बाहर किसी शॉप का अड्रेस पर बुला दिया.

निशा- यार तू प्लीज़ इस बेचारे के साथ कुछ ऐसा वैसा मत कर देना की कहीं बेचारा तेरी याद में अपनी जान ना दे दे.
राधिका- तू चिंता मत कर यार ये लोग जान देने वालों में से आशिक नहीं हैं.और कुछ देर के बाद राधिका अपने बताए जगह पर पहुंच जाती है और वो भी ऑटो से उतरते हुआ सीधा राधिका के पास आता है.
प्रशांत- मैं जनता था की तुम मुझसे भी प्यार करती हो. बोलो कब मुझे प्रपोज़ कर रही हो.

राधिका- अरे प्रसांत जी इतनी भी जल्दी क्या है चलिए हमारे प्यार की शुरूवात में कुछ मीठा हो जाए.
प्रसांत- वाह……. क्या बात है कहिए कहा चलना है मुंह मीठा करने के लिए. जहां कहोगी वहां चलूँगा.

राधिका-ठीक है चलो आज मैं तुम्हें अपना पसंदीदा जगह पर ले चलती हूँ. इतना कहकर राधिका और प्रशांत एक ऑटो में बैठ जाते हैं. और ऑटो उन दोनों को लेकर चल देता है.

प्रशांत- वैसे हम जा कहा रहे हैं.
राधिका- धीरज रखो. बताती हूँ इतनी जल्दी भी क्या है. अरे हमारा नया नया प्यार है तो किसी सस्ते होटल में तो मेरा मुंह नहीं मीठा करोगे ना. इस लिए हम ले कपरिकूस होटल जा रहे हैं. इस शहर का सबसे बड़ा होटल 7 स्टार.

इतना सुनते ही प्रसांत का गला सुख जाता है और उसकी आवाज़ बंद हो जाती है. उसे समाज नहीं आता की वो क्या बोले.
राधिका- मैंने कही कोई ज्यादा महँगा होटल तो नहीं चाय्स किया ना. लेकिन यार मैं इस नये प्यार को एक यादगार बनाना चाहती हूँ.

थोड़ी देर में दोनों ले कपरिकूस होटल पहुंच जाते हैं.

प्रशांत- राधिका जी इतना महँगा होटल में आने की क्या जरूरत है. इससे थोड़ा कम रंगे के होटल में चलते तो कुछ हर्ज था क्या.
राधिका- क्या डियर अपना नया प्यार को तुम यादगार नहीं बना चाहोगे. कौन सा हमें यहां रोज़ आना है.

प्रशांत को तो ये बात ना गले के ऊपर उतार रही थी और ना गले के नीचे वो भी चुप चाप राधिका के साथ उसके पीछे पीछे चल दिया.

दोनों जाकर टेबल नो 7 पर बैठ जाते हैं. प्रसांत क्या कभी राधिका ने भी ऐसा होटल सपने में नहीं देखा था. क्या आराम दायक डाइनिंग हाल. क्या सजावट , सब कुछ इतना जबरदस्त था की उसे लगा की वो कोई जन्नत में है.

तभी एक वेटर उखे पास आता है

प्लीज़ वेलकम सर, प्लीज़ वेलकम मैडम.
कहिए सर आप की क्या सेवा कर सकता हूँ. राधिका उस वेटर से मेनू कार्ड ले लेती है और प्रसांत को देती है.

प्रसांत- आज हम आपकी पसंद का खाना खाएँगे.
राधिका- ठीक है आगर आपकी इच्छा है तो मैं कैसे मना कर सकती हूँ.

प्रसांत- प्लीज़ डियर थोड़ा लो बजेट का ध्यान रखना.

राधिका- ओफ्कोर्स डियर चिंता मत करो अगर तुम्हारे पास पैसे नहीं होंगे तो मेरा क्रेडिट कार्ड उसे कर लेना.
प्रशांत इतना सुनकर उसके जान में जान आता है और….

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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 27 Oct 2016 09:57

वो इधर उधर देखने लगता हैं.

राधिका दो प्लेट सब्जी, पुलाव, वेग ब्रयाणी, डाल तड़का, छपती, पुलाव,कोल्ड ड्रिंक्स और स्नॅक्स वगैरह आर्डर कर देती है.

थोड़ी देर में आर्डर भी आ जाता है. मगर प्रसांत का घबराहट से पसीने चौंत्ने हैं. कैसे कर के वो खाना खाता है और दोनों इधर उधर की बातें करते हैं.

खाना खत्म होने के बाद राधिका फ्रेश होने के लिए टॉयलेट चली जाती हैं. और जब टॉयलेट से लौट कर अपना हाथ मुंह धो कर एक वेटर को धीरे से इशारा करके बुलाती है.
वेटर- कहिए मैडम आपको क्या सर्विस चाहिए.

राधिका- देखिए वो मेरे साथ वो लाल कलर का टी-शर्ट पहना हुआ बंदा है ना मैं उसके साथ आई हूँ. मुझे आप की सर्विस बहुत अच्छी लगी. ये लीजिए आपका इनाम. इतना कहकार राधिका उसे 500 र्स का एक नोट थमा देती है. वेटर की आँखों में चमक आ जाता है और वो बहुत खुश हो जाता है.

वेटर- सच कहों मैडम इतनी बड़ी टिप मुझे कभी किसी ने नहीं दी है. आप सच में बहुत आच हैं मैडम. जितनी खूबसूरत आप हैं उतना ही खूबसूरत आपका दिल भी है. थेन्क यू टू मच मैडम.

राधिका- मेरा एक काम करोगे.
वेटर- कहिए मैडम ये भी कोई पूछने की बात है .

राधिका- जिस बंदे को मैं तुम्हें दिखाया है वो जानते हो कौन है.

वेटर- नहीं.

राधिका- वो एक फ्रॉड है. इस का काम ही है इधर का माल उदार और उधर का माल इधर.इस वक्त उसके जेब में पैसे भी नहीं होंगे. और देखो कैसे मजा से इस होटल में आया हुआ है.

वेटर- ऐसा क्या मैडम. पर वो आपका कौन लगता है.

राधिका- मेरा कोई नहीं है. बस मुझे इसको सबक सीखना है. वैसे अगर कोई पएमेंट अगर ना कर पाए तो उसको लिए क्या सजा है इस होटल के रूल के अनुसार.

वेटर- पहले तो उसे इतने जूते पड़ेंगे की उसकी नानी याद आ जाए . फिर कम से कम एक हफ्ते तक उससे नौकर की तरह रहना पड़ेगा.और वो होटल का पूरा काम करेगा.

राधिका- किस तरह का काम जैसे………….

वेटर- अरे जीतने झूते बर्तन है वो साफ करवाना, झाड़ू पोछा लगवाना वगैरह वगैरह………

ठीक है. मैं आपसे थोड़ी देर में मिलती हूँ.

तभी राधिका प्रशांत के पास आकर बैठ जाती हैं.

प्रशांत- यार मुझे डर लग रहा है इस वक्त मेरे पास उठने पैसे भी नहीं है और मुझे अंदाज़ा है की यहां कम से कम 5000 र्स से कम बिल नहीं आएगा.

राधिका- तुम चिंता मत करो मैं यहां पर हमेशा आती हूँ. मेरा वायटोर और मनगर दोनों से अच्छा पहचान हैं.

तभी वायटोर बिल लेकर टेबल पर आ जाता है .

राधिका- प्रशांत तुम दो मिनट यही बैठो मैं अभी आती हूँ. फिर हम दोनों साथ में बिल पे करेंगे. इतना बोलकर राधिका उसी वायटोर के पास चली जाती है.राधिका- देखिए मुझे अर्जेंट जाना होगा. अभी घर से फोन आय है बहुत अर्जेंट है. मेरा बिल भी वही दे देंगे. अगर नहीं दे पाएँगे तो आप उनके साथ जैसे चाहे सुलूख कर सकते हैं और राधिका इशारों में और भी कुछ समझकर होटल से निकल जाती हैं.

थोड़ी देर में प्रसांत जब बिल देखता हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं- 14,600 का बिल.

इतना ज्यादा. पर मेरे जेब में तो इस वक्त 2000 र्स हैं. मैं इस वक्त कहाँ से 12, 600 र्स लेकर .आऊंगा. प्रशांत मान में ही सोचता हैं.

वही वायटोर अब प्रशांत के पास जाता है और बिल पे करने को बोलता हैं. प्रसांत की हवा निकल जाती है और वो बार बार राधिका को इधर उधर खोजता हैं.

वायटोर- किसे डुंड रहे हैं आप सर.

प्रशांत- वो एक लड़की मेरे पास बैठी थी उसे . अभी कहकर गयी है की मैं अभी आ रही हूँ. बस वो आएगी तो मैं बिल पे कर दूँगा.

वायटोर- अरे वो ब्लू सूट वाली लड़की तो नहीं ना जो कुछ डियर पहले आपके पास बैठी थी . उसे तो मैंने अभी ऑटो में घर जाते देखा हैं.और वो मुझसे कह कर गयी हैं की मेरा बिल भी वो ही पे करेंगे.

इतना सुनते ही प्रसांत की गांड फटके हाथ में आ जाती हैं और वो हकलाकर कहता है ये …..क्या………बक ……रहे……हो….. ऐसा…….नहीं……हो ……सकता.

वायटोर – चल उठ यहां से तुझे मैं अभी सबक सिखाता हूँ.

फिर वो उसे मैनेजर के पास ले जाता है और फिर लात घूसा जिसे जो मिला सारे स्टाफ के लोग मिलकर प्रशांत की धुलाई शुरू हो जाती है और 2000 र्स भी ले लिए जाता है और लगभग एक हफ्ते तक आधी पेट भूखा रहकर उसको होटल का पूरा काम करवाया जाता हैं.और एक हफ्ते के बाद उसे लात मर कर होटल के भर फेंक देते हैं.

राहुल- यार अमेज़िंग, तुम तो उस बेचारे के खून का लिटा हुआ लेटर पर भी तुमको दया नहीं आया. बेचारे के साथ बहुत ना-इंसाफी हुई है.
राधिका- इसमें मैं क्या कर सकती हूँ वो ही तो कह रहा था की मैंने खून से लेटर लिखा है तो मैंने सोचा उसके बॉडी में खून ज्यादा होगा तो मैंने कम कर दिया. इसलिए मैंने उसके भले के लिए ये सोचा की अगर एक हफ्ते तक 1/2 पेट खाना खाएगा तो कुछ बालने हो जाएगा. इतना कहकर राधिका भी मुस्करा देती हैं………………………….

राहुल- राधिका जी आपने तो सचमुच ही उसका अकल ठिकाने लगा दिया.बेचारा अब दुबारा आपको पलट कर भी नहीं देखेगा.

राधिका- मुझे सच में बहुत गुस्सा आता है ऐसे लोगों पर, जी तो करता है की कक्चा चबा जाओं इन्हें.

निशा- फिर जानते हो राहुल वो बेचारा जैसे ही वो होटल से बाहर आया सबसे पहले अपना नाम इस कॉलेज से कटवा कर कहीं दूसरे शहर चला गया. तब से आज तक वो नहीं दिखा.

राहुल- अरे दीखेगा भी कैसे राधिका….

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Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान

Unread post by jasmeet » 27 Oct 2016 09:58

जी ने तो उसे उस लायक चोदा ही कहा था. इतना कहकर राहुल मुस्करा देता है और साथ साथ राधिका और निशा भी हंस देती हैं.

तभी राहुल के मोबाइल पर एक कॉल आता है…..
राहुल कॉल रेसीएवे करता है और उधर से आवाज़ आती है- राहुल कहाँ पर हो यार मैं तुम्हें ढूँढ रहा हूँ मुझे तुमसे एक बात करनी हैं.कॉल उसके बेस्ट फ़्रेंड विजय का था और राहुल अपना अड्रेस उसे बता देता है और उदर से जवाब आता है की मैं थोड़े डियर में तुम्हारे पास आ रहा हूँ. इतना कहकर राहुल फोन रख देता है.

निशा- किसका फोन था राहुल जी .
राहुल- मेरा एक बेस्ट फ़्रेंड है विजय. बचपन से मैं उसे जनता हूँ जब तक वो मुझसे दिन में एक बार मिल नहीं लेता उसे चैन ही नहीं मिलता हैं.

राहुल- राधिका की ओर इशारे करते हुए बोलता है देखिए राधिका जी मैं आपको एक बात बताना चाहता हूँ. जो लोग आपको परेशान करते हैं उन्हें आप सबक सिखाती हैं.वो तो ठीक हैं पर बार बार हर किसी से झगड़ा करना अच्छी बात नहीं होती. कब कैसे आदमी किस तरह से आपसे दुश्मनी निकल ले ये कोई नहीं जनता. और पुलिस भी हमेशा हर जगह अवेलबल नहीं रही सकती.

राधिका- आप मुझे अड्वाइज़ दे रहे हैं की डरा रहे हैं. आप चिंता मर कीजिए मैं अपनी हिफ़ाज़त करना खुद जानती हूँ.

राहुल- मेरा कहने का वो मतलब नहीं था. आप भी-वजह आप किसी से लड़ाई और बहस मत किया कीजिए. पता नहीं क्यों पर राहुल के इतना कहने से राधिका उसे कुछ बोल नहीं पति और इशारे में हाँ कहकर सर हिला देती हैं.

निशा- वैसे राहुल जी आप से एक बात पुन्छु आप बुरा तो नहीं मानेंगे ना.
राहुल- पूछिए निशा जी क्या बात हैं.
निशा- वैसे आप के घर में कौन कौन हैं. आपके आंटी , बाप, भाई बहन , बीवी वगैरह………..इतना बोलकर निशा चुप हो जाती है.

राहुल- मैं इस वक्त बिलकुल अकेला हूँ. मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है. ना कोई रोने वाला ना आगे ना पीछे.

निशा- ओह!!!!! ई आम सो सॉरी राहुल जी मेरा कहने का ये मतलब नहीं था.

राहुल- इट्स ऑल राइट निशा जी इसमें आपकी कोई गलती नहीं. बचपन में ही मेरे आंटी बाप का रोड आक्सिडेंट में डेत हो गया था. और रहा सवाल भाई बहन का तो मैं उनकी एक मात्रा संतान हूँ और मेरी शादी अभी नहीं हुई है . दा-असल मुझे अभी तक ऐसी कोई मिली नहीं जिसको देखकर इस दिल में कोई सिग्नल बजे.

निशा- ओके मिल जाएगी . अगर कोई मिली तो मुझे जरूर बताइए गा.
राहुल- ठीक है मैं प्रॉमिस तो नहीं कर सकता पर मैं तुमसे जरूर मिलवौनगा.

राहुल- और तुम्हारे घर पर …..
निशा- मेरे मम्मी, अंकल और मेरा छोटा भाई है. अंकल वकील हैं. और आंटी हाउस वाइफ हैं . छोटा भाई अभी 10 क्लास में पड़ता हैं. बस ……….राहुल- और राधिका जी आप अपनी फॅमिली के बारे में भी कुछ बताइए.

राधिका इतना सुनते ही खामोश हो जाती है और वो कुछ बोल नहीं पति हैं. पर उसके चेहरे से परेशानी राहुल साफ पढ़ लेता हैं.

राहुल- राधिका जी मैंने कुछ गलत तो नहीं पूछ दिया . या अगर आपको बुरा लगा तो इयां सॉरी.

राधिका- नहीं राहुल जी ऐसी कोई बात नहीं हैं. मेरी आंटी इस दुनिया में नहीं हैं. आंटी को मारे 10 साल हो चुके हैं. घर में बाप, और एक भाई हैं. उनका होना या ना होना एक बराबर हैं. इतना बोलकर राधिका का चेहरा उदास हो जाता हैं.

राहुल- प्लीज़ राधिका जी क्या आप आपने बाप और भाई से परेशान तो नहीं हैं ना.

राधिका- नहीं बस सारा दिन सिग्रटते, पानी और शराब में दोनों लोग डूबे रहते हैं. बस इस लिए मुझे उनके साथ रहना अच्छा नहीं लगता.

राहुल- तो घर का खर्चा कैसे चलता हैं.

राधिका- बाप दिन भर उस बिहारी के आगे पीछे घूमता रहता हैं और भाई कुछ मेहनत मज़दूरी करके घर का खर्चा चलता हैं.

राहुल- ये बिहारी कौन है राधिका जी.
राधिका- अरे इस शहर का एमएलए. बहुत बड़ा गुंडा है वो.मैंने कितनी बार अपने अंकल और भैया को समझाया की उसका संगत चोर दे मगर वो तो जैसे चुंबक की तरह उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं.

राहुल- मैं जनता हूँ इस बिहारी को वो तो बहुत ही खतरनाक आदमी हैं. अब तक 4 पुलिस वालों को गायब करा चुका हैं.
जो भी उसके खिलाफ जाता है वो उसको जान से मरवा देता है. मैं भी उसके पीछे पड़ा हुआ हूँ जिस दिन साले के खिलाफ मुझे सबूत मिल गया बीच सड़क पर उसका एनकाउंटर कर दूँगा.

निशा- नहीं सर क्यों ऐसे गुंडा आदमी के मुंह लगते हैं. ऐसे आदमी से तो दूर ही रहना चाहिए.
राहुल- डरना तो मैंने कभी सीखा ही नहीं निशा जी. ज्यादा से ज्यादा वो मुझे भी मरवा देगा ना. वैसे भी किसको फर्क पड़ता है मैं जियओों या मरूं. मेरे तो कोई भी इस दुनिया में नहीं है रोने वाला.

निशा और राधिका को ये बात ज़रा भी अच्छी नहीं लगती राहुल के मुंह से ये सब सुनकर.
राधिका- हो सकता है राहुल जी कल तक कोई ना कोई मिल जाए आपके लिए रोने वाली……

राहुल- यार तब तू आप को बहुत प्राब्लम होती होगी उस घर में. अगर आप कहो तो मैं उनसे कोई बात करूं.

राधिका- बिलकुल भी नहीं राहुल जी अगर मेरे अंकल और भैया जान गये तो वो मुझपर ही बरस पड़ेंगे.
राहुल को ना जाने क्या हो जाता है और वो राधिका को एक तक देखता ही रहता है और राधिका भी उसे देखने लगती हैं. उन दोनों को इस तरह देखता हुआ पकड़ निशा पूछती है कहा खो गये आप दोनों. और इसी के साथ….

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