Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

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sexy
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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by sexy » 05 Jan 2017 08:56

Novel- ELove CH-31 उसकी मेल


Inspirational quotes -

If you have built castles in the air, your work need not be lost; that is where they should be.

Now put foundations under them.

---Henry David Thoreau


शामका वक्त था. अतूल सुबहसे अबतक उसके रुममें कॉम्प्यूटरपर बैठा हूवा था. अलेक्स उसके बगलमें आकर खडा हो गया और उसका क्या चल रहा है यह देखने लगा. अलेक्सकी आहट होतेही अतूल कीबोर्डकी कुछ बटन्स दबाता हूवा बोला,

'' देख यह है हमने निकाली हूई तस्वीरे ... कैसी लग रही है ?''

कॉम्प्यूटरके मॉनिटरपर अंजली और विवेककी हॉट फोटोज किसी स्लाईड शो की तरह एकके पिछे एक ऐसी आगे आगे खिसकने लगी.

'' वा वा .. एकदम परफेक्ट... जस्ट लाईक अ प्रोफेशनल फोटोग्राफर...'' अलेक्स अतूलकी सराहना करते हूए बोला.

'' लेकिन सिर्फ यह फोटोग्राफ्स देखकर क्या होनेवाला है ... हमें आगे भी कुछ करना पडेगा ... सिर्फ सुबहसे शामतक कॉम्प्यूटरपर बैठकर क्या होनेवाला है? '' अलेक्स उसे ताना मारते हूए बोला.

'' अरे ... अब आगेका काम यह कॉम्प्यूटरही करनेवाला है ... पहले मै अंजलीके मेलबॉक्ससे विवेकको एक मेल भेजता हूं ... फिर उसके बाद तुम्हारा काम शुरु होनेवाला है '' अतूलने कहा.

'' तूम मेरे कामके बारेमें एकदम बिनदास रहो ... सिर्फ पहले तुम्हारा काम होनेके बाद मुझे बता देना .. '' अलेक्सने कहा.

अतूलने काफी मेहनत करके हासिल किया हूवा पासवर्ड देकर अंजलीका मेलबॉक्स खोला और वह मेल टाईप करने लगा -

'' विवेक... सबसे पहले तुम्हे लिखू या ना लिखू ऐसा सोचा .... लेकिन बादमे तय किया की लिखनाही ठिक रहेगा ... हम मुंबईको मिलनेके बाद मै वापस गई और इधर एक प्रॉब्लेम होगया ... वैसे उसको प्रॉब्लेम नही बोल सकते ... लेकिन तुम्हारे लिए उसे प्रॉब्लेमही कहना पडेगा ... इधर मेरे रिश्तेदारोंको क्या लगा क्या मालूम लेकिन उन्होने तुरंत मेरी शादी तय की है ... पहले मुझे बहुत बुरा लगा ... लेकिन बादमै मैने उसके बारेमें बहुत सोचा और मै इस नतिजेपर पहूंची हू की मेरे रिश्तेदार जो भी कर रहे है वह मेरे भलेके लिए ही है .. लडका अच्छा है, अमेरीकामें पढा हूवा है ....इंडस्ट्रीयल फॅमिली है और हमारे बराबरीकी है ... अब मुझे धीरे धीरे समझने लगा है की अबतक जो भी हमारे बिच हूवा वह एक अपरीपक्वताका नतिजा था.... इसलिए तुम्हारे और मेरे लिए यही अच्छा रहेगा की कुछ हुवाही नही इस तरह सब भूल जाएं ... हम मुंबईको मिले थे यह शायद मेरे रिश्तेदारोंको पता चल चुका है ... तुमने मुझसे मिलनेकी या मुझसे संपर्क बनानेकी कोशीशभी की तो वे लोग तुम्हे कुछभी कर सकते है ... इसलिए तुम इस मेलका रिप्लायभी मत भेजना ... मेरा मेलबॉक्सभी शायद मॉनिटर किया जा रहा है ... अपना खयाल रखना ...इतनाही मै तुम्हे कह सकती हूं ... अंजली''


अतूलने मेल मानो अंजलीनेही टाईप कर विवेकको भेजी हो इस तरहसे टाईप की. मेल पुरी तरह लिखनेके बाद उसने एक बार फिरसे उसे पढकर देखा. उसके चेहरेपर एक वहशी मुस्कुराहट छुपाए नही छुपाई जा रही थी. उस मेलमें कुछभी त्रूटी बची नही है इसकी तसल्ली होतेही उसने वह मेल विवेकको भेज दी और अंजलीका मेलबॉक्स बंद किया.


इधर विवेक सायबर कॅफेमें बैठा था. उसे आशंका ... नही यकिन था की अंजलीकी कोई तो मेल उसे आई होगी. उसने अपना मेलबॉक्स खोला और उसे मेलबॉक्समें अंजलीकी आई हूई मेल दिखाई दी. उसने तुरंत, मानो उसके बदनमें बिजली दौड गई हो, वह मेल खोली. मेल पढते हूए उसका खिला चेहरा एकदमसे मायूस हो गया. मेल पुरी पढनेके बादभी वह जैसे शुन्यमें देख रहा हो ऐसे मॉनिटरकी तरफ देखता रहा.

यह ऐसे कैसे हूवा ?...

वह अपना मजाक तो नही कर रही है ?...

उसे एक पलके लिए लगा.

तभी सायबर कॅफेमें एक आदमी आ गया. वह आए बराबर सिधा विवेकके पास गया. धीरेसे उसके पास झुककर उसने उसके कानमें कुछ कहा, -

'' विवेक... आपही है ना ?''

'' हां '' विवेक आश्चर्यसे उस आदमीकी तरफ देखते हूए बोला.

क्योंकी वह उस आदमी को पहचानता नही था.

'' अंजलीजी घरसे भागकर आई है ... बाहर गाडीमें आपकी राह देख रही है ...'' वह आदमी फिरसे उसके कानमें बोला.

विवेकने झटसे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरपर खुले हूए थे वह सब वेब पेजेस बंद कर दिए. और उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेसे बाहर निकल गया.

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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by sexy » 05 Jan 2017 08:57

Elove-CH-32 सायबर कॅफेके बाहर

Success Quotation -

Nothing can stop the man with the right mental attitude from achieving his goal; nothing on earth can help the man with the wrong mental attitude.

---Thomas Jefferson


उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेके बाहर जाते हूए विवेक सोचने लगा.

उसने तो मुझे जो हूवा वह सब भूल जानेके लिए मेल की थी ...

फिर वह अचानक भागकर क्यों आगई होगी? ....

शायद उसके रिश्तेदारोंने उसपर दबाव बनाया होगा ...

और इसलिए उसने वह मेल लिखी होगी ...

अब विवेक उस आदमीके पिछे पिछे सायबर कॅफेके बाहर पहूंच गया था. बाहर सब तरफ अंधेरा था और अंधेरेमें एक कोनेमें उसे एक खिडकीयोंको सब काले शिशे लगाई हूई कार दिखाई दी.

इसी गाडीमें आई होगी अंजली...

जैसे वह आदमी उस गाडीकी तरफ बढने लगा, विवेकभी उसके पिछे पिछे उस गाडीकी तरफ बढने लगा. गाडीके पास पहूंचतेही उसके खयालमें आगया की गाडीका पिछला दरवाजा खुला है.

दरवाजा खुला रखकर वह अपनी राह देख रही होगी....

गाडीके और पास पहूंचतेही विवेकने पिछले खुले दरवाजेसे अंजलीके लिए अंदर झांककर देखा.

लेकिन यह क्या ?...

तभी किसी काले सायेने पिछेसे आकर उसके नाकपर क्लोरोफॉर्मका रुमाल रख दिया और उसे अंदर गाडीमें धकेल दिया. वह अंदर जानेके लिए प्रतिकार करने लगा तो उस काले सायेने लगभग जबरदस्ती उसे अंदर ठूंस दिया. गाडीका दरवाजा बंद होगया और गाडी तेजीसे दौडने लगी. विवेकके खयालमें आगयाकी उसके साथ कुछ धोखा हूवा है. लेकिन तबतक देर हो चुकी थी. उसे अब अहसास होने लगा था की वह अपना होश खोने लगा है.

जिस आदमीने विवेकको गाडीतक लाया था उसने जेबसे पैसे निकाले और वह वे पैसे गिनते हूए वहांसे निकल गया.

विवेक एक बेडपर बेसुध पडा हुवा था. अब धीरे धीरे उसे होश आने लगा था. जैसेही वह पुरी तरह होशमें आगया, उसे वह एक अन्जान जगहपर है ऐसा अहसास होगया. वह तुरंत बैठ गया और अपनी नजर चारो तरफ दौडाने लगा. उसके सामने अलेक्स और उसके दो साथी काले लिबासमें बैठे थे. उनके चेहरेभी काले कपडेसे ढंके हूए थे. विवेकने उठकर खडे होनेकी कोशीश की तब उसके खयालमें आगया की उसके हाथपैर बंधे हूए है.

वैसेही हालमें जोर लगाकर फिरसे उठकर खडे होनेकी कोशीश करते हूए वह बोला, " कौन हो आप लोग? ... मुझे यहां कहां और क्यो लाया आप लोगोनें ..."

" चिंता मत करो ... यहां हम तुझे ठाठबाठमें रखनेवाले है ... हमने तुम्हे अंजलीजीके रिस्तेदारोंके कहे अनुसार यहा लाया है ... वैसे वे लोग बहुत अच्छे है ... जादातर ऐसे झमेलेमें पडते नही है ... लेकिन क्या करे इसबार बाते उनके बसके बाहर निकल गई .. फिरभी उन्होने तुम्हे कोई तकलिफ ना हो इसका खास ध्यान रखनेकी हिदायत दी है ... "

अलेक्स वहांसे उठकर जानेलगा तो विवेक चिल्लाया.

" मुझे छोड दो ... मुझे पकडकर तुम्हे क्या मिलनेवाला है ?"

अलेक्स जाते हूए एकदमसे रुक गया, और मुंहपर उंगली रखते हुए विवेकसे बोला,

" चूप जादा आवाज नही करना ... "

फिर अपने दो साथीकी तरफ देखकर वह बोला, " ओय... तुम दोनो इसपर ध्यान रखो ... "

फिर दुबारा विवेककी तरफ देखकर अलेक्स बोला, " और मजनू तूम ... जादा चालाकी करनेकी कोशीश मत करना.. नही तो दोनो पैर तोडकर तुम्हारे हाथमें दे देंगे... और ध्यान रखो अंजलीजीके रिश्तेदार अच्छे लोग होंगे ... हम नही ... "

अलेक्स आगे और उसके दो साथी उसके पिछे पिछे कमरेके बाहर निकल गए. उन्होने कमरेको बाहरसे ताला लगाकर चाबी उन दोनोंमेसे एक के पास दी, उसे वह चाबी संभालकर रखनेकी हिदायत दी और अलेक्स वहांसे निकल गया.

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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by sexy » 05 Jan 2017 08:57

ELove - CH-33 सेन्ड शरवरी इन ... इमिडीयटली

Precious thoughts -

Difficulties strengthen the mind, as well as labor does the body.

--- Seneca

सुबहका वक्त था. एक कमरेमें अतूल कॉम्प्यूरपर बैठा था और अलेक्स उसके बगलमें बैठा हुवा था, '' अब देखो ... हमारा मजदूरीका काम अब खत्म हुवा है '' अतूलने अलेक्ससे कहा और उसने कॉम्प्यूटरपर विवेकके मेलबॉक्सका ब्रेक किया हुवा पासवर्ड देकर विवेकका मेलबॉक्स खोला.

'' अब असली काम शुरु हो गया है ...'' अतूल कॉम्प्यूटर ऑपरेट करते हूए बोला.

अलेक्स चूपचाप गौरसे वह क्या कर रहा है यह देख रहा था.

अतूल अब विवेकके मेलबॉक्समें मेल टाईप करने लगा -

"" मिस अंजली... हाय... वुई हॅड अ नाईस टाईम ... आय रिअली ऍन्जॉइड इट.. खुशीसे लथपथ और आपके प्यारसे भीगे हूए वह क्षण मैने अपने हृदय और कॅमेरेमें कैद कर रखे है ...''

अतूलने टाईप करते हूए एक बार अलेक्सकी तरफ देखा. दोनों एक दुसरेकी तरफ देखकर अजीब तरहसे मुस्कुराए. फिर अतूल आगे टाईप करने लगा -

'' मै तुम्हारी क्षमा मांगता हूं की वे पल मैने तुम्हारे इजाजतके बिना कॅमेरेमें कैद किए ... वे पल थे ही ऐसे की मै अपने आपको रोक ना सका ... तुम्हे झूठ लगता है? ... तो देखो ... उन पलोंमेसे एक पलका फोटो मै इस मेलके साथ भेज रहा हूं ... ऐसे काफी पल मैने मेरे कॅमेरेमें और मेरे दिलमें कैद करके रखे है ... सोच रहा हूं की उन पलोंको .. उन फोटोग्राफ्सको इंटरनेटपर पब्लीश करुं ... क्यों कैसी झकास आयडिया है ? नही? ... लेकिन वह तुम्हे पसंद नही आएगा ... नही तुम्हारी अगर वैसी इच्छा ना हो तो उन पलोंको मै हमेशाके लिए मेरे हृदयमें दफन कर सकता हूं ... लेकिन उसके लिए तुम्हे एक मामुली किमत अदा करनी होगी ... क्या करें हर चिजकी एक तय किमत होती है ... नही?...''

फिरसे अतूल टाईप करते हूए रुका, वह अलेक्सकी तरफ मुडकर बोला,

'' अलेक्स बोलो तुम्हे कितनी किंमत चाहिए ?''

'' मांगो 20-25 लाख'' अलेक्सने कहा.

'' बस 25 लाखही ... ऐसा करते है 25 तुम्हारे और 25 मेरे ... 50 कैसा रहेगा '' अतूलने कहा.

'' 50 !'' अलेक्स आश्चर्यभरी आंखोसे अतूलकी तरफ देखते हूए बोला.

अतूल फिरसे बची हूई मेल टाईप करने लगा -

'' कुछ नही बस सिर्फ 50 लाख रुपए... तुम्हारे लिए एकदम मामुली रकम है ... और हां ... पैसोंका बंदोबस्त जल्दसे जल्द करो ... पैसे कहां और कैसे पहूंचाने है ... यह सब बादकी मेलमें बताऊंगा ...

मै इस मेलके लिए तुम्हारी तहे दिलसे माफी चाहता हूं ... लेकिन क्या करे कुछ पानेके लिए कुछ खोना पडता है ... अगले मेलकी प्रतिक्षा करना... और हां ... मुझे पुलिससे बहुत डर लगता है ... और जब मुझे डर लगता है तब मै कुछभी कर सकता हूं .... किसीका खुनभी ...

--- तुम्हारा ... सिर्फ तुम्हारा ... विवेक ''

अतूलने पुरी मेल टाईप की. फिर एक दो बार पढकर देखी ताकी कोई गलती ना छुटे. फिर कोई गलती नही है इसकी तसल्ली होते ही 'सेंड' बटनपर क्लीक कर अंजलीको भेजभी दी.

जब स्क्रिनपर 'मेल सेंट' मेसेज आया. दोनोंने एक दुसरेका हाथ टकराकर ताली बजाई.

उधर अंजलीने जब मेलबॉक्स खोलकर वह मेल पढी, उसे अपने पैरोंके निचेसे मानो जमिन खिसक गई हो ऐसा लगा. उसने झटसे अपने सामने रखे इंटरकॉमपर दो डीजीट दबाए ,

'' मोना... सेन्ड शरवरी इन ... इमिडीयटली''

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