जूली को मिल गई मूली -10 
गतान्क से आगे......................................
हेल्लो प्यारे पढने वालों मैं आप की चहेती सेक्सी जूली, पेश करती हूँ अपना एक और चुदाई  का  कारनामा.
ये भाग मुझे पहले लिखना चाहिए था क्यों की इस के बाद की दास्तान मैं पहले ही लिख चुकी हूँ. खैर कोई बात नहीं. मैं जानती हूँ की जब भी लिखूंगी, आप लोगों को पसंद आएगा.
कभी कभी तो मुझे हंसी आ जाती है ये सोच कर के कि मेरी तो चुदाई होती है और आप लोग मेरी चुदाई का मज़ा लेते है.
मैं कभी भी सच लिखने से पीछे नहीं हटी हूँ भले ही वो सच कितना ही कड़वा हो.
मैं जानती हूँ की बहुत सी लड़कियां होगी जो मेरी  तरह चुदाई करवाती  है पर कोई भी लड़की अपनी चुदाई की बात को शेयर नहीं करती. मैंने मेरी चुदाई की बात को शेयर किया है और करती रहूंगी.
अब आती हूँ असली कहानी पर ...... मज़ा लीजिये .......
अपनी पढाई पूरी करने के बाद मैं बिज़नस में पूरी तरह अपने पापा और चाचा का
साथ दे रही थी. आप जानते है कि मैं जब कॉलेज में थी, तभी से ही बिज़नस में
इंटेरेस्ट लेने लगी थी और मेरी पढाई  ख़तम होते होते मैं हमारे प्रॉडक्ट्स के
मार्केटिंग के काम में बहुत होशियार हो गई थी. मैंने विदेश का सफ़र कई बार
किया है और अपने दम पर विदेश के लोगों से डील करती हूँ.
एक दिन जब मैं शाम को फार्म हाउस से घर वापस आई तो बहुत थकी हुई थी.
मेरे माता - पिता घर पर मेरा इंतजार कर रहे थे. मैंने उनके साथ चाय पी और
नहा कर फ्रेश होने के लिए अपने रूम में आ  गई. मैंने अपने सभी कपडे उतारे
और नंगी हो कर बाथरूम में आ गई. आप जानते है की मैं बहुत  सेक्सी हूँ और
इस लिए नहाते हुए मैं खुद को अपने हाथों से अपनी चूचियां मसलने से नहीं रोक
सकी. एक बार तो मैं अपना हाथ अपनी चूत पर भी ले गई पर तुरंत ही हटा लिया क्यों की मैं पहले ही बहुत थकी हुई थी. मैंने देखा की मेरी चूत पर बाल आने चालू हो गए थे. मैं हमेशा अपनी चूत साफ़ रखती  हूँ.
चूत पर बाल मुझे पसंद नहीं है. मैंने रात को सोने से पहले अपनी चूत के बालों को  साफ करने कि सोची. नहाने के बाद मैं  बाहर  आई  और  अपना  सेक्सी  गोरा बदन  पौछने के बाद फ्रेश ब्रा और चड्डी पहनी और  आराम  के  लिए  ऊपर  से  गाउन पहन  लिया. मैंने चूत के बाल साफ़ करने की क्रीम तलाश की और उस को अपने पलंग  की  साइड टेबल पर रखा ताकि रात को उस का इस्तेमाल कर सकूँ. मैंने कुछ देर  अपने रूम में ही टी.वी. देखा और रात का खाना अपने माता - पिता के साथ खाने  के लिए नीचे आ गई. मेरे चोदु चाचा अभी तक घर नहीं आये थे और मेरे पापा ने  बताया की वो देरी से आने वाले है.
खाना खाते हुए पापा ने कहा - जुली ! तुम या तुम्हारे चाचा को या दोनों को इटली जाना पड़ेगा. आज ही वहां से बाइयर का मैल आया है की अगले सीज़न का बिज़नस डिसकस करने के लिए और  फाइनल  करने  के  लिए  वो  चाहते  हैं  की
कोई  हमारे  यहाँ  से  उन  के  पास  जाये.
मैं बोली  - ठीक  है  पापा . चाचा  को  आ  जाने  दो . हम  कल  डिसाइड   करलेंगे.
पापा बोले  - ठीक  है . इतनी  भी  जल्दी  नहीं  है . टाइम  है  हमारे  पास .
हम ने  डिन्नर   ख़तम  किया  और  बातें  करने  लगे . मेरे  पापा  ने  नोट किया  की  मैं  थकी  हुई  थी  तो  उन्होंने  मुझे  अपने  रूम  में  जा  कर  आराम  करने  को  और  जल्दी  सोने  को  कहा . जब  मैं  अपने  रूम  में  जाने  के  लिए  उठी  तो  मैंने  देखा  की  चाचा  की  कार  हमारे  घर  के  कॉंपाउंड के  अन्दर आ  रही  थी . मैंने  सब  को  गुड नाइट कहा  और  अपने  रूम  में  आ  गई . मैंने  अपना  रूम  अन्दर  से  बंद  किया  और  साथ  ही  बाथरूम  भी  अपने  रूम  की  तरफ  से  बंद  किया . ( आप  को  तो  पता  ही  है  की  मेरे  और  मेरे  माता  - पिता  के  रूम  के  बीच  में  कामन   बाथरूम  है  )  मैंने  अपना  गाउन  उतारा  और  अपनी  ब्रा  और  चड्डी  भी  उतारी , एक  टॉवेल  और  कुछ  टिश्यू पेपर  ले  कर  अपने  पलंग  पर  आ  गई . पीछे  तकिया  लगा  कर , अपने  पैर मोड़  कर  के  चौड़े  किये  ताकि  मैं  आराम  से  बैठी  हुई  अपनी  चूत  के  बालों  पर  क्रीम लगा  कर  साफ़  कर  सकूँ . मैंने  अपनी  गांड  ऊपर  करके  टॉवेल  को  अपनी  गांड  के  नीचे  रखा  और  अपनी  चूत  के  बालों  पर  क्रीम लगाई . अब  मुझे  थोड़ी  देर  यूं  ही  बैठना  था  ताकि  बाल  सफा  क्रीम अपना  काम  कर  सके . अपनी  चूत  पर  क्रीम लगाने  के  बाद  मैंने  अपने  पैरों  को  फैली  पोज़िशन में  ही  सीधा  किया , पलंग  के  पीछे  तकिये  पर  सिर  टिका  कर  अधलेटी  पोज़िशन में  आ  गई . मैं  बहुत  थकी  हुई  थी  इस  लिए  जल्दी  ही  मेरी  आँख  लग  गई . मेरी  चूत  पर  बाल  सफा  क्रीम लगी  हुई  थी  और  मैं  उस  को  साफ़  किये  बिना  ही  सो  गई  थी .
थोड़े  समय  के  बाद  मेरी  आँख  खुली . रूम की  लाइट्स ऑन थी , शायद  इस  लिए  मेरी  आँख  खुल  गई  थी . मैंने   घड़ी देखी  तो  उस  समय  11.00 बजे  थे . मैं  आधे  घंटे  सोयी  थी . मैंने  टिश्यू  पेपर  लिया  और  अपनी  चूत  से  क्रीम  साफ़  करने  लगी . क्रीम के  साथ  बाल  भी  साफ़  हो  गए  और  मेरी  चूत  फिर  से  चिकनी  हो  गई  थी . खड़ी  हो  कर  मैं  बाथरूम  गई , बाथरूम  के  अन्दर  जा  कर  सबसे  पहले  अन्दर  से  अपने  माँ  बाप  के  रूम  की  तरफ  खुलने  वाला  बाथरूम  का  दरवाजा  अन्दर  से  बंद  किया  और  टिश्यू  पेपर  फ्लश करने  के  बाद  अपनी  चिकनी  चूत  को  पानी  से  धो  कर  क्रीम पूरी  तरह  साफ़  की . मेरी  रेशमी  चूत  अब  चमक  रही  थी . मैंने  माँ  बाप  की  तरफ  खुलने  वाले  बाथरूम  के  दरवाजे की  कुण्डी  फिर  से  खोली  और  अपने  रूम  में  आ  कर  बाथरूम  की  लाइट  बंद  करते  हुए  उसे  अपनी  तरफ  से  लॉक   किया . मैंने  टॉवेल  से  अपनी  गीली  चूत  साफ़  की , रूम  की  लाइट  ऑफ की  और  आदत  के  मुताबिक  नंगी  ही  पलंग   पर  सोने  की  कोशिश   करने  लगी . एक  बार  आँख  खुलने  की  वाजाह  से  दोबारा   नींद  जल्दी  नही  आई  पर  मैं  आंखें  बन्द  किए  सोने  की   कोशिश  करने  लगी .
थोड़ी  देर  बाद  मैने  अपने  मा   बाप के  रूम  से  आती  हुई  कुछ  आवाज  सुनी .  मुझे पता  चल  गया  की  वहां  उन  के  बीच  जरूर  चुदाई  हो  रही  थी . ( आप  जानते  ही  है  की  मैंने  अपने  माँ  बाप  को  चुदाई  करते  हुए  कई  बार  देखा  है  और  मैंने  चुदाई  का  पहला  पाठ  उन  की  चुदाई  देख  कर  ही  सीखा  था . )
एक  बार  तो  मैंने  सोचा  की  करने  दो  उन  को  अपनी  चुदाई , पर  क्यों  की   मुझे  नींद  नहीं  आ  रही  थी  और  मुझे  हमेशा  अपनी  माँ  को  चुदवाते  और  पापा  को  चोदते  हुए  देखने  में  बहुत  मज़ा  आता  है , मैं  बिस्तर  से  नीचे  आ  गई  और  अपनी  किस्मत  आजमाने  की  सोची  की  शायद  उन  की  तरफ  का  बाथरूम  का  दरवाजा  खुला  हो  ताकि  मैं  उन  की  चुदाई  का  मज़ा  ले  सकूँ .
			
									
									
						जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
बिना  लाइट  चालू  किये  मैं  बाथरूम  में  आई  और  उन  के  दरवाजे  की  नॉब घुमाई  तो  मैं  बहुत  खुश   हो  गई . कितनी  लकी   थी  मैं . दरवाजा  उन  की  तरफ  से  लॉक   नहीं  था . मैंने  धीरे  से , बिना  आवाज  किये  करीब  एक  इंच  दरवाजे  को  खोला , जो  की  मैं  हमेशा  उन  को  चुदाई  करते  हुए  देखने  के  लिए  करती  हूँ . हमेशा  की  तरह  उस  दिन  भी  उन  के  रूम  की  लाइट  ओं  थी . मेरी  तरह  मेरे  माँ  बाप  भी  लाइट  ऑन रख  कर  चुदाई  का  मज़ा  लेते  थे .
मैं तो नंगी थी ही , मैंने देखा की मेरी माँ और पापा भी पूरी तरह नंगे थे . मेरी माँ स्टडी टेबल के कोने पर बैठी हुई थी और उन के पैर मेरे पापा की नंगी कमर को पकड़े थे . वो ऐसी पोज़िशन में थे की मैं बाथरूम
से न तो माँ की चूत देख पा रही थी और न ही पापा का लंड देख पा रही थी . जो मैं देख सकती थी , वो थी माँ की चूचियां और पापा की गांड . पापा ने माँ के दोनों पैर अपने हाथों से पकड़े हुए थे और उन का लंड मेरी माँ की चूत में था . मैं बहुत खुश होती हूँ ये जान कर की मेरे माँ बाप एक सफल और चुदाई से भरी जिन्दगी जी रहे थे . पापा करीब 50 साल के और माँ करीब 45 साल की होने के बावजूद भी वो इतनी शानदार चुदाई अलग अलग पोज़िशन में करते थे जिस से उनके इस उम्र में भी चुदक्कड़ होने का पता चलता था . वो आपस में चुम्बन ले रहे थे और माँ के दोनों हाथ पीछे टेबल पर सपोर्ट ले रहे थे . उन्होंने चुम्बन ख़तम किया तो पापा सीधे खड़े हो गए . वो माँ के पैर अभी भी पकड़े हुए थे और अब पापा ने अपने लंड से माँ की चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए थे . पापा के लंड के , माँ की चूत में हर धक्के के साथ मेरी माँ की चूचियां ऊपर नीचे नाच रही थी . वो दोनों आपस में धीरे धीरे बोल रहे थे जो मैं सुन नहीं पाई . शायद वो सेक्सी बातें ही कर रहे होंगे .
बे ध्यानी में ही मेरा हाथ अपनी अभी अभी साफ़ की हुई चिकनी चूत पर चला गया . मेरी उँगलियों को पता चल गया की मेरी चूत गीली हो रही थी . ये असर था अपने माँ बाप की चुदाई देखने का . मैंने पूरा पूरा ध्यान रखा की कोई आवाज न होने पाए . मैं अपनी चूत पर धीरे धीरे हाथ फिरा रही थी क्यों की मैं जानती थी की जोर जोर से चूत में ऊँगली करने से मैं जल्दी ही झर सकती थी जिसकी वजह से मेरे मुंह से आवाज निकल सकती थी . मैं धीरे धीरे अपनी चूत को मसल रही थी . वहां , पापा अब जोर जोर से मेरी माँ को चोदने लगे थे . माँ की चूचियां भी तेजी से पापा के हर धक्के के साथ नाच रही थी . मेरे लिए हमेशा ही अपने माँ बाप की चुदाई देखना मजेदार रहा है और आज मैं फिर वही काम कर रही थी . और सब से खास बात ये है की मैं कभी भी ऐसा करते पकड़ी नहीं गयी थी , ये बहुत संतोष की बात है . चाचा से चुदवाते हुए भी मैं कभी भी नहीं पकड़ी गयी थी . मैं चुदाई करवाते हुए या चुदाई देखने के समय हमेशा ये ध्यान और सावधानी रखती हूँ की पकड़ी न जाऊं .
वहां मेरी माँ चुदी जा रही थी और यहाँ मुझे मज़ा आ रहा था .
पापा ने माँ को चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी थी और माँ की आँखें आनंद के कारण बंद हो रही थी . माँ की बड़ी बड़ी चूचियां उछल रही थी , नाच रही थी और पापा माँ को अपने लंड से चोदे जा रहे थे ........ चोदे जा रहे थे ..... तेजी से चोदे जा रहे थे .
मेरी माँ चुद रही थी और मैं देख रही थी अपनी माँ को चुदते हुए .
मेरे चुदक्कड़ पापा मेरी चुदक्कड़ माँ को चोदते जा रहे थे और मैं , उनकी चुदक्कड़ बेटी उन की चुदाई देख रही थी . अब पापा के चोदने की रफ़्तार लिमिट क्रोस कर चुकी थी और मुझे पता चल गया की उनका लंड मेरी माँ की चूत में पानी बरसाने वाला है .
और ना चाहते हुए भी , मुझे वहां से हटना पड़ा क्यों की अब अधिक देर वहां खड़े रहने में देख लिए जाने का खतरा था .
मैंने धीरे से , बिना आवाज किये बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपने रूम में आ गई . अपने रूम में आ कर बाथरूम अपनी तरफ से बंद कर लिया .
मैं काफी गरम और गीली हो चुकी थी. मुझे अब एक जोरदार चुदाई की जरूरत महसूस होने लगी थी. मेरे चाचा तो थे ही मेरी चुदाई की जरूरत पूरी करने के लिए. मैंने अपने नंगे बदन पर गाउन डाला और चाचा के बेडरूम की चाबी ले कर अपने रूम से बाहर आई ( मेरे रूम चाबी चाचा के पास और चाचा के रूम की चाबी मेरे पास रहती है ताकि हम एक दुसरे के पास जब भी जरूरत हो, चुदाई करने या चुदवाने के लिए पहुँच सकते है) चाचा का रूम मेरे रूम के सामने ही था . उनके रूम का दरवाजा बंद पा कर मैंने चाबी से उन के रूम का दरवाजा खोला और अन्दर पहुँच गई . चाचा अपने बिस्तर में सिर्फ चड्डी पहने हुए गहरी नींद में सो रहे थे . उन के बदन का ऊपरी हिस्सा नंगा था . रूम में नाइट बल्ब की रौशनी में मैं सब देख पा रही थी . वो अपनी पीठ के बल सीधे सोये हुए थे और उनकी चड्डी उनके लंड के ऊपर सपाट थी जिसका मतलब था की उन का लंड खड़ा नहीं है , नरम है . मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया और ये सोचती हुई उन के बिस्तर की तरफ बढ़ी की कैसे शुरू किया जाए . एक बार तो मैंने सोचा की क्यों उनकी नींद ख़राब की जाये पर तुरंत ही मैंने अपने दिमाग से ये ख्याल निकाल दिया क्यों की मुझे तो एक जोरदार चुदाई की जरूरत थी , मुझे तो चुदवाना था . मैं बिस्तर पर उन के पास सो गई . मैंने अपना हाथ उनके नरम लंड की तरफ बढाया और उस को पकड़ लिया . उन का लंड बहुत ही मुलायम , बहुत ही नरम था , बिलकुल किसी बच्चे के लंड की तरह . मैंने धीरे धीरे उन के लंड पर चड्डी के ऊपर से ही हाथ फिराने लगी . जल्दी ही उन का लंड बड़ा होने लगा , फूलने लगा , जैसे गुब्बारे में हवा भर रही हो . मेरे हाथ लगाने से चाचा का लंड बड़ा हो कर खड़ा हो गया और कड़क हो गया था . चाचा अभी भी नींद में थे और शायद कोई चुदाई वाला सपना देख रहे थे जब मैंने उन के लंड को खड़ा कर दिया था . जल्दी ही उन की आँख खुल गयी , शायद मेरी पकड़ उन के लंड पर होने से .
मुझे देख कर वो बोले - अरे डार्लिंग ! मैं तुम्हारा ही सपना देख रहा था .
मैं बोली - और मैं सचमुच आप के पास हूँ .
			
									
									
						मैं तो नंगी थी ही , मैंने देखा की मेरी माँ और पापा भी पूरी तरह नंगे थे . मेरी माँ स्टडी टेबल के कोने पर बैठी हुई थी और उन के पैर मेरे पापा की नंगी कमर को पकड़े थे . वो ऐसी पोज़िशन में थे की मैं बाथरूम
से न तो माँ की चूत देख पा रही थी और न ही पापा का लंड देख पा रही थी . जो मैं देख सकती थी , वो थी माँ की चूचियां और पापा की गांड . पापा ने माँ के दोनों पैर अपने हाथों से पकड़े हुए थे और उन का लंड मेरी माँ की चूत में था . मैं बहुत खुश होती हूँ ये जान कर की मेरे माँ बाप एक सफल और चुदाई से भरी जिन्दगी जी रहे थे . पापा करीब 50 साल के और माँ करीब 45 साल की होने के बावजूद भी वो इतनी शानदार चुदाई अलग अलग पोज़िशन में करते थे जिस से उनके इस उम्र में भी चुदक्कड़ होने का पता चलता था . वो आपस में चुम्बन ले रहे थे और माँ के दोनों हाथ पीछे टेबल पर सपोर्ट ले रहे थे . उन्होंने चुम्बन ख़तम किया तो पापा सीधे खड़े हो गए . वो माँ के पैर अभी भी पकड़े हुए थे और अब पापा ने अपने लंड से माँ की चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए थे . पापा के लंड के , माँ की चूत में हर धक्के के साथ मेरी माँ की चूचियां ऊपर नीचे नाच रही थी . वो दोनों आपस में धीरे धीरे बोल रहे थे जो मैं सुन नहीं पाई . शायद वो सेक्सी बातें ही कर रहे होंगे .
बे ध्यानी में ही मेरा हाथ अपनी अभी अभी साफ़ की हुई चिकनी चूत पर चला गया . मेरी उँगलियों को पता चल गया की मेरी चूत गीली हो रही थी . ये असर था अपने माँ बाप की चुदाई देखने का . मैंने पूरा पूरा ध्यान रखा की कोई आवाज न होने पाए . मैं अपनी चूत पर धीरे धीरे हाथ फिरा रही थी क्यों की मैं जानती थी की जोर जोर से चूत में ऊँगली करने से मैं जल्दी ही झर सकती थी जिसकी वजह से मेरे मुंह से आवाज निकल सकती थी . मैं धीरे धीरे अपनी चूत को मसल रही थी . वहां , पापा अब जोर जोर से मेरी माँ को चोदने लगे थे . माँ की चूचियां भी तेजी से पापा के हर धक्के के साथ नाच रही थी . मेरे लिए हमेशा ही अपने माँ बाप की चुदाई देखना मजेदार रहा है और आज मैं फिर वही काम कर रही थी . और सब से खास बात ये है की मैं कभी भी ऐसा करते पकड़ी नहीं गयी थी , ये बहुत संतोष की बात है . चाचा से चुदवाते हुए भी मैं कभी भी नहीं पकड़ी गयी थी . मैं चुदाई करवाते हुए या चुदाई देखने के समय हमेशा ये ध्यान और सावधानी रखती हूँ की पकड़ी न जाऊं .
वहां मेरी माँ चुदी जा रही थी और यहाँ मुझे मज़ा आ रहा था .
पापा ने माँ को चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी थी और माँ की आँखें आनंद के कारण बंद हो रही थी . माँ की बड़ी बड़ी चूचियां उछल रही थी , नाच रही थी और पापा माँ को अपने लंड से चोदे जा रहे थे ........ चोदे जा रहे थे ..... तेजी से चोदे जा रहे थे .
मेरी माँ चुद रही थी और मैं देख रही थी अपनी माँ को चुदते हुए .
मेरे चुदक्कड़ पापा मेरी चुदक्कड़ माँ को चोदते जा रहे थे और मैं , उनकी चुदक्कड़ बेटी उन की चुदाई देख रही थी . अब पापा के चोदने की रफ़्तार लिमिट क्रोस कर चुकी थी और मुझे पता चल गया की उनका लंड मेरी माँ की चूत में पानी बरसाने वाला है .
और ना चाहते हुए भी , मुझे वहां से हटना पड़ा क्यों की अब अधिक देर वहां खड़े रहने में देख लिए जाने का खतरा था .
मैंने धीरे से , बिना आवाज किये बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपने रूम में आ गई . अपने रूम में आ कर बाथरूम अपनी तरफ से बंद कर लिया .
मैं काफी गरम और गीली हो चुकी थी. मुझे अब एक जोरदार चुदाई की जरूरत महसूस होने लगी थी. मेरे चाचा तो थे ही मेरी चुदाई की जरूरत पूरी करने के लिए. मैंने अपने नंगे बदन पर गाउन डाला और चाचा के बेडरूम की चाबी ले कर अपने रूम से बाहर आई ( मेरे रूम चाबी चाचा के पास और चाचा के रूम की चाबी मेरे पास रहती है ताकि हम एक दुसरे के पास जब भी जरूरत हो, चुदाई करने या चुदवाने के लिए पहुँच सकते है) चाचा का रूम मेरे रूम के सामने ही था . उनके रूम का दरवाजा बंद पा कर मैंने चाबी से उन के रूम का दरवाजा खोला और अन्दर पहुँच गई . चाचा अपने बिस्तर में सिर्फ चड्डी पहने हुए गहरी नींद में सो रहे थे . उन के बदन का ऊपरी हिस्सा नंगा था . रूम में नाइट बल्ब की रौशनी में मैं सब देख पा रही थी . वो अपनी पीठ के बल सीधे सोये हुए थे और उनकी चड्डी उनके लंड के ऊपर सपाट थी जिसका मतलब था की उन का लंड खड़ा नहीं है , नरम है . मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया और ये सोचती हुई उन के बिस्तर की तरफ बढ़ी की कैसे शुरू किया जाए . एक बार तो मैंने सोचा की क्यों उनकी नींद ख़राब की जाये पर तुरंत ही मैंने अपने दिमाग से ये ख्याल निकाल दिया क्यों की मुझे तो एक जोरदार चुदाई की जरूरत थी , मुझे तो चुदवाना था . मैं बिस्तर पर उन के पास सो गई . मैंने अपना हाथ उनके नरम लंड की तरफ बढाया और उस को पकड़ लिया . उन का लंड बहुत ही मुलायम , बहुत ही नरम था , बिलकुल किसी बच्चे के लंड की तरह . मैंने धीरे धीरे उन के लंड पर चड्डी के ऊपर से ही हाथ फिराने लगी . जल्दी ही उन का लंड बड़ा होने लगा , फूलने लगा , जैसे गुब्बारे में हवा भर रही हो . मेरे हाथ लगाने से चाचा का लंड बड़ा हो कर खड़ा हो गया और कड़क हो गया था . चाचा अभी भी नींद में थे और शायद कोई चुदाई वाला सपना देख रहे थे जब मैंने उन के लंड को खड़ा कर दिया था . जल्दी ही उन की आँख खुल गयी , शायद मेरी पकड़ उन के लंड पर होने से .
मुझे देख कर वो बोले - अरे डार्लिंग ! मैं तुम्हारा ही सपना देख रहा था .
मैं बोली - और मैं सचमुच आप के पास हूँ .
Re: जुली को मिल गई मूली
चाचा  मेरी  तरफ  घूम  गए . मेरा  गाउन मेरे  घुटनों  के  ऊपर  था  और  उन्होंने  मेरे  पैर  से  होते  हुए  अपना  हाथ  मेरी  कमर  तक  घुमाया . उन  को  पता  चल  गया  था  की  मैंने  गाउन  के  नीचे  कुछ  नहीं  पहना  है . उन्होंने  मेरे  गाउन की  गाँठ  खोल  कर  उस  को  मेरे  हाथों  से  बाहर  निकाल  कर  उतार  फेंका . अब  मैं  चाचा  के  सामने  बिलकुल  नंगी  लेटी  थी  और  मेरी  अभी  अभी  बाल  साफ़  की  हुई  चिकनी  चूत  चाचा  के  सामने  थी . मैंने  भी  चाचा  की  चड्डी  उतार  कर  उनके  लंड  को  आज़ाद  कर  दिया  था . मेरे  हाथ  चाचा  के  बदन  पर  घूम  रहे  थे  और  चाचा  के  हाथ  मेरे  सेक्सी  बदन  पर  फिर  रहे  थे . उन्होंने  मुझे  अपने  ऊपर  खींच  लिया  और  हम  दोनों  के  होंठ  आपस  में  मिल  गए . मेरी  मुलायम  जीभ  को  उन्होंने  अपने मुह  में  ले  कर  चूसा . मैं  तो  और  भी  गरम  हो  चली  थी . अपने  नंगे  बदन  को  मैं  चाचा  के  नंगे  बदन  से  रगड़ने  लगी . चाचा  का  पूरी  तरह  तना  हुआ , खड़ा  हुआ , कड़क , गरम , लम्बा  और  मोटा  लौड़ा  किसी  लोहे  की  रोड की  तरह , मेरे  पैरों    के  बीच  में  से  मेरी  गांड  को  टच कर  रहा  था . मैं  अपनी  दोनों  कड़क  चूचियां  चाचा  की  बालों  भरी  छाती  पर  रगड़  रही  थी . मैं  चाचा  का  लंड  अपनी  चिकनी  चूत  में  लेने  को  बेक़रार  थी . मैंने  अपना  हाथ  नीचे  कर  के  चाचा  के  लंड  को  पकड़  कर  अपनी  चूत  पर  लगाया . उन  के  हाथ  मेरे  बदन  पर  घूमते  हुए  मेरी  गोल  गोल  गांड  पर  पहुंचे  और  चाचा  ने  मेरी  गांड  को  दबाया . उन  की  उँगलियाँ  कई  बार  मेरी  गांड  के  बीच की दरार  में  घूमी  तो  मैं  और  भी  बेक़रार  हो  चली . चाचा  समझ  चुके  थे  की  मैं  जल्दी  से  जल्दी  चुदवाना  चाहती  हूँ . उन्होंने  मुझे  थोड़ा  ऊपर  किया  और  मेरी  चूची  और  निप्पल  चूसने  लगे . वो  कुछ  इस  तरह  से  अपनी  जीभ  मेरी  निप्पल  पर  घुमा  रहे  थे  की  मैं  तो  पागल  सी  हो  गई  थी . अब  हम  चुदाई  करने  की  परफेक्ट  पोजीसन   में  थे . मैंने  फिर  से  अपना  हाथ  नीचे  किया  और  चाचा  के  तने  हुए  लंड  को  पकड़  कर  मेरी  गीली  चूत  के  दरवाजे  पर  रखा  और  अपनी  गांड  नीचे की . मैं  चाचा  के  ऊपर  सोई  होने  की  वजह  से  सिर्फ  उन  के  लंड  का  मुह  ही  मेरी  चूत  के  अन्दर  जा  पाया . तब  तक  चाचा  ने  अपना  चूची  चुसाई  का  काम  पूरा  कर  लिया  और  अब  मैं  चाचा के  लंड  पर  बैठ  गयी  थी . मेरी  चूत  तो  गीली  थी  ही , मेरे  उन  के  लंड  पर  दो तीन बार उठने बैठने  की  वजह  से  चाचा  का  पूरे  का  पूरा  लंड  मेरी  चूत  के  अन्दर  चला  गया . मजेदार  चुदाई  के लिए  मैंने  अपने  दोनों  हाथ  पीछे  कर  के  चाचा  की  जाँघों  पर  रख  लिए  ताकि  उनका  लम्बा  लंड  आराम  से  मेरी  चूत  में  आ  जा  सके .
वो मेरी चूचियां मसल रहे थे और मैं उन के ऊपर , उनका लंड अपनी चूत में ले कर चुदाई के लिए तैयार थी .
चूत और लंड की अन्दर बाहर करके चुदाई करने के पहले मैंने चाचा को सर्प्राइज़ दिया . मैंने चाचा के लंड को अपनी चूत में पकड़े हुए अपनी गांड को थोड़ा ऊपर हो कर गोल गोल घुमाया , किसी ग्राइंडर की तरह . हे भगवान .... मैंने ऐसा पहली बार किया था और मुझे बड़ा मज़ा आया
मैं अपनी गांड गोल गोल घुमाते जा रही थी और उन का लंड मेरी चूत के अन्दर घूम रहा था . आप खुद समझ सकतें है की इस का क्या असर होता है . जब मैं अपनी गांड गोल गोल घुमा रही थी तब चाचा मेरी गांड को नीचे से पकड़ कर दबा रहे थे , मसल रहे थे . वो मेरा पूरा पूरा साथ दे रहे थे क्यों की उन को भी मज़ा आ रहा था . 10 / 15 बार अपनी गांड घुमाने के बाद अब मैं चुदवाना चाहती थी .
अब मैं अपनी गांड ऊपर नीचे कर रही थी और चाचा का लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर होने लगा . चाचा भी पूरा सपोर्ट कर रहे थे अपनी गांड ऊपर नीचे करके . मैं जब अपनी गांड नीचे करती , चाचा अपनी गांड ऊपर करते और उन का लौड़ा मेरी चूत के काफी अन्दर तक पहुँच जाता . मैंने धीरे धीरे अपनी गांड ऊपर नीचे करनी शुरू की थी लेकिन मेरी रफ़्तार अपने आप बढती गई . मैं अपनी चूत का धक्का नीचे लगा रही थी और चाचा अपने लंड का धक्का अपनी गांड ऊपर कर के मेरी चूत में लगा रहे थे . मैंने देखा की मेरी दोनों चूचियां हर धक्के के साथ ऊपर नीचे हिल रही थी , नाच रही थी . अपनी खुद की चुचियों को इस तरह हिलते हुए देख कर मुझे एक बार फिर अपनी माँ की बड़ी बड़ी , नंगी चुचियों की याद आ गयी जो की पापा से चुदवाते समय नाच रही थी . हम दोनों अपनी अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए चुदाई में मगन थे .
मैं तो चाचा से चुदाई शुरू करने के पहले से गरम थी जब मैंने अपनी माँ को अपने पापा से चुदवाते हुए देखा था और मैंने अपनी चूत पर भी अपना हाथ काफी देर तक फिराया था , इसलिए मैं जल्दी ही अपनी मंजिल की तरफ , झड़ने की तरफ बढ़ने लगी थी . मेरे चाचा जानते थे की मैं बहुत जल्दी झड़ने वाली हूँ . वो नीचे से मुझे जोर जोर से चोदने लगे और मैं भी ऊपर से जोर जोर से चुदवाने लगी . हमारी चुदाई से रूम में चुदाई की आवाजें गूंजने लगी . चाचा का लम्बा , मोटा और कड़क लंड मेरी रसीली चूत में अन्दर बाहर होता हुआ " फचा फच .. फचा फच " की आवाज कर रहा था . मेरा तो ये मानना है की चुदाई का संगीत ही दुनिया का सबसे प्यारा संगीत है . मेरी गांड तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी . मुझे पता था की चाचा के लंड का रस इतनी जल्दी नहीं निकलने वाला है , पर मेरा तो हो गया था . ओह चाचा ..... मेरा हो रहा है .... मैं तो गई ........ और मैं सचमुच गयी . मैं झड़ गई थी . बहुत ही जोर से झड़ी थी . मैं अपनी गांड चाचा की जांघों पर टिका कर उन के लंड को अपनी चूत में लिए बैठ गई थी . मैं अपनी चूत भींच भींच कर झड़ने का मज़ा ले रही थी और थोड़ी देर ऐसे ही आँखें बंद किये बैठी रही . क्या जोरदार चुदाई की थी चाचा ने . मैं कितनी खुश किश्मत हूँ की हर चुदाई में मैं कम से कम दो बार झडती हूँ . चाचा मेरी चूचियां मसल रहे थे . मैं जानती थी की चुदाई तो अभी और बाकी है , क्यों की चाचा के लंड का पानी निकलना अभी बाकी है .
			
									
									
						वो मेरी चूचियां मसल रहे थे और मैं उन के ऊपर , उनका लंड अपनी चूत में ले कर चुदाई के लिए तैयार थी .
चूत और लंड की अन्दर बाहर करके चुदाई करने के पहले मैंने चाचा को सर्प्राइज़ दिया . मैंने चाचा के लंड को अपनी चूत में पकड़े हुए अपनी गांड को थोड़ा ऊपर हो कर गोल गोल घुमाया , किसी ग्राइंडर की तरह . हे भगवान .... मैंने ऐसा पहली बार किया था और मुझे बड़ा मज़ा आया
मैं अपनी गांड गोल गोल घुमाते जा रही थी और उन का लंड मेरी चूत के अन्दर घूम रहा था . आप खुद समझ सकतें है की इस का क्या असर होता है . जब मैं अपनी गांड गोल गोल घुमा रही थी तब चाचा मेरी गांड को नीचे से पकड़ कर दबा रहे थे , मसल रहे थे . वो मेरा पूरा पूरा साथ दे रहे थे क्यों की उन को भी मज़ा आ रहा था . 10 / 15 बार अपनी गांड घुमाने के बाद अब मैं चुदवाना चाहती थी .
अब मैं अपनी गांड ऊपर नीचे कर रही थी और चाचा का लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर होने लगा . चाचा भी पूरा सपोर्ट कर रहे थे अपनी गांड ऊपर नीचे करके . मैं जब अपनी गांड नीचे करती , चाचा अपनी गांड ऊपर करते और उन का लौड़ा मेरी चूत के काफी अन्दर तक पहुँच जाता . मैंने धीरे धीरे अपनी गांड ऊपर नीचे करनी शुरू की थी लेकिन मेरी रफ़्तार अपने आप बढती गई . मैं अपनी चूत का धक्का नीचे लगा रही थी और चाचा अपने लंड का धक्का अपनी गांड ऊपर कर के मेरी चूत में लगा रहे थे . मैंने देखा की मेरी दोनों चूचियां हर धक्के के साथ ऊपर नीचे हिल रही थी , नाच रही थी . अपनी खुद की चुचियों को इस तरह हिलते हुए देख कर मुझे एक बार फिर अपनी माँ की बड़ी बड़ी , नंगी चुचियों की याद आ गयी जो की पापा से चुदवाते समय नाच रही थी . हम दोनों अपनी अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए चुदाई में मगन थे .
मैं तो चाचा से चुदाई शुरू करने के पहले से गरम थी जब मैंने अपनी माँ को अपने पापा से चुदवाते हुए देखा था और मैंने अपनी चूत पर भी अपना हाथ काफी देर तक फिराया था , इसलिए मैं जल्दी ही अपनी मंजिल की तरफ , झड़ने की तरफ बढ़ने लगी थी . मेरे चाचा जानते थे की मैं बहुत जल्दी झड़ने वाली हूँ . वो नीचे से मुझे जोर जोर से चोदने लगे और मैं भी ऊपर से जोर जोर से चुदवाने लगी . हमारी चुदाई से रूम में चुदाई की आवाजें गूंजने लगी . चाचा का लम्बा , मोटा और कड़क लंड मेरी रसीली चूत में अन्दर बाहर होता हुआ " फचा फच .. फचा फच " की आवाज कर रहा था . मेरा तो ये मानना है की चुदाई का संगीत ही दुनिया का सबसे प्यारा संगीत है . मेरी गांड तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी . मुझे पता था की चाचा के लंड का रस इतनी जल्दी नहीं निकलने वाला है , पर मेरा तो हो गया था . ओह चाचा ..... मेरा हो रहा है .... मैं तो गई ........ और मैं सचमुच गयी . मैं झड़ गई थी . बहुत ही जोर से झड़ी थी . मैं अपनी गांड चाचा की जांघों पर टिका कर उन के लंड को अपनी चूत में लिए बैठ गई थी . मैं अपनी चूत भींच भींच कर झड़ने का मज़ा ले रही थी और थोड़ी देर ऐसे ही आँखें बंद किये बैठी रही . क्या जोरदार चुदाई की थी चाचा ने . मैं कितनी खुश किश्मत हूँ की हर चुदाई में मैं कम से कम दो बार झडती हूँ . चाचा मेरी चूचियां मसल रहे थे . मैं जानती थी की चुदाई तो अभी और बाकी है , क्यों की चाचा के लंड का पानी निकलना अभी बाकी है .