जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 10:21

मैने अपने स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर अपनी चड्डी को उतारा तो पाया कि मेरी चड्डी मेरे चूत रस से गीली हो चुकी थी. मैने अपनी चड्डी को अपनी नाक के पास करके अपने चूत रस की सुगंध को सूँघा. बहुत सेक्सी सुघन्ध है मेरे चूत रस की. मैं सोच रही थी कि उस छोटी सी जगह मे अपने काम को किस तरह अंजाम दिया जाए. मैने दरवाजे के पीछे लगे हुक पर अपनी चड्डी टांगी और टाय्लेट सीट पर बैठी. अपनी स्कर्ट को गंदी होने से बचाने के लिए उसको अपनी कमर तक उठा कर दबा लिया. फिर मैने महसूस किया की टाय्लेट सीट पर बैठे बैठे मैं अपना काम ठीक से नही कर पाउन्गि. मैं जितना हो सकता था उतनी आगे हो कर बैठी. तभी, बगल के स्टॉल मे एक औरत आई. मैं स्थिर हो गई. नीचे से उसके पैर दिख रहे थे. मैने उसकी चड्डी नीचे करने की सरसराहट सुनी और साफ साफ उसके मूतने की आवाज़ सुनी. मुझे और गरम होने के लिए इतना काफ़ी था. मैं सोच रही थी कि बाहर इतनी आवाज़ें होने के बावजूद जब मैने बगल के स्टॉल मे उस औरत के मूतने की आवाज़ सुन ली तो मेरे द्वारा भी किसी भी प्रकार की आवाज़ भी सुनी जा सकती है.

लेकिन, कुछ भी हो, मुझे मेरा वो काम तो करना ही था जिसके लिए मैं वहाँ आई थी. आगे खिसक कर बैठने की वजह से मुझे कुछ परेशानी हो रही थी तो मैने अपना एक पैर सामने दरवाजे पर टिकाया. पैर मे सॅंडल होने की वजह से लकड़ी के दरवाजे पर पैर टीकाने से आवाज़ हुई. मैने महसूस किया कि बगल के स्टॉल मे मूतने आई औरत की हलचल बंद हो गई है. शायद वो मेरे स्टॉल मे क्या हो रहा है, ये सुन ने की कोशिश कर रही है. भाड़ मे जाए वो, सुनती है तो सुनती रहे, मैने अपने मन मे सोचा. मैने पूरा ध्यान अपनी चंचल, चिकनी चूत पर लगाया और अपनी रसीली चूत की दरार मे अपनी उंगली फिराई. मेरी चूत तो जैसे टपक रही थी. मैने बगल के स्टॉल से टाय्लेट पेपर खींचे जाने की आवाज़ सुनी और फिर उसके रगडे जाने की आवाज़ भी सुनी. शायद वो औरत टाय्लेट पेपर अपनी चूत पर रगड़ कर अपनी चूत को सॉफ कर रही थी.

अचानक ही, जब मेरी उंगली मेरी चूत के तने हुए गरम दाने से टकराई नो ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से आह की आवाज़ निकल गई. बगल के स्टॉल से टाय्लेट पेपर को चूत पर रगड़ने की आवाज़ आनी अचानक रुक गई. मैने अपने मन मे सोचा कि जो होगा देखा जाएगा. किसी को पता चलता है तो चलता रहे. मुझे तो अपना काम पूरा करना था. अपना चॅलॅंज पूरा करना था. खुद ही अपनी चूत मसल कर, उंगली डाल कर हस्त मैथून करते हुए मुझे झड़ना था. आवाज़ होती है तो होती रहे.

मैं फिर अपने काम मे मगन हो गई. अपनी रसीली मस्तानी चूत मे मेरी उंगली घूमने लगी और ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से आनंद की धीमी धीमी आवाज़ें निकलने लगी. मेरे चूत रस की सुगंध अब अपने आप ही मेरी नाक तक पहुँच रही थी. मेरी चूत काफ़ी गीली होने की वजह से जब मेरी उंगली उसके अंदर बाहर हो रही थी तो उस से भी कुछ आवाज़ होने लगी. मैं काफ़ी गरम हो चुकी थी, मेरी आँखें बंद हुई जा रही थी और मुझे लगा कि मैं अपने झड़ने के काफ़ी करीब हूँ. मेरी साँसे तेज तेज चलने लगी और मेरा बदन झड़ने से पहले अकड़ने लगा. मेरे हाथ की रफ़्तार मेरी चूत पर और भी बढ़ गई. दराज पर मेरे पैर के टकराने से दरवाजा हिलने लगा था और अब कुछ भी मेरे बस मे नही था. बाहर से आने वाली आवाज़ों मे अचानक कमी आई और हे भगवान! बाहर खड़ी औरतें, लड़कियाँ मुझे सुन रही थी और शायद उनको अंदाज़ा हो गया था कि अंदर मैं क्या कर रही हूँ. लेकिन इन सब की परवाह करने के लिए अब काफ़ी देर हो चुकी थी और मैं ऐसी हालत मे थी जहाँ से लौटना या वहीं रुकना मेरे बस मे नही था. मैं अपने झड़ने की चरम सीमा पर थी और अब कुछ नही हो सकता था. मुझे आगे ही जाना था, पीछे वापस आना या रुकना मुमकिन नहीं था.

और अचानक ही, जैसे कि मैं जानती थी, मैं एक झटके के साथ ज़ोर से झाड़ गई और उत्तेजना के मारे मेरा पैर ज़ोर से दरवाजे से टकराया तो दरवेाजा हिल गया.

मैं तो ऐसे झड़ी थी कि रुकने का नाम नही ले रही थी. मैं जब तक हो सका, अपनी गीली चूत मसल्ति रही, उंगली करती रही. पता नही मैने अपनी चूत मे उंगली करते वक़्त उत्तेजना मे क्या क्या किया, कितनी आवाज़ें निकाली, मुझे कुछ याद नही था. बाहर एकदम खामोशी छाई थी. क्या सब औरतें और लड़कियाँ चली गई है?

तभी, मैने महसूस किया कि बाहर का दरवाजा खुला और कुछ लड़कियाँ बातें करती हुई वॉश रूम मे आई और अचानक ही चुप हो गई. हे भगवान! इसका मतलब सब की सब औरतें और लड़कियाँ अंदर ही है और मेरे बाहर आने का इंतज़ार कर रही है.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 10:22

बाहर कुछ फुसफुसाहट शुरू हुई और मैं जानती थी कि मुझे कुछ करना था. मैं खड़ी हुई और टाय्लेट पेपर से अपनी चूत सॉफ करने के बाद अपनी स्कर्ट को नीचे किया. अपनी चड्डी मैने अपने पर्स मे रखी और मैं बाहर आने को तय्यार हो गई. मेरे मन ने मुझसे कहा कि घबराने की कोई बात नही है जूली! सब जो बाहर खड़ी हैं, उन सब के पास चूत है, उनमे बहुत सारी या सब वो ज़रूर करती होगी जो मैने अभी अभी किया है.

मैने दरवाजा खोला, एक लंबी साँस ली और बाहर कदम रखा. बाहर सब की सब जैसे सकते मे खड़ी थी. सब की सब मेरी तरफ देख रही थी, मुझे निहार रही थी. किसी ने भी अपने मूह से कोई आवाज़ नही निकाली, कुछ नही बोली. मैने और एक लंबी साँस ली और आगे बढ़ी.

मैं वॉश बेसिन तक आई और अपने काँपते हुए हाथ धोने लगी. मेरा चेहरा शर्म से लाल हो रहा था और साँसे तेज होने की वजह से मेरी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी. सब की सब मुझे देखे जा रही थी और अपने मन मे कहीं ना कहीं मैं अपने आप को उन सब से बड़ी, सब से लंबी सब से महान समझ रही थी.

एक औरत जो करीब 50 साल की थी और मेरी बगल मे खड़ी थी. मैं जब अपने हाथ धोने के बाद उनको सुखाने की लिए टिश्यू पेपर लेने को अपना हाथ बढ़ाया तो वो औरत मुझे जैसे सूंघने लगी. वो मेरे बदन की खुश्बू लेने लगी. लगा कि कोई कुछ कहना चाहती है मगर बोल नही पा रही है.

मैं अब तक अपने आप पर काबू पा चुकी थी.

अचानक वो औरत बोली ” मुझे लगता है जो तुम ने किया है, उसकी तुम को बहुत ज़रूरत थी. तुम ने कुछ ग़लत नही किया.” वो मुस्कराते हुए कहती जा रही थी ” इस मे घबराने या शरमाने की क्या बात है डियर! हम सब ने ये किया है जो तुम ने किया है. ये हमारी ज़रूरत है और इसमे मज़ा भी तो बहुत आता है. मुझे पूरा यकीन है कि तुम को भी बहुत मज़ा आया होगा. मुझे तो सोच कर ही मज़ा आ रहा है.”

और उसने सब की तरफ देखा. सब की सब मुस्करा रही थी. फिर सब की सब एक साथ हंस पड़ी. सारा तनाव ख़तम हो गया.

एक सेक्सी सी लड़की ने ताली बजाई तो उसके पीछे पीछे सब ने तालियाँ बजा कर मेरा स्वागत किया जैसे मैने वो काम किया है, और खास करके वहाँ किया है जहाँ वो सोच भी नही सकती.

मैं तो शर्म से और लाल हो गई. मैने उस औरत के गाल पर एक प्यारी सी पप्पी धन्यवाद के रूप मे दी. उस ने भी जवाब मे मेरे गाल पर धन्यवाद दिया.

फिर वो बोली ” जवानी मे मैं भी तुम्हारी तरह थी.” उसने मेरे पर्स से झाँकति हुई चड्डी की तरफ इशारा किया और बोली “क्या तुम अपनी ये प्यार की निशानी मुझे दे सकती हो? मैं अपने किटी क्लब की सहेलियों को ये दिखा कर बताना चाहती हूँ कि ऐसा सही मे हुआ है.”

वो मेरे पर्स से बाहर झाँकति हुई, गीला दाग लगी हुई, मेरी चूत का रस लगी हुई चड्डी को लगातार देखे जा रही थी. मैने अपना पर्स खोला और अपनी चड्डी उस औरत को दे कर दरवाजे की तरफ बढ़ी.

मुझे बराबर याद नही है, पर मैं शायद वॉश रूम से निकल कर भागती हुई पार्किंग मे अपनी कार तक आई थी.

बाहर आने के बाद मैं एक दम शांत थी. अपनी कार मे बैठ कर मैने फिर एक लंबी साँस ली और अपने घर की तरफ रवाना हुई.

मैं अपने आप को बहुत संतुष्ट महसूस कर रही थी.

धन्यवाद आंजेलीना! मेरी प्यारी चुदाई की साथी. मुझे लगता है मैने तुम्हारा दिया चॅलॅंज अच्छी तरह से पूरा किया है.

मेरी चंचल चूत को मैं खुद ही बाज़ार मे चोद कर आ रही थी.

क्रमशः................................


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 10:23

जुली को मिल गई मूली-21

गतान्क से आगे.....................

हम ने, मैने और मेरे पति ने अपनी छुट्टियाँ शिमला मे मनाने का निस्चय किया. मेरे पति ने वहाँ शिमला मे हमारे रहने के लिए एक बंगला किराए पर ले लिया था. हम दोनो बाहुत ही खुश थे और शिमला के ठंडे और खूबसूरत मौसम मे, साथ साथ समय बिताने और मज़ेदार चुदाई करने के लिए बेताब थे. हम पहले भी वहाँ जा चुके थे , पर उस वक़्त हम एक होटेल मे रुके थे. इस बार ज़्यादा मज़े के लिए, ज़्यादा एकांत के लिए और ज़्यादा चुदाई के लिए हमने बांग्ला बुक किया था.

हम वहाँ शाम के वक़्त पहुँचे. हमारा विचार वहाँ दो दिन तक रहने का था. मेरे पति ने बंगले के सामने कार रोकी और निस्चित किया कि हम सही जगह पहुँचे हैं. हम कार से निकले तो ठंडी हवा का झोंका हमारे बदन से टकराया. मेरे पति तब तक बंगले के दरवाजे तक पहुँच चुके थे और जेब से चाबी निकाल कर उसका दरवाजा खोल चुके थे. मैं थोड़ा रुकी और फिर अपना बेग उठाए बंगले की तरफ बढ़ी. मेरे पति वहाँ, बंगले के दरवाजे पर खड़े मुझे ही देख रहे थे. मैं भी उनकी तरफ देखते हुए आगे बढ़ रही थी.

वो मुस्कराए और उन्होने मुझे अंदर आने का इशारा किया. जब मैं उनके बगल से गुज़री तो मेरे खुले बाल उनके चेहरे से टकराए. उन्होने मेरे बालों को लंबी साँस ले कर सूँघा. दरवाजा बंद कर के वो भी अंदर आ आगाए. हम बाहरी कमरे मे थे जहाँ उन्होने मुझे बैठने को कहा. मैं वहाँ रखे सोफे पर बैठ गई और चारों तरफ देखने लगी. वो एक बहुत ही खूबसूरत, सॉफ सुथरे और अच्छे रख रखाव वाला रहने के लिए तय्यार बांग्ला था. वो भी मेरे पास बैठे और मुझे बाहों मे भर लिया. हमेशा की तरह उनकी मज़बूत बाहों मे आ कर मैं सब कुछ भूल गई.

आख़िर मैने चुप्पी तोड़ी और मैं बोली की मुझे यहाँ पहुँच कर, इस खूबसूरत मौसम मे बहुत अच्छा लग रहा है. उन्होने अपनी आँखें मटकाई और बोले कि उनको कुछ करना है. और उन्होने मुझे फिर से खींच कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. एक दूसरे को बाहों मे जकड़े हम अपनी थकान मिटाने लगे.

ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनो के जिस्म एक दूसरे की गर्मी से पिघल जाएँगे. मेरी चुचियाँ उनके चौड़े सीने मे दब रही थी. चुदाई की गर्मी हमारे सिर पर सवार हो चुकी थी. हमारे हाथ एक दूसरे का बदन टटोलने लगे और मेरा हाथ जब उनकी पॅंट के सबसे खास हिस्से पर पहुँचा तो मैने उनका चुदाई का औज़ार, उनके लंबे लौडे को पॅंट के अंदर खड़े हो कर हलचल मचाते पाया. मैने अपनी नरम उंगलियों से जैसे उनके लंड को मालिश की.

उनके दोनो हाथों मे मेरी दोनो चुचियाँ आ चुकी थी जिसे वो मेरे टी-शर्ट के उपर से ही मसल्ने और दबाने लगे जिस से मैं और भी गरम हो गई. उन्होने अपने गरम होंठ मेरे गरम होंठों पर रखे और हम एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए चुंबन करने लगे. मैने उनके पंत की ज़िप खोलते हुए उनके लंबे लौडे को बाहर निकाला तो वो जैसे मेरे हाथ मे नाचने लगा.

मैं उनका लंड पकड़ कर हिलाने लगी. उन्होने अपने काँपते हाथों से मेरी टी-शर्ट उतार दी. मेरी गोल गोल चुचियाँ मेरी काली ब्रा से झाँकने लगी. जब उन्होने मेरी ब्रा का हुक खोला तो मेरी ब्रा मे क़ैद दोनो चुचियाँ आज़ाद हो कर बाहर निकल आई. उनके हाथों ने तुरंत ही मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया और दबाने लगे.

मैं उनका लंड पकड़ कर हिला रही थी और वो मेरी चुचियाँ दबा रहे थे तो हम दोनो के मूह से आनंद भरी आवाज़ें निकलने लगी. मेरे हाथ की पकड़ उनके तने हुए लौडे पर और मज़बूत हुई और मैं उसको आगे पीछे करने लगी. उनके लंड के छेद से गर्मी का रस निकलने लगा. उन्होने आगे हो कर मेरी चुचि को मूह मे लिया और मेरी निप्पल पर अपनी जीभ फिराई. मेरी दोनो निप्पलें तन कर खड़ी हो गई. वो मेरी चुचि और निप्पल चूस रहे थे और मैं उनका लंड पकड़ कर मुठिया मार रही थी. यहाँ मैं आप को बता दूं कि रास्ते मे, वहाँ आते समय, मैं काफ़ी देर तक, बार बार, कार मे उनके लंड से खेलती रही थी जिसकी वजह से वो पहले से ही काफ़ी गरम थे. मैने उनके लंड पर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारनी शुरू की ताकि उनके लंड का पानी निकल जाए. मैने उनके बदन मे हलचल महसूस की और मुझे पता चल गया कि उनके लंड से लंड रस की बौछार होने वाली है. मैं और ज़ोर ज़ोर से, और कस कर, और जल्दी जल्दी अपना हाथ चलाती गई और अचानक ही उनके लंड ने अपने प्रेम रस की बौछार करनी शुरू कर दी. मैं तब तक उनके लंड को हिलाती हुई आगे पीछे, उपर नीचे करती रही जब तक कि उनके लंड के पानी की आख़िरी बूँद नही निकल गई.मेरा हाथ और नंगा पेट उनके लंड से बरसाए रस से गीले हो गये थे. वो सोफा पर पीठ टिका कर बैठ गये और लंबी लंबी साँसे लेने लगे.

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