मैं  थक  चुकी  थी  इस  लिए  मैं  चाचा  के  ऊपर  से  नीचे  उतर  गई . चाचा  का  लंड , मेरी  चूत  के  रस  से  गीला  लंड   , नाइट बल्ब की  रौशनी  में  चमक  रहा  था . चाचा  ने  एक  बार  फिर  मेरे  सेक्सी  बदन  पर  हाथ  फिराया  और  मुझे  घुमने  को  कहा , अपनी  तरफ  पीठ  करने  को  कहा . एक  बार  तो  मैंने  सोचा  की  चाचा  आज  मेरी  गांड  मारने  वाले  है . पर  मुझे  पता  था  की  उन  को  गांड  मारना  पसंद  नहीं  है . इस  का  मतलब  वो  मेरी चिकनी  चूत  पीछे  से  चोदना  चाहते  थे .
मैं  अपनी  साइड  पर , दूसरी  तरफ  मुह  करके , चाचा  की  तरफ  पीठ  करके  लेट  गई . अपना  ऊपर  का  पैर  मैंने  थोड़ा  और  ऊपर  किया  और  चुदवाने  की  पोजीसन   बनाई  . चाचा  ने  अपना  गीला  कड़क  लंड  अपने  हाथ  से  पकड़  कर  मेरी  चूत  में  पीछे  से  डाला . मेरी  चूत  भी  गीली  थी  और  चाचा  का  लंड  भी  गीला  था  इस  लिए  बिना  ज्यादा  दिक्कत  के, दो तीन धक्कों में   उनका  लंड  मेरी  चूत  में  पीछे  से  घुस  गया . चाचा  ने  मेरी  चूचियां  पकड़ी  और  अपने  लंड  को  मेरी  चूत  में  अन्दर  बाहर  करते  हुए  मुझे  चोदने  लगे . उन  की  गांड  आगे  पीछे  हिल  रही  थी  और  उन  के  पैर  मेरी  नंगी  गांड  पर  हर  धक्के  के  साथ  टकरा  रहे  थे . आप  को  तो  पता  है  की  हर  पोजीसन  में  चुदवाने  का  अपना  अलग  मज़ा  है . कुछ  इसी  तरह  का  मज़ा  पीछे  से  चुदवाने  में  भी  आता  है . मैंने  चाचा  से  चुदवाते  हुए  अपने  माँ  बाप  के  बारे  में  सोचा . वो  दोनों  एक  जोरदार  चुदाई  के  बाद  सो  गए  होंगे  पर  ये  नहीं  जानते  थे  की  उन  की  बेटी  अब  दुसरे  रूम  में  अपने  चाचा  से  चुदवा  रही  है . चाचा  के  गरमा गरम  लंड  के  धक्के  मेरी  गरम  और  गीली  चूत  में  लग  रहे  थे . और  एक  बार  फिर  वही   , चुदाई  का मधुर  संगीत  बजने  लगा . चाचा  का  लम्बा  लंड  मेरी  चूत  में  अन्दर  बाहर  हो  रहा  था  और  उनके  दोनों    पैर  मेरे  दोनों  पैरों  के  बीच  में  थे . मैं  चुदवाती  हुई  फिर  से  एक  बार  अपनी  मंजिल  पर  पहुँचने  के  करीब  थी  और  मैं  भी  अपनी  गांड  हिला  हिला  कर , आगे पीछे करके  चुदाई  में  चाचा  का  साथ  दे  रही  थी . मेरा  दूसरी    बार  होने  वाला  था . चुदवाते  हुए  मैंने  चाचा  के  लंड के सुपाड़े  को  अपनी  चूत  में  और  कड़क , और मोटा  होता महसूस  किया  तो  मुझे  पता  चल  गया  की  चाचा  का  लंड  भी  पानी  बरसाने  को  तैयार  है . मैं  भी  झड़ने  के  काफी  पास  थी  और  चाचा  मेरी  चूत  में  जोर  जोर  से , तेजी  से  धक्के  मारने  लगे . और  फिर  मैं  तो  पहुँच  ही  गयी . मैं  दूसरी  बार  झर  चुकी  थी . चाचा  लगातार  मुझे  चोदते  जा  रहे  थे . और  अचानक  उन  के  लंड  ने  अपना  गरम  गरम  प्रेम  रस  मेरी  रसीली  चूत  में  बरसाना  शुरू  कर  दिया . चाचा  ने  पीछे  से  मुझे  जोर  से  कस  कर  पकड़  लिया . मैं  तो  जैसे  हवा  में  उड़  रही  थी . चाचा  का  लंड  नाच  नाच  कर  मेरी  चूत  अपने  रस  से  भर  रहा  था  और  मैंने  मज़े  के  मारे  अपनी  गांड  भींच  कर  के  उन  के  पानी  बरसते  हुए  लंड  को  अपनी  चूत  में  जकड़  लिया .  चाचा  मेरी  चूचियां  मसल  रहे  थे , मेरी  गांड  दबा  रहे  थे  और  मेरी  आँखें  तो  मजेदार  चुदाई  के  कारण  बंद  सी  हो  रही  थी . हम   कुछ  देर  वैसे  ही  पड़े  रहे . मेरी  चूत  में  चाचा  का  लंड  शांत  हो  चुका  था . थोड़ी  देर  बाद  उन्होंने  अपना  नरम  होता  लंड  अपनी  गांड  पीछे  कर  के  मेरी  चूत  से  निकाल  लिया . मैं  खड़ी  हो  कर  बाथरूम  में  अपनी  चूत  साफ़  करने  चली  गई . जब  मैं  वापस  आई  तो  चाचा  को  वैसा  ही  नंगा  सोया  देख  कर  मैं  हंस  पड़ी . उन  का  नरम  हो  चुका  लंड अब नुन्नी बनकर  उन  की  गोलियों  पर  आराम  कर  रहा  था . चाचा  जानते  थे  की  मुझे नुन्नी बने  नरम  लंड  से  खेलना  बहुत  अच्छा  लगता  है , शायद  इसी  लिए .
मैंने  बिस्तर  पर  आ  कर  उन  के  नरम नुन्नी  लंड   को  सीधे  अपने  मुंह  में  ले  लिया  और  किसी  लोली पॉप  की  तरह  चूसने  लगी . मैंने  उन  का  लंड  चूसते  हुए  उन  के  लंड  का  रस  ही  नहीं , अपनी  खुद  की  चूत  के  रस  का  भी  स्वाद  लिया . इस  समय  उन  का  लंड  इतना  नरम  और  इतना  छोटा लुल्ली   हो  गया  था  की  मैं  उस  को  पूरे  का  पूरा  अपने  मुंह  में  ले  गई  थी . मैंने  अपने  हाथ  से  उनकी  गोल     गोल  गोलियों  को  भी  मसला . मैंने  उन  के लुल्ली  लंड  को  मुंह से  बाहर  निकाल  कर  अपनी  हथेली  पर  लिया  तो  वो  एक छोटे  चूहे  के  जैसे  लग  रहा  था  . मैंने  उन  के  नरम  लंड  को  अपनी  मुलायम  चुचियों  के  साथ  रगड़ा , फिर  से  उस  को  मुंह  में  ले  कर  चूसा  तो  वो  फिर  से  बड़ा  होने  लगा . फिर  उन  के  लौड़े  की  लम्बाई  इतनी  बढ़  गई
 इतनी बढ़ गई कि उस को मूह मे रखना मुश्किल हो गया. चाचा का गरम खड़ा लंड फिर से चुदाई करने के लिए तय्यार हो गया था पर मेरी चूत की चुदाई तो हो चुकी थी. मैने चाचा को खड़े लंड के साथ छ्चोड़ कर अपने रूम मे जा कर सोना ठीक नही समझा. मैं तो दो बार झाड़ चुकी थी और चाचा के लंड ने सिर्फ़ एक बार ही पानी निकाला था. मैं चाहती थी कि चाचा को फिर से एक बार उनके लंड से पानी निकाल कर मज़ा दूं.
मैने चाचा के खड़े हुए गरम लंड के उपर की चॅम्डी नीचे की तो उनके लंड का चमकता हुआ मूह बाहर निकल आया. मैने उनके लंड को मूह मे ले कर आइस क्रीम की तरह चूसना शुरू किया. मेरी जीभ उन के लंड मूंद सुपाडे पर फिर रही थी और उन के लौडे से गरम होने के सबूत के तौर पर पानी निकलने लगा. लॅंड जब भी चुदाई के लिए तय्यार होता है, उस के मूह से पानी निकलने लगता है जैसे हम लड़कियों की चूत से रस निकलता है. ये तो कुदरत का क़ानून है. उनका लंड और भी सख़्त होता जा रहा था. चाचा के लंड का आगे का भाग मेरे मूह मे था और नीचे से उनके लंड को अपने हाथ से टाइट पकड़ कर उपर नीचे……आगे पीछे करते हुए मूठ मारने लगी. चाचा का पूरा लंड मेरे कब्ज़े मे था. आगे का भाग, सूपड़ा, लंड का मूह मेरे मूह मे था और नीचे का भाग मेरे हाथ मे था. चाचा प्यार से मेरे बालों मे हाथ फिराने लगे. हम अभी अभी तो चुदाई कर के हटे थे और और तुरंत ही हम फिर चुदाई का एक और खेल खेल रहे थे. कितनी लकी हूँ मैं.
अब तक मेरे चूसने और मूठ मारने से चाचा का लंड अपनी पूरी ताक़त के साथ, पूरी लंबाई और मॉटेपेन के साथ खड़ा हो गया था जिसकी वजह से मेरे मूह मे सिर्फ़ उनके लंड का मूह ही रह गया था. मैने उनके लंड को अपने मूह से तो बाहर निकाला पर उसे अपने हाथ मे पकड़े रही. मैने अपना मूह उपर करके चाचा को एक चुंबन दिया. चाचा मेरे नीचे का होठ चूस रहे थे और मैं चाचा का उपरी होठ चूस रही थी. मेरा हाथ लगातार उन के लंड को पकड़े हुए मूठ मार रहा था. चुंबन पूरा होने के बाद मैने अपना सिर चाचा की चौड़ी, बालों भरी छाती पर रख दिया. अब मैं पूरी ताक़त से, पूरी क़ाबलियत के साथ उन के लंड पर मूठ मार रही थी.मैं इस पोज़िशन मे उनके मोटे, लंबे और गरम लंड को खुद ही मूठ मारते हुए देख सकती थी. चाचा का हाथ मेरी पीठ और मेरी नंगी गोल गोल गंद पर घूम रहा था. मुझे भी मज़ा आ रहा था. चाचा का लंड इतना लंबा है कि करीब आधा ही मेरे हाथ मे था और और मैं उस को पकड़ कर तेज़ी से उपर नीचे …….. उपर नीचे कर रही थी. मुझे पता था कि उनके लंड से हमेशा ही पानी निकलने मे बहुत वक़्त लगता है और उपर से वो अभी अभी मेरी चूत मे पानी निकाल चुके है तो और ज़्यादा समय लगेगा. मैने मूठ मारते हाथ को आराम दे कर अपने दूसरे हाथ से मूठ मारने लगी. मैं कुछ इस तरह लेटी हुई थी कि मेरा सिर चाचा की छाती पर था और और मैं सीधी लेटी हुई अपने हाथ मे उनका लॉडा पकड़ कर हिला रही थी. मेरी इस पोज़िशन मे चाचा के लिए मेरी चूत तक पहुँचना आसान था. मैने अपने पैर चौड़े किए तो चाचा का हाथ मेरी चूत तक पहुँच गया. चाचा मेरी चूत से खेलने लगे और मैं उन के लंड से खेल रही थी. वो अपनी बीच की उंगली मेरी चूत के बीच उपर नीचे घुमा रहे थे.
			
									
									
						जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
मैं उनका लंड पकड़ कर मूठ मार रही थी और चाचा मेरी रसीली चिकनी चूत को अपनी उंगली से चोद रहे थे. मेरी चूत से फिर से रस निकलना शुरू हो गया था जिसकी वजह से चाचा की उंगली मेरी चूत मे आराम से घूम रही थी. मेरी चूत मे चाचा की उंगली अंदर बाहर हो रही थी और मेरी चूत चाचा की उंगली से चुदि जा रही थी. चाचा ने मुझ थोड़ा उपर होने को कहा ताकि वो अपनी उंगली मेरी चूत मे ज़्यादा अंदर तक डाल सके. अब उनकी बीच की उंगली पूरी मेरी चूत मे घुस चुकी थी. बीच बीच मे चाचा मेरी चूत के दाने को भी मसल रहे थे. मैने अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ा दी. मैं बहुत नज़दीक थी और मेरा बदन झड़ने के लिए अकड़ने लगा. मेरी आँखें बंद हो गई पर मैं लगातार चाचा के लंड को पकड़े हुए तेज़ी से, ज़ोर ज़ोर से मूठ मारे जा रही थी. मैं अपने चुड़क्कड़ चाचा को मूठ चुदाई का पूरा पूरा आनंद देना चाहती थी. और हमेशा की तरह, चाचा के लंड का पानी निकालने से पहले ही मैं झाड़ चुकी थी. चाचा की मेरी चूत चोद्ति उंगली को मैने अपनी चूत मे ही अपने पैर टाइट कर के जाकड़ लिया. मैं मूठ मारती जा रही थी, चाचा का लॉडा उपर नीचे….. उपर नीचे करती जा रही थी. थोड़ी देर बाद जब चाचा की गंद हिलने लगी, उपर नीचे होने लगी, लंड और भी सख़्त हो गया तो मैं समझ गई कि चाचा के लंड से पानी की बौछार होने वाली है. अचानक ही चाचा के लंड ने अपना पानी छ्चोड़ दिया. उनके लंड से निकला पानी फ़ौव्वारे की तरह हवा मे काफ़ी उपर तक गया और फिर हम दोनो के नंगे बदन पर गिरने लगा.
चाचा का लंड धार के रूप मे बार बार अपना रस बरसता रहा और हम दोनो उन के लंड से निकले प्रेम रस मे भीगने लगे. मैं अभी भी उनके लंड को पकड़ कर धीरे धीरे हिला रही थी ताकि उन के लंड का पूरा पानी निकल जाए. चाचा का लंड मेरे हाथ मे मज़े के मारे नाच रहा था.
चाचा ने फिर मुझे किस किया और हम दोनो साथ साथ बाथरूम मे अपने बदन की सफाई करने गये. मैं बहुत ही थकान महसूस कर रही थी मैने घड़ी देखी तो रात के 1.30 बजे थे.
बाथरूम मे हम दोनो साथ साथ नंगे नहाए और एक दूसरे के बदन को सॉफ किया. मेरा बदन सॉफ करते हुए चाचा मेरी चुचियों को मसलना नही भूले और मैं चाचा के नरम नुन्नि लंड को रगड़ना नही भूली थी.
मैने अपने नंगे बदन पर फिर से अपना गाउन डाला और चाचा ने अपनी कमर पर तौलिया लपेट लिया.
मैं चाचा से चुद्वाने के बाद फिर से अपने रूम मे वापस आ गई. मेरी चूत जो चाचा से चुद्वाने चली थी, चुद्वा कर वापस आ गई थी.
मैने अपने रूम का दरवाजा अंदर से बंद किया और गाउन उतार कर नंगी अपने बिस्तर मे लेट गई. अपने मा बाप की चुदाई और फिर मेरी चुदाई अपने चोदु चाचा के साथ……. ये सब किसी फिल्म की तरह मेरे दिमाग़ मे चलने लगा और मैं गहरी नींद ने पहुँच गई.
क्रमशः.........................................
 
			
									
									
						चाचा का लंड धार के रूप मे बार बार अपना रस बरसता रहा और हम दोनो उन के लंड से निकले प्रेम रस मे भीगने लगे. मैं अभी भी उनके लंड को पकड़ कर धीरे धीरे हिला रही थी ताकि उन के लंड का पूरा पानी निकल जाए. चाचा का लंड मेरे हाथ मे मज़े के मारे नाच रहा था.
चाचा ने फिर मुझे किस किया और हम दोनो साथ साथ बाथरूम मे अपने बदन की सफाई करने गये. मैं बहुत ही थकान महसूस कर रही थी मैने घड़ी देखी तो रात के 1.30 बजे थे.
बाथरूम मे हम दोनो साथ साथ नंगे नहाए और एक दूसरे के बदन को सॉफ किया. मेरा बदन सॉफ करते हुए चाचा मेरी चुचियों को मसलना नही भूले और मैं चाचा के नरम नुन्नि लंड को रगड़ना नही भूली थी.
मैने अपने नंगे बदन पर फिर से अपना गाउन डाला और चाचा ने अपनी कमर पर तौलिया लपेट लिया.
मैं चाचा से चुद्वाने के बाद फिर से अपने रूम मे वापस आ गई. मेरी चूत जो चाचा से चुद्वाने चली थी, चुद्वा कर वापस आ गई थी.
मैने अपने रूम का दरवाजा अंदर से बंद किया और गाउन उतार कर नंगी अपने बिस्तर मे लेट गई. अपने मा बाप की चुदाई और फिर मेरी चुदाई अपने चोदु चाचा के साथ……. ये सब किसी फिल्म की तरह मेरे दिमाग़ मे चलने लगा और मैं गहरी नींद ने पहुँच गई.
क्रमशः.........................................
Re: जुली को मिल गई मूली
 जुली को मिल गई मूली--11
गतान्क से आगे....................................
ये घटना 2005 की है जब मैं 24 साल की थी और अपने चाचा और अपने प्रेमी से लगातार चुद्वाती थी. आप सब को तो पता ही है कि मैं उस कमसिन लड़के रतन से भी कभी कभी चुद्वाती हूँ. रतन भी अब चोद्ने मे बहुत होशियार हो गया था क्यों कि मैने उस को चुदाई की कला के बारे मे बहुत कुछ सिखा दिया था और उस ने भी तेज़ी से सब सीख लिया था. उस ने अपनी तरफ से ना कभी मुझे चोदा और ना ही मुझे चुद्वाने के लिए कहा. उस ने मेरी चुदाई तभी की जब मैने चाहा कि वो मुझे चोदे. अपनी मालकिन की सेवा करने का उस का तरीका मुझ को बहुत पसंद आया था. मैं हमेशा रुपये - पैसे से उस की हेल्प करती थी और वो दिल से मेरी सेवा करता था. मेरे चाचा और मेरा प्रेमी दोनो ही मेरे रतन के साथ चुदाई के संबंध से अंजान थे. मैं अपने आप को बहुत ही खुस किस्मत समझती हूँ कि मेरी जिंदगी मे हमेशा मेरी शानदार चुदाई होती है.
एक बार मैं और मेरा प्रेमी एक रेस्टोरेंट मे डिन्नर के लिए गये थे. वो ब्लॅक लेबल पी रहा था और मैं बियर का मज़ा ले रही थी. अचानक, मैने उसकी चुदाई की पार्ट्नर अंजू के बारे मे पूछा.
यहाँ मैं फिर से एक बार बता दूं कि मेरे प्रेमी रमेश ने मुझे खुद के और अंजू के बारे मे सब कुछ बता दिया था. मैने भी उस को अपने चाचा से चुदाई के संबंध के बारे मे बता दिया था. मैं यहाँ आप को अंजू के बारे मे बता दूं जो कि मुझे रमेश ने बताया था. अंजू एक नयी शादी शुदा औरत है जो मेरे प्रेमी के पड़ोस मे रहती है और अंजू का हज़्बेंड रमेश का दोस्त है. अपनी शादी के दिन से ही अंजू चुप चाप रहने लगी थी. किसी से कुछ भी बात नही करती थी. एक बार रमेश ने अंजू को उस के चुप चाप रहने का कारण पूछा तो उस की आँखो मे पानी आ गया लेकिन वो मूह से कुछ नही बोली. एक दिन, जब अंजू के घर पर कोई नही था रमेश वहाँ गया और उस से वही सवाल किया. वो रोने लगी थी. रमेश ने उस को शांत किया और उस को अपनी परेशानी बताने को कहा. उस ने उस की हर मुमकिन मदद करने का प्रोमिस किया. वो बोली कि कोई उस की मदद नही कर सकता. उस की किस्मत मे दर्द ही लिखा है और उसी दर्द के साथ उस को जिंदगी गुजारनी होगी. रमेश के बार बार पूछने पर उस ने बताया कि उस का हज़्बेंड एक ना-मर्द है और शादी के इतने दिन बाद भी अभी तक उस को चोद नही पाया है. उस का पति कोशिस तो रोज करता है पर कुछ कर नही पाता. उस का लंड भी खड़ा होता है पर जैसे ही वो अपने लंड को उसकी चूत के पास ले जाता है, उस के लंड का पानी निकल जाता है. अभी तक उस का पति अपने लंड को उस की चूत के अंदर ज़रा भी नही डाल पाया है जब कि उनकी शादी को दो महीने हो गये थे. रमेश ये सुन कर बहुत हैरान हुआ कि उस का दोस्त एक जवान लड़का है पर फिर भी चुदाई के मामले मे एक ना मर्द है. अंजू ने रमेश से कहा कि वो ये बात किसी को भी ना बताए.
एक हफ्ते बाद, अंजू किसी काम से रमेश के घर आई थी. वो रमेश की मा से बात कर रही थी की रमेश घर पर आया. रमेश की मा रमेश को अंजू से बातें करने को कह कर किचन मे चाइ बनाने चली गई. अचानक रमेश ने अंजू को कस कर गले लगा लिया और उस के होंठो का चुंबन ले लिया. अंजू ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया जो कि रमेश के लिए सॉफ सॉफ इशारा था. अंजू ने रमेश को अकेले मे मिलने को कहा. अगले दिन, रमेश को अंजू से अकेले मे मिलने का मौका मिला और रमेश ने अंजू को अंजू के बेडरूम मे पहली बार चोद्कर अंजू की सील तोड़ी और अंजू को पहली बार चुदाई का आनंद दिया. तब से, वो दोनो महीने मे मौका देख कर 3 / 4 बार चुदाई कर लेते थे. अब मेरे प्रेमी रमेश से चुद्वाने के बाद से अंजू बहुत खुस रहने लगी है.
बियर पीते हुए, रेस्टोरेंट मे मैने मेरे प्रेमी रमेश से पूछा - " अंजू कैसी है ?"
रमेश - वो ठीक है, पर तुम उसके बारे मे क्यों पूछ रही हो.
मैं - कोई खास बात नही, ऐसे ही दिल मे आ गया तो पूछ रही हूँ. वैसे तुम कब मिले थे उस से पिछली बार?
रमेश - पिछले हफ्ते.
मैं मुश्काई और बोली - " केवल मिले ही थे या और भी कुछ किया था तुम दोनो ने मिल कर?"
रमेश ने भी हंस कर जवाब दिया - हम दोनो तो कुछ करने के लिए ही मिलते है. मैं तो समाज सेवा कर रहा हूँ, एक शादी शुदा औरत को शादी शुदा होने का हक़ दे रहा हूँ.
मैं ऐसी बातें करते हुए गरम होने लगी थी. हम दोनो टेबल की सेम साइड पर पास पास बैठे थे. हमारे पैर टेबल के नीचे एक दूसरे के पैरों से खेल रहे थे. उस ने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख कर प्यार से दबाया. हम दोनो ने एक दूसरे की आँखों मे देखा. हम दोनो ही गरम हो रहे थे.
			
									
									
						गतान्क से आगे....................................
ये घटना 2005 की है जब मैं 24 साल की थी और अपने चाचा और अपने प्रेमी से लगातार चुद्वाती थी. आप सब को तो पता ही है कि मैं उस कमसिन लड़के रतन से भी कभी कभी चुद्वाती हूँ. रतन भी अब चोद्ने मे बहुत होशियार हो गया था क्यों कि मैने उस को चुदाई की कला के बारे मे बहुत कुछ सिखा दिया था और उस ने भी तेज़ी से सब सीख लिया था. उस ने अपनी तरफ से ना कभी मुझे चोदा और ना ही मुझे चुद्वाने के लिए कहा. उस ने मेरी चुदाई तभी की जब मैने चाहा कि वो मुझे चोदे. अपनी मालकिन की सेवा करने का उस का तरीका मुझ को बहुत पसंद आया था. मैं हमेशा रुपये - पैसे से उस की हेल्प करती थी और वो दिल से मेरी सेवा करता था. मेरे चाचा और मेरा प्रेमी दोनो ही मेरे रतन के साथ चुदाई के संबंध से अंजान थे. मैं अपने आप को बहुत ही खुस किस्मत समझती हूँ कि मेरी जिंदगी मे हमेशा मेरी शानदार चुदाई होती है.
एक बार मैं और मेरा प्रेमी एक रेस्टोरेंट मे डिन्नर के लिए गये थे. वो ब्लॅक लेबल पी रहा था और मैं बियर का मज़ा ले रही थी. अचानक, मैने उसकी चुदाई की पार्ट्नर अंजू के बारे मे पूछा.
यहाँ मैं फिर से एक बार बता दूं कि मेरे प्रेमी रमेश ने मुझे खुद के और अंजू के बारे मे सब कुछ बता दिया था. मैने भी उस को अपने चाचा से चुदाई के संबंध के बारे मे बता दिया था. मैं यहाँ आप को अंजू के बारे मे बता दूं जो कि मुझे रमेश ने बताया था. अंजू एक नयी शादी शुदा औरत है जो मेरे प्रेमी के पड़ोस मे रहती है और अंजू का हज़्बेंड रमेश का दोस्त है. अपनी शादी के दिन से ही अंजू चुप चाप रहने लगी थी. किसी से कुछ भी बात नही करती थी. एक बार रमेश ने अंजू को उस के चुप चाप रहने का कारण पूछा तो उस की आँखो मे पानी आ गया लेकिन वो मूह से कुछ नही बोली. एक दिन, जब अंजू के घर पर कोई नही था रमेश वहाँ गया और उस से वही सवाल किया. वो रोने लगी थी. रमेश ने उस को शांत किया और उस को अपनी परेशानी बताने को कहा. उस ने उस की हर मुमकिन मदद करने का प्रोमिस किया. वो बोली कि कोई उस की मदद नही कर सकता. उस की किस्मत मे दर्द ही लिखा है और उसी दर्द के साथ उस को जिंदगी गुजारनी होगी. रमेश के बार बार पूछने पर उस ने बताया कि उस का हज़्बेंड एक ना-मर्द है और शादी के इतने दिन बाद भी अभी तक उस को चोद नही पाया है. उस का पति कोशिस तो रोज करता है पर कुछ कर नही पाता. उस का लंड भी खड़ा होता है पर जैसे ही वो अपने लंड को उसकी चूत के पास ले जाता है, उस के लंड का पानी निकल जाता है. अभी तक उस का पति अपने लंड को उस की चूत के अंदर ज़रा भी नही डाल पाया है जब कि उनकी शादी को दो महीने हो गये थे. रमेश ये सुन कर बहुत हैरान हुआ कि उस का दोस्त एक जवान लड़का है पर फिर भी चुदाई के मामले मे एक ना मर्द है. अंजू ने रमेश से कहा कि वो ये बात किसी को भी ना बताए.
एक हफ्ते बाद, अंजू किसी काम से रमेश के घर आई थी. वो रमेश की मा से बात कर रही थी की रमेश घर पर आया. रमेश की मा रमेश को अंजू से बातें करने को कह कर किचन मे चाइ बनाने चली गई. अचानक रमेश ने अंजू को कस कर गले लगा लिया और उस के होंठो का चुंबन ले लिया. अंजू ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया जो कि रमेश के लिए सॉफ सॉफ इशारा था. अंजू ने रमेश को अकेले मे मिलने को कहा. अगले दिन, रमेश को अंजू से अकेले मे मिलने का मौका मिला और रमेश ने अंजू को अंजू के बेडरूम मे पहली बार चोद्कर अंजू की सील तोड़ी और अंजू को पहली बार चुदाई का आनंद दिया. तब से, वो दोनो महीने मे मौका देख कर 3 / 4 बार चुदाई कर लेते थे. अब मेरे प्रेमी रमेश से चुद्वाने के बाद से अंजू बहुत खुस रहने लगी है.
बियर पीते हुए, रेस्टोरेंट मे मैने मेरे प्रेमी रमेश से पूछा - " अंजू कैसी है ?"
रमेश - वो ठीक है, पर तुम उसके बारे मे क्यों पूछ रही हो.
मैं - कोई खास बात नही, ऐसे ही दिल मे आ गया तो पूछ रही हूँ. वैसे तुम कब मिले थे उस से पिछली बार?
रमेश - पिछले हफ्ते.
मैं मुश्काई और बोली - " केवल मिले ही थे या और भी कुछ किया था तुम दोनो ने मिल कर?"
रमेश ने भी हंस कर जवाब दिया - हम दोनो तो कुछ करने के लिए ही मिलते है. मैं तो समाज सेवा कर रहा हूँ, एक शादी शुदा औरत को शादी शुदा होने का हक़ दे रहा हूँ.
मैं ऐसी बातें करते हुए गरम होने लगी थी. हम दोनो टेबल की सेम साइड पर पास पास बैठे थे. हमारे पैर टेबल के नीचे एक दूसरे के पैरों से खेल रहे थे. उस ने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख कर प्यार से दबाया. हम दोनो ने एक दूसरे की आँखों मे देखा. हम दोनो ही गरम हो रहे थे.