जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 27 Oct 2014 22:29

मैं जैसे ही उनकी लाई हुई चड्डियों मे से एक पह्न ने को नीचे झुकी तो उन्होने मुझे पीछे से पकड़ लिया. मैं चड्डी ज़मीन पर छोड़ कर खड़ी हुई तो वो मुझे किस करने लगे और मेरी चुचियाँ दबाने लगे. उन्होने मेरी नंगी जाँघो और मेरी नंगी गंद पर हाथ फिराया तो मैं भी बेकाबू होने लगी. मैं अच्छी तरह समझ चुकी थी कि वहाँ भी मेरी जमकर, एक फटाफट चुदाई होने वाली है. पिच्छले एक घंटे मे हमारी ये दूसरी चुदाई दूसरी जगह पर होने वाली थी. हम जानते थे कि हम को बहुत जल्दी जल्दी चुदाई करनी थी, इस से पहले की कोई दरवाजा खाट खटाए, हम को चुदाई पूरी करलेनी थी.

उन्होने मुझे अपने सामने घोड़ी बन ने को कहा. मैने दीवार पर लगे एक डंडे को पकड़ा और अपनी गंद उनकी तरफ करके किसी कुतिया की तरह, घोड़ी की तरह झुक गई. उन्होने अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर अपने खड़े हुए, तन तनाते हुए लौडे को बाहर निकाला और उसको मेरी गंद की दरार पर फिराया. मेरी चूत का मूह उनकी तरफ था पर वो मेरी गंद पर लंड घुमाते रहे तो मैं समझ गई कि वो मेरी गंद मारने की तय्यरी कर रहे हैं.

मैं चुप रही क्यों कि मुझे उनसे गंद मरवाना भी बहुत पसंद है. पर इस वक़्त मेरी गंद अंदर से सॉफ नही थी और उनके पास कॉंडम भी नही था. इस बार वो मेरी गंद बिना सफाई के, बिना कॉंडम लगाए, एक दुकान के ट्राइयल रूम मे पहली बार मारने जा रहे थे और मैं तो इसकी कल्पना करके ही रोमांचित हो उठी.

अपने लंड पर और मेरी गंद के छेद पर थोड़ा थूक लगा कर जब उन्होने अपने लंड को थोड़ा मेरी गंद मे डाला तो लगा जैसे मेरी गंद फॅट जाएगी. हालाँकि उन्होने अपना थूक इस्तेमाल किया था पर फिर भी मेरी गंद का छेद छोटा और उनका लंड बहुत मोटा है. करीब आधा लंड मेरी गंद मे घुसा कर वो धीरे धीरे धक्के मारते हुए अपने लंड को मेरी मस्तानी गंद मे अंदर बाहर करने लगे.

जल्दी ही मेरा दर्द कम हुआ और हमेशा की तरह मुझे गंद मरवाने का आनंद आने लगा. अब वो अपना पूरा लंड मेरी गंद मे घुसा कर मेरी गंद मार रहे थे. पीछे खड़े हो कर, मेरी गंद मारते हुए वो अपने हाथ से मेरी चूत के दाने को मसल्ने लगे ताकि मैं चुद्वाने का पूरा मज़ा ले सकूँ.

गंद मरवाते हुए और चूत का दाना मसलवाते हुए मैं झाड़ चुकी थी पर उनका मेरी गंद मारना लगातार जारी था क्यों कि मुझे पता है कि उनके लंड का पानी इतनी जल्दी नही निकलने वाला. मैं झुकी हुई, बिना रुके उनसे गंद मरवाती गई ताकि उनके लंड का रस मेरी गंद मे निकल जाए. थोड़ी देर बाद, मेरी गंद मारते हुए उनके लंड ने मेरी गंद को अपने लंड रस से लबा लब भर दिया.

उन्होने मेरी गंद मार कर जल्दी से अपने लंड को मेरी गंद से निकाला और मैने अपनी गंद सॉफ करके नई चड्डी पहन कर देखी. वो मेरी गंद के नाप के लिए बराबर थी. फिर मैने नई चड्डी उतार के अपनी चड्डी पहनी, अपना स्कर्ट पहना और हम दोनो अपने अपने कपड़े ठीक करते हुए ट्राइयल रूम से बाहर आए.

काउंटर पर पहुँच कर मैने सेल्स गर्ल से नई चड्डियों का बिल बनाने को कहा. वो सेल्स गर्ल हमारी तरफ कुछ इस तरह देख रही थी मानो पूछ रही थी कि ट्राइयल रूम मे चड्डी पहन कर देखने मे इतना समय क्यों लगा. मुझे पता नही कि वो समझ पाई या नहीं कि हम ने उसकी दुकान के ट्राइयल रूम मे क्या किया है. हम ने चड्डियों का बिल चुकाया और दुकान से बाहर आ गये.

उन्होने मुझे घर छोड़ा और अपने ऑफीस चले गये.

कई दिनो की, मन मे दबी दिन मे चुद्वाने की इच्छा बाहर जा कर चूत चुद्वा कर और गंद मरवाकर पूरी हो गई थी.

तो ये थी मेरी आपबीती——- बाहर गई चुदवाने.

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क्रमशः.....................................................


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 10:20

जुली को मिल गई मूली-20

गतान्क से आगे..................... चंचल चूत का चॅलॅंज

इस की शुरुआत एक चॅलेंज से हुई. मैं हमेशा अपनी बचपन की दोस्त आंजेलीना के संपर्क मे रहती हूँ. हालाँकि वो गोआ मे रहती है पर हम हमेशा बातें करते है और एक दूसरी को मैल भेजती रहती हैं. आप को तो पता है कि वो मेरी चुदाई की गुरु है और हमने कई बार आपस मे लेज़्बीयन चुदाई की है. मैने अपनी चुदाई का पहला सबक उस से ही सीखा था जब मैं सिर्फ़ 14 साल की थी और वो 15 साल की थी. उस ने मेरे साथ लेज़्बीयन चुदाई कर के मुझे चुदाई के बारे मे सिखाया था. जब भी मैं गोआ जाती हूँ, मैं आंजेलीना से ज़रूर मिलती हूँ और हम एक दूसरी के नंगे और सेक्सी बदन से खेलते हुए लेज़्बीयन चुदाई ज़रूर करती हैं. हालाँकि वो और मैं दोनो ही लेज़्बीयन नहीं है पर हम दोनो ही आपस मे लेज़्बीयन चुदाई करके बहुत आनंद लेती हैं. मेरी जिंदगी मे आंजेलीना का एक विशेष स्थान है.

एक बार, जब मैं उसके साथ चॅट कर रही थी तो हमेशा की तरह हमारी बातें चुदाई के रोमांच के बारे मे होने लगी. उस को पता है कि मुझे रोमांच से भरी चुदाई बहुत पसंद है. वो जानती है कि मैने कई बार सार्वजनिक जगहों पर चुद्वाया है और वो भी बिना किसी को पता चले. मैं बहुत से लोगों के बीच मैं चुद्वा लेती हूँ और किसी को भी पता नही चल पाता. इसलिए हम दूसरे लोगो की मौजदगी मे किस तरह चुद्वाया जा सकता है, इसके बारे मे चॅट कर रही थी. मुझे पता है कि अगर मैं उसको किसी तरह का चॅलॅंज दूं तो वो उसको ज़रूर पूरा करेगी. इसी तरह मैं भी इस तरह के चॅलॅंज लेने मे पिछे नही हूँ. इसीलिए इस बार उसने मुझे किसी बड़े बाज़ार के लॅडीस वॉश रूम मे खुद ही अपनी चूत मे उंगली करके झड़ने का चॅलॅंज दिया.

मैने इसके बारे मे ज़्यादा ना सोचते हुए उसका चॅलॅंज कबूल किया. वो जानती है कि मैं झूठ नही बोलती और उसको वही सच बताउन्गि कि मैं उसके चॅलॅंज को पूरा कर पाई या नही. फिर हम अलग अलग विषयों पर बात करने लगी.

आख़िर, कुछ दिनों बाद, मैने उसको बताया कि अब उसके चॅलॅंज को पूरा करने का वक़्त आ गया है और मैं इसके लिए तय्यार हूँ. मैने उसको बताया कि अगले दिन मैं एक सूपर बाज़ार जा रही हूँ और वहाँ उसके द्वारा दिए गये चॅलॅंज को पूरा करने की कोशिश करूँगी. वो ये जान कर बहुत खुश हुई.

मैने देल्ही के एक सबसे बड़े सूपर बाज़ार मे इस काम को अंजाम देने की सोची, जहाँ कार पार्किंग की बहुत अच्छी सुविधा है. अंदर से ये सूपर बाज़ार कई मंज़िला है, कई बड़ी बड़ी दुकानें हैं और इसका अधिकतर भाग वातानुकूलित है. अंदर दोनो तरफ सीढ़ियाँ और लिफ्ट है.

अपने प्रोग्राम के अनुसार मैं अगले दिन, दोपहर को, जब मेरे पति दोपहर का खाना खा कर वापस ऑफीस चले गये थे, मैं अपनी कार मे बैठ कर सूपर बाज़ार की तरफ रवाना हुई.

मैने अपनी कार एक तरफ पार्क की और कार से बाहर निकली. मैने अपना पसंदीदा स्कर्ट और टॉप पहन रखा था. मैं सूपर बाज़ार के दरवाजे की तरफ बढ़ी और मैं ये सोच कर रोमांचित होने लगी कि मैं वहाँ क्या करने जा रही हूँ.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 10:21

मैं इस अनोखे खेल और चॅलॅंज के लिए पूरी तरह तय्यार थी. मेरा टॉप मेरी चुचियों को ढकता हुआ मेरी कमर तक था. मेरा स्कर्ट, मेरी कमर पर, काफ़ी आरामदायक, और मेरे घुटनों के उपर तक आ रहा था. मेरे टॉप से मेरे नंगे कंधे और दोनो हाथ बाहर थे. मेरे स्किटर से भी मेरी घुटनों तक नंगी सेक्सी टांगे झाँक रही थी. स्कर्ट कुछ इस डिज़ाइन मे सिला हुआ था कि जब भी मैं चलती थी, वो मेरी मस्तानी गंद के दोनो तरफ झूलने लगता. मैने अपने सफेद सॅंडल और मॅचिंग गहने, कान की बालियां, कलाई पर ब्रेस्लेट, गले मे सोने की खूबसूरत चैन पहनी थी और मेरे हाथ मे एक सफेद रंग का पर्स था. अंदर पहुँच कर मैं शांत रहने की कोशिश कर रही थी. मेरे काले, घने खुले बाल मेरे नंगे कंधों पर झूल रहे थे और बार बार मेरी चुचियों के उपर आ कर मुझे और भी रोमांचित कर रहे थे.

अंदर एरकॉनडिशन होने की वजह से वातावरण काफ़ी ठंडा था और मैने महसूस किया कि मेरी निप्पल्स, ठंडक को महसूस करके कड़क हो गई थी, खड़ी हो गई थी. लेकिन मेरे टॉप के अंदर, चुचियों के उपर नरम कपड़ा सिला हुआ था जिसकी वजह से किसी भी देखने वाले को पता नही चल रहा था कि मेरी चुचियाँ तनी हुई है. पर मुझे पता चल रहा था और मेरी चुचियाँ, मेरी निप्पल कपड़े के अंदर रगड़ खा रही थी. मुझे ये बहुत सुखद लगा.

मैं दूसरी मंज़िल पर पहुँची जहाँ कि मुझे पता था कि एक बहुत अच्छा, सॉफ सुथरा लॅडीस रेस्ट रूम है. मैं वॉश रूम के अंदर दाखिल हुई. वहाँ अंदर काफ़ी सारी औरतें थी, कुछ जवान, कुछ थोड़ी उमर वाली और कुछ हसीन और जवान लड़कियाँ भी थी. कुछ साड़ियाँ पहने हुए थी, कुछ ड्रेसस पहने ही थी और कुछ बरमूडा, स्कर्ट और टॉप पहने हुए थी. लग रहा था जैसे हुस्न का बाज़ार लगा था. नंगी सेक्सी टांगे, कपड़ों के अंदर से झाँकति हुई छ्होटी, बड़ी और कुछ बहुत बड़ी चुचिया. उन सब के अलग अलग अंगों पर पहने हुए गहनो की खनखनाहट और पैरों मे पहनी हुई चप्पल्स और सॅंडल्ज़ की आवाज़ें रेस्ट रूम मे गूँज रही थी. करीब करीब सारी औरतें और लड़कियाँ अपना मेक-अप ठीक कर रही थी.

मैने भी सामान्य रहने की कोशिश करते हुए शीशे मे देख कर अपने बाल ठीक करते हुए बाकी की महिलाओं को, लड़कियों को देखने लगी. कुल मिला कर वहाँ उस समय करीब दस औरतें और लड़कियाँ होंगी. मैं सोच रही थी कि कैसे अपने काम को अंजाम दूं? अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? क्या इतनी भीड़ मे, उनके बीच मे मैं अपनी चूत मे उंगली कर पाउन्गि? पर अब मैं पीछे नही हट सकती थी. मैने चॅलॅंज पूरा करने की ठान ली. मैने देखा कि एक करीब 45 साल की औरत मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही है. लेकिन मेरे पास ज़्यादा सोचने का वक़्त नही था. ये समय सोचने का नहीं, काम करने का था. अपनी चूत मे खुद ही उंगली डाल कर, हॅस्ट मैथून कर के झड़ने का चॅलॅंज पूरा करने का समय था. काफ़ी सारी औरतें आपस मे तेज आवाज़ मे बातें कर रही थी. कुल मिलकर काफ़ी शोर गुल हो रहा था. और मेरे लिए ये अच्छी बात थी कि उस शोर गुल मे शायद मेरे द्वारा, हस्त मैथून के दौरान की गई आवाज़ें किसी को सुनाई ना दे.

मैने पीछे बने स्टॉल्स की तरफ देखा. बीच के तीन स्टॉल्स खाली थे. मैने अपने काम के लिए बीच वाला स्टॉल चुना. मैने अंदर आ कर दरवाजा बंद किया और घूमी. अंदर बहुत कम जगह थी. जैसा कि आम तौर पर होता है, ज़मीन और स्टॉल की लकड़ी की दीवारों के बीच करीब एक फुट की दूरी थी. यानी तीन तरफ, दोनो साइड, अगल बगल के स्टॉल की तरफ और सामने दरवाजे की तरफ, बाहर की तरफ नीचे एक फुट की खाली जगह थी. जो भी अंदर होती है, वो अपने दोनो तरफ के स्टॉल मे नीचे से झाँक सकती है. हे भगवान!

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