अंजानी डगर

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007
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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:26

अंजानी डगर पार्ट--5 गतान्क से आगे.................... किचन मे ठंडा पानी पीकर मेरा गुस्सा थोड़ा शांत हुआ. दीपा को डाँट तो दिया था पर मेरी समझ मे नही आ रहा था कि अब क्या करू. तब तो दिल दिमाग़ पर हावी हो गया था. पर अब मैं वास्तविकता मे वापस आ गया था. मेरी नौकरी जाना लगभग तय थी. मैने खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली थी. मुझे क्या ज़रूरत थी दीपा से उल्टा-सीधा बोलने की.... मैं इसी उधेड़बुन मे था की दीपा की आवाज़ आई- मुझे कॉलेज जाना है, मेरा ब्रेकफास्ट ले आओ. मैने फ्रिड्ज मे से ऑरेंज जूस एक ग्लास मे भर कर किचन से बाहर चल दिया. दीपा डाइनिंग टेबल पर बैठी मुझे कातिल नज़रो से देख रही थी. मैं नज़रे नीची किए टेबल के पास पहुचा और ग्लास रख कर बोला- आप नाश्ते मे क्या लेंगी ? दीपा (नज़रे घुमा कर)- फ्रिड्ज मे बर्गर और क्रेअमरोल्ल रखे होंगे. वही ले आओ. आशु- जी बर्गर तो ख़तम हो गये, स्प्रिंग्रोल्ल और क्रेअमरोल्ल है, ले आउ ? दीपा- कैसे ख़तम हो गये....चलो वही ले आओ. दीपा की नज़र हटी तो मैने उसे एक पल को देखा. 2 दिन मे पहली बार दीपा इतनी सुंदर लग रही थी. वाइट सलवार-सूट और रेड दुपट्टा कयामत ढा रहे थे. वो इतनी शोख लग रही थी कि जो भी देखे तो बस देखता ही रह जाए. उसके बेदाग हुस्न ने एक पल को मुझे जड़ कर दिया. पर अगले ही पल सिर झटक कर मैं किचन मे चला गया. ओवन मे स्प्रिंग रोल रखे और उसे ऑन कर दिया. मैं सोच रहा था की इतनी सुंदर लड़की को ड्रग्स की लत कैसे लग गयी. ये ड्रग्स इसके जीवन को बर्बाद करके ही छोड़ेगी. ओवन की रिंग बजी तो मेरा ध्यान टूटा और मैने प्लेट मे स्प्रिंग्रोल्ल काट कर क्रेअमरोल्ल भी रख लिए. बाहर दीपा फिर वैसी ही नज़रो से मुझे देख रही थी. मैने नज़रे बचा कर ब्रेकफास्ट सर्व कर दिया. दीपा- आज तो तुम्हारी लॉटरी लग गयी....क्यो ? ये सुन कर मैं सकपका गया.. आशु- जी मैं समझा नही. दीपा- मेरा टवल खिसक गया तो तुम्हारे तो भाग खुल गये..क्यो? दीपा ब्रेकफास्ट करते हुए ही ताने मार रही थी. आशु- आपका टवल खुल गया तो इसमे मेरी क्या ग़लती है. आपको कस कर बांधना चाहिए था. दीपा- टवल खुल गया तो तुम्हे मुझे बताना तो चाहिए था. मुझे इतनी देर तक ऐसे ही देखते रहे. आशु- जी मेरा मूह तो दूसरी तरफ था. जब मैं लास्ट मे घुमा तो आप पूरी नं.... ऐसे ही खड़ी थी. दीपा- तुम्हारा मूह दूसरी तरफ था पर मैं सब जानती हू कि नज़रे कहा थी. जब तुमने देख लिया कि मेरा टवल गिर गया है तो उसी वक्त क्यो नही बताया. आशु- ज...जी मैं क्या बताता, आपको टवल खिसकने का एहसास नही हुआ ? मैने तो देखा भी नही. दीपा के चेहरे पर मुस्कान साफ दिख रही थी पर आवाज़ वैसी ही तीखी थी. दीपा- बात मत घूमाओ. सच-सच बताओ कि तुम क्या देख रहे थे. आशु- जी मैने कुछ नही देखा. मैं सच बोल रहा हू. मैने जैसे ही आपको न्यूड देखा तो मैं शरमा गया था. इसलिए मैं तुरंत वाहा से चला गया. दीपा- तुम और शरम ? हा. कल रात को क्या कर रहे थे ? दीपा की बात की टोन मे अजीब सी कशिश थी. आशु- जी मैं समझा नही. दीपा- तुम इतने नासमझ तो नही दिखते. कल रात को भी तो तुमने मुझे न्यूड देखा था. आशु- ज...जी उसमे मेरी क्या ग़लती है. मैने तो आपको उन लड़को से बचाया था. दीपा- हा. पर उसके बाद क्या किया था तुमने ? आशु- ज...जी कमरे की सफाई. दीपा- हा. बहुत स्मार्ट हो, क्यो. दीपा मेरे ही अंदाज मे मुझे ताने मार रही थी और मैं चुपचाप सुन रहा था. दीपा- मुझे नंगा बेड पर पड़ा देख कर कुछ किया था ? आशु- जी आपके उपर चादर डाल दी थी. दीपा- ओह..हो तुमने मुझे छुआ क्यो था ? आशु- जी आपको कपड़े पहनाते वक्त छू गया होगा. दीपा- केवल चादर डाल देते. कपड़ो की क्या ज़रूरत थी. आशु- आप एकदम न्यूड पड़ी थी...कोई आ जाता तो. दीपा- मेरे शरीर को छूने के लिए तुमने मुझे कपड़े पहनाने का नाटक किया. मेरा टॉप पहनाते वक्त तुम्हारी नज़रे कहा थी और तुम्हारे हाथ क्या कर रहे थे, मैं सब जानती हू. आशु- ज..जी वो टॉप पहनाते समय हाथ लग गया होगा. दीपा- लग गया होगा क्या मतलब ? आशु- मैने एक हाथ से आपका टॉप पकड़ा था और दूसरे से .... दीपा- और दूसरे से मेरे बूब्स को छेड़ रहा था...क्यो ? आशु- जी आपका टॉप इतना छोटा था कि उसमे वो घुस ही नही रहे थे. इसलिए मुझे उन्हे दबा कर घुसाना पड़ा. दीपा- वाह. किसी लड़की की बूब्स को दबाने का क्या लेटेस्ट बहाना बनाया है. आशु- जी..सॉरी...आप तब क्या होश मे थी ? दीपा के चेहरे पर कातिल मुस्कान तेर गयी. पर वो इतने से ही नही मानी. दीपा- होश मे थी या नही, तुम ये देखो कि तुमने क्या किया. आशु- जी...सॉरी..आगे से नही होगा. दीपा- ठीक है, आगे देखते है कि क्या होगा और क्या नही. मैं कॉलेज जा रही हू. ये शब्द सुन कर मेरी जान मे जान आई. फिर दीपा उठकर बाहर जाने लगी और मैं उसके कुल्हो की हरकत देखता रहा. मैने कान पकड़े की आगे से दीपा से बच कर रहना है. दीपा के जाने के बाद मैं पूरे घर मे फिर अकेला था. मैने पूरे घर का मुआयना किया. घर मे एक से एक एलेक्ट्रॉनिक आइटम पड़ी थी. स्कल्प्चर्स और पेंटिंग्स भी हर दीवार पर थी. बाथरूम तो कमरो से ज़्यादा बड़े थे. हर एक मे जेक्यूज़ी था. इतने शानदार बंगले मे मालकिन के बगल के सूयीट मे रहना, 50000 की तन्खा और सबसे बढ़कर मेडम का शानदार जिस्म. मुझे बिन माँगे इतना मिल गया था कि अपनी किस्मत रश्क हो रहा था. मेडम का ख़याल आते ही लंड मे जोश भरने लगा. ये मेडम ही थी जिन्होने मेरी जिंदगी मे इतने रंग भर दिए थे. उन्होने ही मुझे लड़के से आदमी बनाया था. मेरा पहला वीर्यापात उनकी ही कृपा से हुआ था. अचानक ही उस पहले वीर्यापात के पल को याद करके मेरे शरीर मे एक मीठी सी चीस मार गयी. ये सब सोचते हुए मैं दीपा के कमरे मे पहुच चुका था. वाहा दीपा की बड़ी सी तस्वीर देख कर उसके हुस्न मे खो गया. ऐसा बेदाग सौन्दर्य मैने अपने जीवन नही देखा था. उसकी आवाज़ की खनक मेरे कानो मे गूँज रही थी. सफेद सलवार सूट मे उसके चित्र को मेरे मन ने सज़ा लिया था. पर मैं उसके त्रिया-चरित्र को समझ नही पा रहा था. अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए मेरी शुक्रगुज़ार होने की बजाए उसने मुझे ही कटघरे मे खड़ा कर दिया था. दीपा की इज़्ज़त को बचाते वक़्त मेरे मन मे वासना का रत्ती भर भी ख़याल नही था. उसे नंगी देख कर भी मेरा मन नही डोला था. पता नही मुझे क्या हुआ था.... इन्ही ख़यालो मे खोया हुआ मैं अपने नये कमरे मे जाकर सो गया. पता नही इस घर मे आकर मुझे इतनी नींद क्यो आ रही थी. या मैं ही इतने ऐश-ओ-आराम पाकर आलसी हो गया था. जब भी खाली होता हू तो सोने का मन करता. दीपा के जाने के बाद आँख लगी तो सीधे शाम के 6 बजे खुली. इतना सोने के बाद भी आलस आ रहा था. दीपा का ख़याल आया तो मैं उठ कर दीपा के कमरे मे गया वो खाली था. फिर मैने इंटरकम से नरेश को बात की. आशु- अरे यार वो दीपा मेडम अभी तक नही आई है. नरेश- तुझे क्यो चिंता हो रही है. दीपा अभी नही आएगी. वो रात को 10 बजे के बाद ही आती है. आशु- अच्छा ठीक है. ये कौन सा कॉलेज है जो सुबह से रात तक चलता है. फिर मुझे ख़याल आया कि वो गयी होगी अपने नशे की प्यास के लिए. सुबह मैने उसका माल तो गायब कर दिया था. मैने कुछ रुपये उठाए और किचन आदि का सामान लेने बाजार चल दिया. वापस आने मे 9 बज गये थे और बादल भी गरज रहे थे. मैं तेज कदम बढ़ने लगा. मैं मेनगेट से करीब 50 मीटर की दूरी पर था कि अचनांक तेज बरसात पड़नी शुरू हो गयी. तभी एक गाड़ी सीधे गेट के साथ वाले पेड़ से जा टकराई. जोरदार आवाज़ थी पर सड़क सुनसान थी. मैं भाग कर वाहा पहुचा. नरेश पहले ही गेट खोल कर बाहर आ चुका था. अंदर एक लड़की ड्राइविंग सीट पर बैठी थी और स्टियरिंग वील पर बेहोश पड़ी थी. एरबॅग्स खुल गये थे नही तो बचना मुश्किल था. मैने उसकी हालत देखने को ज़रा सा पलटा, वो दीपा थी. मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन खिसक गयी. मैने उसे हिलाने डुलाने की कोशिश की पर वो होश मे नही आई. गनीमत थी की कही से खून नही निकला था. मैने तुरंत उसे अपनी दोनो बाँहो मे उठाया और बिल्डिंग की और भागा. दीपा एकदम फूल की तरह हल्की थी. उसका वेट 45 केजी से ज़्यादा नही था. तेज बरसात हो रही थी. मेनगेट से बिल्डिंग लगभग 150 मीटर दूर थी. बरसात की बूंदे दीपा के चेहरे पर पड़ रही थी. मैने उसका चेहरा ढकने के लिए उसका दुपट्टा उपर कर दिया. पर शायद मुझसे ग़लती हो गयी थी. अब बरसात से उसका सूट भीगने लगा. बिल्डिंग तक पहुचते-पहुचते हम दोनो पूरी तरह भीग चुके थे. मैं सीधे उसे उसके कमरे मे ले गया. बेहोशी मे भी उसका चाँद सा चेहरा दमक रहा था. मैने पानी के छींटे उसके चेहरे पर मारे पर कोई फायेदा नही हुआ. दीपा के शरीर मे कोई हुलचल नही थी. मैने उसकी नब्ज़ चेक की, वो चल रही थी. मैने डॉक्टर को बुलाने के लिए फोन उठाया पर वो डेड पड़ा था. बाहर इक्लोति कार का भी आक्सिडेंट हो चुका था. बारिश मे कोई कन्वेयन्स मिलने की आशा नही थी. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू. अब मुझे भी ठंड लग रही थी, इसलिए मैने अपनी गीली टी शर्ट और जीन्स निकाल दी. अब मैं अंडरवेर और संडो मे ही था. मैने एक नज़र दीपा को देखा. वो बेचारी भी पूरी तरह भीगी हुई थी. उसके कपड़े बदलना ज़रूरी थे नही तो सरदी होने का ख़तरा था. मैने उसके कपड़ो को हाथ लगाया ही था कि किसी ताक़त ने मुझे रोक दिया. मैं बड़े धरम-संकट मे फँस गया था. दीपा ने मुझे कपड़े पहनाने के लिए इतना झाड़ दिया था कि अब उसके कपड़े उतारने की हिम्मत ही नही हो रही थी. दूसरी ओर दीपा को इस हालत मे भी नही छोड़ सकता था. थोड़ी देर था अंतर्द्वंद चलता रहा पर अंत मे दिमाग़ पर दिल की जीत हुई. क्रमशः............

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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:27

... part--5 gataank se aage.................... Kitchen me thanda pani pikar mera gussa thoda shant hua. Deepa ko dant to diya tha par meri samajh me nahi aa raha tha ki ab kya karu. tab to dil dimaag par havi ho gaya tha. par ab mai vastavikta me wapas aa gaya tha. Meri naukri jana lagbhag tay thi. Maine khud hi apne pair par kulhadi mar li thi. Mujhe kya jarurat thi Deepa se ulta-sidha bolne ki.... mai isi udhedbun me tha ki Deepa ki awaaj aayi- Mujhe College jana hai, mera Breakfast le aao. Maine Fridge me se orange juice ek glass me bhar kar kitchen se bahar chal diya. Deepa Dining table par baithi mujhe katil najro se dekh rahi thi. Mai najre nichi kiye table ke paas pahucha aur glass rakh kar bola- aap nashte me kya lengi ? Deepa (najre ghuma kar)- Fridge me Burger aur Creamroll rakhe honge. wahi le aao. Ashu- Ji burger to khatam ho gaye, springroll aur creamroll hai, le aau ? Deepa- kaise khatam ho gaye....chalo wahi le aao. Deepa ki najar hati to maine use ek pal ko dekha. 2 din me pehli baar Deepa itni sunder lag rahi thi. white salwar-suit aur red dupatta kayamat dha rahe the. wo itni shokh lag rahi thi ki jo bhi dekhe to bas dekhta hi reh jaye. uske bedaag husn ne ek pal ko mujhe jad kar diya. par agle hi pal sir jhatak kar mai kitchen me chala gaya. owen me spring roll rakhe aur use on kar diya. Mai soch raha tha ki itni sunder ladki ko Drugs ki lat kaise lag gayi. Ye Drugs iske jeewan ko barbad karke hi chodegi. Owen ki ring baji to mera dhyan tuta aur maine plate me Springroll kat kar creamroll bhi rakh liye. Bahar Deepa fir waisi hinjro se mujhe dekh rahi thi. Maine najre bacha kar Breakfast serve kar diya. Deepa- Aaj to tumhari lottery lag gayi....kyo ? Ye sun kar mai sakpaka gaya.. Ashu- Ji mai samjha nahi. Deepa- Mera towel khisak gaya to tumhare to bhag khul gaye..kyo? Deepa Breakfast karte huye hi tane mar rahi thi. Ashu- Aapka towel khul gaya to isme meri kya galti hai. Aapko kas kar bandhna chahiye tha. Deepa- Towel khul gaya to tumhe mujhe batana to chahiye tha. Mujhe itni der tak aise hi dekhte rahe. Ashu- Ji mera muh to dusari taraf tha. jab mai last me ghuma to aap puri nan.... aise hi khadi thi. Deepa- Tumhara muh dusari taraf tha par mai sab janati hu ki najre kaha thi. Jab tumne dekh liya ki mera towel gir gaya hai to usi wakt kyo nahi bataya. Ashu- J...Ji mai kya batata, aapko towel khisakne ka ehsaas nahi hua ? maine to dekha bhi nahi. Deepa ke chehre par muskaan saaf dikh rahi thi par awaaj waisi hi teekhi thi. Deepa- Baat mat ghumao. sach-sach batao ki tum kya dekh rahe the. Ashu- Ji maine kuch nahi dekha. mai sach bol raha hu. maine jaise hi aapko nude dekha to mai sharama gaya tha. isliye mai turant waha se chala gaya. Deepa- tum aur sharam ? Huh. kal raat ko kya kar rahe the ? Deepa ki baat ki tone me ajeeb si kashish thi. Ashu- Ji mai samjha nahi. Deepa- tum itne nasamajh to nahi dikhte. kal rat ko bhi to tumne mujhe nude dekha tha. Ashu- J...Ji usme meri kya galti hai. Maine to aapko un ladko se bachaya tha. Deepa- Ha. par uske baad kya kiya tha tumne ? Ashu- J...Ji kamre ki safayi. Deepa- Huh. bahut smart ho, kyo. Deepa mere hi andaaj me mujhe tane mar rahi thi aur mai chupchap sun raha tha. Deepa- Mujhe nanga bed par pada dekh kar kuch kiya tha ? Ashu- Ji aapke upar chadar dal di thi. Deepa- oh..ho tumne mujhe chua kyo tha ? Ashu- Ji aapko kapde pehnat wakt chu gaya hoga. Deepa- Kewal chadar dal dete. kapdo ki kya jarurat thi. Ashu- Aap ekdum nude padi thi...koi aa jata to. Deepa- Mere sharir ko chune ke liye tumne mujhe kapde pehnane ka natak kiya. mera top pehnate wakt tumhari najre kaha thi aur tumhare hath kya kar rahe the, mai sab janti hu. Ashu- J..ji wo top pehnate samay hath lag gaya hoga. Deepa- Lag gaya hoga kya matlab ? Ashu- maine ek hath se aapka top pakda tha aur dusre se .... Deepa- aur dusre se mere boobs ko ched raha tha...kyo ? Ashu- Ji aapka top itna chota tha ki usme wo ghus hi nahi rahe the. isliye mujhe unhe daba kar ghusana pada. Deepa- Wah. Kisi ladki ki boobs ko dabane ka kya latest bahana banaya hai. Ashu- Ji..sorry...aap tab kya hosh me thi ? Deepa ke chehre par katil mukaan tair gayi. par wo itne se hi nahi mani. Deepa- hosh me thi ya nahi, tum ye dekho ki tumne kya kiya. Ashu- Ji...sorry..aage se nahi hoga. Deepa- Theek hai, aage dekhte hai ki kya hoga aur kya nahi. mai college ja rahi hu. Ye shabd sun kar meri jan me jan aayi. fir Deepa uthkar bahar jane lagi aur mai uske kulho ki harkat dekhta raha. Maine kan pakde ki aage se Deepa se bach kar rehna hai. Deepa ke jane ke bad mai pure ghar me fir akela tha. maine pure ghar ka muayana kiya. ghar me ek se ek electronic item padi thi. sculptures aur paintings bhi har dewar par thi. Bathroom to kamro se jyada bade the. har ek me jakuzi tha. Itne shandar bangle me malkin ke bagal ke suite me rehna, 50000 ki tankha aur sabse badhkar madam ka shandar jism. Mujhe bin mange itna mil gaya tha ki apni kismat rashk ho raha tha. Madam ka khayal aate hi lund me josh bharne laga. Ye madam hi thi jinhone meri jindagi me itne rang bhar diye the. Unhone hi mujhe ladke se aadmi banaya tha. Mera pehla veeryapat unki hi kripa se hua tha. achanak hi us pehle veeryapat ke pal ko yaad karke mere sharir me ek meethi si chees mar gayi. ye sab sochte huye mai Deepa ke kamre me pahuch chuka tha. waha Deepa ki badi si tasveer dekh kar uske husn me kho gaya. aisa bedaag soundarya maine apne jeewan nahi dekha tha. uski awaaj ki khanak mere kano me goonj rahi thi. Safed salwar suit me uske chitra ko mere man ne saja liya tha. Par mai uske triya-charitra ko samajh nahi pa raha tha. apni ijjat bachane ke liye meri shukragujar hone ki bajaye usne mujhe hi katghare me khada kar diya tha. Deepa ki ijjat ko bachate waqt mere man me wasna ka ratti bhar bhi khayal nahi tha. Use nangi dekh kar bhi mera man nahi dola tha. pata nahi mujhe kya hua tha.... inhi khayalo me khoya hua mai apne naye kamre me jakar so gaya. Pata nahi is ghar me aakar mujhe itni neend kyo aa rahi thi. ya mai hi itne aish-o-aaram pakar aalasi ho gaya tha. Jab bhi khali hota hu to sone ka man karta. Deepa ke jane ke bad aankh lagi to sidhe sham ke 6 baje khuli. itna sone ke bad bhi aalas aa raha tha. Deepa ka khayal aaya to mai uth kar Deepa ke kamre me gaya wo khali tha. fir maine intercom se naresh ko bat ki. Ashu- Are yaar wo Deepa Madam abhi tak nahi aayi hai. Naresh- Tujhe kyo chinta ho rahi hai. Deepa abhi nahi aayegi. Wo raat ko 10 baje ke bad hi aati hai. Ashu- Accha theek hai. Ye kaun sa College hai jo subah se raat tak chalta hai. fir mujhe khayal aaya ki wo gayi hogi apne nashe ki pyas ke liye. subah maine uska maal to gayab kar diya tha. Maine kuch rupaye uthaye aur kitchen aadi ka saaman lene bajar chal diya. wapas aane me 9 baj gaye the aur badal bhi garaj rahe the. mai tej kadam badhane laga. Mai Maingate se kareeb 50 mtr ki duri par tha ki achanank tej barsaat padni shuru ho gayi. tabhi ek gadi sidhe gate ke sath wale ped se ja takrayi. jordar awaaj thi par sadak sunsaan thi. Mai bhag kar waha pahucha. Naresh pahle hi gate khol kar bahar aa chuka tha. andar ek ladki driving seat par baithi thi aur steering Wheel par behosh padi thi. Airbags khul gaye the nahi to bachna mushkil tha. maine uski halat dekhne ko jara sa palta, wo Deepa thi. Mere pairo ke niche se jameen khisak gayi. Maine use hilane dulane ki koshish k par wo hosh me nahi aayi. ganimat thi ki kahi se khoon nahi nikla tha. maine turant use apni dono baho me uthaya aur building ki aur bhaga. Deepa ekdum phool ki tarah halki thi. uska weight 45 kg se jyada nahi tha. tej barsaat ho rahi thi. Maingate se Building lagbhag 150 mtr door thi. Barsaat ki boonde Deepa ke chehre par pad rahi thi. maine uska chehra dhakne ke liye uska dupatta upar kar diya. par shayad mujhse galti ho gayi thi. ab barsaat se uska suit bhigne laga. building tak pahuchte-pahuchte hum dono puri tarah bheeg chuke the. Mai seedhe use uske kamre me le gaya. Behoshi me bhi uska chand sa chehra damak raha tha. Maine pani ke cheente uske chehre par mare par koi fayeda nahi hua. Deepa ke shareer me koi hulchal nahi thi. Maine uski nabj check ki, wo chal rahi thi. Maine Doctor ko bulane ke liye phone uthaya par wo dead pada tha. Bahar ikloti car ka bhi accident ho chuka tha. Barish me koyi conveyance milne ki aasha nahi thi. Meri samajh me nahi aa raha tha ki kya karu. Ab mujhe bhi thand lag rahi thi, isliye maine apni gili T shirt aur jeans nikal di. ab mai underwear aur sando me hi tha. Maine ek najar Deepa ko dekha. Wo bechari bhi puri tarah bheegi huyi thi. uske kapde badalna jaruri the nahi to cold hone ka khatra tha. Maine uske kapdo ko hath lagaya hi tha ki kisi takat ne mujhe rok diya. Mai bade dharam-sankat me fans gaya tha. Deepa ne mujhe kapde pehnane ke liye itna jhad diya the ki ab uske kapde utarne ki himmat hi nahi ho rahi thi. dusri aor Deepa ko is halat me bhi nahi chor sakta tha. Thodi der tha antardwand chalta raha par ant me Dimag par Dil ki jeet huyi. kramashah.............

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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:28

अंजानी डगर पार्ट--6 गतान्क से आगे.................... दीपा एक बार फिर मेरे सामने बेसूध पड़ी थी. मैने उसको बाई तरफ पलटा और उसके सूट की बॅक की चैन नीचे खींच दी. अब उसको सीधा बैठा कर उसकी कमर से सूट को उपर किया. मेरे हाथ उसके कपड़े उतार रहे थे पर मेरी नज़रे उसकी आँखो पर टिकी थी. मैं पूरी तरह सतर्क था. सूट निकालने के लिए मैने दीपा के दोनो हाथ कंधो से उपर उठा दिए. अगले ही पल दीपा का सूट अलग हो चुका था और मैने दीपा को लिटा दिया. फिर मैने पहले सलवार उतारने के लिए नीचे की तरफ गया और सलवार का नाडा खोल दिया. अब धीरे से सलवार को भी निकाल दिया. उसकी वाइट ब्रा और पॅंटी भी एक दम भीगी हुई थी. पहले मैने उसके घुटने मोड और पॅंटी निकाल दी. सब कुछ इतनी तेज़ी से हो रहा था कि दीपा के शरीर की ओर ध्यान ही नही रहा. मैं अपनी मालकिन को नंगा कर रहा था पर मन मे कोई वासना नही थी. हा, डर सा ज़रूर था. अब अंत मे ब्रा की बारी थी. ब्रा उतारने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी. दीपा की छोटी सी ब्रा मे दो कबूतर बाहर झाँक रहे थे. अंत मे हिम्मत जुटा कर मैने दीपा को पलटा और उसके ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसे सीधा लिटा कर उसके कंधो से उसकी ब्रा के स्ट्रॅप्स नीचे खिचा पर ब्रा का हुक उसके बालो मे अटक गया. हुक निकालने के लिए मैं दीपा उपर थोड़ा झुक गया. डर के मारे मेरी साँसे तेज हो गयी थी. अगले ही पल मेरी सांस उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी और मैं एक दम जड़ हो गया. मेरी दोनो टाँगे दीपा के दोनो तरफ थी और घुटने कमर के पास थे. मेरे हाथ दीपा के बालो मे थे. यदि कोई भी मुझे इस हालत मे देख ले तो बस यहे समझता की मैं दीपा का रेप कर रहा हू. अचानक एक हाथ ने मेरी बनियान को कस कर पकड़ लिया और दूसरे ने मेरी गिरेबान पकड़ ली और एक तीखी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी- क्या कर रहे हो. डर के मारे मेरी आँखे भी बंद हो गयी थी और घिग्घी बंद गयी थी. शायद इतना तो मैं कॉलेज मे फैल होने पर भी नही डरा था. पूरा शरीर पसीने से भीग गया था. अब मैं केवल जैल जाने की सोच रहा था. बेटा अब तो तुम गये, तुम्हे तो अब भगवान भी नही बचा सकता, जैल मे चक्की तेरा इंतेजार कर रही थी..........यही सब विचार मन मे आ जा रहे थे. पता नही कोई शक्ति मुझे नीचे खींच रही थी मैं नीचे झुकता जा रहा था, पर मुझे इसका एहसास नही हुआ. दोबारा आवाज़ आई- तुम्हारी हिम्मत की तो दाद देनी पड़ेगी. अब मेरी सिट्टी पिटी गुम हो चुकी थी. पर अचानक मुझे झटका सा लगा. ये आवाज़ जानी-पहचानी सी लगी रही थी. ये तो दीपा की ही आवाज़ थी. मैने आँखे खोली तो मेरा चेहरा दीपा के चेहरे के एक दम पास था और दीपा मुझे खा जाने वाली नज़रो से घूर रही थी. दीपा- आज तो तुम रंगे हाथो पकड़े गये, क्यो ? आज का क्या बहाना है ? आशु- ज..जी..म...मैं...व...वो... दीपा- घिग्घी क्यो बाँध गयी तुम्हारी. आशु- म..मेडम...मैं..आपके... वो... कपड़े उतार रहा था. दीपा- हा इसके लिए तुम्हे मेडल दिया जाए क्या . आशु- मेडम आपका आक्सिडेंट हो गया था और आप भीग गयी थी. दीपा- आक्सिडेंट हा..आक्सिडेंट हो गया था तो मुझे डॉक्टर के पास ले जाते मेरा इलाज करते. पर नही, तुम तो मुझे अंदर ले आए और मुझे नंगा कर दिया. तुम मेरी बेबसी का फायेदा उठा कर मेरा रेप करना चाहते थे. आशु- मेडम कैसी बात कर रही हो आप. मैने तो आपकी इज़्ज़त बचाई थी. दीपा- तो इससे तुम्हे मेरी इज़्ज़त लूटने का लाइसेन्स मिल गया क्या. आशु- ज..जी वो बरसात हो रही थी और कोई कन्वेयन्स नही मिल रहा था और आप एकदम भीग गयी थी. आपको ठंड लग जाती इसलिए कपड़े उतार रहा था. दीपा- इस तरह मेरे उपर चढ़ कर ? आशु- ज..जी..म...मैं...व...वो...मैं पहली बार किसी के कपड़े उतार रहा था. मेरा मासूम सा जवाब सुन कर दीपा के चेहरे पर मुस्कान तेर गयी. उसने मुझे एक ओर धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और खुद मेरी छाती पर मेरी तरह चढ़ बैठी. वो एक दम नंगी थी. उसकी टाँगे मेरी छाती के दोनो ओर थी और उसकी चूत के सॉफ दर्शन हो रहे थे. उसके बड़े सेबो के आकर के बूब्स एक दम तने हुए थे. उनमे हल्का सा भी ढीला पन नही था. दीपा ने दोनो हाथ मेरे गले पर लगा दिए. दीपा- कपड़े उतार कर क्या करने वाले थे तुम, बोलो ? आशु- जी मैं..क...कुछ नही...मैं क्या करता. दीपा- हाई मेरी जान. 3-3 बार मुझे पूरा नंगा देख कर भी तुम्हारा मन कुछ करने को नही करता ? आशु- जी मैं क्या कर सकता था ? दीपा- वही जो एक लड़का एक लड़की को नंगा कर के करता है. दीपा के आवाज़ मे मादकता भरती जा रही थी. उसकी आँखो मे लाल डोरे सॉफ दिखाई दे रहे थे. दीपा मेरी तरफ बड़े प्यार से देख रही थी पर मेरा दिमाग़ काम नही कर रहा था. आशु- जी क्या करते है. दीपा- बुद्धू प्यार करते है, और क्या. आशु- जी आप मेरी मालकिन है. भला कभी मलिक-नौकर मे प्यार होता है. दीपा- क्या मालकिन इंसान नही होती. उसे प्यार करने का कोई हक़ नही ?............क्या मैं तुम्हे पसंद नही हू ? आशु- मेडम आप ये क्या कह रही है. आपके हुस्न का तो मैं पहले दिन से ही दीवाना हो गया था. अगर आप मेरी हो जाए तो मुझे इस जिंदगी मे और कुछ नही चाहिए. पर आपकी और मेरी हसियत के फ़र्क को देख कर खुद को रोक लिया था. दीपा- अब तुम्हारी मालकिन तुम्हारे सामने एकदम नंगी है. तुम भी नंगे हो. उसकी हसियत तुम्हारे बराबर हो गयी ना. तुम्हारी मालकिन तुमसे अपने प्यार की भीख माँग रही है. प्लीज़ आज तुम मुझे अपनी बना लो. मुझे इतना प्यार करो की मैं मर ही जाउ. आशु- मेडम...मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा...मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास नही हो रहा... यह सुन कर दीपा ने झुक कर मेरे होंठो पर किस कर दिया. आशु- मेडम, आपने ये क्या किया ? दीपा- आइ लव यू...तुम्हे मेरे प्यार सबूत चाहिए था ना ? ये है मेरे प्यार की मोहर. आशु- मेडम आपने मुझे मेरे जीवन की सबसे बड़ी दौलत दे दी. दीपा- ये मेडम-मेडम क्या लगा रखा है. मेरा नाम दीपा है. तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाओ. आशु- मेडम आप इतनी सुंदर और दौलतमंद है और मैं ग़रीब और साधारण सा लड़का. आपको भला मुझसे कैसे प्यार हो गया. दीपा- ह्म्म...मैने बहुत से लड़को को परख कर देखा है. किसी को मेरी दौलत चाहिए तो किसी को मेरा शरीर. किसी को मुझसे प्यार नही था. पर तुम ही एक ऐसे हो जिसने मुझे 3-3 बार पूरा नंगा बेहोश देख लिया, फिर भी तुम्हारे मन मे वासना का अंश भी ना आया ..तुम्हारी आँखो की सच्चाई पर ही तो मैं मर मिटी हू...ऐसा जीवनसाथी मुझे कहा मिलेगा भला..भगवान ने आज मेरी झोली मे खुशिया डाल ही दी. आशु- और ये ड्रग्स...और वो दोनो लड़के दीपा- भचपन मे मा-बाप के बिछूड़ जाने की वजह से मैं अकेली थी. बाय्फ्रेंड तो सब भूखे थे. मुझे कोई भी समझने को तैय्यार नही था. धीरे-धीरे मैं डिप्रेशन मे आती जा रही थी. एक दिन मेरे बाय्फ्रेंड अभी ने मुझे डिप्रेशन से बचने की मेडिसिन बताकर कोकेन दे दी. पिछले 15 दीनो मे मैं पूरी तरह इस नशे की गुलाम हो चुकी थी. पर अब मुझे तुम मिल गये हो तो मुझे किसी नशे की ज़रूरत नही है. क्या तुम मेरा अतीत भुला कर अपना लोगे. दीपा की नज़रे कातर हो चुकी थी. मैने कुछ कहे बिना उठ कर बैठ गया. दीपा मेरी जाँघो पर आ गयी थी. मैने दीपा को अपनी बाँहो मे भर लिया. इससे दीपा एकदम भावुक हो गयी. उसने मुझे कस कर जाकड़ लिया और मेरे चेहरे पर बेतहाशा चूमने लगी. फिर उसने अपने होठ मेरे होंठो से चिपका दिए. उसकी जीभ मेरे मूह के हर कोने मे घूम रही थी. दीपा की इस हरकत से मुझे भी खुमारी चढ़ने लगी. मैं भी उसका बराबर साथ देने लगा. दीपा मेरे बालो मे अपने हाथ चला रही थी. उसके पिंक निपल एक दम कड़े हो चुके थे और मेरी छाती पर गढ़ रहे थे. उनकी चुभन से मैं मदहोश होता जा रहा था. उसके रसीले अधरो का रस चूस-चूस कर मैं पागल सा हो रहा था. 3 मिनिट तक एक दूसरे को बेतहाशा चूमने के बाद हम दोनो रुक गये पर एक दूसरे के साथ चिपके रहे. हम दोनो की आँखे मदहोशी के कारण बंद हो चुकी थी. अचानक दीपा थोड़ा उपर उठी और अपना छोटा सा पिंक निपल मेरे मूह मे डाल दिया. मैं छोटे से बच्चे की तरह उसे चूसने लगा. दीपा- चूस ले...मेरा बेबी...ये तेरे लिए ही तो है...चूस ले...अपनी प्यास बुझा ले... दीपा की मदहोशी हद पर पहुच चुकी थी. मैने दीपा का दूसरा बूब हाथ मे पकड़ा और उसका निपल मूह मे ले लिया. जितनी बार मेरी जीभ उसके निपल टकराती वो चिहुन्क उठती. दीपा- काट लो...छोड़ना नही...सब कुछ चूस लो...इनको पूरा मूह मे भर लो...प्लीज़ काटो इनको... दीपा बावरी सी हो गयी थी. उसने मेरे दोनो हाथ उठा कर अपने बूब्स पर रख लिए और खुद ही दबवाने लगी. मैं अब एक एक्सपीरियेन्स्ड मर्द था. थॅंक्स टू दीपिका मेडम . मुझे पता था कि लड़की को कैसे मज़ा आता है. मैने दीपा के हाथ हटा दिए और उसके बूब्स को मसल्ने लगा. दीपा- प्लीज़ दबाओ ना...प्ल्ज़ तेज दबाओ... दीपा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी. मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो चुका था. दीपा की चूत अंजाने मे मेरे लंड के उपर थी और मेरा लंड दीपा की गंद और चूत के भीच फँसा था. मदहोशी मे वो अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ने लगी. मैं समझ गया की इसकी चिड़िया कुछ ज़्यादा ही फड़फदा रही है और उसे मारने का समय आ चुका है. मैने उसे बेड पर लिटा दिया और टाँगे अपने कंधो पर रख ली. अब उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी. उसकी चूत एकदम टाइट थी. कल वो तक जिस चूत को बचाती फिर रही थी आज मेरे सामने परोस रखी थी. मैने उसकी चूत को सूँघा तो एकदम मस्त हो गया. ऐसी खुश्बू मैने आज तक नही सूँघी थी. उसकी चिड़िया इतनी कोमल थी की हाथ लगाने की हिम्मत ही नही हो रही थी. अचनांक कुछ सोच कर मैने अपने जीभ बाहर निकाली और उसकी कुँवारी चिड़िया को चाटने लगा. चिड़िया के जीभ छूते ही दीपा के शरीर मे जबरदस्त तरंग दौड़ गयी. दीपा- क्या कर रहे हो मेरी जान. बहुत मज़ा आ रहा है. मैं धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाता जा रहा था. भीच-बीच मे उसकी चिड़िया को अपने होंठो से दबा लेता तो कभी उसकी चूत का फ्रेंच किस कर लेता. बेचारी दीपा जल-बिन मछली की तरह तड़प रही थी. बार-बार वो अपनी जंघे उछाल रही थी जिससे उसकी चिड़िया मेरे मूह से टकरा जाती थी. दीपा- मेरी जान. क्यो तडपा रहे हो. प्लीज़ कुछ करो ना. मैं पागल हो जाउन्गी. प्लीज़ कुछ तो करो ना. मुझे उसकी हालत पर तरस आ गया. मैने अपने बाए हाथ से उसकी चूत की फांको को खोला और दाए हाथ की 2 उंगलियो को काम पर लगा दिया. दीपा की हालत बयान करना संभव नही है. मेरी उंगलियो ने अपना कमाल दिखाया और 1 मिनिट के अंदर ही दीपा का रस का फव्वारा फुट गया. दीपा ने जोरदार दहाड़ के साथ रस का प्याला उडेल दिया था. अबकी बार मैं सतर्क था. सारा रस मेरे मूह मे समा गया और मैने एक भी बूँद बर्बाद नही की. मैने सिर उठाकर दीपा के चेहरे को देखा. उसके माथे पर बल पड़े थे और आँखे भीची हुई थी. शायद वो अपने पहले ऑर्गॅज़म का आनंद ले रही थी. मैने उसे छेड़ा नही और उठ कर अपने कमरे मे जाकर लेट गया. मेरे मन मे ज़रा भी वासना नही थी पर मेरा लंड पता नही क्यो विद्रोह पर आमादा था. मैं नंगा ही अपने बेड पर जे की शेप मे लेट गया था. दीपा का प्यार पाकर मुझे जो आनंद मिला था वो मैं शब्दो मे नही बता सकता. और फिर मैं इन्ही ख्यालो मे खो गया. दीपा अपने बेड पर मदहोश पड़ी थी. उसको इतना मज़ा जीवन मे पहली बार जो आया था. थोड़ी देर बाद जब उसने आँखे खोली तो मुझे नदारद पाया. वो उठकर बाथरूम मे गयी. पर मैं वाहा भी नही मिला. फिर उसने एक शॉर्ट ब्लू कोलूर की शॉर्ट जीन्स और वाइट कलर का बिकिनी-टॉप पहन लिया और अपने कमरे से बाहर निकल गयी. मेरे कमरे का गेट खुला देख कर, वो सीधे मेरे कमरे मे ही घुस आई. मैं बेड पर सीधा लेटे हुए, दीपा के ख़यालो मे खोया हुआ था. दीपा चुपचाप मेरे बेड पर टाँगो के पास आकर बैठ गयी. वो एकटक मेरे एकदम तने हुए 9 इंच के लंड को देख रही थी. अपने ख़यालो मे मैं दीपा के साथ तरह-तरह से सेक्स कर रहा था, शायद उसी की उत्तेजना से मेरा लंड क़ुतुब मीनार की तरह तना हुआ था. दीपा कुछ बोले बिना ही मेरा लंड की पास पहुच गयी. आज मेरे लंड का सूपड़ा बिना खाल खीछे ही पूरा बाहर निकला हुआ था और इसलिए लंबाई भी 9 इंच से ज़्यादा हो गयी थी. दीपा ने अपनी जीभ निकाली और जीभ की नोक को मेरे सूपदे के छेद से टच करने लगी. मैं अपने ख़यालो मे इतना खोया था कि मुझे लगा की, मेरे ख़यालो मे ही दीपा ऐसा कर रही है. दीपा के शरीर मे सुरसुरी दौड़ गयी. धीरे-दीरे उसने मेरे सूपदे को अपने मूह मे भर लिया और उसे चूसने लगी. हर सेकेंड के साथ दीपा की प्यास और रफ़्तार दोनो बढ़ती जा रही थी. मेरा लंड केवल 3 इंच ही दीपा के मूह मे था पर उसमे भी वो लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी. वो केवल जीभ और होंठो का इस्तेमाल कर रही थी. फिर दीपा ने अपने बाए हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और लंड को अपने मूह मे गोल गोल घुमाने लगी. उसका मेरे टट्टो पर ध्यान गया. उसने मेरी दोनो गोलियो को एक एक कर के मूह मे लेकर चूसने लगी. मैं अपनी तंद्रा मे ही इसका आनंद ले रहा था, और मैं कर भी क्या सकता था . थोड़ी देर बाद दीपा वापस अपने पुराने मोर्चे पर आ डटी. आख़िर बकरे की माँ कब तक खैर मनाती. 10 मिनिट के बाद मेरे अंदर एक ज्वालामुखी सा उभरने लगा. दीपा भूखे बच्चे की तरह मेरे लंड से दूध की बूँद निकालने के लिए उसे बुरी तरह से चूस रही थी. चूसते चूस्ते पता नही कब मेरा लंड 7 इंच तक उसके मूह मे समा चुका था. अंदर बाहर- अंदर बाहर. बारबार सूपड़ा दीपा के हलक से टकरा रहा था पर इससे दीपा की रफ़्तार पर कोई फरक नही पड़ रहा था. दीपा पूरे ज़ोर-शोर से लंड को चूस रही थी और मैं आँखे बंद किए अपने सपने का आनंद ले रहा था. अनंतत: वही हुआ जो होना था. मेरे लंड ने तेज बौछारो के साथ अपना रस उगलना शुरू कर दिया. दीपा के छोटे से मूह मे मेरा वीर्य भर गया और बाहर छलकने लगा. पर उसने चूसना जारी रखा. मैं अचानक इतना मज़ा बर्दाश्त नही कर पाया और मेरे मूह से ज़ोर की आवाज़ निकल गयी. इसी के साथ मेरी आँखे खुल चुकी थी. सामने दीपा मेरे मुरझाते हुए लंड को कुलफी की तरह चूस रही थी. एक बार वीर्यापत होने के बाद भी चुसाई बर्दाश्त के बाहर थी. दीपा ने मेरे लंड से वीर्य की आखरी बूँद तक चूस ली थी. आशु- य..ये क्या...कर रही हो. दीपा-...म्‍म्म्मम...मज़ा आ गया.. आशु- अरे हटो. और कितना चुसोगी. बेचारे का सारा रस तो तुमने निकाल लिया. अब कुछ नही बचा है. दीपा ने ये सुन कर अपना सिर उपर उठाया और अपने होठ चाटते हुए बोली- क्या है. इस पर मेरा अधिकार है. मैं जो चाहे करू. आशु- इसको चूसना किसने सिखाया. (मेरे मूह से निकल ही गया) दीपा- तुम मुझे ऐसे ही छोड़ आए थे. तुम्हारे पीछे मैं यहा आ गयी पर तुम बेशार्मो की तरह नंगे लेटे हुए थे और मुझ पर अपनी बंदूक तान रखी ही. आशु- वो...मैं...तुम सो गयी थी, इसीलिए...चला आया था. दीपा- मैं अंदर आई तो देखा की तुम्हारी बंदूक तो पूरी लोडेड है. मैने सोचा की कोई अनहोनी ना हो जाए इसलिए इसको अनलोड कर रही थी. देखो मैने तुम्हारी बंदूक को अनलोड कर दिया है. दीपा की मुस्कान एकदम कॅटिली थी. वो लंड से तो उपर उठ गयी थी पर उसके हाथो ने मेरे लंड को पकड़े रखा था. उसकी छोटी सी वाइट बिकिनी मे से उसके बूब्स बाहर झाँकने की कोशिश कर रहे थे. उसके कड़े निपल बिकिनी मे उभरे हुए साफ दिखाई दे रहे थे. तभी दीपा ने एक हाथ से अपने बाए निपल को उमेथ दिया. उसकी इस हरकत को देख कर मेरे लंड ने एक बार फिर बग़ावत कर डाली. दीपा के हाथो मे ही मेरा लंड अंगड़ाइया लेता हुआ फिर से तनने लगा. दीपा इस तेज परिवर्तन को देख कर हत-प्रथ थी. दीपा- क्या बात है. तुम्हारी गन तो फिर से लोड हो गयी. ऑटोमॅटिक है क्या ? क्रमशः..........

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