बहुत मामूली सा दर्द मेरी गंद मे उनके लंड के सुपाडे के गंद के अंदर जाने मे हुआ. मैने दर्द सहन किया और मैने खुद ही अपनी गंद का धक्का पीछे उनके मेरी गंद मे घुसे हुए लौडे पर मारा तो उनका लंड थोड़ा और मेरी गंद मे उतर गया. उन्होने पीछे से मेरी कमर पकड़ी, अपने लंड को थोड़ा सा वापस बाहर निकाला और अपने लंड का एक जोरदार धक्का मेरी गंद मे मारा तो करीब करीब उनका पूरा लॉडा मेरी गंद मे घुस गया. दर्द के मारे मेरे मूह से हल्की सी चीख निकली पर वो रुके नही और अपने लौडे को अंदर बाहर करते, धक्के लगाते हुए अपना लंबा और मोटा लंड पूरे का पूरा मेरी गंद मे घुसा दिया. मुझे इतना मज़ा आया कि मैं बता नही सकती. थोड़ी ही देर मे मेरा दर्द गायब हो गया और उसकी जगह गंद मरवाने मे आने वाले मज़े ने ले ली. उनका गरमा गरम और सख़्त लंड मेरी चिकनी गंद मे अंदर बाहर हो रहा था और वो मेरी गंद मारने लगे. हालाँकि मैं गंद मरवा रही थी मगर मेरी चूत से भी रस टपकने लगा था और जल्दी ही मैं गंद मरवाते हुए झड़ने के करीब पहुँचने लगी. मेरी गंद मारते मारते उन्होने अपनी उंगली से मेरी चूत से निकलते रस को, मेरी गंद मे अंदर बाहर हो रहे अपने लंड पर लगाया तो मेरी गंद का रास्ता और भी चिकना हो गया जिस से उनका लंड आराम से मेरी गंद मे अंदर बाहर होने लगा. मेरी खुद की चूत से निकला रस उनकी मदद मेरी गंद मारने मे कर रहा था. अब वो बड़े आराम से अपना लंड मेरी गंद मे अंदर बाहर करते हुए मेरी गंद मार रहे थे और मैं मज़े लेती हुई अपनी गंद मरवा रही थी. मुझे पता था कि हमेशा की तरह उनके लंड से लंड रस निकलने मे काफ़ी वक़्त लगने वाला है और मैं तब तक कई बार झाड़ जाउन्गि. मैं अपनी चूत का दाना मसल कर जल्दी ही झड़ना चाहती थी इसलिए मैने अपने एक हाथ नीचे से मेरी चूत के तरफ बढ़ाया. हे भगवान ! मेरी चूत तो जैसे बह रही थी. इतनी गीली चूत मे उंगली करना बहुत आसान था. उनको भी पता चल गया कि मैं अपनी चूत मे खुद ही उंगली करने जा रही हूँ. मैने अपने हाथ की बीच की उंगली अपनी चूत की दरार के बीच डाली और शुरुआत से ही ज़ोर ज़ोर से अपनी उंगली अपनी खुद की चूत मे घुमाने लगी. जिस तेज़ी से मेरी उंगली मेरी चूत के बीच, चूत के दाने पर घूम रही थी, उसी तेज़ी से वो अपने लंड के धक्के मेरी गंद मे लगा लगा कर मेरी गंद मार रहे थे ताकि मैं ज़ोर से और जल्दी ही झाड़ जाउ. और……और.. मैं तो ज़ोर से झाड़ कर जैसे स्वर्ग मे पहुँच गई. मैने अपनी टाँगें भींच ली और झड़ने का आनंद उठाने लगी. मेरे टाँगों को भींचने की वजह से उनका मेरी गंद मारना मुश्किल हो गया था इसलिए वो थोड़ी देर अपना लंड मेरी गंद के अंदर ही डाले रुक गये और धक्के लगाना बंद कर दिया. जैसे ही मैने अपने पैर थोड़े से चौड़े किए, वो फिर से मेरी गंद मारने लगे, इस बार ज़ोर ज़ोर से. उनका लंड मेरी गंद मे बड़े मज़े से अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनो को ही गंद मारने का और गंद मरवाने का मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर बाद मैने महसूस किया कि उनका लंड भी मेरी गंद मारते हुए, अपना लंड रस बरसाने के करीब है क्यों कि मैने उनके लंड का सूपड़ा अपनी मरवाती हुई गंद मे फूलता सा महसूस किया. वो तो लगातार, ज़ोर ज़ोर से मेरी गंद मारते जा रहे थे.
मैने तो उनसे गंद मरवा कर बहुत मज़ा लिया था और मैं चाहती थी कि उनको भी मेरी गंद मार कर अपने लंड से पानी बरसाने का भरपूर मज़ा आए और वो मेरी गंद अपने लंड रस से भर दें. वो मेरी गंद मे लंड अंदर बाहर कर रहे थे…… तेज़ी से…… ज़ोर ज़ोर से……… किसी मशीन की तरह. और……… और अचानक उनके लंड ने मेरी गंद मे अपना गरमा गरम लंड रस पूरी तेज़ी से बरसाना शुरू कर दिया. वो अपना लंड मेरी गंद के अंदर घुसा कर पीछे से मुझ से चिपत गये और उनके लंड के प्रेम रस का फव्वारा मेरी गंद को भरता रहा. वो काफ़ी देर तक मुझसे पीछे से चिपके रहे और जब उनका लॉडा नरम होने लगा तो उन्होने अपना लंड मेरी गंद से निकाल लिया. और इसके साथ ही उनके लंड से छोड़ा गया पानी मेरी गंद से अपने आप ही बाहर आने लगा.
वो मेरे पास ही ज़मीन पर लेट कर लंबी लंबी साँसें लेने लगे. मैं उनके उपर सो गई और उनको चूमने लगी.
कितनी भाग्यशाली हूँ मैं. मेरे भाग्य पर मुझे बहुत गर्व है. मेरे पास जम कर और काफ़ी देर तक चुदाई करने वाला, सही मायने मे मर्द पति है और हम दोनो ने चुदाई करने का कोई भी मौका नही खोया है. जब भी मौका मिला, जब भी हम ने चाहा, बिना ज़्यादा सोचे, हम ने जम कर चुदाई की है.
हम दोनो उठकर साथ साथ नंगे ही बाथरूम गये और मैने अपनी चूत और गंद की और उन्होने अपने लौडे की सफाई की.
			
									
									
						जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
मेरे सास ससुर के आने मे अभी भी काफ़ी वक़्त था इसलिए हम ने बिना कपड़े पहने ही, साथ साथ, नंगे ही दोपहर का खाना खाया. खाना खाते खाते उन्होने कई बार मेरी नंगी चुचियो को दबाया और मसला था. मैं भी कहाँ पीछे रहने वाली थी. मैने भी कई बार उनके लंड को पकड़ कर हिलाया था, मसला था और उनके लंड के नीचे को गोलियाँ दबाई थी. जल्दी ही उनका लॉडा फिर से खड़ा होने लगा जैसे गुब्बारे मे हवा भर रही है.
मगर हमारे पास उस वक़्त एक और चुदाई करने का मौका नही था क्यों कि दोपहर के 2.30 हो चुके थे और कुछ ही समय बाद मेरे सास ससुर घर लौटने वाले थे. खाना खाने के बाद हम ने बेडरूम मे आकर, एक दूसरे के नंगे बदन से छेड़खानी करते हुए अपने अपने कपड़े पहन लिए.
तो इस तरह मैने अपनी गंद भी मरवाई.
क्रमशः....................................
			
									
									
						मगर हमारे पास उस वक़्त एक और चुदाई करने का मौका नही था क्यों कि दोपहर के 2.30 हो चुके थे और कुछ ही समय बाद मेरे सास ससुर घर लौटने वाले थे. खाना खाने के बाद हम ने बेडरूम मे आकर, एक दूसरे के नंगे बदन से छेड़खानी करते हुए अपने अपने कपड़े पहन लिए.
तो इस तरह मैने अपनी गंद भी मरवाई.
क्रमशः....................................
Re: जुली को मिल गई मूली
 गतान्क से आगे.....................
ये उस समय की बात है जब मैं अपने पति के साथ गोआ, अपने ससुराल गई थी कुछ दिनो के लिए. मेरे पति तो चार दिन वहाँ मेरे साथ रहने के बाद वापस देल्ही जाने वाले थे पर मेरा वहाँ कुछ और दिनो तक रुकने का इरादा था. वो बरसात का मौसम था और ये कहानी भी उसी बरसात के मौसम की एक तूफ़ानी रात की है जब बाहर बरसाती तूफान था और अंदर चुदाई का तूफान था.
मैने अपना रात का खाना जल्दी ही अपने सास ससुर के साथ खा लिया था. मेरे पति अपने दोस्तों के साथ बाहर गये थे और बाहर से ही खाना खा कर आने वाले थे.
मैं अपने बेडरूम मे बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी. बाहर पूरा आसमान घने काले बादलों से भरा हुआ था. बार बार बिजलियाँ कड़क रही थी और तेज तूफ़ानी हवा चल रही थी. लगता था बहुत ज़ोर से बरसात आने वाली थी. तूफ़ानी बरसात.
मज़े की बार तो ये थी कि बाहर जो मौसम का मिज़ाज़ था, वो हो मेरे दिल मे हो रहा था. मेरे मन मे भी बाहर के बिगड़ते मौसम के साथ चुदाई की चाहत बढ़ती चली गई. मैं अपने पति का इंतज़ार कर रही थी और चाहती कि वो जल्दी ही आए और मेरी चुदाई कर के मेरी प्यास बुझाएँ. एक और भी कारण था चुदाई के लिए बेकरार होने का. मेरे पति अगले ही दिन वापस देल्ही जाने वाले थे और मैं कुछ दिनो के लिए गोआ मे ही रहने वाली थी. अपने पति से दूर, चुदाई से दूर. इसलिए मैं चाहती थी कि आज रात मैं अपने पति से जम कर चुद्वाऊ.
बाहर का मौसम मुझे गरम कर रहा था. मैं जल्दी से जल्दी अपने पति की मज़बूत बाहों मे आना चाहती थी. गुज़रते हुए हर पल के साथ मेरी चुदाई की चाहत बढ़ती चली गई. जल्दी ही बाहर ज़ोर से बरसात शुरू हो गई, तूफ़ानी हवाएँ तो पहले से ही चल रही थी. बड़ी बड़ी पानी की बूँदों और तूफ़ानी रफ़्तार से चलती हवा की आवाज़ें आने लगी.
कुछ देर बाद, मैने अपने पति को घर मे आते देखा तो मैं बेडरूम के दरवाजे की ओर बढ़ी. मैने देखा कि उनकी हालत बहुत खराब थी. वो बुरी तरह बरसात मे भीगे हुए थे और बेडरूम के बाहर ही रुक गये थे, अंदर नही आए. मैं समझ नही सकी कि वो अंदर क्यों नही आ रहे हैं. जब मैं उनके नज़दीक पहुंसी तो उन्होने मुझे भी बेडरूम के दूसरे दरवाजे से, जो बाहर लॉन मे खुलता था, बाहर आने को कहा. मैं समझ गई कि बाहर लॉन मे भीगते हुए प्यार होने वाला है. मैने बेडरूम का घर मे खुलने वाला दरवाजा बंद किया और बाहर लॉन मे खुलने वाले दूसरे दरवाजे की तरफ बढ़ी. जब तक मैं वहाँ पहुँची, मेरे पति भी घर का चक्कर काट कर, बेडरूम के लॉन की तरफ खुलने वाले दरवाजे तक पहुँच गये. उस समय रात के 11.30 बजे थे. मेरे सास ससुर अपने बेडरूम मे सो चुके थे. जैसे ही मैने लॉन मे खुलने वाला दरवाजा खोला, उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर खींच लिया. मुझे भी अपने पति के साथ बरसात मे भीगने मे बहुत आनंद आता है. बाहर की जोरदार बरसात की वजह से मैं तुरंत ही पूरी तरह भीग गई. मेरी साड़ी गीली हो कर मेरे भीगे हुए सेक्सी बदन से छिप गई जैसे की मेरी दूसरी चमड़ी हो. भीगने की वजह से मेरी साड़ी पारदर्शी हो गई थी तथा मेरा ब्लाउस, उसके अंदर की गुलाबी ब्रा और ब्रा के अंदर मेरी गोल गोल, गोरी गोरी चुचियाँ भी नज़र आने लगी थी. जब भी बिजली कड़कती तो रोशनी होती और मैं जानती थी कि उस रोशनी मे मैं अपने पति को उपर से करीब करीब नंगी नज़र आ रही थी.
मैं जानती थी कि अगर हम चाहते तो उस बरसाती और तूफ़ानी मौसम मे, बरसते पानी मे भीगते हुए हम पूरी चुदाई कर सकते थे. पर घर मे हम दोनो अकेले नही थे. बाहर से किसी के देख लिए जाने का डर नही था, पर घर मे मेरे सास ससुर अपने बेडरूम मे सो रहे थे और अगर किसी वजह से उन मे से कोई बाहर आता तो हमको देख लिए जाने का पूरा पूरा ख़तरा था. हम दोनो ने अपने आप पर पूरा काबू रखा और बरसात मे भीगते हुए आपस मे चिपक रहे थे, चुंबन हर रहे थे और एक दूसरे के अंगों को छ्छू रहे थे.
थोड़ी देर तक साथ साथ भीगने के बाद हम वापस अपने बेडरूम मे आए और सीधे बाथरूम मे गये. बाथरूम मे पहुँचते ही हम ने वो करना शुरू कर्दिया जो हम बाहर बरसात मे भीगते हुए नही कर सके थे. हम ने एक दूसरे को कस कर पकड़ा और एक एक कर के हम दोनो ने अपने अपने गीले कपड़े उतार दिए. ह्म ने अपने नंगे बदन को एक दूसरे के नंगे बदन से रगड़ा. हमारे दिल और दिमाग़ हम दोनो को चुदाई की तरफ ले जाने लगे और हम भी तय्यार थे फिर से एक बार, एक शानदार, जोरदार और मज़ेदार चुदाई के लिए. हम दोनो की आँखें मिली और बिना कुछ बोले हम ने बहुत सारी बातें कर ली. हम जानते थे कि हम दोनो के ही बदन चुदाई की चाह मे जल रहे थे. मेरे पति ने मुझे गले लगाया और अपना मूह मेरी गर्दन पर रगड़ने लगे. पता नही वो मेरी गर्दन चूम रहे थे या चाट रहे थे, क्यों कि हम दोनो ही उस समय एक अलग ही दुनिया मे थे. उनका मूह घूमता हुआ मेरे रसीले होठों तक पहुँच और उनके होठों ने मेरे होठों को जाकड़ लिया. उनकी गरम गरम साँसें मेरे चेहरे से टकराने लगी. मेरे पति चुदाई की तरह चुंबन की कला मे भी माहिर है. उनका चुंबन किसी भी लड़की को चुदाई की तरफ ले जा सकता है. उनके मज़बूत हाथ मेरी नंगी पीठ पर रेंगने लगे. हम दोनो मे चुदाई की इतनी गर्मी आ चुकी थी की हमारे बदन को पोंछने के लिए तौलिए की ज़रूरत ही नही पड़ी. हम दोनो का बदन वैसे ही सूख चुका था.
			
									
									
						ये उस समय की बात है जब मैं अपने पति के साथ गोआ, अपने ससुराल गई थी कुछ दिनो के लिए. मेरे पति तो चार दिन वहाँ मेरे साथ रहने के बाद वापस देल्ही जाने वाले थे पर मेरा वहाँ कुछ और दिनो तक रुकने का इरादा था. वो बरसात का मौसम था और ये कहानी भी उसी बरसात के मौसम की एक तूफ़ानी रात की है जब बाहर बरसाती तूफान था और अंदर चुदाई का तूफान था.
मैने अपना रात का खाना जल्दी ही अपने सास ससुर के साथ खा लिया था. मेरे पति अपने दोस्तों के साथ बाहर गये थे और बाहर से ही खाना खा कर आने वाले थे.
मैं अपने बेडरूम मे बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी. बाहर पूरा आसमान घने काले बादलों से भरा हुआ था. बार बार बिजलियाँ कड़क रही थी और तेज तूफ़ानी हवा चल रही थी. लगता था बहुत ज़ोर से बरसात आने वाली थी. तूफ़ानी बरसात.
मज़े की बार तो ये थी कि बाहर जो मौसम का मिज़ाज़ था, वो हो मेरे दिल मे हो रहा था. मेरे मन मे भी बाहर के बिगड़ते मौसम के साथ चुदाई की चाहत बढ़ती चली गई. मैं अपने पति का इंतज़ार कर रही थी और चाहती कि वो जल्दी ही आए और मेरी चुदाई कर के मेरी प्यास बुझाएँ. एक और भी कारण था चुदाई के लिए बेकरार होने का. मेरे पति अगले ही दिन वापस देल्ही जाने वाले थे और मैं कुछ दिनो के लिए गोआ मे ही रहने वाली थी. अपने पति से दूर, चुदाई से दूर. इसलिए मैं चाहती थी कि आज रात मैं अपने पति से जम कर चुद्वाऊ.
बाहर का मौसम मुझे गरम कर रहा था. मैं जल्दी से जल्दी अपने पति की मज़बूत बाहों मे आना चाहती थी. गुज़रते हुए हर पल के साथ मेरी चुदाई की चाहत बढ़ती चली गई. जल्दी ही बाहर ज़ोर से बरसात शुरू हो गई, तूफ़ानी हवाएँ तो पहले से ही चल रही थी. बड़ी बड़ी पानी की बूँदों और तूफ़ानी रफ़्तार से चलती हवा की आवाज़ें आने लगी.
कुछ देर बाद, मैने अपने पति को घर मे आते देखा तो मैं बेडरूम के दरवाजे की ओर बढ़ी. मैने देखा कि उनकी हालत बहुत खराब थी. वो बुरी तरह बरसात मे भीगे हुए थे और बेडरूम के बाहर ही रुक गये थे, अंदर नही आए. मैं समझ नही सकी कि वो अंदर क्यों नही आ रहे हैं. जब मैं उनके नज़दीक पहुंसी तो उन्होने मुझे भी बेडरूम के दूसरे दरवाजे से, जो बाहर लॉन मे खुलता था, बाहर आने को कहा. मैं समझ गई कि बाहर लॉन मे भीगते हुए प्यार होने वाला है. मैने बेडरूम का घर मे खुलने वाला दरवाजा बंद किया और बाहर लॉन मे खुलने वाले दूसरे दरवाजे की तरफ बढ़ी. जब तक मैं वहाँ पहुँची, मेरे पति भी घर का चक्कर काट कर, बेडरूम के लॉन की तरफ खुलने वाले दरवाजे तक पहुँच गये. उस समय रात के 11.30 बजे थे. मेरे सास ससुर अपने बेडरूम मे सो चुके थे. जैसे ही मैने लॉन मे खुलने वाला दरवाजा खोला, उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर खींच लिया. मुझे भी अपने पति के साथ बरसात मे भीगने मे बहुत आनंद आता है. बाहर की जोरदार बरसात की वजह से मैं तुरंत ही पूरी तरह भीग गई. मेरी साड़ी गीली हो कर मेरे भीगे हुए सेक्सी बदन से छिप गई जैसे की मेरी दूसरी चमड़ी हो. भीगने की वजह से मेरी साड़ी पारदर्शी हो गई थी तथा मेरा ब्लाउस, उसके अंदर की गुलाबी ब्रा और ब्रा के अंदर मेरी गोल गोल, गोरी गोरी चुचियाँ भी नज़र आने लगी थी. जब भी बिजली कड़कती तो रोशनी होती और मैं जानती थी कि उस रोशनी मे मैं अपने पति को उपर से करीब करीब नंगी नज़र आ रही थी.
मैं जानती थी कि अगर हम चाहते तो उस बरसाती और तूफ़ानी मौसम मे, बरसते पानी मे भीगते हुए हम पूरी चुदाई कर सकते थे. पर घर मे हम दोनो अकेले नही थे. बाहर से किसी के देख लिए जाने का डर नही था, पर घर मे मेरे सास ससुर अपने बेडरूम मे सो रहे थे और अगर किसी वजह से उन मे से कोई बाहर आता तो हमको देख लिए जाने का पूरा पूरा ख़तरा था. हम दोनो ने अपने आप पर पूरा काबू रखा और बरसात मे भीगते हुए आपस मे चिपक रहे थे, चुंबन हर रहे थे और एक दूसरे के अंगों को छ्छू रहे थे.
थोड़ी देर तक साथ साथ भीगने के बाद हम वापस अपने बेडरूम मे आए और सीधे बाथरूम मे गये. बाथरूम मे पहुँचते ही हम ने वो करना शुरू कर्दिया जो हम बाहर बरसात मे भीगते हुए नही कर सके थे. हम ने एक दूसरे को कस कर पकड़ा और एक एक कर के हम दोनो ने अपने अपने गीले कपड़े उतार दिए. ह्म ने अपने नंगे बदन को एक दूसरे के नंगे बदन से रगड़ा. हमारे दिल और दिमाग़ हम दोनो को चुदाई की तरफ ले जाने लगे और हम भी तय्यार थे फिर से एक बार, एक शानदार, जोरदार और मज़ेदार चुदाई के लिए. हम दोनो की आँखें मिली और बिना कुछ बोले हम ने बहुत सारी बातें कर ली. हम जानते थे कि हम दोनो के ही बदन चुदाई की चाह मे जल रहे थे. मेरे पति ने मुझे गले लगाया और अपना मूह मेरी गर्दन पर रगड़ने लगे. पता नही वो मेरी गर्दन चूम रहे थे या चाट रहे थे, क्यों कि हम दोनो ही उस समय एक अलग ही दुनिया मे थे. उनका मूह घूमता हुआ मेरे रसीले होठों तक पहुँच और उनके होठों ने मेरे होठों को जाकड़ लिया. उनकी गरम गरम साँसें मेरे चेहरे से टकराने लगी. मेरे पति चुदाई की तरह चुंबन की कला मे भी माहिर है. उनका चुंबन किसी भी लड़की को चुदाई की तरफ ले जा सकता है. उनके मज़बूत हाथ मेरी नंगी पीठ पर रेंगने लगे. हम दोनो मे चुदाई की इतनी गर्मी आ चुकी थी की हमारे बदन को पोंछने के लिए तौलिए की ज़रूरत ही नही पड़ी. हम दोनो का बदन वैसे ही सूख चुका था.