“यार मेरा हमेन अनॅटमी का सब्जेक्ट थोड़ा वीक है…” नेहा ने फोन पे कहा.
नेहा मेरी गर्लफ्रेंड थी. हम दोनो मेडिकल कॉलेज मे फर्स्ट एअर के स्टूडेंट्स थे. पढ़ाई मे वो थोड़ी वीक थी, इसीलिए उसका हमेन अनॅटमी का सब्जेक्ट जो म्बबस मे सबसे मुश्किल होता है, कमज़ोर रह गया. उपर से जब प्रोफेसर क्लास मे पढ़ा रहे थे तब यह मेडम क्लास बंक कर के बाहर मूवी देखने जया कराती थी, इसीलिए अब भुगत रही है.
“मैने तुमसे कहा था…अनॅटमी का का क्लास मत मिस करो, प्रोफेसर ने डेड बॉडीस पर इंपॉर्टेंट डाइसेक्षन्स कर के दिखाए थे…” मैने नेहा को फोन पर बताया.
“प्लीज़ जानू…कुछ करो ना, परसो ही सेमेस्टर एग्ज़ॅम्स है, अगर फैल हो गयी तो मुम्मा से बहुत दाँत पड़ेगी.”
अब मैं इसका क्या जवाब देता. अनॅटमी ऐसा सब्जेक्ट है जिसको कोई किताब से पढ़ कर ज़्यादा कुछ नही समझ सकता.
“यार मेरे पास एक प्लान है…कहो तो अभी हम हॉस्पिटल के मुर्दा घर (मॉर्ग) मे चलते है, वही पर मैं तुम्हे जल्दी जल्दी डाइसेक्षन करना सीखा दूँगा.”
“पागल हो गये हो क्या !!!…इतनी रात मे मैं मुर्दा घर मे नही जाने वाली…” उधर से नेहा की कामपाती हुई आवाज़ आई.
“डरपोक!…डराती है क्या ?” मैने हंसते हुए कहा.
“हा बाबा मैं डराती हू…इतनी सारी लाषो के बीच तो किसी को भी ड्ऱ लगेगा ही.”
“तो फिर फैल होने को तय्यार रहो…”
मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
“नही जानू प्लीज़ ऐसा मत कहो…कोई और रास्ता ज़रूर होगा.”
“अब कोई रास्ता नही है नेहा…अगर तुम्हे पास होना है तो डाइसेक्षन सीखना ही होगा.”
“पर इतनी रात को मुर्दा घर मे जाना क्या ठीक रहेगा?” नेहा की बातो से चिंता सॉफ झलक रही थी.
“अरे यार तू डराती क्यू है…मई रहूँगा ना तेरे साथ…”
“वो तो ठीक है निखिल, पर अगर कोई मुर्दे ने मुझे पकड़ लिया तो…”
नेहा की बचकानी बातो से मुझे हँसी आ गयी, “ऐसा वैसा कुछ नही होता है…यह सब बस फ़िल्मो मे दिखाई जाने वाली मन घाड़ंत बातें है…समझी..!”
उधर से कुछ देर तक शांति रही, शायद नेहा मेरी बातो पर गौर कर रही थी. बेचारी के पास और कोई चारा भी नही था.
“त…त…ठीक है निखिल…पर तुम प्रॉमिस करो की मेरे साथ ही रहोगे…” नेहा की बोली शायद ड्ऱ से काँप रही थी.
“तू फिकर मत कर और जल्दी आजा…मई तेरे हॉस्टिल के बाहर इंतेज़ार कर रहा हू…” कहते हुए मैने अपनी शर्ट पहनी और गर्ल्स हॉस्टिल के बाहर इंतेज़ार करने लगा.
थोड़ी देर बाद नेहा हॉस्टिल से नीचे आई. चिंता और ड्ऱ उसके चेहरे से सॉफ झलक रहा था.
“यार बहुत ड्ऱ लग रहा है…” नेहा अपने होठ चबाते हुए बोली.
“अरे पागल दर्राती क्यू है…वाहा कोई बहोत तेरा इंतेज़ार नही कर रहा होगा.”
उसके बाद बिना कुछ बोले मैं और नेहा मेडिकल कॉलेज के कॅंपस से दूसरे छ्होर पर जा पहुचे. आज हमे एक साल हो गया था यहा, पर आज तक कॅंपस के इस तरफ आने की ज़रूरात नही पड़ी. चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था और हवा मे एक अजीब सी ठंडक थी. रह रह कर जल बुझ रही स्ट्रीट लाइट्स और झींगुरो की आती हुई आवाज़ सुनकर तो अब मुझे भी थोड़ा ड्ऱ लगने लगा था.
अगर मेरी गर्लफ्रेंड की बात ना होती तो मैं कभी भी रात को कॅंपस के इस तरफ नही आता. चुकी यह कॅंपस का सबसे कम इस्तेमाल होने वाला इलाक़ा था, इसलिए यहा चारो तरफ घनी घनी झाड़िया उग आई थी, जो महॉल को और डरावना बना रही थी.
चलते चलते मुझे अपने एक सीनियर की कही बात याद आ गयी, तो सोचा नेहा से भी शेयर का लू.
“नेहा वैसे तुम्हे पता है की हमारे मेडिकल कोल्लगे के मुर्दा घर अभिशप्त है…” मैं कहते हुए रुक गया.
“अभिशप्त मतलब…?”
“अभिशप्त मतलब श्रापित, मेरे सीनियर्स कहते है की रात को मुर्दा घर के मुर्दे जाग जाते है…” कहते हुए मैं मुस्कुराने लगा. बेचारी पहले से ही डारी हुई नेहा को और डराने मे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.
“की…क्या तुम सही कह रहे हो…” खड़ी खड़ी नेहा वही काँप रही थी.
अब मुझे क्या पता की इस बात मे कितनी सच्चाई है, पर नेहा को डराने के लिए मैने जूत बोल दिया.
“हा नेहा मैं सच कह रहा हू…मैने खुद महसूस किया है जब मैं पहली बार इस तरफ से गुजरा था…हे हे हे…” कहते हुए मैं अपनी हँसी चुपा नही पाया.
“स्टुपिड…तुम मुझे डरा रहे हो ना…जाओ मैं तुमसे कभी नही बोलूँगी…हा!”
“अब कोई रास्ता नही है नेहा…अगर तुम्हे पास होना है तो डाइसेक्षन सीखना ही होगा.”
“पर इतनी रात को मुर्दा घर मे जाना क्या ठीक रहेगा?” नेहा की बातो से चिंता सॉफ झलक रही थी.
“अरे यार तू डराती क्यू है…मई रहूँगा ना तेरे साथ…”
“वो तो ठीक है निखिल, पर अगर कोई मुर्दे ने मुझे पकड़ लिया तो…”
नेहा की बचकानी बातो से मुझे हँसी आ गयी, “ऐसा वैसा कुछ नही होता है…यह सब बस फ़िल्मो मे दिखाई जाने वाली मन घाड़ंत बातें है…समझी..!”
उधर से कुछ देर तक शांति रही, शायद नेहा मेरी बातो पर गौर कर रही थी. बेचारी के पास और कोई चारा भी नही था.
“त…त…ठीक है निखिल…पर तुम प्रॉमिस करो की मेरे साथ ही रहोगे…” नेहा की बोली शायद ड्ऱ से काँप रही थी.
“तू फिकर मत कर और जल्दी आजा…मई तेरे हॉस्टिल के बाहर इंतेज़ार कर रहा हू…” कहते हुए मैने अपनी शर्ट पहनी और गर्ल्स हॉस्टिल के बाहर इंतेज़ार करने लगा.
थोड़ी देर बाद नेहा हॉस्टिल से नीचे आई. चिंता और ड्ऱ उसके चेहरे से सॉफ झलक रहा था.
“यार बहुत ड्ऱ लग रहा है…” नेहा अपने होठ चबाते हुए बोली.
“अरे पागल दर्राती क्यू है…वाहा कोई बहोत तेरा इंतेज़ार नही कर रहा होगा.”
उसके बाद बिना कुछ बोले मैं और नेहा मेडिकल कॉलेज के कॅंपस से दूसरे छ्होर पर जा पहुचे. आज हमे एक साल हो गया था यहा, पर आज तक कॅंपस के इस तरफ आने की ज़रूरात नही पड़ी. चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था और हवा मे एक अजीब सी ठंडक थी. रह रह कर जल बुझ रही स्ट्रीट लाइट्स और झींगुरो की आती हुई आवाज़ सुनकर तो अब मुझे भी थोड़ा ड्ऱ लगने लगा था.
अगर मेरी गर्लफ्रेंड की बात ना होती तो मैं कभी भी रात को कॅंपस के इस तरफ नही आता. चुकी यह कॅंपस का सबसे कम इस्तेमाल होने वाला इलाक़ा था, इसलिए यहा चारो तरफ घनी घनी झाड़िया उग आई थी, जो महॉल को और डरावना बना रही थी.
चलते चलते मुझे अपने एक सीनियर की कही बात याद आ गयी, तो सोचा नेहा से भी शेयर का लू.
“नेहा वैसे तुम्हे पता है की हमारे मेडिकल कोल्लगे के मुर्दा घर अभिशप्त है…” मैं कहते हुए रुक गया.
“अभिशप्त मतलब…?”
“अभिशप्त मतलब श्रापित, मेरे सीनियर्स कहते है की रात को मुर्दा घर के मुर्दे जाग जाते है…” कहते हुए मैं मुस्कुराने लगा. बेचारी पहले से ही डारी हुई नेहा को और डराने मे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.
“की…क्या तुम सही कह रहे हो…” खड़ी खड़ी नेहा वही काँप रही थी.
अब मुझे क्या पता की इस बात मे कितनी सच्चाई है, पर नेहा को डराने के लिए मैने जूत बोल दिया.
“हा नेहा मैं सच कह रहा हू…मैने खुद महसूस किया है जब मैं पहली बार इस तरफ से गुजरा था…हे हे हे…” कहते हुए मैं अपनी हँसी चुपा नही पाया.
“स्टुपिड…तुम मुझे डरा रहे हो ना…जाओ मैं तुमसे कभी नही बोलूँगी…हा!”
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Re: मुर्दा घर – Hindi Horror Thriller story
अरे नही यार मैं तुम्हे भला कभी डरा सकता हू …तुम तो मेरी जानू हो ना…खैर तुम पूरी कहानी सुन ना चाहोगी इस मुर्दे घर की…” मैने किसी तरह बात संभाल ली.
मुझे पता था वो ना ही कहेगी, इसीलिए मैने उसके बोलने से पहले ही अपनी मन घाड़ंत कहानी उसको सुनना चालू कर दिया.
“तुम जानती हो यह कुछ दस पंद्रह साल पहले की बात है, जब एक नर्स का अफेर एक डॉक्टर से हो गया. उस समय आज की तरह पब्लिक खुले विचारो की नही थी. डॉक्टर को लगा की अब यह नर्स उसके गले प़ड़ गयी है, इसीलिए उसने नर्स को ठिकाने लगाने की सोची…” मैं चलते चलते जो मन मे आ रहा था वो बोलते जा रहा था.
“क्या किया उस डॉक्टर ने…?” नेहा ने पूछा
“शयड तुम सुन ना पाओ…”
“प्लीज़ बताओ ना…”
“डॉक्टर ने नर्स को बेहोश कर के इसी मुर्दा घर मे जिंदा ही बर्फ मे जमा दिया…बेचारी आखड़ी बार होश मे इस दुनिया को देखे बिना ही चल बसी…”
मुझे खुद पे यकीन नही हो रहा था की मैने इतनी बढ़िया कहानी दो मिनिट मे ही बना ली है. खैर मेरे बातो का असर नेहा के छाएरे का उसा हुआ रंग ही बता रहा था.
“और अब उस नर्स की आत्मा इस मुर्दा घर के सभी मर्डू को रात मे जगा देती है…शिकाआरर करने के लिए.” मैने शिकार पर ज़्यादा ही ज़ोर देते हुए कहा.
“अब तो मैं कभी भी उस मुर्दा घर मे नही जौंगी…भले ही मैं फैल हो जौ…” कहते हुए अचानक से नेहा रुकी और मूड कर वापस जाने लगी.
मैने आगे बढ़कर उसका हाथ थाम लिया और कहा, “अरे यार तुम डराती बहुत हो…मई हू ना तुम्हारे साथ…और वैसे भी यह तो सब सुनी सुनाई बातें है…”
मैने कह तो दिया था, पर उस भोली भाली लड़की को इस सुनसान रात मे वो भी एक मुर्दा घर के सामने डराने मे बड़ा आनंद आ रहा था.
खैर मेरे ज़ोर देने पर नेहा रुक गयी और सहमे कदमो से मुरा घर के अंदर घुस गयी.
मई आज पहली बार मुर्दा घर मे आ रहा था. घुसते ही सबसे पहले तो हम दोनो की नाक सदते हुए लाश की बदबू से फट गयी. हमारे पास कोई और चारा नही था मास्क लगाने के.
वो एक बड़े हॉल जैसा था. अजीब सी शांति थी वाहा पर. चारो तरफ दीवालो पर बड़े बड़े ड्रॉयर्स बने थे जिसमे जमे हुए लाशें न्यू एअर हुई थी. कुछ लाशें जो हाल फिलहाल मे ही आई थी वो ऐसे ही बेड पे पारदर्शी प्लास्टिक मे ढाकी पड़ी थी.
उन लाषो को देखते ही मन मे सिहरन दौड़ जाती थी, लगता था की वो कभी भी उठ खड़ी होंगी, ऐसा लगता था वो हमे अपने पास बुला रही है.
“यहा कितनी ठंड है…” नेहा ने शांति भंग करते हुए बोला.
“हा…हर तरफ लाषो को बरफ मे जमा के रखा जाता इसीलिए यह आपे ठंड कुछ ज़्यादा ही है…इसीलिए जल्दी जल्दी तुम्हे सीखा के वापस हॉस्टिल चलते है…”
मुझे पता था वो ना ही कहेगी, इसीलिए मैने उसके बोलने से पहले ही अपनी मन घाड़ंत कहानी उसको सुनना चालू कर दिया.
“तुम जानती हो यह कुछ दस पंद्रह साल पहले की बात है, जब एक नर्स का अफेर एक डॉक्टर से हो गया. उस समय आज की तरह पब्लिक खुले विचारो की नही थी. डॉक्टर को लगा की अब यह नर्स उसके गले प़ड़ गयी है, इसीलिए उसने नर्स को ठिकाने लगाने की सोची…” मैं चलते चलते जो मन मे आ रहा था वो बोलते जा रहा था.
“क्या किया उस डॉक्टर ने…?” नेहा ने पूछा
“शयड तुम सुन ना पाओ…”
“प्लीज़ बताओ ना…”
“डॉक्टर ने नर्स को बेहोश कर के इसी मुर्दा घर मे जिंदा ही बर्फ मे जमा दिया…बेचारी आखड़ी बार होश मे इस दुनिया को देखे बिना ही चल बसी…”
मुझे खुद पे यकीन नही हो रहा था की मैने इतनी बढ़िया कहानी दो मिनिट मे ही बना ली है. खैर मेरे बातो का असर नेहा के छाएरे का उसा हुआ रंग ही बता रहा था.
“और अब उस नर्स की आत्मा इस मुर्दा घर के सभी मर्डू को रात मे जगा देती है…शिकाआरर करने के लिए.” मैने शिकार पर ज़्यादा ही ज़ोर देते हुए कहा.
“अब तो मैं कभी भी उस मुर्दा घर मे नही जौंगी…भले ही मैं फैल हो जौ…” कहते हुए अचानक से नेहा रुकी और मूड कर वापस जाने लगी.
मैने आगे बढ़कर उसका हाथ थाम लिया और कहा, “अरे यार तुम डराती बहुत हो…मई हू ना तुम्हारे साथ…और वैसे भी यह तो सब सुनी सुनाई बातें है…”
मैने कह तो दिया था, पर उस भोली भाली लड़की को इस सुनसान रात मे वो भी एक मुर्दा घर के सामने डराने मे बड़ा आनंद आ रहा था.
खैर मेरे ज़ोर देने पर नेहा रुक गयी और सहमे कदमो से मुरा घर के अंदर घुस गयी.
मई आज पहली बार मुर्दा घर मे आ रहा था. घुसते ही सबसे पहले तो हम दोनो की नाक सदते हुए लाश की बदबू से फट गयी. हमारे पास कोई और चारा नही था मास्क लगाने के.
वो एक बड़े हॉल जैसा था. अजीब सी शांति थी वाहा पर. चारो तरफ दीवालो पर बड़े बड़े ड्रॉयर्स बने थे जिसमे जमे हुए लाशें न्यू एअर हुई थी. कुछ लाशें जो हाल फिलहाल मे ही आई थी वो ऐसे ही बेड पे पारदर्शी प्लास्टिक मे ढाकी पड़ी थी.
उन लाषो को देखते ही मन मे सिहरन दौड़ जाती थी, लगता था की वो कभी भी उठ खड़ी होंगी, ऐसा लगता था वो हमे अपने पास बुला रही है.
“यहा कितनी ठंड है…” नेहा ने शांति भंग करते हुए बोला.
“हा…हर तरफ लाषो को बरफ मे जमा के रखा जाता इसीलिए यह आपे ठंड कुछ ज़्यादा ही है…इसीलिए जल्दी जल्दी तुम्हे सीखा के वापस हॉस्टिल चलते है…”
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